प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडे के जन्म दिवस पर संगोष्ठी आयोजित
भिलाई । नेहरू नगर भेलवा तालाब में आज 1857 गदर के प्रथम नायक मंगल पांडे का जन्म दिवस पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इसका उद्देश्य था युवाओं के बीच में महान क्रांतिकारी द्वारा किए गए बलिदान एवं राष्ट्रीय भक्ति के भावनाओं को जागृत करना। संगोष्ठी के दौरान नगर निगम भिलाई के सहायक राजस्व अधिकारी एवं आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक अजय शुक्ला ने बताया कि मंगल पांडे का जन्म जिला बलिया उत्तर प्रदेश में हुआ था। 22 वर्ष की उम्र में वे सेना में भर्ती हो गए थे। प्रथम विद्रोह उनके द्वारा किया, जब पता चला कि गाय की चर्बी लगा हुआ गोला जिसे मुंह से खोलना पड़ेगा। उन्होंने इस्तेमाल करने से मना कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ की पूरी सेना की पलटन उनके साथ हो गई और वहीं से अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की शुरुआत हो गई। उस समय अंग्रेजों का बहुत खौफ था। अंग्रेजों के डर के आगे कोई मुंह नहीं खुलता था, पहले आजादी का आवाज बनकर मंगल पांडे जी मुखर हुए। संघ के तरफ से ओम सिंघानिया ने बताया कि आजादी हमें ऐसे नहीं मिली है हम कुछ लोगों को ही जानते हैं। लेकिन इसके पीछे ऐसे महान लोग छिपे हैं जिनके बारे में हमें जानना चाहिए मंगल पांडे उनमें से एक है। भारत विकास परिषद के सचिव जितेंद्र सिंह ने कहा बहुत सारे आजादी के दीवाने गुमनामी में खो गए। उनकी क्रांति का आवाज का जिक्र बहुत कम हुआ। लेकिन यह जहां थे, जिस हालत में थे वहीं से स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बज रहे थे। विश्व हिंदू परिषद के शैलेंद्र परिहार ने बताया मंगल पांडे को फांसी बहुत कुरता के साथ दी गई थी। जिससे बाकी क्रांतिकारीयो के अंदर डर बैठ जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ विद्रोह बढ़ता गया क्रांति का स्वरूप उग्र होता चला गया। भारत माता को आजाद करने के लिए बहुत सी कुर्बानियां देनी पड़ी। संगोष्ठी में उपस्थित रहे पंकज चौरसिया, देवेश सिंह, एमपी सिंह ,भारत विकास परिषद से नरेश गुप्ता, जीपी सोनी, रितेश वर्मा, प्रताप डीजे, सुनील यादव, डोमार सिंह राजपूत, सौरभ ठाकुर, आदित्य सिंह, अमिया जाना, संजय साठवाने, सुभाष सिंह, जय किशन आहूजा, विक्की गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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