ब्रेकिंग न्यूज़

कॉफी का केंद्र बन रहा जनजातीय बहुल कोरापुट जिला

कोरापुट (ओडिशा) .अभी तक अपनी गरीबी के लिए जाना जाने वाले ओडिशा का पिछड़ा कोरापुट जिला अब वैश्विक स्तर पर कॉफी का एक बड़ा केंद्र बनकर उभर रहा है। कोरापुट को हाल में आयोजित विश्व कॉफी सम्मेलन में बहुत सराहना मिली।

    कॉफी बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस जिले में नए बागवानों द्वारा उगाई गई कॉफी ने पिछले महीने बेंगलुरु में आयोजित पांचवें विश्व कॉफी सम्मेलन में कई पुरस्कार जीते। जिले में पैदा की जाने वाली कॉफी की एक किस्म को सर्वश्रेष्ठ ‘प्राकृतिक कॉफी' का पुरस्कार मिला। एक किस्म को ‘अर्ध-धुली कॉफी' श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ चुना गया जबकि एक अन्य किस्म को ‘धुली कॉफी' की श्रेणी में पांचवां स्थान मिला। कोरापुट के जनजातीय विकास सहकारी निगम ओडिशा लिमिटेड (टीडीसीसीओएल) के जिला विपणन प्रबंधक आशुतोष नंदा ने कहा, ‘‘कोरापुट में पैदा की जाने वाली कॉफी की अरेबिका किस्म अपने विशिष्ट स्वाद और कम अम्लता सामग्री के लिए जानी जाती है, जिसके कारण इसमें स्थापित ब्रांड को कड़ी टक्कर देने की क्षमता है।'' कॉफी की खेती ने जिले में नंदपुर ब्लॉक के खुडुबू गांव में रहने वाले 38 वर्षीय सिद्धार्थ पांगी का जीवन बदल दिया है। पांगी जिले के कई अन्य लोगों की तरह पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में एक प्रवासी मजदूर के रूप में काम करता था। पांगी के परिवार में चार सदस्य हैं। पांगी ने चार साल पहले वन अधिकार अधिनियम के तहत मिली अपनी दो एकड़ जमीन पर कॉफी की खेती करने का फैसला किया और आज पांगी एवं उसका परिवार अपने आरामदायक जीवन का श्रेय कॉफी और काली मिर्च की खेती को देते हैं। उसने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि कॉफी उगाने से मेरी आय इतनी बढ़ जाएगी कि मुझे प्रवासी मजदूर बनने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैंने 2022-23 में कॉफी के बीज बेचकर लगभग 70,000 रुपये और काली मिर्च बेचकर 60,000 रुपये कमाए।'' पांगी मक्का और बाजरा की खेती भी करता है। उसने कहा कि कॉफी और काली मिर्च की खेती से होने वाली आमदनी की मदद से उसने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए एक चार पहिया वाहन खरीद लिया, जिससे उसकी आय और बढ़ गई।

    अधिकारियों ने कहा कि खुडुबू के लगभग 50 जनजातीय किसानों ने 2022-23 में 55 रुपये प्रति किलोग्राम पर 24 टन से अधिक कॉफी के बीज बेचकर सामूहिक रूप से 13 लाख रुपये से अधिक कमाए। कोरापुट में कॉफी बोर्ड के पूर्व वरिष्ठ संपर्क अधिकारी और अब कर्नाटक के कूर्ग में तैनात कॉफी बोर्ड अधिकारी अजीत राउत ने बताया कि कोरापुट में कॉफी की खेती सबसे पहले 1930 में जयपुर (ओडिशा) के तत्कालीन महाराजा राजबहादुर राम चंद्र देव ने शुरू करवाई थी। जयपुर जमींदारी के 1951 में समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने 1958 में मृदा संरक्षण विभाग के जरिए जिले की मचकुंड जल विद्युत परियोजना के मचकुंड बेसिन में गाद को रोकने के उपाय के रूप में कॉफी के बागान लगाए, लेकिन जिले को कॉफी बागानों के लिए एक गैर-पारंपरिक क्षेत्र नामित कर दिया गया। यह राउत के प्रयासों का ही परिणाम था कि जिला प्रशासन ने कोरापुट को कॉफी केंद्र में बदलने के लिए मई 2017 में कॉफी विकास न्यास की स्थापना की। जिले में अतिरिक्त 22,000 हेक्टेयर भूमि को कॉफी की पैदावार वाले क्षेत्र के अंतर्गत लाने के लक्ष्य के साथ इसकी खेती को पुनर्जीवित करने के लिए 10-वर्षीय खाका तैयार किया गया।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english