रक्षाबंधन संदेश (कृपालु महाप्रभु जी द्वारा)
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रक्षाबन्धन पर रचित दोहे एवं उसकी व्याख्या
आजु रक्षा बंधन गोविंद राधे,
रक्ष रक्ष रक्ष दोउ गलबहियाँ दे..
रक्षा करे हरि गुरु गोविंद राधे,
मायाधीन भैया रक्षा करे ना बता दे..
रक्षा तो वो करे जो हमेशा साथ रहे। किस बेटे के साथ पिता हमेशा रहेगा? किस बीवी के साथ उसका पति हमेशा रहेगा? किस बहिन के साथ भाई हमेशा रहेगा? लेकिन भगवान् हमारा पिता, हमारा भाई, हमारा बेटा, ऐसा है जो सदा हमारे साथ रहता है.। एक बटा सौ सेकंड को भी हमसे अलग नहीं जाता।
सयुजा सखाया समानं वृक्षम् परिषस्वजाते. (श्वेताश्वेतरोपनिषद 4-6)
समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नोनिशया शोचति मुह्यमान:. (श्वेताश्वतरोपनिषद 4-7)
प्रतिक्षण,
एको देव: सर्वभूतेषु गूढ़- सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा. (श्वेताश्वतरोपनिषद 7-11)
ईश्वर: सर्वभूतानां हृद्येशेर्जुन तिष्ठति. (गीता 18-61)
वो बैठा है वहां आता जाता है? नहीं, जीव उसी में रहता है। य आत्मनि तिष्ठति (वेद)
वेद कहता है, ये जीव परमात्मा में रहता है। देखो ! ये जो आप लोगों के यहां ये लाइट हो रही है, ये पंखें चल रहे हैं, ये क्या है? इलैक्ट्रिसिटी, बिजली। ये बिजली जो है, पॉवर हाउस से लगी है न, हां ! आती जाती है। न न न। आती जाती होगी तो जलती बुझती रहेगी। उससे लगी है तब तक लाइट है। लगना बंद हो गया पॉवर हाउस से, बस अंधेरा हो गया।
चेतनश्चेतनानामेको बहूनां यो विदधति कामान (श्वेताश्वतरोपनिषद 6-13)
वेद कहता है - ये चेतन जो है जीव, इसमें चेतना देता रहता है प्रतिक्षण। तब ये हम चेतन हैं। वो अगर चेतना देना बंद करे तो हम जीरो बटे सौ हो जाएं। जैसे ये तकिया ऐसे हो जाएं (दिखाते हुए)। तो वो (भगवान) हमारी रक्षा करता हैं। मां के पेट में हम उल्टे टंगे रहे, उल्टे। अगर उसी तरह उल्टा आपको कोई टांग दे, दो हफ्ते को उल्टा, पैर ऊपर सिर नीचे, तो पहलवान भी जीरो बटे सौ हो जाय. इतना कोमल हमारा शरीर था माँ के पेट में, उल्टे टंगे रहे, लेकिन वो रक्षा करता रहा. रक्षा किया उसने पैदा होते ही, उसने फिर रक्षा किया, माँ के स्तन में दूध बना दिया, फिर संसार बना दिया. फिर रक्षा किया, खाने-पीने का सामान और हर क्षण हमारे साथ चेतना दे रहा है, हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के हिसाब का फल दे रहा है. वर्तमान काल के कर्मों को नोट करके जमा कर रहा है. इतनी रक्षा करता है वो (भगवान)......
...तो रक्षाबंधन के दिन हरि-गुरु से रक्षा की आशा करके और उनके शरणागत होकर के हमको अपनी रक्षा करवानी चाहिए।
(जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से नि:सृत,
आप सभी को रक्षाबन्धन पर्व की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं)
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