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- अगर आप बाल से जुड़ी समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए ग्वार की गोंद का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने से बालों की ग्रोथ होती है साथ ही साथ बाल का टूटना और झड़ना काफी हद तक कम होता है।बालों की ग्रोथ के लिए ग्वार की गोंद कैसे फायदेमंद होती है?बालों को बढ़ाएंग्वार की गोंद बालों के लिए कई तरीकों से फायदेमंद साबित होती है। ग्वार गम या गोंद में मौजूद प्रोटीन और पोषक तत्व बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, जिससे उनका टूटना और झड़ना काफी हद तक कम होता है। इसका इस्तेमाल करने से नए बाल आते हैं साथ ही पुराने बालों की भी ग्रोथ होती है। इसे लगाने से स्कैल्प को पोषण मिलता है, जिससे हेयर फॉलिकल्स ब्लॉक नहीं होते हैं और बालों की ग्रोथ भी होती है।बालों को नमी प्रदान करेंग्वार गम या गोंद का इस्तेमाल करना बालों को नमी देने का भी काम करता है। यह एक प्रकार के नैचुरल कंडीशनर का काम करता है, जो बालों में नमी बनाए रखने में मददगार साबित होता है। अगर आपके बाल ड्राई हैं या बिलकुल बेजान लगते हैं तो ऐसे में आप बालों पर ग्वार गोंद का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे लगाने से सूखे और बेजान बाल हाइड्रेट होते हैं साथ ही बालों की शाइनिंग भी बनी रहती है।डैंड्रफ की समस्या को कम करेंग्वार गम का इस्तेमाल करना आपके डैंड्रफ की समस्या को भी कम करने में मददगार साबित हो सकती है। दरअसल, इसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो स्कैल्प पर जमा होने वाले बैक्टीरिया और फंगस का सफाया करते हैं, जिससे डैंड्रफ की समस्या कम होती है। इसे लगाने से आपका डैंड्रफ की समस्या से राहत मिलती है।बालों को उलझने से बचाएंग्वार गम का इस्तेमाल आप एक नैचुरल कंडीशनर के रूप में कर सकते हैं। अगर आपके बाल उलझते या टूटते हैं तो इसके लिए आप बालों पर ग्वार गम का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बालों को चिकना और सिल्की बनाने का काम करता है, जिससे प्रबंधनीय बनाता है, जिससे उलझने की समस्या खत्म हो जाती है।बालों का टूटना कम करनाग्वार गम बालों की जड़ों को मजबूत करता है और टूटने-फूटने से बचाता है। इसके नियमित उपयोग से बालों का घनत्व बढ़ता है।ग्वार गम का उपयोग कैसे करें?-ग्वार गम हेयर मास्क बनाकर कर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप 1 चम्मच ग्वार गम पाउडर लें। इसमें 2-3 चम्मच पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। ऊपर से नारियल तेल या एलोवेरा जेल मिलाएं। इस पेस्ट को बालों और स्कैल्प पर लगाएं और 30 मिनट बाद धो लें।-ग्वार गम को शैंपू में मिलाकर उपयोग करें। इसके लिए आप अपने शैंपू में ग्वार गम पाउडर मिलाएं। इससे बालों को अतिरिक्त नमी और पोषण मिलेगा।- ग्वार गम एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है जो बालों को घना, स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करता है। इसे सही तरीके से उपयोग करके आप बालों की समस्याओं से निजात पा सकते हैं और बालों की वृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं। नियमित उपयोग से आपको इसके अद्भुत लाभ देखने को मिलेंगे।
- त्वचा को सर्दियों में भी निखारना और मॉइश्चराइज रखना चाहते हैं, तो शहद और अलसी एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। ये दोनों नेचुरल चीजें आपकी त्वचा को न केवल पोषण देती हैं, बल्कि इसे चमकदार और हेल्दी भी बनाती हैं।चेहरे पर शहद और अलसी का उपयोग कैसे करें?1. शहद और अलसी का फेस पैकइसे फेस पैक के बनाने के लिए 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच अलसी का पाउडर और जरूरत अनुसार गुलाबजल चाहिए होगा। इन तीनों सामग्रियों को अच्छे से मिला लें और फिर इसे अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं और 15-20 मिनट तक छोड़ दें और फिर ताजे पानी से धो लें। यह फेस पैक त्वचा को नमी और पोषण प्रदान करता है, जिससे त्वचा सॉफ्ट और ग्लोइंग हो जाती है।2. शहद और अलसी का स्क्रबत्वचा को निखारने के लिए शहद और अलसी का इस्तेमाल स्क्रब के रूप में भी किया जा सकता है। स्क्रब बनाने के लिए 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच अलसी के बीज (दरदरे पिसे हुए) और 1 चम्मच नींबू का रस चाहिए होगा। इन सामग्रियों को मिलाकर एक स्क्रब तैयार करें। हल्के हाथों से इसे चेहरे पर लगाकर मसाज करें, 5-10 मिनट बाद ताजे पानी से धो लें। यह स्क्रब त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाकर उसे निखारता है।3. शहद और अलसी का मॉइश्चराइजिंग लोशनमॉइश्चराइजिंग लोशन बनाने के लिए आपको 2 चम्मच शहद, 1 चम्मच अलसी का तेल और 1 चम्मच एलोवेरा जेल चाहिए होगा। सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाकर लोशन तैयार करें और एक शीशी में स्टोर करें। इस लोशन को नहाने के बाद त्वचा पर लगाएं। यह लोशन त्वचा को गहरी नमी और पोषण देता है, जिससे त्वचा की ड्राईनेस कम होती है और उसमें नेचुरल ग्लो आता है।त्वचा के लिए शहद और अलसी के फायदे-शहद में नमी बनाए रखने के गुण होते हैं, जो त्वचा को हाइड्रेटेड रखते हैं।-शहद में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को नुकसान से बचाते हैं।-यह त्वचा को सॉफ्ट बनाता है।-अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो त्वचा की इलास्टिसिटी को बनाए रखते हैं।-अलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की जलन और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।-अलसी त्वचा को गहराई से पोषण प्रदान करता है और झुर्रियों को कम करती है।सर्दियों में शहद और अलसी का उपयोग त्वचा को ग्लोइंग और मॉइश्चराइज बनाए रखने का एक बेहतरीन तरीका है। इन दोनों सामग्रियों के प्राकृतिक गुण त्वचा को न केवल पोषण देते हैं, बल्कि इसे ड्राईनेस और जलन से भी बचाते हैं। शहद और अलसी से बने फेस पैक, स्क्रब और लोशन को अपने डेली स्किनकेयर रूटीन में शामिल करें और सर्दियों में भी अपनी त्वचा को खूबसूरत और हेल्दी बनाएं।
- महिलाओं को अपनी डाइट में काली किशमिश को जरूर शामिल करना चाहिए। काली किशमिश का सेवन करना उनके लिए कई तरीकों से फायदेमंद हो सकता है।काली किशमिश खाने से महिलाओं की पीरियड्स में अनियमितता से लेकर पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं कई समस्याओं में भी फायदेमंद होती है। काली किशमिश में कई पोषक तत्व होते हैं, जो आपको लंबे समय तक एनर्जेटिक बनाए रखने के साथ ही चुस्त और तंदुरस्त बनाने में भी मददगार होते हैं।एनीमिया से दिलाए राहतमहिलाओं में मासिक धर्म के दौरान कई बार ज्यादा ब्लीडिंग हो जाती है, जिसमें काफी ब्लड लॉस होता है। इसका नतीजा कई बार महिलाओं में एनीमिया का भी कारण बन सकता है। ऐसे में डाइट में काली किशमिश शामिल करने से एनीमिया से राहत मिलती है। काली किशमिश में आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जिसे खाने से शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है और हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।पीसीओएस में फायदेमंदपीसीओएस में अक्सर महिलाओं की शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। पीसीओएस में काली किशमिश खाने (PCOS me Kali Kishmish Khane ke Fayde) से न केवल आयरन बढ़ता है, बल्कि हार्मोनल इंबैलेंस से भी राहत मिलती है। इसे खाने से महिलाओं में शुगर की क्रेविंग शांत होती है, जिससे पीसीओएस के लक्षणों में सुधार होता है। अगर आपको पीसीओएस है तो आप काली किशमिश को अपनी रेगुलर डाइट में शामिल कर सकती हैं।पीरियड्स में फायदेमंदपीरियड्स के दौरान काली किशमिश का सेवन (Periods me Kali Kishmish Khane ke Fayde) करने से पीरियड्स के दौरान होने वाली दर्द कम होता है। इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान कब्ज, अपच और मूड स्विंग्स से भी राहत मिलती है। काली किशमिश खाने से महिलाओं का मासिक चक्र सुचारू रूप से चलता रहता है। काली किशमिश खाने से पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लड क्लॉटिंग से भी बचाव होता है।हड्डियों और जोड़ों के लिए फायदेमंदकुछ महिलाओं अक्सर हड्डियों की समस्या के साथ-साथ जोड़ों के दर्द से भी परेशान रहती हैं। ऐसे में काली किशमिश खाना लाभकारी हो सकता है। काली किशमिश में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। वहीं, इसमें मैग्नीशियम भी पाया जाता है, जो कैल्शियम को अवशोषित कर हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसे खाने से बोन मिनरल डेंसिटी भी बढ़ती है, जिससे ओस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस से बचाव होता है।काली किशमिश खाने के तरीके-काली किशमिश को आप कई तरीकों से डाइट में शामिल कर सकती हैं।-आप चाहें तो काली किशमिश को रातभर के लिए भिगोकर रखें और सुबह उठकर उसका पानी पी लें।-काली किशमिश को भिगोकर भी खाया जा सकता है।-आप चाहें तो दूध के साथ भी काली किशमिश (Black Raisins with Milk) का सेवन कर सकती है।
- आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही प्रकृति में मौजूद लगभग हजारों जड़ी बूटियों से व्यक्ति के रोगों को दूर किया जा रहा है। इसी तरह कुलेखरा (Hygrophila Spinosa) में एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपायोग की जाती है। कुलेखरा के पत्तों में विटामिन, कैल्शियम, आयरन, और एंटीऑक्सिडेंट्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यह सभी शरीर को पोषक तत्व प्रदान करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।कुलेखरा की पत्तियों के फायदेकिडनी संबंधी समस्याओं को दूर करेंकुलेखरा के पत्तों का जूस मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर होता है, जो किडनी से अतिरिक्त यूरिक एसिड और पथरी जैसे पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके सेवन से किडनी की हेल्थ बेहतर होती है और यूरिन इंफेक्शन व अन्य समस्याओं का जोखिम कम होता है।आयरन की कमी को दूर करेंकुलेखरा की पत्तियों में आयरन की मात्रा पाई जाती है, जिन लोगों को खून की कमी होती है उनको हिमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए कुलेखरा की पत्तियों का जूस पीने की सलाह दी जाती है। इससे हिमोग्लोबिन में बढ़ोतरी होती है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और सभी अंग बेहतर तरीके से कार्य करते हैं। इसके सेवन से व्यक्ति को कमजोरी और थकान में भी राहत मिलती है।लिवर के लिए आवश्यककुलेखरा की पत्तियों का जूस एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर की तरह कार्य करता है। यह लिवर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही, लिवर के कार्य में सुधार करता है। इससे फैटी लिवर, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है। साथ ही, अपच और पाचन तंत्र बेहतर बनता है।इम्यूनिटी को मजबूत बनाता हैकुलेखरा के पत्तों में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन C शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं। यह सर्दी, खांसी और वायरल संक्रमण से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। ऐसे में आपको बार-बार संक्रमण होने का जोखिम कम होता है।त्वचा और बालों के लिए फायदेमंदकुलेखरा के पत्तियों का जूस त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह त्वचा में निखार लाने और बालों को मजबूत व घना बनाने में मदद करता है। त्वचा में होने वाले दाग-धब्बों को आसानी से कम करता है और बालों के झड़ने की समस्या को रोकता है।कुलेखरा की पत्तियों के जूस का सेवन कैसे करें? --कुलेखरा की ताजी पत्तियों को लें।-इसके बाद आप इन पत्तियों को पीस कर इसका जूस निकाल लें।-शुरुआत में आप खाली पेट करीब आधा गिलास पानी में इस जूस की तीन से चार चम्मच मिलाकर पीना शुरू करें।-कुछ ही दिनों में आपको शरीर में फर्क दिखने लगेगा।कुलेखरा की पत्तियों का जूस बाजार में भी उपलब्ध होता है। यह डायबिटीज को कम करने और पाचन क्रिया को भी बेहतर करता है। इसके सेवन से पहले आप किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह अवश्य लें। डॉक्टर आपकी मौजूदा स्थिति के आधार पर आपको निश्चित मात्रा पीने की सलाह दे सकते हैं।
- बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होना आम बात है। उम्र बढ़ने के साथ या फिर खराब लाइफस्टाइल के कारण अक्सर लोगों में गठिया की समस्या होने लगती है। लेकिन आज के समय में कम उम्र के युवाओं में भी जोड़ों से जुड़ी समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ गई है। हर तीसरा व्यक्ति अपने जोड़ों में दर्द, अकड़न या किसी न किसी तरह की समस्या होने की शिकायत करता है। दरअसल, आपके जोड़ों में होने वाला दर्द, सिर्फ शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं, बल्कि कई बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। जी हां, जोड़ों में होने वाले दर्द आपको शरीर से जुड़ी अन्य बीमारियों के बारे में संकेत दे सकते हैं।कौन सी बीमारी से जोड़ों में दर्द होता है?1. नॉक-नीजअगर आपके पैर धनुषाकार में मुड़ें हुए हैं या आपको नॉक नीज की समस्या है तो यह शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है। इस समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए आप सूरज की रोशनी में बैठे, डाइट और सप्लीमेंट के जरिए विटामिन डी की कमी पूरी करने की कोशिश करें।2. बुजुर्गों में ऑस्टियोआर्थराइटिसबुजुर्गों में जोड़ों का दर्द और अकड़न ऑस्टियोआर्थराइटिस का संकेत हो सकता है। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी के स्तर की नियमित जांच करना जरूरी है। DEXA स्कैन के जरिए ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाने से फ्रैक्चर की समस्या को रोकने में मदद मिल सकती है।3. गाउटगाउट, गठिया का एक रूप है, जिसमें आपके शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है और जोड़ों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा हो जाते हैं। इस समस्या में खासकर आपके पैर के अंगूठे में ज्यादा दर्द और सूजन हो सकती है। इसका इलाज करने के लिए आप अपनी डाइट में बदलाव या यूरिक एसिड को कम करने वाली दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह पर कर सकते हैं।4. रुमेटीइड गठियारुमेटीइड गठिया, एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें आपके शरीर के एंटीबॉडी ही आपके टिशू पर हमला करते हैं, जिससे सूजन की समस्या हो सकती है। इसके इलाज के लिए आप आरए फैक्टर और एंटी-सीसीपी एंटीबॉडी के लिए ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं। साथ ही, लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए और बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।5. फ्रोजन शोल्डरफ्रोजन शोल्डर की समस्या अक्सर डायबिटीज या हाइपोथायरायडिज्म जैसी बीमारियों का संकेत हो सकती है। इन स्थितियों को कंट्रोल करने के लिए आप कंधे से जुड़ा एक्सरसाइज कर सकते हैं, जिससे आपको दर्द से भी राहत मिल सकती है।
- साबुत अनाज पोषक-तत्वों से भरपूर होते हैं। आमतौर पर इन अनाजों को डाइट में शामिल करने से शरीर को फायदे होने चाहिए। मगर यहां सवाल यह उठता है कि क्या सच में साबुत अनाज का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है या नहीं? विशेषज्ञों के अनुसार साबुत अनाज का सेवन शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है। साबुत अनाज में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर जैसे पोषक-तत्वों की अच्छी मात्रा पाई जाती है। बता दें कि फाइबर गट हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है। साथ ही, यह शरीर को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। इससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है। इसके बाद भी व्यक्ति को साबुत अनाज का सेवन करते हुए मात्रा का ख्याल रखना चाहिए। उदाहरण के लिए आप साबुत अनाज से बने हेल्दी बिस्कुट को खाते हैं, लेकिन इसमें शुगर की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में ये बिस्कुट सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। यही कारण है कि आपको पूरी तरह से साबुत अनाज के सेवन पर निर्भर नहीं होना चाहिए। आप इसे अन्य हेल्दी चीजों के साथ कम मात्रा में खा सकते हैं। आइए साबुत अनाज खाने से होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।साबुत अनाज खाने से शरीर को होते हैं ये फायदेहार्मोनल इंबैलेंस की समस्या से बच सकते हैंसाबुज अनाज के सेवन से हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या से बचा जा सकता है। इसमें विटामिन-बी6 होता है। यह हार्मोन को बैलेंस करने में मदद करता है। ऐसे में आप पीरियड्स की समस्या में होने वाले मूड स्विंग्स, दर्द और ब्लोटिंग की समस्या से बच सकते हैं।वजन कम करने में फायदेमंदजैसा हमने आपको बताया कि साबुत अनाज खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। इस कारण आप ओवर ईटिंग से बच जाते हैं और वजन कम हो सकता है।पाचन-तंत्र के लिए है गुणकारीसाबुत अनाज के सेवन से आप खुद को पाचन से जुड़ी समस्याओं से बचा सकते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज को दूर करने के साथ पेट में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म प्रोसेस तेज होता है।डायबिटीज होगी कंट्रोलसाबुत अनाज खाने से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें फाइबर होता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। इससे कोलेस्ट्रॉल को भी कम किया जा सकता है।आप हेल्दी जीवन जीने के लिए साबुत अनाज का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, आपको इन्हें ज्यादा मात्रा में नहीं खाना चाहिए। इससे शरीर को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। आप इसे अन्य हेल्दी चीजों के साथ कंबाइन करके खा सकते हैं। आप डाइट में साबुत अनाज को शामिल करने से पहले इसकी मात्रा और खाने के समय जैसी जानकारियां डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से ले सकते हैं।
- हल्दी आयुर्वेद से लेकर घरेलू नुस्खों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली नेचुरल चीजों में से एक है। हल्दी का लेप लगाकर जहां चोट से आराम पाने की कोशिश की जाती है वहीं, हल्दी वाला दूध उन सभी हेल्थ प्रॉब्लम्स से आराम दिलाता है जो मौसम बदलने के साथ लोगों को महसूस होती हैं। दादी-नानी के नुस्खों में भी हल्दी का इस्तेमाल स्किन से लेकर पेट की समस्याओं के लिए किया जाता है। इसी तरह हल्दी वाला पानी पीने से भी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स में आराम मिल सकता है। जैसे वेट लॉस के लिए हल्दी वाला पानी पीना बहुत लाभकारी हो सकता है। इसी तरह पेट और कमर के आसपास जमा फैट या बेली फैट भी हल्दी का पानी पीने से तेजी से कम हो सकता है। आइए जानएं कि हल्दी वाला पानी पीने का सही समय क्या है और किस तरह से तैयार किया जाता है हल्दी वाला पानी।बेली फैट कम करने में हल्दी वाला पानी कैसे है कारगरआप अगर अपना वजन कम करना चाहते हैं तो आप घर पर ही हल्दी वाला पानी तैयार करके पी सकते हैं। हल्दी का पानी सुबह खाली पेट पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है। हल्दी वाला पानी पीने से बॉडी फैट को कम करने में भी मदद होती है।हल्दी वाला पानी बनाने का तरीका2 गिलास पानी लें और इसमें एक चम्मच अदरक का पेस्ट मिलाएं।फिर इस पानी में कच्ची हल्दी का पेस्ट मिला दें। आप कच्ची हल्दी की गांठ को कूटकर उसका दरदरा पेस्ट बना सकते हैं और इस पानी में मिला सकते हैं।रातभर के लिए इस मिश्रण को ढंककर रख दें।फिर, अगले दिन सुबह हल्दी-अदरक वाला पानी को अच्छी तरह उबालकर पका लें।फिर, इस पानी को छानकर पिएं।सुबह खाली पेट हल्दी वाला पीने से क्या फायदे होते हैं?-हल्दी में मौजूद एंटीबैक्टेरियल और एंटीऑक्सीडेंट्स आपके इम्यून सिस्टम को मजबूती देते हैं और आपके शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाते हैं। जिससे आप बार-बार बीमार नहीं पड़ते।-हल्दी वाला पानी पीने से हार्ट हेल्थ बूस्ट होती है।-सर्दियों में होनेवाले जॉइंट पेन की समस्या भी हल्दी का पानी पीने से कम होती है।-यह पानी पीने से लिवर की सफाई भी हो जाती है।=हल्दी का पानी पीने से डाइजेशन बेहतर होता है और डाइजेस्टिव पॉवर बढ़ने से पेट की समस्याएं कम होती हैं।
- कुछ लोग खुद को सेहतमंद रखने के लिए अलग-अलग तरह के हर्ब्स को अपनी डाइट का हिस्सा बनाते हैं। इन्हीं जड़ी-बूटियों में कुसुम का फूल भी शामिल है। कुसुम का फूल दिखने में काफी सुंदर लगता है। लेकिन, क्या आपको पता है, इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है।कुसुम के फूल क्या है?कुसुमा, जिसे कार्थमस टिंक्टरियस के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुमुखी फूल है, जिसका उपयोग सदियों से आयुर्वेद में अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद में, कुसुम के फूल को त्रिदोषों को संतुलित करने वाली जड़ी बूटी मानी जाती है, जिसका मतलब है कि यह तीनों दोषों- वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है। यह अपने औषधीय गुणों के लिए कई तरह की दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो आपके ओवरऑल हेल्थ को बेहतर रखने में मदद करता है। यह पुष्प केसरिया लाल रंग के फूल होते हैं, जो गोल गुच्छों में मिलते है।कुसुम के फूल की तासीर क्या होती है?कुसुम के फूल का शरीर पर ठंडा प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण यह शरीर की सूजन को कम करने और स्किन पर होने वाली जलन को शांत करने में बेहद फायदेमंद माना जाता है। इस फूल का कड़वा और कसैला स्वाद पाचन तंत्र को संतुलित करने, अपच और ब्लोटिंग के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है।कुसुम खाने से क्या फायदा होता है? -कुसुम के सेवन के कई स्वास्थ्य फायदे हैं। दरअसल, यह विरेचन गुणों से भरपूर होता है, जो आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकाल कर पेट साफ करने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह वात कारक होने के कारण यूरीन से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है। कुसुम के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण इसका सेवन करने से शरीर में सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं कुसुम का कड़वा और कसैला स्वाद आपके पाचन तंत्र को बेहतर रखने और अपच के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। सेहत के साथ-साथ कुसुम के फूल आपकी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। कुसुम का ठंडा प्रभाव आपकी स्किन पर एक्ने, एक्जिमा और डर्मेटाइटिस जैसी स्थितियों के कारण होने वाली जलन को शांत करने में मदद करता है। पीलिया के मरीजों को ठीक करने के लिए भी कुसुन के फूलों का पानी पिलाया जाता है, क्योंकि ये पसीने की मदद से पीलिया को ठीक करने में मदद करता है।कुसुम का सेवन किसे नहीं करना चाहिए?आमतौर पर कुसुम के फूल को सेवन के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कुछ स्थितियों और व्यक्तियों को इसके सेवन से बचना चाहिए या फिर इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। कुसुम का फूल गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये फूल गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है और संकुचन की समस्या पैदा कर सकता है, जो गर्भावस्था के दौरान परेशान का कारण बन सकता है। कुछ लोगों को कुसुम के फूल से एलर्जी हो सकती है, जिससे एलर्जी रिएक्सन हो सकता है, इसिलए, एलर्जी वाले व्यक्ति को भी इसका सेवन किसी भी रूप में करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, ब्लीडिंग डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को भी कुसुम के फूल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये शरीर में रक्त के थक्के को धीमा कर सकता है, जो हीमोफिलिया जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है।कुसुम का सेवन कैसे करना चाहिए?कुसुम के फूल का सेवन चाय, तेल या पाउडर के रूप में कई तरह से किया जा सकता है। अपनी डाइट में आप रोजाना 2 ग्राम से 4 ग्राम कुसुम का फूल शामिल कर सकते हैं। आप इसका सेवन थोड़ी मात्रा से शुरू करें और जरूरत के हिसाब से धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएं। कुसुम के फूल को आप हल्दी और अदरक जैसी अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर भी खा सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे आप इसके औषधीय लाभों को बढ़ाने के लिए अच्छी क्वालिटी का कुसुम खरीदें या फिर घर में ही इसका पौधा लगाएं।आयुर्वेद में कुसुम एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो कई तरह के स्वास्थ्य लाभों से भरपूर होता है। ऐसे में अपनी डाइट में कुसुम के फूल को शामिल करने से आप अपने ओवरऑल हेल्थ को बेहतर रखते हैं और अच्छी सेहत को बढ़ावा दे सकते हैं। कुसुम के फूल का सेवन आपके पाचन को बेहतर रखने, स्किन की जलन को कम करने आदि तरीके से फायदेमंद हो सकता है। लेकिन अगर आप किसी तरह की दवाइ का सेवन करते हैं तो इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
- आजकल के गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या लोगों में आम हो गई है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में मौजूद एक चिपचिपा पदार्थ होता है। हमारे शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) और दूसरा बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल)। गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर के बेहतर कामकाज के लिए जरूरी होता है। वहीं, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर यह नसों में जमा होने लगता है और धमनियों को ब्लॉक कर सकता है। इसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी हो जाता है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए आपको अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर आप शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करना चाहते हैं, तो गेहूं आटे में एक खास चीज को मिक्स करके इसकी रोटियां बनाकर खा सकते हैं। आइए, जानते हैं बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए गेहूं के आटे में क्या मिलाकर खाएं?बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए गेहूं के आटे में मिक्स करें अजवाइनशरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए आप रोटी बनाते समय गेहूं के आटे में अजवाइन मिला सकते हैं। दरअसल, अजवाइन में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करता है। इसके अलावा, इसमें थायमिन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है। नियमित रूप से इस तरह से बनी रोटियों का सेवन करने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही, डायबिटीज और मोटापे की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है।कैसे बनाएं गेहूं के आटे और अजवाइन की रोटी?सबसे पहले एक कप गेहूं का आटा लें। इसमें 1-2 चम्मच अजवाइन डालकर मिक्स कर लें। अब इसमें पानी डालकर अच्छी तरह से आटा गूंथ लें। फिर इसे 15-20 मिनट के लिए ढककर रख दें। अब इस आटे से रोटियां बनाकर सेंक लें। नियमित रूप से इस तरह से बनी हुई रोटी खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही, सेहत को कई लाभ भी मिल सकते हैं।
- आजकल के समय में सर्दी के मौसमी केहर के साथ-साथ प्रदूषण भी लोगों को बीमार बनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। ऐसे में कई लोग छाती और गले में बलगम जमने की समस्या का सामना कर रहे हैं। आमतौर पर बलगम की समस्या से बचने के लिए लोग अंग्रेजी दवाइयों और कफ सिरप का सेवन करते हैं। हालांकि, इससे बलगम की समस्या का हल नहीं होता है। अगर आप भी छाती और गले में जमे बलगम के कारण परेशान हैं, तो कुछ आसान और असरदार नुस्खे अपना सकते हैं।सरसों के तेल की मालिशगले और छाती में जमे बलगम से बचने के लिए आप सरसों के तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आपको सरसों के तेल में नमक डालना है। अब इस तेल को गर्म करें और अपनी छाती पर मालिश करें। यह नुस्खा वयस्कों, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए कारगर साबित होगा।शहद और त्रिकटु चूर्णआयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर चूर्ण बनाया जाता है। इन्हीं में से एक त्रिकटु चूर्ण होता है। इसे काली मिर्च, पिप्पली और सौंठ को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसे में आप शहद के साथ त्रिकटु चूर्ण को मिलाकर खाना खाने के बाद खा सकते हैं। इससे बलगम की समस्या से बचा जा सकता है।सितोपलादि चूर्णबलगम की समस्या से बचने के लिए आप शहद के साथ सितोपलादि चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन कर सकते हैं। त्रिकटु चूर्ण की ही तरह सितोपलादि चूर्ण भी होता है। इसे बनाने के लिए मिश्री को काटकर उसका पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद पिपली और वंशलोचन को पीसकर पाउडर बना लेते हैं। आपका सितोपलादि चूर्ण तैयार है। शहद और सितोपलादि का कॉम्बिनेशन बलगम की समस्या के लिए फायदेमंद होता है।अगर आप लंबे समय से गले और छाती में जमे बलगम की स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो शरीर को ढेरों फायदे हो सकते हैं। आप ऊपर बताए इन नुस्खों से बलगम की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही, आपको सर्दी और प्रदूषण दोनों से खुद को बचाना चाहिए। ऐसे में आप मास्क लगा सकते हैं। इससे दूषित हवा शरीर के अंदर नहीं जाएगी। साथ ही, चेहरे के आसपास गर्मी भी बनी रहेगी।
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हॉलीवुड के बड़े अदाकार हैं जेसन चेम्बर्स. इन दिनों स्किन कैंसर से लड़ाई लड़ रहे हैं। . इसकी तस्दीक अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए की। . बताया कि मेलेनोमा से जूझ रहे हैं। . अपने प्रशंसकों को एक हिदायत भी दी.। आखिर मेलेनोमा होता क्या है? कैसे सूरज जो जीवन को रोशन करता है,। उससे मिलने वाला विटामिन डी जो हड्डियों के लिए वरदान होता है जान के लिए आफत का सबब बन सकता है? सूर्य की तेज किरणों के संपर्क में आने पर स्किन कैंसर होने का खतरा रहता है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं इसलिए सावधानी रखना बेहद जरूरी है। .
डब्ल्यूएचओ के इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक 2022 में मेलेनोमा से लगभग 60,000 लोगों की मौत हो गई। . दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में, मेलेनोमा से महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा पीड़ित बताए गए.। वहीं, ‘मैकेनिकल बिहैवियर ऑफ बायोमैटीरियल्स’ पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा की सबसे ऊपरी परत (स्ट्रेटम कॉर्नियम) में कोशिकाओं के बीच पहुंचकर उसे कमजोर करती है.। लिहाजा, धूप में ज्यादा समय तक रहने से त्वचा सनबर्न का शिकार हो जाती है और स्किन कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.। स्किन कैंसर के कई प्रकार होते हैं। . हालांकि, इनमें से तीन बेसल सेल - कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, मेलेनोमा सबसे आम हैं.।बेसल सेल कार्सिनोमा त्वचा कैंसर का सबसे आम प्रकार है। . यह आमतौर पर त्वचा के उन हिस्सों को प्रभावित करता है, जिस पर बहुत अधिक धूप पड़ती है. । जैसे चेहरा, हाथ है। . स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा त्वचा कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है.। यह अक्सर सूरज के संपर्क में आने वाली त्वचा पर भी विकसित होता है, जैसे कि चेहरा, कान, होंठ, हाथों के पीछे, हाथ और पैर पर। .मेलेनोमा त्वचा कैंसर का सबसे घातक रूप है.। यह त्वचा पर या किसी मौजूदा तिल में विकसित हो सकता है। . ऐसे तिल जिनका आकार, रंग या आकृति बदल जाती है या जिनमें दर्द और खुजली जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। . गर्मी हो या जाड़ा, हर मौसम में सूर्य की विकिरण हमारे त्वचा को नुकसान पहुंचाती है.। विशेषज्ञों के अनुसार चाहे कोई भी मौसम हो विकिरण से अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए सचेत रहना चाहिए.।सुरक्षित रूप से धूप का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए छाया में रहें,। त्वचा को हमेशा कवर करके रहें और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते रहें। . जैसा जेसन चैम्बर ने अपने अनुभव के आधार पर बताया भी.। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सनस्क्रीन लगाने के बाद आप धूप में ज़्यादा समय बिता सकते हैं., लेकिन यह त्वचा के उन हिस्सों की सुरक्षा के लिए सही रहता है जिसे आप कपड़ों या छाया से ढक नहीं सकते.।सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं और त्वचा कैंसर का कारण बन सकती हैं.। आप कुछ आसान सी टिप्स को फॉलो कर अपनी त्वचा की रक्षा कर सकते हैं.। इसके लिए सबसे पहले है छाया में रहना। . सुबह 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक की धूप सबसे तेज होती है. । इस दौरान छाया में समय बिताएं.। बाहर निकलते वक्त या घर में रहने के दौरान यदि आप धूप में बैठना चाहते हैं तो भी अपने शरीर को कपड़े से ढकें, सिर पर टोपी पहनें और धूप के चश्मे लगाएं.।धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाना फायदेमंद हो सकता है.। कम से कम एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन लगाएं । . इसे धूप की संपर्क में आने से पहले बिना लापरवाही किए लगाएं.धूप में सीधे तौर पर या ज्यादा समय तक रहने से किसी को भी सनबर्न हो सकता है। . हर तरह के त्वचा वालों में सनबर्न के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. । गहरे रंग वालों में यह खुजली के रूप में तो गोरे त्वचा वालों के लिए सनबर्न लाल या गुलाबी भी दिख सकता है.। -
एक्सपर्ट के मुताबिक वेट लॉस में आप दोनों तरह की इडली खा सकते हैं। लेकिन वजन घटाने के लिए सूजी की इडली ज्यादा बेहतर है। सूजी की इडली में फाइबर अधिक होता है। जबकि चावल की इडली को दाल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसलिए उसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों ज्यादा होता है। लेकिन आप जो भी ऑप्शन चुनें मात्रा का ध्यान जरूर रखें। क्योंकि ज्यादा मात्रा में खाने से वजन बढ़ सकता है।
ब्रेकफास्ट के लिए क्या बेहतर ऑप्शन है?अगर आप सूजी की इडली खाते हैं, तो शरीर को फाइबर मिलेगा और वेट लॉस में मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप चावल की इडली खाते हैं, तो आपको पोषक तत्व ज्यादा मिलेंगे। इसलिए अगर आपको हेल्दी ब्रेकफास्ट ऑप्शन चुनना है तो आप चावल की इडली खा सकते हैं। लेकिन अगर आप कैलोरी डेफिसिट डाइट पर हैं तो आपको सूजी की इडली खानी चाहिए।इन बातों का रखें ध्यान-ध्यान रखें कि इडली बनाते वक़्त उसमें सब्जियां जरूर एड करें। इससे शरीर को खाने के सभी पोषक तत्व मिलेंगे।-ज्यादा से ज्यादा सब्जियां एड करने से इडली में फाइबर भी बढ़ जाएगा। इसमें इसमें प्याज, शिमला मिर्च, गाजर जैसी सब्जियां जरूर एड करें।-इडली का सेवन कम मात्रा में ही करें। क्योंकि ज्यादा मात्रा में खाने से पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है।-ज्यादा मात्रा में सेवन से कैलोरी इंटेक भी बढ़ सकता है। इसकी वजह से वजन कम होने के बजाय बढ़ सकता है।-इडली के साथ साम्भर या चटनी जरूर एड करें। इससे शरीर को बैलेंस्ड मील मिलेगा और इसे पचाना भी आसान होगा। -
अधिकतर भारतीय घरों में अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाता है। साथ ही, खाने को पौष्टिक भी बनाता है। आपको बता दें कि अदरक औषधीय गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इसके अलावा, अदरक में जिंक, कॉपर, मैंगनीज जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। सर्दी-जुकाम और खांसी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए अदरक का सेवन किया जाता है। अदरक खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है। वैसे तो अदरक का सेवन अधिकतर लोग करते हैं। लेकिन, कुछ खास तरह के लोगों को अदरक का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए।
सर्दियों में अदरक किसे नहीं खाना चाहिए?वैसे तो अदरक का सेवन सभी लोग कर सकते हैं। लेकिन, कुछ खास तरह के लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।”1. ब्लड क्लोटिंग की समस्या वाले लोगों कोजिन लोगों को ब्लड क्लोटिंग की समस्या है, उन्हें अदरक का सेवन बेहद कम मात्रा में करना चाहिए। दरअसल, अदरक ब्लड क्लोटिंग की समस्या को बढ़ा सकता है। इससे व्यक्ति को परेशानी हो सकती है।2. पित्त प्रकृति के लोगों कोअदरक की तासीर गर्म होती है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोगों को अदरक का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। अदरक खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। इससे पित्त से जुड़े रोग विकसित हो सकते हैं।3. ब्लीडिंग की समस्या वाले लोगों कोअगर आपको ब्लीडिंग की समस्या है, तो इस स्थिति में अदरक का सेवन बेहद कम मात्रा में ही करें। आप चाहें तो अदरक को पूरी तरह से छोड़ भी सकते हैं। अदरक खाने से ब्लीडिंग की समस्या बढ़ सकती है। यह खून को पतला कर सकते हैं।4. किसी गंभीर बीमारी वाले लोगों कोअगर कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है, तो उसे अदरक का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। कुछ बीमारियों में अदरक खाने से समस्या ट्रिगर हो सकती है।5. एसिडिटी वाले लोगों कोअदरक खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। इससे पेट और सीने में जलन महसूस हो सकती है। इसलिए अगर आपको एसिडिटी रहता है, तो अदरक का सेवन कम मात्रा में ही करें। - दूध को स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, विटामिन डी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन उबले हुए दूध के मुकाबले कच्चे दूध (रॉ मिल्क) को प्राकृतिक और पोषण से भरपूर विकल्प माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उबालने या पकाने से दूध के प्राकृतिक पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग कच्चा दूध ही पीना पसंद करते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं, जो कच्चा दूध पीते हैं, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह बीमारियों की वजह बन सकता है। हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कच्चे दूध में लंबे समय तक फ्लू वायरस और संक्रमण का खतरा रहता है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि इन्फ्लूएंजा वायरस कच्चे दूध में रेफ्रिजेरेटेड तापमान पर पांच दिनों तक सक्रिय रह सकता है।इन लोगों को नहीं पीना चाहिए कच्चा दूध-स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह जांचने की कोशिश की, कि H1N1 PR8 इंफ्लुएंजा स्ट्रेन सामान्य रेफ्रिजेरेटेड तापमान पर कच्चे दूध में कितने समय तक सक्रिय रहता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह वायरस पांच दिनों तक संक्रामक बना रहता है। ऐसे में कोई व्यक्ति कच्चा दूध पीता है, तो उसे संक्रमण और कई विभिन्न प्रकार की बीमारियों का खतरा रहता है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को कच्चे दूध का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।कच्चे दूध से जानवरों को भी है खतराअध्ययन के सह-लेखक मेंगयांग झांग ने कहा, "कच्चे दूध में संक्रामक इंफ्लुएंजा वायरस कई दिनों तक सक्रिय रहने से चिंता और भी बढ़ गई है। दरअसल, यह संक्रमण सिर्फ कच्चे दूध को ही नहीं, बल्कि आसपास मौजूद अन्य डेयरी उत्पादों और वातावरण को भी दूषित करता है। इसकी वजह से कच्चे दूध के बैक्टीरिया से जानवरों में भी फ्लू फैलने का खतरा है।" अध्ययन में आगे यह भी देखा गया कि पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया इंफ्लुएंजा वायरस को प्रभावी रूप से नष्ट कर देती है और वायरल RNA को लगभग 90% तक कम कर देती है।दूध के लिए पाश्चुरीकरण प्रक्रिया है जरूरीकच्चा दूध, जिसे बिना पास्चुरीकरण के रखा जाता है, अपने प्राकृतिक एंजाइम, पोषक तत्व और प्रोबायोटिक्स को बनाए रखता है। एक आंकड़े के मुताबिक, अमेरिका में हर साल 1.4 करोड़ लोग कच्चे दूध का सेवन करते हैं, यह मानते हुए कि यह पाश्चुरीकृत दूध की तुलना में अधिक फायदेमंद है। हालांकि, कच्चे दूध को पास्चुरीकरण के अभाव में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। पास्चुरीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें दूध को गर्म किया जाता है ताकि हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो सकें।कच्चे दूध के लिए FDA ने भी दी चेतावनी-इससे पहले फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) भी कच्चे दूध से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर चेतावनी देते आए हैं। सीडीसी के अनुसार, कच्चा दूध में ई. कोलाई और सैल्मोनेला जैसे खतरनाक बैक्टीरिया से जुड़ी 200 से अधिक बीमारी के कीटाणु पाए जाते हैं। ऐसे में कच्चे दूध का सेवन किया जाए, तो यह कई बीमारियों की वजह बन सकता है।कच्चा दूध पीने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसानकच्चा दूध पीने से स्वास्थ्य को कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। आइए आगे जानते हैं इसके बारे में...-कच्चे दूध में ई. कोलाई, सैल्मोनेला, लिस्टेरिया और कैंपिलोबैक्टर जैसे हानिकारक बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो पेट दर्द, डायरिया और उल्टी जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।-कच्चे दूध में इन्फ्लूएंजा वायरस रेफ्रिजेरेटर तापमान पर पांच दिनों तक जीवित रह सकता है। इसकी वजह से फ्लू और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा रहता है।-कच्चा दूध, पाश्चुरीकरण के प्रोसेसिंग से नहीं गुजरता है, इसकी वजह से पेट में दर्द और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।-बच्चों में कच्चा दूध गंभीर डायरिया और डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है।कच्चा दूध अपने प्राकृतिक एंजाइम और पोषक तत्वों के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य एजेंसियां और डॉक्टर इसका सेवन करने से मना करते आए हैं। कोरोना के बाद जब नई महामारी का खतरा लगातार बढ़ रहा है, तब कच्चा दूध पीना स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है।
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आज के समय में खराब लाइफस्टाइल और डाइट के कारण बड़ों से लेकर बच्चों में आयरन की कमी होने लगी है। आयरन की कमी के कारण चक्कर आना, कमजोरी, थकान और अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती है। आयरन की कमी पूरी करने के लिए लोग अपनी डाइट में आयरन सप्लीमेंट्स शामिल करते हैं, जो आयरन के स्तर को बढ़ाने (foods to increase iron in body) में मदद करते हैं। लेकिन अगर आप नेचुरल तरीके से अपने शरीर में आयरन के स्तर को बढ़ाना चाहते हैं तो इन आयुर्वेदिक टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
आयरन की कमी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय1. घी के साथ आंवला पाउडरआप अपनी डाइट में रोजाना दोपहर के खाने से पहले अच्छी क्वालिटी वाले घी के साथ 1 चम्मच आंवला पाउडर का सेवन करें। आंवला विटामिन सी का एक बेहतर स्रोत है, जो आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है, जबकि घी पाचन और ओवरऑल हेल्थ को बढ़ावा देता है।2. विदाही खाद्य पदार्थों का सेवन कम करेंशरीर में गर्मी यानी पित्त और एसिड बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को विदाही कहा जाता है। इसलिए, अगर आपके शरीर में आयरन की कमी है तो आप विदाही खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें या इन्हें सीमित करें, जैसे एप्पल साइडर विनेगर, टमाटर, आलू और कॉफी। इन खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन पाचन में असुविधा का कारण बन सकता है और असंतुलन को बढ़ा सकता है, जिससे आपके शरीर के लिए आयरन को सही तरीके से अवशोषित करना मुश्किल हो जाता है।3. सोंठ का सेवन करेंअपनी डाइट में रोजाना सोंठ शामिल करें। इसे आप खाने, चाय या सूप में डालकर खा सकते हैं। सौंठ आपके पाचन में मदद करता है और पाचन अग्नि को संतुलित करके आयरन सहित अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करता है।4. द्राक्षारिष्ट का सेवन करेंदोपहर के खाने के बाद 15 मिली पानी में 15 मिली द्राक्षारिष्ट (काली किशमिश से बना एक आयुर्वेदिक टॉनिक) मिलाकर पी लें। काली किशमिश आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है। लेकिन ध्यान रहे, अगर आपको अक्सर एसिडिटी या एसिड रिफ्लक्स की समस्या होती है, तो द्राक्षारिष्ट के सेवन से परहेज करें।5. काली किशमिश और अंगूर का सेवनआयरन की कमी दूर करने के लिए आप रोजाना अपनी डाइट में भीगी हुई काली किशमिश और अच्छी क्वालिटी के काले अंगूर शामिल कर सकते हैं। ये दोनों ही चीजें आयरन के बेहतर स्रोत माने जाते हैं, जो आपके शरीर में खून बनाने में मदद करते हैं और एनर्जी लेवल को बढ़ाते हैं।घी के साथ आंवला पाउडर, विदाही खाद्य पदार्थों से परहेज, सोंठ का सेवन, द्राक्षारिष्ट और काली किशिमिश जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आपके शरीर में होने वाले आयरन की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है। इन आयुर्वेदिक टिप्स को फॉलो करके आपके शरीर में होने वाली खून की कमी को दूर करना फायदेमंद हो सकता है। - मशहूर कॉमेडी सीरियल भाभी जी घर पर हैं की फेम एक्ट्रेस सौम्या टंडन अपनी दमदार एक्टिंग और फिटनेस के लिए बखूबी जानी जाती हैं। गोरी मेम का किरदार निभा चुकी सौम्या पिछले 4 सालों से चीनी और गुड से दूर हैं। वे चीनी या उससे बने फूड्स खाने से पूरी तरह से परहेज करती हैं। वे अपने लाइफस्टाइल को हमेशा से हेल्दी बनाकर रखती हैं। मीठे की क्रेविंग होना सभी के लिए लाजमी है। लेकिन सौम्या को शुगर क्रेविंग होने पर वे हेल्दी और बिना चीनी की रेसिपी ट्राई करती हैं। उन्होंने अपनी फिटनेस का राज शेयर किया है। उन्होंने चीनी और उसके विकल्पों को पूरी तरीके से छोड़ दिया है।मीठे की क्रेविंग होने पर खाती हैं हेल्दी चीजेंमीठ की क्रेविंग होने पर सौम्या चीनी से बनी चीजें खाने के बजाय फल और ड्राई फ्रूट्स खाना ज्यादा पसंद करती हैं। अपनी शुगर क्रेविंग को शांत करने के लिए वे ऐसी चीजें खाती हैं, जिनमें नैचुरल शुगर पाया जाता है। यही नहीं, उन्होंने पिछले 4 साल से शहद और गुड से बनी चीजों से भी पूरी तरह दूरी बना रखी है उन्होंने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शकरकंद के हलवे की एक रेसिपी शेयर की है।शकरकंद के हलवे की रेसिपी-सौम्या टंडन ने शकरकंद के हलवे की रेसिपी शेयर की, जिसके लिए आपको सबसे पहले शकरकंद को उबाल लेना है।-अब शकरकंद को अच्छी तरह से मैश कर लें।-इसके बाद पैन में थोड़ा सा घी डालें और शकरकंद मिलाएं।-अब आपको इसे अच्छे से रोस्ट कर लेना है, लेकिन ध्यान रहे इसमें चीनी और गुड न मिलाएं।-अब अच्छे से रोस्ट हने के बाद उसमें ड्राई फ्रूट्स मिलाएं और बाहर निकाल लें।लीजिए आपका शकरकंद का हलवा बनकर तैयार है।चीनी छोड़ने से शरीर में क्या होता है?-चीनी छोड़ने से शरीर में कई बदलाव होते हैं।-इससे वजन कम या सामान्य होने लगता है और त्वचा पर ग्लो आता है।-चीनी छोड़ने से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है और मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है।-इससे शरीर में सूजन नहीं आती है।
- मखाने को एक हेल्दी स्नैक माना जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा, मखाने में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन जैसे न्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं। अक्सर लोग मखाने को रोस्ट करके खाना पसंद करते हैं। कोई मखाने को दूध के साथ खाता है, तो कोई इसकी खीर बनाकर खाना पसंद करता है। मखाने की नमकीन और चाट भी काफी स्वादिष्ट होती है। वहीं, कुछ लोग मखाने को चाय के साथ खाना पसंद करते हैं। आइए जानते हैं कि क्या मखाने के साथ चाय पी सकते हैं?क्या मखाने के साथ चाय पी सकते हैं?-मखाने के साथ चाय पी सकते हैं। अगर आप मखाने खा रहे हैं, तो इसके साथ चाय पी सकते हैं। अगर आप मखाने के साथ चाय पिएंगे, तो भी आपका शरीर मखाने के पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित कर लेगा।”क्या मखाने के साथ चाय का सेवन करना फायदेमंद होता है?“मखाने के साथ चाय पीने से कुछ भी अलग फायदे नहीं मिलते हैं। लेकिन, मखाने के साथ चाय पीने से आपको मखाने के सभी लाभ मिल सकते हैं। इसलिए आप चाहें तो मखाने के साथ भी चाय पी सकते हैं।”
- डेली डाइट में ड्राई फ्रूटस खाना भी जरूरी है। इनके सेवन से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं। ये बॉडी में एनर्जी मेंटेन रखने के लिए फायदेमंद हैं। इन्हीं में शामिल है सूखी खुबानी। इसमें प्रोटीन, सोडियम, आयरन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है। सूखी खुबानी हड्डियों को मजबूत बनाने, खून की कमी दूर करने और पाचन संबंधित समस्याओं में भी फायदेमंद है। लेकिन अगर आप ज्यादा मात्रा में इसे खाते हैं, तो इससे शरीर को नुकसान भी हो सकता है। आज इस लेख में हम सूखी खुबानी के नुकसान पर बात करेंगे।सूखी खुबानी ज्यादा खाने के नुकसानपाचन से जुड़ी समस्याएं होनासूखी खुबानी में फाइबर कंटेंट ज्यादा होता है। अगर ज्यादा मात्रा में इनका सेवन किया जाए, तो इससे पेट फूलना, पेट दर्द, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जिन लोगों को पाचन संबंधित समस्याएं रहती हैं, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।वजन बढ़ सकता हैसूखी खुबानी में पोषक तत्व ज्यादा होने के साथ कैलोरी भी ज्यादा होती है। अगर मात्रा का ध्यान रखे बिना इसका सेवन किया जाए, तो इससे वजन बढ़ने का खतरा भी हो सकता है। अगर आप वेट लॉस डाइट पर हैं, तो आपको कम मात्रा में हि इसका सेवन करना चाहिए।ब्लड शुगर बढ़ सकती हैडायबिटीज के मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर ही, इसका सेवन करना चाहिए। क्योंकि इसमें शुगर कंटेंट ज्यादा होता है। इसके ज्यादा सेवन से ब्लड शुगर इंबैलेंस हो सकती है। जिन लोगों को इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या है, उन्हें भी ब्लड शुगर इंबैलेंस का खतरा हो सकता है।डेंटल हेल्थ को नुकसानशुगर कंटेंट ज्यादा होने और चिपचिपा होने के कारण ये डेंटल हेल्थ को नुकसान कर सकता है। अगर मात्रा का ध्यान न रखते हुए इसका सेवन किया जाए, तो इससे मुंह में बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। इससे दांतों में कीड़ा लगने या दर्द होने का खतरा हो सकता है। इस खतरे से बचने के लिए दांतों की सफाई का ध्यान रखें।एलर्जी हो सकती हैसूखी खुबानी को ठीक रखने के लिए इसमें सल्फाइट इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का प्रिजर्वेटिव होता है, जो कुछ लोगों में एलर्जी कर सकता है। खासकर जिन लोगों को स्किन या किसी भी प्रकार की एलर्जी रहती है, ज्यादा खाने से उनको नुकसान हो सकता है।एक दिन में कितनी सूखी खुबानी खाने खा सकते हैं?डाइट एक्सपर्ट्स के मुताबिक आप एक दिन में 3 से 4 सूखी खुबानी खा सकते हैं। इससे ज्यादा मात्रा में खाना नुकसानदेह हो सकता है। आप एक मिड डे मील, खाली पेट या शाम में स्नैक्स टाइम पर खा सकते हैं।
- कुछ लोग डाइट फॉलो करने के दौरान फल ज्यादा खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं एक दिन में कितने फल खाने चाहिए?एक्सपर्ट्स के मुताबिक डेली डाइट में फ्रूटस को शामिल करना बहुत जरूरी है। फलों में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं। डाइट एक्सपर्ट्स ज्यादातर मिड डे स्नैक्स में फल खाने की सलाह देते हैं। यानी आपको नाश्ते के बाद और लंच से पहले फल खाना होता है। लेकिन वहीं कई लोग इन्हें लंच या डिनर में खाते हैं। डाइट प्लान फॉलो करने के दौरान लोग फल ज्यादा खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं एक दिन में कितने फल खाने चाहिए? साथ ही, फल खाने का सही समय क्या है?एक दिन में कितने फल खा सकते हैं?एक्सपर्ट के मुताबिक एक दिन में एक से ज्यादा फल खा सकते हैं। यह निर्भर करता है कि आप फ्रूटस कब खा सकते हैं। पाचन से जुड़ी समस्या में अगर आप लाइट मील के लिए फल खा रहे हैं, तो आप नाश्ते या लंच में फल खा सकते हैं। लेकिन अगर आपको डायबिटीज है या वेट लॉस डाइट पर है, तो आपको डाइट एक्सपर्ट की सलाह पर ही फलों की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए।किस समय फल खाना अवॉइड करना चाहिए?अगर आप डिनर में फल खाना चाहते हैं, तो आपको अवॉइड करना चाहिए। क्योंकि डिनर में फल खाने से डाइजेशन स्लो हो सकता है। अगर आप ब्रेकफास्ट या लंच में फल खाते हैं, तो आपके लिए फायदेमंद होगा। खाने के तुरंत बाद या खाने के साथ फल नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इससे आपको अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।अगर आपको डायबिटीज है तो आपको फलों की मात्रा और खाने का समय अपने डॉक्टर की सलाह पर निर्धारित करनी चाहिए। क्योंकि फलों में मौजूद नेचुरल शुगर ब्लड में शुगर इंबैलेंस कर सकती है।-नाश्ते के बाद और लंच से पहले भूख लगने पर आपको फल खाना चाहिए। इससे फल जल्दी पच जाते हैं।-नाश्ते या लंच में आप फलों की चाट बनाकर खा सकते हैं। इससे शरीर को अलग-अलग फलों के पोषक तत्व मिलेंगे।-ध्यान रखें अगर आप मील में फल खा रहे हैं, तो आप आधी प्लेट ही फल खाएं।-फलों में मौजूद पोषक तत्व हमें हेल्दी रखने में मदद करते हैं। लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा फल खाते हैं, तो पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है।-अगर आपको मीठे की क्रेविंग होती हैं, तो ऐसे में आप कोई एक फल खा सकते हैं। इससे आप एक्स्ट्रा कैलोरी इंटेक करने से भी बच जाएंगे।-आप शाम के दौरान भूख लगने पर भी फल खा सकते हैं। इससे आपकी भूख भी शांत होगी और इसके पोषक तत्व भी मिलेंगे।
- आयुर्वेद में मून चार्ज वॉटर यानी चांद की रोशनी में रखा पानी सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद में चांद की रोशनी में रखा पानी न सिर्फ हमारे फिजिकल बल्कि मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। महिलाओं के लिए भी मून चार्ज वॉटर पीना सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में आइए जानने हैं कि महिलाओं के लिए चंद्रमा के पानी के क्या फायदे हैं और चांद का पानी तैयार करने का क्या तरीका है?महिलाओं के लिए चांद की रोशनी में रखा पानी पीने के फायदे क्या हैं?कफ दोष को संतुलित करेंचंद्रमा को कफ से जोड़ा जाता है, ऐसे में चांद की रोशनी में रखा पानी पीने से महिलाओं में बलगम और कफ की समस्या को कम करने में मदद मिलती है। खासकर, कंजेशन और मौसम बदलने के कारण होने वाली एलर्जी से जुझ रही महिलाओं के लिए यह ज्यादा फायदेमंद होता है।शरीर की एनर्जी बढ़ाएमाना जाता है कि चन्द्रमा का पानी पीने से सेलुलर पुनर्जनन (Cellular Regeneration) को बढ़ावा मिलता है, जिससे महिलाओं का शरीर स्वस्थ रहता है और एनर्जी लेवल को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।हार्मोन्स को संतुलित करेंचांद की रोशनी में रखा पानी पीने से हार्मोन संतुलित होता है, पीरियड से जुड़ी समस्याएं कम करने, तनाव और चिंता को कम करके मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है, जो महिलाओं के स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है।हाइड्रेशन और एनर्जी बढ़ाएंऐसा माना जाता है कि चांद की रोशनी में रखा पानी एनर्जेटिक कंपन लेकर आता है, जो महिलाओं के शरीर को हाइड्रेटेड रखने और एनर्जी लेवल को बेहतर रखने में मदद करता है।मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंदआयुर्वेद के अनुसार चांद की रोशनी में रखा पानी पीने से महिलाओं को पीएमएस या मेनोपॉज जैसे हार्मोनल बदलावों के दौरान अपने भावनाओं को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जिससे मूड स्विंग और तनाव की समस्या कम होती है।चांद का पानी कैसे बनाएं? -एक गिलास पानी लें और उस पर हवादार हल्का कपड़ा बांध दें, जिस पर चांद की रोशनी आसानी से पड़ सके। अब इस पानी को पूर्णिमा या इसके आसपास की रात को चांद की रोशनी में रख दें। गिलास में पानी भरते समय अपने दिमाग में अपने बेहतर स्वास्थ्य और इमोशनल हेल्थ को लेकर सकारात्मक चीजें सोचें। इसके बाद पानी को रात भर चांद की एनर्जी को एब्जॉर्ब करने के लिए रख दें, लेकिन सूरज निकलने से पहले इस पानी को हटा लें। आप चाहे तो इस पानी को तुरंत खाली पेट घूंट-घूंट करके पी सकते हैं।चांद की रोशनी में रखा पानी महिलाओं के सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। जिन महिलाओं में कफ दोष हो, वे इसके लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए मून चार्ज वाटर पी सकती हैं। इसके साथ ही यह पानी महिलाओं के शरीर की कमजोरी दूर करके उन्हें स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।
- ओरल हाइजीन की अनदेखी करने पर अकसर लोगों को दांतों में कीड़ा लगना, प्लाक, दांतों का पीलापन और कैविटी से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। बता दें, कई बार खाने-पीने की चीजों से दांतों पर प्लेक जमा हो जाता है, जिससे बैक्टीरिया बनता है। यह बैक्टीरिया दांतों की सतह और मसूड़ों के साथ चिपककर एसिड पैदा करते हैं, जो कैविटी का कारण बनकर दांतों में सड़न का कारण बन सकते हैं। अगर आप भी अपने दांतों को सड़न से बचाना चाहते हैं तो ये नेचुरल उपाय आजमा सकते हैं। बता दें, डॉक्टर निशांत गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम पर ये हर्बल उपाय शेयर करते हुए बताया है कि घर बैठे कैसे आप कुछ आसान उपाय फॉलो करके अपने दांतों को हेल्दी और खूबसूरत बनाए रख सकते हैं।दांतों को हेल्दी और स्ट्रांग बनाएं रखेंगे ये टिप्सलौंगखाना खाने के बाद एक लौंग चबाने से बैक्टीरिया और दर्द से राहत मिल सकती है। लौंग में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं। लौंग चबाने से मुंह और गले में मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिससे मौखिक संक्रमण का खतरा कम होता है।अमरूद के पत्तेरोजाना एक से दो अमरूद के पत्ते चबाने से दांतों को संक्रमण से बचाने में मदद मिल सकती है। अमरूद के पत्तों में जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को रोकते हैं। इन पत्तों में मौजूद एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण दांतों के इंफेक्शन को दूर करने में मदद करते हैं। बता दें, अमरूद के पत्तों को चबाने से कैविटी को रोकने और मसूड़ों की सूजन को शांत करने में भी मदद मिलती है।नीम की दातुननीम का दातुन से ब्रश करने से बैक्टीरिया और प्लाक से छुटकारा मिल सकता है। नीम में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। जिससे दांतों का पीलापन, बदबू, प्लाक, टैटार,दांतों का दर्द और अल्सर में राहत मिलने के साथ सूजे हुए मसूड़ों को भी आराम मिलता है।क्रंची सब्जियांगाजर,सेब जैसी क्रंची सब्जियां चबाने से दांत नेचुरल तरीके से साफ होते हैं। बता दें, लार में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो दांतों की सफाई में मदद करते हैं। ऐसे में क्रंची सब्जियां जैसे गाजर, ब्रोकली, शिमला मिर्च जैसी क्रंची सब्जियां प्लाक को हटाने में मदद करती हैं।तुलसी के पत्तेतुलसी के पत्ते उबालकर गार्गल करने से नेचुरल माउथवॉश का काम होता है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। रोजाना तुलसी का पानी पीने से सर्दी, खांसी और गले की सूजन में राहत मिलने के साथ सांसों की बदबू को कम करते हैं।
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सर्दियों का मौसम शुरू होते ही अकसर कुछ चटपटा और गरमा-गरम खाने की क्रेविंग भी शुरू हो जाती है। अपनी इस क्रेविंग को पूरा करने के लिए लोग कई बार अनहेल्दी ऑप्शन चुन लेते हैं। जो सेहत पर बुरा असर डालते हैं। ऐसे में ठंड के मौसम में आपकी सेहत और स्वाद दोनों का ख्याल रखता है टमाटर का सूप। टमाटर में क्रोमियम, पोटेशियम, विटामिन-ए, सी, इ, अल्फा, बीटा, ल्यूटिन और लाइकोपीन कैरोटेनॉयड्स जैसे कई गुण पाए जाते हैं, जो मोटापे से लेकर सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर रखने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं टमाटर का सूप पीने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।
टमाटर का सूप पीने से सेहत को मिलते हैं ये फायदेबेहतर ब्लड सर्कुलेशनटमाटर के सूप में मौजूद सेलेनियम एनीमिया से बचाव करके बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाए रखने का काम करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स भी बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के लिए टमाटर का सूप पीने की सलाह देते हैं।हाई बीपी में फायदेमंदटमाटर में मौजूद पोटेशियम शरीर में सोडियम लेवल को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। अगर आप हाई बीपी रोगी हैं तो टमाटर के सूप का सेवन करें। हालांकि टमाटर का सूप बनाते समय उसमें नमक की मात्रा का ध्यान रखें या नमक डालने से बचें।वेट लॉसटमाटर का सूप नियमित पीने से वेट लॉस में भी मदद मिल सकती है। टमाटर का सूप फाइबर से भरपूर होता है, जो लंबे समय तक पेट को भरा रखता है। जिससे व्यक्ति को जल्दी भूख नहीं लगती और वो एक्स्ट्रा कैलोरी लेने से बच जाता है। जिससे वेट लॉस में मदद मिल सकती है।अच्छा पाचनसर्दियों में लोग अकसर पाचन संबंधी दिक्कतों से परेशान रहते हैं। ऐसे में आप पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने के लिए टोमेटो सूप का सेवन कर सकते हैं।शुगर लेवल रखें कंट्रोलटमाटर में मौजूद क्रोमियम ब्लड शुगर कंट्रोल रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा टमाटर में मौजूद नारिंगिन नाम का फ्लेवोनोइड्स एंटी-डायबिटिक के रूप में काम करके ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है। -
बच्चों की हेल्दी ग्रोथ के लिए उनके शारीरिक और मानसिक विकास दोनों पर ही बराबरी का ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके लिए उनके खानपान का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। हालांकि बच्चे ठहरे बच्चे, घर में बनी अधिकतर चीजों को तो देखते ही तो वो ऐसे दूर भागते हैं मानों शेर देख लिया हो। उन्हें बस बाजार वाले चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा, मोमो जैसी चीजें ही भाती हैं; जो सेहत के लिए कितनी फायदेमंद हैं ये तो आपको बखूबी पता है। बस इसलिए अधिकतर बच्चे दुबले-पतले से हो जाते हैं और पैरेंट्स को चिंता सताने लगती है उनकी डाइट की। ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चे की हेल्दी ग्रोथ को लेकर परेशान है, तो चलिए आज आपको कुछ ऐसे फूड आइटम्स के बारे में बताते हैं, जिन्हें खाने से बच्चे जल्दी ही तंदुरुस्त तो होने ही, साथ ही उनका दिमाग भी तेज होगा।
संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडेअंडे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन डी, विटामिन बी, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फोलिक एसिड के साथ-साथ कई अन्य तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में बच्चों की हेल्दी ग्रोथ के लिए उन्हें रोज एक या दो अंडे खिलाना काफी फायदेमंद है। अंडा बच्चे को हेल्दी और तंदुरुस्त तो बनाता ही है, साथ ही इसमें पाया जाने वाला फोलिक एसिड बच्चों को मेंटली स्ट्रांग बनाने में भी मदद करता है।डाइट में शामिल करें दूधबच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उनकी डाइट में दूध शामिल करना बहुत जरूरी है। दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन डी, फास्फोरस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनसे हड्डियों को मजबूती मिलती है। इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास दोनों की तेजी से होते हैं। बच्चे अक्सर दूध पीने में नखरे जरूर दिखाते हैं लेकिन आप तरह तरह के फ्लेवर एड कर के उन्हें दूध पिला सकते हैं।रोज दें मुट्ठी भर ड्राइफ्रूट्सअलग-अलग तरह के ड्राई फ्रूट्स में अलग-अलग प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं। इसलिए बच्चों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स खिलाना काफी फायदेमंद है। खास तौर पर बच्चों की डाइट में बादाम, अखरोट, किशमिश, काजू, मखाना जैसे ड्राइफ्रूट्स आपको जरूर शामिल करने चाहिए।इंस्टेंट एनर्जी के लिए दें केलाबढ़ती उम्र के बच्चों को रोज एक केला खिलाना काफी फायदेमंद है। केले में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन ए, मैग्निशियम, पोटैशियम और फाइबर पाए जाते हैं। इसे खाने से बच्चे को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है। इसके साथ ही केला खाने से बच्चों का शरीर तंदुरुस्त होता है। जो बच्चे रोज एक केला खाते हैं, उनकी मेंटली ग्रोथ भी कुछ फास्ट होने में मदद मिलती है।देसी घी से बनेंगे सेहतमंदबच्चों को शारीरिक रूप से हेल्दी और स्ट्रांग बनाए रखने के लिए उनकी डाइट में देसी घी को भी जरूर शामिल करना चाहिए। घी से बच्चों को गुड फैट और डीएचए मिलता है। नियमित रूप से घी खाने पर बच्चों का दिमाग भी तेज होता है। इसके अलावा घी में पाए जाने वाले एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टिरियल गुण बच्चों की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी काफी मददगार साबित होते हैं।- - स्प्राउट्स खाना सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होते हैं। इसे खाने से पाचन तंत्र बेहतर रहने से लेकर वजन घटाने तक में मदद मिलती है। स्प्राउट्स सेहत के लिए किसी रामबाण से कम नहीं होते हैं। इसमें विटामिन C, फॉस्फोरस, प्रोटीन और विटामिन K समेत अन्य भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिन्हें खाने से पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है। आमतौर पर लोग नाश्ते में स्प्राउट्स का सेवन करना पसंद करते हैं। कुछ लोग शाम को स्नैक्स के रूप में भी स्प्राउट्स खाते हैं। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या रात में स्प्राउट्स खाना सही होता है?क्या रात में स्प्राउट्स खाना सही होता है?स्प्राउट्स सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं। स्प्राउट्स को किसी भी समय खाया जा सकता है। अगर बात करें रात में स्प्राउट्स खाने की तो अगर आपको रात में स्प्राउट्स खाने से किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है तो आप निश्चित तौर पर इसे खा सकते हैं। लेकिन, अगर इसे खाने के बाद आपको गैस, अपच और पेट फूलने की समस्या, जोकि कुछ लोगों को होती भी है। अगर आपको भी ऐसा हो रहा है तो ऐसे में रात में स्प्राउट्स खाने से परहेज करें।स्प्राउट्स खाने के फायदे-स्प्राउट्स में विटामिन सी की मात्रा होती है, जिसे खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।-इसमें भरपूर फाइबर होता है, जिसे खाने से पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।-इसे खाने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है साथ ही हार्ट से जुड़ी बीमारियां भी कम होती हैं।-इसे खाने से ब्लड प्रेशर कम होता है।कैसे खाएं स्प्राउट्स?स्प्राउट्स खाने के लिए आपको कोशिश करनी है कि उसे कच्चा न खाएं। इसके बजाय आप स्प्राउट्स को पकाकर या स्टीम करके खा सकते हैं। क्योंकि, कच्चे स्प्राउट्स खाने से पेट फूलना, पेट में दर्द आदि जैसी समस्या हो सकती है।
- सर्दी के मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में छोटे बच्चे, खासकर शिशुओं को सुरक्षित रखना थोड़ा मुश्किल होता है। शिशुओं के जन्म के बाद का पहला साल काफी मुश्किल होता है, क्योंकि मौसम के अनुसार ढलने में उन्हें समय लगता है, जिस कारण सर्दी और खांसी आसानी से जकड़ लेती है। ऐसे में माता-पिता उनकी देखभाल में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए, अगर आप भी अपने बच्चे की सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या से परेशान हैं तो अजवाइन की पोटली ट्राई कर सकते हैं।सर्दी-खांसी में अजवाइन पोटली के फायदे"शिशुओं में सर्दी-खांसी की समस्या से राहत दिलाने के लिए आप अजवाइन की पोटली का इस्तेमाल कर सकते हैं। अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो सर्दी, खांसी और कंजेशन की समस्या से राहत दिलाने में काफी फायदेमंद माने जाते हैं। इसके अलावा अजवाइन की पोटली एक नेचुरल इनहेलर के रूप में काम करती है, जो शिशुओं, बच्चों और बड़ें, सभी में बंद नाक और छाती में जमे कंजेशन को कम करने के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपाय के रूप में काम करता है।"अजवाइन की पोटली कैसे बनाएं?-पोटली बनाने के लिए आप आधा कप अजवाइन और सूती कपड़ा लें।-इसके बाद एक पैन को गैस पर गर्म करें और उसमें अजवाइन डालें।-अजवाइन में खुशबू आने तक इसे चलाते हुए भूनते रहें।-अब इस अजवाइन को मलमल के छोटे-छोटे कपड़ों में डाल दें।-इन कपड़ों को लपेटें और गांठ बांधकर पोटली बना लें।-बस बच्चे के खांसी-जुकाम होने पर इन अजवाइन पोटलियों का इस्तेमाल करें।अजवाइन पोटली का उपयोग कैसे करें?अजवाइन की पोटली शिशुओं और बच्चों में होने वाली सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या को ठीक करने में काफी उपयोगी माना जाता है। अगर आप 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस पोटली का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अजवाइन की पोटली को बच्चे के बिस्तर के पास कुछ दूरी पर रखा जा सकता है। इस पोटली को उनके आस-पास रखने से हवा में सांस लेने से बच्चे को कंजेशन से राहत मिलती है।मौसम में बदलाव के साथ शिशुओं में होने वाले सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या से राहत दिलाने के लिए आप अजवाइन पोटली का नियमित तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन बच्चे को ज्यादा सर्दी और खांसी होने पर डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।