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आतंकवाद के खिलाफ संदेश लेकर विदेश जाएंगे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल, विपक्षी नेता भी करेंगे नेतृत्व

नयी दिल्ली/ ‘ऑपरेशन सिंदूर' के बाद आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने का भारत का संदेश लेकर सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश जाएंगे, जिनमें से कुछ प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ दलों के नेता जबकि कुछ की अगुवाई विपक्षी दलों के नेता करेंगे। सरकार ने प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने के लिए जिन नेताओं का चयन किया है, उनमें सत्तारूढ़ दलों से भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद व बैजयंत पांडा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता संजय झा, विपक्षी दलों में कांग्रेस के शशि थरूर, द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राकांपा-एसपी की सुप्रिया सुले शामिल हैं। संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल हर तरह के आतंकवाद का मुकाबला करने की भारत की राष्ट्रीय सहमति और दृढ़ दृष्टिकोण को सामने रखेंगे। वे आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के देश के मजबूत संदेश को दुनिया के सामने लेकर जाएंगे।'' सरकार ने प्रतिनिधिमंडल के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के ऐसे नेताओं का सोच समझकर चयन किया है, जिन्हें मुखर माना जाता है। इन नेताओं में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के चार और विपक्षी ‘इंडिया' गठबंधन के तीन नेता शामिल हैं, जो सार्वजनिक जीवन में लंबे समय से सक्रिय रहने वाले वरिष्ठ सांसद हैं। विपक्ष ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के मामले पर सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकानों पर भारत के हमलों का बचाव और भारत-पाक संघर्ष पर सत्तारूढ़ गठबंधन के सख्त रुख का समर्थन किया है। संभावना है कि उन्हें अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व दिया जा सकता है। मंत्रालय के बयान में कहा गया कि प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में प्रतिष्ठित राजनयिक शामिल होंगे।
 संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में भारत एकजुट है। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे। वे आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के हमारे साझा संदेश को लेकर जाएंगे।'' मंत्रालय के बयान को साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह राजनीति से ऊपर, मतभेदों से परे राष्ट्रीय एकता का एक शक्तिशाली प्रतिबिंब है।'' बयान में कहा गया कि सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों की प्रस्तावित यात्राएं ‘ऑपरेशन सिंदूर' और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की निरंतर लड़ाई से संबंधित हैं। सूत्रों ने बताया कि प्रसाद के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया का दौरा करने की उम्मीद है, जबकि सुले की अगुवाई वाली सांसदों की टीम ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र की यात्रा करेगी। उन्होंने कहा कि झा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और इंडोनेशिया (सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश) का दौरा करने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि छह-सात सांसदों वाला प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल चार से पांच देशों का दौरा कर सकता है। अनुराग ठाकुर, अपराजिता सारंगी, मनीष तिवारी, असदुद्दीन ओवैसी, अमर सिंह, राजीव प्रताप रूडी, समिक भट्टाचार्य, बृजलाल, सरफराज अहमद, प्रियंका चतुर्वेदी, विक्रमजीत साहनी, सस्मित पात्रा और भुवनेश्वर कलिता समेत विभिन्न दलों के सांसद इन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा होंगे। झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद को भी शामिल किया गया है। खुर्शीद सांसद नहीं हैं। सरकार ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय को भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इनकार कर दिया। इस व्यापक कूटनीतिक प्रयास का उद्देश्य विभिन्न देशों में पहलगाम हमले पर भारत के रुख को रेखांकित करना है। थरूर ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि वह देश का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए पांच प्रमुख देशों में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए सरकार के निमंत्रण से ‘‘सम्मानित'' महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की आवश्यकता होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा। जय हिंद!'' शिंदे ने ‘एक्स' पर कहा, ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दृढ़ता से बताएंगे कि भारत में आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है, और पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद को पाल रहा है। जब राष्ट्रीय हित के मामलों की बात आती है, तो कोई मतभेद नहीं होता, केवल कर्तव्य होता है।'' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में किसी भी आतंकवादी कृत्य को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। इससे यह संकेत मिलता है कि यदि पाकिस्तान भारतीय क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रखता है तो भारत उसे निशाना बनाएगा। भारत ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान के साथ कई दिनों तक चले संघर्ष के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर' को केवल रोका गया है और अगली कार्रवाई पड़ोसी देश के आचरण पर निर्भर करेगी।

 

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