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 घूंघट नहीं खोलूंगी सैयां तोरे आगे.......

 

 यादें- अभिनेत्री कुमकुम

28 जुलाई - पुण्यतिथि
 लेखक- प्रशांत शर्मा
  बीते जमाने की खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में एक थी कुमकुम यानी ज़ैबुनिस्सा। आंखों से बला का अभिनय करती थीं। डांस में भी माहिर थी, लिहाजा फिल्में भी उन्होंने खूब की और लोकप्रियता भी हासिल की। कुमकुम ने फिल्मों में लीड रोल भी किया और साइड रोल भी। साइड रोल में भी वे अपने बूते पर अपनी एक अलग पहचान बना ही लेती थीं। 28 जुलार्ई को उनको इस संसार से रुखसत हुए पूरे चार साल हो गए हैं। 28 जुलाई 2020 को उन्होंने 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। अपने कॅरिअर में उन्होंने हिन्दी व भोजपुरी फिल्मों में काम किया।  
उन्होंने 50 के दशक में फिल्मों में कदम रखे थे। प्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित शंभू महाराज ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली कथक में प्रशिक्षित किया। कुमकुम ने 'मधुबन में राधिका नाचे रे', 'हाय जादूगर कातिल, हाजिर है मेरा दिल' और कई अन्य गानों में अपना नृत्य कौशल दिखाया। 
  अभिनेत्री कुमकुम ने अपने पूरे कॅरिअर में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है। इनमें मदर इंडिया, मिस्टर एक्स इन बॉम्बे, कोहिनूर आदि फिल्में शामिल हैं। उन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर किशोर कुमार के अलावा राजेन्द्र कुमार, महमूद के साथ लीड रोल निभाया। कुमकुम ने गंगा की लहरें, श्रीमान फंटूश, हाए मेरा दिल और मिस्टर एक्स इन बॉम्बे जैसी कई फिल्मों में किशोर कुमार के साथ अभिनय किया।  
 फिल्म मदर इंडिया में राजेन्द्र कुमार के साथ उनकी जोड़ी बनीं और इस फिल्म के एक गाना, जो राजेन्द्र कुमार और कुमकुम पर फिल्माया गया-  घूंघट नहीं खोलूंगी सैयां तोरे आगे.......े.....। इस गाने में कुमकुम ने अपने हाव-भाव और आंखों से ऐसा जादू डाला कि लोग उन्हें देखते ही रह गए। फिल्म में नरगिस जैसी एक्ट्रेस की उपस्थिति के बावजूद अपने साइड रोल में कुमकुम ने लोगों को प्रभावित कर ही लिया।  
कुमकुम दिल की भी काफी सच्ची और अच्छी थीं इसलिए अपने साथी कलाकारों के साथ उनकी कमाल की बॉडिंग हुआ करती थी, लेकिन मजाल कि किसी के साथ उनका नाम जुड़े। धर्मेन्द्र की वे पहली हिरोइन थीं। आज भी धर्मेन्द्र उन्हें याद करते हंै कि उस वक्त कुमकुम ने उनकी मदद की थी, जब कोई एक्ट्रेस उनकी नायिका बनने के लिए तैयार नहीं थी। धर्मेंद्र ने कुमकुम के साथ 1960 में आई फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' में काम किया था। यह धर्मेंद्र की डेब्यू फिल्म थी। वहीं कुमकुम तब तक कई फिल्मों में काम कर चुकी थीं। 
 इस बारे में धर्मेंद्र ने कहा था, 'कुमकुम 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' फिल्म में काम करने को तैयार हो गई थीं। जबकि वह उस समय तक 'प्यासा', 'मदर इंडिया' और 'नया दौर' जैसी कई हिट फिल्मों में काम कर चुकी थीं। मैंने कुमकुम जी से सीखा कि न्यूकमर्स के प्रति विनम्र रहो। मैं कभी नहीं भूल सकता कि कुमकुम मेरे प्रति कितनी दयालु और विनम्र थीं। उन्होंने मुझे घर जैसा महसूस कराया। मेरे और मेरे परिवार के बारे में बात की। मेरी जिंदगी में दिलचस्पी दिखाई। शॉट्स में मेरी मदद की। मैं हमेशा उनका ऋणी रहूंगा।'
 कुमकुम ने फिर 1968 में आई रामानंद सागर की फिल्म 'आंखें' में धर्मेंद्र की बहन का किरदार निभाया था। 1972 में आई फिल्म 'ललकार' में भी दोनों ने साथ काम किया। धर्मेंद्र कभी नहीं भूल पाए कि कुमकुम ने उन्हें रिश्तों की कद्र करना सिखाया।
 कुमकुम को गुरुदत्त की खोज कहा जाता था। उन्होंने ही एक्ट्रेस को फिल्मों में लॉन्च किया था। गुरुदत्त ने 1950 में कुमकुम को 'आर पार' गाने में कास्ट किया। इसके बाद गुरुदत्त की 'प्यासा' और 'मिस्टर एंड मिसेज 55' में नजर आईं। कुमकुम को क्लासिक फिल्मों के दौर की टॉप एक्ट्रेस माना जाता था। फिर भी उन्होंने फिल्मों में सपोर्टिंग किरदार निभाने से भी परहेज नहीं किया। 
कुमकुम ने सज्जाद अकबर खान से शादी की जो भारत के लखनऊ से थे और सऊदी अरब में काम करते थे। कुमकुम अपनी शादी के बाद सऊदी अरब चली गईं और 23 साल बाद 1995 में भारत लौटीं। उनके दो बच्चे हुए- अंदलीब अकबर खान (बेटी) और हादी अली अबरार (बेटा)। 
 
 

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