धोखाधड़ी, फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल को ‘कतई बर्दाश्त न करने' की हमारी नीति: यूपीएससी अध्यक्ष
नयी दिल्ली. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष अजय कुमार ने बुधवार को कहा कि किसी भी सरकारी नौकरी की भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों द्वारा धोखाधड़ी और फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल करना ‘‘अस्वीकार्य'' है और इससे उनके करियर को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है। अपनी तरह के पहले वर्चुअल संवाद कार्यक्रम में, उन्होंने अभ्यर्थियों से ‘‘उस रास्ते पर जाने'' से बचने को कहा जो कड़ी कार्रवाई का कारण बने, जिसमें यूपीएससी द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा में तीन साल तक शामिल होने पर रोक भी शामिल है। कुमार ने कहा, ‘‘यूपीएससी की परीक्षाओं में, धोखाधड़ी बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। इस मामले में हमारी नीति कतई बर्दाश्त न करने की है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।'' यूपीएससी प्रमुख ने कार्यक्रम के दौरान विभिन्न मुद्दों पर बात की, जिनमें सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने में कोचिंग सेंटर की उपयोगिता और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की पूर्व परिवीक्षाधीन पूजा खेडकर द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल का मुद्दा भी शामिल था। केंद्र ने पिछले साल खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा से बर्खास्त कर दिया था, क्योंकि उन्होंने गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता आरक्षण का लाभ उठाकर अपना चयन सुनिश्चित किया था। कुमार ने कहा, ‘‘किसी भी तरह की धोखाधड़ी, चाहे आप किसी परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाएं या आप कोई फर्जी प्रमाण पत्र पेश करें या अपनी जन्मतिथि में हेरफेर करें... नियमों और विनियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।'' यूपीएससी प्रमुख ने कहा, ‘‘अगर धोखाधड़ी की जाती है, तो आपराधिक प्राथमिकी दर्ज होती है और आपराधिक कार्रवाई की जाती है। और, आप देखिए कि पूजा खेडकर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसलिए, मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।'' कुमार ने कहा, ‘‘हमने परीक्षा केंद्र में प्रवेश के दौरान चेहरे की पहचान के माध्यम से प्रवेश की अनुमति लागू की है।'' उन्होंने कहा कि आयोग अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता बनाए रखने के लिए डिजिलॉकर के माध्यम से प्रमाण पत्र लेने की योजना बना रहा है। उन्होंने भर्ती परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग की उपयोगिता पर भी विस्तार से चर्चा की।
कुमार ने कहा, ‘‘कोचिंग का मुद्दा बहुत बड़ा है। सबसे पहले, मैं यह कहना चाहूंगा कि यूपीएससी (परीक्षा) में सफलता के लिए कोचिंग अनिवार्य नहीं है।'' कुमार ने कहा कि अभ्यर्थियों की आयु सीमा या विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के लिए मिलने वाले अवसरों की संख्या निर्धारित करने के वास्ते ‘कट-ऑफ' तिथि में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अवसरों (अटेम्प्ट) की संख्या को लेकर कई विचार हैं। कुछ का कहना है कि इसे बढ़ाया जाना चाहिए। कुछ का कहना है कि इसे कम किया जाना चाहिए... हमारे समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, न ही हमारे पास ऐसा कोई विचार है।'' उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सिविल सेवा परीक्षा में ज्यादातर इंजीनियरिंग छात्र, जो उत्तीर्ण हो रहे हैं, वे मानविकी विषय चुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले ज्यादातर इंजीनियर गैर-इंजीनियरिंग विषयों को चुनते हैं। उन्होंने उन सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही, जिनमें कहा गया था कि सिविल सेवा परीक्षा इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से आने वालों के लिए ज्यादा अनुकूल है।

.jpg)
.jpg)






.jpg)
Leave A Comment