सर्वान्तर्यामी और अन्तर्यामी दोनों के बीच में क्या अन्तर होता है? जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 197
साधक का प्रश्न ::: सर्वान्तर्यामी और अन्तर्यामी दोनों के बीच में क्या अंतर होता है ?
जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: अन्तर्यामी जो होता है वो हर एक महापुरुष होता है। जिसने भगवत्प्राप्ति की हो वो सब अन्तर्यामी हो जाते हैं और सर्वान्तर्यामी केवल भगवान हैं। वो इसलिये कि सभी जीवों के अंतःकरण में वह एक-एक रूप से रहता है। ऐसा नहीं कि अलग गोलोक में बैठकर सर्वान्तर्यामी है, ऐसा नहीं। हर एक जीव के अंतः करण में एक भगवान का रूप सदा रहता है। स्वर्ग जाय, नरक जाय, मृत्यु लोक में जाय चाहे जहाँ रहे वो साथ रहता है हमेशा और वो सबके आइडियाज, पुराने जन्मों के कार्य का हिसाब सब करता है। धन्धा उसका यही है। वो सर्वान्तर्यामी है और सर्वव्यापक है और महापुरुष अन्तर्यामी है जिसके मन की बात जब जानना चाहे जान सकता है। लेकिन सदा नहीं जानता रहता। यह काम भगवान का है क्योंकि वो कर्मफल देना है उनको, तो उनको हमेशा जानना पड़ेगा । भगवान सर्वव्यापक हैं और आत्मा शरीर व्यापक। ये जीवात्मा खाली एक शरीर में है और भगवान जड़ चेतन सर्वत्र व्यापक है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: प्रश्नोत्तरी पुस्तक, भाग - 2
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।


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