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बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं की सूची का पुनरीक्षण शुरू

  नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के तहत एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, जिसकी निगरानी भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की जा रही है। 24 जून को जारी आदेश के तहत यह अभियान 7.89 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाताओं को कवर कर रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य का प्रत्येक योग्य नागरिक मतदाता सूची में दर्ज हो और कोई भी नाम छूटे नहीं।

निर्वाचन आयोग ने पहले से भरे गए गणना प्रपत्र, जिनमें नाम, पता और पुरानी फोटो जैसे विवरण शामिल हैं, प्रत्येक पंजीकृत मतदाता तक पहुंचाने की व्यवस्था की है। अब तक 7.69 करोड़ मतदाताओं (करीब 97.42 प्रतिशत) को फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं। बीएलओ घर-घर जाकर इन फॉर्मों को इकट्ठा कर रहे हैं और हर घर में कम से कम तीन बार जाकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई मतदाता छूटे नहीं। पहला दौरा पूरा हो चुका है, जबकि दूसरा दौरा जारी है। इस दौरान कई मतदाता मृत, स्थानांतरित या प्रवासी भी पाए गए हैं।
जिन व्यक्तियों ने 25 जुलाई तक अपने गणना फॉर्म जमा किए हैं, उनके नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे। सीईओ, डीईओ, ईआरओ और बीएलओ यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वृद्ध, बीमार, दिव्यांग और गरीब जैसे कमजोर वर्गों के मतदाताओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसके लिए वालंटियरों की सहायता भी ली जा रही है।
गौरतलब हो, मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए दावे और आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि 1 सितंबर है। इस दौरान पात्रता के दस्तावेज भी अलग से प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 तथा संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक जो अर्हता तिथि को 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, सामान्यतः उस क्षेत्र का निवासी है और किसी कानून के तहत अयोग्य नहीं ठहराया गया है, मतदाता सूची में शामिल होने का पात्र है।कोई भी नाम सूची से हटाने का निर्णय केवल जांच के बाद ही लिया जाएगा और इसके लिए ईआरओ को स्पष्ट, लिखित आदेश देना होगा। यदि किसी व्यक्ति की पात्रता पर संदेह होता है, तो उसे नोटिस देकर उसका पक्ष सुना जाएगा। इसके बाद ही किसी प्रकार की अपवर्जन कार्रवाई होगी।
यदि कोई मतदाता ईआरओ के फैसले से असंतुष्ट है, तो वह पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकता है। यदि वहां भी राहत न मिले, तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24 के तहत राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास दूसरी अपील की जा सकती है। इस विशेष पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिहार में प्रत्येक योग्य मतदाता की भागीदारी लोकतंत्र में सुनिश्चित की जा सके।

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