बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य पर्यटकों के लिए फिर खुला
-प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध जैवविविधता और ईको-टूरिज्म का अनोखा संगम - लेपर्ड सफारी बनेगा नया आकर्षण केंद्र
-वर्षा ऋतु खत्म होने के बाद देखते ही बन रही है अभयारण्य की सुंदरता
बलौदाबाज़ार-भाटापारा बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य, रायपुर से लगभग दो घंटे की दूरी पर स्थित, छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख वन्यजीव गंतव्य है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह अभयारण्य 1 नवम्बर 2025 से पर्यटकों के लिए पुनः खुल गया है।
वर्ष ऋतु में यहाँ पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाई गई थी।बारिश ख़त्म होने के बाद अभयारण्य की सुंदरता में चार चाँद लग गए हैं। इस बार अभ्यारण्य में पर्यटकों की सुविधा के लिए तीन प्रवेश द्वार - पकरीद, बरबसपुर और रवान निर्धारित किए गए हैं, जिनसे सफारी की सुविधा उपलब्ध रहेगी। जंगल सफारी के दौरान पर्यटक यहां की समृद्ध वन संपदा और विविध जीव-जंतुओं को नज़दीक से देखने का रोमांच अनुभव कर सकेंगे।
मुख्य आकर्षणों में तेंदुआ, भालू, गौर, कृष्णमृग सहित कई अन्य स्तनधारी प्रजातियां तथा 200 से अधिक पक्षी प्रजातियां शामिल हैं, जो इस क्षेत्र की पारिस्थितिक समृद्धि को दर्शाती हैं। इस वर्ष विशेष रूप से तैयार किया गया “लेपर्ड सफारी जोन” पर्यटकों के लिए एक नया और रोमांचक अनुभव प्रदान करेगा। बारनवापारा केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि प्रकृति और शांति के चाहने वालों के लिए भी एक आदर्श स्थल है। यहाँ की वादियों में फैली हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट और सघन वनों की प्राकृतिक सुंदरता एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है। पर्यटकों के लिए अभ्यारण्य परिसर एवं आसपास स्थित इको-टूरिज्म रेसॉर्ट्स एवं विश्राम गृहों में रहने की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई है, जहाँ वे प्रकृति की गोद में सुकून भरे पल बिता सकते हैं।
इस अवसर पर वनमण्डलाधिकारी बलौदाबाजार श्री धम्मशील गणवीर ने कहा कि - “बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि यह प्रकृति से जुड़ने और संरक्षण की भावना को जागृत करने का माध्यम है। हम सभी प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों का स्वागत करते हैं कि वे इस सत्र में बारनवापारा आएं और इसकी अद्भुत जैव-विविधता का अनुभव करें।” वन विभाग द्वारा पर्यटकों से अनुरोध किया गया है कि वे निर्धारित सुरक्षा एवं संरक्षण नियमों का पालन करें, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके।












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