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- अच्छी सेहत के लिए नींद कितनी जरूरी है ये हम सभी अक्सर पढ़ते-सुनते रहते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम जितना जरूरी है, अच्छी नींद की भी उतनी ही आवश्यकता होती है। नींद पूरी न होने के कारण कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है।इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है उनमें डायबिटीज होने का खतरा अधिक हो सकता है। इतना ही नहीं अगर आप एक हफ्ते भी अच्छी नींद नहीं ले पा रहे हैं तो इससे भी टाइप-2 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ सकता है।जर्नल डायबिटीज केयर में प्रकाशित इस अध्यययन की रिपोर्ट के मुताबिक नींद हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। सप्ताह भर की भी अनियमित नींद मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में टाइप 2 डायबिटीज होने के खतरे को 34 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।नींद की कमी और डायबिटीज का खतरास्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो सात दिनों के नींद के गड़बड़ आदत की तुलना लंबे अवधि में नींद की समस्याओं के दुष्प्रभावों से नहीं की जा सकती है फिर भी हमें पता चलता है कि कुछ दिन भी नींद पूरी न होने की स्थिति और जीवनशैली में बदलाव के कारण भी स्वास्थ्य संबंधित खतरे बढ़ सकते हैं।वहीं ये भी पता चलता है कि जो लोग रोज रात में अच्छी और निर्बाध नींद लेते हैं उनमें डायबिटीज का जोखिम कम हो सकता है।ब्रिघम एंड वूमन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन ने अच्छी नींद की आवश्यकताओं को लेकर एक बार फिर से लोगों को अलर्ट किया है।अध्ययन में क्या पता चला?शोधकर्ता कहते हैं, टाइप-2 डायबिटीज एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो दुनियाभर में लगभग आधे अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह मृत्यु और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारणों की शीर्ष सूची में भी शामिल है।पूर्वानुमानों के अनुसार साल 2050 तक इस खतरनाक रोग से प्रभावित लोगों की संख्या दोगुनी हो सकती, इसलिए मधुमेह की रोकथाम के लिए निरंतर प्रयास किए जाने आवश्यक हैं।टीम ने इस शोध के लिए यूके बायोबैंक से 84,000 से अधिक प्रतिभागियों के डेटा का गहन अध्ययन किया। प्रतिभागियों की औसत आयु 62 वर्ष थी, इनकी नींद को ट्रैक करने के लिए एक सप्ताह तक उपकरण पहनने को दिए गए।अनियमित नींद के दुष्प्रभावअध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन प्रतिभागियों ने रात में 7-9 घंटे की अच्छी नींद ली, उनकी तुलना में अनियमित नींद (प्रतिदिन की नींद में औसतन 60 मिनट से अधिक की कमी) वाले प्रतिभागियों में मधुमेह विकसित होने का 34% अधिक जोखिम पाया गया।जीवनशैली की आदतों और मोटापे जैसे अन्य कारकों में सुधार करने के बाद भी जिन लोगों में नींद की कमी थी उनमें इस रोग का जोखिम अधिक देखा गया।क्या कहती हैं शोधकर्ता?ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल की रिसर्च फेलो और अध्ययन की प्रमुख लेखिका सिना कियानेर्सी ने कहा, हमारे निष्कर्ष टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए नींद के पैटर्न में सुधार के महत्व को रेखांकित करते हैं। नींद की कमी मेटाबॉलिज्म सहित कई प्रकार की हार्मोनल समस्याओं को बढ़ा सकती है जिससे डायबिटीज का जोखिम रहता है।वैसे तो 7 दिन की नींद की अवधि का आकलन दीर्घकालिक नींद के पैटर्न से नहीं किया जा सकता है फिर भी अगर इतनी कम अवधि की नींद में गड़बड़ी से खतरा बढ़ सकता है तो हमें बहुत सावधान हो जाने की जरूरत है।कम उम्र से ही अच्छी नींद पर ध्यान देकर मधुमेह के जोखिमों के कम करने में मदद मिल सकती है।
- चाय एक ऐसी चीज है, जिसपर अक्सर लोग लंबे समय तक चर्चा करते हैं। भारत में चाय सबसे आम और ज्यादा चलने वाली ड्रिंक्स में आती हैं। चाय पीने के साथ अक्सर लोग नमकीन, बिस्कुट और स्नैक्स खाने का शौक रखते हैं। बारिश के समय में अक्सर लोग चाय के साथ पकौड़े खाने का आनंद लेते हैं। लेकिन, क्या ऐसा करना वाकई सेहत के लिए अच्छा होता है? इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे चाय के साथ पकौड़े खाना सेहत के लिए कितना सही होता है।क्या चाय के साथ पकौड़े खाना सही है?एक्सपर्ट के मुताबिक आमतौर पर लोग चाय के साथ पकौड़े खाने के शौक रखते हैं। चाय के साथ पकौड़े खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। चाय-पकौड़े का कॉम्बिनेशन आमतौर पर सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। चाय के साथ पकौड़े इसलिए नहीं खाने चाहिए क्योंकि पकौड़ों में तेल की ज्यादा मात्रा होती है और मानसून के दौरान गंदे तेल या बिना साफ-सफाई के पकौड़े नहीं खाने चाहिए। इससे आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है साथ ही साथ कुछ मामलों में आपको पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।चाय के साथ पकौड़े खाने के नुकसान1. बढ़ सकता है वजनअगर आप उन्हीं लोगों में शामिल हैं, जिन्हें चाय के साथ पकौड़े खानी की आदत है तो ऐसे में आप मोटापे के शिकार हो सकते हैं। चाय के साथ पकौड़े खाने से शरीर में वसा की बढ़ सकती है। दरअसल, चाय और पकौड़े हेवी होते हैं, जिन्हें खाने से आपकी शरीर में तेल और फैट जम जाता है, जो आगे चलकर मोटापे में बदल सकता है।2. हार्ट से जुड़ी समस्याएंचाय के साथ पकौड़े खाने से आपको कहीं न कहीं हार्ट से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, पकौड़े में तेल की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर में जम जाती हैं और आपके कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकती हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिससे हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप पहले से ही हार्ट के मरीज हैं तो ऐसे में चाय के साथ पकौड़े खाना नुकसानदायक हो सकता है।3. पोषक तत्वों का अवशोषण कम हो सकता हैअगर आप चाय के साथ पकौड़े खाते हैं तो ऐसे में शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण पर भी असर पड़ सकता है। दरअसल, चाय में टैनिन की मात्रा होती है, जो शरीर में पहुंचकर आयरन और अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण को कम कर सकते हैं। ऐसे में कुछ मामलों में आपको शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है।4. हो सकती हैं पाचन संबंधी समस्याएंचाय के साथ पकौड़े खाने से आपको पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, पकौड़े में मसाले होते हैं, जिसे खाने से गैस, अपच और खट्टी डकार आने जैसी समस्या हो सकती है। ऐसे में आपको पेट में जलन और कुछ मामलों में दर्द का भी सामना करना पड़ सकता है।
- हमारी भारतीय रसोई में करी पत्ता, जिसे मीठी नीम या कढ़ी पत्ता भी कहते हैं, भारतीय रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पकवानों में लाजवाब स्वाद घोलने के साथ-साथ, हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। दिखने में यह छोटा सा पत्ता हमारे कई गंभीर बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद कर सकता है।करी पत्ते में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन A, B, C, और खनिज जैसे आयरन, कैल्शियम, और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो एक प्राकृतिक औषधि के समान काम करता है। खासकर मानसून के मौसम में, जब स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां बढ़ जाती हैं, रोज सुबह खाली पेट करी पत्ते का पानी पीना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। यह न केवल डायबिटीज और मोटापे जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है। आइए इस लेख में हम करी पत्ते के पानी के असाधारण लाभों और उसके पीछे के विज्ञान के बारे में विस्तार से जानते हैं।डायबिटीज नियंत्रणकरी पत्ते में एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसमें मौजूद कार्बाजोल अल्कलॉइड्स इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाते हैं और ग्लूकोज के अवशोषण को कम करते हैं। रोज सुबह 8-10 ताजे करी पत्तों को पानी में उबालकर या रातभर भिगोकर उस पानी को पीने से डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिलता है। यह इंसुलिन के लेवल को संतुलित करता है और डायबिटीज से संबंधित को कम करता है।मोटापा दूर करने में मददकरी पत्ते का पानी वजन नियंत्रण में भी प्रभावी है। इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं और फैट बर्न करने में मदद करते हैं। यह भूख को नियंत्रित करता है, जिससे अधिक खाने की आदत कम होती है।पाचन में सुधारसाथ ही, करी पत्ता पाचन एंजाइम्स को उत्तेजित करता है, जिससे कब्ज, गैस, और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं। जबइम्यूनिटी मजबूत करता हैकरी पत्ते में मौजूद विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं, जो मानसून में सर्दी-जुकाम और वायरल इंफेक्शन से बचाव करता है।
- भारतीय रसोई में सौंफ सिर्फ एक माउथ फ्रेशनर या मसाले के तौर पर ही इस्तेमाल होती है, लेकिन साथ ही यह अपने औषधीय गुणों के लिए भी जानी जाती है। भोजन के बाद सौंफ खाना हमारी पुरानी परंपरा का हिस्सा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोजाना सौंफ का पानी पीना आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है? यह एक साधारण घरेलू उपाय है जो कई गंभीर बीमारियों से राहत दिला सकता है और आपके शरीर को अंदर से मजबूत बना सकता है।सौंफ में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर जैसे कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। यही वजह है कि सौंफ का पानी न केवल पाचन को दुरुस्त रखता है, बल्कि वजन घटाने, शरीर को डिटॉक्स करने और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है। आइए इस लेख में सौंफ का पानी पीने के चार प्रमुख स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानते हैं।पाचन तंत्र को बनाए मजबूतसौंफ का पानी पाचन संबंधी समस्याओं के लिए एक रामबाण इलाज माना जाता है। इसमें मौजूद एसेंशियल ऑयल और फाइबर पाचन प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं। यह पेट की गैस, एसिडिटी, कब्ज और सूजन जैसी समस्याओं से तुरंत राहत दिलाता है। सौंफ में एनेथोल नामक यौगिक होता है, जो पेट की मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है और ऐंठन को कम करता है।वजन घटाने में सहायकयदि आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो सौंफ का पानी आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है, जिससे शरीर में कैलोरी ज्यादा तेजी से बर्न होती है। सौंफ का पानी प्राकृतिक रूप से मूत्रवर्धक होता है, जो शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद फाइबर आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे अनहेल्दी स्नैकिंग और ज्यादा खाने की इच्छा कम होती है।शरीर को डिटॉक्स करे और रक्त को शुद्ध करेसौंफ का पानी एक बेहतरीन प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है। यह शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे किडनी और लिवर स्वस्थ रहते हैं। नियमित रूप से सौंफ का पानी पीने से खून साफ होता है, जिससे त्वचा साफ और चमकदार दिखती है। यह शरीर के आंतरिक अंगों की सफाई कर उन्हें बेहतर ढंग से कार्य करने में मदद करता है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।हार्मोनल संतुलनसौंफ का पानी महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है। यह हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जिससे मासिक धर्म संबंधी समस्याओं, जैसे अनियमित पीरियड्स और पीएमएस (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) के लक्षणों में राहत मिलती है। सौंफ में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजन जैसे गुण मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द को कम करने में सहायक होते हैं। यह महिलाओं में मूड स्विंग्स को नियंत्रित करने और मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है।
- खूबसूरत लंबे घने बाल ना सिर्फ आपके चेहरे की सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि अच्छी सेहत की भी निशानी होते हैं। हालांकि आजकल बिगड़ी हुई जीवनशैली, बढ़ता तनाव, खानपान की खराब आदतें और बालों पर करवाया जाने वाला केमिकल ट्रीटमेंट, ज्यादातर लोगों के लिए हेयर फॉल की समस्या पैदा कर रहा है। चिंता की बात यह है कि 35 की उम्र के बाद महिलाओं में यह समस्या ज्यादा बढ़ने लगती है। अगर आप भी बालों के झड़ने से परेशान रहते हैं तो हेयर फॉल कंट्रोल करने के लिए पार्लर में अपॉइंटमेंट नहीं बल्कि इसके पीछे की असल वजह और उपचार का पता लगाएं।आइए जानते हैं आखिर किन कारणों से 35 की उम्र के बाद महिलाओं को शुरू हो जाती है हेयर फॉल की समस्या और कैसे इसे कर सकते हैं कंट्रोल।हार्मोनल बदलावमहिलाओं के शरीर में 35 के बाद कई तरह के हार्मोनल बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। लेकिन यह बदलाव 40 की उम्र आने तक काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। इस उम्र में कई महिलाएं अपने प्रीमेनोपॉज फेज से गुजर रही होती है तो कुछ का उम्र बढ़ने की वजह से शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने लगता है। इन दोनों हार्मोन के कम होने से हेयर फॉलिकल्स कमजोर हो जाते हैं, जिससे बाल पतले और टूटने लगते हैं।पोषक तत्वों की कमीशरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व आयरन, विटामिन डी, बायोटिन और प्रोटीन की कमी लंबे समय तक होने से भी हेयर फॉल की समस्या हो सकती है।स्ट्रेसलाइफ में बढ़ता स्ट्रेस भी आपके हेयर फॉल का कारण बन सकता है। जो महिलाएं लंबे समय तक स्ट्रेस में रहती हैं उनकी हेयर ग्रोथ साइकिल डिस्टर्ब हो जाती है, जो हेयर फॉल का कारण बनती है।मेडिकल कंडीशनउम्र बढ़ने के साथ अगर आपको थायराइड डिसऑर्डर, डायबिटीज या ऑटोइम्यून डिजीज जैसी कोई मेडिकल समस्या है तो भी आपको हेयर फॉल की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कई बार कुछ खास दवाएं जैसे ब्लड प्रेशर, कीमोथेरेपी, एंटीडिप्रेसेंट्स लेने से भी हेयर फॉल हो सकता है।केमिकल ट्रीटमेंटबालों को खूबसूरत और फैशनेबल लुक देने के लिए जरूरत से ज्यादा हीट स्टाइलिंग, केमिकल ट्रीटमेंट या टाइट हेयरस्टाइल ट्राई करने से भी बढ़ती उम्र के साथ हेयर फॉल की समस्या हो सकती है।सलाह40 के बाद हेयर फॉल को पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता है लेकिन इसे कंट्रोल बिल्कुल किया जा सकता है। इसके लिए महिला को अपनी डाइट में आयरन, विटामिन डी, बायोटिन और प्रोटीन जैसे कुछ पोषक तत्व जरूर शामिल करने चाहिए। बालों की मजबूती के लिए डाइट और हेयर केयर दोनों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।--
- घर में वास्तु दोष होने से परिवार के सदस्यों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। बार-बार बीमारी, तनाव और मानसिक परेशानियां वास्तु दोष का संकेत हो सकती हैं। कुछ आसान वास्तु उपाय अपनाकर आप नेगेटिविटी को कम कर सकते हैं और परिवार की सेहत को बेहतर बना सकते हैं। आइए जानें इनके बारे में।वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य दरवाजे के सामने गड्ढा, कीचड़ या गंदगी मानसिक तनाव और रोगों को न्योता देती है। यह वास्तु दोष परिवार की सेहत को प्रभावित करता है। इस दोष को दूर करने के लिए गड्ढे को मिट्टी से भर दें और दरवाजे के सामने साफ-सफाई रखें। एंटरेस स्वच्छ होने से सकारात्मकता बढ़ती है, जिससे परिवार स्वस्थ रहता है।भोजन के समय दिशा का ध्यानवास्तु शास्त्र कहता है कि भोजन करते समय चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और सेहत को बेहतर रखता है। गलत दिशा में भोजन करने से पाचन संबंधी समस्याओं के साथ तनाव बढ़ सकता है। भोजन करने वाले जगह को साफ और शांत रखें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे और परिवार स्वस्थ रहे।पेड़ या खंभे की छाया से बचेंघर के सामने बड़ा पेड़ या खंभा, जिसकी छाया घर पर पड़ती हो, वास्तु दोष पैदा करता है। यह परिवार की सेहत और मानसिक शांति को प्रभावित करता है। इस दोष को दूर करने के लिए मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक पॉजिटिविटी को अट्रैक्ट करता है और नेगेटिविटी को कम करता है, जिससे परिवार स्वस्थ रहता है।बेडरूम में पुरानी चीजों से बचेंवास्तु के अनुसार, बेडरूम में पुरानी, बेकार चीजें इकट्ठा करना नेगेटिविटी को बढ़ाता है। यह वायरस और बीमारियों को जन्म दे सकता है। बेडरूम को साफ, व्यवस्थित और हवादार रखें। अनावश्यक सामान हटाएं और बेड के नीचे कुछ भी ना रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और परिवार की सेहत सुधरती है।बेडरूम में शीशाबेडरूम में बेड के सामने ड्रेसिंग टेबल होना वास्तु दोष पैदा करता है, जिससे सेहत और मानसिक शांति प्रभावित होती है। साथ ही, बीम के नीचे सोने से तनाव बढ़ता है। बेडरूम में भगवान की तस्वीरें भी न लगाएं। ड्रेसिंग टेबल को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें और रात को ढक दें। बीम को सजावट के जरिए छिपा दें।आग्नेय कोण में लाल बल्बवास्तु के अनुसार, घर के दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) कोण में रोजाना लाल रंग का बल्ब या मोमबत्ती जलाने से परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है। लाल रंग अग्नि तत्व का प्रतीक है, जो सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य को बढ़ाता है। इस कोने को साफ रखें और नियमित रूप से यह उपाय करें। इससे बीमारियां दूर रहती हैं।स्वस्थ और सुखी जीवनवास्तु के ये आसान उपाय आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर परिवार की सेहत को बेहतर बनाते हैं। मुख्य द्वार की सफाई, सही दिशा में भोजन, स्वास्तिक और बेडरूम की व्यवस्था जैसे छोटे बदलाव बड़े परिणाम लाते हैं।
- आजकल के गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या तेजी से बढ़ रही है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में एक मोम जैसा पदार्थ होता है, जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए जरूरी होता है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने पर यह नसों में जमने लगता है और धमनियों को ब्लॉक कर सकता है। इसके कारण स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी कई गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में, इसे कंट्रोल करना बहुत जरूरी हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शरीर में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। इनमें से कुछ लक्षण हमारे हाथों और पैरों में भी नजर आ सकते हैं। यदि समय रहते इन लक्षणों की पहचान कर ली जाए, तो इस समस्या से बचा जा सकता है।हाथों और पैरों में दर्द और ऐंठनअगर आपके हाथों-पैरों में बार-बार दर्द या ऐंठन होती है, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण ब्लड फ्लो बाधित होने लगता है, जिसकी वजह से हाथों और पैरों में दर्द और ऐंठन की समस्या हो सकती है। अगर आपको भी इस तरह की परेशानी हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच करवाएं।त्वचा का रंग बदलनाशरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर का असर आपकी त्वचा की रंगत पर भी पड़ता है। अगर अचानक से आपके हाथों, पैरों और आंखों के आसपास की त्वचा पीली दिखने लगी है, तो यह हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। दरअसल, हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से शरीर के कुछ हिस्सों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता है। इसके कारण हाथों, पैरों और चेहरे की त्वचा का रंग बदल सकता है। अगर आपको भी इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।हाथ-पैरों में झनझनाहट या सुन्नपनहाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में हाथों और पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन महसूस हो सकती है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण ब्लड फ्लो सही ढंग नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से हाथों-पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन की समस्या हो सकती है। अगर आपको बार-बार इस तरह की परेशानी हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।नाखूनों में बदलावहाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में नाखून पीले पड़ने लगते हैं, उनकी बनावट मोटी और भंगुर हो जाती है। साथ ही, नाखूनों में हल्की दरारें या सफेद लकीरें दिखने लगती हैं। अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।पैरों के तलवे हमेशा ठंडे रहनाअगर आपके पैरों के तलवे हमेशा बर्फ की तरह ठंडे रहते हैं, तो यह हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण ब्लड फ्लो सही ढंग से नहीं हो पाता है, जिसके कारण पैर ठंडे महसूस हो सकते हैं। अगर आपको भी इस तरह के संकेत दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- बरसात के मौसम में वातावरण में नमी काफी बढ़ जाती है और इस दौरान कीचड़, गंदा पानी जैसी कई समस्याएं भी चुनौती होती हैं. इस दौरान पैरों में संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि हमारे पैर पानी से भरे गड्ढे, कीचड़ आदि के संपर्क में सबसे ज्यादा आते हैं. कई बार लंबे समय तक पैर भीगे रहते हैं. इस वजह से भी आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचता है और बैक्टीरिटा को पनपने का टाइम भी मिलता है. मानसून में फंगल संक्रमण (जैसे एथलीट्स फुट) की वजह से स्किन पर दाने, रैशेज, इचिंग और घाव हो सकते हैं. इस दौरान हाइजीन की कमी आपको न सिर्फ स्किन संक्रमण का शिकार बना सकती है, बल्कि हेल्थ प्रॉब्लम होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इस आर्टिकल में जानेंगे कि बरसात में पैरों की देखभाल कैसे करें और फंगल इंफेक्शन में कौन से रेमेडी आपके काम आ सकती हैं.बारिश के दौरान बड़ों के मुकाबले पैरों का संक्रमण बच्चों में होने की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि बच्चे अक्सर गंदे पानी में खेलने लगते हैं, इसलिए उनका ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. इस आर्टिकल में हम 5 सावधानियों के बारे में जानेंगे जो आपको पैरों में होने वाले फंगल इंफेक्शन से बचाने में मददगार हैं.मोजे से जुड़े हाइजीन: बारिश में हमेशा सूती मोजे पहनें और रोजाना साफ मोजे ही वियर करें. गीले मोजे संक्रमण का कारण बन सकते हैं, इसलिए तुरंत चेंज क रें.वाटरफ्रूप फुटवियर: बारिश में बाहर निकलते समय वॉटरप्रूफ फुटवियर पहनने चाहिए. इससे गंदा पानी पैरों तक नहीं पहुंच पाता है और पैर अनहेल्दी नमी से भी बचे रहते हैं.पैरों को सुखाकर रखें: बारिश में अगर पैर गीले हो जाएं, तो उन्हें अच्छे से साफ करके तौलिये से पोंछकर सुखाना चाहिए और इसके बाद एंटी-फंगल पाउडर लगाना चाहिए.पैरों की सफाई: बाहर से अगर घर आए हैं तो बिस्तर पर जाने से पहले पैरों को साबुन और गुनगुने पानी से धोना चाहिए. इससे सारी गंदगी और बैक्टीरिया रिमूव हो जाते हैं.खुजलाने से बचें: अगर पैरों या फिर स्किन में कहीं पर भी संक्रमण हो गया है तो खुजलाने से बचें, नहीं तो ये तेजी से फैल सकता है.बचाव के लिए होम रेमेडीजटी ट्री ऑयल: फंगल इंफेक्शन कम करने के लिए आप टी ट्री ऑयल लगा कते हैं क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं.बेकिंग सोडा: पैरों से गंदगी और बैक्टीरिया हटाने के लिए गुनगुने पानी में बेकिंग सोडा मिलाएं और अपने पैरों को 15 मिनट पैर इस पानी में डुबोकर रखें, फिर साफ कर लें.नीम आएगी काम: इंफेक्शन हो गया है तो नीम की पत्तियां उबालकर पानी को छान लें और ठंडा करके स्टोर कर लें. इस पानी से प्रभावित स्किन को धोएं.
- आज की आधुनिक जीवनशैली में हम अक्सर शरीर के भीतरी संतुलन को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि हमारा प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान 'आयुर्वेद' हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के गहरे रहस्य सिखाता है। आयुर्वेद के अनुसार, हमारा शरीर केवल हड्डियां और मांसपेशियां नहीं, बल्कि तीन मूलभूत जैविक ऊर्जाओं या 'दोषों'- वात, पित्त और कफ से मिलकर बना है।ये तीनों दोष हमारे शरीर की हर छोटी-बड़ी क्रिया को नियंत्रित करते हैं- चाहे वह सांस लेने की प्रक्रिया हो, भोजन का पाचन हो, या हमारे विचार और भावनाएं हों। प्रत्येक व्यक्ति में इन दोषों का एक अनूठा संतुलन होता है, जो उसकी खास शारीरिक बनावट, मानसिक स्वभाव और यहां तक कि बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता को निर्धारित करता है।आयुर्वेद का मूल सिद्धांत यही है कि जब ये दोष आपस में संतुलित रहते हैं, तो हम पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं। लेकिन जैसे ही इस संतुलन में कोई गड़बड़ी आती है, शरीर में बीमारी के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। आइए इस लेख में हम इन तीन दोषों के बारे में विस्तार से जानते हैं।वात दोषवात दोष वायु (हवा) और आकाश (स्थान) तत्वों से मिलकर बना है। यह हमारे शरीर में सभी प्रकार की गति को नियंत्रित करता है, जैसे सांस लेना, रक्त संचार, दिल की धड़कन, मांसपेशियों का हिलना और तंत्रिका तंत्र के संदेश। वात प्रधान लोग आमतौर पर दुबले-पतले, फुर्तीले और रचनात्मक होते हैं।संतुलित वात होने पर व्यक्ति में उत्साह, तेजी से सोचने की क्षमता और अच्छी ऊर्जा होती है। लेकिन, जब वात असंतुलित होता है, तो व्यक्ति को जोड़ों में दर्द, कब्ज, गैस, त्वचा में सूखापन, अनिद्रा (नींद न आना), चिंता और घबराहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ठंडा, सूखा या हल्का भोजन, ज्यादा तनाव और अनियमित दिनचर्या वात को बढ़ा सकते हैं।पित्त दोषपित्त दोष अग्नि (आग) और जल (पानी) तत्वों से मिलकर बना है। यह हमारे शरीर में पाचन, चयापचय और सभी प्रकार के परिवर्तन को नियंत्रित करता है। यह भोजन को ऊर्जा में बदलने, बुद्धि और भावनाओं को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पित्त प्रधान लोग अक्सर मध्यम कद-काठी के, तीव्र बुद्धि वाले और दृढ़ निश्चयी होते हैं।संतुलित पित्त वाले लोग अच्छा पाचन, तेज दिमाग और नेतृत्व क्षमता रखते हैं। लेकिन, पित्त के असंतुलित होने पर एसिडिटी, पेट में जलन, त्वचा पर दाने या मुंहासे, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और ज्यादा पसीना आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। तीखा, खट्टा, बहुत गर्म भोजन और ज्यादा गुस्सा पित्त को बढ़ा सकते हैं।कफ दोषकफ दोष पृथ्वी (मिट्टी) और जल (पानी) तत्वों से मिलकर बना है। यह हमारे शरीर को स्थिरता, संरचना, चिकनाई और प्रतिरक्षा प्रदान करता है। यह जोड़ों को चिकना रखता है, शरीर को शक्ति देता है और कोशिकाओं का विकास करता है। कफ प्रधान लोग आमतौर पर मजबूत और सहनशील होते हैं।संतुलित कफ होने पर व्यक्ति में स्थिरता, धैर्य, अच्छी नींद और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। लेकिन, कफ के असंतुलित होने पर वजन बढ़ना, सुस्ती, आलस, सर्दी-खांसी, बलगम, साइनस की समस्या और डिप्रेशन जैसी परेशानियां हो सकती हैं। मीठा, भारी, तैलीय भोजन, कम शारीरिक गतिविधि और ज़्यादा सोना कफ को बढ़ा सकता है।संतुलन ही स्वस्थ जीवन की कुंजीआयुर्वेद सिखाता है कि हर व्यक्ति में ये तीनों दोष मौजूद होते हैं। स्वस्थ रहने के लिए इन दोषों को संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। यह संतुलन खानपान, जीवनशैली, योग, ध्यान और आयुर्वेदिक उपचारों के माध्यम से बनाए रखा जा सकता है। अपनी प्रकृति को समझना और उसके अनुसार अपनी दिनचर्या व आहार में बदलाव करना बीमारियों से बचने और लंबे, स्वस्थ जीवन जीने के लिए जरूरी होता है।
- घरों में करेला एक ऐसा नाम है, जिसे सुनते ही अक्सर लोग नाक-भौंह सिकोड़ने लगते हैं। इसका कसैला और तीखा कड़वा स्वाद ही वह मुख्य कारण है, जिसकी वजह से बहुत से लोग इसे अपनी थाली से दूर ही रखना पसंद करते हैं। लेकिन, अगर आप स्वाद से हटकर सेहत के फायदों पर गौर करें, तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह कड़वा करेला असल में प्रकृति का एक अनमोल उपहार है, जो कई गुणों का भंडार है।आयुर्वेद से लेकर आधुनिक विज्ञान तक सभी करेले को उसके अद्भुत औषधीय गुणों के लिए सराहते हैं। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज और कुछ खास तत्व इसे कई बीमारियों से लड़ने और हमें स्वस्थ रखने में बहुत मदद करते हैं। आइए अब हम करेले के ऐसे चार बड़े फायदों के बारे में जानते हैं, जो शायद आपको इसके कड़वेपन को भूलकर इसे अपनी डाइट में शामिल करने के लिए मजबूर कर दें।ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायकडायबिटीज के मरीजों के लिए करेला किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें पॉलीपेप्टाइड-पी नामक एक इंसुलिन-जैसे प्रोटीन होता है, जो प्राकृतिक रूप से ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, करेले में चैरेंटिन और मोमोर्डिसिन जैसे यौगिक भी होते हैं जो ग्लूकोज के उपयोग को बढ़ाते हैं और शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज के अवशोषण को बढ़ावा देते हैं। नियमित रूप से करेले का सेवन, खासकर करेले का जूस, टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दोनों में ब्लड शुगर को स्थिर रखने में सहायक हो सकता है।पाचन तंत्र को मजबूतकरेला फाइबर का एक बेहतरीन स्रोत है, जो हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत जरूरी है। फाइबर भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है, कब्ज की समस्या को दूर करता है और जिससे पेट साफ रहता है और पाचन संबंधी समस्याएं कम होती हैं।खून साफ करता हैइसके अलावा, करेले को एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर माना जाता है। यह लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। करेले का नियमित सेवन रक्त को शुद्ध करने में भी सहायक होता है, जिससे शरीर अंदर से स्वच्छ और स्वस्थ रहता है।वजन घटाने के लिए फायदेमंद होता हैजो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, उनके लिए करेला एक अच्छा विकल्प है। इसमें कैलोरी बहुत कम होती है और फाइबर बहुत ज्यादा होता है। फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे आप कम खाते हैं और अनावश्यक स्नैकिंग से बचते हैं। यह मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है, जिससे शरीर अधिक कैलोरी बर्न करता है।
- क्या आप सुबह उठते ही थकान महसूस करते हैं, दिनभर सुस्ती छाई रहती है, छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन होने लगता है, और कभी-कभी ब्रश करते समय मसूड़ों से खून भी आ जाता है? अगर इन सवालों का जवाब 'हां' है, तो आपको सतर्क होने की जरूरत है, क्योंकि ये कोई साधारण लक्षण नहीं है। बल्कि ये आपके शरीर में एक बेहद जरूरी पोषक तत्व की कमी का संकेत हो सकता है। अक्सर हम इन लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये संकेत बताते हैं कि आपके शरीर में विटामिन-सी की कमी है।विटामिन सी संपूर्ण स्वास्थ को स्वस्थ्य रखने में अहम भूमिका निभाता है। शरीर में विटामिन सी की कमी से कई लक्षण दिखते हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है। इसलिए आइए इस लेख में हम विटामिन सी के बारे में विस्तार से जानत हैं, साथ ही ये भी जानेंगे कि इसकी कमी से कैसे लक्षण दिखते हैं?मसूड़ों से खून का मुख्य कारणविटामिन सी को एस्कॉर्बिक एसिड भी कहते हैं। विटामिन सी हमारे शरीर के लिए एक बेहद जरूरी एंटीऑक्सीडेंट है। यह सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर में कोलेजन बनाने में अहम भूमिका निभाता है। कोलेजन वह प्रोटीन है जो हमारी त्वचा, हड्डियों, रक्त वाहिकाओं और मसूड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी है।जब शरीर में विटामिन सी की कमी होती है, तो कोलेजन का उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे मसूड़े कमज़ोर होकर खून बहने लगते हैं। इसके अलावा, विटामिन सी आयरन को सोखने में भी मदद करता है, और इसकी कमी से शरीर में आयरन की कमी (एनीमिया) हो सकती है, जो थकान और कमजोरी का एक बड़ा कारण है।विटामिन सी की कमी के अन्य लक्षणमसूड़ों से खून आना, थकान और चिड़चिड़ापन के अलावा, विटामिन सी की कमी के कई और लक्षण भी हो सकते हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है-चोट लगने या कटने पर घावों का धीरे-धीरे भरना।त्वचा रूखी और बेजान लगना, बाल झड़ना।मामूली चोट लगने पर भी त्वचा पर नीले निशान पड़ जाना।विशेषकर जोड़ों में दर्द और सूजन महसूस होना।बार-बार सर्दी, ज़ुकाम या अन्य संक्रमणों की चपेट में आना।कुछ गंभीर मामलों में भूख कम लगने और बिना कारण वजन घटने की शिकायत भी हो सकती है।कमी के कारणविटामिन सी की कमी का सबसे मुख्य कारण है आहार में ताजे फल और सब्जियों का पर्याप्त सेवन न करना। विटामिन सी गर्मी के प्रति संवेदनशील होता है, इसलिए खाना अधिक पकाने से भी इसकी मात्रा कम हो सकती है।बचाव के तरीकेविटामिन सी की कमी से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने रोजाना के खाने में इस विटामिन से भरपूर चीजों को शामिल करें। इसके लिए अपनी डाइट में संतरा, नींबू, आंवला, अमरूद, कीवी, शिमला मिर्च, टमाटर, ब्रोकली और स्ट्रॉबेरी जैसे फलों और सब्जियों को नियमित रूप से लें। इन चीजों को ताजा खाना सबसे अच्छा होता है। साथ ही, सब्जियों को ज्यादा देर तक न पकाएं, क्योंकि ज्यादा गर्मी से विटामिन सी नष्ट हो सकता है। कम पकाने या कच्चा खाने से आपको पूरा पोषण मिलेगा। आपको मसूड़ों से लगातार खून आने, अत्यधिक थकान, चिड़चिड़ापन या विटामिन सी की कमी के अन्य लक्षण महसूस हो रहे हैं तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- समोसा और जलेबी का नाम सुनते ही मेरी तरह ही ज्यादातर लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन मुंह के पानी को रोकिए जनाब आपकी जुबां को ललचाने वाली समोसे और जलेबी को खाने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। दरअसल, पिछले दिनों स्वास्थ मंत्रालय ने एक एडवाइडरी जारी की है। इसके तहत महाराष्ट्र के नागपुर स्थित सभी समोसा और जलेबी की दुकानों पर एक बोर्ड लगाया जाएगा, जिसमें ये लिखा होगा कि समोसा और जलेबी में कितनी कैलोरी और फैट की मात्रा है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि समोसे- जलेबी जैसे तेल, मसाले और चीनी से लबालब भरे हुए नाश्ते के कारण ही शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहा है। इसलिए सुक्षाव दिया गया कि जिस तरह तंबाकू और सिगरेट के पैकेट पर कैंसर जैसी बीमारी को लेकर चेतावनी जारी की जाती है। ठीक उसी तरह अब समोसा-जलेबी को लेकर भी चेतावनी देनी चाहिए। यही कारण है की नागपुर में सभी नाश्ते की दुकानों पर अब बोर्ड लगाया जाएगा, 'समझदारी से खाएं, आपका भविष्य आपको धन्यवाद देगा।'फूड लेबलिंग में आएगा नया मोड़AIIMS नागपुर के अधिकारियों ने इसे फूड लेबलिंग में एक नया मोड़ कहा है, अब खाने के साथ भी उतनी ही गंभीर चेतावनी दिखेगी, जैसी सिगरेट पर होती है। मंत्रालय ने सभी सरकारी संस्थानों को कहा है कि कैफेटेरिया और सार्वजनिक जगहों पर ऐसे बोर्ड लगाए जाएं, जो आम भारतीय स्नैक्स में छिपी चीनी और तेल की मात्रा दिखाएं। खाने में चीनी और तेल की मात्रा को दिखाने का मुख्य मकसद लोगों ये बताना है कि आप जो कुछ भी खा रहे हैं, वो खाने में बेशक से लाजवाब हो, लेकिन शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, जो भी फूड आइटम तले हुए और मीठे दोनों हैं, उन दुकानों पर इस तरह के बोर्ड लगाए जाएंगे। यानि की देश की उन सभी दुकानों पर ये बोर्ड लगाए जाएंगे, जहां समोसा, जलेबी, पकौड़े, वड़ा पाव, गुलाब जामुन,खस्ता कचौरी, मिठाइयां बिकती हैं।समोसा खाने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसानभारत में ज्यादातर जगहों पर मैदा और आलू वाले ही समोसे बनाए जाते हैं। मैदे की पहली लेयर में मसालेदार आलू को भरा जाता है और उसके बाद समोसे को डीप फ्राई किया जाता है। जिससे इसमें ट्रांस फैट्स और सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है। समोसा खाने की वजह से ये हार्ट प्रॉब्लम, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने और मोटापे जैसी घातक बीमारी का कारण बन सकता है। नियमित तौर पर अगर समोसे का सेवन किया जाए, तो ये पाचन से जुड़ी बीमारियां जैसे कब्ज और पेट में दर्द का कारण भी बन सकता है।जलेबी खाने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसानजलेबी के मैदे के घोल से डीप फ्राई करके तैयार किया जाता है। इसके बाद जलेबी को चाशनी में डुबोया जाता है। जिससे इसमें चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है। जलेबी खाने से शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है और डायबिटीज जैसी लाइलाज बीमारी का कारण बनता है। 2-3 जलेबियों में ही 300 से अधिक कैलोरी हो सकती है, जो आपके वजन को बेहिसाब तरीके से बढ़ा सकती है।निष्कर्षसमोसा और जलेबी खाने में बेशक स्वादिष्ट लगते हों, लेकिन मैदा और चीनी का इस्तेमाल होने से ये स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। इन दिनों जब डायबिटीज, कैंसर और मोटापे जैसी परेशानियां बढ़ रही हैं, तब जुबां से पहले खाने को शरीर के लिए चुनें।
- ब्लैक कॉफी पीना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होती है। चाहे वजन घटाना हो या शारीरिक कमजोरी को दूर भगाना क्यों न हो। ब्लैक कॉफी पीना इन सभी समस्याओ में फायदेमंद मानी जाती है। ब्लैक कॉफी को वैसे तो कई तरीकों से पिया जा सकता है, लेकिन ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से भी सेहत को कई फायदे होते हैं। ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते हैं, जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।यही नहीं ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से कॉफी की कड़वाहट भी कम हो जाती है और कॉफी स्वादिष्ट बन जाती है। ब्लैक कॉफी में हल्का नमक मिलाकर पीने से इसके स्वास्थ्य फायदे दोगुने हो जाते हैं। नमक मिलाने के बाद कॉफी में थोड़ा खट्टा-मीठा फ्लेवर आने लगता है, जो पीने में काफी अच्छा लगता है।ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने के फायदे1. इलेक्ट्रोलाइट्स को करे बैलेंसब्लैक कॉफी पीना शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को बैलेंस करने में काफी लाभकारी होता है। शरीर में अगर इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बिगड़ जाए तो इससे डिहाइड्रेशन के साथ ही अन्य भी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अगर आप ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीते हैं तो इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते हैं। हालांकि, अगर आप ब्लैक कॉफी और नमक को ज्यादा मात्रा में लेते हैं तो इसका कई बार नकारात्मक असर भी देखने को मिल सकता है।2. शरीर के बनाए एनर्जेटिकशरीर को एनर्जेटिक बनाए रखने के लिए ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीना काफी लाभकारी हो सकता है। अगर आप जिम जाते हैं या वर्कआउट करते हैं तो ऐसे में वर्कआउट करने से कम से कम 30 मिनट पहले कॉफी में नमक मिलाकर पिएं। ऐसा करना आपकी शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ आपको फुर्तीला भी बनाता है। इसे पीने से आपका स्टैमिना लंबे समय तक बरकरार रहता है।3. पेट की जलन को कम करने में फायदेमंदअगर आपको अक्सर पेट में जलन या गैस की समस्या रहती है तो ऐसे में कॉफी में नमक मिलाकर पीना फायदेमंद हो सकता है। कई बार कुछ खाने के के बाद भी पेट में जलन हो सकती है। अगर आपको भी इस तरह की कोई समस्या है तो कॉफी में नमक मिलाकर पीने से पेट की जलन और एसिडिटी शांत होती है। दरअसल, ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से पेट का एसिड बैलेंस रहता है।4. वजन घटाने में लाभकारीवजन घटाने के लिए ब्लैक कॉफी पीना किसी रामबाण से कम नहीं है। लेकिन, ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से वजन घटाने के लिए इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं। अगर आप तेजी से वजन घटाना चाहते हैं तो ऐसे में कॉफी में नमक मिलाकर पीना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। इसे पीने से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी आसानी से कम होती है। इसे पीने से आपका बैली फैट भी कम होता है।5. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मददगारब्लैक कॉफी पीना मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में भी काफी लाभकारी साबित होता है। अगर आपका मेटाबॉलिज्म कमजोर है या आप मोटापा का शिकार हैं तो ऐसे में ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीना फायदेमंद हो सकता है। ब्लैक कॉफी पीने से मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और आप ज्यादा एक्टिव रहते हैं। इसे पीने से आपकी सुस्ती, थकान और कमजोरी जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है। लेकिन, इस बात का ध्यान रखें कि ब्लैक कॉफी में ज्यादा मात्रा में नमक न मिलाएं।
- अक्सर हम फ्रिज को सिर्फ एक ऐसी मशीन मान लेते हैं जो खाना ठंडा रखने का काम करती है, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि अगर इसकी अंदरूनी सफाई समय पर न की जाए, तो यह बीमारियों का घर बन सकता है। मॉनसून के दौरान वातावरण में मौजूद नमी सिर्फ दीवारों या कपड़ों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि फ्रिज के अंदर भी जमा होकर बैक्टीरिया और फंगस के लिए अनुकूल वातावरण बना देती है। इसका नतीजा यह होता है कि खाने-पीने की चीजें जल्दी खराब होती हैं और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। इसी गंभीरता को समझते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने हाल ही में चेतावनी जारी की है कि मानसून के दौरान हर 15 दिन में फ्रिज की अंदर से अच्छे से सफाई करना बेहद जरूरी है। यह आदत न केवल आपके परिवार को इंफेक्शन से बचाएगी, बल्कि खाने की गुणवत्ता, स्वाद और पोषण को भी बरकरार रखेगी।मॉनसून में इंफेक्शन का खतरा क्यों बढ़ जाता है?मॉनसून के दौरान हवा में मौजूद ज्यादा नमी घर के हर कोने में फंगस और बैक्टीरिया के पनपने का वातावरण तैयार करती है। फ्रिज के अंदर भी यही नमी जमा हो जाती है, जिससे खाने की चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं। गंदे फ्रिज में रखा खाना, इंफेक्शन का घर बन सकता है, जिससे पेट दर्द, उल्टी, दस्त और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए ये इंफेक्शन ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं।फ्रिज की सफाई जरूरी क्यों है?-फ्रिज खाने को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद करता है, लेकिन अगर उसकी सफाई न की जाए, तो वही फ्रिज बीमारियों का कारण बन सकता है। खाने से गिरा हुआ तरल, पुराने फलों या सब्जियों के कण और जमे हुए बर्फ के टुकड़े अंदर बैक्टीरिया को जन्म देते हैं। नमी और गंदगी मिलकर फ्रिज को इंफेक्शन का केंद्र बना देते हैं। इसीलिए नियमित सफाई जरूरी है, ताकि फ्रिज में रखा हर भोजन सुरक्षित और ताजा रहे।कब और कितनी बार करनी चाहिए फ्रिज की सफाई?एफएसएसएआई (FSSAI) ने अपनी गाइडलाइंस में स्पष्ट किया है कि हर 15 दिन में एक बार फ्रिज की अच्छी तरह सफाई और डिफ्रॉस्टिंग करनी चाहिए। 2 हफ्ते के अंतराल पर की गई सफाई से अंदर जमा नमी, बर्फ और बैक्टीरिया के स्रोत खत्म हो जाते हैं। नियमित सफाई न केवल बीमारियों से बचाव करती है बल्कि फ्रिज की कूलिंग क्षमता भी बेहतर बनाती है।गंदे फ्रिज से फैल सकती हैं ये बीमारियां1. फूड पॉइजनिंग-बासी या संक्रमित खाने से पेट में मरोड़, उल्टी और दस्त हो सकते हैं।2. साल्मोनेला इंफेक्शन-साल्मोनेला, दूषित अंडे, मांस या डेयरी उत्पाद से होने वाला इंफेक्शन है, जिससे बुखार, पेट दर्द और दस्त की समस्या हो सकती है।3. लिस्टीरियोसिसयह बैक्टीरिया ठंडे वातावरण में भी जिंदा रह सकता है और गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकता है।4. ई. कोलाई इंफेक्शन- कच्ची सब्जियों या गंदे फ्रिज में रखे अधपके भोजन से फैलने वाला ई. कोलाई इंफेक्शन, जिससे गंभीर पेट दर्द और डायरिया हो सकता है।5. मोल्ड एलर्जी और सांस की समस्याएंफ्रिज में फंगस और मोल्ड जमने से एलर्जी, छींक, खांसी और अस्थमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।6. हाइपोटेंशन और कमजोरीबार-बार दूषित खाना खाने से शरीर में कमजोरी, चक्कर और ब्लड प्रेशर कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।7. त्वचा पर रैशेज और इंफेक्शनदूषित खाने से शरीर पर रैशेज या एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं।मॉनसून में थोड़ी सी लापरवाही भी सेहत के लिए भारी पड़ सकती है। इसलिए FSSAI की सलाह को गंभीरता से लें और अपने फ्रिज को साफ-सुथरा रखें।
- बैंगन एक ऐसी सब्जी है, जो पूरे साल बाजार में आसानी से मिल जाती है। बैंगन का भर्ता, बैंगन की सब्जी और बैंग के पकौड़े लोग खूब चाव से खाते हैं। बैंगन की सब्जी खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए फायदेमंद भी होती है। इसके सेवन से शरीर की कई समस्याओं से छुटकारा हैं। लेकिन इतने फायदों के बावजूद कुछ लोगों को बैंगन का सेवन करने से बचना चाहिए। जी हां, कुछ लोगों के लिए बैंगन का सेवन नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। कुछ बीमारियों में इसका सेवन करने से रोगी की मौजूदा स्थिति बिगड़ भी सकती है।किडनी से जुड़ी समस्याएंअगर आपको किडनी से जुड़ी कोई बीमारी है, तो आपको बैंगन का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। खासतौर पर, किडनी स्टोन की समस्या में इसका सेवन काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें ऑक्सलेट काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण पथरी की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में, अगर आपको पथरी या किडनी से जुड़ी समस्या है, तो अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें।पाचन से जुड़ी समस्याएंजिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट खराब हो सकता है। इसके कारण आपको पेट में दर्द, अपच, कब्ज और पेट फूलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कमजोर पाचन वाले लोगों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।एनीमिया की समस्याअगर आपको एनीमिया की समस्या है, तो आपको बैंगन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। दरअसल, बैंगन का सेवन करने से शरीर में आयरन की कमी होती सकती है। इस वजह से खून की कमी के रोगियों को बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। खून की कमी होने पर बैंगन का सेवन करने से आपकी समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।बवासीर की समस्या में न खाएं बैंगनबवासीर की समस्या से परेशान लोगों को भूलकर भी बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। खासतौर पर, खूनी बवासीर से ग्रसित लोगों के लिए बैंगन का सेवन नुकसानदायक साबित हो सकता है। अगर आप बवासीर की समस्या में बैंगन का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी समस्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है।एलर्जी की समस्याकुछ लोगों को बैंगन का सेवन करने से एलर्जी की समस्या हो सकती है। इसके कारण उन्हें त्वचा पर खुजली, रैशेज, और सूजन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, जिन लोगों को बैंगन से एलर्जी है, उन्हें इसका सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- जिस तरह से लंबे जीवन के लिए अच्छा स्वास्थ्य होना जरूरी है, ठीक उसी तरह से खूबसूरत और ग्लोइंग त्वचा के लिए हेल्दी स्किन होना बेहद आवश्यक है। ऐसे में लोग ग्लोइंग त्वचा पाने के लिए तमाम स्किन केयर प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं और तरह-तरह के स्किन केयर ट्रीटमेंट लेते हैं।अपनी त्वचा का खास ध्यान लड़कियां तो खूब अच्छे से रख लेती हैं, लेकिन लड़के इस मामले में थोड़ा आलसी माने जाते हैं। इसी के चलते ज्यादातर लड़के न तो स्किन केयर करते हैं, बल्कि वो तो त्वचा संबंधी दिक्कतों को इग्नोर भी कर देते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी ही दिक्कतों के बारे में बताने जा रहे हैंं, जिन्हें ज्यादातर लड़के पूरी तरह से इग्नोर कर देते हैं।मुंहासेगंदगी की वजह से अक्सर चेहरे पर मुंहासे निकल जाते हैं, जिनस सही समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है। अगर इनका सही से इलाज न किया जाए तो ये फैलन जाते हैं और चेहरे पर दाग छोड़ जाते हैं। ऐसे में अगर आपके चेहरे पर एक भी मुंहासा दिख रहा है तो तत्काल प्रभाव से उसका इलाज करें, ताकि आकी दिक्कत ज्यादा न बढ़ जाए।ड्राई स्किनजब मौसम बदलता है तो स्किन में कुछ बदलाव अवश्य आता है। खासतौर पर ज्यादातर लोगों की स्किन बदलते मौसम में रूखी हो जाती है। जब त्वचा फटने लगती है तो इसपर खुजली होती है। नेचुरल ऑयल की कमी से स्किन जल्दी बूढ़ी दिखने लगती है। इसलिए मौसम बदलने की शुरुआत होते ही स्किन पर अच्छा म़ॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना शुरू करें। इससे आपकी स्किन की नमी बरकरार रहेगी।टैनिंगलड़कियां तो बार-बार सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर लेती हैं, लेकिन लड़कों को इसमें बड़ा आलस आता है। दरअसल, धूप में निकलने से स्किन जल जाती है या काली पड़ जाती है। अगर इस दिक्कत से बचना चाहते हैं तो कम से कम 50 एसपीएफ की सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, ताकि आपकी त्वचा का रूखापन आपको परेशान न करें।डार्क सर्कल्सअक्सर लोगों को लगता है कि डार्क सर्कल्स सिर्फ थकान की वजह से होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। ये कई कारणों से होते हैं। ऐसे में शुरुआती दिनों में ही इसका ध्यान रखें। आजकल बाजार में तमाम तरह की अंडर आई क्रीम आती हैं जो त्वचा के लिए काफी लाभयादक रहती हैं।डैंड्रफसिर की त्वचा पर जब रूखापन बढ़ जाता है तो डैंड्रफ की समस्या सामने आती है। ऐसे में या तो रूसी हटाने वाले शैंपू का इस्तेमाल करें। अगर ये नहीं है तो घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि दही रूसी हटाने में काऱी कारगर माना जाता है।
- आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और तनावपूर्ण माहौल में, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) का कमजोर होना एक आम समस्या बनती जा रही है। अगर आप अक्सर ही बीमार रहते हैं, जरा सा मौसम बदलने पर सर्दी-खांसी पकड़ लेती है, या हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है? ये सभी संकेत हैं कि आपका इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है। जब हमारी इम्यूनिटी कमजोर होती है, तो शरीर बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।ऐसे में अक्सर लोग दवाओं का सहारा लेते हैं। शरीर में अधिक दवा खाने से इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, इससे बचने के लिए आपको अपनी इम्यूनिटी मजबूत करना सबसे अच्छा विकल्प है। अगर आप सही डाइट लेते हैं तो, आप खुद को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। अपनी डाइट में कुछ खास चीजों को शामिल करके आप अपने इम्यून सिस्टम को इतना मजबूत बना सकते हैं। आइए इस लेख में चार ऐसे ही खाद्य पदार्थ के बारे में जानते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी सिस्टम को बूस्ट करने में मदद कर सकते हैं।विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थविटामिन सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। आंवला, संतरा, नींबू और कीवी विटामिन सी के बेहतरीन स्रोत हैं। रोजाना सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से न केवल इम्यूनिटी बढ़ती है, बल्कि पाचन तंत्र भी बेहतर होता है। आंवला, चाहे कच्चा हो या जूस के रूप में, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में कारगर है। डाइट में इन फलों को शामिल करने से शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स का उत्पादन बढ़ता है, जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती हैं।अदरक और हल्दीअदरक और हल्दी भारतीय रसोई का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में भी कारगर हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो गले की खराश और सर्दी से राहत दिलाते हैं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो शरीर में सूजन को कम करता है और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है। रोजाना एक गिलास गर्म दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीना या अदरक की चाय का सेवन इम्यूनिटी को मजबूत करने का आसान तरीका है।दही और प्रोबायोटिक्सआंतों का स्वास्थ्य इम्यूनिटी से सीधे जुड़ा है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं और इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करते हैं। रोजाना एक कटोरी ताजा दही खाने से न सिर्फ इम्यूनिटी मजबूत होती है, बल्कि इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है। घर का बना दही या प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे छाछ या फर्मेंटेड फूड प्रोडक्ट को डाइट में शामिल करें।बादाम और मेवेबादाम, अखरोट और अन्य मेवे विटामिन ई, जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बादाम में मौजूद विटामिन ई एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है। रोजाना मुट्ठी भर ड्राई फ्रूट्स या मिक्स्ड नट्स खाने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है, जिससे हमारे देश के करोड़ों लोग प्रभावित हैं। इस स्थिति में ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना सबसे जरूरी होता है, और इसमें आहार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज मरीजों को कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करना चाहिए।ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) एक माप है जो बताता है कि कोई भोजन कितनी तेजी से आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। उच्च जीआई वाले खाद्य पदार्थ शुगर लेवल को तेजी से बढ़ाते हैं, जबकि लो जीआई वाले खाद्य पदार्थ इसे धीरे-धीरे और स्थिर रूप से बढ़ाते हैं। यही वजह है कि एक्सपर्ट्स डायबिटीज के मरीजों को कम जीआई वाले खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करने का सलाह देते हैं।अब आपको डाइट में शामिल करने के लिए कम जीआई वाले कई खाद्य पदार्थ के बारे में मालूम होगा। लेकिन क्या आपको कम जीआई वाले आटे के बारे में मालूम है? जी हां, अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आप कुछ खास तरह के आटे को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ये आटे आपके शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। आइए, इस लेख में हम ऐसे तीन आटे के बारे में जानेंगे जो डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद हैं, और समझेंगे कि उन्हें अपनी डाइट में कैसे शामिल किया जाए।रागी का आटारागी, जिसे फिंगर मिलेट भी कहते हैं, कैल्शियम, फाइबर और आयरन का समृद्ध स्रोत है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसके कारण यह ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाता है और लंबे समय तक स्थिर रखता है। रागी में मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है और भूख को नियंत्रित करता है, जो वजन प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। डायबिटीज के मरीज रागी के आटे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसे गेहूं के आटे के साथ मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।बाजरा का आटाबाजरा (पर्ल मिलेट) एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। बाजरा के आटे में फाइबर, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाते हैं। बाजरा का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। बाजरे के आटे की रोटी, खिचड़ी या भाकरी बनाई जा सकती है।ज्वार का आटाज्वार (सोरघम) एक और पौष्टिक अनाज है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। ज्वार का आटा ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। बता दें कि ज्वार भी एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है। ज्वार की रोटी, डोसा या उपमा डायबिटीज के मरीजों के लिए स्वादिष्ट और सेहतमंद विकल्प है। इन आटों को गेहूं के आटे के साथ 1:1 के अनुपात में मिलाकर रोटी बना सकते हैं, ताकि स्वाद और पोषण का संतुलन बना रहे।
- मानसून का मौसम जितना सुहाना होता है, ये उतनी ही स्वास्थ्य चुनौतियां को लेकर आता है। मानसून में कभी भी बारिश हो जाती है, ऐसे में कई बार लोगों को बारिश में भीगकर अपना काम करना पड़ता है। बारिश में भीगना कुछ लोगों को रोमांचक भी लगता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि बारिश भीगने से सर्दी-जुकाम, फ्लू और अन्य मौसमी बीमारियों के खतरा बढ़ा जाता है।गीले कपड़े की वजह से ठंड लगती है, जिससे हम आसानी से संक्रमणों का शिकार बन सकते हैं। ऐसे में, अगर आप कभी बारिश में अनजाने में भीग जाते हैं, तो आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है। आइए इस लेख में उन सावधानियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।तुरंत कपड़े बदलेंबारिश में भीगने के बाद सबसे पहले गीले कपड़ों को उतारकर सूखे और गर्म कपड़े पहनें। गीले कपड़े शरीर का तापमान कम करते हैं, जिससे सर्दी-जुखाम का खतरा बढ़ता है। कपड़े बदलने के बाद शरीर को अच्छी तरह पोंछ लें और अगर संभव हो तो गुनगुने पानी से नहाएं। यह न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया को भी हटाता है।गुनगुना पानी पिएंभीगने के बाद शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म पेय जैसे हर्बल चाय, अदरक की चाय, या गुनगुना पानी पिएं। अदरक और तुलसी की चाय इम्यूनिटी को बूस्ट करती है और सर्दी-जुकाम से बचाव करती है। इसमें शहद मिलाने से गले की खराश में भी राहत मिलती है। ठंडे पेय या कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज करें, क्योंकि ये शरीर को और ठंडा कर सकते हैं।इम्यूनिटी बढ़ाने वाला आहार लेंबारिश में भीगने के बाद इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे संतरा, नींबू, या आंवला खाएं। गर्म सूप, जैसे टमाटर या वेजिटेबल सूप, न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि पोषण भी प्रदान करता है। हल्दी वाला दूध पीना भी इम्यूनिटी बढ़ाने और सूजन कम करने में मदद करता है।पैरों को गर्म रखेंपैरों का ठंडा रहना सर्दी-जुकाम का एक प्रमुख कारण हो सकता है। भीगने के बाद पैरों को अच्छी तरह सुखाएं और मोजे पहनें। गुनगुने पानी में नमक डालकर पैरों को 10-15 मिनट तक डुबोने से रक्त संचार बेहतर होता है और ठंड का प्रभाव कम होता है। यह तरीका थकान को कम करने में भी सहायक होता है।
- सलाद में खाया जाने वाला प्याज आपके लिए कितना फाय़देमंद साबित हो सकता है. आमतौर पर लोग कच्चे प्याज के फायदों को अनदेखा कर देते हैं. लेकिन हम आपको कच्चे प्याज को खाने से मिलने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं आइए जानते हैंआयुर्वेद में प्याज का महत्वप्याज को वात संबंधी रोगों में फायदेमंद माना गया है. यह शरीर की एनर्जी और ताकत बढ़ाता है/ स्ट्रेस और जोड़ों के दर्द को कम करता है. आयुर्वेद के अनुसार, इसके नियमित सेवन से भूख, पाचन शक्ति बेहतर होती है और पुरुषों में स्पर्म काउंट में भी सुधार होता है. कान दर्द में ताजा प्याज का रस फायदेमंद है, खांसी, अस्थमा और सर्दी में घी में भुना प्याज फायदेमंद है, और नाक से ब्लीडिंग रोकने के लिए भी ताजा प्याज का रस मददगार होता है. प्याज को इम्यूनिटी बढ़ाने वाला भी माना गया हैमॉर्डन साइंस के अनुसार प्याज के फायदेप्याज में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स, जैसे क्वेरसेटिन और सल्फर कंपाउंड, शरीर के लिए फायदेमंद हैं. दिल की बीमारियों को दूर करने के लिए प्याज बहुत फायदेमंद होता है. ये ब्लड प्रेशर कम करता है, इंफ्लेमेशन को घटाता है, और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करता है, जिससे हार्ट हेल्दी बनता है. प्याज आपके दिल को हेल्दी रखने में मदद करता है. कैंसर के खतरे को कम करने में भी प्याज मददगार है. इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड्स कैंसर सेल्स के विकास को रोकते हैं. खासतौर पर कोलन और ब्रेस्ट कैंसर के लिए इसे फायदेमंद माना जाता हैप्याज के लाल रंग में पाए जाने वाले एंथोसाइनिन कंपाउंड कैंसर से लड़ने में मददगार होते हैं. डायबिटीज के लिए भी प्याज लाभकारी है क्योंकि ये इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है और लिवर में शुगर मेटाबॉलिज्म सुधारता है. पेट की हेल्थ के लिए प्याज एक अच्छा प्रीबायोटिक स्रोस माना जाता है. इसमें पाए जाने वाले फाइबर गुड बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो पेट की दीवारों को मजबूत बनाते हैं, इंफ्लेमेशन को कम करते हैं और इम्यूनिटी बढ़ाते हैं. प्याज हड्डियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. इसमें पाए जाने वाले कंपाउंड ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करते हैं. इसके अलावा प्याज में प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण होते हैं. इसमें पाया जाने वाला सल्फर कंपाउंड बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं
- लोगों के साथ ऐसा देखने को मिलता है कि उन्हें देर रात आपका पेट गुरुड़-गुरुड़ आवाज करने लगता है, जिसका मतलब आपको भूख लगने लगती है. ऐसे में लोग बिना कुछ सोचे-समझे घर में रखा कोई भी स्नैक्स खा लेते हैं. ये आपकी भूख को मिटा सकता है, लेकिन आपकी हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ये आपकी ब्लड शुगर लेवल को भी बढ़ा देते हैं. बहुत ज्यादा या गलत चीजें खाना आपका ब्लड शुगर बढ़ सकता है, जो आपकी नींद और आपकी हेल्थ के साथ खिलवाड़ कर सकता है.इस समस्या से निजात पाने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन ये है कि आप रात में सोने से पहले कुछ हल्का, सैटिस्फाइंग खा लें, जो आपके ब्लड शुगर के लिए भी अच्छा हो. ऐसे बहुत सारे स्वादिष्ट, कम ग्लाइसेमिक वाले स्नैक्स हैं, जो आपके सिस्टम में गड़बड़ी पैदा किए बिना आपकी भूख को शांत कर सकते हैं. चलिए जानते हैं उनके बारे में.1. चिया पुडिंग: चिया सीड्स को बिना चीनी वाले दूध और थोड़ी सी दालचीनी या वेनिला के साथ मिलाएं. इसे रात भर फ्रिज में रखें. ये फाइबर और गुड फैट्स से भरपूर होते हैं जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है और सोते समय आपका बेट भरा हुआ रखती है.2. पनीर क्यूब्स: सोने से पहले पनीर के कुछ क्यूब्स खाना भी आपके लिए अच्छा ऑप्शन होते हैं. इसमें प्रोटीन ज्यादा मात्रा में होता है और कार्ब्स कम होते हैं, इसलिए यह आपका पेट भरा रखते हैं और शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं.3. बादाम: थोड़े से बादाम रात को सोते समय खाना हेल्थ के लिए अच्छा हो सकता है. बादाम में हेल्दी फैट्स, फाइबर और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपकी नींद को बेहतर बनाते हैं और शुगर लेवल को कंट्रोल करते हैं.4. प्लेन ग्रीक योगर्ट: ये हाई प्रोटीन वाला नाश्ता है, जो आपके पेट को भरा रखता है और आपके शुगर लेवल को जल्दी नहीं बढ़ाता है.5. उबला हुआ अंडा: उबला हुआ अंडा एक सिंपल और हेल्दी ऑप्शन है. इसमें प्रोटीन और ट्रिप्टोफैन होता है, जो मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) बनाकर आपके शरीर को बेहतर नींद दिलाने में मदद करता है.6. मूंग दाल का सूप: गर्म मूंग दाल का सूप बहुत हल्का और पचाने में आसान होता है. यह स्लो एनर्जी देता है और आपके शुगर लेवल को बैलेंस रखता है.-
- पोर स्ट्रिप्स से ब्लैकहेड्स हटाना जितना आसान है, उतना ही ये त्वचा के लिए नुकसानदायक है। यहां हम आपको पोर स्ट्रिप्स से होने वाले नुकसानों और इसे इस्तेमाल करते वक्त जिन सावधानियों को बरतना चाहिए, उस बारे में बताने जा रहे हैं।कैसे होता है इस्तेमाल ?इसके नुकसान जानने से पहले ये जान लें कि आखिर इन पोर स्ट्रिप्स को इस्तेमाल कैसे किया जाता है। ये पोर स्ट्रिप्स देखने में प्लास्टिक या फिर सूती कपड़े के जैसी ही होती हैं, जिसके एक तरफ काफी चिपचिपा पदार्थ लगा होता है। इस स्ट्रिप को ब्लैकहेड की साइड चिपकाकर थोड़ा सा प्रेस करें। जब ये पूरी तरह से चिपक जाए तो झटके से इसे स्किन से छुटा लें। इसे वैक्स स्ट्रिप की तरह ही हटाया जाता है। जिसकी वजह से ब्लैकहेड्स स्किन से उखड़कर इन स्ट्रिप्स पर चिपक जाते हैं।अब इसके नुकसान जान लेते हैं -रोम छिद्र हो जाते हैं बड़े: पोर स्ट्रिप्स के इस्तेमाल से त्वचा के रोम छिद्र काफी ज्यादा खुल जाते हैं, जिस कारण आपकी त्वचा अजीब दिख सकती है। पोर्स के ज्यादा खुला रहने की वजह से त्वचा की सतह पर गंदगी जमने लगती है जो आगे जाकर मुंहासों का कारण बन सकती है।त्वचा हो सकती है डिहाइड्रेटेड : यदि आप ज्यादा पोर स्ट्रिप्स का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपके चेहरे की नमी कम होने लगेगी। कई बार तो इस कारण से ही त्वचा डिहाइड्रेटेड होने लगती है। ऐसे में गर्मी के मौसम में आपको इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए।
- आज के समय में लाइफस्टाइल इतनी बिगड़ी हुई है, कि उसकी वजह से लोगों की त्वचा और बालों पर काफी प्रभाव पड़ने लगा है। चेहरे का ध्यान तो लोग रख लेते हैं, लेकिन अक्सर वो बालों पर ध्यान रखना भूल जाते हैं। अगर आप भी बालों का ध्यान नहीं रखते तो हेयर फॉल की समस्या से आप परेशान जरूर होंगे। इस हेयर फॉल को रोकने के लिए लोग महंगे-महंगे प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ता। ऐसे में हम आपको आज घर पर ही बिना केमिकल वाला शैंपू इस्तेमाल करने का आसान तरीका बताएंगे। इस शैंपू के इस्तेमाल से आपकी कई समस्याएं दूर होंगी। आइए आपको यहां हम घर पर ही शैंपू बनाना बताते हैं, ताकि आप भी इसका इस्तेमाल करके बालों का झड़ना रोक सकें।बिना केमिकल के शैंपू तैयार करने का सामानबिना केमिकल वाले शैंपू को बनाने के लिए सबसे पहले रीठा, शिकाकाई, आंवला, मेथी दाना, नीम पत्तियां, ब्राह्मी और भृंगराज जैसी जड़ी-बूटियों को रातभर पानी में भिगो दें। इसे आप एक साथ भी उबाल सकते हैं, ताकि इसका पानी एक दूसरे में अच्छी तरह से मिक्स हो जाए। रातभर सभी चीजों को भीगने के बाद अगले दिन सुबह के समय इसे धीमी आंच पर उबालें। इसे सही से उबलने में तकरीबन 20 मिनट का समय लगेगा। जब ये सही से उबल जाए इसे ठंडा होने के लिए साइड में रख दें। ठंडा होने पर इस मिश्रण को छान लें और एक बोतल में भरकर रख लें। इसका इस्तेमाल आप हफ्ते में दो से तीन बार आसानी से कर सकते हैं। इस शैंपू के इस्तेमाल से पहले एक बार पैच टेस्ट अवश्य करें, ताकि ये आपको लाभ पहुंचाए।अब आपको इस शैंपू के फायदों के बारे में बताते हैं। इसके इस्तेमाल से आपके बालों की जड़ें मजबूत हो सकती हैं। बाजार में मिलने वाले शैंपू में भारी मात्रा में केमिकल होता है, तो घर पर बना शैंपू केमिकल्स से होने वाले नुकसानों से आपके बालों को बचाता है। इसके इस्तेमाल से स्कैल्प भी अच्छी तरह से साफ हो जाती है। तो बस केमिकल वाला शैंपू छोड़िए और इस्तेमाल करके देखिए घर पर बना बिना केमिकल वाला ये शैंपू।
- जिम जाकर खुद को फिट और बॉडी को बेहतरीन शेप देने की कोशिश कर रहे पुरुष मसल्स्स ग्रोथ बढ़ाने में हां कहेंगे। लेकिन कितने पुरुषों को इसका सही तरीका पता है? हो सकता है सबको सही तरीका पता हो, लेकिन इसके साथ किन गलतियों को करने से बचना है, वो न पता हो। जी हां अक्सर पुरुष मसल्स ग्रोथ करने की कोशिश में कुछ गलतियां कर बैठते हैं। ये वो गलतियां हैं जो आपकी घंटों की मेहनत को बेकार कर देती हैं। ये आपके मसल्स ग्रोथ को बेहतर होने ही नहीं देती हैं। हो सकता है आप भी जिम में पसीना बहाते हुए ऐसी ही गलतियां कर रहे हों। इन गलतियों को पहचान लीजिए और मसल्स ग्रोथ को बढ़ा लीजिए।लिफ्ट हों धीमे-धीमेअक्सर कई पुरुष सोचते हैं कि बड़े मसल्स के लिए आपको भारी वजन जल्दी-जल्दी उठाना जरूरी होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। आप भारी वजन उठाइए लेकिन धीरे-धीरे।दरअसल धीरे-धीरे किए गए रैप्स के साथ किसी खास मसल्स पर फोकस करना आसान हो जाता है। धीमे रैप्स के साथ मसल्स को उनके मोशन के फुल रेंज तक ले जाया जा सकता है। इसके साथ ग्रोथ और बेहतर और एक सी होती हैभारी वजन के ज्यादा रैप्सयाद रखिए, आप अगर आपको मसल्स ग्रोथ बढ़ानी है तो भरी वजन उठाने के साथ इसके रैप्स भी ज्यादा करने की कोशिश करनी होगी। सुनिश्चित करें कि आप सही फॉर्म में वजन उठाएं। अगर आपको लग रहा है कि आप एक्सरसाइज का मोशन पूरा नहीं कर पाएंगे तो हल्का वजन ही उठाएं लेकिन एक्सरसाइज पूरी करें। लेकिन ये बात भी सही है कि ज्यादा वजन उठाने पर रैप्स ज्यादा नहीं हो पाते हैं। हालांकि आप भारी वजन के साथ 8 से 10 रैप्स ले सकते हैं। इसलिए इतना करने की तो कोशिश करें हीं।रिकवरी है जरूरीयाद रखिए, मसल्स ग्रोथ तब नहीं होती है जब आप जिम में मेहनत कर रहे होते हैं बल्कि ये तब होती है, जब मसल्स आराम कर रही होती हैं। किसी खास मसल्स ग्रुप की एक्सरसाइज करने के बाद इसे कम से कम 48 घंटे का आराम मिलना चाहिए। तब ये आसानी से रिकवर और ग्रो कर पाती हैं।इसके लिए टाइम टेबल बनाएं, जिसमें किसी खास मसल्स ग्रुप के लिए अलग-अलग दिन निश्चित किए गए हों। जैसे आपने सोमवार को लेग डे सुनिश्चित किया है तो अगली बार ये एक्सरसाइज गुरुवार को ही करें।एक ही मोशन की आदत है गलतआपकी मसल्स को अगर एक ही तरह की एक्सरसाइज कराई जाती रहेगी तो इसको इसकी आदत पड़ जाएगी। इस आदत के चलते मसल्स ग्रोथ कम होने लगेगी। इसलिए जरूरी है कि आप मशीनों में हर कुछ दिन में बदलाव करते रहें। या फिर रैप्स की स्पीड और संख्या में भी बदलाव किए जा सकते हैं। कार्डियो एक्सरसाइज जरूरी तो हैं लेकिन इनको सीमा से ज्यादा कर लेना भी सही नहीं है। ऐसा करने पर मसल्स ग्रोथ काफी धीमी हो जाती है।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, पाचन को ठीक रखना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है कि आप खान-पान में सुधार कर लें। इसके अलावा आज से ही 3एफ फॉमूर्ले का पालन शुरू कर दें। आइए इसके बारे में जानते हैं। अगर आपका पाचन स्वास्थ्य ठीक है तो इसका मतलब है कि आप कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं। हालांकि जिस तरह से लोगों की लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी बढ़ती जा रही है इसने पाचन को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है। यही कारण है कि कब्ज-अपच से लेकर इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पाचन को ठीक रखना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है कि आप खान-पान में सुधार कर लें। ज्यादा तली-भुनी या एसिडिक चीजें आपके लिए कई प्रकार की दिक्कतों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं।अध्ययनों से पता चलता है कि शरीर के 90 फीसदी हैप्पी हार्मोन्स भी पाचन तंत्र से ही बनते हैं, इसलिए अगर आपका पाचन ठीक नहीं है तो ये आपकी खुशियों को भी बाधित करने वाला हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, अगर आपको अपना पाचन स्वास्थ्य ठीक रखना है तो आज से ही 3F फॉमूर्ले का पालन शुरू कर दें। आइए इसके बारे में जानते हैं।आहार में फाइबर वाली चीजों की मात्रा बढ़ा लें। यह पाचन के लिए बेहद फायदेमंद है। फाइबर युक्त डाइट गट बैक्टीरिया के लिए पोषण का काम करती है। साबुत अनाज, दालें, हरी सब्जियां और ताजे फल खाने से पाचन बेहतर होता है। आहार में फर्मेंटेड फूड्स जैसे दही, कांजी, घर का बना अचार को जरूर शामिल करें। ये भी आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। इससे पाचन को सुधारने के साथ-साथ तनाव कम करने में मदद मिलती है। अच्छे पाचन स्वास्थ्य के लिए फास्टिंग भी जरूरी है। लगातार खाते रहने से पाचन तंत्र थक जाता है, अगर हम 12-14 घंटे बिना भोजन रहें (जैसे रात में जल्दी खाकर भोजन सुबह देर से करें) तो डाइजेशन अपने आप रिपेयर होता है। इसके अलावा हफ्ते में एक दिन व्रत करना भी पाचन को बूस्ट करने में मददगार हो सकता है।पाचन तंत्र ठीक तो पूरा शरीर स्वस्थहमारा पाचन तंत्र मूड से लेकर त्वचा पर भी असर डालता है। खान-पान को ठीक रखकर पाचन में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए भोजन से पहले खूब सलाद खाने की आदत बनाएं।फाइबर युक्त सलाद खाने से ब्लड शुगर स्पाइक्स कम होता है और इससे आपके पाचन को भी मदद मिलती है। खूब सलाद खाने से आपका पेट भर जाता है और शरीर के लिए जरूर पोषक तत्व भी मिलते हैं। पेट भरने से आप भोजन में वो चीजें कम खाते हैं जिनमें कार्ब्स की अधिकता होती है।व्यायाम की बनाइए आदतपाचन को ठीक रखने के लिए आहार में सुधार के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम को भी दिनचर्या का हिस्सा बनाना भी बहुत जरूरी है। दैनिक व्यायाम आंत की गतिशीलता को बढ़ावा देकर, आंतों में स्वस्थ माइक्रोबायोम को बढ़ावा देते हैं। व्यायाम से पाचन तंत्र की मांसपेशियां भी उत्तेजित होती है, जिससे पाचन बेहतर होता है। यह कब्ज को दूर करने, सूजन कम करने में भी आपके लिए लाभकारी है।