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- रजनीगंधा का नाम लेते ही तरोताजा करने वाले एक सफेद और खुशबू से भरे फूल की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है। औषधीय गुणों से भरपूर रजनीगंधा केवल आपके जीवन को नहीं महकाता, बल्कि यह आपकी सेहत को भी दुरुस्त रखता है। त्वचा से संबंधित बीमारी हो या तनाव, रजनीगंधा के फायदे अनेक हैं।रजनीगंधा को प्रेम और पवित्रता का प्रतीक माना जाता हैदरअसल, रजनीगंधा को ‘ट्यूबरोज’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सुगंधित फूल वाला पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम पोलिएन्थेस ट्यूबरोसा है। रजनीगंधा का पौधा मैक्सिको और मध्य अमेरिका में मुख्य तौर पर पाया जाता है, लेकिन भारत में भी इसे बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। रजनीगंधा को प्रेम और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।रजनीगंधा को स्वास्थ्य के लिए भी माना गया है लाभदायककई औषधीय गुणों से युक्त रजनीगंधा को स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना गया है। सदियों से यह आयुर्वेद के लिए अहम जड़ी-बूटी रही है। रजनीगंधा यौन संचारित रोगों (एसटीई) के लिए कारगर है। जैसे कि इस पौधे के बल्ब का अर्क गोनोरिया के इलाज में बहुत मददगार साबित होता है। यही नहीं, रजनीगंधा के फूल को एक बेहतरीन मूत्रवर्धक माना गया है। रजनीगंधा के फूल का अर्क मूत्राशय की सूजन और मूत्र प्रतिधारण से पीड़ित रोगियों को पेशाब को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए रजनीगंधा का फूल है बेहद ही उपयोगीइसके अलावा, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण सूजन में भी इसे कारगर माना गया है। इसका तेल जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने के लिए काफी लाभदायक है। इसके साथ ही, त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए रजनीगंधा का फूल बेहद ही उपयोगी है। फूलों के अर्क को त्वचा पर लगाने से मुंहासे, बढ़े हुए पोर्स और तैलीय त्वचा से राहत मिलती है।तनाव, क्रोध और भ्रम पर काबू पाने में भी है सक्षमइसके अलावा, रजनीगंधा को तनाव के लिए भी अच्छा माना गया है, क्योंकि इसका फूल प्राकृतिक रूप से तनाव दूर करने वाला होता है। फूल की खुशबू मन को शांत करती है और शरीर को आराम भी देती है, जिससे चिंता, तनाव, क्रोध और भ्रम पर काबू पाया जा सकता है।
- जीवनशैली और खानपान के कारण थायराइड एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या बनती जा रही है। भारत में थायराइड रोगियों का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है। थायराइड के कारण शरीर का हार्मोन असंतुलित हो जाता है। इसकी वजह से वजन का बढ़ना, वजन घटना, थकान, डिप्रेशन, त्वचा से जुड़ी समस्याएं देखी जाती है। थायराइड को मैनेज करने के लिए अक्सर लोग दवाओं पर निर्भर रहते हैं। लेकिन खानपान और जीवनशैली में थोड़े से बदलाव करके भी थायराइड की समस्या को नियंत्रित में किया जा सकता है। खासतौर पर, सुबह सही ड्रिंक्स का सेवन करने से थायराइड की समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है।थायराइड के रोगी रोजाना सुबह पिएं इन 5 चीजों से बनी ड्रिंकइस ड्रिंक को आप सिर्फ 5 से 7 मिनट में घर पर ही तैयार कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसकी रेसिपी...ड्रिंक बनाने के लिए सामग्रीनारियल के टुकड़े- 8-10 टुकड़ेकरी पत्ते- 10धनिया के बीज- 1/2 चम्मचजीरा-1/4 चम्मचसेंधा नमक- 1/4 चम्मचबनाने का तरीका-सबसे पहले एक एक ग्राइंडर लें और उसमें कटे हुए नारियल के टुकड़ों को 1 गिलास पानी के साथ डालें।-इस मिश्रण को अच्छे से पीसकर तैयार कर लें। इस मिश्रण को छानकर नारियल का दूध निकाल लें और इसे एक गिलास में डाल दें।-अब एक और ग्राइंडर का जार लें। इसमें तैयार किया हुआ नारियल का दूध, करी पत्ते, भुना हुआ जीरा, भुना हुआ धनिया के बीज और सेंधा नमक डालें।-सभी चीजों को ग्राइंडर में अच्छे से पीसकर तैयार कर लें और एक गिलास में निकाल लें।-करी पत्ता से गार्निश करके इस हेल्दी और टेस्टी ड्रिंक का सेवन करें।थायराइड रोगियों के लिए क्यों फायदेमंद है ये ड्रिंक- धनिया के बीज और नारियल का दूध में प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार होते हैं। जिससे थायराइड के कारण होने वाली थकान और सुस्ती कम होती है।- धनिया के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो थायराइड ग्रंथि को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।- हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि नारियल के दूध में हेल्दी फैट्स और मीडियम-चेन फैटी एसिड (MCFA) होते हैं, जो थायराइड ग्रंथि के काम को सुधारने में मदद करते हैं। रोजाना इस ड्रिंक करने से थायराइड के रोगियों को एनर्जी मिलती हैं।- यह ड्रिंक पेट को ठंडा रखता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है। इस प्रक्रिया के बेहतर होने से थायराइड फंक्शन सुधरता है और बीमारियों का खतरा कम करने में मदद मिलती है।निष्कर्षथायराइड का एक गंभीर समस्या है, लेकिन कुछ विशेष प्रकार के ड्रिंक्स का सेवन करके इसे मैनेज किया जा सकता है। धनिया के बीज और नारियल का दूध दोनों ही प्राकृतिक रूप से थायराइड हार्मोन को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं। अगर आप नियमित तौर पर थायराइड को कंट्रोल करने के लिए गोली का सेवन कर रहे हैं, तो इस ड्रिंक का सेवन करने से पहले डॉक्टर से बात जरूर करें।
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गर्मियों में हाइड्रेटेड रहने के लिए जरूरी है कि आप डाइट में सीजनल फलों और सब्जियों को शामिल करें। इस मौसम में तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा और आम जैसे पौष्टिक फल बाजार में मिलते हैं। जो कि न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं होते। इस मौसम में मिलने वाला खरबूजा अगर आप सुबह-सुबह खाली पेट खाएंगे तो पोषक तत्वों के साथ एनर्जी भी मिलेगी, जिससे आपको दिनभर थकान और कमजोरी का एहसास नहीं होगा। खरबूजा एक ऐसा फल है जो कि प्राकृतिक रूप से स्वाद में बहुत मीठा होता है और इसका सेवन करने से शरीर को भरपूर मात्रा में पोषण मिलता है। इसका सेवन खाली पेट करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
खाली पेट खरबूजा खाने के फायदे - खरबूजे का सेवन गर्मियों के मौसम में जरूर करना चाहिए। इससे शरीर को अच्छी मात्रा में विटामिन C, विटामिन K, विटामिन A के साथ विटामिन B6, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कॉपर, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी सहायक हो सकते हैं। डॉक्टर ने सलाह दी कि गर्मी में खरबूजे का सेवन लाभदायक है लेकिन बरसात के मौसम में इसके सेवन से बचना चाहिए। बरसात में खरबूजा खाने से दस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।
1. गर्मियों के सीजन में मिलने वाले खरबूजे की तासीर ठंडी होते है, ऐसे में इसका सेवन सेहत के लिए बेहद लाभदायक होता है। आयुर्वेद में खरबूजे को दीपनीय फल बताया गया है, जो कि भूख को बढ़ाता है।2. खाली पेट खरबूजा खाने से शरीर के अंदर की गर्मी शांत होती है। इन दिनों लू वाला मौसम है, ऐसे में अगर आप खरबूजा खाते हैं तो आपका शरीर अंदर से ठंडा रहेगा और लू लगने का खतरा भी कम होगा।3. गर्मियों में शरीर से पसीना ज्यादा निकलता है, यही वजह है कि डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और पानी वाले फलों को खाने की सलाह देते हैं। ऐसे में खरबूजे में करीब 90 प्रतिशत पानी होता है, जब आप खरबूजा खाते हैं तो इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है।4. खरबूजा आसानी से डाइजेस्ट होता है और पेट संबंधी समस्याओं को भी कम करने में सहायक हो सकता है।5. खरबूजे में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो पाचन को सुधारता है और कब्ज को दूर करने में भी सहायक होता है।6. खरबूजे में विटामिन C होता है, जो कि स्किन को हेल्दी बनाने में सहायक होता है। इसके सेवन से स्किन पर नेचुरल ग्लो आता है।7. खरबूजे में मौजूद विटामिन B6 और मैग्नीशियम स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में सहायक हो सकते हैं।गर्मियों में खाली पेट खरबूजा खाना सेहत के लिए लाभदायक होता है। लेकिन अगर आप डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह अनुसार ही इसका सेवन करें। -
आजकल फिट रहने के लिए वॉकिंग को सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज माना जाता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है बल्कि मानसिक रूप से भी तंदुरुस्त रखती है। रोजाना टहलने से न केवल वजन कंट्रोल में रहता है, बल्कि दिल की सेहत, ब्लड शुगर लेवल और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। यही कारण है कि लोग मॉर्निंग वॉक और इवनिंग वॉक को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर किसी के लिए ज्यादा देर तक वॉक करना फायदेमंद नहीं होता? कुछ लोगों के लिए लंबे समय तक चलना नुकसानदायक साबित हो सकता है और इससे उनकी स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
किन लोगों को ज्यादा देर तक चलने से बचना चाहिए1. हार्ट डिजीज से पीड़ित लोगहार्ट संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को ज्यादा देर तक चलने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ज्यादा वॉक करने से हार्ट पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे थकान, सांस लेने में दिक्कत और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे मरीजों के लिए धीमी गति से चलना ही सही रहता है।2. जोड़ों की समस्याओं से ग्रसित लोगअगर किसी व्यक्ति को गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस या जोड़ों में दर्द की समस्या है, तो लंबे समय तक चलना उनके लिए परेशानी का कारण बन सकता है। ज्यादा चलने से घुटनों और जोड़ों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है। ऐसे लोगों को डॉक्टर की सलाह लेकर ही वॉक करनी चाहिए और हल्की एक्सरसाइज को प्राथमिकता देनी चाहिए।3. न्यूरोपैथी से ग्रसित डायबिटीज के मरीजडायबिटीज के कारण कई लोगों को न्यूरोपैथी (Neuropathy) की समस्या हो सकती है। ऐसे में ज्यादा देर तक चलना पैरों में छाले, सूजन और अन्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है।4. सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोगअस्थमा, ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए ज्यादा देर तक चलना मुश्किल हो सकता है। तेज चलने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। खासतौर पर, ठंडी या प्रदूषित हवा में लंबी वॉक करने से उनकी समस्या और बढ़ सकती है।5. कमर या पैरों में पुरानी चोट वाले लोगयदि किसी को कमर, घुटने या टखने में पुरानी चोट है, तो ज्यादा देर तक चलने से समस्या बढ़ सकती है। लंबे समय तक चलने के बजाय हल्की स्ट्रेचिंग अपनाएं। किसी भी दर्द या असहजता पर डॉक्टर से सलाह लें।6. आखिरी तिमाही में प्रेग्नेंट महिलाएंगर्भवती महिलाओं के लिए हल्की वॉकिंग फायदेमंद होती है, लेकिन लंबे समय तक चलने से पैरों में सूजन, थकान और पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। तिमाही में प्रेग्नेंट महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही वॉक करें।लंबे समय तक वॉकिंग करना सभी के लिए सही नहीं होता, खासकर उन लोगों के लिए जो किसी विशेष बीमारी या स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। अगर आपको भी इनमें से कोई समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही वॉकिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। याद रखें, सेहतमंद रहने के लिए शरीर की जरूरतों को समझना बेहद जरूरी है। - अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण अक्सर लोगों को हार्मोन्स के असंतुलित होने, वजन बढ़ने, इंसुलिन रेजिस्टेंस और पाचन से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसे में खुद को फिट और हेल्दी रखने के लिए लोग डाइट में हेल्दी फूड्स के साथ-साथ मेथी दाना, अलसी के बीज और चिया सीड्स को भी डाइट में शामिल किया जा सकता है। इनमें तीनों सीड्स में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनको पानी में भिगोकर खाने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती हैअलसी के बीज, मेथी दाना और चिया सीड्स में मौजूद पोषक तत्वअलसी के बीज में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं, साथ ही इनमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। वहीं मेथी दाने में कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, विटामिन-ए, सी और डी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। वहीं चिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनको साथ भिगोकर खाने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।कैसे करें अलसी के बीज, मेथी दाने और चिया सीड्स का सेवनइसके लिए 1 गिलास पानी में 1 चम्मच अलसी के बीज, 1 चम्मच चिया सीड्स और 1 चम्मच मेथी दानों को डालकर रातभर के लिए भिगोकर रख दें। अब सुबह के समय इसको उबालकर छान लें। अब इसमें नींबू और अदरक के रस को मिलाकर, हल्का गुनगुना रहने पर इसको खाली पेट इसका सेवन करें। इससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं, साथ ही खुद को फिट और हेल्दी रखने के लिए इनके साथ-साथ फिजिकल एक्टिविटीज भी करें।अलसी के बीज, मेथी दाने और चिया सीड्स के पानी का सेवन करने के फायदेहार्मोन्स को बैलेंस करेचिया सीड्स, अलसी के बीज और मेथी दानों में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में इनको चबाने और इनके पानी का सेवन करने से हार्मोन्स को बैलेंस करने और स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।पाचन के लिए फायदेमंदचिया सीड्स, अलसी के बीज और मेथी दानों का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने, सूजन को कम करने, गट हेल्थ को बेहतर करने, पाचन को दुरुस्त करने, कब्ज, गैस और अपच जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।वजन कम करेतीनों सीड्स में अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। ऐसे में इनका सेवन करने और इनके पानी का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने और वजन कम करने में मदद मिलती है।इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करेमेथी दाने, चिया सीड्स और अलसी के बीजों में फाइबर पाया जाता है। ऐसे में इनके पानी और इन सीड्स का सेवन करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में मदद मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।पीसीओडी से दे राहतमेथी दाने, चिया सीड्स और अलसी के बीजों तीनों को भिगोकर इनका सेवन करने से पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) जैसी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।मेथी दाने, चिया सीड्स और अलसी के बीजों को भिगोकर उसके पानी और इनका सेवन करने से हार्मोन्स को बैलेंस करने, पीसीओडी से राहत देने, इंसुलिन रेजिस्टेंस, वजन कम करने, पाचन को दुरुस्त रखने और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद मिलती है।ध्यान रहे, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- आज लगभग हर दूसरे अभिभावक का दर्द एक ही है। स्कूल से लेकर घर तक स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। पहले जहां आंखों पर लगे मोटे चश्मे माता-पिता की फिक्र बढ़ाते थे, वहीं अब विभिन्न रिसर्च में दावा किया जा रहा है कि ये बढ़ते वजन और मोटापे का कारण है। आखिर स्क्रीन टाइम का असर वजन पर कैसे पड़ता है?वजन बढ़ने का मुख्य कारण गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पानदिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में मिनिमल एक्सेस, जीआई और बैरिएट्रिक सर्जरी के निदेशक डॉ. सुखविंदर सिंह सग्गू ने बातचीत में स्क्रीन टाइमिंग और बढ़ते वजन के बीच का संबंध बताया। उन्होंने कहा, “बच्चों में वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण स्क्रीन पर जरूरत से ज्यादा समय बिताना है। और इसका मुख्य कारण गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें हैं। स्मार्टफोन, टैबलेट, टेलीविजन और गेमिंग कंसोल पर लंबे समय तक बिताने से शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे ऊर्जा की खपत कम होती है।”शारीरिक ही नहीं, बच्चों की मनस्थिति पर भी पड़ने वाले हैं दुष्परिणामचिकित्सक इससे शारीरिक ही नहीं, बच्चे की मनस्थिति पर पड़ने वाले दुष्परिणाम की भी बात करते हैं। कहते हैं, “अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे स्क्रीन पर बहुत समय बिताते हैं, वे अक्सर अनहेल्दी विकल्पों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों से प्रभावित होकर उच्च कैलोरी वाले प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाते हैं।”शोध में पता चलता है कि स्क्रीन पर बहुत ज्यादा समय बिताने से नींद के पैटर्न में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है और मोटापे का जोखिम बढ़ सकता है। बाहर खेलने और सामाजिक मेलजोल की कमी से समस्या और बढ़ जाती है, जिससे मांसपेशियों का विकास कम होता है और कुल मिलाकर फिटनेस खराब होती है।माता– पिता संतुलित पोषण को बढ़ावा देकर इन जोखिमों को कम कर सकते हैंडॉ. सग्गू इसके रिस्क को कम करने का परामर्श देते हैं। उन्होंने कहा, “माता-पिता और देखभाल करने वाले स्क्रीन-टाइम सीमा निर्धारित करके, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करके और संतुलित पोषण को बढ़ावा देकर इन जोखिमों को कम कर सकते हैं। भोजन और सोने के समय टेक्निक-फ्री जोन बनाने से भी स्क्रीन के संपर्क को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।”कह सकते हैं कि अगर बचपन से ही हेल्दी हैबिट्स डाली जाएं तो बड़े रिस्क से अपने नौनिहालों को बचा सकते हैं। बच्चे अच्छी जीवनशैली अपना सकते हैं, जिससे उनमें मोटापे और उससे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है।बढ़े वजन वाले बच्चों में कैंसर होने के चांसेस ज्यादा2018 में वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के एक शोध में दावा किया गया कि बढ़े वजन वाले बच्चों को कैंसर होने के चांसेस ज्यादा होते हैं। इसमें कहा गया कि बच्चों के बढ़ते वजन और मोटापे का एक अहम कारण स्क्रीन पर अधिक समय बिताना है। इसमें खासतौर पर कहा गया कि अधिक वजन और मोटापे से पीड़ित बच्चों के वयस्क होने पर भी ऐसा ही रहने की आशंका अधिक होती है, और ऐसे बच्चों को ही कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है।
- आज कल ज्यादातर युवाओं में बॉडीबिल्डिंग का क्रेज देखा जा रहा है। हालांकि, बॉडीबिल्डिंग करना सेहत को बेहतर बनाए रखने के साथ ही आपको भी एक सुडौल और आकर्षक लुक देता है। बॉडिबिल्डिंग करने वाले लोगों की मसल्स अन्य लोगों की तुलना में अधिक होती है। अगर आप जिम जा रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि ऐसे में हेल्दी डाइट लेना जरूरी होता है। जिम जाने वाले लोगों के लिए शकरकंद खाना कई तरीकों से फायदेमंद हो सकता है। यह आपकी बॉडीबिल्डिंग की जर्नी को और बेहतर बनाने का काम कर सकती है।शकरकंद कई पोषक तत्वों (Sweet Potato Nutrients) से भरपूर होता है, जिसे खाने से न केवल पेट, त्वचा आदि को फायदे मिलते हैं, बल्कि इसे खाने से आपको जिम में वर्कआउट करने के लिए पर्याप्त एनर्जी भी मिलती है। अगर आप बॉडीबिल्डिंग कर रहे हैं तो ऐसे में शकरकंद को डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।शकरकंद खाना कैसे फायदेमंद होता है?1. शरीर को एनर्जेटिक बनाए रखेअगर आप जिम जा रहे हैं तो ऐसे में वर्कआउट और एक्सरसाइज करने के लिए शरीर को पर्याप्त एनर्जी की जरूरत होती है। आपकी शरीर में जितनी एनर्जी होगी आप उतना ज्यादा लंबे समय तक एक्सरसाइज कर पाएंगे। शकरकंद में कार्बोहाइड्रेट्स की अच्छी मात्रा होती है, जिसे खाने से शरीर ऊर्जावान रहता है।2. मसल बिल्डिंग में करे मददबॉडीबिल्डिंग करने वाले लोग अक्सर मसल बनाने के लिए प्रोटीन और अन्य सप्लीमेंट्स को लेते हैं। मसल बिल्ड करने के लिए आप शकरकंद को डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसमें पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करने के साथ ही मांसपेशियों का निर्माण करने में अहम माना जाता है। शकरकंद मसल्स को रिपेयर करने में भी मदद करता है।3. वजन को नियंत्रित रखेबॉडीबिल्डिंग करने वालों को अक्सर अपने वजन बढ़ने का डर रहता है। इसके लिए शकरकंद खाना फायदेमंद हो सकता है। इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो लंबे समय तक पेट भरे रहने का एहसास कराता है, जिससे आप ओवरईटिंग नहीं करते हैं और वजन नियंत्रित रहता है।4. ब्लड शुगर कंट्रोल करेशकरकंद खाना आपके ब्लड शुगर लेवल पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। इसमें मिलने वाले मैग्नीशियम और पोटैशियम ब्लड शुगर को मैनेज करने का काम करते हैं। कई बार सप्लीमेंट्स लेने और प्रोटीन के चलते कैमिकल युक्त चीजें खाने से ब्लड शुगर बढ़ सकता है। इससे बचने के लिए आपको शकरकंद खानी चाहिए।बॉडीबिल्डिंग करने वाले शकरकंद कब खाएं?अगर आप बॉडीबिल्डिंग कर रहे हैं तो ऐसे में शकरकंद को वर्कआउट करने के बाद खाना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, जिम जाने से पहले इसे खाने से कई बार कार्ब्स और कैलोरी ज्यादा हो सकती है, जो आपके वर्कआउट करने के समय को प्रभावित कर सकता है। इसलिए वर्कआउट करने के 20 से 30 मिनट बाद आप शकरकंद खा सकते हैं। यह मसल्स को रिपेयर करने में भी मददगार साबित होता है।
- हर किसी का सपना होता है ग्लोइंग स्किन पाने का और आजकल तो कोरियन ग्लास स्किन भारत में भी बहुत ज्यादा फेमस हो गई है, क्योंकि यह एक चमकदार, निखरी और स्वस्थ त्वचा का प्रतीक मानी जाती है। कोरियन स्किन केयर रूटीन में चेहरे को पूरी तरह से हाइड्रेटेड और सॉफ्ट बनाए रखने पर जोर दिया जाता है, जिससे त्वचा में ग्लो और ट्रांसपेरेंसी आती है। कोरियन ग्लास स्किन का सपना आज हर किसी का होता है। एक ऐसी त्वचा जो निखरी हुई, चमकदार और स्वस्थ हो। ग्लास स्किन पाने के लिए कोरियन स्किनकेयर में बहुत सी खास तकनीकें हैं, जिनमें से एक है राइस वॉटर (चावल का पानी) का इस्तेमाल। यह एक प्राकृतिक और प्रभावी टोनर है, जो आपकी त्वचा को ग्लोइंग, स्मूद और यंग बनाता है। अगर आप भी कोरियन ग्लास स्किन पाना चाहती हैं, तो राइस वाटर टोनर आपके लिए सबसे बेहतरीन उपाय हो सकता है।चेहरे के दाग-धब्बे हटाएचावल का पानी त्वचा की रंगत को सुधारता है और पुराने दाग-धब्बों को हल्का करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन B, C त्वचा को पुनर्जीवित करते हैं, जिससे त्वचा को निखार मिलता है। यह त्वचा को साफ, मुलायम और चमकदार बनाने में मदद करता है।त्वचा को निखारेंराइस वॉटर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को शांत करते हैं और सूजन को कम करते हैं। यह त्वचा की जलन को दूर करता है, जिससे त्वचा निखरती है। इसके नियमित उपयोग से त्वचा को प्राकृतिक चमक और ग्लो मिलता है, जो स्वस्थ और सुंदर दिखता है।नमीयुक्त त्वचाराइस वॉटर त्वचा की नमी को बनाए रखता है और ड्राईनेस को दूर करता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा हाइड्रेट रहती है, जिससे वह मुलायम और लचीली बनती है। यह त्वचा को प्राकृतिक रूप से कोमल और चिकना बनाए रखता है, जिससे त्वचा स्वस्थ और तरोताजा दिखती है।एंटी-एजिंग प्रभावराइस वॉटर में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को उम्र के प्रभावों से बचाते हैं। यह झुर्रियों और उम्र से संबंधित अन्य समस्याओं को कम करता है। नियमित उपयोग से त्वचा टाइट और यंग लुक में दिखने लगती है, जिससे आपको एक ताजगी और जवानी का एहसास होता है।राइस वाटर टोनर बनाने का तरीका1. सबसे पहले आप चावल (2-3 चम्मच) लें और उसे अच्छे से धो लें, ताकि उसमें किसी भी तरह की गंदगी या केमिकल्स न हों।2. अब एक कप पानी में चावल डालकर उसे अच्छे से उबालें, और फिर उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।3. जब पानी ठंडा हो जाए, तो इसे छानकर एक बोतल में भर लें।4. अब आपका राइस वाटर टोनर तैयार है। आप इसे एक साफ बॉटल में भरकर फ्रिज में भी स्टोर कर सकती हैं।उपयोग का तरीका- रोजाना साफ चेहरे पर इस राइस वाटर टोनर को लगाने के लिए एक कपास की गेंद या टोनर पैड का इस्तेमाल करें।- इसे हल्के हाथों से चेहरे पर लगाएं और फिर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें ताकि यह त्वचा में समा जाए।- आप इसे दिन में 2-3 बार इस्तेमाल कर सकती हैं।
- खाने का स्वाद बढ़ाने और स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर भारतीय घरों में हींग का उपयोग किया जाता है। यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग होता है, बल्कि इसका इस्तेमाल सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। हींग का उपयोग पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। हींग में ऐसे गुण होते हैं, जो पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होते हैं। इसलिए, आप अगर आपको भी पाचन से जुड़ी समस्याएं हैं, तो आप हींग का इस्तेमाल अपनी डाइट में अलग-अलग तरह से कर सकते हैं।1. खाना बनाते समय हींग का उपयोगभारत के ज्यादातर घरों में हींग का उपयोग दाल, सब्जी और मसालेदार खाना पकाने के दौरान किया जाता है। खाना पकाने के दौरान उसमें हींग डालने से पाचन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। दरअसल हींग में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो एसिडिटी की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है। खासकर, दाल या सब्जी में हींग डालने से पेट में जलन और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।2. हींग का पानीपाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आप अपनी डाइट में हींग का पानी भी शामिल कर सकते हैं। हींग का पानी पीने के लिए आप एक गिलास गुनगुने पानी में एक चुटकी हींग डालकर उसे अच्छे से मिला लें और फिर सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करें। यह पानी न सिर्फ आपके पाचन को मजबूत बनाती है, बल्कि गैस और एसिडिटी जैसी समस्याओं को भी दूर करता है। अगर आपको पेट में भारीपन या अपच की समस्या महसूस हो तो आप हींग का पानी पी सकते हैं।3. छाछ में मिलाकरछाछ गट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह एक नेचुरल प्रोबायोटिक होता है, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। छाछ में हींग डालकर पीने से पाचन बेहतर रखने में मदद मिल सकती है। इसके लिए, आप एक गिलास छाछ में एक चुटकी हींग डालें और उसे अच्छे से मिलाकर पी लें। छाछ में हींग मिलाकर पीने से पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। छाछ में हींग मिलाकर पीने से पेट की ऐंठन, ब्लोटिंग और कब्ज की समस्याओं से राहत पाने में मदद मिलती है।4. सूप में मिलाकरपाचन को सुधारने के लिए आप सूप में हींग मिलाकर भी पी सकते हैं। जब आप सूप बना रहे हों, तो उसमें एक चुटकी हींग डाल दें। हींग का उपयोग करने से न सिर्फ सूप का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि पाचन को भी बढ़ावा मिलता है। सूप में हींग डालने से पेट में मौजूद खराब बैक्टीरिया कम होते हैं और पाचन तंत्र अच्छी तरह से काम करता है। खासकर अगर सूप में गाजर, टमाटर, या अन्य हरी सब्जियां डाली जाएं, तो यह पाचन के लिए ज्यादा फायदेमंद बनता है।निष्कर्षहींग का उपयोग पाचन को बेहतर बनाने के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसे आप अपनी डाइट में अलग-अलग तरीकों से शामिल कर सकते हैं। लेकिन, इसकी मात्रा का खास ध्यान रखें, ताकि ये ज्यादा मात्रा में हींग का सेवन आपके सेहत को नुकसान न पहुंचाएं।
- कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण खनिज है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ-साथ हमारे रक्तचाप, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के सही संचालन में भी मदद करता है।यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो, तो हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे फूड्स भी हैं जो शरीर से कैल्शियम को खत्म कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर बना सकते हैं? आइए जानते हैं, वो कौन से फूड्स हैं जिनसे आपको बचना चाहिए।1. कोल्ड ड्रिंककोल्ड ड्रिंक, खासकर सॉफ्ट ड्रिंक्स, हर पार्टी या समारोह का हिस्सा बन जाते हैं। हालांकि, इन्हें ज्यादा मात्रा में पीने से शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। इन ड्रिंक्स में फॉस्फोरिक एसिड पाया जाता है, जो शरीर से कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है। इसके परिणामस्वरूप हड्डियों का कैल्शियम धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसलिए अगर आप हड्डियों को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो कोल्ड ड्रिंक का सेवन कम से कम करें।2. रेड और प्रोसेस्ड मीटरेड मीट (जैसे मांसपेशी वाले मांस) और प्रोसेस्ड मीट (जैसे सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग्स) का सेवन अत्यधिक करने से यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है, जो हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यह पदार्थ शरीर के भीतर कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं। इसलिए, अगर हड्डियों की सेहत का ख्याल रखना है, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करना चाहिए।3. केक, कैंडी और कुकीजकेक, कैंडी और कुकीज जैसे मीठे और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में अत्यधिक शक्कर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो कैल्शियम के अवशोषण में रुकावट डालते हैं। इसके अतिरिक्त, ये फूड्स शरीर में सूजन का कारण बन सकते हैं, जिससे हड्डियां और भी कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, इन अत्यधिक मीठे पदार्थों को नियमित रूप से खाने से बचें और स्वस्थ स्नैक्स का चयन करें।4. चायचाय में कैफीन पाया जाता है, जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करता है। अगर आप अधिक चाय पीते हैं, तो यह आपकी हड्डियों के लिए खतरनाक हो सकता है। विशेष रूप से अधिक कैफीन वाले चाय या कॉफी का सेवन हड्डियों से कैल्शियम को निकाल सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, चाय का सेवन सीमित करें और अधिक पानी या कैल्शियम से भरपूर अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें।5. शराबशराब का अत्यधिक सेवन हड्डियों की सेहत पर गहरा असर डालता है। शराब शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करती है और हड्डियों को कमजोर कर सकती है। यह हड्डियों को चूने के समान बना सकती है और हड्डी के फ्रैक्चर (हड्डी टूटने) का खतरा बढ़ा सकती है। अगर आप हड्डियों को मजबूत रखना चाहते हैं तो शराब का सेवन बहुत सीमित करें।6. ऑयली फूड्सऑयली फूड्स जैसे समोसा, फ्राइड चिकन, पकोड़ी, आदि हड्डियों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। ये अत्यधिक वसा और असंतुलित फैट्स से भरपूर होते हैं, जो शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित हो सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इन फूड्स को सीमित मात्रा में ही खाएं और स्वस्थ, हल्का भोजन करें।कैल्शियम हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण है और इसके सही अवशोषण के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। अगर आप अपने हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करें या पूरी तरह से बचें:कोल्ड ड्रिंकरेड और प्रोसेस्ड मीटकेक, कैंडी, कुकीजज्यादा चाय और कॉफीअत्यधिक शराबऑयली और फ्राइड फूड्सइसके बजाय, कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, नट्स और बीज आदि का सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम और हड्डियों को मजबूत करने वाली आदतों को अपनाने से भी आप अपनी हड्डियों को स्वस्थ रख सकते हैं।
- कोरोना काल के बाद से गिलोय को लगभग हर घर में पहचान मिली है। ऐसे में अब गिलोय को नई रिसर्च सामने आई है। दरअसल, बायोमेडिकल और लाइफ साइंसेज रिसर्च के लिए वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त डेटाबेस पबमेड के डेटा से पता चलता है कि पिछले एक दशक में गिलोय ( टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ) के बारे में शोध प्रकाशनों की संख्या में 376.5% की चौंका देने वाली वृद्धि हुई है, जो पौधे की चिकित्सीय क्षमता में बढ़ती वैश्विक रुचि को उजागर करती है। ‘गुडुची या टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया या अमृता ‘ पर अध्ययनों के लिए डेटाबेस की खोज करने पर, परिणाम 2014 में प्रकाशित 243 अध्ययनों को दर्शाते हैं। इसके विपरीत, 2024 में, संख्या बढ़कर 913 हो गई, यानी 376.5% की वृद्धि।कोविड के बाद गिलोय को लेकर चल रहे हैं रिसर्चगुडुची एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है जिसे गिलोय के नाम से जाना जाता है और आयुष प्रणालियों में इसका उपयोग लंबे समय से चिकित्सा में किया जाता रहा है। वैज्ञानिक लंबे समय से गिलोय के औषधीय गुणों से आकर्षित हैं, कोविड-19 महामारी के बाद के वर्षों में अनुसंधान में बड़ी वृद्धि देखी गई क्योंकि विशेषज्ञों ने प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर और समग्र स्वास्थ्य सेवा समाधानों की खोज की। उभरते हुए अध्ययन इसके प्रतिरक्षा-संशोधक, एंटीवायरल और एडाप्टोजेनिक गुणों को पुष्ट करते हैं, जिससे यह वैश्विक शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवा चिकित्सकों के बीच गहरी रुचि का विषय बन गया है।आयुष में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “गिलोय जैसे औषधीय पौधों सहित आयुष योग, जड़ी-बूटियों आदि का वैज्ञानिक सत्यापन मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम वैश्विक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने के लिए अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने, वैज्ञानिक अध्ययनों को वित्तपोषित करने और आयुर्वेद को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं के साथ साक्ष्य-आधारित एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”गिलोय इतना खास क्यों है?बढ़ती संख्या में हो रहे नैदानिक अध्ययनों और प्रयोगशाला अनुसंधान से पता चलता है कि गिलोय कैंसर चिकित्सा, स्वप्रतिरक्षी रोग प्रबंधन और यहां तक कि सूजन संबंधी विकारों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गालिब बताते हैं, “गिलोय पर वैज्ञानिक शोध जोर पकड़ रहा है, और इसके औषधीय गुणों को दर्शाने वाले अध्ययनों में लगातार वृद्धि हो रही है। हालिया शोध में इसके जैवसक्रिय यौगिकों और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तथा सूजन रोधी गुणों सहित इसके चिकित्सीय लाभों पर प्रकाश डाला गया है। इस बढ़ती रुचि ने गिलोय को विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में भविष्य के नैदानिक अनुप्रयोगों के लिए एक आशाजनक उम्मीदवार के रूप में स्थापित किया है।”गिलोय और वैज्ञानिक शोध: कुछ नवीनतम निष्कर्षफरवरी 2025: हर्षा वाघासिया (यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ साइंसेज, गुजरात यूनिवर्सिटी) और उनकी टीम द्वारा पबमेड में प्रकाशित एक अध्ययन में एचपीवी-पॉजिटिव सर्वाइकल कैंसर के उपचार में गिलोय के अर्क की भूमिका की जांच की गई। निष्कर्षों में गिलोय के संभावित इम्यूनोमॉड्यूलेटरी लाभों पर प्रकाश डाला गया है, जो पारंपरिक उपचारों के साथ मिलकर सुरक्षित, अधिक प्रभावी कैंसर उपचारों का मार्ग प्रशस्त करता है।जनवरी 2025 : अंकिता दास शेठ के नेतृत्व में टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई के शोधकर्ताओं ने इडियोपैथिक ग्रैनुलोमेटस मैस्टाइटिस (आईजीएम) जो एक कम घातक लेकिन चुनौतीपूर्ण स्तन विकार है जिसे अक्सर कैंसर समझ लिया जाता है, के प्रबंधन में गिलोय की प्रभावशीलता का पता लगाया। अध्ययन में बताया गया कि गिलोय-आधारित फाइटोफार्मास्युटिकल दवाएं एक सुरक्षित, स्टेरॉयड-मुक्त उपचार विकल्प प्रदान करती हैं, जो आक्रामक सर्जरी से बचने के लिए किफायती और कुशल विकल्प प्रदान करती हैं।आयुष मंत्रालय ने तकनीकी डोजियर के साथ विद्वानों को सक्रिय सहयोग दियागिलोय में बढ़ती वैज्ञानिक रुचि को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने इस जड़ी-बूटी पर एक तकनीकी डोजियर जारी करके एक सक्रिय कदम उठाया है। यह अनूठा संसाधन पारंपरिक चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सीय अनुप्रयोगों और महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि को जोड़ता है।पारंपरिक आयुर्वेद ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान के साथ एकीकृत करके, इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों और आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना है, तथा समग्र स्वास्थ्य और एकीकृत चिकित्सा में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ करना है।गिलोय के औषधीय गुणों को प्रमाणित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययनों के जारी रहने के साथ, विशेषज्ञों का मानना है कि यह आयुर्वेदिक चमत्कार मुख्यधारा का एकीकृत स्वास्थ्य सेवा समाधान बनने की राह पर है। जैसे-जैसे दुनिया प्राकृतिक, पौधों पर आधारित उपचारों की ओर देख रही है, भारत का सदियों पुराना हर्बल ज्ञान हमारे समय की कुछ सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए सुरक्षित, अधिक प्रभावी उपचारों की कुंजी हो सकता है।
- पुराने समय में लोग तांबे के बर्तन में पानी पीना फायदेमंद मानते थे। आपने अपनी दादी-नानी को भी तांबे के बर्तन को इस्तेमाल करते तो जरूर देखा होगा। अगर स्वास्थ्य लाभों की और देखा जाए, तो तांबा हमारी सेहत के लिए जरूरी धातु है। जब इसमें रखा हुआ पानी पिया जाता है, तो कॉपर भी हमारे शरीर में जाता है। तांबा डाइजेशन बेहतर बनाने के लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। मॉडर्न जनरेशन में भी कई लोग तांबे के बर्तनों को इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग तांबे की बोतल इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी सफाई का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक तांबे की बोतल को फ्रीज में रखने से सेहत को नुकसान हो सकता है।जानें तांबे की बोतल को फ्रीज में रखने की मनाही क्यों होती है?एक्स्ट्रीम टेम्परेचर के कारण मेटल सेंसिटिविटी हो सकती है, जिस कारण तांबे की बोतलों को फ्रिज में रखने की मनाही होती है। दरअसल, ठंडे तापमान ज्यादा देर रखने के कारण तांबा तेजी से सिकुड़ने लगता है, इस कारण इसमें दरारें या टूट-फुट हो सकती है।बोतल की क्वालिटी खराब हो सकती हैतांबे की बोतल को फ्रिज में रखने के कारण ये लंबे समय तक काम नहीं कर पाएगी। इसके अलावा, टेम्परेचर अचानक बदलने के कारण बोतल की क्वालिटी खराब हो सकती है। इससे समय के साथ बोतल में खराबी आ सकती है या इसके लीक होने का खतरा बढ़ सकता है।तांबे से मिलने वाले फायदे कम हो जाते हैंतांबे की बोतल में पानी जमने से बोतल पर प्रेशर पड़ने लगता है। इसके कारण कंटेनर को नुकसान भी हो सकता है। तांबा पानी के साथ रिएक्ट करके कॉपर आयनों को बनाता है। लेकिन तापमान जितना ज्यादा ठंडा होता है यह प्रोसेस उतना स्लो हो जाता है। इससे बोतल में मौजूद पानी का पीएच बैलेंस भी बदल सकता है और इससे तांबे से मिलने वाले फायदे भी कम हो सकते हैं।एक्सपर्ट के मुताबिक पानी को तांबे की बोतल की बजाय बड़े बर्तन में स्टोर करके रखना ज्यादा फायदेमंद है। साथ ही, इसे फ्रीज के बजाय रूम टेम्प्रेचर पर रखना ज्यादा फायदेमंद होगा।
- काजू खाना सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होता है। काजू में थायमिन, विटामिन बी-6, पोटैशियम, आयरन और मैग्नीशियम आदि जैसे कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जिन्हें खाने से हार्ट की बीमारियों का खतरा कम होने के साथ-साथ त्वचा को भी कई फायदे मिलते हैं। काजू खाने से पाचन तंत्र बेहतर होने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल की भी मात्रा कम होती है। हालांकि, ज्यादा काजू खाना आपके लिए कई तरीकों से नुकसानदायक भी हो सकता है।काजू खाना महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसे खाने से महिलाओं की कई स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं। काजू महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस को ठीक करने के साथ-साथ प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण के विकास में मददगार साबित होता है।महिलाओं के लिए काजू खाने के फायदे1. हार्मोनल इंबैलेंस दूर करेमहिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस होना एक आम समस्या है। यह समस्या शरीर में होने वाले बदलावों के चलते ज्यादातर महिलाओं को होता है। इसे दूर करने के लिए आप काजू का सेवन कर सकती हैं। काजू खाना महिलाओं के हार्मोन्स के लिए बेहतर होते हैं। इसमें मैग्नीशियम होता है, जिसे खाने से हार्मोन्स रेगुलेट होते हैं साथ ही हार्मोन्स का असंतुलन कम होता है।2. हड्डियों के लिए फायदेमंदआमतौर पर महिलाओं को हड्डियों से जुड़ी समस्या और जोड़ों में दर्द की समस्या रहती है। इस स्थिति में काजू खाना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें फॉसफोरस, जिंक और कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। इसे खाने से महिलाओं के जोड़ों में दर्द कम होने के साथ-साथ हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है।3. डिलीवरी के बाद खाना फायदेमंदडिलीवरी के बाद काजू खाना महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसे खाने से पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा कम होने के साथ-साथ हड्डियों के लिए भी मददगार साबित होता है। आमतौर पर डिलीवरी के बाद महिलाओं को कमजोरी होने लगती है। इससे बचने के लिए आप काजू का सेवन कर सकती हैं। इसे खाने से डिलीवरी के बाद महिलाओं में ऊर्जा आती है।4. हार्ट के लिए फायदेमंदकाजू खाना हार्ट से जुड़ी समस्याओं में भी काफी फायदेमंद माना जाता है। काजू खाने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है साथ ही साथ काजू में मोनोसैचुरेटेड और पॉलिअनसैचुरेटेड फैट की मात्रा होती है। इसे खाने से अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और खराब यानि बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है। इससे हार्ट से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।5. बीमारियों से बचाव में मददगारकाजू खाना कई स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में मददगार होता है। महिलाओं में कई बार इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। काजू खाना आपको इंफेक्शन से बचाने में फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिसे खाने से हार्ट स्ट्रोक, हार्ट डिजीज और कैंसर आदि तक का खतरा काफी कम होता है।
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गुनगुना पानी शरीर को फिट रखने में काफी हद तक मदद कर सकता है। फिटनेस फ्रीक और सेलिब्रिटीज भी इस बात को मानते हैं और फैंस को भी हेल्दी रहने की टिप्स शेयर करते रहते हैं। गुनगुना पानी बॉडी को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है और इससे शरीर की कई बीमारियां दूर हो सकती है। लेकिन क्या आपको इसे पीना का सही समय पता है? ज्यादातर लोग गर्म पानी पीने का सही समय नहीं जानते हैं। ऐसे में इस आर्टिकल में जानते हैं गर्म पानी पीने का सही समय और रोजाना पीने के कुछ जबरदस्त फायदे।
कब है गर्म पानी पीने का सही समय?
वैसे तो आप दिनभर में कभी भी गर्म पानी पी सकते हैं, लेकिन गर्म पानी पीने का सबसे अच्छा समय सुबह उठते ही, सोने से ठीक पहले और खाने से पहले है। सुबह गर्म पानी पीने से पाचन और हाइड्रेशन में मदद मिल सकती है। हालांकि गर्म पानी पीते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए जैसे पानी का तापमान आपके लिए आरामदायक होना चाहिए, बहुत ज्यादा गर्म पानी नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसके अलावा आप अपने गर्म पानी में स्वाद भी मिला सकते हैं। जैसे शहद और नींबू का रस, दालचीनी का टुकड़ा, सौंफ वगैराह, ये सभी चीजें मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद करती हैं। इसी के साथ खाने से कम से कम 30 मिनट पहले या बाद में गर्म पानी पीना अच्छा माना जाता है।
गर्म पानी पीने के फायदे?
1) गर्म पानी पीने से पाचन में सुधार होता है। इसके अलावा गर्म पानी पीना कब्ज की शुरुआत को रोकने में फायदेमंद हो सकता है।
2) गर्म पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बूस्ट हो सकता है, जिससे कैलोरी को तेजी से बर्न करने में मदद मिलती है।
3) पर्याप्त पानी पीने से आराम और खुशी महसूस करने में मदद मिल सकती है। गर्म पानी तनाव से राहत और बॉडी को रिलेक्स करने में मदद कर सकते हैं।
4) सुबह गर्म पानी पीने से आपके पाचन तंत्र को जगाने और टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद मिल सकती है। -
सर्दियां खत्म होकर अब गर्मियां शुरू होने वाली है। दिन में होने वाली तेज धूप को देखते हुए बहुत से लोगों ने स्वेटर पहनना भी बंद कर दिया है और गर्मियों के कपड़े पहनना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग बदलते मौसम में सीजनल बीमारियां हो रही हैं। सुबह शाम की ठंड और दिन की धूप के चलते बहुत लोग खांसी और जुकाम के शिकार हो रहे हैं। इससे निपटने के लिए एंटीबायोटिक दवाइयां खाई जाती हैं, लेकिन ये सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए बेहतर है कि आप कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर सर्दी, खांसी, फ्लू, गले की खराश को ठीक कर लें। देखिए कुछ बेहतरीन घरेलू नुस्खे-
बहुत फायदेमंद हैं नमक के पानी के गरारे
नमक के पानी से गरारा करने से रेस्पिरेट्री इनफेक्शन से बचा जा सकता है। यह सर्दी-खांसी जुकाम के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है। अगर आप रोजाना नमक के पानी के गरारे करते हैं तो गले में मौजूद संक्रामक बैक्टीरिया बाहर निकल आते हैं। जिससे कि संक्रमण का खतरा काम हो जाता है।
कई समस्याओं में काढ़ा पीकर मिलेगा आराम
अगर आप बदलते मौसम में सर्दी, खांसी जैसी समस्याओं से परेशान नहीं होना चाहते हैं या फिर आप इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो तुलसी, अदरक, काली मिर्च को एक साथ मिलाकर काढ़ा बनाएं और पिएं। इसे पीने से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। और अगर आपको खांसी-जुकाम हो गया है तो इसे पीकर आराम मिल जाता है।
खराश से आराम दिलाएगा अदरक और शहद
अदरक का रस और शहद मिलाकर पीने से फ्लू के लक्षण पर नियंत्रण पाने में मदद करते हैं और जिन लोगों को गले की खराश है उन्हें आराम मिलता है। यह नुस्खा गले की खराश और सर्दी-खांसी से तुरंत आराम पाने के लिए बेस्ट है। इसमें शहद का इस्तेमाल किया जाता है जो इम्यूनिटी बढ़ाकर संक्रमण के खतरे को कम करता है। - खराब खानपान और बिगड़ते ओवरऑल लाइफस्टाइल ने हमें ढेरों बीमारियां मुफ्त दी हैं। हालात ये हैं कि आज हार्ट से जुड़ी बीमारियां भी काफी कॉमन होती जा रही हैं। हार्ट अटैक के मामले भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। अब यह तो हम सभी जानते हैं कि हार्ट अटैक आने पर यदि व्यक्ति को समय पर सही इलाज मिल जाए तो जान बचाई जा सकती है। लेकिन कई बार लोगों की कुछ कंफ्यूजन और गलतियां स्थिति को काफी खराब कर सकती हैं। जैसे हार्ट अटैक आने पर आमतौर पर सीने में बड़ा तेज दर्द उठता है, जिसे लोग अक्सर गैस का दर्द समझकर उतना सीरियस नहीं लेते। कई बार वो घर पर ही गैस की दवाइयां और नुस्खे ट्राई करते रह जाते हैं, जिससे जानलेवा स्थिति बन सकती है। आज हम आपकी इसी कंफ्यूजन को दूर करने का काम करेंगे और जानेंगे कि सीने में उठने वाला गैस का दर्द और कार्डियक पेन किस तरह से अलग होता है।गैस बनने के होते हैं ये लक्षणकई बार खाना सही से ना पचने या कमजोर पाचन की वजह से पेट में गैस की समस्या हो जाती है। गैस का दर्द पेट के अलावा सीने और शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है। जब भी आपके सीने में गैस की वजह से दर्द होता है तो इसके साथ आमतौर पर पेट फूलना, डकार आना, जी मिचलाना, पेट में ऐंठन या किसी तरह का दर्द जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। कई बार ऐसा दर्द फूड पॉइजनिंग और फूड इंटॉलेरेंस की वजह से भी हो सकता है। अगर आपको सीने में दर्द होने के साथ पेट से जुड़े इस तरह के कुछ लक्षण और भी देखने को मिल रहे हैं, तो यह ज्यादातर गैस बनने का ही मामला है।हार्ट अटैक के लक्षणसीने में उठ रहा तेज दर्द हार्ट अटैक का संकेत भी हो सकता है। इस दौरान छाती में बहुत ही तेज दर्द होता है और इसके साथ एक तरह का दवाब भी महसूस होता है। हार्ट अटैक वाले दर्द में आपको जी मिचलान, हल्का-हल्का महसूस होना, घबराहट होना, सांस लेने में तकलीफ होना या काफी पसीना आना; जैसे कई लक्षण महसूस हो सकते हैं। कई बार ये दर्द बाएं कंधे सहित दोनों हाथों में भी फैल सकता है। इसके अलावा दिल की धड़कन का तेज होना भी इसके संकेत हो सकते हैं।ऐसे करें दोनों में अंतरयदि आपके सीने में तेज दर्द उठ रहा है तो आपको हर हाल में अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। हालांकि आप कुछ बातों से स्थिति की गंभीरता का पता जरूर लगा सकते हैं। गैस की वजह से होने वाले दर्द और हार्ट अटैक में सांस बेसिक अंतर यही है कि गैस के दर्द में आपको डकार आने, पेट फूलने या दर्द होने, पेट और सीने में जलन या चुभन जैसी समस्याएं देखने को मिलेंगी। वहीं अगर मामला हार्ट अटैक का है तो सीने के साथ कंधों, हाथों और यहां तक कि जबड़े और मुंह तक भी दर्द फैल सकता है। इसके अलावा धड़कन तेज होना, पसीना आना और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- अकसर होटल या रेस्त्रां में खाना खाने के बाद बिल के साथ वेटर सौंफ-मिश्री साथ जरूर लाता है। क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं? दरअसल भोजन के बाद सौंफ चबाने से खाना आसानी से पच जाता है। लेकिन सेहत के लिए सौंफ चबाने के फायदे सिर्फ पाचन को बेहतर बनाने तक ही सीमित नहीं हैं। रोजाना खाना खाने के बाद सौंफ चबाने से आप अपने बढ़ते वजन को भी आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं।आइए जाते हैं रोजाना सौंफ चबाने से सेहत को मिलते हैं क्या गजब के हेल्थ बेनेफिट्स।सेहत के लिए सौंफ चबाने के फायदेडाइजेशन बनाए बेहतरजिन लोगों को पाचन संबंधित समस्याएं रहती हैं, उनके लिए अकसर खाना पचाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सौंफ का सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाकर ब्लोटिंग, एसिडिटी, गैस, अपच जैसी समस्याओं को दूर करके पाचन क्रिया को सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है।वेट लॉससौंफ में कैलोरी की मात्रा कम और फाइबर की अधिकता होती है। जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखती है, जिससे वेट को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। पेट की चर्बी से निजात पाने के लिए रोजाना सुबह-शाम सौंफ का पानी उबालकर पी सकते हैं। सौंफ का पानी पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाकर फैट स्टोरेज को कम करने में मदद करता है।एसिडिटी में फायदेमंदकुछ लोगों को भोजन करने के तुरंत बाद गैस और एसिडिटी की शिकायत होने लगती है। ऐसे लोगों के लिए सौंफ का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। सौंफ में मौजूद प्राकृतिक गुण पाचन अग्नि को शांत करके एसिडिटी की समस्या में राहत देते हैं।मुंह की बदबूसौंफ खाने से मुंह की बदबू दूर होती है। सौंफ में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण मुंह में पनपने वाले बैक्टीरिया से लड़ते हैं। इसके अलावा सौंफ चबाने से मुंह में लार का उत्पादन बढ़ता है, जिससे मुंह में बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया खत्म होते हैं। यह एक तरह का माउथ फ्रेशनर है, जो मुंह के बैक्टीरिया को मारकर मुंह की दुर्गंध को दूर करता है।हाई ब्लड प्रेशर में राहतसौंफ के नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिल सकती है। सौंफ में मौजूद पोटैशियम और फाइबर की मात्रा, दिल की सेहत और रक्तचाप को कम करने में मदद करती है। सौंफ में मौजूद नाइट्रेट भी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है।
- ज्यादातर लोग दही को खाने के साथ खाना पसंद करते हैं। इंडियन थाली में भी दही जरूर शामिल होता है। गर्मियों के मौसम में इसका सेवन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। दही का स्वाद बढ़ाने के लिए लोग इसमें कुछ मसाले और नमक मिलाना पसंद करते हैं। लेकिन माना जाता है कि दही को बिना नमक मिलाए ही खाना चाहिए। यहां हम कारण बता रहे हैं कि आखिर दही में नमक क्यों नहीं मिलाना चाहिए और किस तरह से आप इसे खा सकते हैं।दही में क्यों नहीं मिलाना चाहिए नमकआयुर्वेद और कुछ हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक दही में नमक मिलाने की सलाह नहीं दी जाती है। माना जाता है कि दही में नमक फायदेमंद बैक्टीरिया को मार सकता है, जिससे इसके प्रोबायोटिक फायदे खत्म हो सकते हैं। सरल शब्दों में समझें तो दही में नमक मिलाने से गुड बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं जो अच्छे आंत स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होते हैं। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि दही में नमक की थोड़ी मात्रा पाचन में मदद कर सकती है। लेकिन ज्यादा नमक पाचन संतुलन को बिगाड़ सकता है।कैसे खाएं दहीआयुर्वेद एक्सपर्ट्स दही में चीनी या गुड़ मिलाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा आप दही में काली मिर्च या फिर भुना जीरा पाउडर भी मिला सकते हैं। अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं तो दही में चीनी या गुड़ मिलाकर खा सकते हैं। दही में मौजूद चीनी ब्लड शुगर को बूस्ट करने में मदद करती है, जिससे आपको तुरंत एनर्जी मिलती है। अगर आप एनर्जी की कमी महसूस कर रहे हैं तो मीठा दही फायदेमंद साबित हो सकता है। हालांकि, डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए इस तरह दही खाना सही नहीं है।दही में नमक डालकर खाने वाले जानें ये जरूरी बातनमक सोडियम का एक जरूरी स्रोत है, जो शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। यह गर्म मौसम में या कसरत के बाद खासतौर से फायदेमंद हो सकता है। रिपोर्ट्स का कहना है कि नमक के साथ दही खाने से खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स को फिर से भरने में मदद मिल सकती है। हालांकि, बहुत ज्यादा नमक डालने से बचें।
- बढ़ती उम्र में व्यक्ति को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है। ऐसे में महिला हो या पुरुष दोनों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, 50 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कई महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। ऐसे में खासतौर पर महिलाओं को हड्डियों की मजबूती, हार्मोनल संतुलन, हृदय स्वास्थ्य और त्वचा की देखभाल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत बढ़ जाती है। इस उम्र में सही सप्लीमेंट्स लेना न केवल बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि एनर्जी के लिए भी आवश्यक होता है।50 से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए 5 जरूरी सप्लीमेंट्सओमेगा-3 फैटी एसिडओमेगा-3 फैटी एसिड हृदय को स्वस्थ रखने, सूजन को कम करने और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में सहायक होता है। मछली, अखरोट और अलसी के बीज ओमेगा-3 के प्राकृतिक स्रोत हैं, लेकिन यदि इनका सेवन पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रहा है, तो ओमेगा-3 सप्लीमेंट लेना फायदेमंद रहेगा।कोलेजन सप्लीमेंटउम्र बढ़ने के साथ त्वचा में झुर्रियां आना और जोड़ों में दर्द होना आम बात है। कोलेजन सप्लीमेंट त्वचा की लोच बनाए रखता है और जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। यह नाखून और बालों को भी मजबूत बनाता है।कैल्शियम और विटामिन डी50 की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) का खतरा बढ़ जाता है। कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक है, जबकि विटामिन डी इसकी अवशोषण क्षमता को बढ़ाता है। दूध, पनीर, दही और धूप में समय बिताने के अलावा, कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेना हड्डियों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।मैग्नीशियममैग्नीशियम शरीर की नसों और मांसपेशियों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक है। यह तनाव को कम करने, अच्छी नींद लाने और हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। गहरे हरे पत्तेदार सब्जियां, नट्स और बीज मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं, लेकिन सप्लीमेंट के रूप में लेना भी लाभकारी हो सकता है।विटामिन बी12उम्र बढ़ने के साथ शरीर में विटामिन बी12 की कमी होना आम समस्या है, जिससे कमजोरी, थकान और याददाश्त में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह विटामिन रेड ब्लड सेल्स बनाने, ऊर्जा बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। विटामिन बी12 सप्लीमेंट खासतौर पर उन महिलाओं के लिए आवश्यक है जो शाकाहारी हैं।50 की उम्र के बाद महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उचित आहार के साथ सही सप्लीमेंट्स लेने से हड्डियों की मजबूती, हृदय स्वास्थ्य, त्वचा की चमक और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखना आसान हो सकता है। किसी भी सप्लीमेंट को लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह आपके शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार सही है। स्वास्थ्यमंद जीवनशैली अपनाकर आप उम्र बढ़ने के बावजूद भी ऊर्जावान और सक्रिय बनी रह सकती हैं।
- अच्छी सेहत का सबसे पहला नियम यही है कि आपका खानपान अच्छा हो। रोजाना यदि आप थोड़े बहुत वर्कआउट के साथ एक अच्छा संतुलित आहार ले रहे हैं, तो कई लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों का खतरा तो यूं ही टल जाता है। हालांकि खाने में क्या खा रहे हैं, इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि कब खा रहे हैं। मॉडर्न साइंस हो या आयुर्वेद, दोनों ही इस बात से सहमत हैं कि खाना खाने का सही समय बहुत ज्यादा मायने रखता है। ऐसी ही कुछ चीजें हैं जो आपको रात के समय खाने से बचना चाहिए। अगर आप रात में इन फूड्स को खाते हैं, तो ये कई बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं। इन्हें खाने से पाचन संबधी बीमारियों के साथ कई और हेल्थ इश्यूज भी हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं रात में किन चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए।ठंडी तासीर वाली चीजें ना खाएंरात में सोने से पहले आपको ठंडी तासीर वाली चीजें खाने से परहेज करना चाहिए। दही, चावल, तरबूज, गन्ने का जूस, अनानास और ऐसी कई चीजें हैं जिनकी तासीर काफी ठंडी होती है। रात में इन चीजों को खाने से कफ की समस्या हो सकती है, जिसके चलते बलगम, जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। हालांकि जिन लोगों को किसी तरह की हेल्थ से जुड़ी हुई परेशानी नहीं है वो गर्म चावल खा सकते हैं।ज्यादा तेल और मसाले वाला खाना खाने से बचेंयूं तो आपको नॉर्मली ही ज्यादा तेल और मसाले वाला खाना खाने से बचना चाहिए लेकिन रात के समय तो खासतौर से ऐसा खाने से बचें। रात के समय ऐसा खाना खाने से पाचन से जुड़ी हुई समस्या हो सकती हैं। इसके अलावा जब आप ज्यादा ऑयली और मसालेदार भोजन कर के सो जाते हैं, तो मोटापे का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही कई लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों के होने के चांस भी बढ़ जाते हैं।ना खाएं ज्यादा स्टार्च या कार्ब रिच फूडरात के समय आपको ज्यादा स्टार्च या कार्बोहाइड्रेट वाले फूड खाने से भी परहेज करना चाहिए। ऐसा करने से आपका ब्लड शुगर लेवल तेजी से स्पाइक होता है। दरअसल कार्ब्स मेटाबॉलाइज हो कर शुगर में कन्वर्ट होते हैं, जो तेजी से आपका वजन बढ़ा सकते है। इसके अलावा ये पचाने में भी पाचन संबंधी परेशानियां भी पैदा कर सकते हैं। जिसका असर आपकी स्लीप साइकिल और ओवरऑल हेल्थ पर पड़ सकता है।ज्यादा पानी वाली चीजें खाने से करें परहेजरात के समय आपको ज्यादा पानी वाली चीजों के सेवन से भी बचना चाहिए। ये चीजों यूं तो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती हैं लेकिन रात के समय इन्हें खाने से ज्यादा नुकसान होता है। तरबूज, नारियल पानी, खरबूजा, नींबू पानी, दही, लस्सी आदि ऐसी ही कुछ चीजें हैं जिन्हें आपको रात में नहीं लेना चाहिए। रात में इनका सेवन करने से गैस, पेट फूलना, ज्यादा यूरिन आना और यहां तक कि प्रोस्टेट ग्लैंड से जुड़ी हुई परेशानियां भी हो सकती हैं।हेवी फूड्स से करें परहेजएक्सपर्ट्स के मुताबिक रात के समय हमेशा हल्का और सुपाच्य भोजन ही करना चाहिए। ऐसे में किसी भी तरह के हेवी फूड्स खाने से बचें। कुछ दालें और अनाज ऐसे हैं, जो बहुत देर में पचते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो चीज ज्यादा देर में उगती है, उसे पचाने में भी ज्यादा समय लगता है। कुछ सब्जियां और साग भी ऐसे हैं, जिन्हें पचाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में रात के समय इस तरह की भारी-भरकम चीजें खाने से परहेज करें। इन्हें खाने से आपकी नींद, पाचन और ओवरऑल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है।
- भारतीय संस्कृति में पान का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पान केवल एक आदत नहीं बल्कि सेहत के लिए भी लाभकारी हो सकता है? अधिकतर लोग पान के सही उपयोग, फायदे और नुकसान के बारे में अनजान होते हैं। पान का आयुर्वेद में एक विशेष स्थान है, पान के पत्ते का उपयोग केवल खाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे विभिन्न औषधीय तरीकों से भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, पान का अत्यधिक सेवन कुछ समस्याएं भी पैदा कर सकता है।आयुर्वेद के अनुसार पान के पत्ते का महत्वआयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद में पान को पाचनीय (पाचन में सहायक), वातहर (वायु दोष को कम करने वाला) और दीपनीय (भूख बढ़ाने वाला) बताया गया है। यह न केवल मुंह की दुर्गंध को दूर करता है, बल्कि गले की खराश, खांसी और कफ जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद होता है। पान हल्का काम उत्तेजक भी होता है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है। साथ ही पान के पत्तों का रस लेने से गले की खराश, बलगम और सांस की समस्याओं में आराम मिलता है।हालांकि, पान का अत्यधिक सेवन कुछ समस्याएं भी पैदा कर सकता है। यह शरीर में पित्त को बढ़ा (What does paan do to your body) सकता है, जिससे कुछ लोगों को मुंह में छाले, जलन या बेचैनी महसूस हो सकती है। विशेष रूप से तंबाकू और चूना मिलाकर खाया जाने वाला पान स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, आयुर्वेद में इसे संतुलित मात्रा में और सही तरीके से सेवन करने की सलाह दी गई है।पान की तासीर क्या होती है?आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि पान की तासीर गर्म होती है, ऐसे में जिन लोगों के शरीर में पित्त ज्यादा होता है उन्हें पान का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।पान के पत्ते के क्या फायदे हैं?1. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदपान का सेवन अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। इसके सेवन से भूख भी बढ़ती है और पाचन सही रहता है।2. सर्दी-खांसी और श्वसन संबंधी विकारों में उपयोगीपान के रस को शहद में मिलाकर लेने से खांसी और गले की खराश में राहत मिलती है। छोटे बच्चों के सीने पर अरंड के तेल के साथ पान का पत्ता बांधने से बलगम बाहर निकलने में मदद मिलती है।3. घाव और सूजन को कम करेकिसी चोट, सूजन या गांठ पर पान के गर्म पत्ते को बांधने से दर्द कम होता है और घाव जल्दी ठीक होते हैं। यह रक्त संचार को भी बढ़ाता है, जिससे सूजन कम होती है।4. सांसों की दुर्गंध को दूर करेपान चबाने से मुंह की सफाई होती है और लार बनने की प्रक्रिया तेज होती है। यह दांतों और मसूड़ों को भी मजबूत बनाता है।5. जोड़ों के दर्द और वात रोगों में सहायकपान का तेल जोड़ों के दर्द और वात रोगों में राहत देने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर लगाने से सूजन और दर्द कम होता है।6. डिप्थीरिया में लाभकारीजिन लोगों या बच्चों को रोहिणी या डिप्थीरिया (Diphtheria) की समस्या हो उन्हें पान के 4 पत्तों का रस गुनगुने पानी में मिलाकर दिया जा सकता है, इससे लाभ मिलेगा।पान के नुकसान-जहां पान के कई फायदे हैं, वहीं इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, खासकर यदि ज्यादा मात्रा में या गलत तरीके से सेवन किया जाए।-अत्यधिक सेवन से मुंह में छाले हो सकते हैं। दरअसल, पान पित्त को बढ़ाता है, जिससे संवेदनशील लोगों को छाले होने की संभावना रहती है।-पान केंद्रीय वात नाड़ी संस्थान (नर्वस सिस्टम) को उत्तेजित करता है, जिससे हल्का नशा महसूस (Is paan a drug) हो सकता है।-यदि किसी ने पहले कभी पान नहीं खाया है, तो पहली बार खाने पर स्वाद कम लगना, बेचैनी, जलन, भ्रम, चक्कर आना या हल्का नशा महसूस हो सकता है।क्या पान उत्तेजित करता है?पान का सेवन करने से हल्का नशा महसूस हो सकता है और इसके लत भी लग सकते हैं। लेकिन ये नशा इतना नहीं होता है कि शरीर को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचे।पान कब नहीं खाना चाहिए?जिन लोगों को नेत्र रोग, ब्लीडिंग डिसऑर्डर, शरीर में विषाक्तता, अधिक शराब पीने की आदत या गंभीर वात विकार हो, उन्हें पान का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।पान को आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। यह पाचन, श्वसन और वात-कफ संतुलन में सहायक होता है। हालांकि, इसका सेवन संतुलित मात्रा में और सही विधि से करना चाहिए, अन्यथा यह कुछ समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है। यदि किसी को पहली बार सेवन करने के बाद परेशानी महसूस हो तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
- क्या आप जानते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। सवाल यह है कि आखिर पुरुषों को अधिक पानी की जरूरत क्यों होती है और उन्हें एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए?पुरुषों को एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए?-दी नेशनल एकाडेमीज ऑफ साइेंसेस, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन की मानें, तो पुरुष को एक दिन में 3.7 लीटर पानी पीना चाहिए। हालांकि, पानी की आपूर्ति के लिए सिर्फ पानी पिया जाए, यह जरूरी नहीं होता है। अपनी डाइट में ऐसी चीजें भी शामिल करनी चाहिए, जिसमें पानी की मात्रा मौजूद हो। जैसे ऐसे फल और सब्जियों का सेवन करें, जिससे शरीर में पानी की कमी को पूरा किया जा सके। विशेषज्ञों की मानें, जब पुरुष नियमित रूप से एक दिन जरूरत अनुसार पानी पीते हैं, तो इससे उनके शरीर का तापमान सही रहता है, ब्लड वॉल्यूम बेहतर होता है, एक्सरसाइज की परफॉर्मेंस में सुधार होता है और डिहाइड्रेशन जैसी परेशानियां भी दूर होती हैं।पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक पानी क्यों पीना चाहिए?विशेषज्ञों की मानें, तो पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक पानी पीना चाहिए। यह झूठ नहीं, सच है। पुरुषों को अपने पानी के इनटेक की ओर ध्यान रखना चाहिए। यहां यह जान लेना आवश्यक है कि आखिर पुरुषों को अधिक पानी क्यों पीना चाहिए, इस संबंध में एक्सपर्ट का कहना है कि पुरुषों का बॉडी मास अधिक होता है। जबकि महिलाओं में फैट अधिक होता है। मसल्स को होल्ड करने के पानी की जरूरत होती है। इसके अलावा, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि पुरुषों का वजन महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है। ऐसे में पुरुषों को पानी पीने की जरूरत महिलाओं से ज्यादा होती है। इसके अलावा, महिलाओं के स्वास्थ्य साइकिल की ओर देखें, तो वह भी पुरुषों से अलग होती है। जैसे जब महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है, तो ऐसे में प्लाजमा वॉल्यूम कम होने लगता है। इस स्थिति में महिला को अधिक प्यास लगने लगती है। जबकि, पुरुषों के साथ ऐसा नहीं है। उन्हें अपने स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए आवश्यक है कि वे निरंतर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, पाचन क्षमता में सुधार होता है और ब्लड शुगर का स्तर भी संतुलित रहता है। यहां तक कि सही मात्रा में पानी पीने से हार्ट हेल्थ में भी सुधार होता है।
- अनहेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल के कारण आजकल ज्यादातर लोगों को मुंहासे की समस्या हो रही है। प्रदूषण और धूल-मिट्टी के कारण भी गंदगी त्वचा में जमने लगती है। ये गंदगी स्किन सेल्स में जमने लगती है जिससे पोर्स बंद हो जाते हैं। इस कारण त्वचा में सीबम प्रोडक्शन बढ़ जाता है जिससे एक्ने होने लगते हैं। इस समस्या को कंट्रोल रखने के लिए स्किन केयर पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अगर आप रोज क्लींजिंग करते हैं, तो आपको एक्ने होने का खतरा कम होगा। एक्ने कंट्रोल करने के लिए घरेलू नुस्खे भी फायदेमंद होते हैं। ऐसे में आप नीम पाउडर और हल्दी से बना फेस मास्क भी इस्तेमाल कर सकते हैं।मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए हल्दी और नीम पाउडर का फेस मास्कसामग्रीनीम पाउडर- 2 चम्मचएलोवेरा जेल- 2 चम्मचहल्दी पाउडर- आधा चम्मचबनाने का तरीकाफेस मास्क बनाने के लिए बाउल में 2 चम्मच नीम पाउडर लीजिए। इसमें आधा चम्मच हल्दी और एलोवेरा जेल मिलाएं। पेस्ट को पतला करने के लिए आप इसमें थोड़ा गुलाब जल मिला सकते हैं। चेहरे पर लगाएं और सूखने के बाद सादे पानी से चेहरा धोएं। इस फेस मास्क को आप सप्ताह में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।एक्ने कम करने के लिए क्यों फायदेमंद है यह फेस मास्कनीम में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं। इससे स्किन में मौजूद बैक्टीरिया खत्म होते हैं और एक्ने कम होने लगते हैं। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो एक्ने के कारण हुई इंफ्लेमेशन को कम करता है। इसे लगाने से एक्ने के कारण स्किन रेडनेस भी कम होती है और मुंहासे सूखना शुरू हो जाते हैं। इस गुण के कारण ही हल्दी को चोट भरने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एलोवेरा जेल के इस्तेमाल से त्वचा को ठंड़क मिलती है। इसमें कूलिंग गुण होते हैं जिससे इंफेक्शन कम होता है।नीम पाउडर और हल्दी फेस मास्क के अन्य फायदे-एलोवेरा स्किन को हाइड्रेट करने में मदद करता है। फेस मास्क में इसे इस्तेमाल करने से स्किन सॉफ्ट और ग्लोइंग रहती है। यह स्किन की ड्राईनेस कम करने में भी मदद करता है।-हल्दी और नीम के इस्तेमाल से एक्ने कम होते हैं। इससे त्वचा में निखार भी आएगा और स्किन क्लीन रहेगी। इस फेस मास्क को लगाते रहने सेएक्ने के निशान भी कम होने लगते हैं।-यह फेस मास्क इंफेक्शन कम करने के साथ स्किन हेल्थ को इंप्रूव करने में मदद करता है। इसे इस्तेमाल करने से चेहरे पर शाइन भी आएगी और स्किन हेल्दी बनेगी।अगर आपकी स्किन रूखी और बेजान रहती है, तो -इस फेस मास्क को लगाने से स्किन क्लीन और हेल्दी रहेगी।-अगर आपको डार्क स्पॉट्स या डार्क सर्कल्स हैं, तो यह फेस मास्क लगाने से आपकी समस्या कम होगी।अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है तो किसी स्किन एक्सपर्ट की सलाह पर ही इसका इस्तेमाल करें। त्वचा संबंधित किसी भी खतरे से बचने के लिए लगाने से पहले पैच टेस्ट करें। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
- पाइल्स पाचन तंत्र की खराबी से होने वाली एक गंभीर बीमारी है। आम बोलचाल की भाषा में इसे बवासीर कहा जाता है। इस समस्या में एनस के अंदर और बाहर के हिस्से में सूजन आ जाती है। बवासीर की समस्या में एनस में मस्से बनने लगते हैं। इस कारण मलत्याग करते वक्त दर्द और खून आने की समस्या हो जाती है। यह समस्या कब्ज या पेट खराब रहने पर होती है। असंतुलित खानपान और मसालेदार खाने के कारण यह समस्या हो सकती है। वहीं, सही खानपान से इसे ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक बवासीर में कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिए। जबकि चीजों से सेवन से समस्या में मदद मिल सकती है।बवासीर में क्या खाना फायदेमंद होगा?आयुर्वेद में पाइल्स को अर्श रोग कहा जाता है। इसमें खानपान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि इससे समस्या को नियंत्रित रखा जा सकता है-अनाज में क्या खाएंअनाज में जौ, ज्वार, पुराना चावल, गेंहू, लाल चावल, रागी, मूंग खा सकते हैं।सब्जी और फलों में क्या खाएंलौकी की सब्जी, करेला, पटोल, ककड़ी, परवल, पेठा, सफेद कद्दू, सिंघाड़ा, कमलगट्टा, अनार, आंवला, गन्ने खाएं। कम मात्रा में सेब और आम का सेवन कर सकते हैं। जामुन, अमरूद और तरबूज खाना भी फायदेमंद होगा।कौन से मसाले इस्तेमाल करेंबवासीर में ज्यादा मसालेदार चीजें खाने से बचना चाहिए। ऐसे में आप जीरा, धनिया, इलायची, कम मात्रा में हींग, तेज पत्ता, दालचीनी, सौंफ, मिश्री का इस्तेमाल कर सकते हैं।अन्य चीजेंभीगे हुए अखरोट और बादाम, अंजीर, मुनक्का खाएं। गाय का दूध, बकरी का दूध, छाछ, घी, मक्खन, धनिया, मटके का शीतल जल, गुलकंद, गुलाब जल, कच्चे आम का शरबत पीना भी बहुत फायदेमंद होगा।क्या फॉलो करें-उबटन लगाना, चंदन का लेप, चंदन वाले पानी से नहाना, विरेचन, पंचकर्म, ठंडी जगह ज्यादा रहना जैसी चीजें अपना सकते हैं।आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसे में कुछ चीजें अवॉइड भी करनी चाहिए--बवासीर में गर्म चीजें खाने या संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस दौरान नए धान, अनाज और नये चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।-ऐसे में हार्ट वर्कआउट अवॉइड करना चाहिए। साथ ही, तनाव से भी दूरी रखनी चाहिए।-बवासीर में बाजरे का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में मसूर, कुल्थी, अरहर और मकई का सेवन कम से कम करना चाहिए।-टमाटर, चौली, बैंगन, सुहन्जना का सेवन नहीं करना चाहिए।-मसालों में काली मिर्च, लाल और हरी मिर्च, तिल, सरसों, लहसुन, काजू, पिस्ता, अदरक आदि का सेवन कम करना चाहिए।-अगर नॉन-वेज खाते हैं तो मछली और चिकन भी अवॉइड करें। क्योंकि ये चीजें गर्मी बढ़ा सकती हैं।-ऐसे में गर्म तासीर वाली चीजें खाने से बचना चाहिए। क्योकि इनके सेवन से बॉडी हीट बढ़ सकती है।-ज्यादा धूप में निकालना, चुल्हे के पास जाना या गर्मी में ज्यादा रहने से भी परेशानी बढ़ सकती हैl-मल-मूल त्याग को ज्यादा देर तक रोककर रखने से परेशानी बढ़ सकती है।
- क्या कभी आपको रात में सोते समय अचानक से पैर में दर्द महसूस हुआ है? वैसे तो इस दर्द के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। लेकिन, पैर में नस चढ़ जाना, रात में सोते समय पैरों में अचानक से होने वाले दर्द का एक मुख्य कारण होता है। जी हां, जब पैर में नस के ऊपर नस चढ़ जाती है, तो इसकी वजह से तेज दर्द हो सकता है। पैरों में सही ब्लड फ्लो न होने की वजह से पैरों में नस चढ़ सकती है। सोते समय पैरों में नस चढ़ने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। आइए, जानते हैं कि सोते समय पैरों में नस क्यों चढ़ती है?सोते समय पैरों में नस चढ़ने के कारण-1. ब्लड फ्लो कम होनाब्लड फ्लो कम होने की वजह से सोते समय पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं, शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने की वजह से भी पैरों में नस चढ़ सकती है। खराब ब्लड फ्लो या ब्लड सर्कुलेशन सोते समय पैरों में नस चढ़ने का कारण हो सकता है।2. मांसपेशियों में तनावमांसपेशियों में तनाव की वजह से सोते समय पैरों में नस चढ़ सकती है। अगर आपको स्ट्रेस रहता है, तो इससे मसल्स भी प्रभावित हो सकती हैं। ज्यादा स्ट्रेस लेवल पैरों की मांसपेशियों पर असर डाल सकती है। इसकी वजह से रात में सोते समय पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है।3. हाई इंटेंसिटी वर्कआउटहाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने से भी पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है। अगर आप रोज सुबह हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करते हैं, तो इससे रात को सोते समय पैरों में चढ़ सकती है। इसलिए अगर आपको अक्सर ही पैरों में नस चढ़ने की समस्या होती है, तो हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने से बचें।4. लंबे समय तक बैठे रहनाअगर आप वर्किंग हैं या लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं, तो इसकी वजह से आपको पैरों में नस चढ़ सकती है। लंबे समय तक बैठे रहने के कारण पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है।5. शरीर में पानी की कमीशरीर में पानी की कमी भी इसका एक कारण हो सकता है। अगर आपके शरीर में पानी की कमी है, तो इसकी वजह से रात के समय पैरों में नस चढ़ सकती है। इससे बचने के लिए आपको पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पीना चाहिए।