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- -भारत ज्ञान और कौशल का देश है, यह बौद्धिक शक्ति हमारी सबसे बड़ी शक्ति है: श्री नरेन्द्र मोदी-आईटीआई न केवल औद्योगिक शिक्षा के प्रमुख संस्थान हैं, बल्कि वे आत्मनिर्भर भारत की कार्यशालाएं भी हैं: प्रधानमंत्री-पीएम-सेतु योजना भारत के युवाओं को दुनिया की कौशल मांगों से जोड़ेगी: श्री नरेन्द्र मोदी-भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा और शिक्षा के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया, उनके नाम पर स्थापित किया जा रहा कौशल विश्वविद्यालय उस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बनेगा: प्रधानमंत्री-युवाओं की ताकत बढ़ने से राष्ट्र की मजबूती होती है: प्रधानमंत्रीनई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में कौशल दीक्षांत समारोह के दौरान 62,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न युवा-केंद्रित पहलों का शुभारंभ किया। देश भर के आईटीआई से जुड़े लाखों छात्रों और बिहार के छात्रों एवं शिक्षकों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि कुछ वर्ष पहले सरकार ने आईटीआई छात्रों के लिए बड़े पैमाने पर दीक्षांत समारोह आयोजित करने की एक नई परंपरा शुरू की थी। उन्होंने कहा कि आज का दिन उस परंपरा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का समारोह भारत द्वारा कौशल विकास को दी जाने वाली प्राथमिकता का प्रतीक है। उन्होंने शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में देश भर के युवाओं के लिए दो प्रमुख पहलों की शुरुआत की घोषणा की। श्री मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि 60,000 करोड़ रुपये की पीएम सेतु योजना के तहत आईटीआई अब उद्योगों के साथ और अधिक मज़बूती से एकीकृत होंगे। उन्होंने कहा कि आज देश भर के नवोदय विद्यालयों और एकलव्य मॉडल स्कूलों में 1,200 कौशल प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया गया है।श्री मोदी ने कहा कि इस आयोजन की प्रारंभिक योजना विज्ञान भवन में एक दीक्षांत समारोह आयोजित करने की थी। उन्होंने कहा श्री नीतीश कुमार द्वारा इस अवसर को एक विशाल उत्सव में बदलने के प्रस्ताव के साथ यह एक भव्य समारोह - "सुनहरे आभूषणों से सुसज्जित एक “पिटारे” - में बदल गया। प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि इसी मंच से बिहार के युवाओं के लिए कई योजनाओं और परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है। इनमें बिहार में एक नए कौशल प्रशिक्षण विश्वविद्यालय की स्थापना, अन्य विश्वविद्यालयों में सुविधाओं का विस्तार, एक नए युवा आयोग का गठन और हज़ारों युवाओं को स्थायी सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र जारी करना शामिल है। उन्होंने कहा कि ये पहल बिहार के युवाओं के उज्जवल भविष्य की गारंटी हैं।श्री मोदी ने बिहार की महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता पर केन्द्रित लाखों बहनों के लिये हाल ही में आयोजित बड़े कार्यक्रम को याद करते हुए कहा कि बिहार में युवा सशक्तीकरण के लिए आज का यह विशाल कार्यक्रम राज्य के युवाओं और महिलाओं के प्रति उनकी सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ज्ञान और कौशल का देश है और यह बौद्धिक शक्ति इसकी सबसे बड़ी संपत्ति है। जब कौशल और ज्ञान राष्ट्रीय आवश्यकताओं के साथ जुड़ते हैं और उन्हें पूरा करने में योगदान देते हैं तो उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की माँग देश की आवश्यकताओं के अनुसार स्थानीय प्रतिभा, स्थानीय संसाधनों, स्थानीय कौशल और स्थानीय ज्ञान को तेज़ी से आगे बढ़ाने की है। इस मिशन में हज़ारों आईटीआई की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान में आईटीआई लगभग 170 ट्रेडों में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। पिछले 11 वर्षों में, 1.5 करोड़ से ज़्यादा युवाओं ने इन विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है और विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी योग्यताएँ प्राप्त की हैं। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि ये कौशल स्थानीय भाषाओं में प्रदान किए जाते हैं, जिससे बेहतर समझ और सुगमता संभव होती है। इस वर्ष अखिल भारतीय ट्रेड टेस्ट में 10 लाख से ज़्यादा छात्रों ने भाग लिया और प्रधानमंत्री को इस कार्यक्रम के दौरान उनमें से 45 से ज़्यादा को सम्मानित करने का अवसर मिला।श्री मोदी ने इस अवसर पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि पुरस्कार विजेताओं में से काफी लोग भारत के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों से हैं। उन्होंने इनमें बेटियों और दिव्यांग साथियों की उपस्थिति का जिक्र करते हुए समर्पण एवं दृढ़ता से अर्जित उनकी सफलता की सराहना की।प्रधानमंत्री ने कहा "भारत के आईटीआई न केवल औद्योगिक शिक्षा के लिए प्रमुख संस्थान हैं बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण हेतु कार्यशालाओं के रूप में भी काम करते हैं।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार आईटीआई की संख्या बढ़ाने और उन्हें निरंतर उन्नत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वर्ष 2014 तक देश में केवल 10,000 आईटीआई थे लेकिन पिछले एक दशक में लगभग 5,000 नए आईटीआई स्थापित किए गए हैं। श्री मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि आईटीआई नेटवर्क को वर्तमान उद्योग कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने और अगले दस वर्षों में भविष्य की मांगों का अनुमान लगाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इस दिशा में उद्योग और आईटीआई के बीच समन्वय बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने पीएम सेतु योजना शुरू करने की घोषणा की जिससे पूरे भारत में 1,000 से अधिक आईटीआई संस्थान लाभान्वित होंगे। इस पहल के माध्यम से आईटीआई को नई मशीनरी, उद्योग प्रशिक्षण विशेषज्ञों और वर्तमान एवं भविष्य की कौशल मांगों के अनुरूप पाठ्यक्रम के साथ उन्नत किया जाएगा। श्री मोदी ने कहा "पीएम सेतु योजना भारतीय युवाओं को वैश्विक कौशल आवश्यकताओं से भी जोड़ेगी।"श्री मोदी ने आज के कार्यक्रम में बिहार के हज़ारों युवाओं के शामिल होने का उल्लेख करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी शायद पूरी तरह से समझ नहीं पाएगी कि दो-ढाई दशक पहले बिहार की शिक्षा व्यवस्था कितनी बदहाल थी। न तो स्कूल ईमानदारी से खोले गए और न ही भर्तियाँ की गईं। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा यहीं पढ़े और आगे बढ़े। लेकिन, मजबूरी में लाखों बच्चों को बिहार छोड़कर बनारस, दिल्ली और मुंबई जैसी जगहों पर पलायन करना पड़ा।श्री मोदी ने कहा कि जिस पेड़ की जड़ें सड़ चुकी हों, उसे पुनर्जीवित करना एक कठिन काम है, उन्होंने विपक्ष के कुशासन में बिहार की स्थिति की तुलना ऐसे ही एक पेड़ करते हुए कहा कि सौभाग्य से बिहार की जनता ने श्री नीतीश कुमार को शासन की ज़िम्मेदारी सौंपी और गठबंधन सरकार की पूरी टीम ने पटरी से उतरी व्यवस्थाओं को बहाल करने के लिए मिलकर काम किया। आज का कार्यक्रम उस बदलाव की एक झलक पेश करता है।प्रधानमंत्री ने आज के कौशल दीक्षांत समारोह में बिहार को एक नए कौशल विश्वविद्यालय की सौगात मिलने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने इस विश्वविद्यालय का नाम भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रखा है। श्री मोदी ने इस बात का उल्लेख किया भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर ने अपना पूरा जीवन जनसेवा और शिक्षा के विस्तार के लिए समर्पित कर दिया और समाज के सबसे वंचित वर्गों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। उन्होंने कहा कि उनके सम्मान में नामित कौशल विश्वविद्यालय इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।श्री मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य की उनकी सरकारें बिहार के शैक्षणिक संस्थानों के आधुनिकीकरण के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं। आईआईटी पटना में बुनियादी ढाँचे का विस्तार शुरू हो चुका है और बिहार के कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों का आधुनिकीकरण भी शुरू हो गया है। श्री मोदी ने घोषणा की कि एनआईटी पटना का बिहटा परिसर अब प्रतिभाशाली छात्रों के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पटना विश्वविद्यालय, भूपेंद्र मंडल विश्वविद्यालय, छपरा स्थित जय प्रकाश विश्वविद्यालय और नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय में नए शैक्षणिक बुनियादी ढाँचे की नींव रखी गई है।श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शैक्षणिक संस्थानों को मज़बूत करने के साथ-साथ श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार बिहार के युवाओं पर शिक्षा का आर्थिक बोझ कम करने के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि छात्रों को उच्च शिक्षा की फीस भरने में कोई कठिनाई न हो, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बिहार सरकार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से छात्रों की मदद कर रही है और अब इस योजना के तहत शिक्षा ऋण को ब्याज मुक्त बनाने का एक बड़ा फैसला लिया गया है। प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि छात्रों की छात्रवृत्ति राशि 1,800 रुपये से बढ़ाकर 3,600 रुपये कर दी गई है।प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है और बिहार युवाओं के उच्चतम अनुपात वाले राज्यों में से एक है।" उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब बिहार के युवाओं की क्षमता बढ़ती है, तो राष्ट्र की शक्ति भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बिहार के युवाओं को और सशक्त बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। श्री मोदी ने कहा कि पिछली विपक्षी सरकारों की तुलना में बिहार के शिक्षा बजट में कई गुना वृद्धि की गई है। आज बिहार के लगभग हर गाँव और बस्ती में एक स्कूल है और इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने हाल ही में बिहार के 19 जिलों में केंद्रीय विद्यालयों को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब बिहार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल बुनियादी ढांचे का अभाव था, लेकिन आज राज्य में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन हो रहे हैं।श्री मोदी ने पिछले दो दशकों में बिहार सरकार द्वारा 50 लाख युवाओं को राज्य में ही रोज़गार के अवसरों से जोड़ने का ज़िक्र करते हुए, कहा कि हाल के वर्षों में ही बिहार के युवाओं को लगभग 10 लाख स्थायी सरकारी नौकरियाँ प्रदान की गई हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग को इसका एक प्रमुख उदाहरण बताया, जहाँ बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती चल रही है। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में बिहार में 2.5 लाख से ज़्यादा शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, जिससे युवाओं को रोज़गार के अवसर तो मिले ही हैं, साथ ही शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।श्री मोदी ने कहा कि बिहार सरकार अब नए लक्ष्यों के साथ काम कर रही है, और राज्य का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में रोज़गार के दोगुने अवसर पैदा करना है। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि उनका संकल्प स्पष्ट है- बिहार के युवाओं को बिहार में ही रोज़गार और काम मिलना चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के युवाओं के लिए यह दोहरे बोनस का समय है। उन्होंने देश भर में चल रहे जीएसटी बचत उत्सव का ज़िक्र किया और बताया कि उन्हें बाइक और स्कूटर पर जीएसटी कम होने से बिहार के युवाओं में खुशी की खबर मिली है। कई युवाओं ने तो धनतेरस पर ये खरीदारी करने की योजना भी बना ली है। श्री मोदी ने बिहार और देश के युवाओं को उनकी ज़्यादातर ज़रूरी चीज़ों पर जीएसटी कम होने पर बधाई दी।प्रधानमंत्री ने कहा, "जैसे-जैसे कौशल बढ़ता है, राष्ट्र आत्मनिर्भर बनता है, निर्यात बढ़ता है और रोज़गार के अवसर बढ़ते हैं।" उन्होंने कहा कि 2014 से पहले, भारत को "कमजोर पाँच" अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था जहाँ विकास दर कम थी और रोज़गार सृजन सीमित था। आज भारत विनिर्माण और रोज़गार में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, शीर्ष तीन वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की ओर अग्रसर है। श्री मोदी ने मोबाइल फ़ोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण और निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस वृद्धि से बड़े उद्योगों और एमएसएमई में उल्लेखनीय रोज़गार सृजन हुआ है, जिससे आईटीआई में प्रशिक्षित युवाओं सहित युवाओं को काफ़ी लाभ हुआ है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मुद्रा योजना ने करोड़ों युवाओं को अपना उद्यम शुरू करने में मदद की है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री ने 1 लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोज़गार योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की जिससे लगभग 3.5 करोड़ युवाओं को निजी क्षेत्र में रोज़गार हासिल करने में मदद मिलेगी।प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि देश के हर युवा के लिए यह समय अवसरों से भरा है और कई चीज़ों के विकल्प मौजूद हो सकते हैं लेकिन कौशल, नवाचार और कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। प्रधानमंत्री ने पूरे विश्वास के साथ कहा कि ये सभी गुण भारत के युवाओं में निहित हैं और उनकी ताकत ही विकसित भारत की ताकत बनेगी। उन्होंने सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री जयंत चौधरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री श्री जुएल ओराम, श्री राजीव रंजन सिंह, श्री सुकांत मजूमदार और अन्य गणमान्य व्यक्ति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े।पृष्ठभूमिप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने युवा विकास की एक ऐतिहासिक पहल के तहत नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में 62,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न युवा-केंद्रित पहलों की शुरूआत की, जिससे देश भर में शिक्षा, कौशल और उद्यमिता को एक निर्णायक बढ़ावा मिलेगा। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप आयोजित राष्ट्रीय कौशल दीक्षांत समारोह के चौथे संस्करण, कौशल दीक्षांत समारोह का भी आयोजन किया गया, जिसमें कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के 46 अखिल भारतीय टॉपरों को सम्मानित किया गया।प्रधानमंत्री ने 60,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ केंद्र प्रायोजित योजना पीएम-सेतु (अपग्रेडेड आईटीआई के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल और रोजगार परिवर्तन) का शुभारंभ किया। इस योजना में देश भर में 1,000 सरकारी आईटीआई को हब-एंड-स्पोक मॉडल में अपग्रेड करने की परिकल्पना की गई है, जिसमें 200 हब आईटीआई और 800 स्पोक आईटीआई शामिल हैं। प्रत्येक हब औसतन चार स्पोक से जुड़ा होगा, जिससे उन्नत बुनियादी ढांचे, आधुनिक ट्रेडों, डिजिटल लर्निंग सिस्टम और इनक्यूबेशन सुविधाओं से लैस क्लस्टर बनेंगे। एंकर इंडस्ट्री पार्टनर्स इन क्लस्टरों का प्रबंधन करेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि बाजार की मांग के अनुरूप परिणाम-आधारित कौशल विकास हो, हब में नवाचार केंद्र, प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की सुविधाएं, उत्पादन इकाइयां और प्लेसमेंट सेवाएं भी होंगी। योजना के कार्यान्वयन के प्रथम चरण में पटना और दरभंगा के आईटीआई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।प्रधानमंत्री ने 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 400 नवोदय विद्यालयों और 200 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में स्थापित 1,200 व्यावसायिक कौशल प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया। ये प्रयोगशालाएँ दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों सहित, आईटी, ऑटोमोटिव, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, लॉजिस्टिक्स और पर्यटन जैसे 12 उच्च-मांग वाले क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और सीबीएसई पाठ्यक्रम के अनुरूप, इस परियोजना में उद्योग-प्रासंगिक शिक्षा प्रदान करने और रोजगार के लिए प्रारंभिक आधार तैयार करने हेतु 1,200 व्यावसायिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भी शामिल है।कार्यक्रम का विशेष जोर बिहार में परिवर्तनकारी परियोजनाओं पर होगा, जो राज्य की समृद्ध विरासत और युवा जनसांख्यिकी को प्रतिबिंबित करेगा। प्रधानमंत्री ने बिहार की पुनर्निर्मित मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का शुभारंभ किया, जिसके तहत हर साल लगभग पांच लाख स्नातक युवाओं को दो साल के लिए 1,000 रुपये का मासिक भत्ता और मुफ्त कौशल प्रशिक्षण मिलेगा। उन्होंने पुनः डिजाइन की गई बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का भी शुभारंभ किया, जो 4 लाख रुपये तक के पूरी तरह से ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण प्रदान करेगी, जिससे उच्च शिक्षा का वित्तीय बोझ काफी कम हो जाएगा। इस योजना के तहत 3.92 लाख से अधिक छात्रों ने पहले ही 7,880 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण प्राप्त किए हैं। राज्य में युवा सशक्तीकरण को और मजबूत करने के लिए, 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों के लिए एक वैधानिक आयोग एवं बिहार युवा आयोग का औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया ताकि राज्य की युवा आबादी की ऊर्जा को दिशा दी जा सकेप्रधानमंत्री ने बिहार में जन नायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय का भी उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कार्यबल तैयार करने के लिए उद्योग-उन्मुख पाठ्यक्रम और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना है।उच्च शिक्षा के अवसरों को बेहतर बनाने के दृष्टिकोण के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाते हुए, प्रधानमंत्री ने पीएम-उषा (प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान) के अंतर्गत बिहार के चार विश्वविद्यालयों, पटना विश्वविद्यालय, मधेपुरा स्थित भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, छपरा स्थित जय प्रकाश विश्वविद्यालय और पटना स्थित नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय में नई शैक्षणिक और अनुसंधान सुविधाओं की आधारशिला रखी। कुल 160 करोड़ रुपये के आवंटन वाली ये परियोजनाएँ आधुनिक शैक्षणिक अवसंरचना, उन्नत प्रयोगशालाओं, छात्रावासों और बहु-विषयक शिक्षण को सक्षम बनाकर 27,000 से अधिक छात्रों को लाभान्वित करेंगी।प्रधानमंत्री ने एनआईटी पटना के बिहटा परिसर को राष्ट्र को समर्पित किया। 6,500 छात्रों की क्षमता वाले इस परिसर में 5G यूज़ केस लैब, इसरो के सहयोग से स्थापित एक क्षेत्रीय अंतरिक्ष शैक्षणिक केंद्र, और एक नवाचार एवं इनक्यूबेशन केंद्र सहित उन्नत सुविधाएँ मौजूद हैं, जो पहले ही नौ स्टार्ट-अप्स को सहायता प्रदान कर चुका है।प्रधानमंत्री ने बिहार सरकार में 4,000 से अधिक नवनियुक्त उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र भी वितरित किए तथा मुख्यमंत्री बालक/बालिका छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत कक्षा 9 और 10 के 25 लाख विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से 450 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति जारी की।इन पहलों की शुरूआत से भारत के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा होने की उम्मीद है। शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता और बेहतर बुनियादी ढाँचे को एकीकृत करके, इनका उद्देश्य देश की प्रगति के लिए एक ठोस आधार प्रदान करना है। बिहार पर विशेष ध्यान देने के साथ, यह राज्य कुशल जनशक्ति के केंद्र के रूप में विकसित होगा और क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विकास में योगदान देगा।
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को हरियाणा के रोहतक में साबर डेयरी प्लांट का उद्घाटन किया। यह देश का सबसे बड़ा प्लांट है जो दही, छाछ और योगर्ट का उत्पादन करेगा। लगभग 350 करोड़ रुपये की लागत से बने इस प्लांट से दिल्ली-एनसीआर सहित आसपास के राज्यों में डेयरी उत्पादों की आपूर्ति होगी। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की दशकों पुरानी मांग पूरी करते हुए सहकारिता मंत्रालय बनाया। पिछले चार वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से सहकारिता क्षेत्र की नींव मजबूत हुई है। उन्होंने भरोसा जताया कि 2029 तक हर पंचायत में एक सहकारी समिति होगी।
शाह ने बताया कि पिछले 11 सालों में भारत का दूध उत्पादन 146 मिलियन टन से बढ़कर 239 मिलियन टन हो गया है। देशी गायों का दूध उत्पादन भी 29 मिलियन टन से बढ़कर 50 मिलियन टन तक पहुंच गया है। आज 8 करोड़ किसान सीधे डेयरी क्षेत्र से जुड़े हैं और प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 124 ग्राम से बढ़कर 471 ग्राम तक हो गई है।साबर डेयरी प्लांट की क्षमता को लेकर शाह ने बताया कि यहां रोजाना 150 मीट्रिक टन दही, 10 मीट्रिक टन योगर्ट, 3 लाख लीटर छाछ और 10,000 किलो मिठाई का उत्पादन होगा। इस प्लांट से हरियाणा के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान भी लाभान्वित होंगे। उन्होंने गुजरात की डेयरी सहकारी समितियों की मिसाल देते हुए कहा कि वहां 35 लाख महिलाएं हर साल 85,000 करोड़ रुपये का कारोबार करती हैं। उन्होंने कहा प्रजनन तकनीक, बायोगैस, मधुमक्खी पालन और जैविक खेती जैसे वैज्ञानिक नवाचारों को अब हरियाणा में भी लागू किया जाना चाहिए।हरियाणा के प्रदर्शन पर शाह ने कहा कि राज्य प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में हमेशा पहले से तीसरे स्थान के बीच रहा है। उन्होंने घोषणा की कि श्वेत क्रांति 2.0 के तहत देशभर में 75,000 से अधिक नई डेयरी समितियां बनाई जाएंगी और 46,000 मौजूदा समितियों को और मजबूत किया जाएगा। मौजूदा 660 लाख लीटर प्रतिदिन दूध प्रोसेसिंग क्षमता को 2028-29 तक बढ़ाकर 100 मिलियन लीटर प्रतिदिन किया जाएगा। इससे सीधे किसानों और विशेषकर महिलाओं को लाभ मिलेगा। सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए शाह ने राष्ट्रीय गोपाल मिशन, राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम, पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष और राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम को भी उजागर किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अब डेयरी प्लांट निर्माण और शोध में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है, जिससे उत्पादन और नवाचार में तेजी आएगी और सहकारी क्षेत्र और अधिक मजबूत होगा।- -
नई दिल्ली। हेलमेट न पहनना भारतीय राइडर्स के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। एको जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड की पहली चालान रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 से जून 2025 के बीच जुटाए गए लाखों डेटा पॉइंट्स के आधार पर, इस दौरान 1.05 करोड़ से ज्यादा हेलमेट से जुड़े उल्लंघन दर्ज किए गए, जो कुल ट्रैफिक चालानों का 34.8% हिस्सा हैं।साथ ही, इस रिपोर्ट में एक चिंताजनक ट्रेंड भी सामने आया है: भारत की सड़कों पर हर तीसरा राइडर बिना हेलमेट के गाड़ी चला रहा है, जिससे न सिर्फ उनकी जान को खतरा है, बल्कि उन्हें भारी जुर्माना भी भरना पड़ रहा है।
शहरों के आंकड़ों से पता चलता है कि बेंगलुरु में सबसे ज्यादा बार-बार उल्लंघन करने वाले हैं, जहां 10.8% राइडर्स के नाम 10 से ज्यादा लंबित चालान हैं। दिल्ली में सबसे ज्यादा चालान की दर रही, जहां 73% लोगों के नाम कम से कम एक चालान दर्ज है। डिजिटल निगरानी भी बढ़ रही है, खासकर बेंगलुरु में, जहां 23% चालान कैमरों और मोबाइल डिवाइस के जरिए जारी किए गए।इसके चलते पैसे का नुकसान भी कम नहीं है। बेंगलुरु में एक राइडर ने 89 चालान के साथ 44,500 रुपये का जुर्माना जमा किया, जबकि दिल्ली में एक ड्राइवर ने पांच चालानों में 61 हजार रुपये का भुगतान किया।एको जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (मोटर इंश्योरेंस) मयंक गुप्ता कहते हैं, “हर चालान सिर्फ जुर्माना नहीं है, बल्कि जिम्मेदारी से गाड़ी चलाने की याद दिलाता है। सुरक्षित ड्राइविंग की आदत से न सिर्फ जान बचाती है, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचाती है।”चालान से जुड़ी मुख्य बातेंरिपोर्ट में भारत के प्रमुख शहरों में ड्राइविंग व्यवहार का गहराई से विश्लेषण किया गया है:बार-बार उल्लंघन करने वाले: बेंगलुरु इस मामले में सबसे आगे है, जहां 10.8% यूजर्स के नाम 10 से ज्यादा लंबित चालान हैं। इसके बाद चेन्नई (8.1%), दिल्ली (5.7%), मुंबई (4.8%), पुणे (3.2%), कोलकाता (2.3%), हैदराबाद (1.7%), और अहमदाबाद (1.6%) का नंबर आता है।चालान की जांच: चेन्नई के ड्राइवर्स सबसे ज्यादा बार अपने चालान चेक करते हैं, औसतन महीने में पांच बार। इसके बाद बेंगलुरु (4.12 बार), कोलकाता (3.29 बार), अहमदाबाद (2.85 बार), और दिल्ली (2.76 बार) हैं। बेंगलुरु में अकेले 14.5 लाख चालान चेक हुए, जिसमें 61% यूजर्स के नाम कम से कम एक चालान था।चालान की ज्यादा दर: दिल्ली में सबसे ज्यादा चालान की दर रही, जहां 73% यूजर्स के नाम कम से कम एक चालान है। इसके बाद चेन्नई (64%), मुंबई (62%), बेंगलुरु (61%), और अहमदाबाद (61%) हैं।डिजिटल निगरानी: बेंगलुरु में डिजिटल उल्लंघनों में सबसे आगे है, जहां 23% चालान कैमरों और मोबाइल डिवाइस के जरिए जारी किए गए।सबसे ज्यादा चालान वाले शहर: रिपोर्ट में बार-बार ट्रैफिक नियम तोड़ने के कुछ चरम मामलों का जिक्र है:-बेंगलुरु: एक यूजर के नाम 89 चालान, कुल 44,500 रुपये का जुर्माना।-दिल्ली: एक यूजर के नाम 19 चालान, कुल 19,000 रुपये का जुर्माना।-अहमदाबाद: एक यूजर के नाम 18 चालान।-चेन्नई: एक यूजर के नाम 18 चालान।-सबसे ज्यादा जुर्माना: दिल्ली में एक ड्राइवर ने पांच चालानों में 61 हजार रुपये का जुर्माना भरा, जबकि एक अन्य दिल्ली यूजर ने चार चालानों में 60 हजार 500 रुपये और नोएडा के एक यूजर ने दो चालानों में 31 हजार रुपये का भुगतान किया। -
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में चार देशों के राजदूतों से उनके परिचय पत्र स्वीकार किए। जिन देशों के राजदूतों ने अपने परिचय पत्र प्रस्तुत किए, उनमें मॉरिटानिया, लक्जमबर्ग, कनाडा और स्लोवेनिया शामिल हैं। इस मौके पर मॉरिटानिया के राजदूत अहमदौ सिदी मोहम्मद, लक्जमबर्ग के ग्रैंड डची के राजदूत क्रिश्चियन बीवर, कनाडा के उच्चायुक्त क्रिस्टोफर कूटर और स्लोवेनिया के राजदूत टोमाज मेनसिन ने राष्ट्रपति मुर्मु को अपने-अपने परिचय पत्र सौंपे। राष्ट्रपति कार्यालय ने इसकी जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भी तस्वीरें और विवरण साझा किया।
गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बीते गुरुवार को लाल किला, नई दिल्ली में दशहरा पर्व के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जब आतंकवाद मानवता पर प्रहार करता है, तो उसका दमन करना अनिवार्य हो जाता है। उन्होंने भारतीय सेना द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को आतंकवाद के रावण पर मानवता की विजय का प्रतीक बताया।राष्ट्रपति ने विजयादशमी पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमें हर साल याद दिलाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः जीत हमेशा सत्य और धर्म की होती है। उन्होंने यह भी कहा कि विजयादशमी नवरात्रि और दुर्गा पूजा उत्सवों का समापन है और भगवान राम की रावण पर तथा देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। यह दिन बुराइयों, अहंकार और अन्याय जैसे नकारात्मक गुणों के विनाश और नई शुरुआत का संदेश देता है। -
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को आवागमन में आसानी हो इसके लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) राष्ट्रीय राजमार्गों के अलग-अलग हिस्सों में ‘क्विक रिस्पॉन्स (क्यूआर) कोड’ के साथ प्रोजेक्ट जानकारी वाले साइन बोर्ड लगाएगी। यह जानकारी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में दी गई। सरकार के इस कदम के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा करने यात्रियों को प्रोजेक्ट से संबंधित विशेष जानकारी और इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर मिल सकेंगे।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, वर्टिकल क्यूआर कोड साइन बोर्ड पर प्रोजेक्ट से संबंधित जानकारी होगी, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग का नंबर, हाईवे का चेनेज, प्रोजेक्ट की लंबाई, निर्माण और रखरखाव का समय, हाईवे पेट्रोलिंग, टोल मैनेजर, प्रोजेक्ट मैनेजर, रेजिडेंट इंजीनियर, इमरजेंसी हेल्पलाइन 1033, एनएचएआई फील्ड ऑफिस का कॉन्टैक्ट नंबर और आस-पास की सुविधाओं जैसे अस्पताल, पेट्रोल पंप, शौचालय, पुलिस स्टेशन, रेस्टोरेंट, टोल प्लाजा की दूरी, ट्रक के लिए पार्किंग, पंचर ठीक करने की दुकान और वाहन सर्विस स्टेशन/ई-चार्जिंग स्टेशन आदि की जानकारी होगी।इसके अलावा बेहतर विजिबिलिटी के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए क्यूआर कोड साइन बोर्ड को सड़क किनारे रेस्ट एरिया, टोल प्लाजा, ट्रक ले-बाय, हाईवे के शुरू/अंत के स्थानों और संकेतों के पास लगाए जाएंगे।मंत्रालय ने कहा कि क्यूआर कोड साइन बोर्ड न केवल इमरजेंसी और स्थानीय जानकारी तक बेहतर पहुंच के माध्यम से सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करेंगे, बल्कि देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों के बारे में उपयोगकर्ताओं का अनुभव और जागरूकता बढ़ाने में भी मददगार होंगे।इस बीच, एनएचएआई को उम्मीद है कि अगर प्राधिकरण द्वारा चिन्हित सड़क संपत्तियों का समय पर मॉनेटाइजेशन हो जाता है, तो वित्त वर्ष 2026 में उसे 35,000-40,000 करोड़ रुपए मिलेंगे। यह पिछले तीन वर्षों में 10 स्वीकृत टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) पैकेज में देखे गए 0.62 गुना के औसत मूल्यांकन मल्टीपल पर आधारित है।रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, “यह वित्त वर्ष 25 के 24,399 करोड़ रुपए के मॉनेटाइजेशन से काफी बेहतर होगा। इसके अलावा, यह वित्त वर्ष 2026 के लिए 30,000 करोड़ रुपए के बजटेड मॉनेटाइजेशन लक्ष्य से भी अधिक होगा।” वित्त वर्ष 2023 से एचएचएआई ने मॉनेटाइजेशन के लिए चिन्हित संपत्तियों की वार्षिक सूची प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। -
नयी दिल्ली. बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन ने अपनी शुरुआत के एक महीने के भीतर ही 'उल्लेखनीय परिणाम' दिखाए हैं, जिसमें दिल्ली तक राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन और नगालैंड तक मालगाड़ी को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। रेल मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन मिजोरम को देश के शेष हिस्सों से जोड़ती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस रेलवे लाइन से दिल्ली जाने वाली पहली राजधानी एक्सप्रेस को 13 सितंबर को हरी झंडी दिखाकर 51.38 किलोमीटर लंबी बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन किया था। रेल मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘मिजोरम में बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन के चालू होने और नगालैंड में मोल्वोम से माल ढुलाई परिचालन शुरू होने के बाद रेलवे को यात्रियों और माल ग्राहकों दोनों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है।'' इसमें कहा गया है कि नयी रेलवे लाइन स्थानीय उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच का वादा करती है, साथ ही यह व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करती है। रेल मंत्रालय ने कहा, ‘‘परिचालन के कुछ ही सप्ताहों में यात्री और माल ढुलाई सेवाओं ने उल्लेखनीय परिणाम दिखाए हैं, जो रेलवे में लोगों की आकांक्षाओं और विश्वास को दर्शाते हैं। रेलवे वृद्धि और विकास की जीवन रेखा है।'' आवश्यक यात्रा के अलावा पर्यटकों और यात्रा के प्रति उत्साही लोगों ने भी काफी रुचि दिखाई है, क्योंकि कई रेलगाड़ियां पूरी क्षमता से अधिक भरी हुई हैं। -
नई दिल्ली।‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत ने पाकिस्तान में 300 किलोमीटर अंदर तक हमला किया था। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने यह खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि यह दुश्मन के क्षेत्र में अब तक की सबसे लंबी दूरी थी। आज शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एपी सिंह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने न सिर्फ दुश्मन के क्षेत्र में अंदर तक प्रवेश किया, बल्कि 300 किलोमीटर तक की अब तक की सबसे लंबी दूरी की मार भी हासिल की, जिससे पाकिस्तान अपने ही क्षेत्र में संचालन करने में असमर्थ रहा।”
ऑपरेशन सिंदूर की रणनीतिक सफलताएयर मार्शल सिंह ने मिशन की रणनीतिक सफलता पर कहा, “हम दुश्मन के क्षेत्र में अंदर तक प्रवेश करने और उच्च सटीकता के साथ हमले करने में सक्षम थे।” उन्होंने भारत की मजबूत वायु रक्षा संरचना को इस समग्र योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया, जिसने ऑपरेशन के दौरान संपत्तियों के निर्बाध समन्वय और सुरक्षा को संभव बनाया।एपी सिंह ने पाकिस्तानी दावों को किया खारिजइस दौरान उन्होंने भारतीय वायुसेना के विमानों को मार गिराने के पाकिस्तानी दावों को खारिज किया। एपी सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान के दावे सिर्फ ‘मनोहर कहानियां’ हैं। वायुसेना प्रमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा, “उन्होंने (पाकिस्तान) कहा कि हमने इतने जेट गिराए? मैं अब भी कुछ नहीं बोलूंगा और न ही बोलना चाहूंगा। अगर पाकिस्तान को लगता है कि उसने हमारे 15 जेट गिराए हैं तो उन्हें सोचने दो। मुझे उम्मीद है कि उन्हें इस बात का यकीन हो गया होगा और जब वे दोबारा लड़ने आएंगे तो मेरे बेड़े में 15 कम विमान होंगे, तो मैं इसके बारे में बात क्यों करूं?” उन्होंने कहा, “आज भी मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा कि क्या हुआ, कितना नुकसान हुआ और कैसे हुआ, क्योंकि उन्हें पता तो चलने दीजिए।”पाकिस्तान की कहानी ‘मनोहर कहानियां’इस दौरान, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने सवाल किया, “क्या आपने एक भी तस्वीर देखी है जहां हमारे किसी एयरबेस पर कुछ गिरा हो, हमें कोई टक्कर लगी हो, कोई हैंगर तबाह हुआ हो या ऐसा कुछ? हमने उन्हें उनकी जगहों की इतनी सारी तस्वीरें दिखाईं, लेकिन वे हमें एक भी तस्वीर नहीं दिखा पाए, तो उनकी कहानी ‘मनोहर कहानियां’ है। उन्हें खुश रहने दीजिए। आखिरकार उन्हें भी अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए अपनी जनता को कुछ तो दिखाना ही है। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”ऑपरेशन सिंदूर सबसे महत्वपूर्ण‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर सबसे महत्वपूर्ण था। पहलगाम की घटना के बाद हमने तय किया कि जिम्मेदार लोगों को उनके किए की सजा मिलनी चाहिए और निर्दोष लोगों की हत्या करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। भारतीय सशस्त्र बलों को एक स्पष्ट निर्देश दिया गया था, जिसमें भारतीय वायुसेना को आतंकवादी शिविरों से जुड़े 9 में से दो प्रमुख लक्ष्यों को निशाना बनाने में प्रमुख हितधारक बनाया गया था।” -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 4 अक्टूबर को सुबह करीब 11 बजे नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में युवाओं के लिए 62,000 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं की शुरुआत करेंगे। इस दौरान कौशल दीक्षांत समारोह का चौथा संस्करण भी आयोजन होगा, जहां 46 आईटीआई टॉपर्स को सम्मानित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री इस मौके पर पीएम-सेतु (प्रधानमंत्री स्किलिंग एंड एम्प्लॉयबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन थ्रू अपग्रेडेड आईटीआईज) योजना लॉन्च करेंगे। इस योजना में 60,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और इसके तहत देशभर की 1,000 सरकारी आईटीआई को अपग्रेड किया जाएगा। इनमें 200 हब आईटीआई और 800 स्पोक आईटीआई शामिल होंगी। प्रत्येक हब 4 स्पोक से जुड़ा होगा। इन क्लस्टर्स में डिजिटल लर्निंग सिस्टम, इनोवेशन सेंटर, ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स, प्रोडक्शन यूनिट्स और प्लेसमेंट सर्विसेज होंगी। खास बात यह है कि यह आईटीआई मॉडल सरकारी स्वामित्व में होगा लेकिन इसका प्रबंधन उद्योग साझेदारों द्वारा किया जाएगा। इस योजना को विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक का सहयोग मिलेगा। पहले चरण में पटना और दरभंगा के आईटीआई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।इसके अलावा प्रधानमंत्री 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 400 नवोदय विद्यालय और 200 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल में स्थापित 1,200 व्यावसायिक कौशल प्रयोगशालाओं का भी उद्घाटन करेंगे। इन लैब्स में आईटी, ऑटोमोबाइल, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, लॉजिस्टिक्स और पर्यटन जैसे 12 प्रमुख क्षेत्रों में प्रशिक्षण मिलेगा। साथ ही 1,200 व्यावसायिक शिक्षक भी प्रशिक्षित किए जाएंगे।बिहार पर खास जोर देते हुए प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का नया संस्करण लॉन्च करेंगे। इसके तहत हर साल लगभग 5 लाख स्नातक युवाओं को दो साल तक हर महीने 1,000 रुपये और मुफ्त कौशल प्रशिक्षण मिलेगा। साथ ही बिहार छात्र क्रेडिट कार्ड योजना का नया संस्करण भी शुरू किया जाएगा, जिसमें छात्रों को 4 लाख रुपये तक का पूरी तरह ब्याजमुक्त शिक्षा ऋण मिलेगा। अब तक 3.92 लाख छात्रों को 7,880 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री बिहार युवा आयोग का भी उद्घाटन करेंगे, जो 18 से 45 वर्ष के युवाओं के लिए वैधानिक आयोग होगा।इसके अलावा प्रधानमंत्री जन नायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय का उद्घाटन करेंगे। यह विश्वविद्यालय उद्योग-उन्मुख कोर्स और व्यावसायिक शिक्षा देगा। साथ ही प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) के तहत बिहार की चार विश्वविद्यालयों-पटना यूनिवर्सिटी, भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी (मधेपुरा), जय प्रकाश यूनिवर्सिटी (छपरा) और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी (पटना) में 160 करोड़ रुपये की लागत से नए शैक्षणिक और शोध भवन बनाए जाएंगे। इनसे 27,000 से अधिक छात्रों को आधुनिक प्रयोगशालाएं, हॉस्टल और बहुविषयक शिक्षा सुविधाएं मिलेंगी।प्रधानमंत्री एनआईटी पटना के बिहटा परिसर को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस परिसर में 6,500 छात्रों के लिए जगह है और इसमें 5जी यूज केस लैब, इसरो के सहयोग से बना रीजनल एकेडमिक सेंटर फॉर स्पेस और इनोवेशन एवं इन्क्यूबेशन सेंटर है, जिसने अब तक 9 स्टार्टअप्स को समर्थन दिया है। प्रधानमंत्री बिहार सरकार में नए नियुक्त 4,000 से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र देंगे और मुख्यमंत्री बालक/बालिका छात्रवृत्ति योजना के तहत कक्षा 9 और 10 के 25 लाख छात्रों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए 450 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति भी वितरित करेंगे।इन योजनाओं से युवाओं को शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के बड़े अवसर मिलेंगे। बिहार को कुशल मानव संसाधन का केंद्र बनाने की दिशा में यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा और इससे राज्य व देश दोनों के विकास को नई गति मिलेगी।- -
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि डेयरी सेक्टर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने शुक्रवार को इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (IMT), रोहतक में 325 करोड़ रुपये की लागत से बने साबर डेयरी प्लांट का उद्घाटन किया।
यह डेयरी प्लांट देश की सबसे बड़ी दही, छाछ और योगर्ट उत्पादन सुविधा है। इसकी दैनिक क्षमता 150 मीट्रिक टन दही, तीन लाख लीटर छाछ, दस लाख लीटर योगर्ट और दस मीट्रिक टन मिठाई है। उद्घाटन समारोह में अमित शाह ने कहा, “डेयरी सेक्टर पोषण का एक मजबूत स्रोत है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ किसानों की समृद्धि में भी योगदान देगा।” गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया कि उन्होंने लंबे समय से चली आ रही मांग पर ‘सहयोग मंत्रालय’ की स्थापना की। उन्होंने कहा, “यह वही भूमि है जहां भगवान कृष्ण ने पहली बार भगवद् गीता का ज्ञान दिया।” उन्होंने हरियाणा की मातृत्व शक्ति को नमन करते हुए कहा कि यह छोटा राज्य होते हुए भी हमारी अर्धसैनिक और सशस्त्र सेनाओं में सबसे अधिक योगदान देता है। साबर डेयरी प्लांट अत्याधुनिक मशीनरी से सुसज्जित है और इसके चलते लगभग 1,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। गुजरात के साबरकांठा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ के नाम से प्रसिद्ध साबर डेयरी वर्तमान में राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को सेवा देती है। गृह मंत्री ने बताया कि अगले वर्ष इस प्लांट की क्षमता में विस्तार किया जाएगा। अमित शाह ने कहा, “यह प्लांट NCR और उत्तरी भारत के किसानों की आय में वृद्धि करेगा और हरियाणा के हर कोने में किसानों को लाभ पहुंचाएगा।” इसके बाद गृह मंत्री खादी कारिगर महोत्सव में 2,200 कारीगरों को टूल किट वितरित करेंगे और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP) के तहत 301 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करेंगे। इसके अलावा PMEGP यूनिट्स और खादी ग्रामोद्योग भवन का भी उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र में तीन नए आपराधिक कानूनों पर पांच दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे और लगभग 825 करोड़ रुपये के विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। -
नयी दिल्ली. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान एनआईईएलआईटी से उद्योग की जरूरतों के अनुरूप प्रशिक्षण देने के लिए शीर्ष 500 कंपनियों के साथ साझेदारी करने का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) को उद्योग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल लर्निंग मंच बनाने का निर्णय तीन साल पहले लिया गया था और अब यह तैयार है। लंबे समय से हम वही पढ़ा रहे हैं जो हम जानते हैं, जबकि हमें वास्तव में वही पढ़ाना चाहिए जो उद्योग और छात्रों की जरूरत है।'' वैष्णव ने एनआईईएलआईटी डिजिटल विश्वविद्यालय के पांच केंद्रों की शुरुआत करने के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘‘समय आ गया है जब एनआईईएलआईटी जैसे संस्थानों को उद्योग की जरूरतों के हिसाब से पढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।'' ये केंद्र मुजफ्फरपुर (बिहार), बालेश्वर (ओडिशा), तिरुपति (आंध्र प्रदेश), दमन (दादरा और नगर हवेली) और लुंगलेई (मिज़ोरम) में स्थित हैं। वैष्णव ने कहा, ‘‘एनआईईएलआईटी को शीर्ष 500 कंपनियों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और उनकी जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए।'' इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस कृष्णन ने कहा कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण का केंद्र बन सकता है और इसको लेकर काफी उत्साह है। एनआईईएलआईटी उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिभाओं को विकसित करने में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी काफी प्रशिक्षण और प्रतिभा की जरूरत है, जहां संस्थान योगदान दे रहा है और अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ने किंड्रिल, फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन, डिक्सन टेक्नोलॉजीज और माइक्रोसॉफ्ट जैसे कंपनियों के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
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नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सर क्रीक सेक्टर में इस्लामाबाद के किसी भी दुस्साहस का ‘‘निर्णायक जवाब'' दिया जाएगा, जो ‘‘इतिहास और भूगोल'' दोनों को बदल देगा। गुजरात के भुज में भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट एक सैन्य अड्डे पर सिंह की यह टिप्पणी विवादित क्षेत्र में पड़ोसी देश द्वारा सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार की पृष्ठभूमि में आई है। रक्षा मंत्री ने सैनिकों के साथ दशहरा मनाया और इस अवसर पर ‘शस्त्र पूजा' की।
सिंह ने यह भी कहा कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के सभी उद्देश्यों को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है और तनाव बढ़ाकर पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू करना उसका उद्देश्य नहीं था। उन्होंने कहा कि इस अभियान ने पाकिस्तान की हवाई रक्षा को ‘‘बेनकाब'' कर दिया तथा भारत की ‘‘निर्णायक क्षमता'' को साबित कर दिया। हालांकि, विवादित सर क्रीक क्षेत्र पर उनकी टिप्पणियों ने काफी ध्यान आकर्षित किया।उन्होंने कहा, ‘‘यदि पाकिस्तान सर क्रीक सेक्टर में कोई दुस्साहस करता है, तो जवाब इतना कड़ा होगा कि वह इतिहास और भूगोल दोनों बदल देगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘1965 के युद्ध में भारतीय सेना ने लाहौर तक पहुंचने की क्षमता का प्रदर्शन किया था। आज 2025 में पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची जाने का एक रास्ता इसी क्रीक से होकर गुजरता है।'' सर क्रीक गुजरात के कच्छ के रण और पाकिस्तान के बीच 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय मुहाना है। दोनों पक्षों द्वारा समुद्री सीमा की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण इसे एक विवादित क्षेत्र माना जाता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आजादी के 78 साल बाद भी पाकिस्तान सर क्रीक सेक्टर पर ‘विवाद पैदा करता रहता है', जबकि भारत इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए बार-बार प्रयास करता रहा है। उन्होंने कहा कि सर क्रीक से सटे इलाकों में उसके सैन्य बुनियादी ढांचे का हालिया विस्तार उसकी मंशा को दर्शाता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘सर क्रीक सेक्टर में पाकिस्तान द्वारा किए गए किसी भी दुस्साहस का निर्णायक जवाब दिया जाएगा।'' सिंह ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सेक्टर में ‘टाइडल बर्थिंग' सुविधा और एक संयुक्त नियंत्रण केंद्र (जेसीसी) का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये सुविधाएं एकीकृत तटीय संचालन के लिए प्रमुख सहायक के रूप में कार्य करेंगी, साथ ही संयुक्त संचालन क्षमता, तटीय सुरक्षा समन्वय और किसी भी खतरे पर त्वरित प्रतिक्रिया को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी। अपने संबोधन में सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के रक्षा नेटवर्क में सेंध लगाने के पाकिस्तान के प्रयासों को सफलतापूर्वक विफल करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने लेह से लेकर सर क्रीक तक भारत की रक्षा प्रणाली को भेदने की असफल कोशिश की। अपनी जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारतीय सेना जब चाहे और जहां चाहे, पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।'' सिंह ने कहा कि सामर्थ्य होने के बावजूद भारत ने संयम का परिचय दिया क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवाद का मुकाबला करना था, न कि व्यापक संघर्ष को भड़काना। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि ऑपरेशन सिंदूर के सभी सैन्य उद्देश्य सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिए गए तथा इस बात की पुष्टि की कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई पूरे संकल्प के साथ जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘इसे बढ़ाना और युद्ध छेड़ना ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य नहीं था। मुझे खुशी है कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के सभी सैन्य उद्देश्यों को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है।'' पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकियों के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। इन हमलों के बाद चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि यह सशस्त्र बलों की एकजुटता के कारण संभव हुआ। उन्होंने सैनिकों और अधिकारियों को उनकी रणनीति, साहस और क्षमता के लिए बधाई दी, जिससे यह साबित हुआ कि भारत किसी भी परिस्थिति में अपने विरोधियों को परास्त करने में सक्षम है। सिंह ने कहा, ‘‘यह हमारे सशस्त्र बलों की एकजुटता ही थी जिसने ऑपरेशन सिंदूर को रिकॉर्ड समय में अंजाम दिया। आज इस अवसर पर, मैं ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए हमारे बहादुर सैनिकों और अधिकारियों को विशेष बधाई देना चाहता हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘आपकी रणनीति, आपके साहस और आपके सामर्थ्य ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत हर परिस्थिति में दुश्मन को परास्त करने में सक्षम है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी का साहस, आप सभी का पराक्रम भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करता रहेगा।'' रक्षा मंत्री ने थलसेना, वायुसेना और नौसेना को भारत की ताकत के ‘‘तीन स्तंभ'' बताया।उन्होंने कहा, ‘‘जब ये तीनों मिलकर काम करेंगी, तभी हम हर चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना कर पाएंगे।'' सिंह पिछले कई वर्षों से दशहरा पर शस्त्र पूजा करते आ रहे हैं। उन्होंने पिछली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में भी शस्त्र पूजा की थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए हथियार सिर्फ़ औज़ार नहीं हैं। हथियार सिर्फ़ शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं हैं बल्कि, हमारा मानना है कि हथियार धर्म की स्थापना का एक साधन हैं।'' रक्षा मंत्री ने कहा कि 'शस्त्र पूजा' महज एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारत के सभ्यतागत दर्शन का प्रतिबिंब है, जहां हथियारों को धर्म का साधन माना जाता है, न कि सिर्फ हिंसा का साधन। उन्होंने भारतीय परंपरा से समानताएं बतायीं, जहां किसान अपने हल की पूजा करते हैं, छात्र अपनी पुस्तकों का और सैनिक अपने हथियारों का सम्मान करते हैं। सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि हथियारों का इस्तेमाल हमेशा न्याय और धर्म की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘‘ज्ञान, रक्षा शक्ति के बिना असुरक्षित है और ज्ञान के मार्गदर्शन के बिना शक्ति अराजकता का कारण बनती है। 'शास्त्र' और 'शस्त्र' का संतुलन हमारी सभ्यता को जीवंत और अजेय बनाए रखता है।'' रक्षा मंत्री ने भारत की सीमाओं पर चुनौतियों के बारे में भी बात की।उन्होंने कहा, ‘‘चुनौतियां कभी भी सरल नहीं रही हैं और वे विभिन्न रूपों में सामने आती हैं। कभी ये चुनौतियां बाहरी आक्रमण के रूप में सामने आती हैं, कभी आतंकवादी संगठनों के रूप में सामने आती हैं और आज की दुनिया में ये साइबर युद्ध और सूचना युद्ध के रूप में भी सामने आती हैं।'' विजयदशमी के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए सिंह ने कहा कि यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः जीत धर्म की ही होती है। उन्होंने कहा, ‘‘इस दिन शस्त्रों की पूजा भारत के राष्ट्रीय जीवन से गहराई से जुड़ी हुई है क्योंकि यह देश की सामूहिक शक्ति, सुरक्षा और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान का प्रतीक है।'' रक्षा मंत्री ने महात्मा गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने अपनी आत्मशक्ति से ही उस समय के सबसे मजबूत साम्राज्य को झुकने पर मजबूर कर दिया। सिंह ने कहा, ‘‘हमारे सैनिकों के पास मनोबल और हथियार दोनों हैं, इसलिए कोई भी चुनौती उनके संकल्प के आगे टिक नहीं सकती।'' -
इंदौर/खंडवा. मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में विजयादशमी के अवसर पर बृहस्पतिवार को दुर्गा देवी की मूर्तियों के विसर्जन के दौरान तालाब में ट्रैक्टर ट्रॉली पलटने से सात लड़कियों समेत 11 श्रद्धालुओं की डूबकर मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सूबे के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हादसे को लेकर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर शोक जताया और अपने स्वजनों को खोने वाले परिवारों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की। खंडवा के जिलाधिकारी ऋषव गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि हादसा तब हुआ, जब पंधाना क्षेत्र में दुर्गा देवी की मूर्तियों को विसर्जन के लिए ले जा रही ट्रैक्टर ट्रॉली श्रद्धालुओं समेत तालाब में पलट गई। उन्होंने बताया,‘‘तालाब से 11 श्रद्धालुओं के शव निकाले गए हैं।''
जिलाधिकारी के मुताबिक मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं को पहले ही चेताया था कि तालाब गहरा है, लेकिन ‘अति उत्साह के कारण' श्रद्धालु नहीं माने और वे ट्रैक्टर ट्रॉली को तालाब में आगे लेकर चले गए जिससे यह वाहन गहराई में पलटकर इस जलस्त्रोत में समा गया। उन्होंने बताया कि पुलिस और प्रशासन के साथ ही राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), होम गार्ड और स्थानीय गोताखोरों की मदद से संचालित बचाव अभियान खत्म हो गया है। खंडवा के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय ने बताया कि हादसे में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं में सात लड़कियां शामिल हैं। उन्होंने बताया,‘‘हादसे के बाद 10-12 श्रद्धालुओं को तालाब से बाहर निकालकर बचा लिया गया। इनमें से तीन घायलों का इलाज किया जा रहा है।'' पंधाना की अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) दीक्षा भगोरे ने बताया कि मृतकों में आरती (18), उर्मिला (16), शर्मिला (15), किरण (16), पाटली (25), संगीता (16), चंदा (08), दिनेश (13), गणेश (20), रेवसिंह (13) और आयुष (09) शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि हादसे के वक्त ट्रैक्टर ट्रॉली में करीब 30 श्रद्धालु सवार थे।चश्मदीदों ने बताया कि इस वाहन के तालाब में गिरते ही घटनास्थल पर अफरा-तफरी की स्थिति बन गई और लोग अपने स्वजनों की तलाश में बदहवास देखे गए। उन्होंने बताया कि हादसे के बाद ग्रामीणों की भीड़ घटनास्थल पर जमा हो गई और इनमें से कई लोगों ने बचाव अभियान में मदद की। -
ब्रह्मपुर. ओडिशा के लोकप्रिय लोकनृत्य ‘कृष्ण लीला' के प्रख्यात गायक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित गोपीनाथ स्वैन का बृहस्पतिवार को गंजम जिले के गोविंदपुर में निधन हो गया। वह 107 साल के थे। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि स्वैन ने गोविंदपुर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह उम्र संबंधी स्वास्थ्य जटिलताओं से जूझ रहे थे। स्वैन को कला जगत में उल्लेखनीय योगदान के लिए 2023 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2024 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह स्थानीय स्तर पर ‘गुरु' के नाम से जाने जाते थे, क्योंकि उन्होंने क्षेत्र के कई लोगों को ‘कृष्ण लीला' का प्रशिक्षण दिया था। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक, परिवहन मंत्री विभूति भूषण जेना और कई नेताओं एवं कलाकारों ने स्वैन के निधन पर शोक जताया। माझी ने कहा कि स्वैन के निधन से ओडिशा ने एक प्रसिद्ध लोक कलाकार खो दिया है।
साल 1918 में जन्मे स्वैन ने अपने पिता के बड़े भाई से 10 वर्ष की उम्र में कृष्ण लीला सीखनी शुरू की थी। शुरुआत में, वह शास्त्रीय गीत गाते थे और कृष्ण की भूमिका निभाते थे। उम्र बढ़ने के साथ, उन्होंने इस लोक कला में कुछ अन्य भूमिकाएं निभाईं और फिर लोक नृत्य के मुख्य गायक-सह-निर्देशक बन गए। स्वैन ने गांव में एक अखाड़ा (पारंपरिक नृत्य विद्यालय) की स्थापना की, जहां उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के कई युवाओं को प्रशिक्षण दिया। उनके पोते अमित स्वैन ने बताया कि वृद्धावस्था के बावजूद वह अखाड़े में जाते थे और पारंपरिक वाद्य संगीत के साथ नियमित रूप से गीतों का अभ्यास करते थे। ओडिशा के परिवहन मंत्री जेना, गंजम के जिलाधिकारी कीर्ति वासन वी, पुलिस अधीक्षक (एसपी) शुभेंदु पात्रा और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति स्वैन को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर पहुंचे। -
नयी दिल्ली/ हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक ‘पद्म विभूषण' से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का बृहस्पतिवार सुबह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में अपनी बेटी के घर पर उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट कर गायक के निधन पर शोक जताया है।
उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा। साल 2014 में वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति!'' छन्नूलाल की बेटी नम्रता मिश्र ने बताया, "उम्र संबंधी समस्याओं के कारण वह पिछले 17 से 18 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। आज सुबह करीब चार बजे घर पर उनका निधन हो गया।" उनके परिवार में एक बेटा और तीन बेटियां हैं। -
नयी दिल्ली.भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक समूह (आरएसएस) ने युवाओं को अपने जीवन का हर पल मातृभूमि की सेवा में समर्पित करने के लिए प्रेरित करके राष्ट्र निर्माण में ‘‘अद्वितीय योगदान'' दिया है। वर्ष 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 साल पूरे हो गए हैं। इस संगठन को सत्तारूढ़ भाजपा का वैचारिक स्रोत माना जाता है।
नड्डा ने आरएसएस को सेवा, अनुशासन और राष्ट्रीय विचारों का ‘‘प्रबल संवाहक'' बताया और असंख्य नागरिकों के लिए प्रेरणा का केंद्र बताया। उन्होंने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि समाज में राष्ट्रीय विचारों का प्रसार कर समर्थ व अखण्ड भारत निर्माण के दिव्य ध्येय के साथ लोगों को जोड़ता यह संगठन असंख्य नागरिकों के लिए प्रेरणा का केंद्र है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के इस संकल्प को लेकर 100 साल तक मां भारती की सेवा का लक्ष्य लेकर असंख्य स्वयंसेवकों ने मातृभूमि के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। नड्डा ने कहा, ‘‘सेवा, अनुशासन और राष्ट्रीय विचारों के प्रबल संवाहक, विश्व के सबसे बड़े सामाजिक व सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष की कोटिश: स्वयंसेवकों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
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नयी दिल्ली. उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने पर बृहस्पतिवार को कहा कि यह संगठन धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव किए बिना सभी को गले लगाता है और यह विविधता में एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस ‘‘समावेशी दृष्टिकोण'' ने आरएसएस और उसके संबद्ध संगठनों को स्थायी रूप से सफल बनाया है, जिससे राष्ट्र की सर्वांगीण प्रगति हुई है। राधाकृष्णन ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि विश्व का सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त संगठन 100 वर्ष का हो चुका है। संघ का सबसे बड़ा योगदान ऐसे आत्मानुशासित और उत्तरदायी नागरिक हैं, जो सशक्त समाज की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा स्थापित किए जाने के बाद से, संघ ने युवाओं को मजबूत आंतरिक चरित्र निर्माण और निस्वार्थ भाव से समाज सेवा करने के लिए प्रेरित किया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘सेवा परमो धर्मः' के आदर्श से प्रेरित स्वयंसेवकों को चाहे बाढ़, अकाल, भूकंप या अन्य किसी भी आपदा का सामना करना पड़े, वे बिना किसी अपेक्षा या आदेश की प्रतीक्षा के, संगठित होकर पीड़ितों की सेवा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह निस्वार्थ सेवा राष्ट्र के लिए एक अद्वितीय और अमूल्य उपहार है।''
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सेवा करते हुए कभी धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करता। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब भारत विश्व की सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्थापित होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस महान यात्रा में संघ की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही है और समय के साथ उसकी यह प्रेरक भूमिका निरंतर बनी रहेगी।'' उन्होंने कहा, ‘‘संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर मैं समाज की सेवा में उसके निरंतर योगदान और राष्ट्रीय एकता, सद्भाव और प्रगति के महान उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। -
नागपुर. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को इस बात पर अफसोस जताया कि ‘‘अच्छे लोग'' राजनीति से दूरी बनाए हुए हैं और उन्होंने युवाओं से देश के राजनीतिक परिदृश्य का हिस्सा बनने का आह्वान किया। यहां रेशमबाग मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वार्षिक विजयादशमी रैली को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गांधीजी संघ की कार्यप्रणाली में जातिगत भेदभाव नहीं होने से बहुत प्रभावित थे। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आरएसएस सामाजिक समानता और एकता के लिए जाना जाता है और ‘एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान' जैसे प्रयासों से विभाजनकारी प्रवृत्तियों को जड़ से उखाड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सराहनीय है कि संघ द्वारा सद्भाव की भावना से समाज सेवा और परिवर्तन की कई परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। देश भर के गरीब इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और जन जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वयंसेवकों का कार्य विशेष रूप से सराहनीय है।'' कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी भी आरएसएस के कामकाज में सद्भाव, समानता और जाति-आधारित भेदभाव नहीं होने से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने कहा, ‘‘इसका विस्तृत विवरण महात्मा गांधी की संग्रहित रचनाओं में उपलब्ध है। गांधीजी ने 16 सितंबर, 1947 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रैली को संबोधित किया था। उस संबोधन में गांधीजी ने वर्षों पहले इसके संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जीवनकाल में आरएसएस के एक शिविर में अपनी यात्रा का उल्लेख किया था।'' पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि उस यात्रा के दौरान, गांधीजी आरएसएस शिविर में अनुशासन, सादगी और छुआछूत की भावना बिल्कुल नहीं होने से बहुत प्रभावित हुए थे। कोविंद ने कहा, ‘‘जनवरी 1940 में, महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड शहर में आरएसएस शाखा में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का दौरा, आरएसएस की समावेशी दृष्टि और सद्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का ऐतिहासिक प्रमाण है।'' कोंविद ने कहा कि संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. भीमराव आंबेडकर ने उनके जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि ‘‘अच्छे लोग'' राजनीति में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने युवाओं से राजनीति का हिस्सा बनने की अपील की। कोविंद ने बताया कि वह ‘ट्रायम्फ ऑफ द इंडियन रिपब्लिक' शीर्षक से एक पुस्तक लिख रहे हैं।
यह रैली ऐसे समय में हुई जब आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है। आरएसएस की स्थापना 1925 में दशहरा (27 सितंबर) के दिन नागपुर में महाराष्ट्र के एक चिकित्सक केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। -
नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अपने शताब्दी वर्ष के दौरान, आरएसएस पूरे भारत में व्यक्तित्व निर्माण के कार्य का प्रसार करने का प्रयास करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सामाजिक परिवर्तन के लिए उसकी 'पंच परिवर्तन' पहल को सभी वर्गों द्वारा स्वीकार किया जाए। आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में नागपुर में विजयादशमी पर अपने वार्षिक संबोधन में उन्होंने कहा कि पांच सूत्री 'पंच परिवर्तन' कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक आचरण में क्रमिक परिवर्तन लाना है। भागवत ने बताया कि 'पंच परिवर्तन' पहल सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता तथा कानूनी, नागरिक और संवैधानिक कर्तव्यों के पालन पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, "अपने शताब्दी वर्ष के दौरान, आरएसएस देश भर में व्यक्तित्व निर्माण के अपने कार्य का विस्तार करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि पंच परिवर्तन कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य सामाजिक आचरण में क्रमिक परिवर्तन लाना है, स्वयंसेवकों द्वारा स्थापित उदाहरणों के माध्यम से सभी वर्गों द्वारा अपनाया जाए।" भागवत ने कहा कि आरएसएस स्वयंसेवकों के अलावा अन्य संगठन और व्यक्ति भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं और संघ के स्वयंसेवक उनका समन्वय और सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं। आरएसएस नेता ने कहा कि विश्व इतिहास में समय-समय पर भारत ने एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में कार्य किया है, तथा एक 'वैश्विक धर्म' प्रदान किया है जो लोगों के जीवन में संयम और अनुशासन की भावना पैदा करता है। उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वजों ने इस ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए भारत में रहने वाले विविध समाज को एक राष्ट्र के रूप में संगठित किया।" भागवत ने कहा कि हिंदू समाज 'वसुधैव कुटुम्बकम' (विश्व एक परिवार है) के महान विचार का संरक्षक है। उन्होंने कहा, "आइये, हम सब मिलकर वर्तमान समय, स्थान और परिस्थितियों के अनुरूप एक बार फिर विश्व में भारत की इस सच्ची पहचान को स्थापित करें।
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नागपुर/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के पड़ोस में अशांति को सरकारों और समाजों के बीच दूरी और सक्षम प्रशासकों की कमी से जोड़ते हुए आगाह किया कि भारत में ऐसी अशांति पैदा करने की चाहत रखने वाली ताकतें देश के अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय हैं। उन्होंने ‘स्वदेशी' और ‘स्वावलंबन' की वकालत की और इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक संबंध भारत की शर्तों पर होने चाहिए, न कि किसी मजबूरी के कारण। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिकी शुल्क (टैरिफ) भारत के लिए कोई चुनौती नहीं बनेंगे। यहां रेशिमबाग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद अन्य देशों की प्रतिक्रियाओं से भारत के साथ उनकी मित्रता के स्वरूप और प्रगाढ़ता का पता चला। यह रैली ऐसे समय में हुई जब आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित रहे। भागवत ने महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी जयंती दो अक्टूबर को मनाई जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का योगदान अद्वितीय है, जबकि शास्त्री जी का जीवन और समय, समर्पण तथा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। वे व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र के ऐसे उदाहरण हैं जिनका हमें अनुकरण करना चाहिए।'' उन्होंने श्रीलंका, बांग्लादेश में अशांति और नेपाल में ‘जेन जेड' प्रदर्शन पर चिंता जताते हुए कहा कि असंतोष का स्वाभाविक और तात्कालिक कारण सरकार और समाज के बीच दूरी तथा योग्य एवं जनोन्मुखी प्रशासकों का अभाव है। संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘भारत में ऐसी अशांति फैलाने की चाह रखने वाली ताकतें देश के अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय हैं। असंतोष के स्वाभाविक और तात्कालिक कारण सरकार और समाज के बीच का विच्छेद और योग्य एवं जनोन्मुखी प्रशासकों का अभाव हैं। हालांकि, हिंसा में वांछित परिवर्तन लाने की शक्ति नहीं होती।'' उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज केवल लोकतांत्रिक तरीकों से ही इस तरह का परिवर्तन प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी हिंसक परिस्थितियों में इस बात की आशंका रहती है कि दुनिया की प्रमुख शक्तियां अपना खेल खेलने के अवसर तलाशने की कोशिश करें। भागवत ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों से संस्कृति और नागरिकों के बीच दीर्घकालिक संबंधों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘एक तरह से वे हमारे अपने परिवार का हिस्सा हैं। इन देशों में शांति, स्थिरता, समृद्धि और सुख-सुविधा सुनिश्चित करना, इन देशों के साथ हमारे स्वाभाविक जुड़ाव से उपजी आवश्यकता है, जो हमारे हितों की रक्षा से कहीं आगे है।'' भागवत ने स्वदेशी और स्वावलंबन पर जोर देते हुए कहा कि वैश्विक परस्पर निर्भरता एक बाध्यता नहीं बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा अपनाई गई शुल्क नीति पूरी तरह से उनके अपने हितों पर आधारित है और यह भारत के लिए कोई चुनौती नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया परस्पर निर्भरता के माध्यम से संचालित होती है। ‘आत्मनिर्भर' बनकर और वैश्विक एकता के प्रति जागरूक होकर हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह वैश्विक परस्पर निर्भरता हमारे लिए बाध्यता न बने और हम अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने में सक्षम हों। स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है।'' भागवत ने कहा कि हिंदू समाज की शक्ति और चरित्र एकता की गारंटी देते हैं।
भागवत ने कहा, ‘‘हिंदू समाज एक जिम्मेदार समाज है। यहां ‘हम' और ‘वे' का विचार कभी नहीं रहा। एक विभाजित समाज टिक नहीं सकता और हर व्यक्ति अपने आप में अनोखा है। आक्रमणकारी आए और गए, लेकिन हमारी जीवन-पद्धति कायम रही। हमारी अंतर्निहित सांस्कृतिक एकता ही हमारी शक्ति है।'' संघ प्रमुख ने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ आस्था और एकता का प्रतीक था। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर' का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवादियों ने सीमा पार कर जम्मू कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर 26 भारतीयों की हत्या कर दी, जिस पर भारत ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस हमले से देश में भारी पीड़ा और आक्रोश फैला तथा भारत ने इसका करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘‘इस हमले से देश का हर व्यक्ति व्यथित हो गया। हमारी सरकार ने पूरी तैयारी की और इसका कड़ा जवाब दिया। इसके बाद नेतृत्व का दृढ़ संकल्प, हमारे सशस्त्र बलों का पराक्रम और समाज की एकता स्पष्ट रूप से दिखाई दी।'' आरएसएस प्रमुख ने कहा कि एक देश को मित्रों की जरूरत होती है लेकिन उसे अपने आसपास के माहौल के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए। भागवत ने कहा, ‘‘हमारे दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और आगे भी इन्हें बनाए रखेंगे, लेकिन जब बात हमारी सुरक्षा की आती है तो हमें ज़्यादा सावधान, ज़्यादा सतर्क और मजबूत होने की जरूरत है। पहलगाम हमले के बाद विभिन्न देशों के रुख से यह भी पता चला कि उनमें से कौन हमारे मित्र हैं और किस हद तक।'' भागवत ने कहा कि नक्सलियों ने कुछ इलाकों में शोषण, अन्याय और विकास की कमी का फायदा उठाया था, लेकिन अब ये बाधाएं दूर हो गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन इलाकों में न्याय, विकास, सद्भावना, सहानुभूति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना की आवश्यकता है।'' आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश को वैश्विक नेता बनाने के लिए नागरिकों में उत्साह है, लेकिन मौजूदा आर्थिक प्रणाली की खामियां वैश्विक स्तर पर उजागर हो रही हैं, जिनमें बढ़ती असमानता और आर्थिक शक्ति का केंद्रीकरण शामिल है। भागवत ने जलवायु परिवर्तन पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण-पश्चिम एशिया की संपूर्ण जल आपूर्ति हिमालय से आती है। हिमालय में इन आपदाओं का आना भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों के लिए खतरे की घंटी मानी जानी चाहिए। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन की सराहना की। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का संबोधन प्रेरणादायक है, जिससे पूरे विश्व को फायदा होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “संघचालक डॉ. मोहन भागवत का प्रेरणादायक संबोधन, जिसमें उन्होंने राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के समृद्ध योगदान पर प्रकाश डाला व हमारी भूमि में गौरव की नई ऊंचाइयों को हासिल करने की अंतर्निहित क्षमता पर बल दिया, जिससे संपूर्ण विश्व को लाभ होगा।”
इससे पहले, नागपुर के ऐतिहासिक रेशमबाग मैदान में शताब्दी समारोह में बोलते हुए, मोहन भागवत ने राष्ट्र के लिए संघ के दृष्टिकोण और लक्ष्यों को पेश किया व समाज से ऐसा ‘आदर्श’ बनाने का आग्रह किया जो साथी नागरिकों को भारत की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित कर सके। उन्होंने कहा कि भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए, व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र, दोनों को मजबूत करना होगा। संघ शाखाओं की भूमिका की व्याख्या करते हुए भागवत ने कहा कि वे मूल्यों और अनुशासन को बढ़ावा देने वाले दैनिक कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान और गौरव का संचार करते हैं।मोहन भागवत ने कहा कि शताब्दी वर्ष में आरएसएस का लक्ष्य ‘व्यक्ति निर्माण’ के कार्य को पूरे देश में विस्तार देना है, जिसमें ‘पंच परिवर्तन’ पहल को स्वयंसेवकों के उदाहरणों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों की ओर से अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘पंच परिवर्तन’ के मूल्य सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता व कानूनी, नागरिक और संवैधानिक कर्तव्यों के पालन पर केंद्रित हैं। भागवत ने पड़ोसी देशों में बढ़ती अस्थिरता पर भी चिंता व्यक्त की और व्यापक जन असंतोष के कारण श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हुए शासन परिवर्तनों का हवाला दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएं भारत के भीतर सतर्कता और आत्मनिरीक्षण की मांग करती हैं। - नयी दिल्ली. देश के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश से तापमान काबू में रहने के बीच सितंबर महीने में बिजली की खपत 3.21 प्रतिशत बढ़कर 145.91 अरब यूनिट (बीयू) हो गई। इस महीने में बिजली की अधिकतम मांग 229.15 गीगावाट थी, जो सरकारी अनुमानों से काफी कम थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2024 में बिजली की खपत 141.36 अरब यूनिट दर्ज की गई थी।विशेषज्ञों ने कहा कि बिजली की खपत में मामूली वृद्धि की वजह अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश के कारण तापमान में आई नरमी रही। सरकारी सूत्रों ने पहले कहा था कि देश में सितंबर तक बिजली की अधिकतम मांग 277 गीगावाट के स्तर तक रहेगी। लेकिन सितंबर में एक दिन में बिजली की अधिकतम मांग 229.15 गीगावाट ही रही, जो सितंबर 2024 के 230.60 गीगावाट की तुलना में मामूली रूप से कम है। मई 2024 में बिजली की अधिकतम मांग लगभग 250 गीगावाट के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई थी। पिछली सर्वकालिक उच्चतम 243.27 गीगावाट बिजली की मांग सितंबर 2023 में दर्ज की गई थी। हालांकि, इस साल गर्मियों के दौरान जून में बिजली की अधिकतम मांग का रिकॉर्ड 242.77 गीगावाट था।विशेषज्ञों ने कहा कि तापमान के स्तर में नरमी के कारण अक्टूबर में भी बिजली की मांग और खपत कम रहने की संभावना है, जिससे एयर कंडीशनर एवं कूलर जैसे उपकरणों का उपयोग कम होगा। चार महीने का मानसून सत्र 30 सितंबर को समाप्त हो गया। हालांकि भारतीय मौसम विभाग ने अक्टूबर में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक वर्षा होने का अनुमान लगाया है।
- नयी दिल्ली. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में 313 दिव्यांग बच्चों को गोद लिया गया, जिनमें से 83 घरेलू और 230 अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण थे। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) ने राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता माह 2025 से पहले जागरूकता गतिविधियां शुरू की हैं। राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता माह आधिकारिक तौर पर नवंबर में मनाया जाता है, जिसका जोर दिव्यांग बच्चों को गोद लेने पर है। बयान में कहा गया है कि इस वर्ष अभियान का ध्यान दिव्यांग बच्चों के ‘‘गैर-संस्थागत पुनर्वास'' पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य गोद लेने को प्रोत्साहित करना, गलत धारणाओं को तोड़ना और गोद लेने से बच्चों और परिवारों को मिलने वाली खुशी को रेखांकित करना है। माईगव इंडिया के सहयोग से, सीएआरए ने एक राष्ट्रव्यापी ऑनलाइन अभियान शुरू किया है, जिसमें पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं, प्रतिज्ञा लेना, शुभंकर बनाना, माता-पिता और गोद लिए गए बच्चों द्वारा साझा की गई गोद लेने की कहानियां और गोद लेने की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए विचारों को प्रस्तुत करना शामिल है। गोद लिए गए बच्चों और घर का इंतजार कर रहे बच्चों के सम्मान में एक विशेष अभियान लोगो और हैशटैग ‘‘एवरीचाइल्डमैटर्स'' शुरू किया गया है। इसमें कहा गया है कि लद्दाख, असम, मिजोरम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तैयार हैं।
- बेंगलुरु. प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा को 2025 के ‘महात्मा गांधी सेवा पुरस्कार-कर्नाटक' के लिए चुना गया है। राज्य सरकार ने बुधवार को यह घोषणा की। एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रारंभ किया गया यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उन व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने समाज में महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गांधी जयंती के उपलक्ष्य में, कर्नाटक सरकार राज्य भर में कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिनमें लोगों, स्कूलों और कॉलेजों की सक्रिय भागीदारी होगी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि लोगों के बीच गांधीवादी दर्शन और मूल्यों के प्रसार में ‘उत्कृष्ट भूमिका' के लिए गुहा को इस वर्ष के पुरस्कार के लिए चुना गया है। गुहा की प्रमुख कृतियों में शामिल हैं: ‘इंडिया आफ्टर गांधी', ‘ए कॉर्नर ऑफ ए फॉरेन फील्ड‘, ‘गांधी बिफोर इंडिया', ‘गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड' और ‘द अनक्वाइट वुड्स'। उनकी दो खंडों वाली गांधी जीवनी का कन्नड़ सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
- नयी दिल्ली. भारतीय रेलवे ‘‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड'' दृष्टिकोण के तहत बोगी, डिब्बों, इंजन और प्रणोदन प्रणालियों सहित महत्वपूर्ण रेलवे उपकरणों के वैश्विक निर्यातक के रूप में तेजी से उभर रहा है। रेल मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि करीब 16 देशों में बढ़ता निर्यात भारत की डिजाइन, विकास और विश्व को आपूर्ति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘भारत के रेलवे उत्पाद तेजी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना स्थान बना रहे हैं। मेट्रो ट्रेन के डिब्बे ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को निर्यात किए गए हैं; बोगी ब्रिटेन, सऊदी अरब, फ़्रांस और ऑस्ट्रेलिया को; प्रणोदन प्रणालियाँ फ़्रांस, मेक्सिको, रोमानिया, स्पेन, जर्मनी और इटली को; यात्री डिब्बे मोजाम्बिक, बांग्लादेश और श्रीलंका को; तथा रेल इंजन मोजाम्बिक, सेनेगल, श्रीलंका, म्यांमा, बांग्लादेश एवं गिनी गणराज्य को निर्यात किए गए हैं।'' विज्ञप्ति के मुताबिक जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के मढ़ौरा लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र से गिनी गणराज्य को निर्यात के लिए पहले इंजन को हरी झंडी दिखाई थी और तब से अबतक छह इंजन सफलतापूर्वक गिनी गणराज्य को निर्यात किये जा चुके हैं।
- नयी दिल्ली. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष अजय कुमार ने बुधवार को कहा कि किसी भी सरकारी नौकरी की भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों द्वारा धोखाधड़ी और फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल करना ‘‘अस्वीकार्य'' है और इससे उनके करियर को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है। अपनी तरह के पहले वर्चुअल संवाद कार्यक्रम में, उन्होंने अभ्यर्थियों से ‘‘उस रास्ते पर जाने'' से बचने को कहा जो कड़ी कार्रवाई का कारण बने, जिसमें यूपीएससी द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा में तीन साल तक शामिल होने पर रोक भी शामिल है। कुमार ने कहा, ‘‘यूपीएससी की परीक्षाओं में, धोखाधड़ी बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। इस मामले में हमारी नीति कतई बर्दाश्त न करने की है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।'' यूपीएससी प्रमुख ने कार्यक्रम के दौरान विभिन्न मुद्दों पर बात की, जिनमें सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने में कोचिंग सेंटर की उपयोगिता और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की पूर्व परिवीक्षाधीन पूजा खेडकर द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल का मुद्दा भी शामिल था। केंद्र ने पिछले साल खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा से बर्खास्त कर दिया था, क्योंकि उन्होंने गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता आरक्षण का लाभ उठाकर अपना चयन सुनिश्चित किया था। कुमार ने कहा, ‘‘किसी भी तरह की धोखाधड़ी, चाहे आप किसी परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाएं या आप कोई फर्जी प्रमाण पत्र पेश करें या अपनी जन्मतिथि में हेरफेर करें... नियमों और विनियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।'' यूपीएससी प्रमुख ने कहा, ‘‘अगर धोखाधड़ी की जाती है, तो आपराधिक प्राथमिकी दर्ज होती है और आपराधिक कार्रवाई की जाती है। और, आप देखिए कि पूजा खेडकर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसलिए, मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।'' कुमार ने कहा, ‘‘हमने परीक्षा केंद्र में प्रवेश के दौरान चेहरे की पहचान के माध्यम से प्रवेश की अनुमति लागू की है।'' उन्होंने कहा कि आयोग अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता बनाए रखने के लिए डिजिलॉकर के माध्यम से प्रमाण पत्र लेने की योजना बना रहा है। उन्होंने भर्ती परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग की उपयोगिता पर भी विस्तार से चर्चा की।कुमार ने कहा, ‘‘कोचिंग का मुद्दा बहुत बड़ा है। सबसे पहले, मैं यह कहना चाहूंगा कि यूपीएससी (परीक्षा) में सफलता के लिए कोचिंग अनिवार्य नहीं है।'' कुमार ने कहा कि अभ्यर्थियों की आयु सीमा या विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के लिए मिलने वाले अवसरों की संख्या निर्धारित करने के वास्ते ‘कट-ऑफ' तिथि में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अवसरों (अटेम्प्ट) की संख्या को लेकर कई विचार हैं। कुछ का कहना है कि इसे बढ़ाया जाना चाहिए। कुछ का कहना है कि इसे कम किया जाना चाहिए... हमारे समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, न ही हमारे पास ऐसा कोई विचार है।'' उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सिविल सेवा परीक्षा में ज्यादातर इंजीनियरिंग छात्र, जो उत्तीर्ण हो रहे हैं, वे मानविकी विषय चुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले ज्यादातर इंजीनियर गैर-इंजीनियरिंग विषयों को चुनते हैं। उन्होंने उन सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही, जिनमें कहा गया था कि सिविल सेवा परीक्षा इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से आने वालों के लिए ज्यादा अनुकूल है।






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