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 मोदी ने उत्तराखंड के आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लिए 1200 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया

 देहरादून,। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में हाल में अतिवृष्टि, भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए नुकसान का जायजा लिया और राज्य के लिए 1200 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री ने यहां एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उत्तराखंड में प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्यों तथा आपदा से हुए नुकसान का जायजा लिया । उन्हों उत्तराखंड के लिए 1200 करोड़ रुपये के राहत पैकेज घोषणा की । इस दौरान, प्रधानमंत्री ने आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के लिए दो-दो लाख रुपये तथा घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये अनुग्रह राशि की भी घोषणा की । अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री को राज्य के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी करना था, लेकिन मौसम खराब होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया। जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर हुई इस बैठक में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा के अलावा राज्य के सांसद और केंद्र एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया और आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार स्थिति से निपटने के लिए सभी प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि इस समय राज्यों को अग्रिम भुगतान समेत आपदा प्रबंधन अधिनियम और नियमों के अंतर्गत घोषित सहायता अंतरिम अवधि के लिए है तथा केंद्र सरकार राज्यों के ज्ञापन और केंद्रीय टीमों की रिपोर्ट के आधार पर मूल्यांकन की आगे समीक्षा करेगी। केंद्र सरकार की एक अंतर-मंत्रालयी टीम इस सप्ताह उत्तराखंड के आपदाग्रस्त जिलों का दौरा कर चुकी है ।
 
प्रधानमंत्री ने पूरे क्षेत्र तथा लोगों को उससे उबरने में मदद के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाये जाने की जरूरत पर बल दिया जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों का पुनर्निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत, स्कूलों को दोबारा बनाना और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के जरिए राहत देना और पशुओं के लिए मिनी किट वितरित करने जैसे उपाय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत, ग्रामीण क्षेत्रों में मकानों के पुनर्निर्माण के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रस्तुत ' विशेष परियोजना' के अंतर्गत उन पात्र परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिनके मकान आपदा से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने आपदा प्रभावित परिवारों से मुलाकात भी की । उन्होंने आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के प्रति भी अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की । प्रधानमंत्री ने आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए दो- दो लाख रुपये तथा गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि की भी घोषणा की । प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि हाल में आई आपदाओं में अनाथ हुए बच्चों को ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना' से सहायता मिलेगी जिससे उनकी दीर्घकालिक देखभाल और कल्याण सुनिश्चित होगा। प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) और आपदा मित्र स्वयंसेवकों से भी मिले तथा राहत और बचाव कार्यों में उनके प्रयासों की सराहना की । इससे पहले, शाम को जौलीग्रांट हवाई अड्डे पहुंचने पर प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री धामी ने स्वागत किया । धामी ने राहत पैकेज घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया है । उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड में आपदा से हुए नुकसान की भरपाई हेतु राहत पैकेज की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री का प्रदेश की जनता की तरफ से आभारी हैं । उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने स्वयं उत्तराखंड आकर आपदा पीड़ितों का दु:ख दर्द साझा किया है। राज्य के प्रति आत्मीयता एवं संवेदनशीलता के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार है।'' हांलांकि, विपक्षी कांग्रेस ने इस राहत पैकेज को नाकाफी बताते हुए इसे 'उंट के मुंह में जीरा' करार दिया। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन), सूर्यकांत धस्माना ने कहा, ‘‘ राज्य में हुए नुकसान को देखते हुए यह पैकेज बहुत कम है और उंट के मुंह में जीरा के समान है ।'' धस्माना ने विभिन्न क्षेत्रों में आपदा से हुए नुकसान की तुलना 2023 में आयी केदारनाथ आपदा से करते हुए कहा, ‘‘12 साल पहले डॉ मनमोहन सिंह की सरकार ने उत्तराखंड को 21 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया था किंतु आज मोदीजी द्वारा घोषित पैकेज न केवल नाकाफी है बल्कि उनके उत्तराखंड के प्रति प्रेम और लगाव की पोल खोलने वाला भी है । '' इस मानसून सीजन में उत्तरकाशी जिले में धराली-हर्षिल, चमोली में थराली, रुद्रप्रयाग में जखोली—बसुकेदार, बागेश्वर में कपकोट, पौड़ी में सैंजी जैसे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अतिवृष्टि, बादल फटने, बाढ़, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भारी तबाही हुई है। ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष एक अप्रैल से अब तक राज्य में प्राकृतिक आपदाओं में 81 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है जबकि 94 अन्य लापता हैं । इन आपदाओं में 80 लोग घायल भी हुए हैं। 

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