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 भारतीय नौसेना राष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन का आवश्यक साधन: वाइस एडमिरल देशमुख

कोलकाता/ वाइस एडमिरल किरण देशमुख ने सोमवार को कहा कि बढ़ती सामरिक प्रतिस्पर्धा, संसाधन नियंत्रण और सुरक्षा चुनौतियों के युग में भारतीय नौसेना राष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन, कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता का एक आवश्यक साधन बन गई है। नौसेना के ‘चीफ आफ मैटेरियल्स' देशमुख ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र और उसके बाहर भू-राजनीतिक वातावरण को आकार देने में भारतीय नौसेना की भूमिका निरंतर महत्वपूर्ण होती जा रही है। वह रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड' (जीआरएसई) द्वारा भारतीय नौसेना के लिए निर्मित ‘एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट' की श्रृंखला के आठवें पोत का जलावतरण किए जाने के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ती सामरिक प्रतिस्पर्धा, संसाधन नियंत्रण और सुरक्षा चुनौतियों के युग में, भारतीय नौसेना राष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन, कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता का एक आवश्यक साधन बन गई है।'' ‘अजय' नामक इस युद्धपोत का जलावतरण यहां एक समारोह में वाइस एडमिरल किरण देशमुख की पत्नी प्रिया देशमुख ने किया। यह भारतीय नौसेना के लिए गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड द्वारा निर्मित पनडुब्बी रोधी युद्ध उथले जल पोतों की श्रृंखला का आठवां और अंतिम जहाज है। 
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि वैश्विक शक्तियां इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने का प्रयास कर रही हैं, जहां 80 प्रतिशत वैश्विक व्यापार होता है, इसलिए भारतीय नौसेना को उभरते समुद्री खतरों के लिए पसंदीदा सुरक्षा साझेदार होने तथा एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) मिशन के मामले में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता होने की अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की आवश्यकता है।'' वाइस एडमिरल देशमुख ने कहा कि इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना भारतीय पोत निर्माण उद्योग के माध्यम से विविध भूमिकाओं वाले बड़ी संख्या में जहाजों का निर्माण कर रही है, जो देश भर के विभिन्न शिपयार्ड की ऑर्डर बुक से स्पष्ट है, जो आत्मनिर्भरता को प्रमुखता देता है। उन्होंने जीआरएसई की भूमिका की सराहना की, जिसने देश के सभी शिपयार्ड में सबसे अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है। जीआरएसई देश के प्रमुख रक्षा शिपयार्ड में से एक के रूप में उभरा है, जिसने भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए 110 से अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जो आधुनिक युद्धपोत, पारंपरिक और परमाणु पनडुब्बियां और विमानवाहक पोत बनाते हैं। 
जीआरएसई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कमोडोर (सेवानिवृत्त) पी. आर. हरि ने कहा कि जहाज ‘अजय' उन 16 पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल जहाजों में से एक है, जिनका निर्माण नौसेना के लिए दो शिपयार्ड द्वारा किया जा रहा है, जिनमें से आठ-आठ जीआरएसई और एक सहयोगी शिपयार्ड द्वारा बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछला ‘अजय', जो हमारे देश का पहला स्वदेशी युद्धपोत था, साढ़े छह दशक पहले जीआरएसई द्वारा बनाया गया था और सितंबर 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।'' उन्होंने कहा कि वर्तमान जहाज ‘अजय' तीसरी पीढ़ी का युद्धपोत है। जीआरएसई के एक अधिकारी ने बताया कि कोलकाता की इस कंपनी ने भारतीय नौसेना के लिए ऐसे आठ पोत का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि ये बहुउद्देश्यीय युद्धपोत हैं और कई तरह के अभियानों में हिस्सा ले सकते हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि ये जहाज कम गहराई वाले जलक्षेत्र में संचालन के हिसाब से तैयार किए गए हैं, इसलिए ये तटीय इलाकों में आसानी से काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘77.6 मीटर लंबे और 10.5 मीटर चौड़े ये युद्धपोत तटीय जल क्षेत्र में सतह के नीचे पूरी तरह से निगरानी करने और तलाश एवं बचाव अभियान के संचालन में भी सक्षम हैं।''
 

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