प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस महीने के अंत में चीन के दौरे की संभावना
नयी दिल्ली. सात वर्षों के अंतराल के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस महीने के अंत में चीन की यात्रा कर सकते हैं। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। योजना के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी 29 अगस्त के आसपास जापान की यात्रा पर जाएंगे और यात्रा के समापन के बाद, वह 31 अगस्त से एक सितंबर तक आयोजित होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन के उत्तरी शहर तियानजिन जाएंगे। मोदी की चीन यात्रा की योजना दोनों पक्षों द्वारा अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के प्रयासों के बीच बनाई जा रही है। जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच घातक झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच गंभीर तनाव पैदा हो गया था। मोदी की जापान और चीन की यात्रा की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह यात्रा 29 अगस्त से एक सितंबर तक होने की संभावना है। मोदी की चीन यात्रा से पहले, ऐसा माना जा रहा है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता के अगले दौर के लिए भारत की यात्रा करेंगे। मोदी ने आखिरी बार जून 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा किया था। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 में दूसरे "अनौपचारिक शिखर सम्मेलन" के लिए भारत आए थे। हालांकि, पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध के कारण दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़पों के परिणामस्वरूप संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया। पिछले साल 21 अक्टूबर को हुए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। पिछले कुछ महीनों में, दोनों पक्षों ने सीमा संबंधी मुद्दे और अन्य संवाद तंत्रों पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता को बहाल किया है। विभिन्न संवाद तंत्रों को बहाल करने का निर्णय 23 अक्टूबर, 2024 को कजान (रूस) में प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था। मोदी-शी की यह बैठक भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते के दो दिन बाद हुई। दोनों पक्षों ने संबंधों को पुनः मजबूत करने के लिए कई पहल कीं, जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर शुरू करना तथा भारत द्वारा चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना शामिल है। दोनों पक्ष दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवाओं को फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा कर रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पिछले दो महीनों में एससीओ बैठकों में भाग लेने के लिए चीन गए थे। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है।
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक करेंगे या नहीं। ऐसी संभावना है कि एससीओ शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत शीर्ष नेता शामिल होंगे। एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है, जिसके सदस्य देशों में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। पाकिस्तान 2017 में भारत के साथ इसका स्थायी सदस्य बना। ईरान 2023 में और बेलारूस 2024 में इस समूह में शामिल हुआ।
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