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शक्तिसैट अभियान से जुड़ी छात्राएं राष्ट्रपति मुर्मू से मिलीं

नयी दिल्ली.  चंद्रमा पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यान ‘शक्तिसैट' को विकसित करने वाली टीम में शामिल मध्यप्रदेश की छात्राओं ने दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। ये छात्राएं चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप ‘स्पेस किड्ज इंडिया' की वैश्विक, पूर्ण बालिका पहल का हिस्सा हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति भवन में मुर्मू से मुलाकात की और ‘शक्तिसैट' अभियान के बारे में अद्यतन जानकारी दी। ‘शक्तिसैट' अभियान के तहत इस वर्ष दिसंबर में पृथ्वी की निचली कक्षा में और अगले साल चंद्रमा पर एक उपग्रह भेजने की योजना है। ‘स्पेस किड्ज इंडिया' की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्रीमती केसन ने  कहा, “शक्तिसैट अभियान विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्र में सशक्तीकरण के लिए एक अभूतपूर्व वैश्विक पहल है, जो चंद्रमा की सतह पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यान की डिजाइनिंग, विकास और प्रक्षेपण के लिए किए जा रहे सहयोगात्मक प्रयास में 108 देशों के 12,000 छात्रों को एकजुट करता है।” केसन ने बताया कि अभियान में शामिल मध्यप्रदेश की कई छात्राएं ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों से आती हैं और अपने परिवार में शिक्षा हासिल करने वाली पहली पीढ़ी हैं, जो वास्तव में समावेशी विकास के राष्ट्र के दृष्टिकोण को साकार करती हैं। उन्होंने कहा कि ये लड़कियां उत्सुक छात्राओं से आत्मविश्वास से भरी नवप्रवर्तकों में तब्दील हो रही हैं और कक्षीय यांत्रिकी, उपग्रह उप-प्रणालियों तथा कोडिंग में महारत हासिल कर रही हैं। केसन ने कहा, “उनकी उल्लेखनीय यात्रा शिक्षा, सशक्तीकरण और वैज्ञानिक प्रगति से प्रेरित भविष्य के निर्माण की भारत की आकांक्षाओं को दर्शाती है।” उन्होंने बताया कि ‘शक्तिसैट' अभियान के तहत दो पेलोड विकसित किए जाएंगे, जिनमें से एक पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) और दूसरा चंद्रमा के लिए होगा। केसन के मुताबिक, एलईओ पेलोड को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित प्रक्षेपण केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा और यह चंद्रमा मिशन के लिए जमीन तैयार करने का काम करेगा। उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर भेजे जाने वाले पेलोड को जापान की निजी अंतरिक्ष कंपनी ‘आईस्पेस' के ‘रिसिलिएंस' मिशन के तहत प्रशेक्षित किए जाने की संभावनाएं खंगाने के लिए बातचीत की जा रही है। केसन के अनुसार, राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान छात्राओं ने उन्हें बताया कि ‘शक्तिसैट' अभियान ने किस तरह उनमें आत्मविश्वास, दृढ़ता और वैश्विक जुड़ाव की भावना पैदा की है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक भागीदार देश से 108 छात्रों को शामिल करने का मिशन का मकसद प्रतिभा को पोषित करना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और अंतरिक्ष विज्ञान में मौजूद व्यापक संभावनाओं में दिलचस्पी जगाना है, जिससे अंततः एक ऐसा प्रभाव पैदा होगा, जो दुनियाभर में लाखों युवा लड़कियों को प्रेरित करेगा। ‘स्पेस किड्ज इंडिया' ने 19 बैलूनसैट, तीन सबऑर्बिटल पेलोड और चार ऑर्बिटल सैटेलाइट प्रक्षेपित किए हैं। यह स्टार्टअप दुनिया का पहला ऐसा संगठन होना का दावा करता है, जिसने हाईस्कूल और कॉलेज के छात्रों की मदद से उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं।

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