नंदी के कान में क्यों कही जाती है मनोकामना? जानिए इसके पीछे की मान्यता
सावन का महीना चल रहा है। इस दौरान श्रद्धालु भगवान शिव की उपासना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत और जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा के बाद उनके वाहन और प्रिय सेवक नंदी की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि नंदी के कानों में अपनी मनोकामना कहने से वह इच्छा भगवान शिव तक पहुंचती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस मान्यता के पीछे की वजह क्या है? ऐसा क्यों किया जाता है और इसके नियम क्या हैं? आइए इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में जानते हैं....
इस परंपरा के पीछे क्या है पौराणिक कथा?
एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने नंदी को यह आशीर्वाद दिया था कि जो भी व्यक्ति तुम्हारे कान में अपनी इच्छा कहेगा, वह मुझ तक जरूर पहुंचेगी और उसे पूर्ण भी किया जाएगा। इसीलिए आज भी भक्त नंदी के कान में अपनी मन की बात कहते हैं। एक अन्य कथा में बताया गया है कि एक ऋषि ने नंदी से पूछा कि वह भगवान शिव से अपनी मनोकामनाएं कैसे साझा करते हैं। नंदी ने उत्तर दिया कि वह तो सिर्फ भगवान की सेवा करते हैं और कुछ नहीं कहते। तब ऋषि ने कहा कि जो भी व्यक्ति अपनी इच्छा शिवजी तक पहुंचाना चाहता है, वह उसे नंदी के कान में कहे, और नंदी स्वयं उसे भगवान तक पहुंचा देंगे। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।
नंदी के कानों में अपनी मनोकामना कहने से वह इच्छा पूर्ण होती है, लेकिन इससे पहले "ॐ" का उच्चारण करना आवश्यक होता है, ताकि नंदी ध्यान से आपकी बात सुनें और उसे शिवजी तक पहुंचाएं।
नंदी के कान में कैसे कहें अपनी इच्छा?
सबसे पहले नंदी का विधिवत पूजन करें, दीपक जलाएं और भोग अर्पित करें। इसके बाद "ॐ" का उच्चारण करते हुए अपनी मनोकामना नंदी के बाएं कान में कहें। ऐसा माना जाता है कि बाएं कान में कही गई बात जल्दी शिवजी तक पहुंचती है और पूरी भी होती है।
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