पहलगाम में चली दुनाली
सजल
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
पहलगाम में चली दुनाली।
स्वार्थ कपट चाल कुचाली।।
आई थी मधुमास मनाने ।
रो रही मेंहदी की लाली।।
रक्त बहाते मासूमों का।
खुशी कौन-सी तुमने पा ली।।
शोकग्रस्त हो चीड़ सन्न है।
जग की कैसी रीति निराली।।
सुख-साधन से भरती दुनिया।
मन की बगिया होती खाली।।
साथ कौन देता विपदा में।
पत्रहीन हो रोती डाली।।
लूटपाट हिंसा करते हो।
मानवता को देते गाली ।।
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