जीत का है स्वाद कैसा
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
हार कर तुम जिंदगी में थम न जाना।
कष्ट सहकर आपदा में मुस्कुराना।।
साहसी को मान मिलता है सदा ही।
कायरों का है नहीं जग में ठिकाना।।
क्लांत मन यह चाहता विश्राम हरदम।
देखना कर दे नहीं कोई बहाना।।
संशयों ने रूद्ध की राहें सभी की।
थपकियाँ देकर भ्रमों को तुम सुलाना ।।
स्वेद श्रम कर के अथक पाई सफलता।
जीत का है स्वाद कैसा यह बताना।।
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