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- नई दिल्ली: इन दिनों कोरोना महामारी (Coronavirus) की वजह से बड़ी संख्या में लोग हैंड हाइजीन यानी हाथों की सफाई (Hand Hygiene) का पूरा ध्यान रख रहे हैं. इसके तहत बार-बार हाथों को साबुन-पानी और सैनिटाइजर से अच्छी तरह से साफ कर रहे हैं. बावजूद इसके बहुत से लोग हैं जो हाथ तो साफ कर लेते हैं लेकिन नाखूनों की सफाई की तरफ बिलकुल ध्यान नहीं देते जिस वजह से कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है. अमेरिकी हेल्थ वेबसाइट healthline.com की मानें तो नाखून में गंदगी के साथ ही बैक्टीरिया, डेड स्किन सेल्स और कई तरह की अनचाही चीजें मौजूद होती हैं. इसलिए नाखूनों की गहराई से सफाई जरूरी है वरना आप कई तरह बीमारियों का शिकार हो सकते हैं.गंदे नाखून से इंफेक्शन का खतराहमारे हाथ और नाखून लगातार कई तरह की जगहों को छूते हैं, इसलिए इनकी स्वच्छता (Nail Hygiene) बनाए रखना बेहद जरूरी है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की मानें तो अगर नाखून लंबे हों तो उसमें गंदी और कीटाणुओं (Germs) के पनपने की आशंका रहती है जिससे कई तरह के इंफेक्शन हो सकते हैं जिसमें पिनवर्म इंफेक्शन शामिल है. नाखून अगर गंदे हैं और आप अपना हाथ मुंह में लेते हैं तो नाखून में मौजूद बैक्टीरिया और दूसरे कीटाणु शरीर में पहुंचकर आपको बीमार बना सकते हैं. इसलिए हाथ के साथ ही नाखून की भी अच्छी तरह से सफाई जरूरी है.नाखून को ऐसे रखें साफ-नाखून को जहां तक संभव हो छोटा रखें और समय-समय पर उन्हें काटते रहें ताकि उनमें कचरा न फंसे. नहाने के बाद नाखून काटें क्योंकि इस समय नाखून सॉफ्ट होते हैं और उन्हें काटना आसान होता है.-हर बार साबुन-पानी से हाथ धोते वक्त अपने नाखूनों को भी अच्छी तरह से साफ करें. बैक्टीरिया से बचना है तो अपने फिंगर टिप्स की सफाई का पूरा ध्यान रखें.-अगर नाखून के अंदर कोई गंदगी नजर आ रही हो तो नेल ब्रश या नेल फाइलर की मदद से उसे बाहर निकालने की कोशिश करें.-नेल कटर या कोई भी नेल ग्रूमिंग टूल इस्तेमाल करने से पहले उसे अच्छी तरह से साफ कर लें.-नाखून काटने के लिए हमेशा नेल कटर यूज करें, मुंह से नाखून बिलकुल न काटें वरना इंफेक्शन का डर बना रहता है
- नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दिसंबर 2020 में जो आंकड़े जारी किए थे उसमें दुनियाभर में मौत के लिए जिम्मेदार 10 सबसे बड़े कारणों में हृदय रोग पहले नंबर पर था. इस डेटा के मुताबिक हर साल दुनियाभर में हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसे अन्य हृदय संबंधी बीमारियों की वजह से सबसे अधिक मौतें होती हैं. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को पहले से पता हो कि उसे हृदय रोग का खतरा अधिक है तो वह हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस जोखिम को कुछ कम जरूर कर सकता है. आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे होगा? एक नई स्टडी में सामने आया है कि किस ब्लड ग्रुप के लोगों को हार्ट अटैक का खतरा सबसे अधिक होता है.A और B ब्लड ग्रुप वालों को सबसे अधिक खतराहाल ही में हुई एक स्टडी की मानें तो जिन लोगों का ब्लड ग्रुप O नहीं है उन्हें हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) से जुड़े जर्नल आर्टेरियोस्क्लेरोसिस, थ्रॉम्बोसिस एंड वैस्कुल बायोलॉजी में प्रकाशित इस नई स्टडी के नतीजों में शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाने की कोशिश की है कि कैसे ब्लड ग्रुप के टाइप की वजह से हार्ट अटैक का खतरा अधिक हो सकता है.O ब्लड ग्रुप वालों को खतरा है कमइस स्टडी में 4 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया था जिसमें यह पता चला कि ब्लड ग्रुप ए और ब्लड ग्रुप बी दोनों ग्रुप के लोगों को मिलाकर ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों की तुलना में हार्ट अटैक होने का खतरा 8 प्रतिशत अधिक है.A और B ब्लड ग्रुप वाले लोग रहें सतर्कशोधकर्ताओं ने ए और बी ब्लड ग्रुप वाले लोगों की ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों से तुलना की तो पता चला कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप बी था उन्हें ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (हार्ट अटैक) होने का खतरा 15 प्रतिशत अधिक था. तो वहीं ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों को ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में हार्ट फेलियर होने का खतरा 11 प्रतिशत अधिक था. हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर दोनों हृदय रोग ही हैं लेकिन हार्ट अटैक अचानक होता है जबकि हार्ट फेलियर की समस्या धीरे-धीरे विकसित होती है.पहले भी हो चुकी है इस तरह की स्टडीइससे पहले साल 2017 में यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की तरफ से भी एक स्टडी हुई थी जिसमें करीब 13 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया था. इस स्टडी में भी यही बात सामने आई थी कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ओ नहीं है यानी नॉन-ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोनरी और कार्डियोवास्कुलर बीमारियां खासकर हार्ट अटैक होने का खतरा 9 प्रतिशत अधिक था.आखिर क्यों A और B ब्लड ग्रुप वालों को खतरा अधिक हैयूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की मानें तो A और B ब्लड ग्रुप वालों को ओ ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर का खतरा अधिक इसलिए है क्योंकि इन दोनों ब्लड ग्रुप वाले लोगों में ब्लड क्लॉट यानी खून का थक्का जमने की आशंका 44 प्रतिशत अधिक है. ब्लड क्लॉट हार्ट अटैक में एक अहम रोल निभाता है क्योंकि वे हृदय की धमनियों को कई बार ब्लॉक कर देता है जिससे हार्ट अटैक होता है
- आजकल की जीवन शैली में फैटी लिवर की शिकायत आम बात होती जा रही है। दवाओं के साथ घरेलू नुस्खों की मदद से जल्दी से फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है।फैटी लिवर को हेप्टिक स्टेटोसिस भी कहा जाता है। इस स्थिति में लिवर में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है। ये जमाव लिवर के कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है और शरीर के लिए जरूरी पित्त रस एवं इंसुलिन का उत्पादन धीमा कर देता है। गंभीर मामलों में लिवर सिरोसिस की शिकायत भी देखी जाती है।फैटी लिवर का इलाज के लिए ये है कुछ घरेलू नुस्खे-एप्पल साइडर विनेगरएप्पल साइडर विनेगर लिवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देता है। ये लिवर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर डालकर रोज सुबह पिएं।फैटी लिवर का रामबाण इलाज है नींबूफैटी लिवर के इलाज के लिए नींबू का भी इस्तेमाल भी इस्तेमाल किया जा सकता है। नींबू विटामिन सी से युक्त होता है जो कि एक पॉवरफुल एंटीऑक्सीडेंट है और यह लिवर की कोशिकाओं को रेडिकल डैमेज से रोक सकता है। एक कप पानी में आधा नींबू निचोड़ें और एक चम्मच शहद डालकर रोज सुबह पिएं।फैटी लिवर का देसी इलाज है हल्दीहल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो कि नॉन-एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज की स्थिति में लिवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रख सकता है। एक गिलास पानी लें और उसे उबालने के लिए रख दें। अब इसमें एक चुटकी हल्दी डालें। आप चाहें तो इसमें नींबू का रस भी डाल सकते हैं। मिक्स कर के रोज सुबह इस गुनगुने पानी का सेवन करें।आंवला है फैटी लिवर के घरेलू नुस्खेआंवला विटामिन सी से युक्त होता है जो लिवर को साफ रखने और आगे किसी भी तरह के नुकसान से बचाने में मदद करता है। आंवले में क्यूरसेटिन नामक फाइटोकेमिकल होता है जो लिवर कोशिकाओं के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर सकता है। मध्यम आकार के दो से तीन आंवला लें और उन्हें छोटे टुकड़ों में काटकर बीज अलग कर दें। अब इसमें थोड़ा-सा पानी डालकर ब्लैंड कर जूस निकाल लें। इस जूस को एक गिलास गर्म पानी में डालकर पिएं।फैटी लिवर का घरेलू उपचार है दालचीनीफैटी लिवर के लिए दालचीनी सबसे असरकारी दवा है। इसके सूजन-रोधी गुण ज्यादा शराब के कारण लिवर में आई सूजन को कम करते हैं। एक गिलास पानी में दालचीनी की दो से तीन स्टिक डालकर पानी को उबाल लें। दो से तीन मिनट के बाद पानी को छानकर रोज सुबह पिएं।फैटी लिवर का घरेलू इलाज है अलसीअलसी न सिर्फ पाचन के लिए बेहतर होती हैं बल्कि फैटी लिवर से भी बचाती है। अलसी कोशिकाओं पर पड़ रहे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर लिवर को हुए नुकसान को घटाती है। अलसी को पाउडर के रूप में लिया जा सकता है। पानी या सलाद पर भी अलसी का पाउडर डालकर खा सकते हैं।डैंडलियोन टीएक कप पानी में चार से पांच डैंडलियोन के फूलों को एक से दो मिनट तक उबालें। अब इस पानी को छानकर पी लें। डैंडलियोन में पॉवरफुल बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो शरीर में कोलेस्ट्रोल के लेवल को कम कर सकते हैं।
- तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण अक्सर गर्दन में दर्द उठना स्वभाविक है। ऐसे में इस दर्द को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपायों की मदद ली जा सकती है।गर्दन के कार्य और मूवमेंट करने की स्थिति सही रहेगी तो गर्दन की संरचना भी बनी रहेगी। लेकिन जब दर्द पैदा होता है तो ना हम अपनी गर्दन को मूव कर पाते हैं और ना ही गर्दन से काम कर पाते हैं। ऐसे में गर्दन के आसपास की मांसपेशियां भी संक्रमित हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति के सर में दर्द होना शुरू हो जाता है। इसके अलावा गर्दन में कठोरता, झनझनाहट दर्द के कारण भी पैदा हो जाती है ऐसे में इस तरह की परेशानी कुछ पोषक तत्व की कमी के कारण, सर्वाइकल के दर्द या गर्दन में लगी चोट के कारण हो सकती है। आज हम आपको बताएंगे कि घरेलू उपायों से अपनी गर्दन के दर्द को ठीक कैसे कर सकते हैं। पढ़ते हैं आगे...1 - सेंधा नमक से दूर हो गर्दन का दर्दसेंधा नमक के अंदर मैग्निशियम सल्फेट पाया जाता है जो मांसपेशियों को ना केवल आराम पहुंचाता है बल्कि तनाव और खिंचाव को भी दूर करता है। इसके अंदर सूजन को कम करने के गुण भी पाए जाते हैं। ऐसे में आप एक टब में सेंधा नमक को मिलाएं और 15 से 20 मिनट तक उसमें बैठ जाएं। ऐसा करने से गर्दन का दर्द दूर होगा।2 - सेब के सिरके से दूर हो गर्दन का दर्दसेब के सिरके में एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के साथ सूजनरोधी गुण भी पाए जाते हैं जो न केवल सूजन को कम करते हैं बल्कि कई पोषक तत्व को भी दूर करते हैं। ऐसे में गर्दन के दर्द को दूर करने मैं सेब का सिरका एक अच्छा विकल्प है। आप सेब के सिरके में एक रुमाल को डालें और निचोड़कर गर्दन पर लगाएं। ऐसा करने से दर्द दूर होता है इसके अलावा आप बाथ टब में भी सेब के सिरके को मिलाकर उसमें थोड़ी देर बैठ सकते हैं।3 - शीरा है गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए उपयोगीकभी-कभी गर्दन में दर्द पोषक तत्व की कमी से होता है। इन पोषक तत्वों में कैल्शियम, पोटेशियम की कमी आती है। अगर ऐसा है तो आप शीरे के माध्यम से इस दर्द को दूर कर सकते हैं। शीरे में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पोटेशियम पाया जाता है जो मांसपेशियों हड्डियों और जोड़ों के दर्द को दूर करता है। ऐसे में आप एक गिलास गर्म पानी में शहद मिलाएं और पी जाएं।4 - लेवेंडर तेल है गर्दन की नसों के लिए अच्छाआपने देखा होगा कि जब भी हम किसी थेरेपी या मसाज करवाने जाते हैं तो वहां एक्सपट्र्स लैवेंडर तेल का भी प्रयोग करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह दर्द या सूजन को दूर करने में बेहद उपयोगी है। इसकी मसाज से मांसपेशियां खुलती है और मूवमेंट में कोई दिक्कत नहीं होती है। ऐसे में आप सबसे पहले गर्म पानी से नहाए, जिससे आपकी गर्दन को आराम पहुंच सके। थोड़ी देर बाद लैवेंडर तेल के प्रयोग से गर्दन पर मसाज करें लेकिन अगर आपको तेल लगाते वक्त दर्द महसूस हो तो मसाज ना करें।5 - हल्दी से दूर हो गर्दन का दर्दगर्दन के दर्द को दूर करने में हल्दी भी आपके बेहद काम आ सकती हैं। क्योंकि हल्दी के अंदर करक्यूमिन नामक फाइटोकेमिकल होता है ऐसे में यह सूजन को कम करने का काम कर सकता है। आप अगर हल्दी को प्रभावित क्षेत्र में लगाते हैं तो इससे रक्त परिसंचरण सुधरने के साथ-साथ दर्द में भी आराम मिलता है। आप एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी को मिलाएं और मिश्रण को 5 मिनट तक उबलने दें। उबालने के बाद इसमें शहद मिलाएं और ठंडा होने पर पी जाएं ऐसा करने से आराम मिलेगा।6 - अदरक है गर्दन के दर्द में उपयोगीअदरक में प्राकृतिक सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं जो न केवल रक्त प्रभाव को बेहतर करते हैं बल्कि प्रभावित क्षेत्र में संचरण का काम भी करते हैं। ऐसे में अगर आपकी गर्दन में दर्द है तो आप अदरक के टुकड़ों को छोटे-छोटे काटे और दो का पानी में उबालें। उबालने के बाद छान लें और शहद मिलाकर पी जाएं। ऐसा करने से गर्दन के दर्द में आराम मिलेगा।7 - लाल मिर्ची से छुटकारा मिले गर्दन के दर्द सेलाल मिर्च के अंदर कैपसाइसिन पाया जाता है, इसके अलावा सूजनरोधी गुण भी मौजूद होते हैं। ऐसे में इसके सेवन से गर्दन के दर्द से न केवल छुटकारा मिलता है बल्कि सूजन दूर हो जाती है। आप लाल मिर्च को जैतून के तेल के साथ मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र लगाएं। जब तक दर्द दूर नहीं होता तब तक इस मिश्रण को लगाते रहें। ऐसा करने से दर्द दूर हो जाएगा।(नोट - ऊपर बताई गई चीजों के माध्यम से आप गर्दन के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन अगर दर्द ज्यादा बढ़ जाए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। हो सकता है कि दर्द किसी गंभीर बीमारी के लक्षणों में शामिल हो। इसके अलावा गर्भवती महिलाएं ऊपर दिए मिश्रण का सेवन करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। साथ ही अपनी डाइट में बदलाव करने से पहले भी एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।)
- नई दिल्लीः गर्मी के मौसम में अपनी सेहत का ध्यान रखना सबसे जरूरी रहता है. क्योंकि कई बार फिटनेस और डायट पर ध्यान न दे पाने की वजह से गर्मियों में हमें कमजोरी का सामना करना पड़ता है. जबकि पुरुषों को तो गर्मियों में सेहत का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे है जो आपको आपके घर में ही मिल जाएगी. जिसका सेवन करना गर्मियों में बेहद फायदेमंद रहता है. हम बात कर रहे हैं छाछ की. छाछ एक ऐसा पदार्थ है जो गर्मियों में घर-घर में पाया जाता है. आज हम आपको छाछ के ऐसे ही कुछ फायदे बताने जा रहे हैं.मिनरल्स से भरपूर रहती है छाछछाछ में मिनरल्स भरपूर मात्रा मे पाए जाते हैं, क्योंकि छाछ में पोटैशियम, फॉस्फोरस और आयरन पर्याप्त मात्रा में होता है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में एक साथ शरीर को सभी मिनरल्स मिलने से शरीर मजबूत बनता है. ऐसा माना जाता है कि खाने के बाद छाछ पीने से खाना आसानी से पच जाता है. यही वजह है कि छाछ गर्मियों में किचन का मेनू कार्ड का एक हिस्सा माना जाता है.एसीडिटी दूर करने में असरदार रहती है छाछएसीडिटी आज के वक्त में एक आम समस्या बन गई है. जबकि गर्मियों में थोड़ा बहुत खाने से ही एसीडिटी बनने लगती है. लेकिन छाछ एसीडिटी में रामबाण का काम करती है. छाछ में सेंधा नमक, काली मिर्च और जीरा मिलाकर पीने से एसीडिटी तुरंत गायब हो जाती है. इसलिए दोपहर में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी छाछ पीने की सलाह दी जाती है.शरीर में नहीं होती पानी की कमीगर्मियों के मौसम में अक्सर शरीर में पानी की कमी हो जाती है. जिससे कई बार हम डीहाइड्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं. लेकिन छाछ एक ऐसा पदार्थ है जिसका सेवन करने से गर्मियों में शरीर में पानी की कमी नहीं होती है. आप दिन में अगर एक या दो ग्लास छाछ का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होती, जिससे आप डीहाइड्रेशन से बचे रहते हैं.कोलेस्ट्रॉल रहता है नियंत्रितछाछ एक आयुर्वेदिक पेय पदार्थ माना जाता है जिसका सेवन करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रित रहता है. छाछ कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक मानी जाती है. अगर आप खाना खाने के बाद छाछ का सेवन करते हैं तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.पुरुषों को रखता है एनर्जेटिककामकाजी पुरुषों को गर्मियों में छाछ पीने की सलाह दी जाती है. क्योंकि छाछ में कार्बोहाइड्रेट्स के साथ हेल्दी बैक्टीरिया पाए जाते हैं. जिसे पीने से शरीर को एनर्जी मिलती है. ऐसे में पुरुषों को गर्मियों के मौसम में छाछ का सेवन जरूर करना चाहिए.हड्डियां रखता है मजबूतछाछ का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती है. क्योंकि छांछ में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर की हड्डी की मजबूती के लिए जरूरी माना जाता है. इसलिए लोगों को छाछ पीने की सलाह जरूर दी जाती है.वजन कम करने में सहायक रहती है छाछछाछ का सेवन करने शरीर का वजन नहीं बढ़ता है. छाछ में लो कैलोरी पाई जाती है, जबकि इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन भी पाया जाता है. ऐसे में लोगों को छाछ गर्मियों में जरूर पीना चाहिए. तो देखा आपने गर्मियों में छाछ पीने के कितने फायदे मिलते हैं. खास बात यह है छाछ आपको आपके किचन में ही आसानी से मिल जाती है. इसलिए छाछ का सेवन जरूर करना चाहिए.
- गर्मी के मौसम में नारियल पानी बहुत पिया जाता है क्योंकि इससे शरीर हाइड्रेट रहता है और इससे कई तरह के पोषक तत्व मिलते हैं। हालांकि, बच्चों को नारियल पानी कम पिलाया जाता है जो कि कई मायनों में गलत है। गर्मियों में नारियल पानी पीने से बच्चों की सेहत को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं।अगर आपने अब तक अपने बच्चे को नारियल पानी पिलाना शुरू नहीं किया है, तो यहां बताए गए नारियल पानी के फायदों के बारे में जानने के बाद आप उसे यह लाभकारी पानी पिलाना शुरू कर सकती हैं।स्किन के लिए है फायदेमंदनारियल पानी पीने से बच्चे की स्किन को नमी मिलती है और त्वचा से अतिरिक्त तेल खत्म होता है। नारियल पानी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-माइक्रोब्रियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं जो स्किन के इंफेक्शन से बचाते हैं। अगर बच्चे को टीएनज उम्र में एक्ने और दाग-धब्बे हो रहे हैं, तो उसे रोज नारियल पानी पिलाना शुरू करें। यह बच्चे की स्किन को पोषण भी देता है और स्किन को साफ एवं स्वस्थ रखता है।पाचन के लिए है बेहतरबच्चों को अक्सर कब्ज की शिकायत हो जाती है जिसे नारियल पानी से दूर किया जा सकता है। नारियल पानी में उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन में सुधार कर बार-बार होने वाले एसिड रिफलक्स को कम करता है। नारियल पानी शरीर को हाइड्रेट करता है और शरीर को हाइड्रेट करने का नारियल पानी से बेहतर और कोई एनर्जी ड्रिंक नहीं है। इसमें उच्च मात्रा में पोटेशियम, सोडियम और नैचुरल शुगर होता है। यह बच्चे को डिहाइड्रेशन से बचा सकता है।हड्डियों को करता है मजबूतनारियल पानी में उच्च मात्रा में कैल्शियम होता है जिससे बच्चों की हड्डियां मजबूत और स्वस्थ बनती हैं। बच्चों में मूत्र मार्ग में संक्रमण का भी खतरा रहता है। नारियल पानी पीने से बच्चों में मूत्र मार्ग में इंफेक्शन का इलाज हो सकता है क्योंकि यह मूत्रवर्द्धक का काम करता है। इसका पौष्टिक पानी बच्चे के मूत्राशय से इंफेक्शन को निकाल देता है और पथरी होने के खतरे को कम कर देता है। बच्चों के पेट में कीड़े होने की समस्या भी ज्यादा देखी जाती है और नारियल पानी पेट के कीड़े खत्म करने के घरेलू उपाय के तौर पर काम कर सकता है। बच्चे को रोज सुबह एक गिलास नारियल पानी पिलाएं।कब, कितना और कैसे पिलाएं नारियल पानीआप बच्चे को रोज एक नारियल पानी पिला सकते हैं। ढाई मिलीलीटर नारियल पानी से बच्चे को 45 से 60 कैलोरी मिलती है। नारियल पानी में शुगर और सोडियम कम होता है और कैल्शियम, क्लोराइड और पोटेशियम ज्यादा होता है। इन पोषक तत्वों की उच्च मात्रा से शरीर हाइड्रेट रहता है और पानी की कमी की पूर्ति होती है। एक गिलास नारियल पानी पीने के बाद ही बच्चा एनर्जी से भरपूर महसूस करता है। अगर आपका बच्चा कमजोर है या बहुत जल्दी थक जाता है तो उसे रोज नारियल पानी जरूर पिलाएं। इसके अलावा नारियल पानी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर करता है जिससे स्किन बेदाग और चमकदार रहती है।
- कासनी एक प्रकार की औषधीय जड़ी बूटी है। इसे चिकोरी भी कहा जाता है। यह जड़ी-बूटी है बारह महीने उगती है। इस पौधे में खास बात यह है कि इसका स्वाद कॉफी की तरह होता है। लेकिन इसमें कैफीन नहीं होता है। कासनी में कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इसके उपयोग भी अलग-अलग हैं। एक तरफ कासनी जानवरों के लिए हरा चारा है तो दूसरी तरफ मनुष्यों के लिए औषधि।कासनी के फायदे1. उल्टी रोकने में मददगारपेट में अपच आदि होने पर उल्टी की समस्या होने लगती है। उल्टी को रोकने में कासनी बहुत फायदेमंद है। इसके बीज से बने काढ़े का सेवन करने से पित्त शांत होता है और उल्टी में निजात मिलती है।2. पीलिया के रोग को रखे दूरकासनी का सेवन चाय के रूप में या किसी अन्य खाद्य पदार्थ में किया जा सकता है। इसके सेवन से पीलिया का रोग भी खत्म होता है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगी देना चाहिए।3. वजन नियंत्रित रखता हैकासनी में फाइबर का गुण होता है। फाइबर की विशेषता है कि वह खाने को धीरे-धीरे पचाता है। जिससे भूख कम लगती है। इसलिए यह वजन को बढऩे नहीं देता।4. गर्मी से होने वाले रोगों में सहायकगर्मी के मौसम में शरीर पर घमोरियां होने के साथ-साथ, छोटे-छोटे दाने होने लगते हैं। यही नहीं चेहरे पर एक्ने, डार्क स्पॉट्स जैसी परेशानियां होने लगती हैं। गर्मी में शरीर पर लाल रंग के चकत्ते पडऩे लग जाते हैं। इन चकत्तों को ठीक करने में भी कासनी बहुत मददगार साबित होता है।5. चिंता से दिलाए छुटकाराकासनी में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। जिससे चिंता और तनाव वाले हार्मोन बैलेंस रहते हैं। कासनी में एंटी-ऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाए जाने के कारण यह चिंता, तनाव को दूर रखता है।6. मूत्र संबंधी रोग करे ठीकबहुत से लोगों को पेशाब ठीक नहीं आता है। कभी रुक-रुक कर पेशाब आता है तो कभी पेशाब खुलकर नहीं आता। ऐसी परेशानियों से निपटने के लिए कासनी का काढ़ा लिया जा सकता है।7. लीवर को रखे दुरुस्तकासनी लीवर को ठीक रखने में मुख्य भूमिका निभा सकता है। इसमें ऐसे गुण होते हैं जो लीवर को बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं। लीवर की परेशानी होने पर कासनी के फूलों का शरबत बनाकर रोगी को पिलाना चाहिए।8. मेनोपॉज की समस्या को रखे दूरमेनोपॉज होते समय महिलाओं को बहुत दर्द होता है। उस दर्द छुटकारा दिलाने में कासनी बहुत मददगार है। इसमें कासनी का काढ़ा बनाकर रोगी को दिया जाता है। पर काढे के साथ गुड़ मिलाकर दिया जाता है।9. सिर दर्द में सहायकसिर में दर्द होने पर कासनी का सेवन किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर इसके पत्तों को पीसकर चंदन के तिलक की तरह पूरे माथे पर लगा लेना चाहिए।10. मांसपेशियों के दर्द को भगाएकासनी में एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं। यह गुण दर्द और मांसपेशियों के दर्द को भगाने में मदद करते हैं। कासनी जोड़ों के दर्द में भी मदद करता है।11. कब्ज को रखे दूरकासनी में फाइबर पाया जाता है। जो खाने को धीरे-धीरे पचाता है। जिससे पाचन क्रिया ठीक रहती है। इसके सेवन से कब्ज की समस्याएं दूर रहती हैं।कासनी से नुकसानकासनी स्वाद में कड़वा होता है और रूखा होता है। इसकी तासीर गर्म होती है। इसके अनियंत्रित सेवन से कई साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। पर ध्यान रहे कि अगर आप कासनी का सेवन कर रहे हैं तो डॉक्टर से एक बार परामर्श कर लें।
- 'गुड़हल ' या जवाकुसुम का फूल दिखने में बेहद खूबसूरत और औषधीय गुणों से भरपूर है। गुड़हल के उपयोग से ना केवल अपच, बेचैनी, बुखार आदि समस्या दूर होती है बल्कि इसकी पत्तियां त्वचा की सेहत और आयरन की कमी को पूरा करने में बेहद मददगार हैं।एंटी एजिंग के लिए गुड़हलबढ़ती उम्र को रोकने में गुड़हल बेहद मददगार है। इसकी पत्तियां उन महिलाओं के लिए किसी अमृत से कम नहीं है जो महिलाएं एंटी एजिंग की समस्या से परेशान हैं। शरीर की फ्री रेडिकल्स को हटाने में गुड़हल बेहद उपयोगी है। इसका उपयोग ना केवल उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया को धीमा करता है बल्कि महिलाएं खूबसूरत और जवां भी नजर आती हैं।एनीमिया के लिए गुड़हलशरीर में एनीमिया आयरन की कमी के कारण होता है। एनीमिया यानी खून की कमी, ऐसे में जो लोग इस समस्या से परेशान हैं वे गुड़हल के फूल का उपयोग कर सकते हैं। गुड़हल के फूल के अंदर आयरन मौजूद होता है जो एनीमिया से लडऩे में बेहद मददगार है।वजन को कम करने में मददगारजिन लोगों को बार बार भूख लगती है उन्हें बता दें कि गुड़हल का सेवन करने से इस परेशानी से छुटकारा मिल जाता है। जो लोग कार्बोहाइड्रेट में समृद्ध भोजन का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं उन लोगों में वजन बढऩे की शिकायत ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे में गुड़हल की पत्तियों से बनी चाय काफी एनर्जेटिक होती है इसलिए जो व्यक्ति इसका सेवन करता है उसे लंबे समय तक भूख नहीं लगती।उच्च रक्तचाप के लिए गुड़हलगुड़हल उच्च रक्तचाप से लडऩे में उपयोगी है। इससे बनी चाय न केवल हृदय की गति को सामान्य करती है बल्कि व्यक्ति रिलैक्स महसूस करता है।सर्दी और जुकाम को दूर करे गुड़हलगुड़हल की पत्तियों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जो ना केवल सर्दी को दूर करता है बल्कि जुकाम को दूर करने में भी बेहद उपयोगी है। गले को आराम पहुंचाने और शरीर में विटामिन सी का स्तर बढ़ाने में भी गुड़हल एक अच्छा स्रोत है।त्वचा की समस्या को दूर करे गुड़हलगुड़हल के अंदर विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं यह एंटीऑक्सीडेंट के गुण से भी परिपूर्ण है, जिससे न केवल चेहरे की झुर्रियां दूर होती है बल्कि दाग, धब्बे, मुंहासे ठीक होते हैं। इसके उपयोग के लिए फूल को पानी में उबालें और पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में शहद को मिलाएं और चेहरे पर लगाएं।गुड़हल के अन्य फायदे- गुड़हल की चाय प्यास बुझाने के साथ-साथ शरीर में एनर्जी के लिए भी जरूरी है।- कब्ज की समस्या को दूर करने और पाचन क्रिया को मजबूत करने में गुड़हल अच्छा उपाय है।-अल्जाइमर रोग को रोकने में गुड़हल बेहद उपयोगी है।- किडनी की समस्या और डिप्रेशन को दूर करने में भी गुड़हल के पत्तों को चबाने से राहत मिलती है।-अगर गुड़हल के पत्तों को चबाया जाए तो मुंह के छाले भी दूर होते हैं।-गुड़हल से होने वाले नुकसान-अगर गुड़हल की चाय का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो इससे व्यक्ति को नींद ज्यादा आने की संभावना रहती है।-गुड़हल का उपयोग उच्च रक्तचाप की समस्या को दूर करता है। लेकिन जो लोग निम्न रक्तचाप से परेशान हैं वे इसका सेवन ना करें उनकी सेहत के लिए यह नुकसानदेह हो सकता है।-जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती है वे भी गुड़हल की चाय का सेवन ना करें।-गुड़हल शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम करती है जिसके कारण मासिक धर्म की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में गर्भवती महिलाएं इसके सेवन से बचें।-----
- पापड़ के बिना भारतीय भोजन अधूरा लगता है, लेकिन पापड़ खाना हेल्दी होता है या नहीं? ये सवाल हमेशा से लोगों के मन में उठता रहा है। बाजार में कई तरह के पापड़ मिलते हैं , जिन्हें अलग-अलग दालों से तैयार किया जाता है पर रोस्ट करने और तलने के कारण इनमें न्यूट्रिशिनल वैल्यू नहीं रहती। विशेषज्ञों की माने तो कुछ लोग पापड़ को अचार के साथ खाते हैं जो कि ज्यादा अनहेल्दी है। पापड़ में मसाले होते हैं उन्हें अचार के साथ खाने की गलती न करें।तले और भुने दोनों ही पापड़ में एक्रलिामाइड मौजूद होता है। एक शोध के मुताबिक इससे बेचैनी, घबराहट जैसी समस्या हो सकती है। पापड़ में 40 से 50 कैलोरी होती है अगर आप 4-5 पापड़ एक साथ खाते हैं तो आपकी सेहत के लिए ये अच्छा नहीं होगा। इसे रोजाना खाने से कई समस्याएं हो सकती हैं।हॉर्ट डिसीज का खतरारोजाना पापड़ खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। पापड़ में नमक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ज्यादा नमक खाने से हाइपरटेंशन, हॉर्ट डिसीज, पानी की कमी, बॉडी में सूजन की समस्या हो सकती है।पिंपल की शिकायतपापड़ को रोज खाया जाए तो चेहरे पर पिंपल्स की समस्या बढ़ सकती है। इसमें मौजूद सोडियम और तेल स्किन में जमा होने लगेगा जिससे मुंहासे जैसी स्किन की समस्याएं सामने आती हंै।बढ़ सकता है वजनपापड़ को लोग तेल में तलकर खाना पसंद करते हैं। पापड़ तेल को पूरी तरह सोख लेते हैं और इनके सेवन से बॉडी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। लंबे समय तक कोलेस्ट्रॉल बढ़ा रहेगा तो हॉर्ट डिसीज भी हो सकते हैं और साथ ये वजन भी बढ़ा देते हैं। पापड़ में तेल और फैट दोनों ही ज्यादा होता है इसलिए इनका ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।हाइपर एक्टिविटीपापड़ में प्रिजिर्वेटिवि और सोडियम बेंजोएट मौजूद होता है इससे शरीर पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। एक शोध के मुताबिक आर्टििफशियिल कलर और सोडियम बेंजोएट से बच्चों में अतिसक्रियता यानी हाइपर एक्टिविटी बढ़ जाती है।पेट की बीमारियांपापड़ से अपच या पेट खराब होने की समस्या हो सकती है। बाजार के पापड़ों को आर्टिफशियिल फ्लेवर और मसाले से तैयार किया जाता है, जो पेट को नुकसान पहुंचाते हैं।
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करी पत्तों यानी मीठी नीम पत्ती का इस्तेमाल आमतौर पर खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। साउथ इंडियन डिशेज के अलावा दाल या चटनी में इसका तड़का लगाकर भी खाने का स्वाद दोगुना किया जाता है। वास्तव में यह करी पत्ता खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए भी बहुत काम आता है । करी पत्ता त्वचा और बालों से जुड़ी किन समस्याओं को हल कर सकता है।
चेहरे पर लाएगा निखारनियमित रूप से करी पत्ता का उपयोग करने से यह चेहरे और त्वचा की रंगत निखारती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए करी पत्तों को अच्छी तरह से धूप में सुखा लें। उसके बाद इन पत्तों का पाउडर बनैा लें और फिर इसमें जरूरत के हिसाब से गुलाब जल और एक छोटा चम्मच मुल्तानी मिट्टी मिलाकर फेस पैक बना लें। अब इस पेस्ट को आधे से एक घंटे तक चेहरे पर लगा रहने दें। इसके बाद सादा पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में चेहरे की त्वचा पर इसका अच्छा असर दिखाई देने लगेगा।त्वचा को बनाए चमकदारअगर आपका चेहरा रूखा-सूखा और बेजान हो गया है तो इन समस्याओं का अच्छा इलाज है करी पत्ता का इस्तेमाल करना। ऐसी त्वचा पर चमक वापस लाने के लिए करी पत्ता का पेस्ट बनाकर उसमें दूध मिला लेंछ। दूध मिलाने के बाद इसको बीस से तीस मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें। अब सादे पानी से धो लें। अगर आपके चेहरे पर कोई दाग-धब्बे या किसी तरह की निशान हैं तो करी पत्ता इन्हें भी दूर करने का काम करता है।मुहांसों से दिलाए छुटकाराचेहरे पर होने वाले कील-मुहांसों से परेशान हैं तो इनको दूर करने का एक अच्छा उपाय है करी पत्ता। करी पत्ता चेहरे को ठंडक देता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण कील-मुहांसों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं। पिंपल से छुटकारा पाने के लिए करी पत्ता का पेस्ट बना लें और नींबू के साथ मिलाकर चेहरे पर आधे से एक घंटे के लिए लगाएं। अब चेहरे को सादे पानी से धो लें। कुछ समय बाद चेहरे से पिंपल्स कम होने लगेंगे।बालों को झडऩे से बचाएआज-कल बालों का झडऩा एक आम बात हो गई है। ऐसे में करी पत्ते से बनाया गया तेल बालों को बहुत राहत दिलाता है। करी पत्ता से तेल बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में आधा कटोरी नारियल तेल और कुछ करी पत्ते डालकर गर्म करें। बहुत धीमी आंच पर जब आप नारियल के तेल में करी पत्ते को मिलाकर गर्म करेंगे तो यह तेल अपना रंग बदलने लगता है। जब तेल का रंग बिल्कुल बदल जाए तो गैस बंद कर दें। जब तेल ठंडा हो जाए तो उसे छानकर एक बोतल में भर लें। रात के समय सोने से पहले बालों पर नियमित रूप से इस तेल को लगाने से जल्द ही बाल झडऩे बंद हो जाएंगे।डैंड्रफ से दिलाए मुक्तिबालों में डैंड्रफ होने की समस्या भी आज-कल आम है। इससे छुटकारा दिलाने के विए करी पत्ते को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इसमें दही मिलाकर पूरे सिर पर अच्छे तरीके से लगा लें। जब यह सूख जाए तो शैंपू कर लें। हफ्ते में कम से कम दो बार ऐसा करने से बालों से डैंड्रफ की समस्या दूर हो जाती है। - पपीता खाने के फायदे तो आपने कई सुने होंगे पर क्या आप जानते हैं इसके बीज भी सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। सुनकर थोड़ा आश्चर्य होना लाजमी है। लेकिन यह बात बिल्कुल सच है। जी हां अक्सर पपीता खाने के बाद लोग उसके बीज फेंक देते हैं लेकिन अगली बार जब आप पपीता खाएंगे तो उसके बीज फेंकने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे। पपीते में पर्याप्त मात्रा में आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। इससे शारीरिक क्रियाएं तो बेहतर होती ही हैं। इसके अलावा शरीर की अतिरिक्त चर्बी से भी निजात पाने में मदद मिलती है। पपीते के बीजों का सेवन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। आइए जानते हैं पपीते के बीज का सेवन करने से मिलने वाले ऐसे ही कुछ जादुई फायदे।पपीते के बीज खाने के फायदेवेट लॉस में मददगार है पपीतावजन घटाने में जो चीज सबसे ज्यादा मदद करती है, वह है पपीते के भीतर पाए जाने वाले बीज। पपीता शरीर की पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से काम करने के लिए पर्याप्त फाइबर की आपूर्ति करता है। पपीता में ढेर सारे ऐंटीऑक्सिडेंट, मिनरल्स और बहुत कम कैलरी होती है। पपीता में पाए जाने वाले इंजाइम्स न सिर्फ वजन घटाते हैं बल्कि बैड कलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं।लीवर से जुड़ी समस्यापपीते के बीज लीवर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। ये लीवर सिरोसिस में भी काफी फायदेमंद होता है। सुबह खाली पेट इसके बीजों का सेवन करने से काफी फायदा होता है।स्वस्थ पाचन के लिएपपीते के बीज में उच्च मात्रा में पाचन एंजाइम मौजूद होते हैं जो प्रोटीन को तोड़ने में मदद करके प्राकृतिक पाचन प्रकिया को सहायता करता है। इतना ही नहीं पपीते के बीज रोगजनकों को मारकर भोजन की विषाक्तता से मुकाबला करने में भी मदद करते हैं।जलन या सूजन में फायदेमंदपपीते के बीजों में शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर को सूजन से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। एंजाइम पपैन और काइमोपपैन गठिया, जोड़ों के दर्द से जुड़ी सूजन को कम करने में मदद करते हैं।कैसे करें पपीते के बीज का सेवन-पपीते के बीज का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका उसे पपीते के साथ ही खाना है।- इसके अलावा, कच्चे बीज को पपीते से निकालकर मिक्सी या मूसल का उपयोग करके पीस लें। आप इसका उपयोग सलाद या सूप में डालकर भी कर सकते हैं।-पपीते के बीज का उपयोग आप उन्हें धूप में सूखाकर पाउडर बनाकर भी कर सकते हैं।-एक दिन में 5 से 8 ग्राम बीज का ही सेवन करें।-पपीते के बीज का पाउडर आप नींबू के रस या फिर सलाद के ऊपर छिड़क कर भी कर सकते हैं।
- अगर बिना काम किए ही आप थकान महसूस करने लगते हैं, बैठे-बैठे आपको नींद आने लगती है या फिर अचानक आपका वजन कम या ज्यादा हो गया है तो आपको अपना थाइरॉइड चेक करवाने की जरूरत है। दरअसल, थायरॉइड तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो गर्दन के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर मौजूद होती है। यह एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि है जो शरीर में थायरॉइड हार्मोन का निर्माण करती है। साथ ही यह ग्रंथि आपके शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को भी नियंत्रित करने में मदद करती है।थायरॉइड रोग का कारण थायरॉइड हार्मोन में आई गड़बड़ी होता है। जिसे जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव करके नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा ही एक बदलाव है अपनी डाइट में नारियल को शामिल करना। जी हां नारियल में मौजूद कई पोष्क तत्व थायरॉइड की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के पश्चात यह पाया है कि नारियल का सेवन करने वाले लोगों में थायरॉइड फंक्शन ठीक तरीके से काम करता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आप भी नारियल का सेवन कर सकते हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है थायरॉइड के लक्षण और उसे नियंत्रित रखने के लिए कैसे कर सकते हैं खाने में नारियल का इस्तेमाल।थाइरॉइड के लक्षण-बालों का पतला होना एवं झड़ना।-अनिद्रा (नींद ना आने की परेशानी)-चिड़चिड़ापन-अधिक पसीना आना।-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द-हार्मोनल बदलाव-मोटापा-थकान या अवसादखाने में नारियल का इस्तेमालनारियल तेलनारियल तेल आपके शरीर का मेटाबोलिक रेट बढ़ाने में मदद करता है। जिन लोगों के थायरॉयड की वजह से हाथ और पैर ठंडे रहते हैं, उन लोगों के लिए यह तेल बहुत फायदेमंद होता है। आप नारियल तेल को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए इसके तेल में सब्जियां भी पका सकते हैं।नारियल पानीथायरॉयड की समस्या को नियंत्रित करने के लिए आप हफ्ते में 3-4 बार नारियल पानी का सेवन भी कर सकते हैं।नारियल की चटनीदक्षिण भारत में इडली-डोसा के साथ नारियल की चटनी खाने का चलन काफी प्रसिद्ध है। आप भी अपने दैनिक आहार में इसका सेवन कर सकते हैं
- अदरक हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. इसमें पोटैशियम, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम और विटामिन जैसे गुण पाए जाते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती है. वहीं अक्सर आप अदरक का हमेशा छीलकर इस्तेमाल करते होंगे, और उनके छिलकें फेंक देते है. लेकिन आज हम आपको अदरक के छिलके के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे जानने के बाद शायद आप अदरक के छिलकों को फेंकेंगे नहीं.खांसी में कारगरखांसी से निजात पाने के लिए अदरक बहुत ही कारगर होता है. इसके लिए आप अदरक के छिलकों को इकट्ठा करके पहले धूप में सूखाएं फिर उसे मिक्सर में डालकर उसका पाउडर बनाएं. जब भी खांसी की समस्या हो तो अदरक का पाउडर और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी के साथ खाएं. आपको तुरंत ही खांसी में आराम मिल जाएगा.सब्जी के स्वाद के लिएअदरक के छिलकों को आप स्वादिष्ट सब्जी बनाने में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप गोभी,पत्तागोभी जैसी सब्जियों को स्टीम करने से पहले इसमें अदरक के छिलके डाल सकते है. ऐसा करने से सब्जी को फ्लेवर मिलने के साथ स्वाद भी बढ़कर आएगा.अदरक के छिलकों की चायअदरक की चाय ज्यादातर लोग पीना पसंद करते है. इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते है. इसके लिए आप अदरक के छिलकों को धोकर पानी में उबालें फिर इसकी चाय बनाकर पीएं.पेट के विकारों को दूर करता हैपेट के विकारों को दूर करने में अदरक के छिलते सक्षम होते है. अदरक के छिलके को पानी में उबालकर सेवन करने से पेट की बिमारी में आराम मिलता है.सूप में करें इसका इस्तेमालअदरक के छिलकों को आप सूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे सूप का स्वाद दोगुना होगा. अदरक के छिलकों के साथ सब्जियां उबालें, फिर इसका सूप बनाकर पीएं.
- कुछ लोगों का मानना है कि भोजन के दौरान पानी का सेवन करना पाचन के लिए अच्छा नहीं होता है। जबकि अन्य लोग मानते हैं कि यह विषाक्त पदार्थों को जमा करता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।बेशक, आपको ताज्जुब हो सकता है, यदि भोजन के साथ एक गिलास पानी पीने से आपके सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि इस बारे में अलग-अलग मत हैं। आइए जानते हैं भोजन के दौरान पानी पीने से पाचन और सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है।कैसे काम करता है पाचन तंत्रजैसे ही आप अपने भोजन को चबाना शुरू करते हैं आपके मुंह में पाचन शुरू हो जाता है। चबाते समय लार ग्रंथियों को लार का उत्पादन शुरू करने का संकेत मिलता है, जिसमें एंजाइम होते हैं जो भोजन को तोड़ने में मदद करते हैं। पेट में एसिडिक गैस्ट्रिक जूस से मिलने के बाद भोजन टूटता है और एक गाढ़ा लिक्विड बनाता है जिसे काइम कहते हैं।काइम छोटी आंत से गुजरता है और पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। ब्लडस्ट्रीम में पोषक तत्व विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हैं। जब बचे हुए पदार्थ उत्सर्जित होते हैं तो पाचन समाप्त हो जाता है। हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि आप क्या खाते हैं। पाचन प्रक्रिया पूरी होने में 24 से 72 घंटे का समय लगता है।क्या तरल पदार्थ पाचन समस्याएं उत्पन्न करते हैं?नियमित पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करना सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि भोजन के बाद पेय पदार्थों का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं होता है। आइए, जानते हैं भोजन के बाद लिक्विड पाचन को कैसे नुकसान पहुंचाता है।एल्कोहल और अम्लीय पेय लार पर खराब असर डालते हैंभोजन के दौरान अम्लीय या एल्कोहलिक पेय पदार्थों का सेवन करने से लार सूख जाती है जिससे भोजन पचने में कठिनाई होती है। शराब की प्रति यूनिट 10-15% से लार प्रवाह को कम करता है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि सीमित मात्रा में एल्कोहल या अम्लीय पेय का सेवन करने से यह पाचन क्रिया धीमा करता है।पानी, पेट का एसिड और पाचन एंजाइमकई लोग यह दावा करते हैं कि भोजन के साथ पानी पीने से पेट के एसिड और पाचन एंजाइमों को पतला करता है, जिससे शरीर को भोजन पचाने में मुश्किल होती है। हालांकि इसका भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।तरल पदार्थ और पाचन की गतिबहुत से लोग यह दावा करते हैं कि भोजन के साथ लिक्विड का सेवन करने से ये ठोस भोजन को पेट से बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह पेट के एसिड और पाचन एंजाइमों के साथ भोजन के संपर्क समय को कम करता है जिससे पाचन में कठिनाई होती है।तरल पदार्थ पाचन में सुधार कर सकते हैंतरल पदार्थ भोजन के बड़े हिस्सों को तोड़ने में मदद करते हैं, जिससे एसोफैगस और पेट में स्लाइड करना आसान हो जाता है। साथ ही ये पेट फूलने और कब्ज की समस्या को भी कम करते हैं। इसके अलावा, आपका पेट पाचन के दौरान गैस्ट्रिक एसिड और पाचन एंजाइमों के साथ पानी को स्रावित करता है। इन एंजाइमों के कार्य को बढ़ाने के लिए इस पानी की आवश्यकता होती है।
- चाय के दीवानों के लिए गर्मी क्या और सर्दी क्या? मौसम कोई भी हो लेकिन चाय की दीवानगी कभी कम नहीं होती। सर्दियों में चाय के कम ज्यादा हो जाते हैं, तो गर्मी में कुछ कप घट जाते हैं लेकिन चाय की चुस्कियां कभी बंद नहीं होती। बदलते मौसम में आप चाहें चाय बंद न करें लेकिन चाय बनाने के तरीके को जरूर बदल देना चाहिए।अदरक या इलायची वाली चायसर्दियों में अदरक वाली चाय पसंद की जाती है लेकिन गर्मियों में अगर आप अदरक वाली चाय का ज्यादा सेवन करते हैं, तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकती है। अदरक की तासीर बहुत ज्यादा गर्म होती है जिसकी वजह से कई लोगों को स्किन एलर्जी के साथ पेट से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में गर्मियों के मौसम में इलायची वाली चाय बेस्ट ऑप्शन है। इलायची न सिर्फ आपका मूड रिफ्रेश करती है बल्कि इसके कई फायदे भी हैं-इलायची वाली चाय के फायदे-इलायची के सेवन से सांस लेने की समस्या जैसे अस्थमा, तेज जुकाम और खांसी से राहत मिलती है। साथ ही यह फेफड़ों की परेशानी दूर करने में भी बहुत ही सहायता करती है।-मानव शरीर में कई सारी बीमारियां उच्च रक्तचाप के कारण जन्म लेती है, यदि आप नियमित रूप से दो से तीन इलायची का सेवन करें, तो रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।-इलायची वाली चाय न केवल स्वाद में अच्छी लगती है बल्कि इससे पाचन तंत्र भी दुरुस्तं रहता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करता है।-यदि आप तनाव की समस्या से घिरे रहते हैं, तो इलायची का सेवन आपके लिए लाभकारी हो सकता है। ऐसा देखा गया है कि इलायची चबाने से हार्मोन में तुरंत बदलाव देखने को मिलता है और आप तनाव से मुक्त हो जाते हैं।
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आयुर्वेद में नीम का उपयोग हजारों सालों से होता रहा है। एंटीबायोटिक और एंटी बैक्टीरियल गुणों से युक्त नीम को सर्वोत्तम औषधि के रूप में जाना जाता है। स्वाद में कड़वा होने के बावजूद शरीर की कई बीमारियों को दूर करने के लिए नीम बहुत उपयोगी माना जाता है। नीम के पत्तों, बीज, टहनी और पेड़ के छिलकों का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है। शरीर में खून साफ़ करने से लेकर बैक्टीरिया से सुरक्षा, शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को निकालने और अल्सर जैसे रोगों में नीम बेहद फायदेमंद मानी जाती है। आइये जाने नीम की पत्ती की चाय पीने से शरीर को क्या फायदा मिलता है।
नीम की पत्तियों की चाय बनाने का तरीकातमाम बीमारियों में फायदेमंद नीम का उपयोग कई तरीकों से किया जाता है। नीम के पत्तों, फल, फूल, और टहनी या छाल का उपयोग बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। नीम के पत्तों का उपयोग नीम की चाय बनाने में करते हैं। नीम के पाटों की चाय का सेहत के लिए अनोखे फायदे हैं। भले ही नीम के पत्तों की चाय स्वाद में कड़वी हो लेकिन इसके अनेकों मीठे फायदे हैं। अनेकों औषधीय गुणों से युक्त नीम के पत्तों की चाय बनाने का आसान तरीका ये है।-नीम के साफ और हरे पत्ते-शहद या नींबू-आधा लीटर पानीसबसे पहले नीम के ताजे हरे पत्तों को लेकर उन्हें साफ़ कर लें, इसके बाद एक गहरे आकार के बर्तन में लगभग आधा लीटर पानी डालें और तेज आंचा पर इसे उबाले। पानी उबलना शुरू हो जाए तो इसमें कुछ नीम की पत्तियां डाल दें और मध्यम आंच पर इसे उबलने दें। इससे पूरी तरह से उबल जाने के बाद छानकर इसमें शहद या नींबू का रस मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।नीम की चाय से होने वाले फायदेनीम की चाय का स्वाद बहले ही बेहद कड़वा हो लेकिन इसके तमाम मीठे फायदे हैं। नीम के पेड़ को आयुर्वेदिक चिकित्सा में बेहद उपयोगी माना जाता है। नीम के पत्तों की चाय शरीर को बैक्टीरियल संक्रमण से दूर रखती है, तमाम बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने में भी नीम की चाय असरदार शाबित होती है। खून की सफाई से लेकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में नीम की चाय बेहद उपयोगी मानी जाती है। नीम की चाय के सेवन से होने वाले कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं।एंटीऑक्सीडेंटनीम में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट के गुण शरीर को संक्रमण और बैक्टीरिया से लडऩे में सहयता प्रदान करते हैं। नीम की चाय के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है और इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने में बेहद सहायक होते हैं।एंटी इंफ्लेमेटरीनीम के पत्तों में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो शरीर को कई समस्याओं से दूर रखने में मददगार होते हैं।बीमारियों से लडऩे में सहायकनीम के पत्तों की चाय का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। नीम में पाए जाने वाले एंटिफंगल और एंटीमाइरियल गुण तमाम रोगों से लडऩे में सहायक होते हैं।खून को साफ़ रखने में फायदेमंदनीम के पत्तों की चाय का सेवन करने से शरीर को खून साफ़ रखने में मदद मिलती है। यह स्किन को भी साफ़ रखने में फायदेमंद माना जाता है।कब्ज और पेट की गड़बड़ी दूर करेनीम के पत्तों की चाय कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याओं में भी फायदेमंद मानी जाती है। इसके नियमित सेवन से कब्ज और पेट संबंधी दिक्कतें ख़त्म होती है।बुखार से बचावनीम के पत्तों का उपयोग बुखार जैसी समस्या को दूर करने में बेहद फायदेमंद माना जाता है। नीम के पत्तों से बनी चाय का उपयोग करने से निमोनिया और वायरल बुखार जैसी समस्या होने का ख़तरा बेहद कम हो जाता है।नीम की चाय का सेवन करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातेंनीम की चाय वैसे तो बेहद फायदेमंद होती है , लेकिन सही तरीके से इसका सेवन नही किया गया तो इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। नीम की चाय का सेवन गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए। नीम की चाय का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए, इसका सेवन हफ्ते में दो या तीन दिन से ज्यादा करने पर इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। नीम के पत्तों की चाय का सेवन लिथियम लेने वाले लोगों, ऑटोइम्यून विकारों या डायबिटीज, अंग प्रत्यारोपण और हाल ही में हुई या होने वाली सर्जरी वाले किसी व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। यदि आप किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हैं तो इसके सेवन से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें। - बदलती लाइफस्टाइल में पुरुष अपनी सेहत का ध्यान ज्यादा नहीं रख पाते हैं. खुद को एक्टिव और एनर्जी से भरपूर बनाए रखने के लिए पुरुष कई महंगी चीजों का सेवन करते हैं. लेकिन हम आपको एक ऐसी चीज की के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके ही घर में पाई जाती है. जिसकी एक कली खाने से आपको कही जाने की जरूरत नहीं होगी और सेहतमंद रहने के साथ-साथ आप कई बीमारियों से दूर भी रहेंगे. यह चीज कुछ और नहीं बल्कि लहसुन है. लेकिन क्या आप जानते है कि लहसुन की सूखी कलियां खाने के बहुत फायदे होंते हैं.लहसुन का प्रयोग घर-घर में किया जाता है. इसलिए यह आसानी से आपकी किचन में ही आपको मिल जाएगा. लहसुन की कच्ची कलियां बहुत फायदेमंद होती हैं. लहसुन की यही छोटी सी कलियां पुरुषों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है. क्योंकि लहसुन में एलिकिन नामक औषधीय तत्व पाया जाता है. जिसमे एंटीऑक्सिडेंट, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं. इसके अलावा लहसुन में विटामिन-B और विटामिन-C पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा लहसुन में सेलेनियम, मैगनीज कैल्शियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं. यही वजह है कि पुरुषों को अक्सर कच्चा लहसुन खाने की सलाह दी जाती है.जिन पुरुषों को ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है उनके लिए लहसुन बेहद फायदेमंद माना जाता है. क्योंकि लहसुन का सेवन करने से ब्लड प्रेशर के मरीज ठीक रहते हैं. इसलिए डॉक्टर भी पुरुषों को लहसुन खाने की सलाह देते हैं.पुरुषों को रात में लहसुन जरूर खाना चाहिए. क्योंकि लहसुन में एलीसिन नाम का पदार्थ पाया जाता है जो पुरुषों के मेल हार्मोन को ठीक रखता है. इसके अलावा लहसुन का सेवन करने से पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का खतरा भी दूर होता है. लहसुन में भारी मात्रा में विटामिन और सेलेनियम भी पाया जाता है, जिससे स्पर्म क्वालिटी बढ़ती है. इसलिए पुरुष अगर रात में सोने से पहले लहसुन की पांच कलियां भी खा लेंगे तो उन्हें बहुत फायदे मिलते हैं. इसलिए पुरुषों को लहसुन का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.लहसुन से पेट रहता है साफआज की भागदौड़ भरी लाइफ में पेट दर्द की समस्या आम बात हो गई है. लेकिन लहसुन का सेवन करने से आपकी पेट दर्द की समस्या दूर जाती है. लहसुन की कलियों को भूनकर खाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है. इसलिए पुरुषों को लहसुन की कलियां खाने की सलाह दी जाती है.शरीर के खराब तत्व निकालता है बाहरलहसुन हमारे शरीर से विषाक्त तत्व बाहर निकालता है. इसलिए सलाह दी जाती है कि रात को सोने से पहले भुना हुआ लहसुन खाएं. इससे यूरिन के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं. भुना हुआ लहसुन पौरुष शक्ति को बढ़ाता है. इसमें टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बढ़ाने का गुण पाया जाता है.
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मसालों का प्रयोग हर भारतीय खाने को बनाने में किया जाता है। लगभग हर भारतीय रसोई में तमाम प्रकार के मसालों का उपयोग किसी न किसी रूप में जरूर किया जाता है। इन मसालों के तमाम औषधीय गुण भी होते हैं जिसके लिए इनका इस्तेमाल तमाम लोग करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अनेक औषधीय गुणों से युक्त इन मसालों का खाली पेट सेवन करना कितना नुकसानदायक हो सकता है? जानेें ऐसे पांच मसालों के बारे में
1. काली मिर्चवैसे तो कालीमिर्च तमाम औषधीय गुणों से युक्त होती है लेकिन इसका सेवन खालीपेट करने से कई नुकसान भी हो सकते हैं। कालीमिर्च को मसलों के रूप में जाना जाता है और यह सेहत के बेहद फायदेमंद भी होती है। कालीमिर्च का अधिक मात्र में सेवन करना सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है। इसका ज्यादा सेवन हमारे शरीर पर होने वाले दवाओं के प्रभाव को ख़त्म कर देता है। खालीपेट इसका सेवन करने से आंतों को नुकसान होता है और इसका खालीपेट सेवन करने के बाद दवाओं का हमारे शरीर पर असर कम हो जाता है जिसकी वजह से एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है।2. दालचीनीदालचीनी भारतीय व्यंजनों में प्रयोग किया जाने वाला एक प्रमुख मसाला है। आयुर्वेद में इसके छाल, पत्तों, फूलों, फलों और जड़ों का उपयोग हजारों सालो से किया जा रहा है। दालचीनी के सेवन से सेहत को अनेक लाभ मिलते हैं, लेकिन सही तरीके और सही मात्रा में इसका सेवन न किया गया तो इसके सेवन के दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं। खालीपेट इसका सेवन सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है। बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसके खालीपेट और अधिक सेवन से बचना चाहिए। दालचीनी ब्लड शुगर को भी प्रभावित करती है ऐसे में डायबिटीज के रोगियों को इसका सेवन खाली पेट नही करना चाहिए। दालचीनी की गिनती गरम मसलों में की जाती है ऐसे में खालीपेट इसका सेवन लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अधिक सेवन से एलर्जी, मुहं में छालों आदि की समस्या भी देखी जाती है।3. अजवाइनप्रमुख भारतीय मसालों में से एक अजवाइन का भी उपयोग खूब किया जाता है। अजवाइन के बीज को मसाले के रूप में भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। कई बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद में अजवाइन का उपयोग किया जाता है। अजवाइन का सेवन खाली पेट करने से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। अजवाइन की भी गिनती गर्म मसाले में की जाती है इसका खालीपेट सेवन करने से शरीर का तापमान बिगड़ सकता है।4. मेथीमेथी भारतीय खानों में प्रयोग किया जाने वाला अनोखा मसाला है जिसका सैकड़ों सालों से औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आर्युवेद में मेथी के अनेक औषधीय गुण बताये गए हैं। मेथी में मौजूद यौगिक गर्भवती महिलाओं के लिए लाभदायक नहीं माने जाते हैं इसलिए इन महिलाओं को को मेथी के सेवन से बचना चाहिए। मेथी का अधिक सेवन दस्त, पेट की समस्या और एलर्जी जैसी समस्या को भी जन्म दे सकता है। सांस से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त व्यक्तियों को मेथी का सेवन नही करना चाहिए। ऐसे लोगों द्वारा मेथी का खालीपेट सेवन करने से अस्थमा जैसी समस्या भी पैदा हो सकती है।5. लाल मिर्चलाल मिर्च जिसे पैपरिका भी कहा जाता है अनेक गुणों से युक्त होती है। भारतीय रसोई में अक्सर इसका इस्तेमाल किया जाता है। लाल मिर्च के सेवन से शरीर को अनेक लाभ भी मिलते हैं। माना जाता है कि पैपरिका के सेवन से रुमेटीइड गठिया और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार में फायदा होता है। इसके अलावा एनीमिया की रोकथाम में यह फायदेमंद मानी जाती है। लाल मिर्च का खालीपेट सेवन सेहत के लिए फायदेमंद नहीं माना जाता है। इसके खालीपेट सेवन से पेट से जुड़ी समस्या होने का ख़तरा रहता है। लाल शिमला मिर्च का खाली पेट सेवन करने से पेट में जलन और फ्लू जैसी समस्या हो सकती है।-- - हर भारतीय परिवार में दाल-रोटी की गिनती पौष्टिक आहार में की जाती है। दाल में मौजूद प्रोटीन की प्रचुरता अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। दाल का सेवन करने से व्यक्ति को न सिर्फ सभी जरूरी पौष्टिक आहार मिल जाते हैं बल्कि पेट भी जल्दी भर जाता है। बावजूद इसके अगर आप दाल का सेवन गलत समय पर करते हैं, तो यह आपको फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। आइए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार आखिर क्या है दाल खाने का सबसे अच्छा समय और नियम।आयुर्वेद में क्या है दाल खाने का सही नियम?व्यक्ति जो भी कुछ खाता है, उसका सीधा असर व्यक्ति के वात, कफ औप पित्त पर पड़ता है। भोजन में परोसी गई हर चीज की तासीर अलग-अलग होती है। आयुर्वेद एक्सपर्ट की मानें तो रात के समय हमेशा हल्का आहार खाना चाहिए। रात को भारी भोजन करने से व्यक्ति के पेट पर बुरा असर पड़ सकता है। दाल का सेवन सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन रात के समय दाल खाने से व्यक्ति को अपच की शिकायत हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार रात को कभी भी साबुत मसूर,उड़द, छोले, राजमा,अरहर, तुअर और मटर जैसी दालों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की पाचन क्रिया पर विपरीत असर पड़ता है।दाल का सेवन करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का माना जाता है। बावजूद इसके अगर आप रात के भोजन में दाल शामिल करना चाहते हैं तो मूंग जैसी आसानी से पचने वाली दाल का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आपको रात के खाने में दाल खाना पसंद हैं तो कोशिश करें कि आप सोने से कम से कम दो-तीन घंटे पहले अपना डिनर कर लें। ऐसा इसलिए दाल प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है और इसे पचने में समय लगता है।चीनीचीनी का अत्याधिक सेवन आपके इंसुलिन लेवल को बढ़ाकर आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। शक्कर का सेवन रात के समय खासतौर पर ना करें। ऐसा करने से आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और व्यक्ति को नींद न आने की समस्या होने लगती है।दहीरात को दही खाने से बचें। रात को दही खाने से व्यक्ति को सर्दी-जुकाम की समस्या हो सकती है। इसके अलावा दही में नमक डालकर भी इसका सेवन न करें
- किशमिश का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि किशमिश में वह सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिसकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है। किशमिश में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटेशियम, कॉपर, विटामिन-बी6 और मैंगनीज के साथ ही कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो न सिर्फ आपके शरीर को पोषण प्रदान करते है, बल्कि कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को भी कम करती है।फूड साइंस की 2013 में प्रकाशित एक समीक्षा के अनुसार, किशमिश मधुमेह और हृदय रोग के विकास के जोखिम को कम करने जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है।किशमिश आवश्यक पोषक तत्वों के साथ पैक किया जाता है। यह आपको तुरंत ऊर्जा प्रदान करने के साथ ही कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। क्योंकि किशमिश की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं। इसलिए आपको आश्चर्य हो सकता है कि आपके लिए कौन सी किशमिश है ज्यादा स्वास्थ्यप्रद।पहले जानिए किशमिश कितने प्रकार की होती हैंकिशमिश की कई अलग-अलग किस्में मौजूद हैं। अधिकांश किशमिश बीज रहित होती हैं, जो कि गहरे भूरे रंग की होती हैं। इन्हें हरे रंग के थॉम्पसन बीज रहित अंगूर से बनाया जाता हैं, जबकि अन्य बैंगनी रंग के बीज रहित अंगूर से बनाए जाते हैं। ज़ांटे करंट्स (Zante currants) काले कॉरिंथ अंगूर से बने बहुत छोटे, गहरे भूरे रंग की बीज रहित किशमिश होती हैं, जिनमें तीखा स्वाद होता है और इन्हें अक्सर बेकिंग में इस्तेमाल किया जाता है।विशेषज्ञ बताते हैं कि सुनहरी किशमिश, जो एक चमकीले सुनहरे रंग की होती हैं, को नियमित रूप से भूरे रंग के बीज रहित किशमिश के रूप में हरे अंगूरों से बनाया जाता है। पर उन्हें धूप में सुखाने के बजाय डिहाइड्रेटर में सल्फर डाइऑक्साइड के साथ संसाधित किया जाता है।क्या किशमिश में चीनी होती है?विशेषज्ञों के अनुसार, सभी किशमिश अंगूर से प्राप्त होने वाली प्राकृतिक शुगर में उच्च होती हैं। किशमिश में किसी भी प्रकार की अन्य चीनी को नहीं जोड़ा जाता। हालांकि, सूखे मेवे के अन्य प्रकार, जैसे कि क्रैनबेरी, या क्राइसिन और सूखे अनानास में अक्सर पैलेटेबिलिटी बढ़ाने के लिए चीनी को मिलाया जाता है।किसमें होता है ज्यादा पोषणनियमित रूप से प्राकृतिक बीज रहित अंगूर, स्वर्ण अंगूर, और ज़ेंटा करंट सभी समान रूप से पोषण करते हैं। मुख्य अंतर यह है कि नियमित बीज रहित और सुनहरे किशमिश की तुलना में ज़ेंटा करंट कैलोरी में थोड़ा कम होता है।नियमित बीजरहित या सुनहरे किशमिश के एक-चौथाई कप में 130 कैलोरी होती है, लेकिन एक-चौथाई कप ज़ेंटा करंट सिर्फ 120 कैलोरी प्रदान करता है। अंगूर की इन तीन किस्मों में लगभग 29 ग्राम चीनी होती है - और फाइबर, पोटेशियम और आयरन का भी यह अच्छा स्रोत है। जबकि गोल्डन किशमिश को सल्फर डाइऑक्साइड के साथ परिष्कृत किया जाता है। अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन आमतौर पर इस पदार्थ को सुरक्षित मानता है।कौन से अंगूर से बनी किशमिश सबसे स्वास्थ्यप्रद हैं?नियमित रूप से प्राकृतिक बीज रहित अंगूर, सुनहरे अंगूर, और ज़ेंटा करंट सभी समान रूप से पोषण प्रदान करते हैं। मुख्य अंतर यह है कि नियमित बीज रहित और सुनहरे किशमिश की तुलना में ज़ेंटा करंट कैलोरी में थोड़ा कम होते हैं।तो क्या है अंतिम निर्णयसभी किशमिश पोषण में समान होती हैं, इसलिए वह चुनें जिसका स्वाद आपको पसंद हो। हालांकि, क्योंकि किशमिश में कैलोरी अधिक होती है, इसलिए अगर वजन कंट्रोल करना चाहती हैं, तो इसका सीमित मात्रा में ही सेवन करें।
- आम तौर पर शहरी क्षेत्रों के घरों में पानी को रखने और पीने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का प्रयोग किया जाता है। यही नहीं, लोगों की यह बहुत ही कॉमन सी आदत होती है कि अगर कोल्ड ड्रिंक पिया या कहीं पानी खरीदा तो उसकी खाली हो चुकी बोतल घर ले आए और उसे पीने या स्टोर करने के लिए प्रयोग करने लगेै।आपको इस बात की जानकारी होनी जरूरी है कि आपकी यह आदत ना केवल पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है, यह आपकी सेहत को भी सीधे तौर प्रभावित कर रही है। ये बोतलें कई कैमिकल प्रोसेस के बाद बनती हैं जिनका अपना रिसाइकिल का तरीका होता है। ये टेंपरेचर सेंसेटिव भी होती हैं जिस वजह से इनको अगर पानी पीने या स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जाए तो येे आपकेे स्वास्थ्य को कई तरह से हानि पहुंचा सकती है।खतरनाक कैमिकल के प्रभाव में आता है पानीहालांकि कई कंपनियां यह दावा करती आई हैं कि वे बीपीए फ्री प्लास्टिक का प्रयोग करती हैंै। इसके बावजूद हर तरह की प्लास्टिक बोतलों को बनाने में कई कैमिकल का प्रयोग किया जाता है जो मानव शरीर के लिए हानिकारक हैंै। जब ये बोतल पानी और हीट के संपर्क में आती हैं या कई दिनों तक पानी को इसमें स्टोर किया जाता है तो इसके हानिकारक कैमिकल पीने के पानी में घुल जाते हैं और हमारे शरीर की अंत: स्रावी ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं जिसका प्रभाव हमारे हार्मोन पर पड़ता हैै।74 प्रतिशत बोतल होती हैं टॉक्सिकइनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नॉलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में पाया गया कि रोजाना 8 तरीके के प्लास्टिक का प्रोडक्शन होता है जिसमें तमाम दावों के बावजूद 74 प्रतिशत प्रोडक्ट टॉक्सिक पाए गए। हालांकि लोगों में जागरुकता के अभाव की वजह से इनका धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है।पर्यावरण के लिए हानिकारकये प्लास्टिक अक्षय होते हैं जिन्हें नष्ट करने के लिए एक खास प्रोसेस में जाना होता है। अगर इन बोतलों का इस्तेमाल कर यहां वहां फेंक दिया जाए तो इनकी रीसाइकिलिंग सही तरीके से नहीं हो पाती। ऐसे में प्लास्टिक की बोतलें धरती पर प्लास्टिक कूड़ा बढ़ाती हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है. इसलिए प्लास्टिक का उपयोग करने की बजाय धातु से बनी बोतलों का उपयोग बेहतर है।गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए हानिकारकप्लास्टिक की बोतल में अगर लंबे समय से पानी स्टोर किया जा रहा है तो इसमें रखा पानी पूरी तरह टॉक्सिक हो चुका होता हैं जिनका प्रयोग अगर गर्भवती महिलाएं या बच्चे करें तो इनकी सेहत को यह बहुत ही नुकसान पहुंचाते हैं
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भारत में आमतौर पर दूध तीन तरह से मार्केट में उपलब्ध होते हैं। बाज़ार में पैकेट, टेट्रा पैक और खुला कच्चा दूध बेचा जाता है। दूध में मिलावट की समस्या अब आम हो गई है, तमाम रिपोट्र्स यह बताती हैं कि दुनियाभर के बाज़ारों में मिलावटी दूध की बिक्री लगातार बढती जा रही है। ऐसे में यह जान लेना बेहद जरूरी हो जाता है कि बाज़ार में मौजूद कौन सा दूध मिलावटी नही है और हमारी सेहत के फायदेमंद होगा। पैकेट में मिलने वाला या फिर टेट्रा पैक का प्रसंस्कृत दूध या बाज़ार में बिकने वाला कच्चा खुला दूध सेहत के लिए फायदेमंद है .....
दूध के सेवन से होने वाले फायदेदूध भारतीय घरों में इस्तेमाल किया जाना वाला मुख्य पेय पदार्थ है। दूध में विटामिन और कैल्शियम के साथ-साथ तमाम पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को सम्पूर्ण पोषण देने का काम करते हैं। दूध के सेवन से शरीर को अनेक लाभ होते हैं, दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन हमारी हड्डियों को मजबूती देते हैं। दूध विटामिन, कैल्शियम, पोटेशियम और प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है, इसका रोजाना सेवन करने से शरीर को होने वाले स्वास्थ्य लाभ कुछ इस प्रकार हैं।-हड्डियों और दांतों को मजबूत करता है।-उचित मात्रा में शरीर को प्रोटीन प्रदान करता है।-वजन का नियंत्रण और मोटापे से दूर रखता है।-हार्टबर्न को रोकने में सहायक।-स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करता है।-स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है।-मांसपेशियों को मजबूती देता है।-विटामिन, पोटेशियम और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत।-शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित करता है।कौन सा दूध है सेहत के लिए सहीपैकेट वाला दूधबाज़ारों में मिलने वाला पैकेट का दूध एक निश्चित तापमान पर गर्म करके तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पैकेट में रखा जाता है। इसे दूध का पास्चुरीकृत, होमोजिनाइज्ड वर्जन भी कहते हैं। दूध में मौजूद बैक्टीरिया आदि को ख़त्म करने के बाद इसे पैक किया जाता है। यह बाज़ारों में कई तरह का मिलता है। पैकेट वाले दूध में फुल क्रीम, टोन्ड और डबल टोन्ड दूध आते हैं। इसे आर्गेनिक कच्चे दूध से बेहतर नहीं माना जाता है।कच्चा दूधकच्चा दूध डेयरी या मवेशियों को पलने वाले लोगों के पास मिलता है। बाज़ार में डेयरी के माध्यम से इसकी भी बिक्री की जाती है। कच्चे दूध में भी मिलावट की तमाम रिपोट्र्स सामने आई हैं। बिना मिलावटी कच्चा दूध सबसे शुद्ध माना जाता है। आर्गेनिक कच्चा दूध सेहत के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोट्र्स के मुताबिक तमाम जगहों पर दूध के अधिक उत्पादन के लिए जानवरों को दवाओं के साथ कई इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। चारों में मिलावट और इंजेक्शन या दवा खिलाकर उत्पादित कच्चा दूध सेहत के लिए हानिकारक होता है। अगर दूध का उत्पादन पूरी तरह से आर्गेनिक तरीके से हुआ है तो कच्चा दूध सेहत के सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा।टेट्रा-पैकUHT या UHT तकनीक का उपयोग करते हुए कच्चे दूध को टेट्रा पैक वाले दूध में परिवर्तित किया जाता है। इसे पहले निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है उसके बाद ठंडा करके टेट्रा पैक में बंद किया जाता है। यह माना जाता है कि टेट्रा पैक में दूध की सुरक्षा के लिए 6 लेयर की सुरक्षा का उपयोग किया जाता है। तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि बाज़ार में उपलब्ध इन सभी प्रकार के दूध में टेट्रा पैक सबसे सुरक्षित दूध होता है। टेट्रा पैक वाले दूध को 6 लेयर की सुरक्षा में पैक किया जाता है जिससे इसमें हानिकारक तत्वों या बैक्टीरिया के पैदा होने की उम्मीद कम होती है। - इंडोर प्लांट लगाने के क्या फायदे हैं? इंडोर प्लांट न सिर्फ घर की सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि ये हवा को शुद्ध करके हमें कई बीमारियों से बचा सकते हैं। आजकल घर छोटे होते जा रहे हैं जहां रौशनी आसानी से नहीं पहुंचती पर कुछ इंडोर प्लांट ऐसे भी हैं जिन्हें ज्यादा रौशनी की जरूरत नहीं होती। ऐसे प्लांट को आप अपने कमरे में लगा सकते हैं। इंडोर प्लांट से थकान भी कम होती है और स्ट्रेस घटता है। अगर आपका घर ऐसी जगह है जहां प्रदूषण ज्यादा रहता है तो आपको इंडोर प्लांट लगाने चाहिए। ये हवा से जहरीले तत्वों को फिल्टर कर देते हैं। हम आपको ऐसे ही 10 पौधों के बारे में बताने जा रहे ह जिन्हें आप अपने कमरे या घर में लगा सकते हैं।1. बैम्बू पॉमअगर आपके घर में धूप नहीं रहती या आप फ्लैट में रहते हैं जहां धूप नहीं आती तो आप बैम्बू पॉम को घर में लगा सकते हैं। हवा में ट्राइकलोरेथिलीन और बेंजीन जैसे हानिकारक तत्व पाए जाते हैं जिन्हेंं फिल्मटर करने के लिए ये पौधा काम आएगा। ये हानिकारक तत्व फर्नीचर से निकलतेे हैं जिन्हेेंं साफ करना जरूरी है इसलिए आप इस पौधे को फर्नीचर के आसपास रख सकते हैं।2. स्नेक प्लांटस्नेक प्लांट घर में हवा को शुद्ध करने में मदद करता है। अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं और पौधों की चिंता है तो इस पौधे के साथ आपको ये चिंता नहीं सताएगी क्योंकि स्नेक प्लांट को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती। ये कई दिनों तक बिना पानी के जिंदा रह सकता है।3. ग्रीन स्पाइडर प्लांटग्रीन स्पाइडर प्लांट भी एक इंडोर प्लांट है जिससे हवा शुद्ध होती है। इसे गर्मी के मौसम में आप कमरे में रख सकते हैं। इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। इसको ग्रीन स्पाइड इसलिए बोला जाता है क्योंकि इसके पत्तों का आकार मकड़ी के जाल की तरह होता है।4 वीपिंंग फिंगइस प्लांट में सुंदर सफेद रंग के फूल निकलते हैं। ये पौधा लंबे समय तक चलता है। इसके साथ ही अगर आपके कमरे में धूल के कण हैं तो इन्हें ये हवा से बाहर निकालने में मदद करता है। धूल से बहुत लोगों को एलर्जी होती है ऐसे में ये पौधा काम का है। ये धूल के कण एब्सॉर्ब कर लेता है और हवा को साफ बनाता है। इस पेड़ की पत्तियां झड़ती हैं इसलिए इसे ज्यादा हिलाना नहीं चाहिए। .5. वार्नक ड्रैकेनाअगर आप वार्नक ड्रैकेना प्लांट को कमरे में रखेंगे तो ये प्रदूषित हवा से आपकी रक्षा करेगा। आप किसी ऐसे इलाके में रहते हैं जहां गाडिय़ों का प्रदूषण बहुत ज्यादा है तो आपको ये प्लांट घर में लगवाना चाहिए। इस पौधे को धूप की जरूरत नहीं होती इसलिए इसे बेस्ट इंडोर प्लांट माना जाता है।6. आर्किड प्लांटआर्किड प्लांट अपने सुंदर फूलों से कमरे को खास तो बनाता ही है साथ ही इसका पौधा कमरे में रखने से ये हवा को साफ करता है। हवा में जाइलिन और टोल्यून नाम के दो कंपाउंड पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जाते। अगर आप आर्किड का पौधा कमरे में रखें तो ये हवा से इन दोनों कंपाउंड को फिल्टर कर देगा और आप साफ हवा में सांस ले पाएंगे।7. अंग्रेजी आइवीअंग्रेजी आइवी को घर में लगाने से हवा में मौजूद छोटे बैक्टिेरिया खत्म होते हैं। ये बैक्टिेरिया बॉथरूम में टॉवल, ब्रश या टॉयलेट सीट पर पाए जाते हैं जिनसे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए आप इस पौधे को बॉथरूम के पास लगाएं। ब्रिटिश की जर्नल लैंसेट में छपे एक शोध के मुताबिक घर में उगाए गए पौधों से स्ट्रेस कम होता है।8. पीस लिलीस्पेस ऑर्गेनाइजेशन नासा के शोध के मुताबिक पीस लिली प्लांट ट्राइकलोरेथिलीन और बेंजीन से हवा को मुक्त करता है। जिन लोगों को अस्थमा है या जिन्हें सांस की तकलीफ है उन्हें खासतौर पर ये पौधा घर में लगाना चाहिए। ये पौधा कम रौशनी में भी जिंदा रह सकता है। आप कैमिकल युक्त एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल करने के बजाय इस पौधे का इस्तेमाल करें। इसकी खुशबू आपका मूड बदल देगी।9. ऐरेका पॉम प्लांटऐरेका प्लांट को घर में लगाएंगे तो ये हवा से जाइलिन और टोल्यून जैसे कंपाउंड को फिल्टर कर देगा। इस पौधे का कद 5 फीट तक बढ़ता है। ये प्लांट कम पानी में भी जिंदा रह सकता है। अगर आप कोई इंडोर प्लांट ढूंढ रहें तो इसे चुन सकते हैं। शोध के मुताबिक जिन कमरों में पौधा लगा होता है वहां बीमारी की आशंका 60 प्रतिशत तक कम हो जाती है। ये मेंटल और फिजीकल हेल्थ दोनों के लिए फायदेमंद है।10. तुलसी का पौधातुलसी के फायदे तो आप सब जानते हैं। तुलसी का पौधा हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को फिल्टर करता है। तुलसी के पौधे के कई औषधीय फायदे भी हैं। हवा की गुणवत्ता ठीक करने के लिए आप तुलसी का पौधा कमरे में लगाएं। आपको इसे नियमित रूप से पानी देने की जरूरत है और इसे धूप वाली खिड़की पर रखें।
- दूध में कई तरह के गुण होते हैं। ये आपकी सेहत के साथ-साथ आपके निखार को भी बनाता है। ऐसे ही अपनी सुंदरता में निखार लाने के लिए महिलाएं कई चीजों और सौंदर्य प्रसाधनों का सहारा लेती हैं। लेकिन उन सब को छोडक़र आप घरेलु तरीके भी अपना सकती हैं और उनमे से ही एक है दूध, जिसके बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं।चेहरे पर मुंहासों की समस्या हो या झुर्रियां की या फिर दाग-धब्बे, दूध और शहद जैसे घरेलू उपाय की मदद से यह धीरे-धीरे गायब होने लगते हैं और चेहरे पर निखार आने लगता है। अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा है कि आप दूध से चेहरे पर कैसे निखार ला सकते है, आइए जानते है।शहद और दूध क्लींजर...चेहरे में छिपी गंदगी या मैल को साफ करने के लिये दूध में शहद को मिलाकर लगाए क्योकि शहद त्वचा के लिए टॉनिक का काम करता है। जिसे खाने से और लगाने से स्किन ग्लो करने लगती है। स्किन को गोरा बनाने के लिए एक छोटे चम्मच में शहद लेकर दूध के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाए और 10 मिनट तक लगे रहने दे। इसके बाद चेहरे पर से इसे पानी से धोने के बाद आप खुद ही महसूस करने लगेंगी।रंग में निखार और मुलायम त्वचा...दूध को पूरे शरीर पर मलने से त्वचा मुलायम होती है और निखार आता है। 2 चम्मच दूध की मलाई में एक चम्मच शहद मिलाकर अपनी त्वचा पर लगाए। इससे त्वचा की खुश्की कम होती है। दूध और गुलाब जल मिलाकर पूरे शरीर पर मालिश करने से त्वचा का रंग धीरे-धीरे निखरना शुरू हो जाता है।झुर्रियां दूर करे...चेहरे की झुर्रियां दूर करने में भी दूध बहुत लाभदायक है। 2 चम्मच शहद में 3-4 चम्मच दूध की मलाई मिला लें व इसे चेहरे पर अप्लाई करें। इसके इस्तेमाल से चेहरे की झुर्रियां कम होने लगेंगी।होंठों को बनाए सॉफ्ट और गुलाबी...होंठ अगर काले हो गए हों तो दूध को होठों पर लगाने से कालापन दूर होता है। अगर आपके होंठ फट गए हैं तो रात को सोने से पहले एक बूंद गुलाबजल और एक बूंद नींबू का रस दूध की मलाई में मिलाकर लगा लें। सुबह आपके होंठ सॉफ्ट और गुलाबी होंगे
- अगर आपका बच्चा खेल-खेल में रस्सी कूदता है, तो ये जानकर आपको खुशी होगी कि ये एक ऐसा खेल है जो व्यायाम भी है और साथ ही सेहत को कई प्रकार से फायदा पहुंचाता है। ये भी कहा जाता है कि रस्सी कूदने से छोटे कद वालों को अपनी हाइट बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा भी रस्सी कूदने के कई फायदे होते हैं, आइए जानते हैं -1 रस्सी कूदना शरीर के रक्तसंचार को बढ़ाने के साथ ही आपको ऊर्जावान बनाने के लिए काफी फायदेमंद है। यह उत्साह बढ़ाने का भी बेहतरीन जरिया है।2 वजन कम करना हो या फिर शरीर की बढ़ी हुई चर्बी कम करना हो, रस्सी कूदना सबसे आसान विकल्प है, जो आप जब चाहें आजमा सकते हैं।3 बढ़ती उम्र में रस्सी कूदना, कद बढ़ाने के लिए बढिय़ा एक्सरसाइज है। खेल-खेल में ही यह हाइट बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका साबित होता है।4 यह आपको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है, तनाव को कम करता है साथ ही चेहरे पर प्राकृतिक चमक लाने के लिए भी सहायक है।5 यह शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाता है, साथ ही हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे आप स्वस्थ्य बने रहते हैं।