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साक्षरता को शिक्षा के रूप में चित्रित किया जा रहा : रोमिला थापर

 नयी दिल्ली । प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर ने शनिवार को कहा कि देश आज एक संकट का सामना कर रहा है क्योंकि साक्षरता को शिक्षा के रूप में चित्रित किया जा रहा है। मौलाना आजाद द्वारा लाई गई शिक्षा प्रणाली का उदाहरण देते हुए, उन्होंने कहा कि भारत के पहले शिक्षा मंत्री और कुछ अन्य लोगों ने समझा कि शिक्षा केवल साक्षरता नहीं है। थापर ने कहा, ‘‘मैं इस पर जोर दे रही हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है। आज एक ऐसा संकट है जिसमें साक्षरता को शिक्षा के रूप में चित्रित किया जा रहा है।'' उन्होंने इतिहासकार एस. इरफान हबीब द्वारा लिखित मौलाना आजाद की जीवनी के विमोचन के मौके पर कहा कि शिक्षा के उद्देश्य को महसूस करना बिल्कुल मौलिक है क्योंकि यह केवल अक्षरों का ज्ञान लेने के बारे में नहीं है। इस पुस्तक का प्रकाशन एलेफ बुक कंपनी द्वारा किया गया है।
 आजाद के ‘‘बुनियादी शिक्षा पर अत्यधिक जोर और रुचि'' का जिक्र करते हुए थापर ने कहा कि राष्ट्रवादी नेता ने तर्क दिया था कि नागरिक तब तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकते जब तक कि वे शिक्षित नहीं होते। उन्होंने कहा कि बुनियादी शिक्षा का मतलब केवल कुछ प्रश्नों और उनके उत्तरों को याद करना नहीं है बल्कि स्वतंत्र रूप से सोचने में सक्षम होना है।

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