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 सुनहरे परदे पर सपने बुनने वाले शो मैन राजकपूर

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राजकपूर की सौंवी जयंती पर विशेष
 
आलेख- प्रशांत शर्मा
 भारतीय फिल्में आम आदमी का व्यक्तिगत गीत है। भारतीय सिनेमा और अभिनेता राजकपूर उसके श्रेष्ठतम गायकों में एक हैं। जब भी भारतीय फिल्मों के इतिहास का जिक्र होगा, तब राजकपूर की फिल्में और उनका कालखंड इसके खास पन्नों में दर्ज रहेगा। आजाद भारत के साथ राजकपूर की सृजन यात्रा भी शुरू होती है। उनकी पहली फिल्म आग 1948 में रिलीज हुई थी। वहीं उनकी आखिरी फिल्म राम तेरी गंगा मैली, 15 अगस्त 1985 को प्रदर्शित हुई। 
अपनी पहली फिल्म आग के नायक की तरह राजकपूर जीवन में कुछ असाधारण कर गुजरना चाहते थे। जलती हुई महत्वाकांक्षा उनका र्ईंधन बनी। उनके पिता पृथ्वीराज उनकी प्रेरणा के तीसरे स्रोत थे।  राजकपूर की अपने पिता के प्रति असीम श्रद्धा थी और वे हमेशा ऐसा काम करना चाहते थे जिससे उनके पिता का गौरव बढ़े। ऐसा हुआ भी। 
राजकपूर को सफेद रंग से काफी प्रेम था और उनकी पत्नी कृष्णा हो या फिर फिल्मों में उनकी नायिका ज्यादातर सफेद लिबास में ही नजर आती थीं। यह राजकपूर का कृष्णा के प्रति पहली नजर का प्रेम ही था, जो ताउम्र बना रहा। दरअसल राजकपूर ने जब पहली बार रीवा में कृष्णा को देखा तो वे सफेद साड़ी में काफी खूबसूरत नजर आ रही थीं। राजकपूर उन्हें दिल दे बैठे और फिर उनकी शादी भी हो गई। बताते हैं कि राज कपूर की शाही शादी हुई थी। मुंबई से बॉम्बे-हावड़ा ट्रेन से पहले बारात मध्य प्रदेश के सतना पहुंची। सतना से बारात को रीवा तक लाने के लिए रीवा रियासत के राजा और आईजी करतार नाथ ने वीवीआईपी गाडिय़ों का काफिले भेजा था। हजारों लोग इस शादी के साक्षी बने थे। कृष्णा रीवा के आईजी करतारनाथ मल्होत्रा की बेटी थीं। रीवा में एक नाटक के मंचन के दौरान करतार नाथ और राजकपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर की गहरी दोस्ती हो गई थी। उस वक्त राजकपूर मात्र 22 साल के थे। पृथ्वीराज कपूर ने आईजी करतार नाथ के साथ अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने का फैसला कर चुके थे। उसी दौरान राजकपूर ने कृष्णा को पहली बार देखा और दिल हार बैठे। पिता से प्रस्ताव आने के बाद राजकपूर ने तुरंत ही शादी के लिए हां कह दिया।  12 मई 1946 को जब दोनों शादी के बंधन में बंधे, तो यह रीवा की ऐतिहासिक शादियों में से एक साबित हुई। कृष्णा और राज कूपर की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।  
कहा जाता है कि कृष्णा मल्होत्रा से विवाह के बाद तो जैसे राज कपूर की किस्मत ही चमक गई।   एक-एक कर राज कपूर की फिल्में सुपरहिट होने लगीं।  धीरे-धीरे पूरी दुनिया में राज कपूर प्रसिद्ध होते गए और उनको बॉलीवुड का शोमैन कहा जाने लगा। शो मैन क्योंकि वे अपनी फिल्मों में सपने बुनते थे और उसे काफी भव्यता के साथ प्रदर्शित करते थे। 
राजकपूर ने काफी नाम कमाया, लेकिन इस सफलता के बीच उनका असली नाम कहीं खो गया। पिता पृथ्वीराज ने अपने पहले बेटे का नाम रणबीर राज रखने का फैसला किया था। 14 दिसंबर 1924 को जब उनकी पहली संतान ने इस दुनिया में कदम रखा तो किसी कारण से यह नाम बदलकर सृष्टि नाथ कपूर हो गया, लेकिन फिल्मों में इस बेटे ने राजकपूर के नाम से कदम रखा और अपने अभिनय, जुनून, शैली से एक अलग ही इतिहास रच दिया। उन्हीं सृष्टि नाथ कपूर को पूरी दुनिया आज शोमैन राज कपूर के नाम से जानती है।

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