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 मैंने कभी नहीं कहा कि 75 साल में पद छोड़ दूंगा या किसी और को संन्यास ले लेना चाहिए: भागवत

नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि वह 75 साल की उम्र में पद छोड़ देंगे या किसी को इस आयु में संन्यास ले लेना चाहिए। संघ प्रमुख भागवत की इस टिप्पणी ने नेताओं के संन्यास लेने संबंधी उनकी हालिया टिप्पणी पर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में देखा जा रहा था। मोदी और भागवत, दोनों अगले महीने 75 वर्ष के हो जाएंगे। आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम जीवन में किसी भी समय पद छोड़ने को तैयार हैं और जब तक संघ चाहे, तब तक कार्य करने को तैयार हैं।'' 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति या संन्यास के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि उन्होंने हाल में नागपुर में दिवंगत आरएसएस नेता मोरोपंत पिंगले की विनोदप्रियता पर प्रकाश डालते हुए उनका उद्धरण दिया था। भागवत ने कहा, ‘‘वह इतने हास्य-विनोदी थे कि उनकी हाजिरजवाबी सुनकर आप अपनी कुर्सी पर उछल पड़ते थे... एक बार हमारे कार्यक्रम में, हम सभी अखिल भारतीय कार्यकर्ता थे और उन्होंने (पिंगले) अपने 75 वर्ष पूरे कर लिए थे। इसलिए उन्हें एक शॉल प्रदान किया गया और कुछ कहने को कहा गया... उन्होंने खड़े होकर कहा, 'आप सोच रहे होंगे कि आपने मुझे सम्मानित किया है, लेकिन मैं जानता हूं कि जब यह शॉल दिया जाता है तो इसका मतलब है कि आप शांति से कुर्सी पर बैठें और देखें कि क्या हो रहा है।'' उन्होंने स्पष्ट किया कि 75 साल से उनका आशय किसी नेता के संन्यास लेने से नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘तो यह किसी के सेवानिवृत्त होने या मेरे अपने संन्यास के लिए नहीं है। हम जीवन में कभी भी संन्यास लेने के लिए तैयार हैं। और, जब तक संघ चाहेगा, हम काम करने के लिए तैयार हैं।'' भागवत ने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं कहा कि मैं पद छोड़ दूंगा या किसी और को संन्यास ले लेना चाहिए।''
संघ प्रमुख ने कहा कि उनके संगठन में स्वयंसेवक को कार्य सौंपा जाता है, भले ही वे चाहें या ना चाहें और उन्हें वो कार्य करना होता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं 80 साल का हो जाऊं और संघ मुझे शाखा चलाने के लिए कहेगा। मुझे जाना ही होगा। मैं यह नहीं कह सकता कि मैंने 75 साल पूरे कर लिए हैं और मैं सेवानिवृत्ति के लाभों का आनंद लेना चाहता हूं। संघ में कोई लाभ नहीं हैं।'' भागवत ने कहा कि आरएसएस में अनेक लोग हैं जो इसका प्रमुख बन सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सर संघचालक हूं। आपको क्या लगता है कि केवल मैं हूं जो सर संघचालक हो सकता हूं। इस हॉल में कम से कम दस लोग बैठे हैं। वे किसी भी समय यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं और काम कर सकते हैं।'' संघ प्रमुख ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘लेकिन वे बहुत व्यस्त हैं। और उनका योगदान मूल्यवान है। उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता। मुझे छोड़ा जा सकता है।''
 

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