आरबीआई के उपायों से ऋण प्रवाह में सुधार, बैंकों का बहीखाता मजबूत होगाः बैंकर
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुधवार को घोषित मौद्रिक उपायों को दिग्गज बैंकरों ने ऋण प्रवाह को बढ़ाने और बैंकों के बहीखाते को मजबूत करने वाला कदम बताया है। आरबीआई ने रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला किया। इसकी छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से दरों को स्थिर रखने का निर्णय लेने के साथ रुख को भी तटस्थ रखा है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बयान केवल दरों पर केंद्रित न होकर बाजार सुधारों की दिशा में निर्णायक है। शेट्टी ने कहा, “जोखिम-आधारित जमा बीमा प्रीमियम का कदम मजबूत बैंकों की शुद्ध आय में उल्लेखनीय सुधार करेगा। विलय एवं अधिग्रहण वित्तपोषण की अनुमति और ‘विशिष्ट उधारकर्ता' ढांचे को वापस लेना वृद्धि के लिए मददगार होगा और बैंकों से अतिरिक्त ऋण प्रवाह को बढ़ावा देगा।” इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बुनियादी बचत बैंक जमा खातों में मोबाइल एवं इंटरनेट सेवाओं का विस्तार ग्राहकों के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा खातों से रकम वापस लाने की समयसीमा बढ़ाने को स्वागतयोग्य कदम बताया। कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमुख (आवासीय वित्त) मनु सिंह ने कहा कि रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखने से ऋण बाजार में स्थिरता बनी रहेगी। टाटा कैपिटल के एमडी एवं सीईओ राजीव सबरवाल ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और नीतिगत स्थिरता, बढ़ती खपत तथा टिकाऊ ऋण मांग से व्यापक और दीर्घकालिक वृद्धि संभव है। श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी वाइस चेयरमैन उमेश रेवंकर ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र की पूंजी पर्याप्तता और परिसंपत्ति गुणवत्ता मजबूत बनी हुई है। ग्रांट थॉर्नटन भारत में साझेदार विवेक अय्यर ने कहा कि जीएसटी सुधार वित्तीय सहारा दे रहे हैं, जिससे भविष्य में दरों में कटौती की गुंजाइश बन सकती है।

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