‘वंदे मातरम्’ के उद्घोष से महाराष्ट्र मंडल में जोश
राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने पर सामूहिक गान में काले ने कहा- ‘वंदे मातरम्’ बढ़ाता है हमारा आत्मविश्वास
रायपुर। सात नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय रचित राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर शनिवार, आठ नवंबर को महाराष्ट्र मंडल परिसर में अध्यक्ष अजय मधुकर काले के नेतृत्व में आजीवन सभासदों ने वंदे मातरम् का सामूहिक गान किया। गायन उपरांत वंदे मातरम् के उद्घोष से महाराष्ट्र मंडल के सभासद जोश से भर गया।
महाराष्ट्र मंडल के सभासदों को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने कहा कि सन् 1905 में बंगाल विभाजन के समय ‘वंदे मातरम्’ ने स्वदेशी आंदोलन को नई ऊर्जा दी थी। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक यह गीत सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रभक्ति का मंत्र बन गया। वंदे मातरम् हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है। वंदे मातरम् मां सरस्वती की अराधना है।
सचिव चेतन गोविंद दंडवते ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि ‘वंदे मातरम्’ सुनते ही हृदय में ऊर्जा, गर्व और देशभक्ति का संचार होता है। यह गीत हमें स्मरण कराता है कि हमारी भूमि, जल, अन्न और संस्कृति ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति हैं। दंडवते ने कहा, “यूरोप में भूमि को ‘फादरलैंड’ कहा जाता है, लेकिन भारत में हम अपनी भूमि को ‘मातृभूमि’ कहते हैं।” यह भाव रामायण के श्लोक “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” में प्रकट होता है। ‘वंदे मातरम्’ भी इसी भाव से जन्मा हमारा ध्येय वाक्य है। वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पूरे देश में ऐसे भव्य आयोजन से भावी पीढ़ी को हमारे अतीत के संघर्षों आज़ादी की लड़ाई में भूमिका के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।
कार्यक्रम में स्वावलंबन समिति की प्रभारी व भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता शताब्दी पांडे, संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्रभारी परितोष डोनगांवकर, सखी निवास की प्रभारी नमिता शेष, वरिष्ठजन सेवा समिति के प्रभारी दीपक पात्रीकर, श्यामल जोशी, प्रवीण क्षीरसागर, अंजलि काले, सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी समेत अनेक कार्यकारिणी सदस्य, अनेक समितियों के पदाधिकारी व सभासद इस मौके पर उपस्थित रहे।



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