धनतेरस पर क्यों खरीदे जाते हैं सोना-चांदी और नए बर्तन? क्या है वजह
धनतेरस के त्यौहार से ही दिवाली की शुरुआत मानी जाती है. धनतेरस का पर्व सुख समृद्धि और नई शुरुआत का संदेश देता है. प्राचीन काल से ही धनतेरस के दिन सोना-चांदी और नए बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है. हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सोना,-चांदी और नए बर्तन खरीदने के साथ-साथ भगवान धन्वंतरि देव की पूजा की जाती है.
इस दिन को ‘धन त्रयोदशी’ भी कहा गया है. इस दिन धातु और नई वस्तुएं खरीदने को शुभ माना जाता है, लेकिन क्या कभी आपने इस पर विचार किया है कि आखिर इस दिन सोना-चांदी और नए बर्तन क्यों खरीदे जाते हैं? तो चलिए जानते हैं कि प्राचीन काल से लोग इस परंपरा को क्यों निभाते चले आ रहे हैं?
कब है धनतेरस?
हिंदू पंचांग के अनुसार, शनिवार 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो रही है. इसके अगले दिन 19 अक्टूबर को दोपहर 01 बजाकर 51 मिनट पर ये त्रयोदशी तिथि समाप्त हो जाएगी. इस प्रकार 18 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा.
इसलिए धनतेरस पर की जाती है खरीदारी
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि देव अमृत कलश लेके प्रकट हुए थे. धन्वंतरि देव जो कलश लेकर प्रकट हुए थे वो सोने का था, इसलिए इसे ‘धन त्रयोदशी’ भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन सोना,-चांदी या नए बर्तन खरीदने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में धन-धान्य बढ़ता है. धनतेरस के दिन लोग सिर्फ सोना-चांदी ही नहीं, बल्कि तांबे, पीतल और स्टील के बर्तनों की भी खरीदारी करते हैं. ये धातुएं शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. यही कारण है कि धनतेरस पर सोना-चांदी और नए बर्तन खरीदने की परंपरा है. वहीं, धनतेरस के दिन काले रंग की वस्तुएं भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए. धनतेरस के दिन काले रंग की वस्तुएं खरीदना अशुभ होता है.

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