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 गुरु प्रेम की जिस कक्षा का अधिकारी होगा, वह अपने शरणागत को भी उसी कक्षा तक का ही प्रेमदान कर सकता है!!

 जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 375


जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज को काशी विद्वत परिषत द्वारा 'पंचम मूल जगदगुरु' के अलावा कुछ अन्य विशिष्ट उपाधियाँ भी प्रदान की गई थीं, जिनमें एक है - 'भक्तियोगरसावतार'। कलिकाल के प्रभाव से जनमानस भगवन्नाम-संकीर्तन के माहात्म्य को भूलता जा रहा था। दूसरी ओर नाना प्रकार के मत, नाना प्रकार के साधन समाज में प्रचलित होने लगे जिससे लोग दिग्भ्रमित होने लगे। ऐसे समय में ऐसे ही किसी अवतार की आवश्यकता थी जो लोगों के हृदय में पुनः भक्ति की ज्योति जगाये और आध्यात्मिक रुप से पुनर्जीवित करे। जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज वही अवतार हैं जिन्होंने कलिकाल में भक्ति की प्राधान्यता और वास्तविकता स्थापित की। आइये आज के अंक में प्रकाशित उनके दिव्य वचनामृत रूपी महारस का पान करें....

★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)

तेरे सुख को ही सुख मानूँ नित राधे,
ऐसी ही मेरी चित्तवृत्ति बना दे।
मेरी सब इन्द्रिय मन बुधि राधे,
तेरी नित सेवा माँगे ऐसी बना दे।
मेरी ओर लखो जनि दयामयी राधे,
तू तो है 'कृपालु' बिनु हेतु कृपा दे।।

भावार्थ ::: राधे! मैं सदा तुम्हारे सुख में अपना सुख प्रतीत करूँ, ऐसी मेरी चित्तवृत्ति कब बनेगी? राधे! मेरी समस्त इन्द्रियाँ, मन एवं बुद्धि निरंतर तुम्हारी सेवा याचना करती रहें। हे दयामयी! मेरी तरफ न देखो, तुम अकारण कृपा करती हो, अतः मुझ पर भी कृपा करो!!

• सन्दर्भ ग्रन्थ ::: 'युगल शतक', खंड - राधा माधुरी, कीर्तन - 75
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★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)

...जो जीव अधिकारी भेद की कक्षा के अनुसार गुरु के अनुगत हो कर चलेगा, वह एक न एक दिन अपने लक्ष्य पर पहुँच जायेगा! गुरु जिस कक्षा का होगा, उसी कक्षा का रस शिष्य को प्रदान कर सकेगा! यदि कोई महापुरुष वात्सल्य भाव वाला हो तो अपने शिष्य को वह वात्सल्य रस ही दे सकता है; वह अपने शिष्य को महारास रस प्रदान नहीं कर सकता! किसी का गुरु महारास रस देने का अधिकारी हो तो शिष्य को महारास का रस प्रदान कर सकता है! जब इतनी सारी बातें बन जाएँ, अंतःकरण शुद्ध हो जाए और उपर्युक्त गुरु मिल जाए, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे..

• संदर्भ पुस्तक ::: 'महारास अधिकारी',  पृष्ठ संख्या 23

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ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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