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लिमचागाड़ में बेली पुल का निर्माण पूरा, हर्षिल से 177 और लोगों को बाहर निकाला गया

 उत्तरकाशी. गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनानी से आगे लिमचागाड़ में रविवार को बेली पुल का निर्माण पूरा हो गया जिससे आपदाग्रस्त धराली और हर्षिल तक जल्द सड़क संपर्क बहाल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। वहीं 177 अन्य श्रद्धालुओं एवं स्थानीय लोगों को हेलीकॉप्टर के जरिये हर्षिल से निकाला गया है। उधर, मंगलवार को आयी आपदा के बाद धराली में मलबे में लापता लोगों की तलाश के लिए बचाव दलों ने छठे दिन खोजी कुत्तों, ‘विक्टिम लोकेटिंग' व ‘थर्मल इमेजिंग' कैमरा जैसे अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से खोजबीन अभियान तेज कर दिया। अधिकारियों ने यहां बताया कि लिमचागाड़ में आपदा में बह गए 30 मीटर लंबे पुल के स्थान पर सीमा सड़क संगठन ने लोक निर्माण विभाग के सहयोग से दिन-रात एक करके बेली पुल निर्माण का चुनौतीपूर्ण कार्य रविवार शाम को पूरा कर लिया। बेली पुल एक ऐसा पुल होता है, जिसे पहले से तैयार पुर्जों को जोड़कर जल्दी से बनाया जा सकता है।
 उन्होंने बताया कि युद्धस्तर पर कार्य करके तीन दिनों की अल्प अवधि में पुल बना दिए जाने से गंगोत्री मार्ग पर डबरानी पुल तक सड़क संपर्क बहाल हो गया है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये इसके आगे के हिस्सों में क्षतिग्रस्त सड़क का तेजी से पुनर्निर्माण होगा और राहत एवं पुनर्वास कार्यों में तेजी आएगी। अतिवृष्टि और बादल फटने के कारण गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग लिमचागाड़ सहित अनेक स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था। आपदा के बाद तीन दिनों तक उत्तरकाशी में डेरा डाले रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर धराली में जारी राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा की। बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि धराली और हर्षिल तक मंगलवार या बुधवार तक सड़क मार्ग बन जाने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में बिजली बहाल हो गयी है, टेलीफोन लाइन सुचारू हो गयी हैं और राशन कपड़े आदि सभी जरूरी चीजें वहां पर्याप्त मात्रा में पहुंच गयी हैं। धामी ने कहा कि ऐसे 107 परिवार हैं, जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं या जिनके परिजन की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि अभी फौरी तौर पर पांच लाख रुपये की तात्कालिक आर्थिक सहायता जारी की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाग्रस्त क्षेत्र में सभी एजेंसियों ने समन्वय से कार्य किया और गगांत्री धाम, हर्षिल आदि क्षेत्रों में आए तीर्थयात्रियों समेत सभी को बाहर निकाला गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक हेली सेवा के माध्यम से 1200 से अधिक लोगों को बाहर निकाला गया है। अब भी हमारी हेली सेवा चल रही है।'' उन्होंने बताया कि राजस्व सचिव की अध्यक्षता में बनायी गयी समिति नुकसान का पूरा आकलन करेगी, जिसमें भवनों का नुकसान, पशुहानि, कृषि और बागवानी सभी प्रकार के नुकसान का आकलन होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘इससे पहले हम जोशीमठ में आयी आपदा में भी पुनर्वास का काम कर चुके हैं और हमारा प्रयास है कि हर आपदा पीड़ित को सहायता मिले। हमें हर वर्ष आपदा का किसी न किसी रूप में सामना करना पड़ता है और उनसे बचाव के लिए प्रदेश में स्थित महत्वपूर्ण संस्थानों से वहन क्षमता से लेकर पर्यावरण तक का आकलन करवाया जाएगा।'' उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, रविवार को हर्षिल से हेलीकॉप्टर के जरिए 124 श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को मातली तथा 53 लोगों को चिन्यालीसौड़ पहुंचाया गया। सात अगस्त से हेली अभियान शुरू होने के बाद से अब तक कुल 1273 श्रद्धालुओं तथा अन्य लोगों को हर्षिल से बाहर निकालकर मातली हेलीपैड, चिन्यालीसौड़ हवाई पटटी तथा देहरादून पहुंचाया जा चुका है। हालांकि, रविवार सुबह बारिश के कारण हेलीकॉप्टर संचालन पौने 10 बजे शुरू हो पाया। अधिकारियों ने बताया कि मातली हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के जरिए बड़ी मात्रा में खाद्य एवं राहत सामग्री हर्षिल हेलीपैड तक भेजी जा रही है और वापसी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को मातली लाया जा रहा है। राज्य सरकार के हेलीकॉप्टरों के अलावा, सेना के चिनूक, एमआई-17, एएलएच-1 और चीता हेलीकॉप्टर बचाव अभियान संचालित कर रहे हैं। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा में ध्वस्त हुए कल्प केदार मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
 मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को धराली आपदा में बेघर हुए परिवारों से निरंतर संपर्क रखते हुए तात्कालिक रूप से उनके रहने, भोजन, दवाइयों सहित सभी सुविधाएं देने के निर्देश दिए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने धराली के ग्राम प्रधान सहित अन्य ग्रामीणों से बात भी की, जिन्होंने मुख्यमंत्री का स्वयं उनके साथ तीन दिन तक रहने तथा उनका हौसला बनाए रखने के लिए आभार जताया। उधर, धराली में मलबे के ढेर में लापता लोगों की तलाश के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा बचाव एवं राहत अभियान युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है। उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली ने अधिकारियों को धराली में प्रतिदिन 2000 लीटर डीजल तथा प्रभावित लोगों के लिए रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि जब तक सड़कों की मरम्मत नहीं हो जाती और उनका संचालन शुरू नहीं होता तब तक प्रभावित लोगों तक खाद्य तथा अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए घोड़े और खच्चरों का उपयोग किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोटक महिंद्रा बैंक द्वारा धराली में प्रभावित लोगों के राहत एवं पुनर्वास के लिए भेजी जा रही आपदा राहत सामग्री से भरे करीब आधा दर्जन ट्रक रवाना किये। पांच अगस्त को बादल फटने के बाद खीर गंगा नदी में अचानक आई भीषण बाढ़ के कारण धराली में मची तबाही में कई होटल और मकान जमींदोज हो गए थे। जिला प्रशासन ने अब तक चार लोगों की मौत और कई अन्य के लापता होने की पुष्टि की है। 

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