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 महिलाएं प्रताड़ित हो रहीं हैं तो प्रतिकार करे: वर्षा वरवंडकर

0- हर साल आठ हजार बहुएं हो रहीं दहेज मृत्यु की शिकारः शताब्दी
0- वैष्णवी दहेज आत्महत्या कांड पर महाराष्ट्र मंडल में हुई महिलाओं की परिचर्चा
 रायपुर। बेटी के प्रेम विवाह को लेकर सबसे पहले माता- पिता को अपना नजरिया बदलना होगा। यदि ससुराल में बेटी से कुछ गलत हो रहा है, तो तुरंत उसका प्रतिकार करें। बेटी की गृहस्थी बचाने की जगह उसके आत्मसम्मान और जिंदगी को बचाएं। काउंसलर डॉ. वर्षा वरवंडकर ने महाराष्‍ट्र मंडल में वैष्‍णवी आत्‍महत्‍या प्रकरण को लेकर हुई परिचर्चा में इस आशय के विचार व्‍यक्‍त किए।
डॉ. वरवंडकर ने कहा कि पुणे का वैष्णवी आत्महत्या प्रकरण प्रेम विवाह का है। लड़की निर्णय लेने में समर्थ थी, लेकिन लोग क्या कहेंगे की उलझन में वो रिवर्स डिसिजन नहीं ले पाई। जिंदगी में हमेशा यू-टर्न रहता है। निर्णय लेने की कला सीखनी होगी। उन्‍होंने कहा कि प्रेमी से पति बनने का सफर अलग रहता है। जब आपका जोड़ीदार आपकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा है, तो चर्चा कीजिए। समझौता व्यवहार में होता है लेकिन जब प्रताड़ना हो रही है, तो उसका प्रतिकार कीजिए। लड़कियों को जागरूक होना होगा। उसे कानून की जानकारी भी होनी चाहिए। लड़कियों को भी स्‍वयं शादी में फालतू खर्चे और दहेज के लिए खुद मना करना होगा।
*दहेज से हर साल आठ हजार बहुओं की मौत*
परिचर्या का संचालन कर रहीं महाराष्ट्र मंडल की परिवार परामर्श समिति की प्रभारी शताब्दी पांडेय ने कहा कि दहेज की मांग आज भी समाज में किसी न किसी रूप में व्याप्त है। इसका संबंध मनुष्य की लालची प्रवृत्ति से है। आंकड़े बताते हैं कि आज भी प्रतिवर्ष आठ हजार बहुएं दहेज मृत्य की शिकार होती हैं। माता-पिता की ओर से ससुराल पक्ष की मांगे पूरी करना भी अपने आप में अपराध है। 
*पीड़िता को नि:शुल्‍क सहायता*
एडवोकेट मनीषा भंडारकर के अनुसार आजकल ज्यादातर युवा प्रेम विवाह कर रहे हैं। बिना सोचे समझे किए गए विवाह में आने वाली परेशानियों को सहते रहते हैं। गुस्सा किसी भी व्यक्ति का क्षणिक होता है। यदि पीड़िताएं किसी भी प्रकार की सहायता चाहती हैं, तो उन्‍हें महाराष्‍ट्र मंडल की परिवार परामर्श समिति की ओर से निःशुल्क कानूनी सहायता दी जाएगी। 
*मन के साथ बुद्धि का भी प्रयोग करें*
परिवार परामर्श समिति की डॉ. मंजरी बक्षी के मुताबिक जन जागरूकता के कार्यक्रम अधिक से अधिक आयोजित किए जाएं। युवा पीढ़ी प्रेम विवाह के मामले में मन के साथ बुद्धि का प्रयोग करें। महाराष्ट्र मंडल की उपाध्यक्ष गीता दलाल ने कहा कि एक जोड़ीदार ऐसा हो जो आपका समर्थन करें। आपकी भावना को समझे और आपके साथ एक स्वस्थ सन्मानजनक संबंध रखे। 
*शादी अर्थात जिम्‍मेदारी से मुक्ति नहीं*
समाजसेवी व परिवार परामर्श समिति की सदस्य शुभांगी रुद्रजवार कहतीं हैं कि किसी भी पत्नी का सच्चा सुख सिर्फ बंगला, गाड़ी, गहने, पैसे से नहीं, प्यार, इज्ज़त देने वाले समर्पित और निर्व्यसनी पति से होता है। शादी कर दी, मतलब जिम्मेदारी से मुक्त हो गए, ऐसा नहीं है। परामर्श समिति के ओपी कटारिया ने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं के लिए काउंसलिंग बहुत आवश्यक हो गई है।
*कहीं न कहीं हम दोषी*
काउंसलर शुभांगी आप्टे ने कहा कि दहेज को लेकर आए दिन हम घटनाएं सुनते है। उसके लिए कहीं न कहीं हम दोषी हैं। कई बार दोनों की आर्थिक परिस्थिति में बहुत अंतर होता है, तो लड़की को तकलीफ न हो, ये सोचकर माता-पिता धन और वस्तुएं देते हैं। 
जाल में फंसाने हथकंडे अपनाते हैं। 
एडवोकेट प्रियंका डोंगरे ने कहा कि आज कल के कुछ लड़के शादी को एक बिजनेस की तरह लेते हैं। इसलिए जब भी वह शादी करते हैं या दोस्ती करते हैं, शादी के उद्देश्य से पहले लड़की का ब्रेकग्राउंड उसकी सोच को पकड़ लेते हैं। यदि उनको लगता है कि यह उनके लिए परफेक्ट है तो वह उसको अपने जाल में फंसाने के लिए सब तरीके के हथकंडे अपनाते हैं। 

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