कोयंबटूर में आज मनाया जाएगा विश्व हाथी दिवस, मानव-हाथी संघर्ष कम करने पर देशभर से जुटेंगे विशेषज्ञ
नई दिल्ली। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) व तमिलनाडु वन विभाग के सहयोग से 12 अगस्त को कोयंबटूर में विश्व हाथी दिवस 2025 का आयोजन किया जाएगा। यह वार्षिक आयोजन हाथी के संरक्षण और उनके दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने के वैश्विक संकल्प को दोहराने का अवसर होगा। गौरतलब है कि भारत में दुनिया के जंगली हाथियों की लगभग 60% आबादी पाई जाती है। ‘भारत में हाथी गलियारे’ रिपोर्ट के मुताबिक यहां 33 हाथी अभयारण्य और 150 चिन्हित हाथी गलियारे हैं। मजबूत कानूनी संरक्षण, सशक्त संस्थागत ढांचा और व्यापक जनसमर्थन के कारण भारत को मानव कल्याण और वन्यजीव संरक्षण में संतुलन बनाने वाला अग्रणी देश माना जाता है। वहीं भारत में हाथियों को राष्ट्रीय विरासत पशु का दर्जा प्राप्त है और वे भारतीय परंपरा और संस्कृति का अहम हिस्सा हैं।
तमिलनाडु, जो जैविक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है, हाथियों की बड़ी आबादी को संजोए हुए है और मानव-हाथी संघर्ष कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोयंबटूर का यह कार्यक्रम वन अधिकारियों, नीति-निर्माताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए संरक्षण रणनीतियों और संघर्ष समाधान पर विचार-विमर्श का मंच बनेगा। कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री कृति वर्धन सिंह और तमिलनाडु के वन एवं खादी मंत्री आर. एस. राजाकन्नप्पन भी उपस्थित रहेंगे। इसमें MoEF&CC, तमिलनाडु वन विभाग, रेल मंत्रालय और अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग लेंगे।
वहीं कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, कोयंबटूर में मानव-हाथी संघर्ष (HEC) पर एक विशेष कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी। इस कार्यशाला का उद्देश्य हाथी रेंज वाले राज्यों को मानव-हाथी सहअस्तित्व से जुड़ी चुनौतियों को साझा करने और संघर्ष कम करने के उपायों पर चर्चा करना है। यह पहल ‘प्रोजेक्ट एलिफेंट’ के तहत चल रहे प्रयासों का हिस्सा है, जो सामुदायिक भागीदारी और वैज्ञानिक तरीकों के माध्यम से इंसानों और हाथियों के बीच टकराव को कम करने पर केंद्रित है।
बता दें कि हाल के वर्षों में भोजन और पानी की तलाश में हाथियों के मानव बस्तियों में घुसने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे नए और प्रभावी समाधानों की आवश्यकता बढ़ गई है। कार्यशाला में विशेषज्ञ, नीति-निर्माता, संरक्षणकर्मी और वन अधिकारी आवास प्रबंधन, गलियारे का रखरखाव, जागरूकता बढ़ाने और उच्च संघर्ष वाले क्षेत्रों में क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे।
इसके अलावा, हाथी संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा, जिसमें लगभग 12 लाख स्कूली बच्चों को जोड़ा जाएगा। यह अभियान करीब देश के 5,000 स्कूलों में चलाया जाएगा, जो इस दिशा में व्यापक सार्वजनिक भागीदारी और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।-
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