सावरकर, सहजानंद सरस्वती और मानेक शॉ को भारत रत्न देने की राज्यसभा में उठी मांग
नयी दिल्ली. राज्यसभा में सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन एक भाजपा सदस्य ने प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर, विख्यात समाज सुधारक स्वामी सहजानंद सरस्वती और फील्ड मार्शल मानेक शॉ को भारत रत्न देने की मांग की। भारतीय जनता पार्टी के भीम सिंह ने विशेष उल्लेख के जरिये यह मांग उठायी। उन्होंने कहा कि इन तीनों विभूतियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में राष्ट्र को एक नयी दिशा दी और गौरव दिलवाया। उन्होंने कहा, ‘‘वीर सावरकर वो विभूति हैं जिन्हें दो आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी।'' उन्होंने कहा कि सावरकर केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं एक विचारक, लेखक और भविष्यदृष्टा भी थे जिनसे भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी भी प्रभावित हुए। सिंह ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती एक ऐसे संन्यासी थे जिन्होंने हिमालय की गुफाओं में नहीं बल्कि गांवों के खेतों में, किसानों के आंसुओं में और शोषित की पीड़ा में ईश्वर को देखा। उन्होंने किसानों को संगठित किया और जमीदारी उन्मूलन आंदोलन को दिशा दी तथा जय किसान के नारे को आगे बढ़ाते हुए एक मिशन बनाया। फील्ड मार्शल मानेक शॉ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इनके नेतृत्व में भारत ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश को न केवल सैन्य विजय दिलवायी बल्कि बांग्लदेशा के निर्माण में अहम भूमिका निभायी। उन्होंने कहा कि फील्ड मार्शल शॉ के नेतृत्व, दूरदर्शिता और रणनीतिक कौशल ने भारत को सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया। सिंह ने कहा कि आज आवश्यकता है कि भारत अपने इन तीन महान सपूतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करे और इन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया जाए।
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