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- आजकल के गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या लोगों में आम हो गई है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में मौजूद एक चिपचिपा पदार्थ होता है। हमारे शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) और दूसरा बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल)। गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर के बेहतर कामकाज के लिए जरूरी होता है। वहीं, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर यह नसों में जमा होने लगता है और धमनियों को ब्लॉक कर सकता है। इसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी हो जाता है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए आपको अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर आप शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करना चाहते हैं, तो गेहूं आटे में एक खास चीज को मिक्स करके इसकी रोटियां बनाकर खा सकते हैं। आइए, जानते हैं बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए गेहूं के आटे में क्या मिलाकर खाएं?बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए गेहूं के आटे में मिक्स करें अजवाइनशरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए आप रोटी बनाते समय गेहूं के आटे में अजवाइन मिला सकते हैं। दरअसल, अजवाइन में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करता है। इसके अलावा, इसमें थायमिन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है। नियमित रूप से इस तरह से बनी रोटियों का सेवन करने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही, डायबिटीज और मोटापे की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है।कैसे बनाएं गेहूं के आटे और अजवाइन की रोटी?सबसे पहले एक कप गेहूं का आटा लें। इसमें 1-2 चम्मच अजवाइन डालकर मिक्स कर लें। अब इसमें पानी डालकर अच्छी तरह से आटा गूंथ लें। फिर इसे 15-20 मिनट के लिए ढककर रख दें। अब इस आटे से रोटियां बनाकर सेंक लें। नियमित रूप से इस तरह से बनी हुई रोटी खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही, सेहत को कई लाभ भी मिल सकते हैं।
- आजकल के समय में सर्दी के मौसमी केहर के साथ-साथ प्रदूषण भी लोगों को बीमार बनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। ऐसे में कई लोग छाती और गले में बलगम जमने की समस्या का सामना कर रहे हैं। आमतौर पर बलगम की समस्या से बचने के लिए लोग अंग्रेजी दवाइयों और कफ सिरप का सेवन करते हैं। हालांकि, इससे बलगम की समस्या का हल नहीं होता है। अगर आप भी छाती और गले में जमे बलगम के कारण परेशान हैं, तो कुछ आसान और असरदार नुस्खे अपना सकते हैं।सरसों के तेल की मालिशगले और छाती में जमे बलगम से बचने के लिए आप सरसों के तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आपको सरसों के तेल में नमक डालना है। अब इस तेल को गर्म करें और अपनी छाती पर मालिश करें। यह नुस्खा वयस्कों, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए कारगर साबित होगा।शहद और त्रिकटु चूर्णआयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर चूर्ण बनाया जाता है। इन्हीं में से एक त्रिकटु चूर्ण होता है। इसे काली मिर्च, पिप्पली और सौंठ को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसे में आप शहद के साथ त्रिकटु चूर्ण को मिलाकर खाना खाने के बाद खा सकते हैं। इससे बलगम की समस्या से बचा जा सकता है।सितोपलादि चूर्णबलगम की समस्या से बचने के लिए आप शहद के साथ सितोपलादि चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन कर सकते हैं। त्रिकटु चूर्ण की ही तरह सितोपलादि चूर्ण भी होता है। इसे बनाने के लिए मिश्री को काटकर उसका पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद पिपली और वंशलोचन को पीसकर पाउडर बना लेते हैं। आपका सितोपलादि चूर्ण तैयार है। शहद और सितोपलादि का कॉम्बिनेशन बलगम की समस्या के लिए फायदेमंद होता है।अगर आप लंबे समय से गले और छाती में जमे बलगम की स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो शरीर को ढेरों फायदे हो सकते हैं। आप ऊपर बताए इन नुस्खों से बलगम की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही, आपको सर्दी और प्रदूषण दोनों से खुद को बचाना चाहिए। ऐसे में आप मास्क लगा सकते हैं। इससे दूषित हवा शरीर के अंदर नहीं जाएगी। साथ ही, चेहरे के आसपास गर्मी भी बनी रहेगी।
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हॉलीवुड के बड़े अदाकार हैं जेसन चेम्बर्स. इन दिनों स्किन कैंसर से लड़ाई लड़ रहे हैं। . इसकी तस्दीक अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए की। . बताया कि मेलेनोमा से जूझ रहे हैं। . अपने प्रशंसकों को एक हिदायत भी दी.। आखिर मेलेनोमा होता क्या है? कैसे सूरज जो जीवन को रोशन करता है,। उससे मिलने वाला विटामिन डी जो हड्डियों के लिए वरदान होता है जान के लिए आफत का सबब बन सकता है? सूर्य की तेज किरणों के संपर्क में आने पर स्किन कैंसर होने का खतरा रहता है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं इसलिए सावधानी रखना बेहद जरूरी है। .
डब्ल्यूएचओ के इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक 2022 में मेलेनोमा से लगभग 60,000 लोगों की मौत हो गई। . दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में, मेलेनोमा से महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा पीड़ित बताए गए.। वहीं, ‘मैकेनिकल बिहैवियर ऑफ बायोमैटीरियल्स’ पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा की सबसे ऊपरी परत (स्ट्रेटम कॉर्नियम) में कोशिकाओं के बीच पहुंचकर उसे कमजोर करती है.। लिहाजा, धूप में ज्यादा समय तक रहने से त्वचा सनबर्न का शिकार हो जाती है और स्किन कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.। स्किन कैंसर के कई प्रकार होते हैं। . हालांकि, इनमें से तीन बेसल सेल - कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, मेलेनोमा सबसे आम हैं.।बेसल सेल कार्सिनोमा त्वचा कैंसर का सबसे आम प्रकार है। . यह आमतौर पर त्वचा के उन हिस्सों को प्रभावित करता है, जिस पर बहुत अधिक धूप पड़ती है. । जैसे चेहरा, हाथ है। . स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा त्वचा कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है.। यह अक्सर सूरज के संपर्क में आने वाली त्वचा पर भी विकसित होता है, जैसे कि चेहरा, कान, होंठ, हाथों के पीछे, हाथ और पैर पर। .मेलेनोमा त्वचा कैंसर का सबसे घातक रूप है.। यह त्वचा पर या किसी मौजूदा तिल में विकसित हो सकता है। . ऐसे तिल जिनका आकार, रंग या आकृति बदल जाती है या जिनमें दर्द और खुजली जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। . गर्मी हो या जाड़ा, हर मौसम में सूर्य की विकिरण हमारे त्वचा को नुकसान पहुंचाती है.। विशेषज्ञों के अनुसार चाहे कोई भी मौसम हो विकिरण से अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए सचेत रहना चाहिए.।सुरक्षित रूप से धूप का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए छाया में रहें,। त्वचा को हमेशा कवर करके रहें और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते रहें। . जैसा जेसन चैम्बर ने अपने अनुभव के आधार पर बताया भी.। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सनस्क्रीन लगाने के बाद आप धूप में ज़्यादा समय बिता सकते हैं., लेकिन यह त्वचा के उन हिस्सों की सुरक्षा के लिए सही रहता है जिसे आप कपड़ों या छाया से ढक नहीं सकते.।सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं और त्वचा कैंसर का कारण बन सकती हैं.। आप कुछ आसान सी टिप्स को फॉलो कर अपनी त्वचा की रक्षा कर सकते हैं.। इसके लिए सबसे पहले है छाया में रहना। . सुबह 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक की धूप सबसे तेज होती है. । इस दौरान छाया में समय बिताएं.। बाहर निकलते वक्त या घर में रहने के दौरान यदि आप धूप में बैठना चाहते हैं तो भी अपने शरीर को कपड़े से ढकें, सिर पर टोपी पहनें और धूप के चश्मे लगाएं.।धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाना फायदेमंद हो सकता है.। कम से कम एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन लगाएं । . इसे धूप की संपर्क में आने से पहले बिना लापरवाही किए लगाएं.धूप में सीधे तौर पर या ज्यादा समय तक रहने से किसी को भी सनबर्न हो सकता है। . हर तरह के त्वचा वालों में सनबर्न के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. । गहरे रंग वालों में यह खुजली के रूप में तो गोरे त्वचा वालों के लिए सनबर्न लाल या गुलाबी भी दिख सकता है.। -
एक्सपर्ट के मुताबिक वेट लॉस में आप दोनों तरह की इडली खा सकते हैं। लेकिन वजन घटाने के लिए सूजी की इडली ज्यादा बेहतर है। सूजी की इडली में फाइबर अधिक होता है। जबकि चावल की इडली को दाल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसलिए उसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों ज्यादा होता है। लेकिन आप जो भी ऑप्शन चुनें मात्रा का ध्यान जरूर रखें। क्योंकि ज्यादा मात्रा में खाने से वजन बढ़ सकता है।
ब्रेकफास्ट के लिए क्या बेहतर ऑप्शन है?अगर आप सूजी की इडली खाते हैं, तो शरीर को फाइबर मिलेगा और वेट लॉस में मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप चावल की इडली खाते हैं, तो आपको पोषक तत्व ज्यादा मिलेंगे। इसलिए अगर आपको हेल्दी ब्रेकफास्ट ऑप्शन चुनना है तो आप चावल की इडली खा सकते हैं। लेकिन अगर आप कैलोरी डेफिसिट डाइट पर हैं तो आपको सूजी की इडली खानी चाहिए।इन बातों का रखें ध्यान-ध्यान रखें कि इडली बनाते वक़्त उसमें सब्जियां जरूर एड करें। इससे शरीर को खाने के सभी पोषक तत्व मिलेंगे।-ज्यादा से ज्यादा सब्जियां एड करने से इडली में फाइबर भी बढ़ जाएगा। इसमें इसमें प्याज, शिमला मिर्च, गाजर जैसी सब्जियां जरूर एड करें।-इडली का सेवन कम मात्रा में ही करें। क्योंकि ज्यादा मात्रा में खाने से पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है।-ज्यादा मात्रा में सेवन से कैलोरी इंटेक भी बढ़ सकता है। इसकी वजह से वजन कम होने के बजाय बढ़ सकता है।-इडली के साथ साम्भर या चटनी जरूर एड करें। इससे शरीर को बैलेंस्ड मील मिलेगा और इसे पचाना भी आसान होगा। -
अधिकतर भारतीय घरों में अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाता है। साथ ही, खाने को पौष्टिक भी बनाता है। आपको बता दें कि अदरक औषधीय गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इसके अलावा, अदरक में जिंक, कॉपर, मैंगनीज जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। सर्दी-जुकाम और खांसी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए अदरक का सेवन किया जाता है। अदरक खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है। वैसे तो अदरक का सेवन अधिकतर लोग करते हैं। लेकिन, कुछ खास तरह के लोगों को अदरक का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए।
सर्दियों में अदरक किसे नहीं खाना चाहिए?वैसे तो अदरक का सेवन सभी लोग कर सकते हैं। लेकिन, कुछ खास तरह के लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।”1. ब्लड क्लोटिंग की समस्या वाले लोगों कोजिन लोगों को ब्लड क्लोटिंग की समस्या है, उन्हें अदरक का सेवन बेहद कम मात्रा में करना चाहिए। दरअसल, अदरक ब्लड क्लोटिंग की समस्या को बढ़ा सकता है। इससे व्यक्ति को परेशानी हो सकती है।2. पित्त प्रकृति के लोगों कोअदरक की तासीर गर्म होती है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोगों को अदरक का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। अदरक खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। इससे पित्त से जुड़े रोग विकसित हो सकते हैं।3. ब्लीडिंग की समस्या वाले लोगों कोअगर आपको ब्लीडिंग की समस्या है, तो इस स्थिति में अदरक का सेवन बेहद कम मात्रा में ही करें। आप चाहें तो अदरक को पूरी तरह से छोड़ भी सकते हैं। अदरक खाने से ब्लीडिंग की समस्या बढ़ सकती है। यह खून को पतला कर सकते हैं।4. किसी गंभीर बीमारी वाले लोगों कोअगर कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है, तो उसे अदरक का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। कुछ बीमारियों में अदरक खाने से समस्या ट्रिगर हो सकती है।5. एसिडिटी वाले लोगों कोअदरक खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। इससे पेट और सीने में जलन महसूस हो सकती है। इसलिए अगर आपको एसिडिटी रहता है, तो अदरक का सेवन कम मात्रा में ही करें। - दूध को स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, विटामिन डी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन उबले हुए दूध के मुकाबले कच्चे दूध (रॉ मिल्क) को प्राकृतिक और पोषण से भरपूर विकल्प माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उबालने या पकाने से दूध के प्राकृतिक पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग कच्चा दूध ही पीना पसंद करते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं, जो कच्चा दूध पीते हैं, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह बीमारियों की वजह बन सकता है। हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कच्चे दूध में लंबे समय तक फ्लू वायरस और संक्रमण का खतरा रहता है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि इन्फ्लूएंजा वायरस कच्चे दूध में रेफ्रिजेरेटेड तापमान पर पांच दिनों तक सक्रिय रह सकता है।इन लोगों को नहीं पीना चाहिए कच्चा दूध-स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह जांचने की कोशिश की, कि H1N1 PR8 इंफ्लुएंजा स्ट्रेन सामान्य रेफ्रिजेरेटेड तापमान पर कच्चे दूध में कितने समय तक सक्रिय रहता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह वायरस पांच दिनों तक संक्रामक बना रहता है। ऐसे में कोई व्यक्ति कच्चा दूध पीता है, तो उसे संक्रमण और कई विभिन्न प्रकार की बीमारियों का खतरा रहता है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को कच्चे दूध का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।कच्चे दूध से जानवरों को भी है खतराअध्ययन के सह-लेखक मेंगयांग झांग ने कहा, "कच्चे दूध में संक्रामक इंफ्लुएंजा वायरस कई दिनों तक सक्रिय रहने से चिंता और भी बढ़ गई है। दरअसल, यह संक्रमण सिर्फ कच्चे दूध को ही नहीं, बल्कि आसपास मौजूद अन्य डेयरी उत्पादों और वातावरण को भी दूषित करता है। इसकी वजह से कच्चे दूध के बैक्टीरिया से जानवरों में भी फ्लू फैलने का खतरा है।" अध्ययन में आगे यह भी देखा गया कि पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया इंफ्लुएंजा वायरस को प्रभावी रूप से नष्ट कर देती है और वायरल RNA को लगभग 90% तक कम कर देती है।दूध के लिए पाश्चुरीकरण प्रक्रिया है जरूरीकच्चा दूध, जिसे बिना पास्चुरीकरण के रखा जाता है, अपने प्राकृतिक एंजाइम, पोषक तत्व और प्रोबायोटिक्स को बनाए रखता है। एक आंकड़े के मुताबिक, अमेरिका में हर साल 1.4 करोड़ लोग कच्चे दूध का सेवन करते हैं, यह मानते हुए कि यह पाश्चुरीकृत दूध की तुलना में अधिक फायदेमंद है। हालांकि, कच्चे दूध को पास्चुरीकरण के अभाव में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। पास्चुरीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें दूध को गर्म किया जाता है ताकि हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो सकें।कच्चे दूध के लिए FDA ने भी दी चेतावनी-इससे पहले फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) भी कच्चे दूध से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर चेतावनी देते आए हैं। सीडीसी के अनुसार, कच्चा दूध में ई. कोलाई और सैल्मोनेला जैसे खतरनाक बैक्टीरिया से जुड़ी 200 से अधिक बीमारी के कीटाणु पाए जाते हैं। ऐसे में कच्चे दूध का सेवन किया जाए, तो यह कई बीमारियों की वजह बन सकता है।कच्चा दूध पीने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसानकच्चा दूध पीने से स्वास्थ्य को कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। आइए आगे जानते हैं इसके बारे में...-कच्चे दूध में ई. कोलाई, सैल्मोनेला, लिस्टेरिया और कैंपिलोबैक्टर जैसे हानिकारक बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो पेट दर्द, डायरिया और उल्टी जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।-कच्चे दूध में इन्फ्लूएंजा वायरस रेफ्रिजेरेटर तापमान पर पांच दिनों तक जीवित रह सकता है। इसकी वजह से फ्लू और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा रहता है।-कच्चा दूध, पाश्चुरीकरण के प्रोसेसिंग से नहीं गुजरता है, इसकी वजह से पेट में दर्द और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।-बच्चों में कच्चा दूध गंभीर डायरिया और डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है।कच्चा दूध अपने प्राकृतिक एंजाइम और पोषक तत्वों के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य एजेंसियां और डॉक्टर इसका सेवन करने से मना करते आए हैं। कोरोना के बाद जब नई महामारी का खतरा लगातार बढ़ रहा है, तब कच्चा दूध पीना स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है।
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आज के समय में खराब लाइफस्टाइल और डाइट के कारण बड़ों से लेकर बच्चों में आयरन की कमी होने लगी है। आयरन की कमी के कारण चक्कर आना, कमजोरी, थकान और अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती है। आयरन की कमी पूरी करने के लिए लोग अपनी डाइट में आयरन सप्लीमेंट्स शामिल करते हैं, जो आयरन के स्तर को बढ़ाने (foods to increase iron in body) में मदद करते हैं। लेकिन अगर आप नेचुरल तरीके से अपने शरीर में आयरन के स्तर को बढ़ाना चाहते हैं तो इन आयुर्वेदिक टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
आयरन की कमी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय1. घी के साथ आंवला पाउडरआप अपनी डाइट में रोजाना दोपहर के खाने से पहले अच्छी क्वालिटी वाले घी के साथ 1 चम्मच आंवला पाउडर का सेवन करें। आंवला विटामिन सी का एक बेहतर स्रोत है, जो आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है, जबकि घी पाचन और ओवरऑल हेल्थ को बढ़ावा देता है।2. विदाही खाद्य पदार्थों का सेवन कम करेंशरीर में गर्मी यानी पित्त और एसिड बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को विदाही कहा जाता है। इसलिए, अगर आपके शरीर में आयरन की कमी है तो आप विदाही खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें या इन्हें सीमित करें, जैसे एप्पल साइडर विनेगर, टमाटर, आलू और कॉफी। इन खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन पाचन में असुविधा का कारण बन सकता है और असंतुलन को बढ़ा सकता है, जिससे आपके शरीर के लिए आयरन को सही तरीके से अवशोषित करना मुश्किल हो जाता है।3. सोंठ का सेवन करेंअपनी डाइट में रोजाना सोंठ शामिल करें। इसे आप खाने, चाय या सूप में डालकर खा सकते हैं। सौंठ आपके पाचन में मदद करता है और पाचन अग्नि को संतुलित करके आयरन सहित अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करता है।4. द्राक्षारिष्ट का सेवन करेंदोपहर के खाने के बाद 15 मिली पानी में 15 मिली द्राक्षारिष्ट (काली किशमिश से बना एक आयुर्वेदिक टॉनिक) मिलाकर पी लें। काली किशमिश आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है। लेकिन ध्यान रहे, अगर आपको अक्सर एसिडिटी या एसिड रिफ्लक्स की समस्या होती है, तो द्राक्षारिष्ट के सेवन से परहेज करें।5. काली किशमिश और अंगूर का सेवनआयरन की कमी दूर करने के लिए आप रोजाना अपनी डाइट में भीगी हुई काली किशमिश और अच्छी क्वालिटी के काले अंगूर शामिल कर सकते हैं। ये दोनों ही चीजें आयरन के बेहतर स्रोत माने जाते हैं, जो आपके शरीर में खून बनाने में मदद करते हैं और एनर्जी लेवल को बढ़ाते हैं।घी के साथ आंवला पाउडर, विदाही खाद्य पदार्थों से परहेज, सोंठ का सेवन, द्राक्षारिष्ट और काली किशिमिश जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आपके शरीर में होने वाले आयरन की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है। इन आयुर्वेदिक टिप्स को फॉलो करके आपके शरीर में होने वाली खून की कमी को दूर करना फायदेमंद हो सकता है। - मशहूर कॉमेडी सीरियल भाभी जी घर पर हैं की फेम एक्ट्रेस सौम्या टंडन अपनी दमदार एक्टिंग और फिटनेस के लिए बखूबी जानी जाती हैं। गोरी मेम का किरदार निभा चुकी सौम्या पिछले 4 सालों से चीनी और गुड से दूर हैं। वे चीनी या उससे बने फूड्स खाने से पूरी तरह से परहेज करती हैं। वे अपने लाइफस्टाइल को हमेशा से हेल्दी बनाकर रखती हैं। मीठे की क्रेविंग होना सभी के लिए लाजमी है। लेकिन सौम्या को शुगर क्रेविंग होने पर वे हेल्दी और बिना चीनी की रेसिपी ट्राई करती हैं। उन्होंने अपनी फिटनेस का राज शेयर किया है। उन्होंने चीनी और उसके विकल्पों को पूरी तरीके से छोड़ दिया है।मीठे की क्रेविंग होने पर खाती हैं हेल्दी चीजेंमीठ की क्रेविंग होने पर सौम्या चीनी से बनी चीजें खाने के बजाय फल और ड्राई फ्रूट्स खाना ज्यादा पसंद करती हैं। अपनी शुगर क्रेविंग को शांत करने के लिए वे ऐसी चीजें खाती हैं, जिनमें नैचुरल शुगर पाया जाता है। यही नहीं, उन्होंने पिछले 4 साल से शहद और गुड से बनी चीजों से भी पूरी तरह दूरी बना रखी है उन्होंने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शकरकंद के हलवे की एक रेसिपी शेयर की है।शकरकंद के हलवे की रेसिपी-सौम्या टंडन ने शकरकंद के हलवे की रेसिपी शेयर की, जिसके लिए आपको सबसे पहले शकरकंद को उबाल लेना है।-अब शकरकंद को अच्छी तरह से मैश कर लें।-इसके बाद पैन में थोड़ा सा घी डालें और शकरकंद मिलाएं।-अब आपको इसे अच्छे से रोस्ट कर लेना है, लेकिन ध्यान रहे इसमें चीनी और गुड न मिलाएं।-अब अच्छे से रोस्ट हने के बाद उसमें ड्राई फ्रूट्स मिलाएं और बाहर निकाल लें।लीजिए आपका शकरकंद का हलवा बनकर तैयार है।चीनी छोड़ने से शरीर में क्या होता है?-चीनी छोड़ने से शरीर में कई बदलाव होते हैं।-इससे वजन कम या सामान्य होने लगता है और त्वचा पर ग्लो आता है।-चीनी छोड़ने से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है और मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है।-इससे शरीर में सूजन नहीं आती है।
- मखाने को एक हेल्दी स्नैक माना जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा, मखाने में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन जैसे न्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं। अक्सर लोग मखाने को रोस्ट करके खाना पसंद करते हैं। कोई मखाने को दूध के साथ खाता है, तो कोई इसकी खीर बनाकर खाना पसंद करता है। मखाने की नमकीन और चाट भी काफी स्वादिष्ट होती है। वहीं, कुछ लोग मखाने को चाय के साथ खाना पसंद करते हैं। आइए जानते हैं कि क्या मखाने के साथ चाय पी सकते हैं?क्या मखाने के साथ चाय पी सकते हैं?-मखाने के साथ चाय पी सकते हैं। अगर आप मखाने खा रहे हैं, तो इसके साथ चाय पी सकते हैं। अगर आप मखाने के साथ चाय पिएंगे, तो भी आपका शरीर मखाने के पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित कर लेगा।”क्या मखाने के साथ चाय का सेवन करना फायदेमंद होता है?“मखाने के साथ चाय पीने से कुछ भी अलग फायदे नहीं मिलते हैं। लेकिन, मखाने के साथ चाय पीने से आपको मखाने के सभी लाभ मिल सकते हैं। इसलिए आप चाहें तो मखाने के साथ भी चाय पी सकते हैं।”
- डेली डाइट में ड्राई फ्रूटस खाना भी जरूरी है। इनके सेवन से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं। ये बॉडी में एनर्जी मेंटेन रखने के लिए फायदेमंद हैं। इन्हीं में शामिल है सूखी खुबानी। इसमें प्रोटीन, सोडियम, आयरन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है। सूखी खुबानी हड्डियों को मजबूत बनाने, खून की कमी दूर करने और पाचन संबंधित समस्याओं में भी फायदेमंद है। लेकिन अगर आप ज्यादा मात्रा में इसे खाते हैं, तो इससे शरीर को नुकसान भी हो सकता है। आज इस लेख में हम सूखी खुबानी के नुकसान पर बात करेंगे।सूखी खुबानी ज्यादा खाने के नुकसानपाचन से जुड़ी समस्याएं होनासूखी खुबानी में फाइबर कंटेंट ज्यादा होता है। अगर ज्यादा मात्रा में इनका सेवन किया जाए, तो इससे पेट फूलना, पेट दर्द, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जिन लोगों को पाचन संबंधित समस्याएं रहती हैं, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।वजन बढ़ सकता हैसूखी खुबानी में पोषक तत्व ज्यादा होने के साथ कैलोरी भी ज्यादा होती है। अगर मात्रा का ध्यान रखे बिना इसका सेवन किया जाए, तो इससे वजन बढ़ने का खतरा भी हो सकता है। अगर आप वेट लॉस डाइट पर हैं, तो आपको कम मात्रा में हि इसका सेवन करना चाहिए।ब्लड शुगर बढ़ सकती हैडायबिटीज के मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर ही, इसका सेवन करना चाहिए। क्योंकि इसमें शुगर कंटेंट ज्यादा होता है। इसके ज्यादा सेवन से ब्लड शुगर इंबैलेंस हो सकती है। जिन लोगों को इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या है, उन्हें भी ब्लड शुगर इंबैलेंस का खतरा हो सकता है।डेंटल हेल्थ को नुकसानशुगर कंटेंट ज्यादा होने और चिपचिपा होने के कारण ये डेंटल हेल्थ को नुकसान कर सकता है। अगर मात्रा का ध्यान न रखते हुए इसका सेवन किया जाए, तो इससे मुंह में बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। इससे दांतों में कीड़ा लगने या दर्द होने का खतरा हो सकता है। इस खतरे से बचने के लिए दांतों की सफाई का ध्यान रखें।एलर्जी हो सकती हैसूखी खुबानी को ठीक रखने के लिए इसमें सल्फाइट इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का प्रिजर्वेटिव होता है, जो कुछ लोगों में एलर्जी कर सकता है। खासकर जिन लोगों को स्किन या किसी भी प्रकार की एलर्जी रहती है, ज्यादा खाने से उनको नुकसान हो सकता है।एक दिन में कितनी सूखी खुबानी खाने खा सकते हैं?डाइट एक्सपर्ट्स के मुताबिक आप एक दिन में 3 से 4 सूखी खुबानी खा सकते हैं। इससे ज्यादा मात्रा में खाना नुकसानदेह हो सकता है। आप एक मिड डे मील, खाली पेट या शाम में स्नैक्स टाइम पर खा सकते हैं।
- कुछ लोग डाइट फॉलो करने के दौरान फल ज्यादा खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं एक दिन में कितने फल खाने चाहिए?एक्सपर्ट्स के मुताबिक डेली डाइट में फ्रूटस को शामिल करना बहुत जरूरी है। फलों में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं। डाइट एक्सपर्ट्स ज्यादातर मिड डे स्नैक्स में फल खाने की सलाह देते हैं। यानी आपको नाश्ते के बाद और लंच से पहले फल खाना होता है। लेकिन वहीं कई लोग इन्हें लंच या डिनर में खाते हैं। डाइट प्लान फॉलो करने के दौरान लोग फल ज्यादा खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं एक दिन में कितने फल खाने चाहिए? साथ ही, फल खाने का सही समय क्या है?एक दिन में कितने फल खा सकते हैं?एक्सपर्ट के मुताबिक एक दिन में एक से ज्यादा फल खा सकते हैं। यह निर्भर करता है कि आप फ्रूटस कब खा सकते हैं। पाचन से जुड़ी समस्या में अगर आप लाइट मील के लिए फल खा रहे हैं, तो आप नाश्ते या लंच में फल खा सकते हैं। लेकिन अगर आपको डायबिटीज है या वेट लॉस डाइट पर है, तो आपको डाइट एक्सपर्ट की सलाह पर ही फलों की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए।किस समय फल खाना अवॉइड करना चाहिए?अगर आप डिनर में फल खाना चाहते हैं, तो आपको अवॉइड करना चाहिए। क्योंकि डिनर में फल खाने से डाइजेशन स्लो हो सकता है। अगर आप ब्रेकफास्ट या लंच में फल खाते हैं, तो आपके लिए फायदेमंद होगा। खाने के तुरंत बाद या खाने के साथ फल नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इससे आपको अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।अगर आपको डायबिटीज है तो आपको फलों की मात्रा और खाने का समय अपने डॉक्टर की सलाह पर निर्धारित करनी चाहिए। क्योंकि फलों में मौजूद नेचुरल शुगर ब्लड में शुगर इंबैलेंस कर सकती है।-नाश्ते के बाद और लंच से पहले भूख लगने पर आपको फल खाना चाहिए। इससे फल जल्दी पच जाते हैं।-नाश्ते या लंच में आप फलों की चाट बनाकर खा सकते हैं। इससे शरीर को अलग-अलग फलों के पोषक तत्व मिलेंगे।-ध्यान रखें अगर आप मील में फल खा रहे हैं, तो आप आधी प्लेट ही फल खाएं।-फलों में मौजूद पोषक तत्व हमें हेल्दी रखने में मदद करते हैं। लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा फल खाते हैं, तो पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है।-अगर आपको मीठे की क्रेविंग होती हैं, तो ऐसे में आप कोई एक फल खा सकते हैं। इससे आप एक्स्ट्रा कैलोरी इंटेक करने से भी बच जाएंगे।-आप शाम के दौरान भूख लगने पर भी फल खा सकते हैं। इससे आपकी भूख भी शांत होगी और इसके पोषक तत्व भी मिलेंगे।
- आयुर्वेद में मून चार्ज वॉटर यानी चांद की रोशनी में रखा पानी सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद में चांद की रोशनी में रखा पानी न सिर्फ हमारे फिजिकल बल्कि मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। महिलाओं के लिए भी मून चार्ज वॉटर पीना सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में आइए जानने हैं कि महिलाओं के लिए चंद्रमा के पानी के क्या फायदे हैं और चांद का पानी तैयार करने का क्या तरीका है?महिलाओं के लिए चांद की रोशनी में रखा पानी पीने के फायदे क्या हैं?कफ दोष को संतुलित करेंचंद्रमा को कफ से जोड़ा जाता है, ऐसे में चांद की रोशनी में रखा पानी पीने से महिलाओं में बलगम और कफ की समस्या को कम करने में मदद मिलती है। खासकर, कंजेशन और मौसम बदलने के कारण होने वाली एलर्जी से जुझ रही महिलाओं के लिए यह ज्यादा फायदेमंद होता है।शरीर की एनर्जी बढ़ाएमाना जाता है कि चन्द्रमा का पानी पीने से सेलुलर पुनर्जनन (Cellular Regeneration) को बढ़ावा मिलता है, जिससे महिलाओं का शरीर स्वस्थ रहता है और एनर्जी लेवल को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।हार्मोन्स को संतुलित करेंचांद की रोशनी में रखा पानी पीने से हार्मोन संतुलित होता है, पीरियड से जुड़ी समस्याएं कम करने, तनाव और चिंता को कम करके मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है, जो महिलाओं के स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है।हाइड्रेशन और एनर्जी बढ़ाएंऐसा माना जाता है कि चांद की रोशनी में रखा पानी एनर्जेटिक कंपन लेकर आता है, जो महिलाओं के शरीर को हाइड्रेटेड रखने और एनर्जी लेवल को बेहतर रखने में मदद करता है।मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंदआयुर्वेद के अनुसार चांद की रोशनी में रखा पानी पीने से महिलाओं को पीएमएस या मेनोपॉज जैसे हार्मोनल बदलावों के दौरान अपने भावनाओं को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जिससे मूड स्विंग और तनाव की समस्या कम होती है।चांद का पानी कैसे बनाएं? -एक गिलास पानी लें और उस पर हवादार हल्का कपड़ा बांध दें, जिस पर चांद की रोशनी आसानी से पड़ सके। अब इस पानी को पूर्णिमा या इसके आसपास की रात को चांद की रोशनी में रख दें। गिलास में पानी भरते समय अपने दिमाग में अपने बेहतर स्वास्थ्य और इमोशनल हेल्थ को लेकर सकारात्मक चीजें सोचें। इसके बाद पानी को रात भर चांद की एनर्जी को एब्जॉर्ब करने के लिए रख दें, लेकिन सूरज निकलने से पहले इस पानी को हटा लें। आप चाहे तो इस पानी को तुरंत खाली पेट घूंट-घूंट करके पी सकते हैं।चांद की रोशनी में रखा पानी महिलाओं के सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। जिन महिलाओं में कफ दोष हो, वे इसके लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए मून चार्ज वाटर पी सकती हैं। इसके साथ ही यह पानी महिलाओं के शरीर की कमजोरी दूर करके उन्हें स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।
- ओरल हाइजीन की अनदेखी करने पर अकसर लोगों को दांतों में कीड़ा लगना, प्लाक, दांतों का पीलापन और कैविटी से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। बता दें, कई बार खाने-पीने की चीजों से दांतों पर प्लेक जमा हो जाता है, जिससे बैक्टीरिया बनता है। यह बैक्टीरिया दांतों की सतह और मसूड़ों के साथ चिपककर एसिड पैदा करते हैं, जो कैविटी का कारण बनकर दांतों में सड़न का कारण बन सकते हैं। अगर आप भी अपने दांतों को सड़न से बचाना चाहते हैं तो ये नेचुरल उपाय आजमा सकते हैं। बता दें, डॉक्टर निशांत गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम पर ये हर्बल उपाय शेयर करते हुए बताया है कि घर बैठे कैसे आप कुछ आसान उपाय फॉलो करके अपने दांतों को हेल्दी और खूबसूरत बनाए रख सकते हैं।दांतों को हेल्दी और स्ट्रांग बनाएं रखेंगे ये टिप्सलौंगखाना खाने के बाद एक लौंग चबाने से बैक्टीरिया और दर्द से राहत मिल सकती है। लौंग में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं। लौंग चबाने से मुंह और गले में मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिससे मौखिक संक्रमण का खतरा कम होता है।अमरूद के पत्तेरोजाना एक से दो अमरूद के पत्ते चबाने से दांतों को संक्रमण से बचाने में मदद मिल सकती है। अमरूद के पत्तों में जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को रोकते हैं। इन पत्तों में मौजूद एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण दांतों के इंफेक्शन को दूर करने में मदद करते हैं। बता दें, अमरूद के पत्तों को चबाने से कैविटी को रोकने और मसूड़ों की सूजन को शांत करने में भी मदद मिलती है।नीम की दातुननीम का दातुन से ब्रश करने से बैक्टीरिया और प्लाक से छुटकारा मिल सकता है। नीम में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। जिससे दांतों का पीलापन, बदबू, प्लाक, टैटार,दांतों का दर्द और अल्सर में राहत मिलने के साथ सूजे हुए मसूड़ों को भी आराम मिलता है।क्रंची सब्जियांगाजर,सेब जैसी क्रंची सब्जियां चबाने से दांत नेचुरल तरीके से साफ होते हैं। बता दें, लार में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो दांतों की सफाई में मदद करते हैं। ऐसे में क्रंची सब्जियां जैसे गाजर, ब्रोकली, शिमला मिर्च जैसी क्रंची सब्जियां प्लाक को हटाने में मदद करती हैं।तुलसी के पत्तेतुलसी के पत्ते उबालकर गार्गल करने से नेचुरल माउथवॉश का काम होता है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। रोजाना तुलसी का पानी पीने से सर्दी, खांसी और गले की सूजन में राहत मिलने के साथ सांसों की बदबू को कम करते हैं।
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सर्दियों का मौसम शुरू होते ही अकसर कुछ चटपटा और गरमा-गरम खाने की क्रेविंग भी शुरू हो जाती है। अपनी इस क्रेविंग को पूरा करने के लिए लोग कई बार अनहेल्दी ऑप्शन चुन लेते हैं। जो सेहत पर बुरा असर डालते हैं। ऐसे में ठंड के मौसम में आपकी सेहत और स्वाद दोनों का ख्याल रखता है टमाटर का सूप। टमाटर में क्रोमियम, पोटेशियम, विटामिन-ए, सी, इ, अल्फा, बीटा, ल्यूटिन और लाइकोपीन कैरोटेनॉयड्स जैसे कई गुण पाए जाते हैं, जो मोटापे से लेकर सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर रखने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं टमाटर का सूप पीने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।
टमाटर का सूप पीने से सेहत को मिलते हैं ये फायदेबेहतर ब्लड सर्कुलेशनटमाटर के सूप में मौजूद सेलेनियम एनीमिया से बचाव करके बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाए रखने का काम करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स भी बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के लिए टमाटर का सूप पीने की सलाह देते हैं।हाई बीपी में फायदेमंदटमाटर में मौजूद पोटेशियम शरीर में सोडियम लेवल को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। अगर आप हाई बीपी रोगी हैं तो टमाटर के सूप का सेवन करें। हालांकि टमाटर का सूप बनाते समय उसमें नमक की मात्रा का ध्यान रखें या नमक डालने से बचें।वेट लॉसटमाटर का सूप नियमित पीने से वेट लॉस में भी मदद मिल सकती है। टमाटर का सूप फाइबर से भरपूर होता है, जो लंबे समय तक पेट को भरा रखता है। जिससे व्यक्ति को जल्दी भूख नहीं लगती और वो एक्स्ट्रा कैलोरी लेने से बच जाता है। जिससे वेट लॉस में मदद मिल सकती है।अच्छा पाचनसर्दियों में लोग अकसर पाचन संबंधी दिक्कतों से परेशान रहते हैं। ऐसे में आप पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने के लिए टोमेटो सूप का सेवन कर सकते हैं।शुगर लेवल रखें कंट्रोलटमाटर में मौजूद क्रोमियम ब्लड शुगर कंट्रोल रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा टमाटर में मौजूद नारिंगिन नाम का फ्लेवोनोइड्स एंटी-डायबिटिक के रूप में काम करके ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है। -
बच्चों की हेल्दी ग्रोथ के लिए उनके शारीरिक और मानसिक विकास दोनों पर ही बराबरी का ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके लिए उनके खानपान का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। हालांकि बच्चे ठहरे बच्चे, घर में बनी अधिकतर चीजों को तो देखते ही तो वो ऐसे दूर भागते हैं मानों शेर देख लिया हो। उन्हें बस बाजार वाले चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा, मोमो जैसी चीजें ही भाती हैं; जो सेहत के लिए कितनी फायदेमंद हैं ये तो आपको बखूबी पता है। बस इसलिए अधिकतर बच्चे दुबले-पतले से हो जाते हैं और पैरेंट्स को चिंता सताने लगती है उनकी डाइट की। ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चे की हेल्दी ग्रोथ को लेकर परेशान है, तो चलिए आज आपको कुछ ऐसे फूड आइटम्स के बारे में बताते हैं, जिन्हें खाने से बच्चे जल्दी ही तंदुरुस्त तो होने ही, साथ ही उनका दिमाग भी तेज होगा।
संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडेअंडे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन डी, विटामिन बी, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फोलिक एसिड के साथ-साथ कई अन्य तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में बच्चों की हेल्दी ग्रोथ के लिए उन्हें रोज एक या दो अंडे खिलाना काफी फायदेमंद है। अंडा बच्चे को हेल्दी और तंदुरुस्त तो बनाता ही है, साथ ही इसमें पाया जाने वाला फोलिक एसिड बच्चों को मेंटली स्ट्रांग बनाने में भी मदद करता है।डाइट में शामिल करें दूधबच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उनकी डाइट में दूध शामिल करना बहुत जरूरी है। दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन डी, फास्फोरस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनसे हड्डियों को मजबूती मिलती है। इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास दोनों की तेजी से होते हैं। बच्चे अक्सर दूध पीने में नखरे जरूर दिखाते हैं लेकिन आप तरह तरह के फ्लेवर एड कर के उन्हें दूध पिला सकते हैं।रोज दें मुट्ठी भर ड्राइफ्रूट्सअलग-अलग तरह के ड्राई फ्रूट्स में अलग-अलग प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं। इसलिए बच्चों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स खिलाना काफी फायदेमंद है। खास तौर पर बच्चों की डाइट में बादाम, अखरोट, किशमिश, काजू, मखाना जैसे ड्राइफ्रूट्स आपको जरूर शामिल करने चाहिए।इंस्टेंट एनर्जी के लिए दें केलाबढ़ती उम्र के बच्चों को रोज एक केला खिलाना काफी फायदेमंद है। केले में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन ए, मैग्निशियम, पोटैशियम और फाइबर पाए जाते हैं। इसे खाने से बच्चे को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है। इसके साथ ही केला खाने से बच्चों का शरीर तंदुरुस्त होता है। जो बच्चे रोज एक केला खाते हैं, उनकी मेंटली ग्रोथ भी कुछ फास्ट होने में मदद मिलती है।देसी घी से बनेंगे सेहतमंदबच्चों को शारीरिक रूप से हेल्दी और स्ट्रांग बनाए रखने के लिए उनकी डाइट में देसी घी को भी जरूर शामिल करना चाहिए। घी से बच्चों को गुड फैट और डीएचए मिलता है। नियमित रूप से घी खाने पर बच्चों का दिमाग भी तेज होता है। इसके अलावा घी में पाए जाने वाले एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टिरियल गुण बच्चों की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी काफी मददगार साबित होते हैं।- - स्प्राउट्स खाना सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होते हैं। इसे खाने से पाचन तंत्र बेहतर रहने से लेकर वजन घटाने तक में मदद मिलती है। स्प्राउट्स सेहत के लिए किसी रामबाण से कम नहीं होते हैं। इसमें विटामिन C, फॉस्फोरस, प्रोटीन और विटामिन K समेत अन्य भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिन्हें खाने से पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है। आमतौर पर लोग नाश्ते में स्प्राउट्स का सेवन करना पसंद करते हैं। कुछ लोग शाम को स्नैक्स के रूप में भी स्प्राउट्स खाते हैं। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या रात में स्प्राउट्स खाना सही होता है?क्या रात में स्प्राउट्स खाना सही होता है?स्प्राउट्स सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं। स्प्राउट्स को किसी भी समय खाया जा सकता है। अगर बात करें रात में स्प्राउट्स खाने की तो अगर आपको रात में स्प्राउट्स खाने से किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है तो आप निश्चित तौर पर इसे खा सकते हैं। लेकिन, अगर इसे खाने के बाद आपको गैस, अपच और पेट फूलने की समस्या, जोकि कुछ लोगों को होती भी है। अगर आपको भी ऐसा हो रहा है तो ऐसे में रात में स्प्राउट्स खाने से परहेज करें।स्प्राउट्स खाने के फायदे-स्प्राउट्स में विटामिन सी की मात्रा होती है, जिसे खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।-इसमें भरपूर फाइबर होता है, जिसे खाने से पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।-इसे खाने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है साथ ही हार्ट से जुड़ी बीमारियां भी कम होती हैं।-इसे खाने से ब्लड प्रेशर कम होता है।कैसे खाएं स्प्राउट्स?स्प्राउट्स खाने के लिए आपको कोशिश करनी है कि उसे कच्चा न खाएं। इसके बजाय आप स्प्राउट्स को पकाकर या स्टीम करके खा सकते हैं। क्योंकि, कच्चे स्प्राउट्स खाने से पेट फूलना, पेट में दर्द आदि जैसी समस्या हो सकती है।
- सर्दी के मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में छोटे बच्चे, खासकर शिशुओं को सुरक्षित रखना थोड़ा मुश्किल होता है। शिशुओं के जन्म के बाद का पहला साल काफी मुश्किल होता है, क्योंकि मौसम के अनुसार ढलने में उन्हें समय लगता है, जिस कारण सर्दी और खांसी आसानी से जकड़ लेती है। ऐसे में माता-पिता उनकी देखभाल में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए, अगर आप भी अपने बच्चे की सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या से परेशान हैं तो अजवाइन की पोटली ट्राई कर सकते हैं।सर्दी-खांसी में अजवाइन पोटली के फायदे"शिशुओं में सर्दी-खांसी की समस्या से राहत दिलाने के लिए आप अजवाइन की पोटली का इस्तेमाल कर सकते हैं। अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो सर्दी, खांसी और कंजेशन की समस्या से राहत दिलाने में काफी फायदेमंद माने जाते हैं। इसके अलावा अजवाइन की पोटली एक नेचुरल इनहेलर के रूप में काम करती है, जो शिशुओं, बच्चों और बड़ें, सभी में बंद नाक और छाती में जमे कंजेशन को कम करने के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपाय के रूप में काम करता है।"अजवाइन की पोटली कैसे बनाएं?-पोटली बनाने के लिए आप आधा कप अजवाइन और सूती कपड़ा लें।-इसके बाद एक पैन को गैस पर गर्म करें और उसमें अजवाइन डालें।-अजवाइन में खुशबू आने तक इसे चलाते हुए भूनते रहें।-अब इस अजवाइन को मलमल के छोटे-छोटे कपड़ों में डाल दें।-इन कपड़ों को लपेटें और गांठ बांधकर पोटली बना लें।-बस बच्चे के खांसी-जुकाम होने पर इन अजवाइन पोटलियों का इस्तेमाल करें।अजवाइन पोटली का उपयोग कैसे करें?अजवाइन की पोटली शिशुओं और बच्चों में होने वाली सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या को ठीक करने में काफी उपयोगी माना जाता है। अगर आप 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस पोटली का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अजवाइन की पोटली को बच्चे के बिस्तर के पास कुछ दूरी पर रखा जा सकता है। इस पोटली को उनके आस-पास रखने से हवा में सांस लेने से बच्चे को कंजेशन से राहत मिलती है।मौसम में बदलाव के साथ शिशुओं में होने वाले सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या से राहत दिलाने के लिए आप अजवाइन पोटली का नियमित तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन बच्चे को ज्यादा सर्दी और खांसी होने पर डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।
- ठंड के मौसम में सर्द हवाओं के कारण लोग गर्म कपड़े पहनते हैं, रजाई, कंबल और हीटर का इस्तेमाल करते हैं। ठंड में कई लोगों को एक स्वेटर या जैकेट पहनकर गर्म महसूस होने लगता है। वहीं, कुछ लोगों को ठंड मिटाने के लिए 2 से 3 स्वेटर पहनने पड़ते हैं। अगर आपको भी दूसरों के मुकाबले ज्यादा ठंड महसूस होती है, तो इसका कारण बाहर चलने वाली हवाएं नहीं बल्कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी है। कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है पोषक तत्वों की कमी से हार्मोन असंतुलन होता है और ठंड ज्यादा महसूस होती है। किसी भी व्यक्ति को ज्यादा ठंड लगने के पीछे शरीर में 5 पोषक तत्वों की कमी होती है। अगर खानपान के जरिए इन पोषक तत्वों को पूरा कर लिया जाए, तो ठंड के मौसम में शरीर गर्म रहता है।किन पोषक तत्वों की कमी के कारण ज्यादा ठंड महसूस होती है?1. आयरन की कमीआयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करता है। आयरन खून के जरिए पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचार करता है। आयरन की कमी की वजह से एनीमिया नामक घातक बीमारी हो सकती है। ठंड के मौसम में अगर आपके हाथ-पैर अक्सर ठंडे रहते हैं, त्वचा पीली पड़ जाती है या हमेशा ही आपको थकान व कमजोरी महसूस होती है, तो यह आयरन की कमी का संकेत है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि आयरन की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी), गुड़, बीन्स और चुकंदर का सेवन करें। उम्र के हिसाब से आपके शरीर का हीमोग्लोबिन लेवल कितना होना चाहिए इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।2. मैग्नीशियम की कमीजिन लोगों के शरीर में मैग्नीशियम की कमी होती है, उन्हें भी दूसरों के मुकाबले ज्यादा ठंड लगती है। मैग्नीशियम एक ऐसा पोषक तत्व है, जो शरीर की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर की थर्मोरेगुलेशन की प्रक्रिया बाधित होती है। जिसकी वजह से आपको ज्यादा ठंड महसूस हो सकती है। मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए रोजमर्रा की डाइट में नट्स, बीज और साबुत अनाज को शामिल करें। कुछ मामलों में मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट की भी जरूरत होती है।3. विटामिन बी12 की कमीविटामिन बी12 शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है। विटामिन बी12 की कमी होने पर खून द्वारा शरीर में ऑक्सीजन का संचार करने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इसकी वजह से आपको दूसरों से ज्यादा ठंड महसूस हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो ज्यादा ठंड लगने के साथ शरीर में सुन्नता या झुनझुनी और याददाश्त कमजोर चक्कर आना विटामिन बी12 की कमी का संकेत हैं। इस पोषक तत्व की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में दूध, अंडा, मछली और चिकन जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।4. विटामिन डीविटामिन डी न केवल हड्डियों के लिए जरूरी है, बल्कि यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। विटामिन डी की कमी के कारण भी आपको ज्यादा ठंड महसूस हो सकती हैं। सर्दियों में आपको ज्यादा थकावट, बार-बार बीमार पड़ना और संक्रमित बीमारियां हो रही हैं, तो यह विटामिन डी की कमी के लक्षण हो सकते हैं। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए रोजाना सुबह कम से कम 30 मिनट धूप में बिताएं।किसी भी व्यक्ति को ठंड का एहसास होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ठंड से बचाव करने के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार लें व गर्म कपड़े पहने और शरीर को हाइड्रेट रखें।
- ओरल हेल्थ का सही ध्यान न रखने या गलत खान-पान के कारण दांतों से जुड़ी समस्याएं काफी आम हो गई है। छोटे बच्चों में भी दांत दर्द की परेशानी बढ़ गई है, जिससे राहत दिलाने के लिए पेरेंट्स बहुत कोशिश करते हैं। दांत में दर्द आमतौर पर दो तरह से होते हैं, जिसमें सेंसिटिविटी और कैविटी शामिल है। ऐसे में दांत दर्द से राहत पाने के लिए कई लोग घरेलू उपायों को भी ट्राई करते हैं, जिसमें लौंग का तेल भी काफी फायदेमंद माना जाता है।दांत दर्द में लौंग तेल के फायदेआयुर्वेद के अनुसार, लौंग के तेल में एनेस्थेटिक यानी दर्द निवारक गुण होते हैं। यह दांतों में कैविटी या ठंडी चीजें खाने से होने वाले दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इस तेल को दर्द वाले दांत पर लगाने से उस जगह पर सुन्नपन आ जाता है और ठंडक भी महसूस होती है, जिससे दर्द कम करने में मदद मिल सकती है। लौंग का तेल दांतों पर लगाने के फायदे ये हैं-1. दर्द से राहतलौंग के तेल में नेचुरल एनेस्थेटिक गुण होते हैं, जो दांत के प्रभावित क्षेत्र को सुन्न करने और दांतों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं, खासकर कैविटी या ठंड के कारण दांतों में होने वाली समस्या में। लौंग के तेल के कारण मिलने वाले ठंडक का एहसास, दांतों में हो रहे दर्द को कम करता है और सूजन को शांत करता है।2. एंटीबैक्टीरियल गुणलौंग के तेल में पाए जाने वाला यूजेनॉल ओरल बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है, जो दांतों में होने वाले इंफेक्शन से लड़ने और खराब सांस की समस्या को रोकने में फायदेमंद है।3. दांतों के सूजन को कम करेंमसूड़ों में होने वाली सूजन और जलन को कम करने में लौंग का तेल काफी फायदेमंद माना जाता है, जो दांत दर्द की समस्या का कारण बन सकते हैं।दांत दर्द में लौंग के तेल का उपयोग कैसे करें?दांत दर्द से राहत पाने के लिए आप अपने दांतों पर लौंग का तेल लगा सकते हैं। इस तेल का उपयोग करने के लिए सबसे पहले आप लौंग तेल की 1 या 2 बूंदे लें। आप इसे नारियल तेल में मिलाकर या सीधे तौर पर अपने दांतों पर लगा सकते हैं। इस तेल को दर्द वाले दांतों पर लगाने के लिए आप कॉटन या साफ ईयरबड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस रूई या ईयरबड को आप दर्द वाले क्षेत्र पर 10 से 15 मिनट के लिए रखें। थोड़ें समय में आपको आराम मिल जाएगा।अगली बार जब आपको दांतों में दर्द हो तो ये सोचने के बजाए कि दांतों के दर्द को तुरंत कैसे दूर करें? आप लौंग के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तेल में मौजूद एनेस्थेटिक गुण दर्द को कम करने में मदद करेंगे। लेकिन दांत में दर्द बरकरार रहने पर आप डेंटिस्ट से कंसल्ट करें।
- आपने तिल के लड्डू और तिल के तेल के बारे में तो सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी तिल के दूध के बारे में सुना है। दरअसल, तिल को पानी के साथ पीसकर तिल का दूध तैयार किया जाता है। जिन लोगों को लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या रहती है, उन लोगों के लिए तिल का दूध परफेक्ट ऑप्शन है। इसके अलावा जिन लोगों को नट्स से एलर्जी रहती है, वो भी तिल के दूध का सेवन कर सकते हैं। इसमें फाइबर के साथ प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी पाया जाता है। इसका स्वाद क्रिमी और स्मूद होता है, इसलिए आप इसे कॉफी बनाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।तिल का दूध पीने से सेहत को मिलने वाले फायदे-पोषक तत्वों से भरपूरतिल के दूध में आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। इसमें फाइबर के साथ हेल्दी फैट्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन बी मौजूद होता है। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत रहती हैं और बोन हेल्थ को फायदा होता है। इन पोषक तत्वों के कारण यह बॉडी में एनर्जी प्रोडक्शन में भी मदद करता है।इंफ्लेमेशन कम होती हैतिल के दूध में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स बॉडी में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इससे इंफ्लेमेशन कम होती है और कई बीमारियों का खतरा कम होता है।कोलेस्ट्रॉल मेंटेन रहता हैतिल के दूध में हेल्दी फैट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स पाया जाता है, जो हार्ट को हेल्दी रखने के लिए जरूरी है। इसके सेवन से बॉडी में कोलेस्ट्रॉल लेवल भी मेंटेन रहता है।बोन हेल्थ को फायदा होता हैतिल से बने दूध में कैल्शियम और मैग्नीशियम कंटेंट अधिक होता है। इन पोषक तत्वों के कारण हड्डियों को मजबूती मिलती है और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है।त्वचा के लिए फायदेमंदतिल से बने दूध में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स और मिनरल्स मौजूद होते हैं। ये मिनरल्स स्किन हेल्थ इंप्रूव करने में मदद करते हैं। इनसे स्किन में हाइड्रेशन और मॉइस्चर बना रहता है और त्वचा संबंधित समस्याओं का खतरा कम होता है। इसे चेहरे पर लगाने और पीने से स्किन एजिंग भी कंट्रोल रहती है।पाचन तंत्र को स्वस्थ रखेंपाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए तिल का दूध फायदेमंद है। इसमें फाइबर अधिक होता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसे डाइट में शामिल करने से कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।घर पर कैसे बनाएं तिल का दूधतिल का दूध बनाने के लिए आपको तिल को पानी के साथ ग्राइंड करके इसका दूध बना लेना है। स्वाद के लिए आप इसमें खजूर और एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिला सकते हैं।अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या रहती है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
- आजकल सफेद बालों की समस्या तेजी से बढ़ रही है, यह समस्या केवल उम्रदराज़ लोगों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि युवाओं में भी आम हो गई है। दरअसल, खराब खान-पान, तनाव और प्रदूषण जैसे कारण बालों के असमय सफेद होने की समस्या बढ़ रही है। ऐसे में ज्यादातर लोग सफेद बालों को छिपाने के लिए केमिकल युक्त हेयर डाई और प्रोडक्ट्स का सहारा लेते हैं, लेकिन ये समाधान अस्थायी और कभी-कभी नुकसानदायक हो सकते हैं। इसके बजाय, सफेद बालों को रोकने और बालों की प्राकृतिक खूबसूरती बनाए रखने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना जरूरी है।सफेद बाल होने से कैसे रोकें? -1. हेल्दी डाइट और विटामिन्सबालों का स्वास्थ्य सीधे आपके खान-पान से जुड़ा होता है। बालों में रंग देने वाले मेलेनिन की कमी को सही डाइट से पूरा किया जा सकता है। जो लोग अपने सफेद बालों के लिए घरेलू नुस्खे ढ़ूंढ रहे हैं उन्हें बैलेंस डाइट लेनी चाहिए। संतुलित आहार यानी बैलेंस डाइट से मेलेनिन को बढ़ावा मिलता है, जिससे बालों का समय से पहले सफेद होना रोका जा सकता है।विटामिन B12: सफेद बालों को रोकने में मदद करता है। इसे दूध, अंडे और दही में पाया जा सकता है।आयरन और फोलिक एसिड: बालों की जड़ों को मजबूत करता है। पालक, चुकंदर, और अनार इसके अच्छे सोर्स हैं।ओमेगा-3 फैटी एसिड: बालों को नमी और मजबूती देता है। यह बादाम, अखरोट और मछली में पाया जाता है।2. तनाव मैनेजमेंट तकनीकतनाव बालों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है और सफेद बालों की समस्या को बढ़ा सकता है। डर्मेटोलॉजिस्ट के अनुसार, तनाव से फ्री रेडिकल्स बढ़ते हैं, जो बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं।योग और ध्यान: बालों की जड़ों में ब्लड सर्कुलेशन सुधारने के लिए रोजाना प्राणायाम करें।रोजाना एक्सरसाइज: नियमित वॉक और हल्की एक्सरसाइज तनाव को कम करती है।अच्छी नींद: 7-8 घंटे की नींद से शरीर में हार्मोन संतुलित रहते हैं।3. केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट्स से बचावकेमिकल युक्त प्रोडक्ट्स बालों की प्राकृतिक नमी को खत्म कर देते हैं और बालों को जल्दी सफेद कर सकते हैं। हफ्ते में एक बार हेयर स्पा या डीप कंडीशनिंग बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखता है।-मेडिकेटेड या हर्बल शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें।-केमिकल फ्री हेयर ऑयल जैसे नारियल तेल, आंवला तेल, और ब्राह्मी तेल बालों की जड़ों को पोषण देते हैं।-आंवला, रीठा, शिकाकाई और मेंहदी जैसी चीजों से बालों की देखभाल करें।सफेद बालों की समस्या को कंट्रोल करना संभव है, बशर्ते आप सही डाइट, तनाव मैनेजमेंट और नेचुरल हेयर केयर रूटीन अपनाएं। नियमित देखभाल से आप सफेद बालों की समस्या को काफी हद तक रोक सकते हैं।
- बिजी लाइफस्टाइल में लोगों को खुद अपनी फिटनेस मेंटेन करने तक के लिए समय निकालना आसान काम नहीं है। ऐसे में खानपान की खराब आदतें और सुस्त जीवनशैली लोगों के पेट के आसपास चर्बी जमा होने का कारण बनने लगती है। परेशानी की बात यह है कि पेट और कमर के आसपास जमे फैट को कम करने में व्यक्ति को लंबा समय लग जाता है। अगर आपका लाइफस्टाइल भी बेहद व्यस्त रहता है और आप अपना बेली फैट जल्द कम करना चाहते है तो सोने से पहले बिस्तर पर लेटे-लेटे खुद को ये 3 एक्सरसाइज करने की आदत डालें।बेली फैट से छुटकारा पाने के लिए बिस्तर पर लेटे-लेटे करें ये 3 एक्सरसाइजलेग रेजलेग रेज एक्ससाइज बिस्तर पर लेटकर भी बड़ी आसानी से की जा सकती है। इस एक्सरसाइज को करते समय पेट और जांघों पर दबाव पड़ता है, जिससे बेली फैट को कम करने में मदद मिलती है। लेग रेज एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले आप अपने बिस्तर पर सीधा लेट जाएं। इसके बाद अपने पैरों को साथ में मिलाकर धीरे-धीरे आकाश की तरफ उठाएं। पैर उठाते समय 45 डिग्री का एंगल बनाते हुए कुछ देर उसी अवस्था में रुकें। इसके बाद 60 डिग्री का एंगल बनाकर 2 से 3 मिनट होल्ड करें। धीरे धीरे आप 5 से 15 मिनट तक होल्ड करने का प्रयास करें।प्लैंक होल्डकोर को स्ट्रांग बनाकर पेट कम करने वाली इस एक्सरसाइज को भी आप बिस्तर पर लेटे-लेटे कर सकते हैं। प्लैंक एक्सरसाइज दिखने में भले ही बहुत ही आसान लगे। लेकिन अपने पंजों और फोर आर्म्स पर पूरी बॉडी वेट को बैलेंस करना कोई आसान काम नहीं होता है। प्लैंक के जरिए पेट की चर्बी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। साल 2015 में प्लैंक एक्सरसाइज को लेकर एक स्टडी की गई थी। स्टडी में बताया गया कि प्लैंक एक्सरसाइज के जरिए ना केवल आप अपने पेट की मसल्स को टारगेट करते हैं, बल्कि इसका असर आपकी बैक, लैट्स, पैरों और एंकल तक पर भी आता है। जिससे इन सभी बॉडी पार्ट्स की मांसपेशियां मजबूत होती है। प्लैंक करने के लिए सबसे पहले आप पेट के बल लेटकर अपने पंजों और कोहनी के बल पर शरीर को ऊपर उठा कर रखें। ऐसा करते समय आपके हाथ आपके कंधों के ठीक नीचे होंगे। इसके बाद अपनी पूरे शरीर को सीधा रखते हुए ना तो पेट या कूल्हों को अधिक ऊपर उठाए और ना ही उन्हें ज्यादा अंदर करें। अपनी गर्दन को सीधा रखें और नीचे की ओर देखें। इस मुद्रा में कम से कम 10 से 30 सेकंड तक बने रहें।साइकिल क्रंचेससाइकिल क्रंचेस एक कोर व्यायाम है जो आपके पूरे कोर को मजबूत करने का काम करता है। यह रेक्टस एब्डोमिनिस, ऑब्लिक मांसपेशियों, और ट्रांसवर्स एब्डोमिनिस को टारगेट करता है। साइकिल क्रंचेस करने के लिए सिर के पीछे हाथ रखकर पीठ के बल लेट जाएं, घुटनों को छाती तक उठाएं और सिर और कंधों को जमीन से ऊपर उठाएं, इसे साइड बदलकर पैडल चलाने की गति में जारी रखें।
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लंग इंफेक्शन होने के कई कारण होते हैं, जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगाई और एन्वायरमेंटल इर्रिटेंट। इसे विस्तार से समझें। किसी को बैक्टीरिया के कारण निमोनिया हो सकता है। यह लंग इंफेक्शन के कारण ही होता है। इसी तरह, वायरल निमोनिया भी हो सकता है, जो लंग इंफेक्शन होने पर देखा जाता है। हालांकि, वायरल निमोनिया, बैक्टीरियल निमोनिया की तरह खतरनाक नहीं है। कुछ मामलों में वायरल निमोनिया अपने आप ठीक हो जाता है। वहीं, कुछ गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। फंगाई भी लंग इंफेक्शन की वजह बन सकता है। बहरहाल, सवाल यह है कि क्या वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों में इंफेक्शन हो सकता है? इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है, हां, यह सच है कि वायु प्रदूषण के कारण लंग इंफेक्शन का जोखिम बढ़ सकता है।
वायु प्रदूषण के कारण हुए लंग इंफेक्शन के लक्षणखांसीः खांसना सर्दी-जुकाम, लंग इंफेक्शन, अस्थमा आदि कई बीमारियों का कॉमन लक्षण है। इसके बावजूद, इसकी अनदेखी करना सही नहीं है। आप यह जरूर नोटिस करें कि अगर वायु प्रदूषण के बाद बढ़ने के बाद आपको खांसी की समस्या बढ़ी है, तो यह लंग इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है। इसकी अनदेखी करना सही नहीं है।सांस लेने में तकलीफः अगर बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है या सांस लेते हुए सीटी की आवाज आ रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह फेफड़ों में संक्रमण की ओर इशारा करता है।छाती में भारीपनः कई बार आपने नोटिस किया होगा कि जिन लोगों को निमोनिया होता है, उन्हें अक्सर छाती में भारीपन रहता है। असल में, यह लंग इंफेक्शन का ही लक्षण है। छाती में भारीपन, टाइटनेस और जकड़न महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज करवाएं।सीने में दर्दः वैसे तो एसिडिटी आदि समस्याओं में सीने में दर्द की समस्या हो सकती है। लेकिन, अगर ऊपर बताए गए लक्षणों के साथ-साथ सीने में दर्द भी हो, तो यह भी लंग इंफेक्शन के खतरे की ओर इशारा करता है। यही नहीं, कई बार खांसने या छींकने के दौरान सीने का दर्द बढ़ जाता है।बुखार आनाः लंग इंफेक्शन होने पर मरीज को बुखार के लक्षण भी नजर आ सकते हैं। आपको बता दें कि बुखार का मतलब है कि आपका शरीर किसी बाहरी इंफेक्शन से लड़ने की कोशिश कर रहा है। जब आपके शरीर को अतिरिक्त किसी संक्रमण से लड़ने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, तब बुखार जैसा महसूस होता है। - अकसर कई बार व्यक्ति खाने-पीने की जिन चीजों को हेल्दी समझकर लंबे समय से खा रहा होता है, वो असल जीवन में उसकी सेहत को फायदे की जगह नुकसान पहुंचा रही होती हैं। ऐसा ही कुछ अरहर दाल के साथ भी है। अरहर दाल की तासीर गर्म होने के साथ इसमें पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा यह दाल प्रोटीन का रिच सोर्स होने की वजह से कई लोगों की सेहत को अच्छा बनाने की जगह बिगाड़ भी सकती है। आइए जानते हैं किन लोगों को अरहर दाल का सेवन करने से बचना चाहिए।इन लोगों को नहीं खानी चाहिए अरहर की दाल--किडनी रोगीकिडनी रोगियों को अरहर दाल का सेवन करने से बचना चाहिए। अरहर दाल में पोटैशियम प्रचूर मात्रा में मौजूद होता है, जो किडनी की समस्या को और ज्यादा बढ़ा सकती है। इस दाल के अधिक सेवन से पथरी की समस्या भी पैदा हो सकती है।मोटापाअरहर दाल में कैलोरी की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में अगर आप पहले से ही अपनी वेट लॉस जर्नी पर हैं और अनजाने में इसका अधिक मात्रा में सेवन कर रहे हैं तो यह आपके वजन को कंट्रोल रखने की जगह और ज्यादा बढ़ा सकती है। बता दें, जरूरत से ज्यादा कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा तेजी से वजन बढ़ाने का काम करती है।बवासीर रोगीअरहर दाल में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने की वजह से बवासीर रोगियों को भी इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से बचना चाहिए। अरहर दाल में मौजूद प्रोटीन को पचाने में पाचन तंत्र को अधिक समय लगता है। जिससे कई बार पेट में कब्ज की शिकायत के बाद बवासीर की समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में अगर आप पहले से ही बवासीर की समस्या झेल रहे हैं तो पाइल्स के मस्सों में सूजन, ब्लीडिंग आदि जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।बढ़ सकता है ब्लड शुगरअरहर दाल की अधिक मात्रा में सेवन करने से आपका शुगर लेवल बढ़ सकता है। दरअसल, अरहर दाल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है। जो ज्यादा मात्रा में खाने से ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकता है। जिससे डायबिटीज रोगियों की सेहत के लिए खतरा बढ़ सकता है।एलर्जीजिन लोगों को अरहर दाल खाने से एलर्जी है, उन्हें भी इसका सेवन करने से बचना चाहिए। इसका सेवन करने पर उनके लिए एलर्जी का खतरा बढ़ सकता है। जिससे उन्हें स्किन रैशेज, खुजली, लाल चकत्ते की समस्या हो सकती है।
- सर्दियों में इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए डाइट पर ध्यान देना जरूरी है। इस दौरान डाइट में उन चीजों को शामिल किया जाता है जिनकी तासीर गर्म होती है। गर्म तासीर वाली चीजें इम्यूनिटी बूस्ट करने और बीमारियों के खतरे से बचाने में मदद करती हैं। बॉडी में एनर्जी मेंटेन रखने के लिए इस दौरान काजू, बादाम, अखरोट और चिलगोजा जैसे ड्राई फ्रूटस भी खाने चाहिए। इनमें सबसे खास चिलगोजा है, जो सर्दियों में खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ई, मैग्नीशियम, बी कॉम्पलैक्स, जिंक, कॉपर और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ये सर्दियों में ज्यादा क्यों फायदेमंद है? आइये लेख के माध्यम से जानें इस बारे में।एनर्जी बूस्ट करता है-सर्दियों में चिलगोजा खाने से एनर्जी लेवल भी बूस्ट होता है। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स के साथ मोनोसैचुरेटेड फैट्स मौजूद होते हैं, जिससे एनर्जी बूस्ट होती है। ये हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। सर्दियों में शरीर में गर्माहट बनाए रखने के लिए चिलगोजा खाना फायदेमंद है।इम्यूनिटी बूस्ट होती हैचिलगोजा में विटामिन ई, मैग्नीशियम, बी कॉम्पलैक्स, जिंक, कॉपर और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग रखने में मदद करते हैं। जिंक व्हाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे इंफेक्शन का खतरा कम होता है।स्किन हेल्थ इम्प्रूव होती हैसर्दियों में स्किन में ड्राईनेस बढ़ जाती है। चिलगोजा स्किन को हाइड्रेट और मॉइस्चराइज रखता है। इसमें विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं। इससे स्किन हेल्दी रहती है और रंगत में निखार भी आता है।मूड बूस्ट होता हैसर्दियों में कई लोगों को मूड स्विंग्स भी रहते हैं। ऐसे में चिलगोजा खाना फायदेमंद होता है। चिलगोजा में मैग्नीशियम होता है, जो मूड को बूस्ट करने में मदद करता है। इसके सेवन से थकावट और कमजोरी नहीं होती है। इसके सेवन से माइंड और बॉडी दोनों रिलैक्स रहते हैं।पाचन तंत्र स्वस्थ रहता हैचिलगोजा में फाइबर मौजूद होता है, जो खाना पचाने में मदद करता है। इससे गट हेल्थ बूस्ट होती है जो पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। इसके सेवन से ब्लोटिंग और कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होती हैं, जो सर्दियों में होना आम बात है।इन फायदों के लिए चिलगोजा को सर्दियों में जरूर खाना चाहिए। इसे आप सूप, पास्ता या सलाद में डालकर खा सकते हैं। इसके अलावा, इसे स्नैक्स की तरह भी खाया जा सकता है।