मुख्यधारा की ओर लौटती जिंदगी
0- आत्मसमर्पित युवाओं के नये राह पर बढ़ते कदम
दंतेवाड़ा । समाज की मुख्यधारा में लौटकर नया जीवन शुरू करना साहस, संकल्प और सही मार्गदर्शन का परिणाम होता है। जिले में नक्सल उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले दो पूर्व नक्सल प्रभावित व्यक्तियों की जीवन यात्रा आज समाज के लिए प्रेरणा बन रही है। इस क्रम में बीजापुर जिले के थाना जांगला क्षेत्र की निवासी 30 वर्षीय महिला जोगी पोडि़याम पति दुकालु ने वर्ष 2010 में अल्पायु में नक्सल संगठन की राह पकड़ ली थी। संगठन में रहते हुए उन्हें मिलिशिया सदस्य एवं सप्लाई दल जैसे दायित्व निभाने पड़े। इस दौरान परिवार से दूरी, जंगलों में भटकना और हर समय पुलिस से मुठभेड़ का डर उनके जीवन का हिस्सा रहा। जुलाई 2025 में उन्होंने जिला बीजापुर में आत्मसमर्पण कर हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा को अपनाया। आत्मसमर्पण के बाद वे पुनः अपने परिवार से मिल सकीं, जिससे उनके जीवन में स्थिरता और खुशी लौटी।
वर्तमान में वे लाइवलीहुड कॉलेज, दंतेवाड़ा में सिलाई मशीन ऑपरेटर का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें आवास, भोजन, कपड़े सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। हाल ही में जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलंपिक 2025 में प्रशिक्षणार्थियों को जिला एवं पुलिस प्रशासन के सहयोग से भाग लेने का जोगी पोडि़याम को अवसर मिला, जिसमें उन्होंने रस्साकशी प्रतियोगिता में भाग लिया। इस तरह खेलों के माध्यम से उनका आत्मविश्वास और सामाजिक जुड़ाव बढ़ा है। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद वे सिलाई मशीन के माध्यम से स्वरोजगार शुरू कर आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहती हैं।
इसी तरह नारायणपुर जिले के ओरछा थाना क्षेत्र के निवासी 40 वर्षीय श्री अजय अलामी पिता मुराराम अलामी ने वर्ष 2007 में नक्सल संगठन ज्वाइन किया था। संगठन में रहते हुए उन्होंने आरपीसी सदस्य, जनताना सरकार अध्यक्ष एवं पार्टी सदस्य जैसे पदों पर कार्य किया। लंबे समय तक जंगलों में जीवन काटना परिवार से बिछड़ाव और निरंतर भय उनकी भी बीती जिंदगी का भयावह उनकी अध्याय था। वर्ष 2022 में संगठन छोड़कर वे घर लौट आए तथा सितंबर 2025 में जिला दंतेवाड़ा में उन्होंने आत्मसमर्पण किया।
आत्मसमर्पण के बाद उन्हें अपने परिवार से मिलने, सामान्य जीवन जीने और बाजार जाने जैसी स्वतंत्रताएं पुनः मिलीं। वर्तमान में वे लाइवलीहुड कॉलेज, दंतेवाड़ा में असिस्टेंट इलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण ले रहे हैं। बस्तर ओलंपिक 2025 में उन्होंने वॉलीबॉल प्रतियोगिता में भाग लेकर खेल भावना का परिचय दिया। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद वे स्वयं का व्यवसाय शुरू कर शांतिपूर्ण एवं सम्मानजनक जीवन जीना चाहते हैं। इस तरह जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा पुनर्वास योजनाओं, कौशल प्रशिक्षण और खेल गतिविधियों के माध्यम से मुख्यधारा में लौटे व्यक्तियों को नई दिशा दी जा रही है। ये सफलता की कहानियां इस बात का प्रमाण हैं कि हिंसा छोड़कर विकास और आत्मनिर्भरता का मार्ग अपनाने वालों के लिए समाज और सरकार दोनों साथ खड़े हैं।
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