'राजनीति विज्ञान के मूल सिद्धांत' की भाषा सरल और प्रवाहमयी: डॉ संजय

'कृत्रिम बुद्धिमत्ता' और 'राजनीति विज्ञान के मूल सिद्धांत' विमोचित
टी सहदेव
भिलाई नगर। सेक्टर 07 स्थित कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी डिजिटल कक्ष में गुरुवार को पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग के तत्वावधान में बीए मासकम्युनिकेशन में नवप्रवेशित विद्यार्थियों का दीक्षारंभ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर पूर्व विद्यार्थियों की मौजूदगी में डॉ सुधीर शर्मा की पुस्तक 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता' और डॉ मणिमेखला शुक्ल की पुस्तक 'राजनीति विज्ञान के मूल सिद्धांत' का विमोचन भी किया गया। दोनों पुस्तकों की समीक्षा में अतिथि साहित्यकारों ने अपनी-अपनी अंतर्दृष्टि भी प्रस्तुत की। महाविद्यालय से विद्या ग्रहण करने के बाद पत्रकारिता और समाज के विविध क्षेत्रों में योगदान देने वाले पूर्व विद्यार्थियों का शॉल, श्रीफल, प्रमाणपत्र तथा स्मृति चिह्न देकर सम्मान भी किया गया।
डॉ सुधीर शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता साहित्य संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे क्लासिकल ग्रंथों का डिजिटलीकरण और विश्लेषण आसान हो गया है। उन्होंने एआई को आज की जरूरत बताते हुए कहा कि इससे भाषाई और कलात्मक विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सकता है। प्राचार्य डॉ विनय शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संचालन में कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा से अवगत कराने वाली है। उन्होंने शिक्षा और विद्या का समन्वय कर शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करने की बात भी कही है। कल्याण महाविद्यालय के कार्यों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यह, समाज के लिए एक सशक्त और समृद्ध नागरिक देने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है।
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ संजय तिवारी ने डॉ मणिमेखला शुक्ल की पुस्तक की समीक्षा में कहते हैं कि यह पुस्तक मूल रूप से लेखक और पाठक के बीच संवाद स्थापित करती हुई प्रतीत होती है। इसकी भाषा अत्यंत सरल और प्रवाहमयी है, जो न केवल स्नातक, स्नातकोत्तर बल्कि प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वालों के लिए भी बहुत उपयोगी है। डॉ आरपी अग्रवाल ने अपने संबोधन में दो लाइनें अर्ज की कि इत्र से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं, बड़ी बात तो तब है, जब खुशबू आपके किरदार से आए। साहित्यकार डॉ परदेशी वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ को बनाने में पत्रकारिता करने वाले साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान है। दुनिया में जितने भी साहित्यकार हुए हैं, उनमें से तकरीबन 90 फीसद पहले पत्रकार ही थे। संचालन अंशुल तिवारी ने किया। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, सामान्य ज्ञान में डॉ शबाना, मनमीता सिंह राजपूत प्रथम, ब्रिंदा जैन द्वितीय, फ्लावर डेकोरेशन में डॉ कविता वर्मा प्रथम, प्रियंका साहू द्वितीय स्थान पर रहीं। इसके अलावा मजहर खान को ड्राइंग, रविकांत को रंगोली तथा पूजा जाल को पेंटिंग में विशेष पुरस्कारों से नवाजा गया।








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