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लोन होगा सस्ता, महंगाई में भी आएगी गिरावट; SBI रिसर्च ने Repo Rate, CPI और ग्लोबल GDP ग्रोथ पर जताया ये अनुमान

 नई दिल्ली।  भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक आज से शुरू हो गई है। यह बैठक चालू वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की पहली समीक्षा बैठक है। SBI रिसर्च ने अपने ताजा रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि अप्रैल 2025 में केंद्रीय बैंक रीपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। पूरे वित्त वर्ष (FY26) के दौरान ब्याज दरों में 75 से 100 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती संभव है। अगर ऐसा हुआ तो होम लोन (Home Loan), ऑटो लोन (Auto Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) समेत रीपो रेट से लिंक सभी तरह के लोन की ब्याज दरें घटेंगी। इसके अलावा, रिपोर्ट में महंगाई और जीडीपी ग्रोथ में कमी आने का भी अनुमान जताया गया है।

 Repo Rate में 1% कटौती की संभावना

SBI रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अप्रैल 2025 की MPC बैठक में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जाएगी। पूरे चक्र में कुल मिलाकर कम से कम 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है, जिसमें फरवरी और अप्रैल 2025 में लगातार दो बार दरों में कटौती की संभावना है। जून 2025 में एक अंतराल के बाद, दरों में कटौती का दूसरा दौर अगस्त 2025 से शुरू हो सकता है। गौरतलब है कि फरवरी में MPC ने रीपो रेट में 25 bps की कटौती की थी, जो पांच साल में पहली बार हुआ था।

  महंगाई में भी आएगी गिरावट

रिपोर्ट में कहा गया है कि Q4FY25 में खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 3.8% तक आ सकती है और पूरे FY25 में औसतन 4.6% रहने का अनुमान है। इस रुझान के आधार पर, हम उम्मीद करते हैं कि FY26 में महंगाई दर 3.9% से 4.0% के बीच रह सकती है, जबकि कोर महंगाई 4.2% से 4.3% के दायरे में रहने की संभावना है। सितंबर 2025 या अक्टूबर 2025 तक हेडलाइन महंगाई में गिरावट का रुख रहेगा, लेकिन इसके बाद इसमें फिर से बढ़ोतरी हो सकती है।अमेरिका ने कई देशों पर भारत से ज्यादा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए हैं। इससे इन देशों द्वारा भारत में सस्ते सामान की डंपिंग की आशंका बढ़ेगी, जिससे घरेलू महंगाई पर दबाव कम हो सकता है।

ग्लोबल GDP ग्रोथ में रहेगी गिरावट

SBI रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे चलकर कई बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसमें व्यापार पर लगने वाले टैक्स, करेंसी में तेज उतार-चढ़ाव और निवेश का टूटता प्रवाह शामिल है। इन वजहों से दुनिया की GDP ग्रोथ में 30 से 50 बेसिस प्वाइंट तक की गिरावट हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश की संभावित प्रोडक्शन ग्रोथ 7% तक रह सकती है। जबकि एडवांस एस्टीमेट में GDP ग्रोथ 6.3% रहने का अनुमान जताया गया है। सबसे खराब स्थिति में यह 6% तक रह सकती है। तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था अपनी पूरी क्षमता से थोड़ा कम काम कर रही है। ऐसे में आउटपुट गैप -100 से -70 बेसिस प्वाइंट के बीच है।

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