गांधीजी आरएसएस कार्यप्रणाली में जातिगत भेदभाव न होने से बहुत प्रभावित थे:पूर्व राष्ट्रपति कोविंद
नागपुर. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को इस बात पर अफसोस जताया कि ‘‘अच्छे लोग'' राजनीति से दूरी बनाए हुए हैं और उन्होंने युवाओं से देश के राजनीतिक परिदृश्य का हिस्सा बनने का आह्वान किया। यहां रेशमबाग मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वार्षिक विजयादशमी रैली को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गांधीजी संघ की कार्यप्रणाली में जातिगत भेदभाव नहीं होने से बहुत प्रभावित थे। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आरएसएस सामाजिक समानता और एकता के लिए जाना जाता है और ‘एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान' जैसे प्रयासों से विभाजनकारी प्रवृत्तियों को जड़ से उखाड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सराहनीय है कि संघ द्वारा सद्भाव की भावना से समाज सेवा और परिवर्तन की कई परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। देश भर के गरीब इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और जन जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वयंसेवकों का कार्य विशेष रूप से सराहनीय है।'' कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी भी आरएसएस के कामकाज में सद्भाव, समानता और जाति-आधारित भेदभाव नहीं होने से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने कहा, ‘‘इसका विस्तृत विवरण महात्मा गांधी की संग्रहित रचनाओं में उपलब्ध है। गांधीजी ने 16 सितंबर, 1947 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रैली को संबोधित किया था। उस संबोधन में गांधीजी ने वर्षों पहले इसके संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जीवनकाल में आरएसएस के एक शिविर में अपनी यात्रा का उल्लेख किया था।'' पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि उस यात्रा के दौरान, गांधीजी आरएसएस शिविर में अनुशासन, सादगी और छुआछूत की भावना बिल्कुल नहीं होने से बहुत प्रभावित हुए थे। कोविंद ने कहा, ‘‘जनवरी 1940 में, महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड शहर में आरएसएस शाखा में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का दौरा, आरएसएस की समावेशी दृष्टि और सद्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का ऐतिहासिक प्रमाण है।'' कोंविद ने कहा कि संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. भीमराव आंबेडकर ने उनके जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि ‘‘अच्छे लोग'' राजनीति में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने युवाओं से राजनीति का हिस्सा बनने की अपील की। कोविंद ने बताया कि वह ‘ट्रायम्फ ऑफ द इंडियन रिपब्लिक' शीर्षक से एक पुस्तक लिख रहे हैं।
यह रैली ऐसे समय में हुई जब आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है। आरएसएस की स्थापना 1925 में दशहरा (27 सितंबर) के दिन नागपुर में महाराष्ट्र के एक चिकित्सक केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।


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