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- राजमा यानी रेड किडनी बींस, भारतीयों खासतौर पर पंजाबियों और उत्तर भारत की फेवरेट डिश है। इसे लोग चावल के साथ खाना खूब पसंद करते हैं। वेट लॉस करना हो या फिर मसल्स मजबूत बनानी हो डायटीशियन हमेशा इसे खाने की सलाह देते हैं। वेजिटेरियन लोगों के प्रोटीन के मुख्य स्त्रोत में राजमा भी शामिल रहता है। लेकिन कभी सोचा है कि आखिर चने और मूंग की तरह इसे कच्चा खाने की सलाह क्यों नहीं दी जाती। लाल राजमा को कच्चा ना खाने की सलाह देने के पीछे इसका जहरीला होना है।लाल राजमा होता है जहरीलारेड किडनी बींस यानी 100 ग्राम लाल राजमा में प्रोटीन करीब 9 प्रतिशत होता है। जो कि प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सबसे रिच सोर्स माना जाता है। इसके साथ ही लाल राजमा में कार्ब्स, फाइबर भी अच्छी खासी मात्रा में होते हैं। लेकिन ये सारे गुण तभी मिल सकते हैं जब आप इसे अच्छी तरह से भिगोकर और पकाकर खाते हैं।कच्चा खाना होता है जहरीलाकच्चे लाल राजमा में टॉक्सिक तत्व फाइटोहेमग्लगुटिनिन होता है। जो कि एक जहर है। इसकी मात्रा शरीर में बढ़ जाने पर आंतों को डैमेज होने का खतरा रहता है। कच्चे किडनी बींस को खाने से डायरिया हो जाता है और ये पेट को बहुत तेजी से नुकसान पहुंचाता है।कनाडा की रिसर्च में भी हो गया खुलासाकनाडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड सेफ्टी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रेड किडनी बींस में फाइटोहेमग्लगुटिनिन नामका जहर होता है। जो आंतों को डैमेज कर देता है। रिपोर्ट के मुताबिक लाल राजमा को करीब 10 मिनट तक पकाना जरूरी है। इससे कम देर पकने पर रेड किडनी बींस में मौजूद जहर पांच गुना तक बढ़ सकता है और आंत को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि लाल राजमा की तुलना में सफेद राजमा जिसमे लाल रंग के धब्बे होते हैं। उनमे किसी भी तरह के जहर के बारे में नहीं बताया गया है।इस तरह खाना होगा सेफराजमा को खाने के लिए जरूरी है कि अच्छी तरह से पकाकर ही खाया जाए। कम पका राजमा पेट की गड़बड़ी का कारण बन सकता है। इसलिए राजमा को पानी में भिगोकर और पकाकर ही खाएं।
- कटहल की सब्जी को अक्सर लोग नॉनवेज का सब्सटीट्यूड मानते हैं। ढेर सारे मसालों में लिपटे कटहल को काफी पसंद किया जाता है। गर्मियों में ज्यादातर मिलने वाले कटहल को सब्जी बनाकर खाना उत्तर भारत में लोग पसंद करते हैं। वहीं साउथ इंडिया में पके हुए कटहल को लोग खाना चाहते हैं। ऐसे में मन में सवाल उठता है कि आखिर कच्चा या पका, किस तरह का कटहल खाने से फायदा होता है। बता दें कि कटहल किसी सुपरफूड से कम नही हैं। जिसके फायदे किसी को भी हैरान कर सकते हैं।कटहल है न्यूट्रिशन का भंडारकटहल में विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट ढेर सारे पाए जाते हैं। मीठे से लेकर स्पाइसी हर तरह से कटहल को खाया जा सकता है। जैकफ्रूट में विटामिन सी की अच्छी खासी मात्रा होती है। वहीं फाइबर के मामले में ये अमरूद और केला से भी ज्यादा फायदेमंद है।कच्चा या पका कौन सा कटहल है ज्यादा फायदेमंदस्टडीज के मुताबिक कच्चे कटहल में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा पके कटहल की तुलना में ज्यादा होती है। वहीं कार्बोहाइट्रेड की मात्रा पके कटहल की तुलना में कम होती है। ऐसे में कच्चा कटहल सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।कटहल खाने से होते हैं ये हेल्थ बेनिफिट्सब्लड शुगर करे कंट्रोलकटहल में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। जो ब्लड शुगर को खाने के बाद बढ़ने से रोकने में मदद करता है। डायबिटीज के पेशेंट कटहल को आसानी से खा सकते हैं। ये ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।एनीमिया की कमी करे दूरकटहल में अच्छी खासी मात्रा में विटामिंस और मिनरल्स कॉपर, मैग्नीज, मैंग्नीशियम, विटामिन ए, सी और ई होते हैं। जो शरीर में खून बनने में मदद करते हैं। आयरन की कमी की वजह से एनीमिया हो जाता है। कटहल एनीमिया की समस्या को दूर करने में हेल्प करता है।आंखों की सेहत रखे दुरुस्तकई सारी स्टडीज में पता चला है कि आंखों की सेहत के लिए कटहल फायदेमंद है। इसमे मौजूद बीटा-कैरोटीन आंखों का ख्याल रखता है और कॉर्निया की फंक्शनिंग को सही रखने में मदद करता है।हड्डियों के लिए है फायदेमंदहड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम के साथ ही पैटैशियम, फॉस्फोरस, कॉपर, जिंक की जरूरत होती है। कटहल में ये सारे न्यूट्रिशन होते हैं जो हेल्दी बोंस के लिए जरूरी हैं।डाइजेशन सही करने में मददकटहल में काफी ज्यादा मात्रा में सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल फाइबर पाया जाता है। फाइबर कान्सटिपेशन को दूर करने के लिए जरूरी है। कटहल की 100 ग्राम मात्रा में फाइबर इतना होता है कि इंसान के डेली जरूरत को पूरा कर देता है।इसके साथ ही कटहल पानी को तेजी से अब्जार्ब करता है। जिससे डाइजेस्टिव सिस्टम में कोलेस्ट्रॉल और फैट की समस्या को खत्म करता है।दिल की सेहत के लिए फायदेमंदकार्डियोवस्कुलर डिजीज में कटहल फायदेमंद है। हाई फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट हार्ट हेल्थ को ठीक रखता है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद करता है।कैंसर की रोकथामकटहल में कैंसर को रोकने वाले तत्व फ्लेवेनाएड्स, सेपोनिन, टैनिन्स होते हैं। ये तीनों कंपाउड्स मिलकर फ्री रेडिक्लस को रिमूव करने ट्यूमर सेल्स को रोकने में हेल्प करते हैं। कई सारी रिसर्च में पता चला है कि कटहल के बीजों में ऐंटी कैंसर इफेक्ट्स होते हैं।
- गर्मियां आते ही पसीना, धूल, मिट्टी स्किन पर बुरा असर डालती है। जिसकी वजह से रैशेज और दाने होने लगते हैं। लाल रंग के छोटे-छोटे दाने घमौरी होते हैं। जो खुजली और जलन देते हैं। वहीं कई बार ये दाने बड़े आकार के होने लगते है और गर्दन, पीठ, बगल के साथ ही चेहरे पर भी होने लगते हैं। इन खुजली और जलन वाले दानों से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपनाएं जा सकते हैं। जो आपको गर्मी में स्किन को ठंडा करने में मदद करेंगे।बेकिंग सोडाघमौरी और दानों की वजह से हो रही जलन में राहत पाने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक चम्मच बेकिंग सोडा को ठंडे पानी में भिगोकर घोल बना लें। फिर इस घोल में कॉटन के कपड़े को भिगोकर गीला कर लें और दानों वाले हिस्से पर लगाएं। इससे जल्दी ही जलन और खुजली से राहत मिलती है।पानी में मिलाएं चंदन का पेस्टचंदन स्किन को ठंडक देता है। गर्मी से होने वाली जलन और खुजली वाले दानों को राहत देने के लिए चंदन का इस्तेमाल करें। इससे राहत मिलती है। चंदन की लकड़ी को लेकर घिस लें और इस पेस्ट को पानी में मिलाकर रखें। चेहरे के साथ ही दानों वाले हिस्से पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। करीब आधे से एक घंटे बाद पानी से साफ कर लें। गर्मी में स्किन को ठंडक पहुंचाने के साथ ही चंदन नेचुरल ग्लो देने का भी काम करेगा।आलू का पेस्टकच्चा आलू स्किन को ठंडक देता है। शरीर के जिन हिस्सों पर लाल दाने हुए हों वहां कच्चे आलू को घिसकर पेस्ट जैसा बना लें। इसे दानों वाली जगह पर लगाकर छोड़ दें। करीब आधे घंटे बाद साफ पानी से साफ कर लें। इससे सनबर्न और घमौरी की समस्या में राहत मिलती है।
- मांस-मछली में कई सारे विटामिन और मिनरल्स होते हैं। जो शरीर को ताकतवर और तंदरुस्त बनाते हैं। इनमें से कई सारे पोषक तत्व शाकाहारी फूड्स में कम होते हैं। लेकिन आपकी रसोई में ऐसा मसाला रखा है, जो एक तरह से मांस-मछली से ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है और ये है गरम मसाला। इसकी एक चुटकी मात्रा से ही कई सारी बीमारियों का नाम मिट जाता है। इतना ही नहीं, आयरन के मामले में यह दूसरे फूड्स से काफी आगे है। क्योंकि, इसे बनाने के लिए कई सारे आयरन से भरपूर मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आप सब्जियों, पुलाव में डालें। स्वाद भी बढ़ेगा और सेहत भी।गरम मसाला बनाने में इलायची, धनिया, जीरा, काली मिर्च आदि का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि आयरन के अच्छे स्त्रोत हैं। करीब 100 ग्राम धनिया पाउडर 17 एमजी, इतने ही जीरा में 20 एमजी और जावित्री में 20 एमजी आयरन होता है।घर पर ऐसे बनाएं गरम मसालानीचे दिए हुए सभी मसालों को भूनकर पीस लें और पाउडर बना लें।100 ग्राम जीरा75 ग्राम काली मिर्च75 ग्राम मोटी इलायची10 ग्राम छोटी इलायची10 ग्राम लौंग10 ग्राम दालचीनी5 ग्राम पिप्पली5 ग्राम जावित्री आदिइसे फायदेमंद जानकर इसे जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल ना करें। क्योंकि इसकी तासीर काफी गर्म होती है और जरूरत से ज्यादा लेने पर पित्त दोष, शरीर की गर्मी और एसिडिटी बढऩे लगती है।गरम मसाला इन बीमारियों में है फायदेमंदएनीमियाखराब पाचनज्यादा वजनकमजोर इम्युनिटीशारीरिक कमजोरीदिल की बीमारीकोलेस्ट्रॉलडायबिटीजआर्थराइटिसप्री-मेंस्ट्रुअल क्रैंप
- खराब जीवनशैली और अनहेल्दी भोजन की वजह से आज ज्यादातर लोग यूरिक एसिड की समस्या झेल रहे हैं। यूरिक एसिड शरीर में बनने वाला एक तरह का केमिकल है, जो बॉडी में प्यूरिन नाम के केमिकल के टूटने से बनता है। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर गाउट यानी गठिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिसकी वजह से व्यक्ति में उंगलियों में सूजन, हाथ-पैरों में दर्द और जकड़न, पैर के अंगूठे में जलन या दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ लोगों को बॉडी में बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल रखने के लिए दवा की आवश्यकता होती है, लेकिन इस समस्या को आहार और जीवनशैली में बदलाव करके भी कंट्रोल में रखा जा सकता है। आइए कैसे कुछ प्राकृतिक उपाय अपनाकर यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ने से रोका जा सकता है।यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के उपाय-खूब पानी पिएं-यूरिक एसिड को प्रभावी रूप से कम करने के लिए दिनभर खूब पानी पिएं। बॉडी को हाइड्रेटेड रखने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकाल जाता है। रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें।हाई प्यूरीन फूड से रहें दूर-यूरिक एसिड से पीड़ित लोगों को प्यूरीन की अधिकता वाले फूड्स का सेवन करने से बचना चाहिए। हाई-प्यूरिन खाद्य पदार्थों में शराब, उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ, रेड मीट, सीफूड जैसे झींगा, लॉबस्टर और एंकोवी, गेम मीट और कुछ प्रकार की फलियां और सब्जियां शामिल हैं। इन सभी चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करने से यूरिक एसिड के स्तर को स्वाभाविक रूप से कम करने में मदद मिल सकती है।मोटापा-जरूरत से ज्यादा वजन या मोटापा यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाकर गाउट के खतरे को बढ़ा सकता है। अपने आहार और व्यायाम की मदद से आप अपना वेट कंट्रोल करके यूरिक एसिड के स्तर को स्वाभाविक रूप से कम कर सकते हैं।चेरी का सेवन-वैज्ञानिकों की मानें तो गठिया रोग में चेरी का सेवन फायदा पहुंचा सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक चेरी में मौजूद कई पोषक तत्व शरीर में सूजन की समस्या को कम करते हैं।डाइट में चैरी को शामिल करने से गठिया के दर्द में राहत मिल सकती है।अदरक-अदरक में सूजन-रोधी गुण मौजूद होते हैं। जिसकी वजह से यह गठिया रोग में होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
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वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। नियमित रूप से इसका जूस पीने से आपके शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फैट तेजी से बर्न होता है और कई फायदे मिलते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस के फायदे और पीने का सही तरीका।
एलोवेरा और आंवला दोनों ही औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। आंवला जूस में काब्र्स, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा एलोवेरा जूस में भी फाइबर, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, सोडियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी, फोलेट, फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। नियमित रूप से इन जूस का सेवन करने से तेजी से वजन कम होता है और शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा चर्बी बर्न करने में बहुत फायदा मिलता है। एनसबीआई पर प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक आंवला और एलोवेरा जूस में एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं जो वजन कंट्रोल करने का काम करते हैं। इसके अलावा शरीर में ऊर्जा की खपत बढ़ाने के लिए भी एलोवेरा जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।एलोवेरा और आंवला जूस न सिर्फ वजन कम करने में फायदेमंद होता है बल्कि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों में भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा शरीर में बढ़े हुए बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। लिवर और हार्ट को हेल्दी रखने के लिए भी एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन कई तरीके से किया जा सकता है। इसका सेवन करने सुबह खाली पेट करना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आंवला और एलोवेरा जूस पीने से आपका पाचन तंत्र भी मजबूत होता है और कई फायदे मिलते हैं। रोजाना 2 चम्मच एलोवेरा और आंवला का जूस पीने से आपको वजन कम करने के साथ-साथ कई अन्य फायदे मिलते हैं। आप मार्केट से आर्गेनिक आंवला और एलोवेरा जूस खरीद सकते हैं।इसके अलावा अगर आप चाहें तो घर पर आसानी से आंवला और एलोवेरा जूस तैयार कर सकते हैं। इसके लिए एलोवेरा का एक साफ पत्ता लें और इसे अच्छे से साफ कर लें। अब इस पत्ते को बीच से काट लें और इसके जेल को चम्मच से निकाल लें। इसके बाद इसे ब्लेंड कर अच्छी तरह से जूस बना लें। इसके बाद इस जूस में एक ताजा आंवले का जूस भी मिला लें। इन दोनों जूस को एकसाथ पीने से आपको वजन कम करने के अलावा कई अन्य फायदे भी मिलते हैं। - कामकाज का प्रेशर, बढ़ता तनाव और आधुनिक जीवनशैली के कारण कम उम्र में बाल सफेद होना, बाल झड़ने की समस्या और गंजापन आम हो गया है। बालों की सही देखभाल करने से आप इन गंभीर परेशानियों का शिकार होने से बच सकते हैं। बालों में ऑयलिंग करने से भी आपको इन परेशानियों से छुटकारा मिलता है। यही कारण है कि बचपन से ही बालों में तेल लगाने पर जोर दिया जाता है। बालों से जुड़ी तमाम समस्याओं से छुटकारा पाने या बचने के लिए आप रोजमेरी और लैवेंडर के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। रोजमेरी और लैवेंडर के तेल को मिक्स करके बालों में लगाने से आपके बाल मजबूत और घने होते हैं।बालों में रोजमेरी और लैवेंडर ऑयल लगाने के फायदेरोजमेरी और लैवेंडर एसेंशियल ऑयल होते हैं। बालों में इनका इस्तेमाल करने से डैंड्रफ से छुटकारा मिलता है और बालों की परेशानियां दूर होती हैं। लैवेंडर में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एनजियोलिटिक गुण होते हैं। बालों को पोषण देने और हेयर फॉलिकल्स को डैमेज होने से बचाने में इसका इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। वहीं, रोजमेरी ऑयल में भी एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन दोनों तेलों को एक साथ मिक्स करके स्कैल्प और बालों में लगाने से आपके बालों को मजबूती मिलती है।1. बाल झड़ने की समस्या में फायदाबालों में नियमित रूप से लैवेंडर और रोजमेरी का तेल लगाने से आपके बाल घने और मजबूत होते हैं। इन तेलों में मौजूद पोषक तत्व न सिर्फ बालों को जड़ से मजबूत बनाते हैं बल्कि स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन ठीक करने में भी मदद करते हैं। आप सप्ताह में दो से तीन बार बालों में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।2. डैंड्रफ को कम करने में फायदेमंदबालों और स्कैल्प में गंदगी जमा होने के कारण डैंड्रफ की समस्या हो जाती है। इस परेशानी से बचने के लिए बालों में रोजमेरी और लैवेंडर का तेल मिक्स करके लगाने से फायदा मिलता है। इसका इस्तेमाल करने से स्कैल्प में खुजली की समस्या भी दूर होती है। डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए बालों में रोजमेरी और लैवेंडर का तेल सप्ताह में दो से तीन बार लगा सकते हैं।3. एलर्जी की समस्या से छुटकारास्कैल्प और बालों में इन्फेक्शन की वजह से एलर्जी की समस्या हो जाती है। एलर्जी और खुजली से छुटकारा पाने के लिए लैवेंडर और रोजमेरी का तेल मिक्स करके लगाएं। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण फंगस और खुजली की समस्या को कम करने में मदद करते हैं।4. कंडीशनर की तरह काम करेबालों की चमक बरकरार रखने, बेजान और उलझे बालों को ठीक करने और बालों की नमी ठीक रखने के लिए लैवेंडर और रोजमेरी ऑयल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। बालों में कंडीशनर की जगह लैवेंडर और रोजमेरी ऑयल को मिक्स करके लगा सकते हैं।बालों में कैसे लगाएं रोजमेरी और लैवेंडर का तेल?-बालों में रोजमेरी और लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल अलग-अलग भी किया जा सकता है। इन दोनों तेलों को एक साथ मिक्स करके लगाने से आपको कई फायदे मिलते हैं। लैवेंडर और रोजमेरी तेल को समान मात्रा में लें और अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इसे बालों और स्कैल्प पर लगाने के बाद अच्छी तरह से मसाज करें। मसाज करने के बाद बालों को रातभर के लिए खुला छोड़ दें। सुबह माइल्ड शैंपू से बालों को धो लें। आप सप्ताह में दो से तीन बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अपच, गैस और एसिडिटी, ये ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे आजकल ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। कई लोगों को रोज सुबह उठने के तुरंत बाद ही गैस के लक्षण महसूस होने लगते हैं। इसकी वजह से पेट दर्द, ऐंठन और ब्लोटिंग जैसे लक्षणों का अनुभव होने लगता है। यही वजह है कि अकसर लोग गैस से छुटकारा पाने के लिए रोज सुबह खाली पेट गैस की दवाई लेते हैं। जबकि लंबे समय तक गैस की दवा खाने से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए आप चाहें तो गैस से छुटकारा पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपायों को भी आजमा सकते हैं।1. हींगअगर आपको सुबह उठने के बाद गैस बनती है, तो हींग का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। आयुर्वेद में हींग को काफी अहम माना गया है। यह वात दोष को शांत करने में मदद करता है। हींग में एंटी-फ्लैटुलेंट, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। गैस से राहत पाने के लिए हींग को सब्जी या दाल में डालकर खा सकते हैं। आप चाहें तो आधे गिलास गुनगुने पानी में भी हींग मिलाकर पी सकते हैं। इससे गैस से तुरंत राहत मिल सकती है। लेकिन हींग खरीदते समय उसकी गुणवत्ता की जांच जरूर करें।2. जीरा पानीगैस और एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए आप जीरा पानी का सेवन कर सकते हैं। अगर आपको सुबह उठने के बाद गैस बनी रहती है, तो जीरा पानी का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए आप रात को एक गिलास पानी में जीरा भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट इस पानी को पी लें। इससे पाचन क्रिया सक्रिय रहेगी। जीरा पानी पीने से पित्त और अन्य एंजाइम भी मजबूत बनते हैं। जीरा पानी पेट और आंतों को भोजन को पचाने में मदद करता है।3. अदरकआयुर्वेद में अदरक को एक बेहतरीन उपाय माना जाता है। यह कार्मिनेटिव के रूप में काम करता है। अगर आपको गैस बनती है, तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं। अदरक में मौजूद गुण गैस और एसिडिटी को कम करने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप अदरक का रस निकाल लें। इसमें गुनगुने पानी में मिलाएं और पी लें। आप चाहें तो इसमें शहद भी मिला सकते हैं। इससे आपको तुरंत ही गैस से राहत मिल जाएगी। आप रोज सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन कर सकते हैं।4. पुदीने की पत्तियांरोज सुबह खाली पेट पुदीने का पानी पीने से भी आपको गैस से राहत मिल सकती है। इसके लिए आप पुदीने की पत्तियां लें। इन्हें पानी में उबालें और फिर छानकर पी लें। आप चाहें तो रातभर के लिए पुदीने की पत्तियों को पानी में भिगोकर रख सकते हैं और सुबह खाली पेट पी सकते हैं। पुदीने की पत्तियों की तासीर ठंडी होती है। इससे पेट की जलन और गर्मी शांत होती है। साथ ही, गैस और एसिडिटी के लक्षणों में भी आराम मिलता है।5. केलाआयुर्वेद में केले को गैस और एसिडिटी के लिए काफी फायदेमंद माना गया है। केले में पोटैशियम होता है, जो एसिडिक एपिसोड को दूर करने में मदद करता है। अगर आप रोजाना केले का सेवन करेंगे, तो इससे गैस और कब्ज से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही, केला खाने से मल त्याग भी आसानी से हो जाता है।6. ठंडा दूधठंडे दूध में कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व की मात्रा अधिक होती है। अगर आप सुबह उठने के बाद गैस बनने लगती है, तो ठंडा दूध पीना फायदेमंद हो सकता है। ठंडा दूध पीने से एसिड की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। आयुर्वेद में ठंडे दूध को गैस के लिए काफी कारगर माना गया है। साथ ही, अगर आप रोजाना ठंडा दूध पिएंगे, तो इससे जलन से भी राहत मिल सकती है। इसलिए आपको ठंडा दूध जरूर पीना चाहिए। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।
- दही खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। कई लोग दही से रायता या लस्सी बनाकर पीना पसंद करते हैं। वहीं, कुछ लोगों को पराठे, रोटी या चावल के साथ दही खाना पसंद करते हैं। कई व्यंजनों को बनाने के लिए भी दही का इस्तेमाल किया जाता है। दही न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती है, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। दही में विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन,आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन और लैक्टिक एसिड जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। दही खाने से पाचन दुरुस्त रहता है और हड्डियां मजबूत बनती हैं। रोजाना दही का सेवन करने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। लेकिन बहुत से लोग दही को गलत ढंग से खाते हैं, जिसकी वजह से सेहत को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। आयुर्वेद में दही का सेवन करने के कुछ खास नियम बताए गए हैं।दही को गर्म करके न खाएंदही को कभी भी गर्म करके नहीं करना चाहिए। गर्म करने पर इसमें मौजूद गुण नष्ट हो जाते हैं। इससे आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंच सकता है।रात में नहीं करना चाहिए दही का सेवनरात के समय दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिए। यह कफ की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, दही का सेवन रोजाना नहीं करना चाहिए। रोजाना सिर्फ छाछ का सेवन किया जा सकते है, जिसमें सेंधा नमक, काली मिर्च और जीरा जैसे मसाले मिलाए गए हों।दही को फलों के साथ न खाएंदही को कभी भी फलों के साथ नहीं खाना चाहिए। लंबे समय तक दही और फलों का एक साथ सेवन करने से चयापचय संबंधी समस्याएं और एलर्जी हो सकती है।इन समस्याओं में दही से परहेज करें-मोटापा, कफ विकार, रक्तस्राव विकार और सूजन की समस्या से पीड़ित लोगों को दही का सेवन करने से बचना चाहिए। यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है।-मांस-मछली के साथ न खाएं दहीदही को मांस और मछली के साथ कभी नहीं खाना चाहिए। चिकन, मटन या मछली जैसे मीट के साथ पकाए गए दही से शरीर में विषाक्त पदार्थों का उत्पादन बढ़ता है।आयुर्वेद के अनुसार दही खाने का सही तरीकाडॉक्टर ने बताया कि बहुत सारे लोग बिना सोचे-समझे, ज्यादा मात्रा में और विशेष रूप से रात में दही खाते हैं। लेकिन ऐसा करना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए यदि आप दही खाना चाहते हैं, तो इसे कभी-कभार, दोपहर के समय और कम मात्रा में ही खाएं। जो लोग दही का सेवन नहीं कर सकते हैं, उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प छाछ है।
- गर्मी के मौसम में ऐसी चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए, जो शरीर को ठंडक पहुंचाए। इनमें पुदीना भी शामिल है। अधिकतर लोग पुदीने की चटनी, पुदीने का रायता और पुदीने की चाय का सेवन करते हैं। इसके अलावा, गर्मियों में पुदीने का पानी पीना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे पीने से डिहाइड्रेशन और लू की समस्या से बचाव होता है। पुदीने में विटामिन-ए, विटामिन-सी, पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम और थायमीन जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी-वायरल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं। पुदीने की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में पुदीने का पानी पीने से शरीर ठंडा और फ्रेश रहता है। साथ ही, कई बीमारियों से छुटकारा भी मिलता है। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं गर्मियों में पुदीने का पानी पीने के फायदे -गर्मियों में पुदीने का पानी पीने के फायदेशरीर को ठंडक देगर्मियों में लू की समस्या से बचने के लिए आप पुदीने का पानी पी सकते हैं। पुदीने की तासीर बेहद ठंडी होती है। ऐसे में अगर आप गर्मियों में पुदीने के पानी का सेवन करेंगे, तो इससे शरीर को ठंडक मिलेगी। इसके नियमित सेवन से पेट की जलन और गर्मी भी शांत होती है।एसिडिटी से आराम दिलाएगर्मियों में अधिकतर लोगों को एसिडिटी की समस्या होने लगती है। ऐसे में पुदीने का पानी पीना काफी फायदेमंद हो सकता है।दरअसल, पुदीने में मौजूद मेंथॉल पेट की गर्मी को कम करने में मदद करता है। इससे पेट और सीने की जलन से काफी राहत मिल सकती है।इम्यूनिटी बूस्ट करेपुदीने का पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। दरअसल, पुदीने में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से आप कई तरह की गंभीर बीमारियों और संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं।शरीर को हाइड्रेट रखेगर्मियों में शरीर से पसीना अधिक निकलता है। इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। ऐसे में पुदीना का पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है। इसे पीने से बॉडी डिटॉक्स होती है और शरीर को एनर्जी मिलती है।सिरदर्द से आराम दिलाएगर्मी के मौसम में कई लोगों को सिरदर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। ज्यादा देर तक तेज धूप में रहने के कारण सिर में तेज दर्द होने लगता है। ऐसे में आपको पुदीने के पानी का सेवन करना चाहिए। पुदीने में मेंथॉल होता है, जो मसल्स को रिलैक्स करता है और दर्द से आराम दिलाता है।पुदीने का पानी कैसे बनाएं -पुदीने का पानी बनाने के लिए आप पानी की बोतल में पुदीना की 15-20 पत्तियों को डालें। इस पानी को 1-2 घंटे के लिए रख दें। फिर पूरे दिन इस पानी को पीते रहें। आप चाहें तो इसमें नींबू के स्लाइस भी डाल सकते हैं। इसे पीने से आप दिनभर फ्रेश महसूस करेंगे।
- दिमाग में कीड़ा होने की बीमारी (न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस) दरअसल एक इन्फेक्शन होता है, जो तब होता है जब हमारे शरीर में टीनिया सोलियम परजीवी का लार्वा या अंडे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। सरल भाषा में कहें तो जब कोई व्यक्ति टेपवर्म के अंडे निगल लेता है, तो यह न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस संक्रमण का कारण बनता है। ये अंडे मांसपेशियों और मस्तिष्क के टिशू में घुस जाते है और वहां सिस्ट का निर्माण करते हैं। जब ये अंडे मस्तिष्क में सिस्ट बना देते हैं, तो इससे न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस की स्थिति पैदा हो जाती है।नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार, इन दिनों ज्यादातर विकासशील देशों में न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस मिर्गी के दौरे और अन्य न्यूरोलॉजिकल रोगों का एक सामान्य कारण बन चुका है। इसके अलावा, सिरदर्द, बोलने में परेशानी या जुबान लड़खड़ाना, आंखों की रोशनी कमजोर होना, बुखार, शरीर के कुछ अंग कमजोर महसूस होना, खासकर पैर और जोड़ों कमजोरी और दर्द इसके कुछ आम लक्षणों में से एक हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जो लोगों को जहन में अक्सर आता है, कि क्या दिमाग में कीड़े की बीमारी का कोई इलाज है? क्या इसे ठीक किया जा सकता है?क्या दिमाग में कीड़ा या न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस का इलाज है-अगर आप समय रहते न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस के लक्षणों को पहचानकर एक अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करते हैं, तो इस इन्फेक्शन से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। डॉक्टर मस्तिष्क में सिस्ट की जांच के लिए कुछ सरल टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। आमतौर पर दिमाग में कीड़े का पता लगाने के लिए MRI या CT ब्रेन स्कैन कराने की सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में संक्रमण के निदान के लिए कुछ ब्लड टेस्ट भी किये जाते हैं, लेकिन संक्रमण हल्का होने पर स्पष्ट रूप से इन टेस्ट से पता नहीं चल पाता है। इसलिए ब्रेन स्कैन टेस्ट की सलाह अधिक दी जाती है।एक बार दिमाग में कीड़े का निदान होने के बाद डॉक्टर इलाज के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं, जिनमें एंटी-पैरासिटिक दवाओं के साथ-साथ लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए भी दवाएं दी जाती हैं।हालांकि, स्थिति गंभीर होने पर कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी की मदद से भी सिस्ट को हटा सकते हैं। लेकिन आमतौर पर डॉक्टर दवाओं की मदद से ही सफलतापूर्वक इसका इलाज करने में सक्षम होते हैं। इसलिए अगर आप किसी भी उपरोक्त लक्षण अक्सर नोटिस करते हैं, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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मुश्किल स्थिति में शरीर जो प्रतिक्रिया देता है, उसे तनाव कहते हैं। यह हमें बेहतर काम करने में मदद करता है। लेकिन जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से बीपी तुरंत चढ़ जाता है और जो कि कई सारी बीमारियों को दावत दे सकता है। हेल्दी रहने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट काफी जरूरी है। कोच्चि स्थित अमृता हॉस्पिटल की एसोसिएट प्रोफेसर और कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सरिता शेखर बताती हैं कि तनाव में हमारा सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव हो जाता है, जिससे एड्रेनेलाइन और कॉर्टिसोल नाम के स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज होते हैं।
डॉक्टर के अनुसार, स्ट्रेस हॉर्मोन पैदा होने से शरीर फाइट या फ्लाइट रेस्पॉन्स में चला जाता है। जिसकी वजह से नसें सिकुड़ने लगती हैं और हार्ट रेट बढ़ जाती है। ये स्थिति अंत में हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन जाती है।
डॉक्टर के अनुसार, लंबे समय से चल रहा तनाव शरीर में इंफ्लामेशन पैदा कर देता है। इस सूजन के कारण खून ले जाने वाली नसें डैमेज हो जाती हैं और ढंग से अपना काम नहीं कर पाती हैं। जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर हाई रहने लगता है।
मैनेज करके हाई बीपी कंट्रोल करने के टिप्स ----
मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और योगा से स्ट्रेस लेवल कम होगा और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आएगा।
तेज चलना, जॉगिंग, स्विमिंग जैसी फिजिकल एक्टिविटी तनाव कम करने वाले हॉर्मोन पैदा करती हैं।
तनाव और बीपी कंट्रोल करने के लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और लो फैट डेयरी प्रॉडक्ट वाली डाइट लें।
टाइम मैनेजमेंट से तनाव बढ़ने से रोका जा सकता है।
तनाव और बीपी कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त नींद और आराम लें। - वर्कआउट करने से पहले प्रोटीन, आयरन और कार्ब्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि इससे मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती मिलती है। साथ ही, वर्कआउट के दौरान मांसपेशियां रिपेयर भी होती हैं। वैसे तो वर्कआउट से पहले लोग मिल्क शेक या स्मूदी आदि का सेवन करते हैं, लेकिन आप चाहें तो भीगे चने का सेवन भी कर सकते हैं। भीगे चने आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और प्रोटीन के काफी अच्छे सोर्स होते हैं। ये सभी पोषक तत्व हर व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए आपको वर्कआउट से पहले अपनी डाइट में भीगे चने जरूर शामिल करने चाहिए।मॉर्निंग वर्कआउट से पहले भीगे चने खाने के फायदे-1. प्रोटीन से भरपूरवर्कआउट से पहले प्रोटीन लेना बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन डाइट लेने के लिए आप वर्कआउट से पहले भीगे हुए चने खा सकते हैं। प्रोटीन मांसपेशियों की वृद्धि और मरम्मत करने के लिए बहुत जरूरी होता है। अगर आप वर्कआउट से पहले भीगे चने खाएंगे, तो मांसपेशियां मजबूत बनेंगी। इससे वर्कआउट के दौरान चोट लगने का जोखिम भी काफी कम होगा। इसलिए आपको अपनी डाइट में वर्कआउट से पहले भीगे चने जरूर खाने चाहिए।2. आयरन भरपूर मिलेआयरन एक जरूरी मिनरल है, जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयरन शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है। वर्कआउट से पहले ऊर्जावान होना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आप भीगे चने खा सकते हैं। भीगे चने आयरन का अच्छा सोर्स होता है। आयरन मांसपेशियों के ऊतकों को बनाए रखने में मदद करता है। इससे मसल्स रिपेयर होती हैं। इसलिए वर्कआउट के दौरान या बाद में आप पूरे एनर्जेटिक रहे, इसके लिए भीगे चने जरूर खाएं।3. कार्ब्स मिलता हैवर्कआउट से पहले आपको कार्ब्स लेना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इससे आपके शरीर में वर्कआउट करने की पूरी ताकत होती है। भीगे हुए चने में कॉम्प्लेक्स कार्ब्स की मात्रा काफी अधिक होती है। कार्ब्स भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। अगर आप मॉर्निंग वर्कआउट से पहले रोजाना भीगे चने खाएंगे, तो इससे एनर्जी मिलेगी। आप अच्छा महसूस करेंगे और स्वस्थ रहेंगे।4. ब्लड सेल्स के उत्पादन में मदद करेवर्कआउट करने से पहले अगर आप भीगे चने खाएंगे, तो इससे आपके शरीर में ब्लड सेल्स के उत्पादन में मदद मिलेगी। आपको बता दें कि भीगे चने में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है, जो ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। यह मेटाबॉलिज्म प्रक्रियाओं को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स तंत्रिका तंत्र को बेहतर बनाए रखने में सहायक होता है।
- ग्लोइंग स्किन और दाग-धब्बे फ्री त्वचा की चाहत हर किसी की होती है। चेहरे पर दाग-धब्बे या झाइयां होने की वजह से आपकी खूबसूरती तो प्रभावित होती ही है, साथ ही इसकी वजह से आपको कई दूसरी परेशानियां भी हो सकती हैं। चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बे और झाइयां दूर करने के लिए आलू का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आलू में मौजूद गुण स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और इसके इस्तेमाल से आपके स्किन की रंगत भी साफ होती है। आलू में फास्फोरस, अमीनो एसिड, प्रोटीन और मैग्नीशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो स्किन को पोषण देने और समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं आलू से झाइयां और दाग-धब्बे कैसे मिटाएं?आलू के इस्तेमाल से स्किन से जुड़ी कई गंभीर परेशानियां दूर की जा सकती हैं। दाग-धब्बे और झाइयां दूर करने के अलावा कई अन्य समस्याओं में भी इसका इस्तेमाल फायदेमंद होता है। स्किन के रंग को साफ करने के लिए भी आलू का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। ब्लैकहेड्स, एक्ने, पिगमेंटेशन, बेजान स्किन, स्किन की सैगिंग, मेलेनिन कंट्रोल करने के लिए भी आलू का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आलू के पेस्ट और आलू के रस का इस्तेमाल स्किन पर करने से आपको इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है।स्किन पर कैसे करें आलू का इस्तेमाल-पिंपल्स हटाने के लिए आलू का इस्तेमालचेहरे पर मौजूद एक्ने और पिंपल्स को हटाने के लिए आप आलू का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप आलू को अच्छी तरह से पीसकर इसमें शहद मिलाएं और फेस पैक की तरह से चेहरे पर लगाएं। सप्ताह में दो बार इसका इस्तेमाल करने से आपको फायदा मिलेगा।दाग-धब्बे दूर करने के लिए आलू का इस्तेमालचेहरे पर मौजूद दाग-धब्बों को दूर करने के लिए आलू का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आलू को उबालकर अच्छी तरह पीस लें और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। ऐसा करने से आपको दाग-धब्बों से छुटकारा मिलता है।झाइयां दूर करने के लिए आलू का इस्तेमालझाइयां दूर करने के लिए आलू का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए पहले आलू को कद्दूकस कर लें उसके बाद आलू में चुकंदर का पेस्ट, दही और आलमंड ऑयल मिलाएं। अब इसे चेहरे पर लगाकर छोड़ दें। 20 मिनट बाद इसे साफ कर लें।चेहरे की कई अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी आलू का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप आलू को कई अन्य तरीकों से चेहरे पर लगा सकते हैं। डार्क सर्कल से छुटकारा पाने के लिए आलू की स्लाइस काटकर आंखों के नीचे रखने से फायदा मिलता है। इसका इस्तेमाल आप आसानी से कर सकते हैं।
- गर्मी के मौसम में खानपान का ध्यान न रखने से आपको कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। इस मौसम में शरीर में पानी और पोषक तत्वों की कमी के कारण आपको कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। गर्मियों में मिलेट्स यानी मोटे अनाज से बनी ड्रिंक्स का सेवन भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। गर्मी शुरू होते ही लोग तमाम तरह के पैकेज्ड ड्रिंक्स का सेवन करना शुरू कर देते हैं। पैकेज्ड ड्रिंक्स का सेवन करने की जगह अगर आप मिलेट्स से बनी ड्रिंक्स का सेवन करते हैं, तो आपका शरीर हेल्दी रहेगा और गर्मी में बढ़ते तापमान से भी राहत मिलेगी। जौ, बाजरा और रागी समेत कई ऐसे मिलेट्स हैं जिनसे बनी ड्रिंक्स का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं इनके बारे में।शरीर को हेल्दी रखने के लिए पिएं मिलेट्स से बनी ये ड्रिंक्स-बाजरा, जौ और रागी समेत कई ऐसे मिलेट्स हैं, जिनका सेवन गर्मियों में बहुत फायदेमंद होता है। गर्मी के मौसम में शरीर को हेल्दी और कूल बनाए रखने के लिए इन ड्रिंक्स का सेवन करें-1. बाजरा का राबगर्मियों में बाजरे का राब पीना बहुत फायदेमंद होता है। बाजरे में मौजूद पोषक तत्व शरीर को एनर्जी देने और हेल्दी बनाए रखने में फायदेमंद होते हैं। ग्रामीण भारत में इस ड्रिंक का सेवन खूब किया जाता है। इसका सेवन शरीर को गर्मी के प्रकोप से बचाने और हेल्दी रखने के लिए किया जाता है। बाजरे की राब आप आसानी से घर पर बना सकते हैं। इसके लिए बाजरे के आटे को उबालकर दलिया की तरह गाढ़ा कर लें। इसके बाद इसमें एक चम्मच घी, अजवाइन, गुड़ और नमक के साथ सोंठ पाउडर और पानी मिलाएं और अच्छी तरह से मिक्स कर लें। गर्मियों में इसका नियमित रूप से सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है।2. जौ का सत्तूजौ के सत्तू का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद और पौष्टिक माना जाता है। जौ में प्रोटीन से लेकर फाइबर तक कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। जौ के सत्तू का सेवन करने से आपका शरीर लू की चपेट में नहीं आता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले जौ को अच्छी तरह से साफ कर लें। अब इसे भून लें और पीसकर सत्तू तैयार करें। इस सत्तू को एक गिलास पानी में डालकर काला नमक, जीरा और गुड़ मिलाएं और रोजाना सेवन करें।3. जौ-बाजरा ड्रिंकगर्मी के मौसम में जौ और बाजरे से बनी इस ड्रिंक का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को भी बहुत फायदा मिलता है। शरीर के पाचन तंत्र को मजबूत बनाने से लेकर कई गंभीर समस्याओं से निजात दिलाने में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इस ड्रिंक में हाई फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। इसे तैयार करने के लिए सबसे पहले इन दोनों अनाजों को बराबर मात्रा में लेकर भून लें, इसके बाद पीसकर पाउडर तैयार करें। इस पाउडर को पानी में मिलाकर 2 चम्मच कालं नमक और नींबू का रस मिलाकर पिएं। ऐसा नियमित रूप से करने से आपको बहुत फायदा मिलेगा।गर्मी के मौसम में मिलेट्स से बनी इन ड्रिंक्स का सेवन करने से शरीर को कई अनोखे फायदे मिलते हैं। पाचन तंत्र को मजबूत बनाने से लेकर डायबिटीज कंट्रोल करने में मिलेट्स का सेवन फायदेमंद माना जाता है। आप भी गर्मियों में इन ड्रिंक्स का सेवन जरूर करें।
- करौंदे का स्वाद खट्टा होता है। इसका इस्तेमाल अचार, चटनी, जूस और सब्जी के लिए जाता है। ये न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ-पेट को स्वस्थ रखते हैं - करौंदे का सेवन करने से पेट स्वस्थ रहता है। ये कब्ज, गैस और एसिडिटी आदि की परेशानी से छुटकारा दिलाते हैं। ये लूज मोशन जैसी समस्या को दूर करते हैं। ये आंतों को स्वस्थ रखते हैं.इम्युनिटी को बढ़ाते हैं - करौंदे इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। ये शरीर की बीमारियों को दूर करने का काम करते हैं। इसमें आयरन होता है। ये शरीर में खून की कमी को पूरा करता है।वजन कम करने में फायदेमंद -करौंदे में फाइबर अधिक मात्रा में होता है। इससे आपको देर तक भरा हुआ महसूस होता है। इस प्रकार ये वजन घटाने में मदद करते हैं।कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं-करौंदे का सेवन कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। ये हृदय संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। ये हाई बल्ड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
- अगर आप अपने दिन की शुरुआत एक हेल्दी नोट पर करना चाहते हैं, तो ब्रेकफास्ट में चीला खा सकते हैं। यह सबसे जल्दी और आसानी से तैयार होने वाले नाश्ते में से एक है। आज हम आपको 5 दालों से तैयार होने वाला पंचरत्न चीला बनाने का तरीका बता रहे हैं। यह खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है, उतना ही फायदेमंद सेहत के लिए भी होता है। इसे खाने से आपको सिर्फ एक नहीं, बल्कि 5 दालों का पोषण एक साथ मिल जाएगा। अगर आप हाई प्रोटीन ब्रेकफास्ट ऑप्शन ढूंढ रहे हैं, तो पंचरत्न चीला आपके लिए बेस्ट है। तो आइए, जानते हैं पंचरत्न चीला खाने के फायदे और इसकी रेसिपी -कैसे बनाएं हाई प्रोटीन पंचरत्न चीलासामग्री-1/4 कप मूंग दाल1/4 कप हरी मूंग दाल1/4 कप उड़द दाल1/4 कप चना दाल1/4 कप अरहर दाल1 चम्मच अजवायन1 बारीक कटा प्याज1 बारीक कटा टमाटर2-3 बारीक कटी हरी मिर्चहरा धनियानमकतेलपंचरत्न चीला बनाने की विधिपंचरत्न चीला बनाने के लिए पांचों दालों को अच्छी तरह धो लें और रात में पानी में भिगोकर रख दें।सुबह दालों का पानी छान लें। फिर मिक्सर में डालकर दालों को पीस लें। आपको इसका एक दरदरा सा बैटर तैयार करना है।इस बैटर में प्याज, टमाटर, हरी मिर्च, अजवाइन और नमक डालें और अच्छी तरह फेंट लें।अब गैस पर एक पैन गर्म करें और तेल डाल दें।फिर तवे पर चीला बैटर को डालें और मीडियम आंच पर दोनों तरफ से सेंक लें।आपका पंचरत्न चीला तैयार है। इसका आनंद धनिया-पुदीना की चटनी के साथ लें।पंचरत्न चीला के फायदेपंचरत्न चीला बनाने के लिए 5 दालों का प्रयोग किया जाता है। आइए, जानते हैं इन सभी दालों के क्या-क्या फायदे हैं -मूंग दालमूंग दाल में प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। ये पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं। साथ ही, मेटाबोलिज्म को तेज करने में मदद करते हैं। मूंग दाल को डायबिटीज, वेट लॉस और हार्ट हेल्थ के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है।हरी मूंग दालहरी मूंग दाल में प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसानों को कम करने में मददगार होती है। यह पाचन को स्वस्थ रखने और वजन घटाने के लिए भी काफी फायदेमंद होती है।उड़द की दालउड़द की दाल में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जिससे यह एनर्जी बूस्ट करने का काम करती है। इसमें विटामिन प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और कार्बोहायड्रेट जैसे पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।चना दालचना दाल वजन घटाने से लेकर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने तक में लाभकारी होती है। इसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और हड्डियां भी मजबूत बनती है।अरहर दालअरहर की दाल में विटामिन-बी, प्रोटीन, फाइबर, फोलिक एसिड जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है, पाचन को बेहतर बनाती है और वजन घटाने में भी मददगार होती है।
- सौंफ का इस्तेमाल भारतीय रसोई में मसाले या तड़के के रूप में किया जाता है। इसके अलावा माउथ फ्रेशनर के रूप में भी सौंफ और मिश्री आदि का खूब इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ में मौजूद गुणों और पोषक तत्वों के कारण इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी किया जाता है। सौंफ खाने से पेट से लेकर पाचन से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं में फायदा मिलता है। सौंफ में कैल्शियम, आयरन, सोडियम, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, इन पोषक तत्वों की आपूर्ति से शरीर हेल्दी और फिट रहता है। इसके अलावा खाली पेट सौंफ का सेवन (Khali Pet Saunf Khane Ke Fayde) करना भी सेहत के लिए उपयोगी माना जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं खाली पेट सौंफ खाने के फायदे।खाली पेट सौंफ खाने के फायदे-सौंफ में सेहत के लिए फायदेमंद कैल्शियम, विटामिन जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा सौंफ में पर्याप्त मात्रा में मौजूद पोटैशियम हार्ट से जुड़ी बीमारियों में भी बहुत उपयोगी होता है। सौंफ खाने से आपको हाई ब्लड प्रेशर के समस्या में भी बहुत फायदा मिलता है। रोजाना खाली पेट सौंफ का सेवन करने से आपको ये फायदे मिलते हैं-1. कब्ज की समस्या में फायदेमंदसुबह खाली पेट सौंफ खाने से आपको कब्ज की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। सौंफ में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है, इसका सेवन पेट से जुड़ी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह एक चम्मच सौंफ चबाने के बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पीने से आपको कब्ज की समस्या में बहुत फायदा मिलेगा।2. हार्ट के लिए बहुत फायदेमंदसुबह खाली पेट सौंफ खाने से दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है। सौंफ में पोटैशियम की मात्रा पायी जाती है जो शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने में बहुत फायदेमंद है।3. इम्यूनिटी बढ़ाएसौंफ में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है। सुबह खाली पेट सौंफ खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत फायदा मिलता है।4. खून की कमी दूर करेशरीर में खून की कमी या एनीमिया की समस्या होने पर शरीर कदम कमजोर हो जाता है। इस समस्या में डॉक्टर आयरन की प्रचुर मात्रा वाले फूड्स का सेवन करने की सलाह देते हैं। सौंफ में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है, रोजाना सुबह के समय इसका सेवन करने से आपको खून की कमी दूर करने में मदद मिलेगी।5. हड्डियों के लिए फायदेमंदसौंफ में कैल्शियम की भी मात्रा होती है। सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी कम होता है।रोजाना सौंफ का सेवन करने से आपको पाचन और पेट से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है। सुबह खाली पेट एक चम्मच सौंफ चबाकर गुनगुना पानी पीने से आपको कई समस्याओं में फायदा मिलेगा। इसके अलावा लोग सुबह के समय सौंफ के पानी का सेवन भी करते हैं, यह भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- खराब जीवनशैली और खराब आदतों की वजह से भी आंखों के नीचे काले घेरे बढ़ रहे हैं। इनसे बचने के लिए अपनी बुरी आदतों में सुधार करें। दरअसल, डार्क सर्कल कम करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप डार्क सर्कल होने की वजह को जानें और फिर उस पर काम करें। डार्क होने की मूल वजह आपकी खराब जीवनशैली ही नहीं, बल्कि खराब आदतें भी हैं। डार्क सर्कल को कम करने के लिए उन आदतों में सुधार करना जरूरी है।आंखों को मलनालोगों की अक्सर आदत होती है, वे अपने आंखों को रगड़ने या मलने लगते हैं। शायद आपको पता न हो, आंखों को बार-बार अपनी हाथों से छूने की वजह से आंखों के नीचे डार्क सर्कल बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही, आंखों के नीचे स्क्रैच या अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए कोशिश करें कि आप आंखों न मलें।स्क्रीन पर समय बितानाफोन या लैपटॉप पर लोगों ने बहुत ज्यादा समय बिताना शुरू कर दिया है। इसका बहुत बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके साथ ही, जब आप देर रात तक जगकर स्क्रीन पर समय गुजारते हैं, जो इससे आंखें न सिर्फ कमजोर होती हैं, बलिक डार्क सर्कल भी बढ़ने लगते हैं।पानी कम पीनाएसी में ज्यादातर समय बिताने के कारण यह समस्या होती है कि लोगों को प्यास नहीं लगती, जिस वजह से शरीर में डिहाइड्रेशन होने लगता है। जब शरीर में पानी कमी होने लगती है, जो इससे कई तरह की परेशानी होने लगती हैं, जिनमें से एक है डार्क सर्कल होना। कहने का मतलब यह है कि खूब पानी पिएं, ताकि डार्क सर्कल कम हो सकें।स्मोक करनामॉडर्निटी के नाम पर पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी स्मोक करना शुरू कर दिया है। इससे कैंसर जैसी घातक बीमारियां तो हो ही सकती हैं, साथ ही कई तरह की छोटी-छोटी समस्याएं भी आपको परेशान कर सकती हैं। इन्हीं में डार्क सर्कल होना भी शामिल है। आप अपनी इस आदत को खत्म करके, खुद को बेहतर स्वास्थ्य का उपहार दे सकते हैं।ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन करनाखाने में नमक की मात्रा हमेशा कम होनी चाहिए। लेकिन, अब लोग स्वाद के नाम पर बहुत ज्यादा चटपटा और अनहेल्दी आहार खाते हैं। इनमें सॉल्ट यानी नमक की मात्रा काफी ज्यादा होती है। नमक का अतिरिक्त सेवन करने से भी आंखों के नीचे काले घेरे बढ़ जाते हैं।समय पर न सोनाआज की युवा पीढ़ी रात को जगती है और दिन में सोती है। यही नहीं, काम के प्रेशर की वजह से रात को नींद भी नहीं लेती है। आपकी यही आदत, आपके डार्क सर्कल को बढ़ाती है। विशेषज्ञ भी यह सलाह देते हैं कि अच्छी नींद लें और सही समय पर सोएं। ऐसा करके आपका स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ेगा। इसके साथ, काले घेरे की समस्या में भी कमी आएगी।
- तेज धूप, धूल मिट्टी, अनियमित खानापान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से सेहत के साथ ही त्वचा पर भी कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। यदि आप लंबे समय तक त्वचा की देखभाल न करें तो इससे चेहरे पर दाग-धब्बों के साथ ही, पिंपल्स और झाइंयां होने लगती हैं। चेहरे की झाइयों को दूर करने के लिए आप केले से बने फेस मास्क का उपयोग कर सकते हैं। केले में विटामिन ई, विटामिन बी और कैरोटीन आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा को चमकदार और खूबसूरत बनाने का कार्य करते हैं।केले के फेस मास्क के फायदे -कोलेजन को बेहतर करने में सहायककेले के फेस मास्क से चेहरे का कोलेजन स्तर बेहतर होता है। इससे आपके चेहरे पर आने वाली झाइयां और दाग धब्बे दूर होते हैं। साथ ही स्किन साफ और खूबसूरत बनती है।विटामिन ए से भरपूरकेले के फेसमास्क में पाया जाने वाला विटामिन ए त्वचा की सूजन और विकारों को दूर करने में सहायक होता है। जिससे चेहरे में चमक आती है।सूर्य से बचाने में सहायककेले में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट सूर्य की किरणों से त्वचा पर होने वाले हानिकारक प्रभावों को दूर करने का काम करते हैं। इससे झाइयां की समस्या कम होती है।त्वचा में कसाव लाएकेले के फेस मास्क से त्वचा में कसाव आता है और समय से पहले दिखने वाले एजिंग के लक्षण दूर होने लगते हैं। इसके साथ ही चेहरे की त्वचा की झुर्रियांचेहरे की झाइयों को दूर करने के लिए केले का फेस मास्क कैसे बनाएं?चेहरे की झाइयों को कम करने के लिए आप एक केले के फेस मास्क को बनाने के लिए एक केला लें। इसके साथ ही करीब एक चम्मच शहद लें। इसके अलावा करीब एक चम्मच दही को ले लें। एक बाउल में केले को मैश करें। इसमें शहद और दही को मिला लें। सभी चीजों अच्छी तरह से मिलाएं। इसके बाद चेहरे को गुलाब चल से साफ कर। मास्क को चेहरे पर लगाएं। फेस मास्क को 20 से 25 मिनट तक लगाएं। जब मास्क थोड़ा हल्का सूख जाए तो इसे नॉर्मल पानी से साफ कर लें।
- मौसम बदलने के साथ गले में खराश, सर्दी और खांसी होना एक आम समस्या है। कई लोग इस समस्या को दूर करने के लिए कई तरह की दवाइयों का सेवन शुरू कर देते है। लेकिन कई बार जल्दी आराम नहीं मिलता है। ऐसे में दवाइयों के सेवन के साथ आयुर्वेदिक काढ़ा भी बनाया जा सकता है। ये आयुर्वेदिक काढ़ा पीने से गले की खराश दूर होने के साथ मौसमी बीमारियों से भी शरीर को बचाव होता है। ये शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथ इंफेक्शन को दूर करने में मदद करता है।सामग्रीपानी- 1 गिलासहल्दी- 1/4 चौथाई चम्मचकाली मिर्च- 2-3लहसुन- 1 से 2 कलीअजवायन- 1/4 चौथाई चम्मचअदरक- 1 इंच का टुकड़ातुलसी के पत्ते- 8 से 10आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने का तरीकागले की खराश को दूर करने के लिए इस आयुर्वेदिक काढ़ा को बनाया जा सकता है। इसको बनाने के लिए पानी में सभी चीजों को डालकर जब पानी आधा रह जाएं, तो गुनगुना होने पर छानकर पिएं। स्वाद के लिए इसमें शहद को भी मिलाया जा सकता है।आयुर्वेदिक काढ़ा पीने के फायदेसर्दी-जुकाम से राहतइस आयुर्वेदिक काढ़ा को पीने से सर्दी-जुकाम से राहत मिलने के साथ ठंड की समस्या भी दूर होती है। कई बार मौसम बदलने की वजह से लगातार छींके आती रहती है। ऐसे में इस काढ़े को बनाकर पीने से शरीर को गर्माहट मिलती है।गले की खराशइस आयुर्वेदिक काढ़ा में मिलाए जाने वाली सभी सामग्री गले के लिए बहुत फायदेमंद है। इसको पीने से गले में होने वाला इंफेक्शन दूर होता है और बंद आवाज भी खुल जाती है। ये आयुर्वेदिक काढ़ा गले की कई समस्याओं को आसानी से दूर करता है।खांसी को दूर करेये आयुर्वेदिक काढ़ा खांसी को दूर करने में भी मदद करता है। कई बार गले में इंफेक्शन होने के कारण खांसी और बलगम की समस्य हो जाती है। ऐसे में इसके सेवन करने से खांसी की समस्या आराम मिलता है और बलगम भी दूर होता है। गले में खराश की समस्या होने पर इस काढ़े को बनाकर पीया जा सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें। साथ ही इस काढ़े को नियमित मात्रा में ही पिएं।
- आज के समय में कब्ज एक गंभीर समस्या बन चुका है। गलत खानपान और सुस्त जीवनशैली के कारण काफी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही 5 घरेलू उपाय बता रहे हैं, जो पुरानी से पुरानी कब्ज को जड़ से खत्म कर देंगे -फाइबर का अधिक सेवन करेंकब्ज की समस्या को जल्दी ठीक करने के लिए अपनी डाइट में अधिक से अधिक फाइबर युक्त चीजों को शामिल करें। फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। फाइबर युक्त चीजों के सेवन से मल मुलायम होकर आसानी से बाहर आ जाता है। आपको रोज 25 से 30 ग्राम फाइबर अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। इसके लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज और फल आदि खा सकते हैं।आलूबुखारा खाएंकब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप आलूबुखारा का सेवन कर सकते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही, आलूबुखारा में लैक्सेटिव गुण होते हैं, जिससे मलत्याग की प्रक्रिया आसान बनती है। पुरानी से पुरानी कब्ज को खत्म करने के लिए आप रात को सोने से पहले 5-6 सूखे आलूबुखारा को पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट इन्हें खाएं और बचा हुआ पानी पी लें। इससे आपको जल्द राहत मिलेगी।प्रोबायोटिक्स लेंप्रोबायोटिक्स पुरानी से पुरानी कब्ज को दूर में मदद कर सकते हैं। प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो हमार आंत में मौजूद होते हैं। जिन लोगों को पुरानी कब्ज होती है, उनकी आंत में इन बैक्टीरिया का असंतुलन होता है। ऐसे में अधिक प्रोबायोटिक फूड्स का सेवन इस संतुलन को बेहतर बनाने और कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप दही, किमची, अचार आदि खा सकते हैं।व्यायाम करेंलगातार एक ही जगह पर बैठे रहने या शारीरिक गतिविधि की कमी की वजह से कब्ज की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए रोजाना कुछ देर व्यायाम जरूर करें। रोजाना एक्सरसाइज करने से पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाने में मदद मिलती है और कब्ज से राहत मिलती है। इसके लिए आप अपने रूटीन में वॉकिंग, जॉगिंग और स्विमिंग को शामिल कर सकते हैं।दूध और घी का सेवन करेंघी का सेवन करने से पुरानी से पुरानी कब्ज की शिकायत दूर हो सकती है। इसमें ब्यूटीरिक एसिड होता है, जो मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करता है। रोजाना घी का सेवन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप दूध और घी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच घी मिलाकर पिएं। इससे आप पेट अच्छी तरह साफ होगा।इन घरेलू उपायों की मदद से आप पुरानी से पुरानी कब्ज को दूर कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपकी समस्या अधिक बढ़ रही है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
- मीठा और ताजा खरबूजा, खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है साथ ही सेहत के लिए भी यह फायदेमंद होता है। इसमें पोटैशियम, विटामिन-बी।, विटामिन-बी6, विटामिन-के, फॉलेट, कॉपर, मैग्नीयशियम और डायटरी फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।खरबूजे में विटामिन-सी होता है। विटामिन-सी का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। खरबूजे में एंटी-डायबिटिक, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी आदि गुण पाए जाते हैं। आज हम जानेंगे कि क्या खरबूजा खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है?-खरबूजे का स्वाद भले ही खाने में थोड़ा मीठा होता है लेकिन इसे खाने से ब्लड शुगर लेवल अचानक से नहीं बढ़ता। खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी होता है। खरबूजे में करीब 38 कैलोरीज होती हैं। 1 खरबूजे में करीब 13 ग्राम शुगर पाई जाती है। इसमें प्राकृतिक मिठास होती है। डायबिटीज के मरीज खरबूजे का सेवन कर सकते हैं। हालांकि डायबिटीज मरीजों को पोर्शन साइज पर गौर करने की जरूरत है। डायबिटीज है तो दिनभर में एक छोटा बाउल खरबूजा खा सकते हैं। खरबूजे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स या जीआई स्कोर करीब 65 होता है। इसलिए इसे मध्यम जीआई खाद्य श्रेणी में गिना जाता है। 70 और उससे ज्यादा जीआई वाले खाद्य पदार्थ, उच्च जीआई श्रेणी में आते हैं और ऐसी चीजों का सेवन करने से शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज है, उन्हें फलों को मील्स के साथ मिलाकर नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा फलों में नमक या मसाला डालकर भी खाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से फल के पूरे फायदे आपको नहीं मिलेंगे।कब खाएं खरबूजा?-खरबूजे को मिड-मील स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं। नाश्ते और खाने के बीच लगने वाली हल्की भूख के लिए यह फल खाना फायदेमंद है। इसे खाने से भूख शांत होती है। पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए भी खरबूजा खा सकते हैं। खरबूजे में वॉटर कंटेंट ज्यादा होता है। शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए खरबूजा खाएं। पोस्ट वर्कआउट डाइट में भी खरबूजे को शामिल कर सकते हैं।
- आयरन हमारे शरीर के लिए एक बहुत जरूरी मिनरल है। यह शरीर के विकास में मदद करता है। आयरन फेफड़ों से पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। इतना ही नहीं, आयरन हीमोग्लोबिन बनाता है और लाल रक्त कोशिकाओं के कार्य को आसान बनाता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए शरीर में आयरन के स्तर का संतुलन में होना बहुत जरूरी होता है। आप चाहें तो सिर्फ खाना पकाने के लिए लोहे की कड़ाही का इस्तेमाल करके भी आयरन की कमी को पूरा कर सकते हैं। आज हम जानेंगे कि लोहे की कड़ाही में खाना पकाने से क्या लाभ होता है।आयरन का स्तर बढ़ाएलोहे की कड़ाही में पका खाना खाने से आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। अगर आप रोजाना लोहे की कड़ाही में पका खाना खाएंगे, तो इससे शरीर में आयरन का स्तर बढ़ेगा। इससे आपको थकान, कमजोरी और शरीर में होने वाले दर्द से आराम मिलेगा।खून की कमी दूर करेशरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए आप कड़ाही में पका खाना खा सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से कड़ाही में पका हुआ खाना खाएंगे, तो इससे खून की कमी यानी एनीमिया से बचा जा सकता है। वहीं, जिन लोगों को एनीमिया है, उनके लिए लोहे की कड़ाही में पका हुआ भोजन खाना फायदेमंद होता है। लोहे की कड़ाही में पका खाना नैचुरल आयरन का काम करता है।भोजन को गर्म रखेअगर आप लोहे की कड़ाही में खाना पकाएंगे, तो खाना लंबे समय तक गर्म रहेगा। लोहे की कड़ाही में पका खाना गर्म रहता है। इस बर्तन में खाना लंबे समय तक भी ठंडा नहीं होता है।सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है लोहे की कड़ाही में पका खाना?जब लोहे की कड़ाही में खाना पकाया जाता है, तो यह धातु की सतह के साथ प्रतिक्रिया करता है। इसकी वजह से कड़ाही में मौजूद आयरन खाने में मिल जाता है। अगर किसी खाद्य पदार्थ में आयरन नहीं है, लेकिन आप इसे लोहे की कड़ाही में पकाते हैं, तो इससे वह खाद्य पदार्थ आयरन युक्त हो सकता है। यानी उस खाद्य पदार्थ में आयरन की मात्रा बढ़ सकती है। इतना ही नहीं, लोहे के बर्तन में पका खाना कोई हानिकारक गंध या प्रभाव नहीं छोड़ता है। इससे आप आसानी से लोहे की कड़ाही में पका खाना खा सकते हैं।
- आंखों के नीचे मौजूद काले घेरों की समस्या दूर करने में भी नारियल तेल बहुत लाभकारी है। इन दिनों लोगों में डार्क सर्कल की समस्या बहुत आम हो गई है। इसके पीछे शरीर में पोषण की कमी से लेकर, नींद में कमी तक कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर अपने खानपान और नींद में सुधार कर, अपनी आंखों के नीचे नियमित रूप से नारियल तेल लगाएं, तो यह जल्द आपको डार्क सर्कल से छुटकारा दिला सकता है।आमतौर पर डार्क सर्कल शरीर में पानी, पोषण और नींद की कमी के कारण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में यह समस्या एलर्जी के कारण भी हो सकती है। यह पिगमेंटेशन और सनबर्न के कारण भी डार्क सर्कल हो सकते हैं। जब आप आंखों के नीचे नारियल तेल लगाते हैं, तो इससे त्वचा को मॉइस्चराइज और हाइड्रेशन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। यह आंखों के नीचे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है। यह डैमेज रक्त वाहिकाओं को ठीक करने में मदद करता है। यह त्वचा की रंगत में सुधार करता है, जिससे यह पिगमेंटेशन और त्वचा का कालापन दूर करने में बहुत सहायक है। यह झुर्रियों और फाइन लाइन्स को भी कम कम करता है। इससे काले घेरे कम नजर आते हैं।डार्क सर्कल्स के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल कैसे करेंअगर आप डार्क सर्कल से परेशान हैं और इससे छुटकारा पाने के लिए नारियल तेल प्रयोग करने का सोच रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आपको वर्जिन कोकोनट ऑयल का ही प्रयोग करना है। आंखों के नीचे नारियल तेल लगाएं। इससे कुछ मिनट धीरे-धीरे उंगलियों की मदद मालिश करें। इसे अच्छी तरह त्वचा में अवशोषित होने दें और छोड़ दें। ऐसा रोज रात में सोने से पहले करें। आप दिन में 2 बार भी इसका प्रयोग कर सकते हैं। इस तरह आपको जल्द डार्क सर्कल से छुटकारा मिल सकता है।