ब्रेकिंग न्यूज़

एम्स के शोधकर्ताओं ने तंबाकू की तरह शराब पर भी चेतावनी के लेबल लगाने की अपील की

नयी दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के अनुसंधानकर्ताओं ने तंबाकू संबंधी चेतावनियों के मामले में भारत की सफलता के आधार पर टाले जा सकने वाले कैंसरों की रोकथाम के लिए शराब उत्पादों पर साक्ष्य-आधारित और पुख्ता चेतावनी लेबल लगाने का आह्वान किया है। ‘फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ' में 24 जुलाई को प्रकाशित ‘भारत में कैंसर की चेतावनी वाले लेबल के माध्यम से व्यवहार से संबंधित हस्तक्षेपों का विस्तार: सिगरेट के पैकेट से लेकर शराब की बोतलों तक' शीर्षक से एक लेख में चिकित्सकों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि तंबाकू की तरह शराब भी एक सिद्ध कैंसरकारी तत्व है, फिर भी इसके बारे में जागरूकता कम है।
डॉ. बीआर आंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल, एम्स, दिल्ली के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर, डॉ. वैभव साहनी और डॉ. दीपक सैनी द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है कि किशोरावस्था शराब सहित मादक पदार्थों के सेवन संबंधी व्यवहार की शुरुआत और तीव्रता के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अल्कोहल संबंधी चेतावनी लेबल के माध्यम से किए गए व्यवहार में बदलाव संबंधी हस्तक्षेप इस आयु वर्ग के व्यक्तियों की उपभोग आदतों में सकारात्मक परिवर्तन लाने में प्रभावी साबित हो सकते हैं, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में, जहां समाज के कुछ वर्गों के लिए मादक पदार्थों के सेवन के दुष्परिणामों के प्रति शिक्षित और संवेदनशील होना और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत में कैंसर के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है, 2012 से 2022 की अवधि के आंकड़ों से घटनाओं में 36 प्रतिशत की वृद्धि (10.1 लाख से 13.8 लाख) का संकेत मिलता है।
ग्लोबोकैन (जीएलओबीओसीएएन) 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 14.1 लाख नए कैंसर के मामले सामने आए, जबकि पांच वर्षों में लगभग 32.5 लाख मामले सामने आए और कैंसर से कुल 9 लाख 16,827 लोगों की मौत हुई। ग्लोबोकैन 2020 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति 1 लाख लोगों पर शराब के सेवन से कैंसर होने की दर और आयु-मानकीकृत दर क्रमशः 4.7 प्रतिशत और 4.8 प्रतिशत है। शोधकर्ताओं ने बताया कि 2016 के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में ‘रोग समायोजित जीवन वर्षों' का 6.6 प्रतिशत शराब के सेवन के कारण था, जबकि तंबाकू के सेवन के कारण यह प्रतिशत 10.9 प्रतिशत था। ‘रोग समायोजित जीवन वर्ष' से आशय समग्र रोग भार का एक माप है, जिसे अस्वस्थता, विकलांगता या अकाल मृत्यु के कारण खोए गए वर्षों की संचयी संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है। शोधकर्ताओं ने जनवरी 2025 में अमेरिकी सर्जन जनरल द्वारा शराब के सेवन और कैंसर के जोखिम के बारे में जारी की गई सलाह का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि शराब के सेवन से कम से कम सात प्रकार के कैंसर (कोलन/मलाशय, यकृत, स्तन, आहारनली, कंठ, ग्रसनी और मुख) विकसित होने का जोखिम स्पष्ट रूप से बढ़ जाता है। सलाह में शराब के सेवन और कैंसर के विकास के जोखिम के बीच यांत्रिक संबंधों का भी उल्लेख किया गया है, साथ ही इस तथ्य का भी उल्लेख किया गया है कि यह प्रभाव लिंग से परे देखा जा सकता है। वर्ष 2016-17 में वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस) ने सिगरेट के पैकेट पर स्वास्थ्य चेतावनियों में 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जिसमें चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियों ने सिगरेट पीने की इच्छा पर 50 प्रतिशत अधिक प्रभाव दर्शाया। शोधकर्ताओं ने कहा कि कैंसर संबंधी चेतावनी वाले लेबल का प्रभाव पड़ता है, जो ऐसे उत्पादों का उपभोग करने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या के व्यवहार को बदल रहा है।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english