मधुमेह से पीड़ित लोग भी जल्द ही अंतरिक्ष की यात्रा पर जा सकते हैं : अध्ययन
नयी दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा के दौरान किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि मधुमेह से पीड़ित अंतरिक्ष यात्री भविष्य में सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष मिशन पर जा सकते हैं।
संयुक्त अरब अमीरात स्थित स्वास्थ्य देखभाल कंपनी बुरजील होल्डिंग्स ने ‘एक्सिओम-4’ मिशन के दौरान किए ‘सूट राइड’ प्रयोग में यह पाया कि पृथ्वी पर लाखों लोगों द्वारा प्रतिदिन उपयोग किए जाने वाले मधुमेह उपकरणों का उपयोग अंतरिक्ष से धरती तक और वापस अंतरिक्ष तक मधुमेह की संपूर्ण निगरानी के लिए व्यापक रूप से किया जा सकता है।
अध्ययन के मुख्य बिंदु:
सुइट राइड परियोजना: यह एक विशेष प्रयोग है जो अंतरिक्ष यात्रियों के रक्त शर्करा के स्तर की निरंतर निगरानी करेगा.
एक्सिओम-4 मिशन: इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं.
लक्ष्य: मुख्य लक्ष्य यह दिखाना है कि मधुमेह से पीड़ित लोग, विशेष रूप से इंसुलिन पर निर्भर व्यक्ति, अंतरिक्ष में सुरक्षित रूप से रह सकते हैं और काम कर सकते हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है: दशकों से, मधुमेह रोगियों को अंतरिक्ष यात्रा के अयोग्य माना जाता रहा है क्योंकि अंतरिक्ष में ब्लड शुगर नियंत्रण करना एक बड़ी चुनौती है. यह अध्ययन इस स्थिति को बदलने की क्षमता रखता है.
माइक्रोग्रैविटी और इंसुलिन: यह प्रयोग यह जांच करेगा कि अंतरिक्ष के शून्य गुरुत्वाकर्षण वातावरण में इंसुलिन और ग्लूकोज का व्यवहार कैसे होता है.


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