चालीस साल बाद साहित्यकार होकर लौटीं जयंती रंगनाथन का अभिनंदन
--टी सहदेव
भिलाई नगर। देश की सुप्रसिद्ध पत्रकार-संपादक और ख्यातिप्राप्त लेखिका जयंती रंगनाथन का बुधवार को कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई में रोचक व्याख्यान हुआ। महाविद्यालय की 1983 में वाणिज्य विभाग की विद्यार्थी रहीं सुश्री रंगनाथन ने कहानी शैली में अनेक रोचक अनुभव प्रस्तुत किए। उनके साथ हिंदी की युवा लेखिका मधु चतुर्वेदी भी थीं। भिलाई की निवासी रहीं और भारत की मीडिया स्टार तथा टाइम्स ऑफ इंडिया, अमर उजाला, वनिता, नंदन जैसी पत्रिकाओं की संपादक रह चुकीं जयंती रंगनाथन का इस अवसर पर वाणिज्य विभाग और हिंदी पत्रकारिता विभाग की ओर से सम्मान भी किया गया।
तमिल भाषी परिवार से होने के बावजूद हिंदी की सेवा करने वाली जयंती रंगनाथन बचपन से कहानी लिख रही हैं। महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ सलीम अकील और डॉ सुधीर शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। महाविद्यालय की महिला प्राध्यापक डॉ मणिमेखला शुक्ला, डॉ फिरोजा जाफर अली, डॉ शबाना आदि ने राजकीय गमछे से उनका अभिनंदन किया। संचालन करते हुए डॉ अंजन कुमार ने उनका विस्तृत परिचय दिया। जयंती रंगनाथन ने कहा कि धर्मयुग साप्ताहिक से उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत की और धर्मवीर भारती का आशीर्वाद मिला।
उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में काम करने का सुख अलग ही है। कहानी और उपन्यास लेखन के अपने अनुभव साझा किए। वे कहती हैं कि राॅयल्टी तो ठीक है, पर लोकप्रियता ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेखन के लिए अपनी उम्र का इंतजार न करें। वे चालीस साल बाद अपने महाविद्यालय लौटी हैं। स्त्री को भीतर से मजबूत होना चाहिए। अपने मन की पहले सुनें। इस अवसर पर प्राध्यापक डॉ हरीश कश्यप, डॉ रवीश सोनी, शोध छात्र और विद्यार्थी उपस्थित थे। विद्यार्थियों के अनेक प्रश्नों के उन्होंने जवाब भी दिए। समारोह में उपस्थित भिलाई की लोकप्रिय साहित्यकार मधु चतुर्वेदी ने काव्य पाठ किया। आभार प्रदर्शन डॉ मणिमेखला शुक्ला ने किया।



.jpeg)
.jpg)







.jpg)

Leave A Comment