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इसरो और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-5 मिशन को लेकर तकनीकी बैठक की

 बेंगलुरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि उसने चंद्रयान-5/लूपेक्स (चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण) मिशन के लिए जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जेएक्सए के साथ तीसरी आमने-सामने तकनीकी बैठक (टीआईएम-3) आयोजित की है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन भारत के चंद्र अन्वेषण अभियान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, जिसमें 2040 तक भारतीय गगनयात्रियों (अंतरिक्ष यात्रियों) के चंद्रमा पर उतरने की परिकल्पना की गई है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 13 से 14 मई को बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय में आयोजित बैठक में इसरो, जेएक्सए और जापान की मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (एमएचआई) के वरिष्ठ अधिकारियों, परियोजना अधिकारियों और तकनीकी टीम के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 (ऑर्बिटर-आधारित चंद्र अन्वेषण), चंद्रयान-3 (लैंडर-रोवर आधारित इन-सीटू अन्वेषण) और आगामी चंद्रयान-4 (भारत का पहला चंद्र नमूना वापसी मिशन) की विरासत पर निर्माण करते हुए, चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन चंद्र मिशनों की चंद्रयान श्रृंखला में पांचवां होगा। संगठन ने बताया कि इस मिशन को जेएक्सए के सहयोग से, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के स्थायी छाया क्षेत्र (पीएसआर) के आसपास के इलाकों में जल सहित चंद्रमा की अस्थिर सामग्रियों का अध्ययन करने के लिए अंजाम दिया जाएगा। इसरो के मुताबिक इस मिशन को जेक्सा द्वारा अपने एच3-24एल प्रक्षेपण यान के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह मिशन अपने साथ भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा निर्मित चंद्र लैंडर जापान निर्मित चंद्र रोवर एमएचआई को ले जाएगा। यहां जारी एक बयान के मुताबिक चंद्र लैंडर के अलावा, इसरो की जिम्मेदारी मिशन के लिए कुछ वैज्ञानिक उपकरण विकसित करने की भी होगी। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि मिशन के लिए वैज्ञानिक उपकरण इसरो, जेएक्सए, ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) और नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) द्वारा प्रदान किए जाएंगे, जो सभी चंद्र ध्रुवीय क्षेत्र में आरक्षित वाष्पशील पदार्थों के अन्वेषण और इन-सीटू विश्लेषण (इसका तात्पर्य पदार्थों, जीवों या घटनाओं के उनके प्राकृतिक, अप्रभावित वातावरण में अध्ययन से है) से विषयगत रूप से जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन को हरी झंडी वित्तीय मंजूरी के रूप में 10 मार्च, 2025 को दी गई थी। बैठक के दौरान, इसरो के वैज्ञानिक सचिव एम गणेश पिल्लई ने अब तक की तकनीकी उपलब्धियों के लिए दोनों टीम को बधाई दी और मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं के लिए सहयोगात्मक प्रयास के महत्व पर जोर दिया।

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