भोर शुभ नव वर्ष आया
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
चैत्र की नवरात्रि आई , मात आई आज द्वार ।
भोर शुभ नव वर्ष आया , रंग रंगोली पुष्प हार ।।
आ सजाएँ तोरणों से , अंबुजा कर श्वेत धार ।
दैत्य का संहार करती , बोझ धरती का उतार ।। 1 ।।
धारिणी जग तारिणी माँ , शेर पर होकर सवार ।
मारना लालच घृणा को , तोम तम मद को उतार ।।
भाव परिमल पावनी हों , लें सभी जीवन सुधार ।
भक्ति करते शक्ति देना , कीजिए भवसार पार ।। 2 ।।
श्वेत वसना पद्मजा तू , कालरात्री कर प्रहार ।
खेलते जो लाज से वो , नर्क में जाएँ सिधार ।।
शैलपुत्री विंध्य वासी , धारती कर असि त्रिशूल ।
कोप से बच शत्रु भागे , आसुरी निज कृत्य भूल ।। 3 ।।
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