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नयी दिल्ली। भारतीय खिलाड़ियों का 43 सदस्यीय दल 27 से 31 अगस्त तक लिमा में होने वाली अंडर-20 विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भाग लेगा। इस दल में 23 पुरुष और 20 महिला खिलाड़ी हैं।
प्रतियोगिता की प्रविष्टि सूची के अनुसार इसमें 134 टीमों के 1700 से अधिक खिलाड़ी एस्टाडियो एटलेटिको डे ला विडेना में होने वाले आयोजन में प्रतिस्पर्धा करेंगे। भारत ने पिछले सत्र में दो रजत और एक कांस्य पदक जीतकर संयुक्त 25 वां स्थान हासिल किया था।भारतीय दल:पुरुष: हिमांशु, सचिन (10,000 मीटर पैदल चाल); कार्तिक राजा अरुमुगम, मुराद कालूभाई सिरमन (400 मीटर बाधा दौड़); अंकुल, रिहान चौधरी, बापी हांसदा, अबीराम प्रमोद, जय कुमार (4 गुणा 400 मीटर रिले); बापी हांसदा, जय कुमार (400 मीटर); सिद्धार्थ चौधरी, अनुराग सिंह कलेर (गोला फेंक); मृत्युम जयराम दोंडापति (100 मीटर); हरिहरन कथैरवण, नयन प्रदीप सारदे (110 मीटर बाधा दौड़); साहिल खान (800 मी); सारुक खान, रणवीर अजय सिंह (3000 मीटर स्टीपलचेज़); देव कुमार मीना (पोल वॉल्ट); प्रतीक (तार गोला फेंक); रितिक (चक्का फेंक); मोहम्मद अत्ता साजिद (लंबी कूद); दीपांशु शर्मा, रोहन यादव (भाला फेंक)।महिला:आरती (10,000 मीटर पैदल चाल); रुजुला अमोल भोंसले, नियोले अन्ना कॉर्नेलिया, सुदीक्षा वल्दुरी, अबिनया राजराजन, सिया अभिजीत सावंत (4 गुणा 100 मीटर रिले); नीरू पहतक, उन्नति अयप्पा बोलैंड (200 मीटर); नीरू पहतक, अनुष्का कुंभार (400 मीटर); तमन्ना (गोला फेंक); अबिनया राजराजन (100 मीटर); उन्नति अयप्पा बोलैंड (100 मीटर बाधा दौड़); श्रेयस राजेश (400 मीटर बाधा दौड़); एकता डे (3000 मीटर स्टीपलचेज); अमानत कंबोज, निकिता कुमारी (चक्का फेंक); पावना नागराज (लंबी कूद); पूजा (ऊंची कूद); लक्षिता विनोद सैंडिल्य (800 मीटर), लक्षिता विनोद सैंडिल्य (1500 मीटर); नीरू पहतक, कनिस्ता तेन्ना मारिया देवा शेखर, सैंड्रामोल साबू, श्रावणी सचिन सांगले, अनुष्का कुंभार (चार गुणा 400 मीटर रिले)। -
मुंबई. भारत 28 अगस्त से पेरिस में शुरू होने वाले पैरालंपिक में 12 खेलों में प्रतिस्पर्धा करेगा जिसमें पैरा साइकिलिंग, पैरा नौकाचालन और दृष्टिबाधित जूडो देश की नयी स्पर्धायें होंगी। भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) ने बुधवार को घोषणा की यह भारत के पैरालंपिक खिलाड़ियों की बढ़ती विविधता और प्रतिभा को दर्शाता है। आंध्र प्रदेश के अरशद शेख पैरा साइकिलिंग में अपना पैरालंपिक पदार्पण करेंगे। उन्होंने एशियाई रोड पैरा साइकिलिंग चैंपियनशिप में पुरुषों की एलीट व्यक्तिगत टाइम ट्रायल सी2 श्रेणी में रजत पदक जीतकर अपना कोटा हासिल किया था। आंध्र प्रदेश के कोंगानापाले नारायण पैरा नौकाचालन में और हरियाणा की कोकिला कौशिकलाते दृष्टिबाधित जूडो में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
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नयी दिल्ली. भारत की टी0 विश्व कप जीत के बाद मिले ब्रेक के बाद 16 अक्टूबर से न्यूजीलैंड के खिलाफ शुरू हो रही तीन टेस्ट मैच की श्रृंखला के लिए जसप्रीत बुमराह की वापसी की उम्मीद है लेकिन सितंबर में बांग्लादेश के खिलाफ होने वाले दो टेस्ट मैच के लिए इस तेज गेंदबाज को आराम दिया जा सकता है। यह समझा जाता है कि भारतीय टीम प्रबंधन और चयनकर्ता तेज गेंदबाजी आक्रमण में और अधिक विविधता लाना चाहते हैं। इसलिए टेस्ट ‘कैप' हासिल करने के लिए तेज गेंदबाजों की सूची में बायें हाथ के सीम और स्विंग गेंदबाजों को शामिल किया जा सकता है। अनुभव के मामले में चयनकर्ताओं के पास अर्शदीप सिंह और खलील अहमद के रूप में दो विकल्प हैं। अर्शदीप टी20 प्रारूप में नियमित रूप से खेलते हैं। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक सूत्र ने नाम नहीं बताने की शर्त पर एक न्यूज़ एजेंसी को बताया, ‘‘बुमराह अपने शरीर को अच्छी तरह से जानते हैं और यह उन पर निर्भर करेगा कि वह बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट में खेलना चाहते है या नहीं। टीम प्रबंधन और चयनकर्ता इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि भारत को आस्ट्रेलिया के खिलाफ सभी पांच टेस्ट मैच के लिए शत प्रतिशत फिट जसप्रीत बुमराह की जरूरत है। पर इससे पहले न्यूजीलैंड की टीम भारत आयेगी जिसमें शायद वह खेलेगा और कठिन चुनौती के लिए तैयार होगा। '' अर्शदीप को लाल गेंद के क्रिकेट में खिलाने की योजना राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में भी थी इसलिये उन्हें पिछले साल कुछ काउंटी मैच खेलने के लिए केंट भेजा गया था। खलील बेहतर गेंदबाज है लेकिन उनकी गेंदबाजी काफी अनियमित रहती है। बायें हाथ के तेज गेंदबाज के लिए दूसरा विकल्प यश दयाल है लेकिन वह इस दौड़ में खलील और अर्शदीप से पीछे है। वहीं समझा जा रहा है कि सलिल अंकोला का कार्यकाल आखिरकार खत्म हो गया है और उन्हें बताया गया है कि श्रीलंका दौरे के लिए चयन बैठक उनकी आखिरी बैठक थी। पूर्व भारतीय विकेटकीपर अजय रात्रा पांचवें स्थान के चयनकर्ता के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प हैं, जो परंपरा के अनुसार उत्तर क्षेत्र के उम्मीदवार को दिया जाता है। यह स्थान पूर्व चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा को एक निजी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के दौरान हटाए जाने के बाद खाली हुआ था। रात्रा का अजय मेहरा, शक्ति सिंह और आरएस सोढ़ी के साथ साक्षात्कार लिया गया।
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पेरिस. ओलंपिक फाइनल से पहले अयोग्य करार दिये जाने के खिलाफ भारतीय पहलवान विनेश फोगाट की अपील खेल पंचाट (सीएएस) के तदर्थ प्रभाग ने खारिज कर दी है । भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने बुधवार को यह जानकारी दी और खिलाड़ियों के ‘मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तनाव' को समझने में नाकाम ‘अमानवीय नियमों ' की आलोचना की । 29 वर्ष की विनेश को पिछले सप्ताह महिला 50 किलो फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल से पहले अयोग्य करार दिया गया था क्योंकि उनका वजन निर्धारित सीमा से सौ ग्राम अधिक था । एक बयान में आईओए अध्यक्ष पी टी उषा ने कहा ,‘‘ पहलवान विनेश फोगाट की युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के खिलाफ दायर अपील पर खेल पंचाट के एकमात्र पंच के फैसले से स्तब्ध और निराश हूं ।'' उन्होंने कहा ,‘‘ पेरिस ओलंपिक खेलों में महिलाओं के 50 किलोग्राम वर्ग में साझा रजत पदक दिए जाने के विनेश के आवेदन को खारिज करने वाले 14 अगस्त के फैसले का प्रभावी हिस्सा विशेष रूप से उनके लिए और बड़े पैमाने पर खेल समुदाय के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।'' इस फैसले के मायने हैं कि पेरिस ओलंपिक में भारत के छह ही पदक होंगे जिसमें एक रजत और पांच कांस्य शामिल हैं । अयोग्य करार दिये जाने के बाद टूट चुकी विनेश ने सोशल मीडिया के जरिये कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया था। आईओए ने अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में अस्पष्ट नियमों और उनकी व्याख्याओं को लेकर कड़ी आलोचना की है ।
आईओए ने एक बयान में कहा, 100 ग्राम की मामूली विसंगति और उसके परिणाम का गहरा प्रभाव पड़ता है, न केवल विनेश के करियर के संदर्भ में, बल्कि अस्पष्ट नियमों और उनकी व्याख्या के बारे में भी गंभीर सवाल उठाता है।'' इसमें आगे कहा गया, आईओए का मानना है कि दो दिन में से दूसरे दिन किसी खिलाड़ी को वजन में इतनी मामूली सी विसंगति के लिये पूरी तरह अयोग्य करार देने के मामले की गहरी समीक्षा की जरूरत है ।'' इसमें कहा गया ,‘‘ विनेश का मामला बताता है कि कड़े और अमानवीय नियम खिलाड़ियों खासकर महिला खिलाड़ियों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनावों को समझने में नाकाम रहे हैं ।'' आईओए ने कहा कि यह फैसला अधिक न्यायसंगत और उचित मानकों की आवश्यकता की "सख्त याद दिलाता है" जो एथलीटों की भलाई को प्राथमिकता देते हैं । इस मामले में भले ही विनेश के पक्ष में सहानुभूति रही हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थॉमस बाक और यूडब्ल्यूडब्ल्यू के प्रमुख नेनाद लालोविच ने कहा था कि नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसी छूट देने के व्यापक परिणाम होंगे ।
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- पेरिस. खेल पंचाट (कैस) के तदर्थ प्रभाग ने मंगलवार को विनेश फोगाट की पेरिस ओलंपिक में फाइनल से पहले अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपील पर फैसला बिना कोई कारण दिये फिर 16 अगस्त तक स्थगित कर दिया जिससे इस भारतीय पहलवान के भाग्य पर संदेह बरकरार है। खेल पंचाट को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मंगलवार को फैसला सुनाना था लेकिन इसे बिना कोई कारण बताये फिर तीसरी बार टाल दिया गया। इससे 29 वर्षीय भारतीय पहलवान का इंतजार बढ़ गया है। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘खेल पंचाट के तदर्थ प्रभाग के अध्यक्ष ने विनेश फोगाट बनाम यूनाईटेड विश्व कुश्ती (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति मामले में एकमात्र मध्यस्थ डॉ. एनाबेले बेनेट को अपना फैसला सुनाने के लिए शुक्रवार 16 अगस्त 2024 पेरिस समय के अनुसार शाम छह बजे (भारतीय समयानुसार रात साढ़े नौ बजे) तक अनुमति दी है। '' पिछले मंगलवार को जापान की युई सुसाकी के खिलाफ जीत सहित तीन जीत के साथ महिलाओं की 50 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली विनेश को अंतत: स्वर्ण पदक जीतने वाली अमेरिका की सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ खिताबी मुकाबले से बाहर कर दिया गया क्योंकि सुबह वजन करते समय उनका वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक पाया गया। इस पहलवान ने पिछले बुधवार को खेल पंचाट में इस फैसले के खिलाफ अपील की और मांग की कि उसे क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुजमेन लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक दिया जाए। लोपेज सेमीफाइनल में विनेश से हार गई थी लेकिन बाद में भारतीय पहलवान को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उन्हें फाइनल में जगह मिली। अयोग्य ठहराए जाने के एक दिन बाद विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा करते हुए कहा कि उसके पास खेल जारी रखने की ताकत नहीं है। हालांकि दुनिया भर के दिग्गज खिलाड़ियों ने इस 29 वर्षीय पहलवान का समर्थन किया है जो अपने तीसरे ओलंपिक खेलों में भाग ले रही थी। विनेश की कानूनी टीम में फ्रांसीसी वकील जोएल मोनलुइस, एस्टेले इवानोवा, हैबिन एस्टेले किम और चार्ल्स एमसन थे जिन्होंने आवेदन दाखिल करने के दौरान उनकी और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की मदद की। उनकी सेवाएं पेरिस बार द्वारा मुहैया कराई गई हैं और वे मामले को निःशुल्क संभाल रहे हैं। इसके अलावा वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विदुषपत सिंघानिया को मामले में उनकी मदद के लिए जोड़ा गया है।दिलचस्प बात यह है कि आईओए ने अपनी अध्यक्ष पीटी उषा और साल्वे के साथ एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए ठीक उसी समय का निमंत्रण भेजा था जिस समय आज शाम फैसला आने की उम्मीद थी। खेल पंचाट के बयान के कुछ ही मिनटों के भीतर उस निमंत्रण को वापस ले लिया गया। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाक ने शुक्रवार को कहा कि ओलंपिक फाइनल से अयोग्य करार दिये जाने के फैसले को खेल पंचाट में चुनौती देने वाली विनेश फोगट के लिए उन्हें "सहानुभूति" है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कुछ स्थितियों में छोटी रियायतें देने के बाद कोई सीमा कहां खींचेगा। बाक ने कहा, ‘‘मुझे उस पहलवान के लिए सहानुभूति है; यह स्पष्ट रूप से एक मानवीय टच है।''उन्होंने कहा, ‘‘अब, यह अपील खेल पंचाट में है। हम अंत में खेल पंचाट के फैसले का पालन करेंगे। लेकिन फिर से, अंतरराष्ट्रीय (कुश्ती) महासंघ को अपनी व्याख्या, अपने नियम लागू करने होंगे। यह उनकी जिम्मेदारी है। '' यूनाईटेड विश्व कुश्ती प्रमुख नेनाद लालोविच को नतीजे में बदलाव को लेकर संदेह था क्योंकि वे केवल नियमों का पालन कर रहे थे। लालोविच ने कहा, ‘‘जो कुछ हुआ उसके लिए मुझे बहुत खेद है, लेकिन आपके देश का आकार कोई भी हो, एथलीट तो एथलीट ही होते हैं। यह वजन मापना सार्वजनिक था, सभी ने देखा कि क्या हुआ। हम किसी को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति कैसे दे सकते हैं जब हम सभी ने देखा कि क्या हुआ। '' उन्होंने कहा था, ‘‘हमारे पास अपने नियमों का पालन करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
- दुबई. विश्व कप विजेता ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग का मानना है कि चार साल बाद आयोजित होने वाले लॉस एंजिल्स ओलंपिक में क्रिकेट की वापसी इस खेल के लिए एक बड़ी सकारात्मक बात होगी। क्रिकेट की 128 वर्षों के ओलंपिक में वापसी हो रही है। इससे पहले क्रिकेट को एकमात्र बार 1900 ओलंपिक में दो टीमों ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस के बीच खेला गया था। इसका स्वर्ण पदक ब्रिटेन की टीम ने जीता था। पोंटिंग ने ‘आईसीसी रिव्यू' से कहा, ‘‘यह हमारे खेल के लिए केवल एक सकारात्मक बात हो सकती है। मैं पिछले 15 या 20 वर्षों में विभिन्न समितियों का हिस्सा रहा हूं। यह हमेशा लगभग हर एजेंडे में शीर्ष पर रहा है कि हम खेल को ओलंपिक में वापस कैसे ला सकते हैं? और आखिरकार, यह हो रहा है।'' पोंटिंग ने कहा, ‘‘यह केवल चार साल दूर है। मुझे लगता है कि इससे अमेरिका में क्रिकेट को जमीनी स्तर पर पहुंचने का मौका भी मिलेगा। लेकिन ओलंपिक खेलों सिर्फ मेजबान देश के बारे में नहीं है। यह उन दर्शकों के बारे में है जो इसे लोकप्रिय बनाते है।'' पिछले साल अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने मुंबई में आईओसी के 141वें सत्र के दौरान क्रिकेट को इन खेलों में शामिल करने की आधिकारिक पुष्टि की थी। पोंटिंग ने कहा कि ओलंपिक पर दुनिया भर में अरबों लोगों की नजर रहती और यह खेल के लिए नए दर्शकों को आकर्षित करने और वैश्विक मंच पर अपना दबदबा कायम करने का सबसे अच्छा मौका है। उन्होंने कहा, ‘‘ओलंपिक खेलों को दुनिया भर में इतने सारे लोगों द्वारा देखा जा रहा है, यह हमारे खेल को नये दर्शकों तक पहुंचायेगा। यह खेल के लिए वास्तव में सकारात्मक बात ही हो सकती है।
- कोलकाता. भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली ने रविवार को पहलवान विनेश फोगाट को अपना समर्थन देते हुए कहा कि वह पेरिस ओलंपिक में 50 किग्रा फ्रीस्टाइल फाइनल में जगह बनाने के बाद कम से कम रजत पदक की हकदार हैं। भारत की 29 साल की इस पहलवान को ओलंपिक महिला 50 किलोग्राम कुश्ती के फाइनल मुकाबले से पहले 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण अयोग्य करार दिया गया था। इससे विनेश का ओलंपिक चैम्पियन बनने का सपना टूट गया और उन्होंने कश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। गांगुली ने यहां ‘कोलकाता फूड फेस्टिवल' के इतर इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ मैं सटीक नियम नहीं जानता, लेकिन मै समझता हूं कि जब वह फाइनल में पहुंची तो उसने ठीक से क्वालीफाई किया होगा। जब आपने फाइनल में जगह बना ली तब आप स्वर्ण या रजत पदक ही जीतते है। उसे गलत तरीके से अयोग्य घोषित किया गया था या नहीं, मुझे नहीं पता, लेकिन वह कम से कम रजत पदक की हकदार है।'' विनेश की जगह फाइनल में क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुजमान लोपेज उतरीं, जो सेमीफाइनल में उनसे हार गई थीं। भारतीय पहलवान ने खेल पंचाट (सीएएस) में दायर अपनी अपील में लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक दिये जाने की मांग की है। खेल पंचाट द्वारा इस पर 13 अगस्त तक कोई फैसला सुनाने की उम्मीद है। महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी विनेश का समर्थन करते हुए कहा था कि भारतीय पहलवान की अयोग्यता, ‘तर्क और खेल भावना के खिलाफ' है। उन्होंने इससे जुड़ी नियमों पर फिर से विचार करने की भी सलाह दी।
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पेरिस. भारत के लिए पेरिस ओलंपिक में प्रदर्शन अच्छा और बुरा दोनों रहा जिसमें एक तरफ जहां युवा निशानेबाज मनु भाकर ने दो पदक जीते तो वहीं भाला फेंक सुपरस्टार नीरज चोपड़ा का रजत पदक उम्मीदों से कमतर रहा जबकि विनेश फोगाट का फाइनल से पहले अयोग्य ठहराया जाना निराशाजनक रहा जिसमें छह खिलाड़ियों के चौथे स्थान नासूर रहे। ओलंपिक के शुरू में पदक तालिका में दोहरे पदकों तक पहुंचना बहुत महत्वाकांक्षी लग रहा था लेकिन कई खिलाड़ियों के करीब से चूकने का काफी असर पड़ा। इसमें ‘क्या होता' के कई सवाल उठे। क्या होता अगर बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन कांस्य पदक के प्ले-ऑफ में अचानक हारते नहीं, क्या होता अगर तीरंदाज दीपिका कुमारी क्वार्टर फाइनल में कोरिया के खिलाफ एक शॉट में चूक नहीं जाती और क्या होता अगर मीराबाई चानू ने सिर्फ एक किलोग्राम वजन और उठा लिया होता? किसी को उम्मीद नहीं थी कि सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी पदक के बिना विदा होंगे। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि स्वप्निल कुसाले स्कीट पदक के लिए इंतजार खत्म कर देंगे। देश के 117 सदस्यीय दल में महज छह पदक आना आदर्श नहीं हैं लेकिन भारत के लिए इस दौरान खुशी, उम्मीद, निराशा और दुख के पल भी आए। भारत तोक्यो ओलंपिक में जीते गए सात पदकों की बराबरी नहीं कर सका। अगर चौथे स्थान पर रहने वाले छह खिलाड़ी पदक जीतने में सफल रहते तो तालिका में दोहरे पदकों की संख्या संभव थी। हॉकी में खुशी :
पुरुष हॉकी टीम के ओलंपिक में लगातार दूसरा पदक जीतने की क्षमता पर सवाल बने हुए थे। टीम तोक्यो में जीते गए पदक के रंग को बेहतर नहीं कर सकी, लेकिन जिस तरह से उसने ऑस्ट्रेलिया को हराया, बेल्जियम के खिलाफ मुकाबला खेला और जर्मनी और ब्रिटेन के खिलाफ दबाव झेला, उससे पता चलता है कि हरमनप्रीत सिंह की अगुआई वाली यह टीम मानसिक रूप से कितनी मजबूत हो गई है। भारतीय टीम ‘अंडरडॉग' की तरह शामिल हुई लेकिन चैंपियन की तरह खेली। गोलकीपर पीआर श्रीजेश के लिए संन्यास लेने के लिए यह बिलकुल सही समय था, जिन्होंने तोक्यो कांस्य से पहले अपनी पहचान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे खेल के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। श्रीजेश भारत के लिए अपना करियर खत्म करने वाले अकेले खिलाड़ी नहीं थे। पेरिस ओलंपिक निश्चित रूप से टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत कमल के लिए आखिरी ओलंपिक थे। ऐसी संभावना है कि स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू 2028 ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा नहीं करें।
विनेश के दिल को झकझोर देने वाला ओलंपिक:
भाग्य ने श्रीजेश को शानदार विदाई दी, लेकिन पहलवान विनेश फोगाट अपनी आत्मा पर कभी नहीं भरने वाला घाव लेकर मंच से चली गईं। एक मुश्किल मुकाबले के बाद एक मामूली हार और एक चुनौतीपूर्ण हार दोनों ही हो सकती है, लेकिन उनके मामले में वह जीतने के बावजूद हार गईं। यह उनकी काबिलियत या कौशल का सवाल नहीं था बल्कि तकनीकी पक्ष था जिसने उनसे पदक छीन लिया। अगर कोई एक भारतीय महिला पहलवान ओलंपिक पदक की हकदार थी तो वह विनेश ही थीं जिन्होंने साल भर लगातार खिताब और पदक जीतकर अपनी बादशाहत साबित कर दी थी। उनकी वापसी में न तो कम तैयारी और न ही युई सुसाकी बाधा बन सकीं लेकिन उनका अपना 100 ग्राम का वजन इन सब पर पानी फेर गया। विनेश ने इस घटना के बाद खेल से संन्यास की घोषणा कर दी और अब वह अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपनी अपील पर फैसले का इंतजार कर रही हैं। निशानेबाजों ने आखिरकार पदक जीते :
युवा मनु भाकर की अगुआई में निशानेबाजों का प्रदर्शन भारत के लिए राहत भरा रहा क्योंकि छह में से तीन पदक निशानेबाजी से आए। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि 22 वर्षीय भाकर ने अपने अभूतपूर्व प्रदर्शन से भारत का मान बचाया। उन्होंने मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर एक और कांस्य पदक जीता। जब एक पदक भी ‘स्टारडम' की गारंटी देता है तो भाकर के दोहरे पदक ने उन्हें एक अलग ही श्रेणी में ला खड़ा किया है। बहुत कम लोगों ने कुसाले को स्कीट निशानेबाजी में भारत के लिए पहला पदक जीतने की उम्मीद की होगी।
पर कल्पना कीजिए कि अगर निशानेबाजों ने फिर से धोखा दिया होता तो भारत पदक तालिका में कहां होता।
नीरज का रजत :
नीरज ने 89.45 मीटर के सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ क्वालीफिकेशन में शीर्ष स्थान प्राप्त करके भारत को एक और स्वर्ण की उम्मीद दी। नीरज जांघ की समस्या के बावजूद तैयार थे। पर पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर का शानदार थ्रो फेंककर सचमुच प्रतियोगिता खत्म कर दी। नीरज 89.34 मीटर से बेहतर थ्रो नहीं कर पाए। उनसे ऐसी उम्मीदें थीं कि रजत भी हार जैसा लग रहा था।
मुक्केबाजों ने निराश किया, अमन ने कुश्ती अभियान को बचाया :
कोई भी मुक्केबाज पदक दौर में नहीं पहुंच सका लेकिन निशांत देव की हार सबसे ज्यादा खलेगी। एक अन्य दावेदार निकहत जरीन भी रो पड़ीं। हालांकि पहलवान अमन सेहरावत ने सुनिश्चित किया कि कुश्ती से पदक मिले। टीम में शामिल एकमात्र भारतीय पुरुष पहलवान उम्मीदों पर खरा उतरा। 57 किग्रा वर्ग में रवि दहिया की जगह लेने के पीछे भी कुछ कारण था और उन्होंने इसे साबित भी किया। कुश्ती ने लगातार पांचवें ओलंपिक में पदक जीता।
सबसे निराशाजनक प्रदर्शन अंतिम पंघाल और अंशु मलिक का रहा। उनकी फिटनेस हमेशा संदेह के घेरे में रही।
भविष्य की उम्मीद :
टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला ने पहली बार व्यक्तिगत स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाकर उम्मीदों से बढ़कर प्रदर्शन किया। लक्ष्य सेन भले ही बैडमिंटन में कांस्य पदक से चूक गए हों और पहलवान रीतिका हुड्डा पदक दौर में नहीं पहुंच पाईं लेकिन उन्होंने दिखाया कि उनमें बड़े मंच पर बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है। - पेरिस। भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को ओलंपिक आंदोलन में उनके ‘विशिष्ट योगदान' के लिए प्रतिष्ठित ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया गया। बीजिंग 2008 ओलंपिक खेलों में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में शीर्ष स्थान हासिल करके भारत के पहले ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बने बिंद्रा को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के 142वें सत्र के दौरान यह सम्मान प्रदान किया गया। बिंद्रा ने कहा, ‘‘जब मैं छोटा था तो ये ओलंपिक रिंग्स ही थे, जिन्होंने मेरे जीवन को अर्थ दिया।''उन्होंने कहा, ‘‘और दो दशक से अधिक समय तक अपने ओलंपिक सपने को पूरा करने में सक्षम होना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। खिलाड़ी के तौर पर अपने करियर के बाद, ओलंपिक आंदोलन में योगदान देने की कोशिश करना मेरे लिए बहुत बड़ा जुनून रहा है। यह मेरे लिए सौभाग्य और सम्मान की बात है।'' आईओसी खिलाड़ी आयोग के उपाध्यक्ष 41 वर्षीय बिंद्रा ने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें और भी अधिक मेहनत करने और ओलंपिक आंदोलन में योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा। वर्ष 1975 में स्थापित ओलंपिक ऑर्डर ओलंपिक आंदोलन का सर्वोच्च पुरस्कार है। यह ओलंपिक आंदोलन में विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। बिंद्रा ने सिडनी 2000 से पांच ओलंपिक में हिस्सा लिया। उन्होंने पहली बार एथेंस 2004 में अपनी छाप छोड़ी जब उन्होंने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल में जगह बनाई। बीजिंग 2008 में उन्होंने चीन के गत चैंपियन झू किनान को हराकर स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने रियो 2016 में भी फाइनल में जगह बनाई लेकिन चौथे स्थान पर रहे। बिंद्रा 2018 से आईओसी खिलाड़ी आयोग का हिस्सा हैं।
- पेरिस। लगभग दो दशक तक भारतीय गोल पोस्ट के सामने दीवार की तरह खड़े रहने के बाद दूसरे ओलंपिक कांस्य पदक के साथ हाल ही में संन्यास लेने वाले गोलकीपर पीआर श्रीजेश का मानना है कि भारतीय हॉकी में उनका उपयुक्त विकल्प खोजने के लिए काफी प्रतिभा मौजूद है। पेरिस ओलंपिक में 36 वर्षीय श्रीजेश ने शानदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक के मैच में भारत की स्पेन के खिलाफ 2-1 की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।दिग्गज गोलकीपर श्रीजेश ने कहा, ‘‘कोई खालीपन नहीं होगा। मेरी जगह कोई और आएगा। सभी खेलों में ऐसा ही होता है। सचिन तेंदुलकर थे और अब विराट कोहली हैं और कल कोई और उनकी जगह लेगा। इसलिए श्रीजेश कल थे लेकिन कल कोई और आएगा और उनकी जगह लेगा।'' श्रीजेश को भारतीय जूनियर टीम में मार्गदर्शक (मेंटर) की भूमिका निभाने का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों में उनका जीवन हॉकी के इर्द-गिर्द घूमता रहा है और अब जब वह संन्यास ले चुके हैं तो उन्हें नहीं पता कि वे क्या करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘यह जीवन की कमी खलना जैसे है। मैं हॉकी के अलावा कुछ नहीं जानता। 2002 में जब मैं पहले दिन शिविर में गया था, तब से लेकर अब तक मैं उनके साथ रहा हूं।'' श्रीजेश ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि मुझे किन चीजों की कमी खलेगी, शायद जब मैं घर पहुंचू तो मुझे पता चले। सुबह से ही मैं उनके साथ बाहर रहता हूं - ट्रेनिंग, जिम, मैदान पर - हमेशा एक मजेदार माहौल होता है। उत्साहवर्धक बातचीत, टीम बैठक, आपको उन पर चिल्लाना पड़ता है, यहां तक कि उन्हें बुरा-भला भी कहना पड़ता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘जीत के बाद जश्न मनाना या हार के बाद साथ में रोना, यह मेरी जिंदगी रही है। शायद हम नहीं जानते कि इससे बाहर रहना कैसा होता है।'' भारत ने यहां अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अंतिम आठ के मुकाबले में किया जब टीम ने दूसरे क्वार्टर में 10 खिलाड़ियों तक सिमट जाने के बावजूद ब्रिटेन को पेनल्टी में 4-2 से हराया। हालांकि टीम सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन और अंततः रजत पदक जीतने वाले जर्मनी से 2-3 से हार गई और उसे कांस्य पदक के लिए खेलना पड़ा। श्रीजेश ने कहा, ‘‘हां, सेमीफाइनल में जर्मनी से हारना थोड़ा निराशाजनक था, लेकिन हम कम से कम पदक लेकर लौट रहे हैं, जो बड़ी बात है।'' श्रीजेश ने कहा कि हॉकी इंडिया द्वारा जूनियर राष्ट्रीय कोच की नौकरी की पेशकश करने से पहले वह अपने परिवार से बात करेंगे। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की और महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा है कि श्रीजेश जूनियर इंडिया टीम के कोच बनने के लिए तैयार हैं। श्रीजेश ने कहा, ‘‘मुझे अभी प्रस्ताव मिला है। मैंने भोला सर से बात की है। अब बस घर वापस जाने, अपने परिवार से बात करने और कोई फैसला लेने का समय आ गया है।''
- सेंट लुई (अमेरिका)। भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा यहां शुरू हो रहे सेंट लुई रेपिड एवं ब्लिट्ज शतरंज टूर्नामेंट में एक बार फिर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से भिड़ेंगे। हाल के टूर्नामेंट में प्रदर्शन में थोड़ी गिरावट के बावजूद प्रज्ञानानंदा ग्रैंड शतरंज टूर की अंतिम तालिका में पोडियम पर जगह बनाना चाहेंगे। इससे उन्हें बोनस नकद पुरस्कार राशि भी मिलेगी। अब तक के समग्र टूर परिणामों में तीसरे स्थान पर चल रहे प्रज्ञानानंदा के पास अपनी स्थिति सुधारने के लिए लगातार दो टूर्नामेंट हैं। वह रेपिड एवं ब्लिट्ज टूर्नामेंट के तुरंत बाद वह सिंकफील्ड कप में हिस्सा लेंगे जहां उनके साथ हमवतन और विश्व चैंपियनशिप के चैलेंजर डी गुकेश भी चुनौती पेश करेंगे। रोमानिया के बुखारेस्ट और क्रोएशिया के जाग्रेब में दो लगातार जीत के साथ पिछले साल के टूर विजेता अमेरिका के फैबियानो करुआना 22.25 अंक के साथ शीर्ष पर हैं। फ्रांस के अलीरेजा फिरोजा 17.58 अंक के साथ दूसरे जबकि प्रज्ञानानंदा 16.25 अंक के साथ तीसरे पायदान पर हैं। गुकेश भी उनसे बहुत पीछे नहीं हैं। वह 14.25 अंक जुटाकर चौथे स्थान पर हैं लेकिन उनके लिए समस्या यह है कि उनके पास केवल एक ही प्रतियोगिता बची है जबकि शीर्ष तीन खिलाड़ी सभी चार प्रतियोगिताओं में खेलेंगे। यहां रेपिड एवं ब्लिट्ज टूर्नामेंट में रूस के इयान नेपोमनियाची, फ्रांस के मैक्सिम वाचियेर-लाग्रेव, उज्बेकिस्तान के नोदिरबेक अब्दुसत्तारोव और अमेरिका के वेस्ली सो जैसे खिलाड़ी एक बार फिर नजर आएंगे। अन्य तीन प्रतिभागी वाइल्ड कार्ड धारक हैं जिनमें लेवोन अरोनियन, हिकारू नाकामुरा और लेनियर डोमिन्गुएज की अमेरिकी तिकड़ी शामिल है। इस टूर्नामेंट में इन 10 खिलाड़ियों के बीच नौ रेपिड और 18 ब्लिट्ज बाजियां होंगी। रेपिड में प्रत्येक जीत पर दो अंक जबकि ड्रॉ होने पर एक अंक मिलता है। ब्लिट्ज में जीत के लिए एक अंक और प्रत्येक ड्रॉ के लिए आधा अंक दिया जाएगा।
- नयी दिल्ली। स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को उम्मीद है कि पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद वह जल्द ही भारत में अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते दिखेंगे। नीरज ने पेरिस में 89.45 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता जबकि पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर तक भाला फेंककर ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स 88.54 मीटर के थ्रो से तीसरे स्थान पर रहे। स्पर्धा में जूलियन वेबर, याकूब वाडलेच और जूलियस येगो जैसे कुछ शीर्ष खिलाड़ी भी प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। नीरज ने ‘ओलंपिक.कॉम' द्वारा प्रशंसकों के साथ आयोजित एक बातचीत सत्र के दौरान कहा, ‘‘भारत में अन्य अंतरराष्ट्रीय सितारों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मेरा सपना है। उम्मीद है कि भारत में जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता होगी और मैं ऐसा कर पाऊंगा।'' तोक्यो में स्वर्ण के बाद पेरिस में रजत पदक के साथ लगातार दूसरा ओलंपिक पदक जीतने वाले नीरज ने कहा कि वह अपने खेल के कुछ क्षेत्रों पर काम करना चाहते हैं उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब एक नए सत्र में प्रवेश कर रहा हूं इसलिए मेरे पास ट्रेनिंग विधियों या तकनीक को बदलने के लिए इतना समय नहीं है। लेकिन मुझे कुछ क्षेत्रों में सुधार करने की उम्मीद है, खासकर भाला फेंकने की लाइन में।'' नीरज ने कहा, ‘‘भाला फेंकने का सही कोण ताकि मुझे अपने थ्रो में अधिक शक्ति मिले। मैं निश्चित रूप से इस पर काम करूंगा।'' इस भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि पेरिस खेलों में शारीरिक रूप से सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं होने के बावजूद वह फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘‘शरीर काफी अच्छी स्थिति में नहीं था। लेकिन जब अरशद ने वह थ्रो किया...मैं अपना सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाया क्योंकि मेरे दिमाग में यह विचार था कि मुझे सर्वश्रेष्ठ थ्रो करना है क्योंकि प्रतिस्पर्धा पहले से ही बहुत कठिन हो गई थी।''नीरज और नदीम की माताएं एक-दूसरे के बेटे पर स्नेह बरसाकर सोशल मीडिया पर छा गईं। नीरज ने कहा कि उनकी मां हमेशा अपने दिल से बात करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां...वह अपनी शादी से पहले और बाद में हमेशा एक गांव में रहीं। वह सोशल मीडिया और इस तरह की चीजों से परिचित नहीं हैं। वह अक्सर अपने दिल से बात करती हैं। लेकिन वह समझती हैं कि खिलाड़ियों के परिवार, यहां तक कि अलग-अलग देशों के लोग भी उनके प्रति क्या महसूस करते हैं।'' नीरज ने तोक्यो खेलों में निराशा का सामना करने के बाद पेरिस खेलों में दो कांस्य पदक जीतकर दृढ़ता दिखाने के लिए निशानेबाज मनु भाकर की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से मनु भाकर ने अपने दिमाग को तैयार किया और तोक्यो में मिली असफलता से उबरी, वह प्रभावशाली है। लगातार दो प्रतियोगिताओं में भाग लेने के दौरान उनकी मानसिकता इस बार बहुत मजबूत दिखी। मुझे लगता है कि यह उनके लिए सिर्फ एक शुरुआत है क्योंकि मैंने देखा कि 50 से अधिक उम्र के लोग भी निशानेबाजी में भाग ले रहे थे।'' नीरज ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि मनु और भी कई प्रतियोगिताओं में खेलेगी, देश के लिए और भी कई पदक लाएगी और पदक का रंग भी बदलेगी।'' इस 26 वर्षीय खिलाड़ी ने भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश की भी प्रशंसा की जिन्होंने पेरिस में कांस्य पदक के साथ अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया। नीरज ने कहा, ‘‘श्रीजेश बहुत ही शांत और मजाकिया व्यक्ति हैं। वह युवा खिलाड़ियों को बहुत प्रेरित करते हैं। श्रीजेश भाई ने कहा था कि वह ओलंपिक के बाद संन्यास ले लेंगे। मुझे लगता है कि खिलाड़ियों को भी लगा कि टीम के लिए इतने सारे बेहतरीन काम करने के बाद उन्हें श्रीजेश भाई के लिए जीत दर्ज करनी चाहिए।'' नीरज ने कहा कि दबाव की स्थितियों से निपटने में श्रीजेश एक बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास इतने वर्षों का अनुभव है और वह जानते हैं कि दबाव की स्थितियों से कैसे निपटना है। जब मैं कांस्य पदक मैच से पहले उनसे मिला था तो वह तैयार लग रहे थे।''
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मुंबई।पू र्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने अतीत की यादों को ताजा करते हुए शनिवार को यहां कहा कि स्पिनरों की मददगार पिच पर अरशद अयूब और वेंकटपति राजू जैसे काबिल गेंदबाजों के खिलाफ तेंदुलकर की बल्लेबाजी को देखकर वह उनके उज्ज्वल भविष्य को लेकर आश्वस्त हो गये थे। भारत और मुंबई के लिए तेंदुलकर के साथ खेलने वाले वेंगसरकर ने हैदराबाद के खिलाफ अपने जूनियर साथी के साथ की गई लंबी साझेदारी को याद करते हुए कहा, ‘‘मुझे याद है, हम हैदराबाद के खिलाफ स्पिनरों की मददगार पिच पर खेल रहे थे। अरशद अयूब और वेंकटपति राजू गेंदबाजी कर रहे थे. वे बहुत अच्छे गेंदबाज थे। उनके खिलाफ मेरी और सचिन की साझेदारी लंबी रही थी।'' वेंगसरकर ने ‘फैब फाइव द पांडवाज ऑफ इंडियाज बैटिंग' पुस्तक के विमोचन के दौरान कहा कि इस साझेदारी ने उन्हें तेंदुलकर के भविष्य की झलक दिखा दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘वह स्पिनरों की मददगार पिच पर बहुत अच्छा खेल रहा था। मैं समझ गया था कि वह पूरी दुनिया में अच्छा करेगा और वही हुआ।'' वेंगसरकर ने इस मौके पर मुंबई और हरियाणा के बीच 1991 में खेले गए रणजी ट्रॉफी के यादगार फाइनल मैच को याद किया। कपिल देव की अगुवाई वाली हरियाणा ने इस मैच में मुंबई को दो रन से हराया था। वेंगसरकर ने कहा, ‘‘ हरियाणा के खिलाफ हमने 1991 में रणजी ट्रॉफी फाइनल खेला था। जीत के लिए 355 रन का पीछा करते हुए हमने 22 (वास्तविक स्कोर 34 रन) रन पर तीन विकेट गंवा दिए थे। उस पारी में उन्होंने जिस तरह से बल्लेबाजी की वह शानदार थी।अगर वह कुछ ओवर और रुकते तो हम मैच जीत सकते थे।'' इस मैच में वेंगसरकर ने 139 जबकि तेंदुलकर ने 96 रन का योगदान दिया था।
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छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश सरकार ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली पर्वतारोही भावना देहरिया मिश्रा और उनकी बेटी सिद्धि मिश्रा को शनिवार को 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया। यह घोषणा राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा यहां पीएम (पीजी) कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में आयोजित एक कार्यक्रम में की गई, जिसमें छिंदवाड़ा के सांसद विवेक बंटी साहू, जिलाधिकारी शीलेंद्र सिंह और महापौर विक्रम अहाके शामिल हुए। साहू ने कहा, "भावना मिश्रा और सिद्धि की उपलब्धियां इस बात का सबूत हैं कि अगर सही अवसर प्रदान किए जाएं तो हमारी बेटियां क्या कर सकती हैं। ब्रांड एंबेसडर के रूप में उनकी नियुक्ति से पूरे देश में लड़कियों की शिक्षा और लैंगिक समानता का संदेश फैलाने में मदद मिलेगी।" महापौर अहाके ने कहा कि नियुक्ति से छिंदवाड़ा का गौरव बढ़ा है और इससे युवाओं को उच्च लक्ष्य निर्धारित करने तथा सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने की प्रेरणा मिलेगी। जिलाधिकारी सिंह ने इस अवसर पर कहा कि मां और बेटी इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से क्या हासिल किया जा सकता है तथा ब्रांड एंबेसडर के रूप में उनकी भूमिका अधिक परिवारों को अपनी बेटियों के सपनों का समर्थन करने और उनका पालन-पोषण करने के लिए प्रेरित करेंगी। महिला एवं बाल विकास की जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मोनिका बिसेन ने कहा, "भावना देहरिया और उनकी बेटी सिद्धि मिश्रा का 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में चयन दृढ़ संकल्प और उपलब्धि की भावना का प्रतीक है। उनकी प्रेरक यात्रा अनगिनत लड़कियों और महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने तथा बाधाओं को दूर करने के लिए प्रेरित करेगी।" भावना की बेटी सिद्धि मिश्रा, जिनका जन्म सात अप्रैल, 2021 को हुआ, अपनी मां के साथ एवरेस्ट आधार शिविर (ईबीसी) तक पहुंचने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हैं। उस समय सिद्धि दो साल की थी। नेपाल में यह शिविर समुद्र तल से 5,364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस अभियान के दौरान मां-बेटी की जोड़ी ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का संदेश फैलाया था। भावना देहरिया मिश्रा ने 22 मई, 2019 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी।
- पेरिस। खेल पंचाट (कैस) का तदर्थ प्रभाग ओलंपिक महिला 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल मुकाबले से पहले अयोग्य करार दी गईं भारतीय पहलवान विनेश फोगाट की अपील पर विचार करने पर अभी कुछ और समय लेगा और इस मामले पर फैसला अब 13 अगस्त को सुनाया जाएगा। मामले की सुनवाई शुक्रवार को समाप्त हुई जिसमें कैस ने विनेश की अपील स्वीकार कर ली थी। विनेश ने फाइनल मुकाबले की सुबह 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य ठहराये जाने के खिलाफ अपील की थी। इस अपील पर फैसला पहले रविवार शाम सुनाया जाना था। भारतीय ओलंपिक संघ ने पहले कहा था कि फैसला रविवार को आएगा, लेकिन फिर उसने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि परिणाम 13 अगस्त को ही पता चलेगा। आईओए के बयान में कहा गया, ‘‘सीएएस के तदर्थ प्रभाग ने विनेश फोगाट बनाम यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति मामले में एकमात्र मध्यस्थ माननीय डॉ. एनाबेले बेनेट को 13 अगस्त 2024 को शाम छह बजे तक फैसला देने का समय दिया है।'' इसमें कहा गया है, ‘‘मेरे द्वारा भेजे गए पिछले संचार में 11 अगस्त का संदर्भ सभी पक्षों को एकमात्र मध्यस्थ के समक्ष कोई भी अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए दिए गए समय से संबंधित था।'' संस्था ने ‘‘भ्रम और असुविधा'' के लिए माफी मांगी।पेरिस ओलंपिक का समापन समारोह 11 अगस्त को है ।विनेश की जगह फाइनल में क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुजमान लोपेज उतरीं, जो सेमीफाइनल में उनसे हार गई थीं। भारतीय पहलवान ने अपनी अपील में लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक दिये जाने की मांग की है क्योंकि मंगलवार को अपने मुकाबलों के दौरान उनका वजन निर्धारित सीमा के अंदर था।
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नयी दिल्ली. दबाव में गोल खाने से लेकर मानसिक तौर पर मजबूत होने तक भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने एक लंबा सफर तय किया है और कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस ओलंपिक में लगातार कांस्य पदक जीतने के दौरान अपने खिलाड़ियों के संयम का श्रेय मानसिक अनुकूलन कोच पैडी अपटन और स्विट्जरलैंड के ‘एंडवेंचर' माइक हॉर्न के साथ तीन दिवसीय ‘बूट शिविर' को दिया। हरमनप्रीत ने शनिवार को देश लौटने के बाद कहा, ‘‘हां, निश्चित रूप से इस टीम की मानसिक दृढ़ता पूरी तरह से अलग है। हम एकजुट हैं और मुश्किल परिस्थितियों में हमने एक-दूसरे का समर्थन किया और एक-दूसरे को प्रेरित किया। '' उन्होंने कहा, ‘‘पहले मैच से लेकर आखिरी मैच तक हम एक इकाई के तौर पर खेले और स्वर्ण पदक की कोशिश में एक-दूसरे का समर्थन किया। निश्चित रूप से पैडी अपटन की इसमें बड़ी भूमिका है। ओलंपिक से पहले माइक हॉर्न के साथ तीन दिवसीय शिविर ने भी हमारे रिश्ते को और मजबूत बनाया इसलिए मानसिक रूप से हम अच्छी स्थिति में थे। '' 2011 विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के साथ भी काम कर चुके अपटन पिछले साल जून में हॉकी टीम से जुड़े थे। पेरिस जाने से पहले हॉर्न के साथ शिविर लगाने का विचार उनका था। स्विटजरलैंड में तीन दिवसीय शिविर में ग्लेशियर पर चलना, साइकिल चलाना, चढ़ाई करना और झरने से नीचे उतरना जैसी गतिविधियां शामिल थीं। हरमनप्रीत ने कहा कि जब टीम ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में नर्वस परिस्थितियों का सामना कर रही थी तो यह मददगार साबित हुआ। इस मैच में अमित रोहिदास को रेड-कार्ड दिए जाने के बाद टीम 40 मिनट से अधिक समय तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेली थी। टीम ने ब्रिटेन को निर्धारित समय में 1-1 से बराबरी पर ही नहीं रोका बल्कि स्टार गोलकीपर पी आर श्रीजेश के शानदार प्रदर्शन की बदौलत शूटआउट में भी जीत दर्ज की। यह उस टीम के लिए एक शानदार परिणाम था, जिसकी छवि अंतिम अवसर पर गोल खाने की थी। हरमनप्रीत और उनके खिलाड़ियों ने पेरिस में शानदार प्रदर्शन करके अपनी छवि को पूरी तरह से बदल दिया और श्रीजेश को इसका श्रेय दिया जा सकता है जिन्होंने भारत का पेरिस अभियान खत्म होने के बाद संन्यास ले लिया। हरमनप्रीत चाहते हैं कि यह अनुभवी गोलकीपर कुछ और समय तक खेलता रहे लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपने करीबी दोस्त की ओलंपिक पदक के साथ संन्यास लेने की इच्छा को समझते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘श्रीजेश और मैं भाई की तरह हैं, हम लंबे समय से साथ-साथ खेलते आए हैं। हां, मैं चाहता हूं कि वह कुछ और साल खेलना जारी रखे, लेकिन आखिरकार यह पूरी तरह से उसका निजी फैसला है और हमें उसका समर्थन करना चाहिए। '' उन्होंने कहा, ‘‘वह एक महान खिलाड़ी हैं और भारतीय हॉकी को तभी फायदा होगा जब वह कोच के तौर पर भारतीय जूनियर टीम से जुड़ें।
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पेरिस. भारतीय पहलवान रीतिका हुड्डा को पेरिस ओलंपिक महिला कुश्ती के 76 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में किर्गिस्तान की एइपेरी मेतेट के खिलाफ बराबरी के बाद आखिरी अंक गंवाने के कारण हार का सामना करना पड़ा। अपना पहला ओलंपिक खेल रही 21 साल की रीतिका ने शीर्ष वरीयता प्राप्त पहलवान को कड़ी टक्कर दी और शुरुआती पीरियड में एक अंक की बढ़त बनाने में सफल रही। दूसरे पीरियड में रीतिका ने कड़ी टक्कर देने के बावजूद ‘पैसिविटी (अति रक्षात्मक रवैया) ' के कारण एक अंक गंवाया जो इस मैच का आखिरी अंक साबित हुआ। नियमों के अनुसार मुकाबला बराबर रहने पर आखिरी अंक बनाने वाले खिलाड़ी को विजेता घोषित किया जाता है।
किर्गिस्तान की पहलवान अगर फाइनल में पहुंचती है तो रीतिका के पास रेपेचेज से कांस्य पदक हासिल करने का मौका होगा। इस भारवर्ग में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की पहली पहलवान रीतिका ने इससे पहले तकनीकी श्रेष्ठता से जीत के साथ क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल में हंगरी की बर्नाडेट नैगी को 12-2 से तकनीकी श्रेष्ठता से हराया। रीतिका पहले पीरियड में 4-0 से आगे थी लेकिन उन्होंने दूसरे पीरियड में शानदार प्रदर्शन कर आठवीं वरीयता प्राप्त पहलवान को ज्यादा मौके नहीं दिये। रीतिका ने रक्षात्मक खेल के साथ शुरुआत की और हंगरी की पहलवान के आक्रमण को शानदार तरीके से रोकने में सफल रही। रीतिका को इसके बाद पैसिविटी के कारण रेफरी ने चेतावनी दी और इस पहलवान के पास अगले 30 सेकंड में अंक बनाने की चुनौती थी। बर्नाडेट ने रीतिका के पैर पर आक्रमण किया लेकिन भारतीय पहलवान ने ‘फ्लिप'कर शानदार बचाव के बाद पलटवार के साथ दो बार दो अंक हासिल करने में सफल रही। शुरूआती पीरियड में 0-4 से पिछड़ने वाली हंगरी की पहलवान ने दो अंक हासिल कर वापसी की लेकिन रीतिका ने इसके बाद उन्हें कोई मौका नहीं दिया। रीतिका ने प्रतिद्वंद्वी को टेकडाउन कर दो अंक हासिल करने के बाद लगातार तीन बार अपने दांव पर दो-दो अंक हासिल किए जिससे रेफरी को 29 सेकंड पहले ही मैच को रोकना पड़ा। -
पेरिस. भाला फेंक सुपरस्टार नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम मैदान पर अपनी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और मैदान के बाहर पक्की दोस्ती से भारत और पाकिस्तान के युवाओं को प्रेरित करने और इस खेल से जोड़ने के अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए तैयार हैं। नदीम ने पेरिस ओलंपिक की पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में 92.97 मीटर के शानदार थ्रो से ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता जबकि अपने खिताब का बचाव कर रहे चोपड़ा ने 89.45 मीटर के सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रयास से रजत पदक जीता। चोपड़ा से जब पूछा गया कि क्या दोनों की सफलता से भारत और पाकिस्तान दोनों में एथलेटिक्स लोकप्रिय होगी तो उन्होंने कहा, ‘‘यह पहले से ही बहुत बढ़ चुकी है। हम पहले से ही भारत में अधिक प्रतिभाशाली भाला फेंक एथलीट देख रहे हैं। पाकिस्तान में भी यही हो रहा है। '' चोपड़ा ने ‘जियो सिनेमा' से कहा, ‘‘जब हम एशियाई खेलों में गये। अरशद घुटने की चोट के कारण प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके तो उनकी जगह खेलने आए यासिर सुल्तान ने बहुत अच्छे थ्रो फेंके। अरशद का पदक और अधिक बच्चों को प्रेरित करेगा जो बहुत बढ़िया है। '' चोपड़ा पिछले साल चीन के हांग्झोउ में हुए एशियाड का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। यह पूछने पर कि क्या भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता क्रिकेट से हटकर भाला फेंक में बदल जायेगी तो इस पर चोपड़ा ने कहा, ‘‘यह तभी संभव होगा जब हमारे पास क्रिकेट की तरह काफी प्रतियोगितायें हों। हमारे पास दो बड़ी प्रतियोगितायें हैं। चार साल में ओलंपिक और दो साल में विश्व चैंपियनशिप। '' पानीपत के पास खंडरा गांव के 26 वर्षीय चोपड़ा ने कहा, ‘‘अगर अधिक प्रतियोगितायें होती तो ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देखेंगे जैसे डायमंड लीग और कुछ अन्य प्रतियोगिताओं को देखते हैं। '' 27 वर्षीय नदीम ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं। भाग लेने वाले सैकड़ों देशों में से पाकिस्तान और भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया। नीरज ने बुडापेस्ट में (2023) विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और यह मेरे लिए एक सुनहरा पल है। '' नदीम ने कहा, ‘‘हमारी दोस्ती बहुत मजबूत है और मैं चाहता हूं कि यह लंबे समय तक जारी रहे। ''
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने स्वर्ण पदक वाले ओलंपिक रिकॉर्ड थ्रो की क्लिप कितनी बार देखी है तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इसे कई बार देखा और मुझे लगता है कि मैं इससे भी बेहतर कर सकता हूं। मुझे उम्मीद है कि एक दिन मैं अपनी इस क्षमता का प्रदर्शन कर पाऊंगा। '' -
नई दिल्ली। भारत की स्वर्ण पदक की सबसे बड़ी उम्मीद और पिछले चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक की भालाफेंक स्पर्धा में 89.45 के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ रजत पदक जीता। जबकि, पाकिस्तान के अरशद नदीम को स्वर्ण पदक( मिला । नीरज का दूसरा थ्रो ही उनका एकमात्र वैध थ्रो रहा जिसमें उन्होंने 89 . 45 मीटर फेंका। इसके अलावा उनके पांचों प्रयास फाउल रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलंपिक 2024 में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में नीरज चोपड़ा को रजत पदक जीतने पर बधाई दी।प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा- , "नीरज चोपड़ा उत्कृष्टता के साक्षात उदाहरण हैं! उन्होंने बार-बार अपनी प्रतिभा दिखाई है। भारत को खुशी है कि वह एक बार फिर ओलंपिक में सफल रहे हैं। रजत पदक जीतने पर उन्हें बधाई। वह आने वाले अनगिनत एथलीटों को अपने सपनों को पूरा करने और हमारे देश को गौरवान्वित करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।" - चंडीगढ़। भारतीय हॉकी टीम ने गुरुवार को स्पेन को 2-1 से मात देकर पेरिस ओलंपिक्स 2024 में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह ने इतिहास रचने वाली भारतीय टीम को बधाई दी है।भगवंत सिंह ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों ने कांस्य पदक के लिए हुए मैच के दौरान शानदार खेल का प्रदर्शन कर स्पेन को 2-1 से हराकर पूरे देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रतिष्ठित मैच में भारतीय हॉकी खिलाड़ियों ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए अपनी टीम को जीत की ओर अग्रसर किया। टीम में कप्तान हरमनप्रीत सिंह और वाइस-कप्तान सहित 10 खिलाड़ी पंजाब के हैं, जिन्होंने ओलंपिक खेलों में शानदार हॉकी खेली। हरमनप्रीत सिंह ने 10 गोल किए। इन खिलाड़ियों को राज्य सरकार की नीति के अनुसार एक-एक करोड़ रुपए के नकद इनाम से नवाजा जाएगा।
- पेरिस,। भारतीय हॉकी टीम के कोच क्रेग फुल्टोन ने कांस्य पदक से अधिक की उम्मीद की थी लेकिन उन्हें खुशी है कि ‘अंडरडॉग' भारतीय टीम ने निराशा से उबरकर पदक जीता । भारत ने स्पेन को 2 . 1 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया । फुल्टोन ने कहा ,‘‘ हम इससे खुश नहीं है । हम पदक का बेहतर रंग चाहते थे लेकिन नहीं हुआ । लेकिन उसके बाद यही कर सकते थे कि पदक जीतकर ही लौटें ।'' उन्होंने कहा ,‘‘ सबसे बड़ी बात यह है कि हम एक टीम बने और वह भी बहुत कम समय में । हमें विश्वास की जरूरत थी जो सबसे अहम है । हमने एशियाई खेलों से शुरूआत की हालांकि आस्ट्रेलिया में और प्रो लीग में कठिन समय भी देखा।'' उन्होंने कहा ,‘‘ हमें पता था कि हम पदक जीत सकते हैं । हम यहां अंडरडॉग की तरह आये थे । किसी ने सोचा नहीं था कि हम सेमीफाइनल में होंगे ।
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पेरिस । भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद कहा कि सपना स्वर्ण का था लेकिन लगातार दूसरे ओलंपिक में कांस्य जीतकर इस टीम ने साबित कर दिया है कि यह दुनिया में किसी भी टीम को हरा सकती है । पेरिस ओलंपिक में दस गोल करने वाले हरमनप्रीत ने कहा ,‘‘ सबसे अहम बात है कि हमने लगातार दो ओलंपिक पदक जीते जो साबित करते हैं कि भारतीय हॉकी का ग्राफ ऊपर जा रहा है । हम किसी भी टीम को हरा सकते हैं । यह देश के लिये और हमारे लिये बड़ी बात है ।'' उन्होंने कहा ,‘‘ इस मुकाम पर इंतजार लंबा होता है । एक हॉकी खिलाड़ी के लिये यह आसान नहीं होता । हमें खुशी है कि हम एक टीम की तरह खेले और एक दूसरे पर भरोसा रखा । कोचों को भी धन्यवाद ।'' उन्होंने कहा ,‘‘ हमारा सपना स्वर्ण पदक जीतने का था और सभी को भरोसा था कि हम जीतेंगे । मैं माफी मांगना चाहता हूं क्योंकि हम करीब से चूक गए लेकिन यह पदक भी हमारे लिये सब कुछ है ।''
- नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और खेल जगत के दिग्गजों ने गुरुवार को पेरिस ओलंपिक में लगातार दूसरा कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम को बधाई दी। राष्ट्रपति मुर्मू ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर हमारी हॉकी टीम को हार्दिक बधाई। पांच दशक से भी अधिक समय के बाद भारत ने लगातार दो ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता है। ’’भारतीय हॉकी टीम ने प्लेऑफ में स्पेन को 2 . 1 से हराकर पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया । भारत ने 50 साल बाद ओलंपिक में लगातार दूसरी बार पदक जीता । इसके साथ ही ओलंपिक में आठ बार की चैम्पियन भारतीय हॉकी टीम का यह 13वां पदक है ।उन्होंने लिखा, ‘‘भारतीय हॉकी के पुनरुत्थान के लिए टीम प्रशंसा की पात्र है। उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया है। इस टीम द्वारा दिखाई गई निरंतरता, कौशल, एकजुटता और लड़ने की भावना हमारे युवाओं को प्रेरित करेगी। ‘वेल डन’ भारतीय हॉकी टीम। ’’ मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘एक ऐसी उपलब्धि जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी। ’’ उन्होंने लिखा, ‘‘भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। यह और भी खास है क्योंकि यह ओलंपिक में उनका लगातार दूसरा पदक है। ’’उन्होंने खिलाड़ियों के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘उनकी सफलता कौशल, दृढ़ता और टीम भावना की जीत है। उन्होंने बहुत हिम्मत और लचीलापन दिखाया। खिलाड़ियों को बधाई। हर भारतीय का हॉकी से भावनात्मक जुड़ाव है और यह उपलब्धि हमारे देश के युवाओं के बीच इस खेल को और भी लोकप्रिय बनाएगी। ’’भारत के लिये कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने 30वें और 33वें मिनट में गोल दागा । वहीं स्पेन के लिये मार्क मिरालेस ने 18वें मिनट में गोल किया ।इस जीत के साथ ही भारतीय हॉकी के अनुभवी गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया । गृहमंत्री अमित शाह ने लिखा, ‘‘क्या शानदार प्रदर्शन। पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर हमारी पुरुष हॉकी टीम को बहुत-बहुत बधाई। आपका दमदार प्रदर्शन और बेहतरीन खेल भावना खेल के लिए एक नया जोश जगाएगी। आपकी उपलब्धि ने देश का गौरव बढ़ाया है। ’’देश के लिए व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने इस जीत को बेमिसाल बताया, जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।2008 बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारतीय पुरुष हॉकी टीम, हर कदम पर साहस के साथ, आपने कांस्य पदक जीता जो सोने की चमक से दमक रहा है। आप भी ने गर्व के साथ तिरंगा फहराया, हमें एक ऐसा पल देने के लिए आप सभी का धन्यवाद जो पीढ़ियों तक हमारे दिलों में गूंजता रहेगा। ’’ खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह जीत भारतीय खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता का सबूत है। उन्होंने कहा, ‘‘आपके असाधारएा प्रदर्शन और ‘टीम वर्क’ ने भारतीय खेलों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाया। यह जीत देश के लिए गर्व का पल है और आपकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। ’’भारत के 1975 हॉकी विश्व कप विजेता कप्तान रहे अजितपाल सिंह ने कहा ,‘‘ इन खेलों में भारतीय टीम ने जो एकजुटता और जुझारूपन दिखाया, वह काबिले तारीफ है । स्वर्ण पदक जीतना सपना सच होने जैसा होता लेकिन इस प्रदर्शन से भी युवाओं को हॉकी खेलने की प्रेरणा मिलेगी।’’ पूर्व कप्तान जफर इकबाल ने कहा ,‘‘ इस टीम की मानसिक दृढता अलग ही तरह की है । इतनी कठिन प्रतिस्पर्धा में आप जीतें या हारें लेकिन इस तरह की मानसिक ताकत होनी चाहिये ।’ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया ने 50 साल बाद ओलंपिक में लगातार पदक जीतने को ऐतिहासिक उपलब्धि करार करते हुए लिखा, ‘‘भारत ने 52 साल के लंबे अंतराल के बाद हॉकी में लगातार दो ओलंपिक पदक जीते हैं। ’’ महान क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्य ने इस जीत को शानदार प्रयास बताते हुए कहा, ‘‘लगातार दूसरा ओलंपिक कांस्य पदक जीतने पर भारतीय पुरुष हॉकी टीम को बहुत बधाई। हमारे खिलाड़ियों का शानदार प्रयास। ’’
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नयी दिल्ली. पेरिस ओलम्पिक में 50 किलोग्राम स्पर्धा के फाइनल मुकाबले से पहले पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य करार दिए जाने के बाद फिल्म जगत के कलाकारों ने उनका समर्थन किया है। आलिया भट्ट और करीना कपूर खान तथा अभिनेता फरहान अख्तर जैसे कलाकारों ने उन्हें “जीवंत हस्ती” और “सर्वकालिक चैंपियन” बताते हुए उनकी प्रशंसा की। ओलम्पिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला पहलवान बनकर मंगलवार को इतिहास रचने वाली फोगाट को बुधवार को मुकाबले से पहले 100 ग्राम अधिक वजन पाए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया और इसके साथ ही पदक जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया। खान ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “विनेश फोगाट, जीवंत हस्ती। पेरिस ओलम्पिक 2024।
भट्ट ने फोगाट को पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, कोई भी आपसे आपका वह धैर्य, साहस और परिश्रम नहीं छीन सकता, जिसके दम पर आपने इतिहास रचा। आज आपके साथ-साथ हमारा भी दिल टूटा है, लेकिन आप तो खुद ही सोना हो, फौलाद हो। कोई आपसे यह नहीं छीन सकता। सर्वकालिक चैंपियन! आपके जैसा कोई नहीं।” अख्तर ने कहा कि स्वर्ण पदक तक पहुंचने का विनेश का सफर इस तरह खत्म होने से उनका दिल टूट गया है, लेकिन उन्होंने जो हासिल किया है, उसपर उन्हें बहुत गर्व है। अख्तर ने लिखा, “प्रिय विनेश फोगाट..आपको जो दुख हुआ होगा उसकी कोई केवल कल्पना ही कर सकता है। आपका सफर इस तरह खत्म होने से दिल टूट गया है। लेकिन कृपया यह बात जान लें कि हम सभी को आप पर और आपने खेल के लिए जो किया है, उसपर बहुत गर्व है। आप हमेशा चैंपियन और लाखों लोगों की प्रेरणास्रोत रहेंगी। इसके अलावा अभिनेत्रियों- सना फातिमा शेख, भूमि पेडनेकर और स्वरा भास्कर, फिल्मकार जोया अख्तर, अभिनेत्री एवं भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने भी विनेश को अयोग्य करार दिए जाने पर दु:ख जताया। - पेरिस. मौजूदा चैम्पियन भारत के भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने मंगलवार को यहां पेरिस ओलंपिक में इस सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ फाइनल में क्वालीफाई करने के बाद कहा कि वह अपने पहले प्रयास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की कोशिश करते हैं। चोपड़ा ने ग्रुप बी क्वालीफिकेशन में अपने पहले ही प्रयास में 89.34 मीटर का थ्रो किया जो उनके करियर का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। चोपड़ा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 89.94 मीटर है जो उन्होंने 2022 में हासिल किया था। उन्होंने इस प्रदर्शन के बाद मीडिया से बातचीत को संक्षिप्त रखने की गुजारिश करते हुए कहा, ‘‘मैं पहले प्रयास में अच्छा करने की कोशिश करता हूं लेकिन यह हमेशा कारगर नहीं होता।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बातचीत (मीडिया से) को जितनी जल्दी खत्म करेंगे मुझे विश्राम करने का उतना अधिक समय मिलेगा।'' चोपड़ा ने कहा, ‘‘ऐसा पहले भी हुआ है जब मेरा शुरुआती थ्रो अच्छा नहीं रहा है लेकिन मैं पहले प्रयास में बेहतर करने की कोशिश करता हूं।'' चोपड़ा के प्रदर्शन ने उनकी चोट को लेकर चिंताओं को भी दूर कर दिया। उन्होंने कहा कि वह गुरुवार को फाइनल के लिए अच्छी स्थिति में हैं। इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैं अब बेहतर हूं। मैं फाइनल पर ध्यान केंद्रित करूंगा। मैं इसे ध्यान में रखने और ठीक से अभ्यास करने की कोशिश कर रहा हूं। मैं अब बेहतर महसूस कर रहा हूं। मैं फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगा।'' चोपड़ा ने स्वीकार किया कि फाइनल में चुनौती पूरी तरह से अलग होगी।उन्होंने कहा, ‘‘फाइनल में हर किसी की मानसिकता अलग होती है। हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हमने अच्छी शुरुआत की है और हम फाइनल के लिए जितना बेहतर तैयार होंगे, उतना बेहतर होगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत आश्वस्त हूं और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हूं। मैं फाइनल के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ बचाने की कोशिश कर रहा हूं। मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं और बेहतर तैयारी के साथ आने की कोशिश करूंगा।'' यह पूछे जाने पर कि क्वालीफिकेशन दौर से पहले और बाद में उन्हें कैसा महसूस हुआ, उन्होंने कहा, ‘‘थ्रो से पहले मैंने सोचा था कि अगर मैं इसे पहले प्रयास में कर लेता हूं तो यह बहुत अच्छा होगा। इससे मुझे अभ्यास और आराम करने का अतिरिक्त समय मिल जायेगा। थ्रो के बाद मुझे बहुत अच्छा लगा कि मैं फाइनल के लिए तैयार हूं।'' क्वालीफिकेशन का आयोजन दिन में हुआ था जबकि फाइनल का आयोजन शाम को होगा और उस समय मौसम दिन के मुकाबले ठंडा होगा। चोपड़ा ने कहा, ‘‘यह थोड़ा ठंडा होने वाला है और निश्चित रूप से फाइनल के लिए मानसिकता अलग होगी। यह एक अच्छी और कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी।'' फाइनल में सबसे कड़े प्रतिद्वंद्वी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ जिस ने भी स्वत: क्वालीफाई किया है वह कड़ी चुनौती पेश करेगा।