ग्रामीणों ने श्रमदान से दुरूस्त कर दी कच्ची सड़क
राजनांदगांव। छुरिया क्षेत्र के अंदरूनी गांव बीजेपार के निवासियों ने स्वस्फूर्त श्रमदान कर वर्षों पुराने कच्चे मार्ग को दुरूस्त कर अनूठी मिसाल पेश की है। लगभग तीन किमी के इस कच्चे रास्ते के बेहतर होने से न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि महाराष्ट्र के सीमावर्ती गांव के ग्रामीणों को आवागमन में सहूलियत होगी। ग्रामीणों ने श्रमदान से कुछ रचनात्मक और सकारात्मक मिशाल पेश करने की ठानी। बैठक में निर्णय किया। श्रमदान के लिए नवाज को भी आमंत्रित किया गया। शनिवार सुबह सभी ने श्रमदान कर सड़क को आवागमन के लायक बना डाला।
बीजेपार-भर्रीटोला के बीच का यह रास्ता दशकों से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। ऐसे में जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष नवाज ने ग्रामीणों संग एक जनसहयोग की भावना लेकर श्रमदान करने की मुहिम शुरू की। शनिवार को बीजेपार के वासियों ने त्यौहार के रूप में श्रमदान कर एक नया उदाहरण पेश किया। बैंक अध्यक्ष नवाज ने ग्रामीणों को कष्टमुक्त करने श्रमदान को एक बढिय़ा जरिया बनाया।
श्रमदान के लिए किसान चौपाल कार्यक्रम में सहमति बनी थी। कच्चा रास्ता को नया रूप देने के लिए स्वस्फूर्त ग्रामीण इस मुहिम में जुड़ गए हैं। बताया गया कि उक्त मार्ग को लगभग 25 साल पहले ग्रामीणोंं ने चंदाकर एक किसान से खरीदा था। आज पर्यंत यह मार्ग कीचड़ और उबडख़ाबड़ रास्ते के रूप में था। राजनीतिक तौर पर ग्रामीणों की सदियों पुरानी मांग को अनसुना कर दिया गया। ऐसे में नवाज की अपील पर ग्रामीण श्रमदान करने के अभियान में स्वमेव जुड़ गए। श्रमदान के कारण अब यह रास्ता आवाजाही के लिहाज से सुगम हो गया है। इस रास्ते से सीधे ग्रामीण पैरीटोला होकर छुरिया आसानी से पहुंच सकते हैं। जबकि मौजूदा समय में नौ किमी का अतिरिक्त सफर करने के बाद ही छुरिया का रास्ता तय होता है। बीजेपार-भर्रीटोला कच्चा रास्ता दुरूस्त होने से झाडीखैरी, मालडोंगरी, ग्वालदंड, विचारपुर, खेड़ेपार के अलावा महाराष्ट्र के मातेखेड़ा, कुसमी, मुड़मारी, तुमड़ीकसा और कटलीटोला जैसे गांव के लोगों को सुगम रास्ता नसीब होगा।
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