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 प्रधानमंत्री ने कहा- हाल के कृषि सुधारों ने किसानों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोले

नई दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि हाल के कृषि सुधारों ने किसानों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं। आज आकाशवाणी पर प्रसारित अपने मन की बात कार्यक्रम में देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसान इनकी मांग कर रहे थे। किसान लंबे समय से इन सुधारों की मांग कर रहे थे और उनकी सरकार ने इसे पूरा किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद ने बहुत विचार-विमर्श के बाद कृषि सुधारों को कानूनी रूप दिया है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों ने न केवल किसानों के बंधनों को समाप्त किया है बल्कि उन्हें नए अधिकार और अवसर भी दिए हैं।
श्री मोदी ने बताया कि कैसे इन सुधारों ने महाराष्ट्र के धुले जिले के एक किसान जितेंद्र भोइजी को मकई बेचने के लिए अपने बकाया भुगतान प्राप्त करने में मदद की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रम और अफवाहों से बचने में सही जानकारी हर व्यक्ति के लिए बड़ा सम्बल होती है। उन्होंने राजस्थान के बारां जिले में रहने वाले मोहम्मद असलम की सराहना की, जिन्होंने किसानों को जागरूक बनाने का काम किया है। वे एक किसान उत्पादक संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र के कई किसानों को लेकर एक व्हाट्सएप समूह बनाया है। इस समूह में वे किसानों को प्रतिदिन आसपास की मंडियों में चल रहे भाव की जानकारी उपलब्ध कराते हैं जिससे किसनों को सही फैसला करने में मदद मिलती है। खुद उनका किसान उत्पादक संघ भी किसानों की उपज खरीदता है।
श्री मोदी ने कहा कि जहां जागरूकता है, वहीं जीवंतता होती है। उन्होंने हरियाणा के कैथल जिले के वीरेंद्र यादव की भी प्रशंसा की, जो आस्ट्रेलिया से दो वर्ष पूर्व वापस लौटकर पराली की समस्या के समाधान के लिए काम कर रहे हैं। वीरेंद्र यादव ने पुआल के बंडल बनाने के लिए स्ट्रॉ बेलर मशीन खरीदी। इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग से वित्तीय सहायता भी प्राप्त की। इस मशीन की मदद से उन्होंने  पराली के बंडल बनाने शुरू किए और केवल दो वर्षों में ढाई करोड़ रुपये से अधिक की पराली का कारोबार किया और पचास लाख रुपये का लाभ कमाया।
 प्रधानमंत्री ने युवाओं से अनुरोध किया कि वे अपने आसपास के गांवों का दौरा करके किसानों को खेती में नवाचारों और हाल के कृषि सुधारों के बारे में जागरूक करें। श्री मोदी ने कहा कि संकट के समय संस्कृति बहुत काम आती है और इससे निपटने में भी अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से संस्कृति एक भावनात्मक सम्?बल की तरह  काम करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कई संग्रहालय और पुस्तकालय अपने संग्रह को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस संबंध में कुछ सराहनीय प्रयास किए हैं और वह लगभग दस आभासी दीर्घाओं को शुरू करने पर काम कर रहा है। लोग अब अपने घरों में ही बैठकर इस संग्रहालय की दीर्घाओं का भ्रमण कर सकेंगे।
 श्री मोदी ने प्रौद्योगिकी के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को अधिक से अधिक लोगों तक ले जाने के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि धरोहर के संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस संबंध में एक दिलचस्प परियोजना का उदाहरण दिया जहां नॉर्वे में स्वालबार्ड नामक एक द्वीप में एक उत्तर धुव्रीय विश्व अभिलेखागार स्थापित किया गया है। श्री मोदी ने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि अजंता की गुफाओं की विरासत और कला को संरक्षित करने के साथ-साथ उन्हें डिजिटल रूप भी दिया जा रहा है। इस डिजिटल रूप में महत्वपूर्ण दस्तावेज और उद्धरण भी होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे शिलॉग में खिले हुए चेरी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इन तस्वीरों ने मेघालय की सुंदरता को और बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिनों पहले विश्व धरोहर सप्ताह मनाया गया था। श्री मोदी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बावजूद, लोगों ने एक अभिनव तरीके से इस धरोहर सप्ताह समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा कनाडा से भारत वापस आ रही है। इस मूर्ति को वाराणसी के एक मंदिर से 100 साल पहले, 1913 के आसपास चुराकर देश के बाहर भेज दिया गया था। श्री मोदी ने इसे संभव बनाने के लिए कनाडा सरकार और अन्य सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रतिमा की तरह कई अमूल्य धरोहरों को तस्करों के गिरोहों द्वारा भारत से बाहर ले जाकर बहुत ही महंगे दामों पर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बेचा गया है। श्री मोदी कहा कि सरकार ने कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और यह सुनिश्चित करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं कि इन धरोहरों को स्वदेश वापस लाया जाए। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से देश कई प्रतिमा और कलाकृतियों को वापस लाने में सफल रहा है।
 श्री मोदी ने कहा कि जाने-माने पक्षीविज्ञानी सालीम अली के 125वें जयंती समारोह 12 नवंबर से शुरू हो चुके हैं। उन्होंने ने पक्षी निहारन के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया था। श्री मोदी ने कहा कि वे हमेशा से ही पक्षियों को देखने के शौकीन लोगों के प्रशंसक रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कई पक्षी निहारन संगठन सक्रिय हैं, जिनसे लोगों को जुडऩा चाहिए।
 प्रधानमंत्री ने ब्राजील के जोनास मैसेट्टी का भी उल्लेख किया जिन्हें विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है। वे वेदांत और गीता की शिक्षा देते हैं और विश्वविद्यालय नाम से एक संगठन भी चलाते हैं। श्री मोदी ने कहा कि एक मैकेनिकल इंजीनियर से शेयर बाजार होते हुए आध्यात्म तक की मसेती की यात्रा बहुत दिलचस्प है। जोनास ने कोयम्बतूर के अर्श विद्या गुरुकुलम में चार साल तक रहकर वेदांत दर्शन का अध्ययन किया। श्री मोदी कहा कि कोरोना महामारी के समय लोगों की इस बात में दिलचस्पी बढ़ी है कि कैसे आध्यात्मिकता और वेदांत इसमें मदद कर सकते हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड में नवनिर्वाचित सांसद गौरव शर्मा द्वारा संस्कृत में शपथ लेने की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति का प्रसार प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र कल गुरु नानक देव का 551वां प्रकाश पर्व मनाएगा। उन्होंने कहा कि गुरु नानक के उपदेश वैंकूवर से वेलिंगटन और सिंगापुर से दक्षिण अफ्रीका तक गूंजते हैं। उन्होंने कच्छ में स्थित लखपत गुरुद्वारा साहिब का उल्लेख किया जो  2001 के भूकंप में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। श्री मोदी ने स्वयं को इस बात के लिए धन्य और भाग्यशाली बताया कि उन पर इस गुरुद्वारे के नवीनीकरण की जिम्मेदारी आई थी। इस गुरुद्वारे के जीर्णोद्धार के प्रयासों को 2004 में यूनेस्को एशिया प्रशांत विरासत डिस्टिंक्शन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल नवम्बर में करतारपुर साहिब गलियारे का उद्घाटन एक  ऐतिहासिक घटना थी। उन्होंने कहा कि विदेशों में रहने वाले सिखों द्वारा दरबार साहिब की सेवा में योगदान देना अब आसान हो गया है।
श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आईआईटी दिल्ली से लेकर आईआईटी गुवाहाटी तक कई शिक्षण संस्थानों के छात्रों के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी अपने संस्थानों में पूर्व छात्रों के रूप में योगदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईटी के पूर्व छात्रों ने अपनी आईआईटी में सम्मेलन कक्ष, प्रबंध केन्द्र और इनक्यूबेशन केन्द्रों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से मौजूदा छात्रों की पढ़ाई में सुधार होता है। श्री मोदी कहा कि आईआईटी दिल्ली ने एक अक्षयनिधि शुरू की है, जो एक शानदार विचार है। उन्होंने कहा कि विश्व के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में इस तरह की निधि स्थापित करने की संस्कृति है।
 

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