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- आजकल लोगों की लाइफस्टाइल इतनी अनहेल्दी हो चली है कि छोटी-बड़ी बीमारियां और हेल्थ प्रॉब्लम्स तेजी से बढ़ रही हैं। नसों में ब्लॉकेज भी ऐसी ही एक समस्या है जो इन दिनों अनहेल्दी डाइट और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ रही है। नसें ब्लॉक हो जाने से शरीर में कई तरह की समस्याएं बढ़ सकती हैं। नसों में ब्लॉकेज की समस्या हार्ट को भी नुकसान पहुंचा सकता है। नसों की इस ब्लॉकेज को नेचुरली साफ करने के लिए आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं। लहसुन एंटीऑक्सीडेंट्स और एलिसिन जैसे तत्वों से भरपूर होता है जो हार्ट और नसों की हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। यहां पढ़ें लहसुन का सेवन करने के तरीके ( और इसके सभी फायदे।नसों में ब्लॉकेज के कारण क्या हैं?शरीर की नसें ब्लॉक होने का एक बड़ा कारण है शरीर में पोषक तत्वों की कमी। इसी तरह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक ना रहना, ब्लड क्लॉटिंग, हाई बीपी, हाई ब्लड शुगर लेवल और एक ही जगह पर कई घंटों तक बैठकर काम करने से नसें दब जाती हैं और नसों में ब्लॉकेज बढ़ने लगती है।नसों में ब्लॉकेज के लक्षणनसें बंद हो जाने के बाद हाथों-पैरों में झुनझुनी, शरीर में तेज दर्द. नसों में भारीपन, घुटनों के नीचे हिस्से में दर्द और सूजन जैसे परेशानियां हो सकती हैं।बंद नसें खोलने के लिए खाएं कच्चा लहसुनदिन में 1 से 2 बार कच्चा लहसुन खाने से नसों की ब्लॉकेज खुल सकती हैं। बेहतर रिजल्ट के लिए आप सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खा सकते हैं।पिएं लहसुन का पानीसुबह खाली पेट 2-3 लहसुन को कूटकर गर्म पानी में मिलाएं। फिर, इस पानी का सेवन जरूर करें।लहसुन खाने के फायदेखाली पेट लहसुन का सेवन करने से नसों की ब्लॉकेज खुलने के साथ-साथ बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम होता है। जिससे हार्ट हेल्थ भी बेहतर होती है।Disclaimer- यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
- थायराइड गर्दन में छोटी तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो शरीर में एनर्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने, मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने और हार्मोन्स को बैलेंस रखने में मदद है। लेकिन इसके असंतुलित होने पर लोगों को हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायरॉइड) और हाइपरथायरायडिज्म (ओवरएक्टिव थायरॉइड) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण लोगों को वजन में बदलाव आने, मूड खराब होने और थकान होने जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में थायराइड को बैलेंस करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए डाइट में कुछ ड्राई फ्रूट्स को भी शामिल किया जा सकता है।थायराइड से राहत के लिए ड्राई फ्रूट्सब्राजील नट्स खाएंब्राजील नट्स में भरपूर मात्रा में सेलेनियम और कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में इसको थायराइड के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। थायराइड की समस्या में इसका सेवन करने से लाभ मिलता है। ऐसे में नियमित रूप से भिगोए हुए 1 ब्राजील नट का सेवन करना फायदेमंद है। लेकिन ध्यान रहे, इसका सेवन दवाइयों के साथ न करें।किशमिश खाएंकिशमिश में भरपूर मात्रा में आयोडीन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं। इसका सेवन करने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं, साथ ही, इससे थायराइड हार्मोन को बैलेंस करने में भी मदद मिलती है। किशमिश को भिगोकर खाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।कद्दू के बीज खाएंकद्दू के बीजों में भरपूर मात्रा में जिंक, हेल्दी फैट्स और विटामिन्स जैसे पोषक तत्व और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से थायराइड को हेल्दी रखने और इसके कारण होने वाली समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।अखरोट खाएंअखरोट में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं, साथ ही, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट्स, विटामिन्स जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। इनका सेवन करने से थायराइड के कार्यों को बेहतर करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है।सूरजमुखी के बीज खाएंसूजजमुखी के बीजों में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, हेल्दी फैट्स, विटामिन-ई और बी जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। इसका सेवन करने से थायराइड के कार्यों को बेहतर कर, इसके स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है और सूजन को कम करने में मदद मिलती है।ध्यान रहे, थायराइड के कारण सूजन आने, स्किन या बालों से जुड़ी समस्या होने, वजन में बदलाव आने और थकान होने जैसी समस्याएं अधिक होने पर लोगों को इनको नजरअंदाज न करते हुए डॉक्टर से सलाह जरूर लें और हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें।
- अक्सर लोग बालों के झड़ने और टूटने की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे में बालों को लंबा और घना बनाए रखने के लिए कलौंजी और गुड़हल के फूल का इस्तेमाल किया जा सकता है। कलौंजी के बीज, जिनको काले बीज कहा जाता है। इसमें अच्छी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। वहीं, गुड़हल के फूल में भरपूर मात्रा में नेचुरल एंजाइम्स, विटामिन-सी, अमीनो एसिड और केराटिन होता है। इससे बालों को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।कलौंजी और गुड़हल हेयर मास्क के फायदेबालों की ग्रोथ को दे बढ़ावाकलौंजी और गुड़हल के हेयर मास्क का इस्तेमाल करने से स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने, बालों की जड़ों को पोषण और ऑक्सीजन देने में मदद मिलती है, जिससे बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद मिलती है, जो बालों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।स्कैल्प के इंफेक्शन से बचाव करेइस हेयर मास्क में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और विटामिन-सी के गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से स्कैल्प का इंफेक्शन से बचाव करने, खुजली को कम करने, जलन को कम करने और डैंड्रफ को रोकने में मदद मिलती है।बालों को झड़ने से रोकेगुड़हल के फूल और कलौंजी हेयर मास्क में विटामिन-सी, आयरन, जिंक और हेल्दी फैट्स होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है, जिससे बालों को जड़ों से पोषण देने, बालों को झड़ने और पलते होने से रोकने में मदद मिलती है।बालों को सफेद होने से रोकेगुड़हल के फूल और कलौंजी हेयर मास्क में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं। इसको लगाने से बालों का ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाव करने, पोषण की कमी को दूर करने, मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इससे बालों के नेचुरल रूप से काला बनाए रखने और सफेद होने से रोकने में मदद मिलती है।बालों को गहराई से दे पोषणइस हेयर मास्क में अच्छी मात्रा में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट्स होते है। इसको लगाने से बालों को गहराई से पोषण देने, स्कैल्प की ड्राईनेस को कम करने, बालों को कंडीशन करने, नेचुरल रूप से शाइनी और हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे बालों का किसी भी तरह के नुकसान से बचाव करने में मदद मिलती है।इस्तेमाल करने का तरीका:-गुड़हल के फूलों और पत्तों को धोकर पीस लें।-कलौंजी के बीजों को पीस लें।-दोनों को मिलाकर दही या नारियल तेल के साथ मिलाएं।-इस मिश्रण को बालों और स्कैल्प पर लगाएं।-30-40 मिनट बाद बालों को धो लें।-यह हेयर मास्क सप्ताह में एक या दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
- अक्सर लोग ओरल हेल्थ यानी मुंह से जुड़ी मुंह में बदबू आने, दांतों में कैविटी होने और मसूड़ों में सड़ने होने जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। ऐसे में इन समस्याओं से राहत के लिए भारतीय मसालों में से एक और औषधीय गुणों से भरपूर इलायची का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। इलायची में अच्छी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से ओरल हेल्थ को कई तरह के लाभ मिलते हैं।ओरल हेल्थ के लिए इलायची खाने के फायदेमुंह की बदबू से दे राहतइलायची में भरपूर मात्रा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल के गुण होते हैं। इसको चबाने से मुंह में बैक्टीरिया के कारण होने वाले मुंह की बदबू से राहत देने में मदद मिलती है। इससे बैक्टीरिया से बचाव करने में भी मदद मिलती है।बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करेइलायची में भरपूर मात्रा में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से मुंह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करने, मुंह का किसी भी तरह के फंगल इंफेक्शन या मुंह से जुड़ी किसी भी समस्या से बचाव करने में मदद मिलती है।
- भारतीय रसोई में सौंफ एक आम मसाला है, जिसे अक्सर हम माउथ फ्रेशनर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वैसे तो हम होटल या रेस्टोरेंट में खाने के बाद मिली सौंफ को बड़े चाव से खा लेते हैं, लेकिन घर में इसे नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि, सौंफ केवल स्वाद और ताजगी के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसमें पाचन सुधारने, त्वचा निखारने और वजन घटाने जैसे कई औषधीय गुण होते हैं। सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरीकों से लाभ पहुंचाते हैं। आइए जानें इसके 5 बड़े फायदे।पाचन में सुधारसौंफ में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखते हैं। यह गैस, अपच, और पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करने में कारगर है। खाना खाने के बाद थोड़ी सौंफ चबाने से पाचन एंजाइम सक्रिय हो जाते हैं, जिससे खाना जल्दी पचता है।मुंह की दुर्गंध से राहतसौंफ में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करते हैं और मुंह को ताजगी प्रदान करते हैं। इसके मीठे स्वाद और सुगंध के कारण यह एक प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर के रूप में काम करता है। सौंफ चबाने के बाद आपका मुंह लंबे समय तक फ्रेश रहता है।वजन घटाने में सहायकसौंफ मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करती है। इसके सेवन से भूख कम लगती है और पेट भरा-भरा महसूस होता है, जिससे अधिक खाने से बचा जा सकता है। यह वॉटर रिटेंशन कम करने में भी उपयोगी है। जिन लोगों का वजन बढ़ता जा रहा है, उनके लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है।ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करेसौंफ में मौजूद पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह नसों को रिलैक्स करता है और ब्लड वेसल्स पर दबाव कम करता है। नियमित रूप से सौंफ चबाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम किया जा सकता है और हृदय स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगारसौंफ में विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने और उनकी सेहत को बनाए रखने में सहायक होते हैं। यह आंखों की जलन, सूजन और थकान को कम करने में मदद करती है, जिससे आंखें तरोताजा और स्वस्थ बनी रहती हैं।अस्वीकरण: प्रिय पाठकों यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
- अक्सर कई लोगों की रातें करवट बदलते-बदलते बीत जाती हैं. वहीं कई लोगों सुबह उठते हैं और फिर भी थके हुए महसूस करते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये सिर्फ थकान या स्ट्रेस नहीं, बल्कि आपकी सेहत के लिए एक गंभीर संकेत हो सकता है. इससे यह पता चलता है कि आपकी नींद ठीक से नहीं हो रही और अच्छी नींद का न होना आपके शरीर और दिमाग दोनों पर बुरा असर डालता है. आज की बिजी लाइफ, काम का प्रेशर, लगातार बढ़ता स्ट्रेस और मोबाइल या लैपटॉप का ज्यादा यूज और खराब लाइफस्टाइल की वजह से नींद की समस्या और रात भर करवटें बदलने की आदत बहुत आम हो गई है.अगर आपको रात के समय सोने में परेशानी होती है, बार-बार करवटें बदलनी पड़ती है, हार्ट बीट तेज हो जाती है और शरीर या मन में बेचैनी महसूस होती है तो यह एक गंभीर हार्मोनल इंबैलेंस की ओर संकेत हो सकता है, जिसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है.हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन बनाना शुरु कर देती है. इसके अलावा कई रिसर्च में यह पाया गया है कि जो लोग लंबे समय तक सही नींद नहीं ले पाते या करवटें बदलने की आदत होती है तो उनमें गंभीर बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है. इनमें कैंसर और समय से पहले मौत का रिस्क भी शामिल है.करवटें बदलने की आदत से भूलने की आदत, ध्यान न लगना और सोचने-समझने की ताकत पर असर पड़ने का खतरा भी हो सकता है. नींद पूरी न होने से दिमाग सही से काम नहीं करता है. इससे डिप्रेशन, एंजायटी, और चिड़चिड़ापन हो सकता है. करवटें बदलने की आदत और रात को बिस्तर पर जाने के बाद भी अगर नींद नहीं आती, तो इसकी एक बड़ी वजह स्लीप स्ट्रेस हो सकता है.नींद पूरी न होने से शरीर पर क्या-क्या असर पड़ सकता है?1. नींद पूरी न होने से वजन बढ़ने लगता है, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, और इम्यून सिस्टम भी कमजोर पड़ सकता है.2. नींद पूरी न होने से थकान और चिड़चिड़ापन के साथ छोटी-छोटी बातें भी परेशान करने लगती हैं और किसी काम में मन नहीं लगता है.3. वहीं नींद पूरी न होने से स्किन का ग्लो भी खत्म होता है. नींद के दौरान स्किन खुद को रिपेयर करती है. लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती, तो डार्क सर्कल, डल स्किन, पिंपल्स और जल्दी झुर्रियां दिखने लगती है.4. रात भर करवटें बदलने की आदत के कारण दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. बार-बार नींद टूटने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.5. बार-बार नींद टूटने से पेट और गट हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है.हमारे पेट में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन और सेहत का ध्यान रखते हैं पर नींद कम होने से ये बैलेंस बिगड़ जाता है, जिससे पेट खराब, गैस, अपच जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.
- हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उसकी त्वचा हमेशा निखरी और बेदाग नजर आए। लेकिन अगर चेहरे पर झाइयां हो जाएं, तो यह सपना अधूरा ही रह जाता है। चेहरे पर झाइयां आपकी सुंदरता को कम कर देती हैं। इसकी वजह से त्वचा पर धब्बे दिखने लगते हैं और स्किन का रंग भी डार्क हो जाता है। ऐसे में, कई लोग जिद्दी झाइयों को हटाने के लिए तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, कुछ लोग पार्लर जाकर महंगे ब्यूटी ट्रीटमेंट्स कराते हैं। लेकिन फिर भी कुछ खास फायदा नहीं मिल पाता है। ऐसे में, इन जिद्दी झाइयों से छुटकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलू उपायों को अपना सकते हैं।शहदचेहरे से जिद्दी झाइयों को हटाने के लिए आप शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, इसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है, जो झाइयों को हल्का करने में मदद करता है। साथ ही, त्वचा को मुलायम और चमकदार भी बनाता है। इसके लिए आप एक चम्मच शहद लें। इसमें एक चम्मच नींबू का रस डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। अब इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं और कुछ देर लगा रहने दें। करीब 10 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। हफ्ते में 2-3 बार इसका इस्तेमाल करने से धीरे-धीरे झाइयां गायब हो जाएंगी।जायफलअगर आपके चेहरे पर झाइयां हो गई हैं, तो आप जायफल का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-पिगमेंटेशन गुण होते हैं, जो त्वचा के दाग-धब्बों, मुंहासों और पिगमेंटेशन की समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। साथ ही, यह त्वचा की रंगत को सुधारने में भी मदद कर सकता है। इसके लिए आप एक चम्मच जायफल पाउडर में पानी डालकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और करीब चेहरे को पानी से धो लें। बेहतर रिजल्ट के लिए हफ्ते में 1 से 2 बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।कच्चा दूधचेहरे की जहिद्दी झाइयों को हटाने के लिए कच्चा दूध काफी असरदार साबित हो सकता है। दरअसल, कच्चे दूध में लैक्टिक एसिड मौजूद होता है, जो दाग-धब्बों और झाइयों को कम करने में मदद करता है। साथ ही, त्वचा की रंगत को सुधारने में भी मदद करता है। इसके लिए एक कटोरी में थोड़ा सा कच्चा दूध लें। एक कॉटन बॉल की मदद से इसे अपने चेहरे पर लगाएं और हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में मसाज करें। करीब 15 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। इससे त्वचा के दाग-धब्बों और झाइयों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही, त्वचा पर निखार भी आएगा।एलोवेराझाइयों से छुटकारा पाने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो दाग-धब्बों, पिगमेंटेशन और झुर्रियों को दूर में मदद करते हैं। इसके लिए आप ताजा एलोवेरा जेल लेकर इसे अपने चेहरे पर लगाएं। 5-10 मिनट तक हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में मसाज करें। करीब 30 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। इससे न सिर्फ झाइयों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि त्वचा मुलायम और चमकदार भी बनेगी।मसूर दालमसूर दाल में एक्सफोलिएटिंग गुण होते हैं, जो डेड स्किन सेल्स को हटाने और झाइयों को हल्का करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह त्वचा के निखार को भी बढ़ाती है। इसके लिए भीगी हुई मसूर दाल को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें। करीब 15 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें।
- भारतीय मसालों में से एक जावित्री, एक खुशबूदार मसाला है। जिसको मेस (Mace) के नाम से भी जाना जाता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य के लिए भी कई तरीकों से फायदेमंद है। औषधीय गुणों से भरपूर जावित्री में विटामिन्स, कैल्शियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-डायबिटिक और एंटी-माइक्रोबियल के गुण भी पाए जाते हैं। जावित्री की तासीर गर्म होती है। इनका सेवन करने से इम्यूनिटी को बूस्ट करने, सर्दी-खांसी और स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से बचाव करने और स्वास्थ्य को कई अन्य लाभ मिलते हैं।जावित्री खाने के फायदे -ब्लड शुगर में फायदेमंदजावित्री में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है।शरीर को डिटॉक्स करेजावित्री में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को डिटॉक्स कर शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर, ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने, जोड़ों के दर्द को कम करने, मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बेहतर करने और शरीर की सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है।इम्यूनिटी बूस्ट करने में सहायकऔषधीय गुणों से भरपूर जावित्री में अच्छी मात्रा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने, सर्दी-खांसी जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों से बचाव करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने और शरीर के कार्यों में सुधार करने में मदद मिलती है।हार्ट के लिए फायदेमंदजावित्री में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने और सूजन को कम करने में मदद मिलती है, जो हार्ट के स्वास्थ्य के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है।ब्रेन के कार्यों के लिए फायदेमंदजावित्री में न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। इसको डाइट में लेने से स्ट्रेस को कम करने, ब्रेन के कार्यों में सुधार करने, याददाश्त को बढ़ावा देने, ब्रेन को रिलैक्स करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है।पाचन को दुरुस्त करने में सहायकजावित्री मसाले में पाचन को बढ़ावा देने वाले एंजाइम्स को बढ़ावा देने मे मदद मिलती है। ऐसे में इसको खाने से ब्लोटिंग, अपच, गैस, कब्ज और सूजन जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने, पाचन प्रक्रिया को बढ़ावा देने, भूख को बढ़ावा देने और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इसका सेवन करने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है।ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंदजावित्री में एंटी-बैक्टीरियल के गुण होते हैं। ऐसे में इसका सेवन करने से मुंह में मौजूद खराब बैक्टीरिया को कम करने, मुंह की बदबू से राहत देने दांतों और मसूड़ों का कैविटीज से बचाव करने में मदद मिलती है। जावित्री का सेवन करने से ओरल हेल्थ में सुधार करने में मदद मिलती है।स्किन के लिए फायदेमंदजावित्री में अच्छी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण और विटामिन्स पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने, ब्लड को डिटॉक्स करने और स्किन को अंदर से हेल्दी और ग्लोइंग बनाने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे त्वचा का एजिंग से बचाव करने और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करने में भी सहायक है।सावधानियांजावित्री का सेवन सीमित मात्रा में करें। इससे किसी भी तरह की एलर्जी महसूस होने पर इसके सेवन से बचें। इसके अलावा, ब्रेस्टफीडिंग, प्रेग्नेंसी और किसी मेडिकल कंडीशन से पीड़ित लोग इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, अन्यथा इसका सेवन न करें।निष्कर्षऔषधीय गुणों से भरपूर जावित्री मसाले में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को डिटॉक्स करने, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने, इम्यूनिटी को बूस्ट करने, हार्ट को हेल्दी रखने, ब्रेन के कार्यों को बेहतर करने, स्किन को हेल्दी रखने, पाचन को दुरुस्त करने, वजन कम करने और ओरल हेल्थ में सुधार करने में मदद मिलती है। ध्यान रहे, इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के साथ सीमित मात्रा में करें।
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आज के समय में कैंसर वैश्विक स्तर पर एक गंभीर बीमारी बन चुका है। हर साल सैकड़ों लोग इस गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं। ब्लड कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लिवर कैंसर, स्किन कैंसर और पेट का कैंसर आदि अन्य कई प्रकार के कैंसरों से लोग जुझ रहे हैं। कुछ मामलों में कैंसर का कारण जेनेटिक कारक होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह हमारे लाइफस्टाइल, आदतें और हमारे द्वारा इस्तेमाल होने वाले हानिकारक पदार्थों के कारण भी कैंसर होने का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
कैंसर के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
चिकित्सकों के अनुसार, दुनियाभर में कैंसर बढ़ने का कारण ऐसी चीजों का इस्तेमाल या संपर्क में आना है, जो हमारे शरीर में सेल्स पर सीधे असर करते हैं। जैसे-1. तंबाकूतंबाकू का सेवन कैंसर का सबसे बड़ा और आम कारण माना जाता है। स्मोकिंग फेफड़ों, मंह, गले और मूत्राशय के कैंसर का कारण बन सकता है। सिर्फ स्मोकिंग करने वाले ही नहीं, बल्कि उनके आस-पास रहने वाले लोग भी सेकेंड हैंड स्मोक के कारण कैंसर होने का जोखिम होता है। यह स्थिति बच्चों और बुजुर्गों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इससे बचाव के लिए स्मोकिंग या गुटखे की आदत को छोड़ना बहुत जरूरी है और दूसरों को भी इसके लिए जागरुक करना चाहिए।2. शराब का ज्यादा सेवनशराब का ज्यादा सेवन आपके लिवर, ब्रेस्ट, मुंह और गले के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। लगातार और ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन शरीर के सेल्स को डैमेज कर सकता है, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए या तो शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए या फिर इसे बहुत सीमित मात्रा में लेना चाहिए।3. मोटापा और खराब डाइटआज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जंक फूड, प्रोसेस्ड मीट और ज्यादा फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन आम हो गया है। ये सभी खाद्य पदार्थ मोटापा बढ़ाते हैं, जो गर्भाशय, बड़ी आंत, स्तन और प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम से जुड़े हो सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि आप अपनी डाइट में ताजे फल, सब्जियां, अनाज और हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और हेल्दी वजन बनाए रखें।4. वायु प्रदूषणआज के समय में वायु प्रदूषण भी कैंसर के जोखिम को बढ़ाने का एक बड़ा कारक है। प्रदूषण में मौजूद छोटे कण, फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। जिन जगहों पर हवा की गुणवत्त खराब होती है, वहां लंबे समय तक रहने से कैंसर का जोखिम बढ़ता है। इससे बचाव के लिए खुले में मास्क पहनना और घरों या ऑफिस में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है।5. ज्यादा रेडिएशन और यूवी किरणेंबहुत ज्याद रेडिएशन, खासकर सूरज की यूवी किरणें, स्किन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। यह खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है, जो लंबे समय तक धूप में काम करते हैं या बाहर रहते हैं। इससे बचने के लिए हमें सनस्क्रीन, सही कपड़े, टोपी और चश्मे का उपयोग करना चाहिए। गर्मी केे मौसम में खासकर दोपहर के समय घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।निष्कर्षदुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे का बड़ा कारण हमारी बदलती लाइफस्टाइल, प्रदूषण, गलत आदतें और अनहेल्दी डाइट है। हालांकि, इनमें से कुछ चीजों पर हमारा कंट्रोल नहीं हो सकता है, लेकिन, अपनी आदतों में हेल्दी बदलाव करके और सुरक्षित तरीकों को अपनाकर आप कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। - आजकल फिटनेस और हेल्थ को लेकर लोग पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो चुके हैं। हेल्दी रहने के लिए डाइट, एक्सरसाइज, स्लीप और हाइड्रेशन का सही संतुलन जरूरी है। ऐसे में पीने के पानी की क्वालिटी भी बहुत अहम हो जाती है। साधारण पानी से बेहतर, आजकल अल्कलाइन वॉटर (Alkaline Water) की मांग तेजी से बढ़ी है। इसे क्लीन वॉटर या पावर वॉटर भी कहा जाता है क्योंकि इसका पीएच लेवल 8 या उससे ज्यादा होता है, जो शरीर की एसिडिटी को बैलेंस करने में मदद करता है।इस लेख में हम आपको बताएंगे कि घर पर अल्कलाइन वॉटर कैसे बनाएं, उसके फायदे क्या हैं और क्या इसे पीकर वजन घटाने में मदद मिलती है या नहीं।अल्कलाइन वॉटर क्या होता है?-अल्कलाइन वॉटर वह पानी होता है जिसका पीएच लेवल 8 या उससे ज्यादा होता है। इसमें नेचुरल मिनरल्स या बेकिंग सोडा जैसे अल्कलाइन एजेंट्स मिलाए जाते हैं जो इसकी गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।अल्कलाइन वॉटर पीने के फायदे-शरीर के पीएच को बैलेंस करता है।-पेट की एसिडिटी और गैस की समस्या में राहत मिलती है।-मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है।-त्वचा साफ और ग्लोइंग बनती है।-शरीर को डिटॉक्स करता है।-इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।क्या अल्कलाइन वाटर पीने से वजन घटता है?-अल्कलाइन वाटर पीने से वेट लॉस (Weight Loss) करने में मदद मिलती है। कई स्टडीज में अल्कलाइन वाटर को वेट लॉस के लिए फायदेमंद बताया गया है। हालांकि अल्कलाइन वाटर मेटाबॉलिज्म रेट को ठीक नहीं करता लेकिन ये आपकी डाइट में कैलोरीज नहीं बढ़ाएगा जिसकी मदद से आपको वजन घटाने में मदद मिलेगी। अल्कलाइन वाटर में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हें जो शरीर को वजन कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा अल्कलाइन वाटर शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है। शरीर में मौजूद बेकार तत्वों को बाहर कर देने से वेट लॉस करने में मदद मिलती है और यही अल्कालाइन वाटर का मुख्य काम है।अल्कलाइन वाटर बनाने का तरीकासामग्री: पानी और नींबूविधि:-नींबू की मदद से आप अल्कलाइन वाटर बना सकते हैं।-एक बड़े जग में पानी भरें।-नींबू के टुकड़े, पानी वाले जग में डालें।-आप इन टुकड़ों को बिना निचोड़े ही जग में डाल सकते हैं।-जग को रात भर के लिए सामान्य तापमान पर छोड़ दें।-पानी में आप पिंक सॉल्ट भी मिलाकर छोड़ सकते हैं।-नमक से अल्कलाइन वाटर मिनरल वाटर में बदल जाता है।पानी का पीएच स्तरपानी के पीएच लेवल की बात करें, तो 4 से 10 के स्केल पर अगर पानी 4 से 6 के बीच है, तो वो एसिडिक है वहीं 7 से ऊपर पानी बेसिक नेचर का होता है। हर कोई अपने पानी का स्तर 7 से 9 के बीच रखना चाहेगा। शुद्ध पेयजल का पीएच स्तर 8 या 9 होता है जिसे अल्कलाइज करके हासिल किया जा सकता है।अल्कलाइन वाटर पीने से प्यास बढ़ती हैअल्कलाइन वाटर का सेवन करने से शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है। अल्कलाइन वाटर शरीर में जल्दी एब्सॉर्ब हो जाता है और प्यास अधिक लगती है। ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर रखने के लिए अल्कलाइन वाटर फायदेमंद माना जाता है। शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स, अल्कलाइन वाटर में पाए जाते हैं।शरीर का पीएच लेवल बरकरार रखने में अल्कलाइन वाटर फायदेमंद माना जाता है। हालांकि इसका सेवन जरूरत से ज्यादा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर का बायोकेमिकल प्रोसेस बिगड़ सकता है।अल्कलाइन वाटर पीने के क्या फायदे हैं?-यह शरीर को डिटॉक्स करता है, पाचन सुधारता है, एसिडिटी को कम करता है और एनर्जी लेवल को बढ़ाता है। कुछ रिसर्च इसे इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मददगार मानती हैं।अल्कलाइन वाटर कितना पीना चाहिए?शुरुआत के दिनों में 1-2 गिलास पीना काफी होता है। शरीर के अनुसार धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाई जा सकती है ।अल्कलाइन वाटर क्या है?अल्कलाइन वॉटर ऐसा पानी होता है जिसका पीएच लेवल, सामान्य पानी से ज्यादा यानी 8 या 9 होता है। यह शरीर की एसिडिक स्थिति को संतुलित करने में मदद करता है।
- भारतीय खाने में खीरा सबका पसंदीदा आहार होता है। यह सलाद के रूप में अक्सर सर्व किया जाता है। हालांकि, कई बार लोग खीरे को ऐसे ही नमक लगाकर खा लेते हैं। क्योंकि इसमें पानी की मात्रा होती है, जो कि सेहत के लिए बहुत फायदा पहुंचाता है। अगर आप अपने शरीर को हाइड्रेट रखना चाहते हैं तो खीरे का सेवन करें। कई बार होता है कि आप बाजार से खीरा लाते हैं और वह कड़वा निकल जाता है। ऐसे में आप उसको फेंकने की बजाय खा लेते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं कि कड़वा खीरा खा लेते हैं, तो यह आपके लिए जहर बन सकता है। इसके अलावा, खीरे के कड़वे होने के कारण टेट्रसाइक्लिक ट्राइटरपिनपॉइड यौगिक भी होते हैं। जब आप कड़वा खीरा खाते हैं, तो आपके शरीर में इन यौगिकों की मात्रा भी बढ़ जाती है और आपकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।कड़वा खीरा खाने से सेहत को होने वाले नुकसान-कड़वे खीरे खाने से मतली, उल्टी और पेट में ऐंठन जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अगर पूरा खीरा कड़वा है तो इसे न खाएं।-कड़वा खीरा खाने की वजह से सूजन, गैस और दस्त की समस्याएं भी हो सकती हैं। इतना ही नहीं, इसे खाने से फूड पॉइजनिंग जैसी समस्या भी हो सकती-कड़वा खीरा खाने से आपको चक्कर भी आ सकते हैं।-यहां तक कि कड़वा खीरा भी आपकी आंत को नुकसान पहुंचा सकता है।-कुकुर्बिटासिन एक ऐसा यौगिक है, अगर आप इसका ज्यादा सेवन करते हैं तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।कड़वा खीरा खाने से कैसे बचें-1. आपको खीरा चेक करके ही पूरा खाना चाहिए। शुरुआत में थोड़ा चखें, और अगर कड़वा लगे तो पूरा न खाएं।2. ताजे खीरे खाएं। बासी खीरे न खाएं और नए और ताजे खीरे खाएं।3. उगाने के तरीकों पर ध्यान दें। अगर आप खुद खीरा उगा रहे हैं तो उन्हें सही तरीके से उगाएं।4. अच्छे खीरे चुनें। जिन खीरों में कुकुर्बिटासिन की मात्रा कम हो, उन खीरों को ही खाएं।
- हाई कोलेस्ट्रॉल एक ऐसी खामोश स्वास्थ्य समस्या है जो अक्सर बिना किसी बड़े लक्षण के बढ़ती रहती है। इसे 'साइलेंट किलर' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिखते। हालांकि जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और यह धमनियों में प्लाक के रूप में जमा होने लगता है, तो यह धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।ऐसे में, हृदय रोग, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। जब लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तो वे अक्सर इस बात का संकेत होते हैं कि समस्या गंभीर हो चुकी है और तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है। इसके आम लक्षणों की बात की जाए तो सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने के बारे में ज्यादातर लोगों को मालूम है। आइए इस लेख में इन लक्षणों के चार ऐसे प्रमुख लक्षणों के बारे में जानते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के प्रमुख लक्षण हैं।सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफरक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल के जमाव से धमनियां कठोर और संकरी हो जाती हैं, जिससे हृदय तक पर्याप्त ऑक्सीजन-युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता। इस स्थिति को एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं। जब यह धमनियां संकरी होती हैं, तो व्यक्ति को गतिविधि या तनाव के दौरान सीने में दर्द का अनुभव हो सकता है।यह दर्द अक्सर भारीपन, दबाव या जकड़न के रूप में महसूस होता है। रक्त प्रवाह में कमी के कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे सांस लेने में तकलीफ भी महसूस हो सकती है।पैरों में दर्द या सुन्नपनजब शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है तो सिर्फ हृदय की धमनियों को ही नहीं, बल्कि पैरों और अन्य अंगों की धमनियों को भी प्रभावित करता है, तो इसे पेरिफेरल आर्टरी डिजीज कहते हैं। इसके कारण पैरों में, खासकर चलने या व्यायाम करते समय, दर्द, ऐंठन, भारीपन या सुन्नपन महसूस हो सकता है। आराम करने पर यह दर्द अक्सर कम हो जाता है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आपके शरीर में रक्त प्रवाह बाधित हो रहा है।थकान या कमजोरीशरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण धमनियों में रुकावट आने से कोशिकाओं और मांसपेशियों तक पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं। इस कारण बिना किसी स्पष्ट वजह के लगातार थकान या सामान्य कमजोरी महसूस हो सकती है। यह शरीर की ऊर्जा को प्रभावित करता है और दैनिक गतिविधियों को भी मुश्किल बना सकता है।आंखों के पास या पलकों पर पीले धब्बेउच्च कोलेस्ट्रॉल का एक और दृश्यमान संकेत आंखों के पास या पलकों पर दिखाई देने वाले पीले या नारंगी रंग के धब्बे होते हैं। ये वास्तव में फैट के जमाव होते हैं, जो सीधे तौर पर शरीर में उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर का संकेत देते हैं। ये धब्बे आमतौर पर दर्द रहित होते हैं, लेकिन ये एक महत्वपूर्ण चेतावनी हो सकते हैं।
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हर कोई स्वस्थ रहना चाहता है, और इसके लिए हम अक्सर बाजार में मिलने वाले उन खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं जिन पर 'हेल्दी', 'नैचुरल' या 'ऑर्गेनिक' का लेबल लगा होता है। मार्केटिंग कंपनियां हमें विश्वास दिलाती हैं कि ये उत्पाद हमारी सेहत के लिए वरदान हैं। लेकिन, सच्चाई अक्सर इस दावे से कोसों दूर होती है।
कई बार, ये तथाकथित 'हेल्दी फूड्स' वास्तव में छिपी हुई चीनी, कृत्रिम सामग्री, अनहेल्दी फैट और अत्यधिक प्रोसेसिंग के कारण हमारी सेहत को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में, यह समझना बेहद जरूरी है कि कौन से खाद्य पदार्थ 'स्वस्थ' होने का दिखावा करते हैं, लेकिन वास्तव में हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे कुछ आम 'हेल्दी फूड्स' के बारे में जिन पर आपको सावधानी बरतनी चाहिए।डाइट सोडाडाइट सोडा को अक्सर चीनी-मुक्त और शून्य-कैलोरी पेय के रूप में प्रचारित किया जाता है, जिससे यह वजन घटाने वालों के लिए एक स्वस्थ विकल्प लगता है। हालांकि इसमें कैलोरी नहीं होती, लेकिन इसमें कृत्रिम मिठास का उपयोग होता है।शोध बताते हैं कि ये कृत्रिम मिठास आंत के माइक्रोबायोम (पेट के अच्छे बैक्टीरिया) के संतुलन को भी बिगाड़ सकती हैं। कुछ अध्ययनों ने इन्हें वजन बढ़ने, टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा है। इसके अलावा इसकी हाई एसिडिक नेचर दांतों के इनेमल को भी नुकसान पहुंचा सकती है।बोतल बंद जूसबोतल बंद जूस को अक्सर फलों से मिलने वाले विटामिन का एक आसान तरीका माना जाता है। हालांकि इनमें कुछ विटामिन हो सकते हैं, लेकिन प्रोसेसिंग के दौरान इनमें से फाइबर पूरी तरह से निकल जाता है। फाइबर के बिना फलों में मौजूद प्राकृतिक चीनी (फ्रुक्टोज) बहुत तेजी से ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाती है, जो कि पूरे फल खाने पर नहीं होता।कुछ ब्रांडों में तो अतिरिक्त चीनी भी मिलाई जाती है। जूस पीने से पेट भी उतनी देर भरा हुआ महसूस नहीं होता जितना पूरा फल खाने से होता है, जिससे आप ज्यादा कैलोरी का सेवन कर सकते हैं। ताजे, साबुत फल खाना हमेशा बोतल बंद जूस से बेहतर विकल्प है।एनर्जी बार्सएनर्जी बार्स को अक्सर एक स्वस्थ स्नैक्स विकल्प के रूप में देखा जाता है, खासकर व्यस्त लोगों या कसरत के बाद के लिए। लेकिन, अगर आप इनके पोषण लेबल को ध्यान से पढ़ें, तो पाएंगे कि इनमें से कई एनर्जी बार में अत्यधिक मात्रा में चीनी (कॉर्न सिरप, ग्लूकोज सिरप, या यहां तक कि शहद भी बड़ी मात्रा में) और हेल्दी फैट छिपी होती है। इसलिए इसे खाने से परहेज करना चाहिए, और अगर खाते हैं तो इसके पैकेट पर लिखी जानकारी को अच्छे से जांच लें।मल्टीग्रेन ब्रेड'मल्टीग्रेन' शब्द का मतलब सिर्फ यह है कि इसमें कई तरह के अनाज हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे साबुत अनाज हैं। अक्सर मल्टीग्रेन ब्रेड में भी रिफाइंड अनाज, अतिरिक्त चीनी और अनहेल्दी फैट हो सकती है। - आधुनिक जीवनशैली में, गैजेट्स पर बढ़ता स्क्रीन टाइम और हमारा बदलता खान-पान सीधे हमारी आंखों पर असर डाल रहा है। यही वजह है कि बच्चों से लेकर बड़े तक, अधिकतर लोग कमजोर आंखों की रोशनी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में आप अच्छी डाइट की मदद से अपनी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं।सही पोषण के साथ, आप अपनी आंखों को काफी हद तक स्वस्थ रख सकते हैं, दृष्टि को बेहतर बना सकते हैं, और यहां तक कि चश्मे पर अपनी निर्भरता भी कम कर सकते हैं या नंबर बढ़ने से रोक सकते हैं। कुछ खास विटामिन और खनिज आंखों की सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं। आइए इस लेख में ऐसे विटामिन-रिच फूड्स के बारे में जानते हैं, जिन्हें अपनी डाइट में शामिल करके आप अपनी आंखों को सही पोषण दे सकते हैं।आंखों के लिए जरूरी हैं ये पोषक तत्वआंखों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ खास विटामिन और खनिज की जरूरत होती है। इनमें विटामिन ए सबसे प्रमुख पोषक तत्व है, जो अच्छी दृष्टि, खासकर कम रोशनी में देखने और रतौंधी रोकने के लिए आवश्यक है। विटामिन सी और विटामिन ई दोनों ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं जो आंखों की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, साथ ही मोतियाबिंद और उम्र से संबंधित जोखिम को कम करने में सहायक होते हैं।ओमेगा-3 फैटी एसिड रेटिना के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और सूखी आंखों की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, जिंक विटामिन ए को लिवर से रेटिना तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है। अब आइए जानते हैं कि किन पोषक तत्व को डाइट में शामिल करके आप अपनी आंखों का ख्याल रख सकते हैं।खट्टे फल और शिमला मिर्चसंतरा, नींबू, चकोतरा और रंगीन शिमला मिर्च विटामिन सी के उत्कृष्ट स्रोत हैं। इनके एंटीऑक्सीडेंट गुण आंखों की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं और मोतियाबिंद के खतरे को कम कर सकते हैं।
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जब बात चलने की आती है तो किसी का टारगेट 3 हजार कदम चलने का होता है तो किसी का 5000, लेकिन आखिर चलने से होता क्या है? आप कहेंगे कि हम तो दिनभर में न जाने कितने कदम चल लेते हैं तो फिर उन्हें काउंट क्या करना! जी हां, हर कदम का एक महत्व होता है, इसलिए तो आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि जब आप 10 हजार कदम चलते हैं तो शरीर किस तरह से रिएक्ट करता है और शरीर में किस तरह के बदलाव आते हैं।
-जिन्हें डायबिटीज है वो 6,000 से 9,000 कदम रोज चलेंं, ये ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है।-ह्रदय रोग वाले रोजाना 30 मिनट की वॉक करें। इससे उनके दिल को मजबूती मिलेगी।-वह व्यक्ति जो फैटी लिवर से पीड़ित है वो तेज चाल से 45 मिनट तक चलना शुरु कर दे। इससे लिवर फैट घटना शुरू हो जाएगा।-जो लोग ब्लड प्रेशर से परेशान हैं वे रोजाना 30-40 मिनट की वॉक करें, जो बीपी को नियंत्रित रखने में मदद करेगा।-जब रोज 10,000 कदम चलते हैं तो क्या होता है?1. हृदय स्वस्थ रहता हैडॉक्टर सर्वेश ने बताया कि नियमित रूप से 10,000 कदम चलने से हृदय की कार्यक्षमता में सुधार आता है। ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है, हार्ट रेट स्थिर रहता है और धमनियों की रुकावटें कम होती हैं। इससे हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा घटता है और दिल की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। इसलिए वो लोग जो दिल की बीमारी से परेशान हैं, वो रोजाना दस हजार कदम जरूर चलें।2. ब्लड शुगर और वजन नियंत्रित रहता हैचलने से शरीर में कैलोरी बर्न होती है और इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है। यह दोनों बातें डायबिटीज को नियंत्रित करने और वजन घटाने में मदद करती हैं। नियमित वॉकिंग से शरीर फैट स्टोर करने के बजाय एनर्जी का सही उपयोग करता है। ऐसे में आप बिना डाइटिंग के अपना वजन भी घटा सकते हैं और ब्लड शुगर को भी कंट्रोल कर सकते हैं।3. मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता हैवॉकिंग के दौरान एंडोर्फिन जैसे सकारात्मक हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे मूड अच्छा रहता है। वॉक करने से तनाव, बेचैनी और मानसिक थकान में राहत मिलती है। साथ ही नींद में सुधार और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी बढ़ती है। इसलिए अगर आप अपने मन को शांत रखना चाहते हैं और थकान को दूर करना चाहते हैं तो वॉर करने का ऑप्शन चुन सकते हैं।वॉकिंग से शरीर में कैसे बदलाव आते हैं?1. दिल अधिक मजबूत होता हैरोजाना चलने से दिल नियमित रूप से व्यायाम करता है, जिससे उसकी मांसपेशियां ताकतवर बनती हैं। रक्त प्रवाह बेहतर होता है और दिल पर पड़ने वाला अतिरिक्त दबाव कम होता है। यह कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है और दिल को लंबी उम्र तक स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।2. चयापचय दर तेज होती हैचलना मेटाबॉलिज्म को गति देता है, जिससे शरीर भोजन को बेहतर तरीके से पचा पाता है और उसे ऊर्जा में बदल पाता है। ऐसा करने से वजन नियंत्रित रहता है और फैट जमने की प्रक्रिया धीमी पड़ती जाती है। तेज मेटाबॉलिज्म का मतलब है ज्यादा ऊर्जा, कम थकान और बीमारियों का कम खतरा होता है। इसलिए आप रोज चलना शुरू कर दें।3. मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैंकई लोग उठते-बैठते शरीर में दर्द की शिकायत करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कम चलने से उनकी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसके लिए डॉक्टर ने बताया कि ‘वॉकिंग से पैरों, पीठ और जांघों की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं। यह मसल्स को टोन करने और हड्डियों की घनता बनाए रखने में सहायक होती है। साथ ही, यह गतिविधि जोड़ों की लचक बढ़ाती है, जिससे चलने-फिरने में परेशानी नहीं होती और बढ़ती उम्र में मोबिलिटी बनी रहती है। तो अगर आपके माता-पिता भी दर्द की शिकायत करते हैं तो उन्हें भी रोज वॉक करने के लिए कहें।4. मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता बढ़ती हैअगर आप एक जगह मन नहीं लगा पा रहे हैं या फिर लाख कोशिशों के बाद भी ध्यान इधर-उधर जा रहा है तो भी वॉक करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। डॉक्टर ने बताया कि ‘चलते समय दिमाग को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे सोचने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। तनाव घटता है और मन शांत रहता है। नियमित वॉक करने वालों में मानसिक थकावट और चिड़चिड़ापन कम पाया गया है। यह बदलाव पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों जिंदगी में सकारात्मक असर डालते हैं।’5. रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती हैहम में से कई ऐसे लोग होंगे जो जल्दी-जल्दी बीमार हो जाते होंगे। ऐसे लोगों के लिए भी डॉक्टर ने चलना फायदेमंद बताया है। डॉक्टर ने फायदे बताते हुए कहा कि ‘चलना शरीर के इम्यून सिस्टम को सक्रिय बनाता है। इससे शरीर में संक्रमण से लड़ने की ताकत बढ़ती है। सर्दी, जुकाम या वायरल बीमारियों से लड़ने की क्षमता बेहतर होती है और रिकवरी भी जल्दी होती है। लंबे समय तक नियमित चलने से शरीर संक्रामक बीमारियों के प्रति अधिक तैयार और सुरक्षित रहता है।’ - क्या आप जानते हैं कि आपकी रसोई में मौजूद एक और साधारण चीज 'दही' – स्किन को ग्लोइंग और हेल्दी बनाने में कहीं ज्यादा असरदार है? जिसे आप चाहें तो चावल के आटे के साथ मिलाकर या ऐसे अन्य कई तरीकों से उपयोग कर सकती हैं।दही के फायदेदही में नेचुरल लैक्टिक एसिड पाया जाता है, जो त्वचा की ऊपरी परत से मृत कोशिकाओं को हटाकर स्किन को साफ और मुलायम बनाता है। यह एक नेचुरल एक्सफोलिएटर की तरह काम करता है, जिससे स्किन का टोन निखरता है और डलनेस दूर होती है। इसके अलावा दही में मौजूद प्रोटीन और विटामिन बी स्किन को भीतर से पोषण देते हैं। आप दही को इन 3 तरह से उपयोग कर सकती हैं।दही और बेसन फेस पैकइसक फेस पैक के लिए आप एक चम्मच दही में एक चम्मच बेसन मिलाकर पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे पर 15 मिनट तक लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें और फिर ठंडे पानी से धो लें। यह पैक टैनिंग और डलनेस हटाने में मदद करता है।दही और हल्दी मास्कआप दही में चुटकी भर हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाएं। यह मास्क त्वचा की रंगत निखारता है और दाग-धब्बों को कम करता है। नियमित प्रयोग से चेहरा साफ और चमकदार बनता है। बस आपको इसका सही तरीके से इस्तेमाल करना आना चाहिए।दही व शहद का हाइड्रेटिंग पैकशहद और दही का मिश्रण त्वचा के लिए बेहद लाभकारी होता है। इस फेस पैक को बनाने के लिए दही और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। यह त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और रूखापन दूर करता है। स्किन को नेचुरली मॉइश्चराइज रखने के लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है।
- व्यस्त जीवनशैली में खानपान की बिगड़ती आदतें और टेंशन भरी सुस्त लाइफस्टाइल, कई रोगों को जन्म देने का कारण बन रही है। ऐसी ही एक समस्या यूरिक एसिड भी है। युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक, हर उम्र के लोग आजकल यूरिक एसिड की चपेट में आ रहे हैं। यूरिक एसिड से पीड़ित लोगों को अच्छी सेहत के लिए खानपान पर विशेष ध्यान देने की सलाह अकसर दी जाती है। बरसात के मौसम में खासतौर पर यूरिक एसिड रोगियों को 5 सब्जियों को खाने की मनाही होती है। जिनका सेवन करने पर उनकी समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। आइए जानते हैं क्या होता है यूरिक एसिड और कौन सी 5 सब्जियां बरसात के मौसम में इस रोग से पीड़ित लोगों को खाने से परहेज करना चाहिए।क्या होती है यूरिक एसिड का समस्या?शरीर में जब प्यूरीन अधिक मात्रा में पहुंचने लगता है, जिसे किडनी सही तरीके से बाहर नहीं निकाल पाती, तो यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है। यह एसिड जोड़ों में जमा होकर गठिया रोग का कारण बन सकता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न की समस्याएं हो सकती है।बैंगनमानसून के दौरान बैंगन की सब्जी की सेवन यूरिक एसिड के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। बैंगन में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है। जो यूरिक एसिड से पीड़ित लोगों के लिए उनकी समस्या को और ज्यादा बढ़ा सकता है। बरसात में इस सब्जी का सेवन जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न की शिकायत बढ़ा सकता है।मशरूममशरूम प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने के बावजूद यूरिक एसिड रोगियों की सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं। मशरूम में मौजूद प्यूरिन की अधिक मात्रा के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड क्रिस्टल्स जमा होने लगते हैं, जो जोड़ों में दर्द और सूजन का कारण बन सकते हैं।भिंडीभिंडी में भी प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है, जो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकती है। यूरिक एसिड से पीड़ित रोगियों को इसका सेवन करने से भी बचना चाहिए।पालकआयरन, विटामिन्स और मिनरल्स का रिच सोर्स होने के बावजूद पालक यूरिक एसिड के मरीजों को फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। यूरिक एसिड रोगियों को मानसून में पालक खाने से बचना चाहिए। पालक में न केवल प्यूरिन की मात्रा अधिक होती है, बल्कि इसमें ऑक्सलेट भी काफी ज्यादा होता है। ऑक्सलेट किडनी स्टोन का कारण बन सकता है।अरबीबरसात में अरबी का सेवन यूरिक एसिड के मरीजों के लिए नुकसानदेह होता है। अरबी में कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में एसिडिटी और यूरिक एसिड का लेवल बढ़ा सकती है। जिसकी वजह से व्यक्ति को जोड़ों में जलन, सूजन और दर्द की समस्या हो सकती है।
- बॉडी को हेल्दी और फिट बनाए रखने में पानी का बड़ा अहम रोल होता है। खाना पचाना हो, शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालना या फिर ब्लड सर्कुलेशन को मेंटेन रखना हो, इन सभी चीजों के लिए पानी की जरूरत होती है। लेकिन जब बात वजन कम करने की आती है, तो पानी को सही समय पर और सही तरीके से पीना और भी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। खासकर खाना खाने से पहले पानी पीना एक ऐसा तरीका है जिसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। कई हेल्थ एक्सपर्ट्स और न्यूट्रिशनिस्ट मानते हैं कि खाने से पहले पानी पीने की आदत वजन कम करने में मदद कर सकती है। चलिए जानते हैं कैसे असरदार है ये आदत।खाने से पहले पानी पीने से कैसे घटता है वजनजब हम खाना खाने से लगभग आधा घंटा पहले पानी पीते हैं, तो इससे हमारे पेट को एक भरेपन का एहसास होता है। इससे ये फायदा होता है कि हम ओवरईट नहीं करते और हमारी कैलोरी इंटेक कम हो जाती है। ये तरीका खासतौर से उन लोगों के लिए काफी असरदार होता है जो बिना भूख के बार-बार कुछ ना कुछ खाते रहते हैं या फिर जरूरत से ज्यादा भोजन कर लेते हैं। वजन बढ़ने का सबसे बड़ा कारण यही होता है कि हम जितनी कैलोरी खर्च करते हैं, उससे ज्यादा ले लेते हैं। ऐसे में खाना खाने से पहले पानी पीना इस आदत को रोकने का एक आसान और असरदार तरीका बन सकता है।पानी पीने से मेटाबॉलिज्म होता है तेजहेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि खाना खाने से पहले लगभग आधा लीटर हल्का गुनगुना पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ सकता है। मेटाबॉलिज्म जितना तेज होगा, शरीर उतनी तेजी से कैलोरी बर्न करेगा और वजन घटाने की प्रक्रिया भी उतनी ही जल्दी शुरू होगी। इसके अलावा, गुनगुना पानी पाचन तंत्र को सक्रिय करता है, जिससे भोजन बेहतर तरीके से पचता है और शरीर में फैट और शुगर का अवशोषण नियंत्रित रहता है। जब पाचन सही होता है तो शरीर में एक्स्ट्रा फैट जमा नहीं होता और वजन अपने आप कंट्रोल में आ जाता है।भोजन के साथ नहीं, पहले या बाद में पिएं पानीखाना खाते समय या उसके ठीक तुरंत बाद पानी पीना पाचन क्रिया को थोड़ा धीमा कर सकता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि या तो खाना खाने से लगभग 30 मिनट पहले पानी पिएं या फिर खाने के 30 मिनट बाद पानी पिएं। इससे शरीर को भोजन को पचाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है और पानी भी अपने तरीके से लाभ पहुंचाता है।ध्यान रखें ये जरूरी बातेंपानी पीना फायदेमंद है, लेकिन किसी भी चीज की अति हानिकारक हो सकती है। एकदम से बहुत ज्यादा पानी पी लेने से पेट फूलने, गैस बनने या उल्टी जैसा महसूस हो सकता है। इसलिए धीरे-धीरे और नियमित मात्रा में पानी पीने की आदत डालें। साथ ही केवल पानी पीने से ही वजन नहीं घटेगा, इसके लिए बैलेंस डाइट, डेली की फिजिकल एक्टिविटी और पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है।
- कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इतना ही नहीं, यह शरीरकी मांसपेशियों के संकुचन, नर्व्स के संचार, दिल की धड़कन और ब्लड क्लॉट बनने की प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाता है। लेकिन, शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाइपोकैल्सीमिया, एक मेडिकल कंडीशन है, जिसमें व्यक्ति के खून में कैल्शियम की कमी हो जाती है, जिसका समय पर इलाज न करने पर कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि हाइपोकैल्सीमिया के कारण और लक्षण क्या हैं?हाइपोकैल्सीमिया के कारणहाइपोकैल्सीमिया की समस्या होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें-1. विटामिन D की कमीब्लड में कैल्शियम की कमी होने का सबसे बड़ा कारण शरीर में विटामिन डी की कमी है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। ऐसे में जब शरीर में विटामिन डी की कमी होती है तो आपकी आंतें कैल्शियम को भोजन से ठीक तरह से अवशोषित नहीं कर पाती हैं, जिससे हाइपोकैल्सीमिया की समस्या हो जाती है।2. हाइपोपैराथायरायडिज्मखून में कैल्शियम की कमी का एक बड़ा कारण हाइपोपैराथायरायडिज्म की समस्या भी हो सकती है। बता दें कि पैराथायराइड ग्रंथि कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को संतुलित करने के लिए जिम्मेदार होती है। ऐसे में हाइपोपैराथायरायडिज्म के कारण इस हार्मोन की कमी से ब्लड में कैल्शियम का लेवल कम होने लगता है।3. क्रॉनिक किडनी डिजीजक्रॉनिक किडनी डिजीजकी समस्या भी खून में कैल्शियम की कमी का कारण बन सकती है। दरअसल, जब आपकी किडनी ठीक तरह से काम नहीं करती है तो वह एक्टिव विटामिन डी नहीं बना पाती है, जिससे कैल्शियम का अवशोषण बाधित हो जाता है।4. कुछ दवाओं का सेवनमूत्रवर्धक, कीमोथेरेपी की दवाएं और एंटी-एपिलेप्टिक मेडिकेशन का सेवन अक्सर हमारे खून में कैल्शियम की कमी का कारण बनती है।5. मैग्नीशियम की कमीब्लड में कैल्शियम की कमी का एक और बड़ा कारण शरीर में मैग्नीशियन की कमी है। मैग्नीशियम की कमी से शरीर में पैराथायराइड हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे खून में कैल्शियम का स्तर कम होने लगता है।हाइपोकैल्सीमिया के लक्षणशरीर में हाइपोकैल्सीमिया के लक्षण (khoon me calcium ki kami ke lakshan) धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं और शुरुआत में बहुत कम नजर आ सकते हैं। लेकिन, समय के साथ ये लक्षण बहुत ज्यादा गंभीर भी हो सकते हैं। इसलिए, खून में कैल्शियम की कमी होने पर ये लक्षण नजर आ सकते हैं--हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों मे ऐंठन और झटके आना-उंगलियों, होंठों और चेहरे में झुनझुनी या सुन्नपन की समस्या होना-बिना किसी काम के बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना और मांसपेशियों में कमजोरी आना-चिड़चिड़ापन, एंग्जाइटी और मूड स्विंग्स जैसे मानसिक बदलाव होना-स्किन का बहुत ज्यादा ड्राई होना, हेयर फॉल और नाखूनों का कमजोर होना-गंभीर मामलों में यह दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है-खून में कैल्शियम की कमी के कारण नर्व सिस्टम भी प्रभावित होता है, जिससे दौरे पड़ सकते हैंनिष्कर्षहाइपोकैल्सीमिया यानी खून में कैल्शियम की कमी एक गंभीर स्थिति है, जिसे नजरअंदाज करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। लेकिन, इसके लक्षणों को पहचानकर समय पर सही इलाज लेकर आप इसके कारण होने वाली गंभीर स्थितियों से बच सकते हैं। इसलिए, अपने शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी करने के लिए पर्याप्त मात्रा में धूप लें, हेल्दी डाइट लें और नियमित रूप से शरीर की जांच करवाएं।
- सैलोन और ब्यूटी ट्रीटमेंट्स की मदद से भी स्किन से झुर्रियां कम करने और स्किन को सॉफ्ट-यंग दिखाने की कोशिश बहुत से लोग करते हैं। लेकिन, अगर आप इन सब तरीकों से दूर रहना चाहते हैं और नेचुरली स्किन पर झुर्रियों को आने से रोकना चाहते हैं तो आप चेहरे पर कच्चा दूध लगा सकते हैं। फेस पर कच्चा दूध लगाने से स्किन को यंग और रिंकल-फ्री रखने के अलावा अन्य कई फायदे भी हैं। यहां पढ़ें चेहरे पर कच्चा दूध अप्लाई करने का सही तरीका और साथ ही जानिए चेहरे पर कच्चा दूध लगाने के फायदे -सुबह चेहरे पर इस तरह लगाएं कच्चा दूध5-6 चम्मच कच्चा दूध और 2 चम्मच शहद मिक्स करें। अपने चेहरे को पानी से साफ करें। फिर, चेहरे पर दूध-शहद का पैक लगाएं। 10 मिनट तक चेहरे को रंगड़कर साफ करें। फिर, चेहरा पानी से धो लें।झुर्रियां रोकने के लिए लगाएं कच्चा दूधदूध में पाया जाने वाला लैक्टिक एसिड स्किन में कोलेजन को बनने की प्रक्रिया में मदद करता है। इससे स्किन की कसावट भी बढ़ती है और स्किन पर झुर्रियां नहीं दिखायी देतीं।पिम्पल्स से छुटकाराचेहरे पर कच्चा दूध लगाने से पिम्पल्स और एक्ने की समस्या कम होती है। कच्चा दूध स्किन की डीप क्लीनिंग करता है। इससे स्किन में पिम्पल्स बढ़ाने वाले बैक्टेरिया खत्म होते हैं और स्किन क्लीन और सॉफ्ट दिखायी देती है।स्किन को मिलती है राहतधूम में डैमेज होने के कारण स्किन पर सनबर्न और रैशेज हो सकते हैं। इन समस्याओं से आराम पाने के लिए आप फेस पर कच्चा दूध लगा सकते हैं। कच्चा दूध स्किन को ठंडक देकर इरिटेशन कम करता है।डेड स्किन से छुटकाराचेहरे की कच्चे दूध से सफाई करने से स्किन की डीप क्लिनिंग होती है। इससे चेहरे पर जमा डेड स्किन सेल्स की परत साफ होती है और चेहरा निखरा हुआ दिखायी देता है। Disclaimer : प्रिय पाठकों यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें। thehealthsite.com इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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मानसून के मौसम में सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार और गले की खराश जैसी समस्याएं होती हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपकी रसोई में मौजूद कुछ आम मसाले आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। तो आइए, जानते हैं कुछ ऐसे मसालों के बारे में, जिन्हें आपको मानसून में अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए ....
काली मिर्चमानसून में इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए आप अपनी डाइट में काली मिर्च को जरूर शामिल करें। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। यह सर्दी-जुकाम, गले की खराश और खांसी में भी राहत देती है। साथ ही, यह मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद करती है। मानसून में रोजाना रात को दूध में काली मिर्च पाउडर डालकर पीना फायदेमंद होता है। इसके अलावा, आप इसे अपने सूप, काढ़ा या सलाद में भी शामिल कर सकते हैं। ्रहल्दीहल्दी एक ऐसा मसाला है, जो कई बीमारियों से बचाव में मदद कर सकता है। हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। मानसून में रोजाना रात को हल्दी वाला दूध पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सर्दी-खांसी जैसी वायरल बीमारियों से बचाव होता है।लहसुनलहसुन में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं और शरीर को संक्रमण से बचाते हैं। मानसून में लहसुन का सेवन करने से कई तरह की बीमारियों से बचाव में मदद मिल सकती है। आप इसे सब्जियों, दाल या चटनी में शामिल कर सकते हैं।दालचीनीदालचीनी भी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में प्रभावी होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-वायरल गुण मौजूद होते हैं, जो बदलते मौसम के दौरान होने वाले संक्रमण से लडऩे में मदद करते हैं। साथ ही, यह शरीर में सूजन को कम करती है और मेटाबॉलिज्म को सुधारती है। आप दालचीनी को चाय, दूध, सूप में शामिल कर सकते हैं।अदरकअदरक में एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं। मानसून में इसका सेवन करने से सर्दी-जुकाम, खांसी और गले में खराश जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है। इसके अलावा, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद होते हैं, जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह पाचन को भी दुरुस्त रखता है। आप इसे अदरक को चाय, सूप या काढ़े में इस्तेमाल कर सकते हैं। - शरीर को स्वस्थ रखने के लिए की तरह के विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों की जरूरी है। विटामिन बी12 भी ऐसा ही एक विटामिन है, जो शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार होता है। विटामिन बी12 डीएनए के निर्माण, रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन, तंत्रिका कार्यों को बढ़ावा देने, सेल मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ऐसे में, इसकी कमी होने पर शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। विटामिन बी12 की कमी के कारण कमजोरी, हाथ पैरों में झुनझुनी और याददाश्त कमजोर होना जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शरीर में विटामिन बी12 की कमी होने पर कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इनमें से कुछ लक्षण ऐसे भी हैं, जो अक्सर रात के समय नजर आते हैं। आज इस लेख में हम आपको रात में नजर आने वाले कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो विटामिन बी12 की कमी का संकेत हो सकते हैं -थकान और कमजोरीरात के समय अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना विटामिन बी12 की कमी का संकेत हो सकता है। दरअसल, विटामिन बी12 रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में मदद करता है, जो शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए आवश्यक हैं। इसकी कमी होने पर शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है, जिससे कमजोरी और थकावट महसूस होती है। अगर आपको ऐसे लक्षण दिख रहे हैं, तो आपको अपने हेल्थ एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए।हाथ-पैरों में झुनझुनी होनाहाथ-पैरों में झनझनाहट और सुन्नपन महसूस होना भी शरीर में विटामिन बी12 की कमी का है। दरअसल, विटामिन बी12 की वजह से तंत्रिका तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से हाथ-पैरों में झुनझुनी की समस्या हो सकती है।बार-बार नींद खुलनाअगर आपको अक्सर रात में ठीक से नींद नहीं आती है या बार-बार नींद टूटती है, तो यह विटामिन बी12 की कमी का संकेत हो सकता है। दरअसल, विटामिन बी12 मेलाटोनिन के उत्पादन में मदद करता है, जो नींद को नियंत्रित करता है। इसकी कमी के कारण अनिद्रा या बार-बार नींद खुलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो डॉक्टर से मिलकर जांच करवाएं।पेट से जुड़ी समस्याएंअगर आपको लगभग रोज रात के समय पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो यह विटामिन बी12 की कमी का संकेत हो सकता है। दरअसल, विटामिन बी12 की कमी से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। इस स्थिति में आपको उल्टी, मतली, गैस, कब्ज और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान आज भी अपनी फिटनेस को लेकर काफी चर्चा में बनी रहती हैं। दो बच्चों की मां बनने के बाद भी करीना अपने फिगर औऱ फिटनेस के लिए कई महिलाओं की मोटीवेशन बनी हुई हैं। करीना की फिटनेस को देखते हुए फैंस अक्सर उनके डाइट प्लान और फिटनेस सीक्रेट को जानने के लिए बेकाब रहते हैं। असल में करीना फिट रहने के लिए न सिर्फ एक्सरसाइज और योग करती हैं, बल्कि वो एक सख्त डाइट भी फॉलो करती हैं।करीना कपूर का डाइट प्लान1. ड्राई फ्रूट्स से सुबह की शुरुआतकरीना कपूर अपने दिन की शुरुआत ड्राई फ्रूट्स के साथ करती हैं। वह सुबह उठने के बाद सबसे पहले कुछ ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम, किशमिश और अंजीर का सेवन करती हैं। बादाम हेल्दी फैट, विटामिन ई और प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जो ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही स्किन और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। किशमिश में नेचुरल चीनी और आयरन से भरपूर होते हैं, जो शरीर में एनर्जी को बनाए रखने में मदद करती है, और खून की कमी को पूरा करती है। अंजीर, फाइबर और पोटैशियम से भरपूर होता है, जो कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं।2. नाश्ते में पराठा या पोहापिछले 18 सालों से करीना सुबह के नाश्ते में पराठा या पोहा खाती है। पराठे का सेवन धीरे-धीरे आपके शरीर में रिलीज होता है और आटे में मौजूद फाइबर का अच्छा सोर्स होता है, जिसे सब्जियों के साथ खाने से न सिर्फ आपको स्वाद मिलता है, बल्कि पोषण भी बढ़ता है। जबकि पोहा हल्का, प्रोटीन और जल्दी पचने वाला होता है।3. दोपहर के खाने में दाल और चावलकरीना कपूर इतने सालों से अपने दोपहर के खाने में ज्यादातर दाल और चावल शामिल करना पसंद करती हैं। दाल प्रोटीन, आयरन, फाइबर और कई मिनरल्स से भरपूर होते हैं, जबकि चावल शरीर में एनर्जी के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। अपने दाल और चावल के साथ करीना कभी-कभी सब्जी और सलाद भी शामिल करती हैं।4. शाम का नाश्ते में हेल्दी ऑप्शनअपने शाम के नाश्ते में करीना कपूर आमतौर पर चीज टोस्ट, मौसमी फल और मिल्कशेक शामिल करना पसंद करती हैं। चीज टोस्ट प्रोटीन से भरपूर होता है, मौसमी फलों का सेवन उनके स्वाद और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जबकि मिल्कशेक प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन से भरपूर होते हैं, जो स्वाद के साथ उनके शाम की क्रेविंग और हल्की भूख को शांत करने में मदद करता है। शाम के नाश्ते के ये तीनों ही विकल्प पोषण से भरपूर हैं, जो उनके शरीर को एनर्जी देने में मदद करता है।5. रात के खाने में खिचड़ी या पुलावकरीना कपूर इतने सालों से अपने रात के खाने को हल्का और संतुलित आहार शामिल करने की कोशिश करती हैं, जो पचाने में आसान हो। वो अपने रात के खाने में खिचड़ी घी के साथ शामिल करती हैं, जो हल्का और पौष्टिक होता है। कभी-कभी करीना रात के खाने में पुलाव शामिल करती हैं, जो सब्जियों, हल्के मसालों और कम तेल -घी से तैयार किया जाता है। ये खाना पचने में आसान और पेट के लिए हल्का होता है, जो रात में अच्छी नींद में भी मदद करता है।करीना साल 2007 से अपने इसी डाइट को फॉलो करती हैं और हफ्ते में 4 से 5 दिन तक इस आहार का पालन करती है, जबकि कभी-कभी वे कुछ अलग अपने मन से खा लेती हैं। लेकिन, एक हेल्दी बॉडी और फिटनेस के लिए जरूरी है कि आप अपने डाइट को लेकर सही डिसिप्लिन फॉलो करें। अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स शामिल करें।
- बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने खुद एक इंटरव्यू में बताया है कि वे क्यों अब केवल चांदी की गिलास में ही पानी पीती हैं। कंगना ने बताया कि यह गिलास उनकी मौसी ने उन्हें गिफ्ट किया था और आयुर्वेद में चांदी के बर्तन में रखा पानी पीना खासतौर पर हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद में तांबा, मिट्टी और अन्य धातुओं के हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में काफी कुछ बताया गया है। इसी तरह चांदी के बर्तन में रखा भोजन खाने या पानी पीने से भी स्वास्थ्य पर अच्छे प्रभाव पड़ते हैं। आइए जानते हैं कि चांदी के गिलास से पानी पीने से किन स्वास्थ्य समस्याओं में आराम मिलता है।पित्त दोष को कम करता है चांदीकंगना रनौत ने एक पॉडकास्ट में इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्हें आयुर्वेद में बहुत विश्वास है। कंगना ने बताया कि उनके शरीर की प्रकृति पित्त दोष वाली है और आयुर्वेद में चांदी को शीतलता देने और शरीर का टेम्परेचर कंट्रोल में रखने वाली धातु बताया गया है। कंगना रनौत हेल्थ का ध्यान रखते हुए चांदी के बर्तन में रखा पानी पीती हैं क्योंकि यह पित्त दोष को कम करने में मदद करता है। इसी तरह गुस्से को कंट्रोल में रखने के लिए भी चांदी के गिलास में पानी पीने से फायदा होता है।बढ़ती है इम्यून पॉवरचांदी के गिलास में रखा पानी पीने से एक और फायदा आपके शरीर को मिल सकता है। यह बीमारी फैलाने वाले वायरस से आपको सुरक्षित रखता है और शरीर की इम्यून पॉवर बढ़ाता है। इस तरह इम्यूनिटी बढ़ जाने से आप जल्दी-जल्दी बीमार नहीं पड़ते।चांदी के गिलास में पानी पीने के ये भी हैं फायदेपित्त दोष को नियंत्रित करने के अलावा आयुर्वेद में चांदी के बर्तन में रखा पानी पीने के ये लाभ भी बताए गए हैं--चांदी में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो बैक्टेरिया को खत्म करके पानी को शुद्ध बनाते हैं। इससे शरीर को बैक्टेरिया-फ्री रखने में मदद होती है।-चांदी में कुछ एंटी-एजिंग इफेक्ट्स भी होते हैं जो शरीर को स्वस्थ और यंग रखने में मदद करते हैं।-पानी को अगर चांदी के बर्तन में रखा जाए तो यह लम्बे समय तक फ्रेश और पीने लायक बना रहता है। इससे आपको पानी पीने के सभी फायदे मिल पाते हैं।
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आपने काले टमाटर के बारे में सुना होगा। पिछले 2 सालों से भारत में भी इसकी खेती शुरू हो गई हैं। ब्रिटेन के रास्ते भारत पहुंचा इस टमाटर की खेती भी लाल टमाटर के जैसे ही होती हैं। यह टमाटर सिर्फ अपने रंग के लिए विख्यात नहीं हैं बल्कि इसमें मौजूद गुणकारी तत्वों के कारण भी विख्यात हैं।
कई रंग बदलता हैं ये खास टमाटर :--यह टमाटर आम टमाटर की तरह ही उगता हैं। सबसे पहले यह हरा होता हैं, उसके बाद लाल, फिर हल्का नीला होते-होते काला हो जाता हैं। जब आप इसे काटेंगे तो इसका गूदा लाल टमाटर की तरह लाल ही होता हैं। बस फर्क ये हैं कि इसमें पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।जानिए कौन-कौन से फायदे हैं काले टमाटर में :---ब्लड प्रेशर को रखें कंट्रोल :काले टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं और इसके साथ ही इसमें प्रोटीन, विटामिन ए, सी, मिनरल्स पाये जाते हैं जोकि आपके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं।शुगर मरीजों के लिए फायदेमंद :अगर आप शुगर से लड़कर थक चुके हैं तो काला टमाटर आपके लिए रामबाण साबित हो सकता हैं। काला टमाटर खाने से आपका शुगर लेवल कंट्रोल रहता हैं।हार्ट अटैक का खतरा कम करें-काला टमाटर खाने से आपके हार्ट अटैक के चांस भी कम हो जाते हैं क्योंकि इसमें एंथोसाइनिन पाया जाता हैं जो आपको हार्ट अटैक से बचाता हैं। नियमित रूप से काले टमाटर का सेवन आपको कभी दिल से जुड़ी बीमारियां नहीं होने देगा।आंखों के लिए फायदेमंद :ये टमाटर आपकी आंखों के लिए बहुत लाभदायक हैं क्योंकि ये आपके शरीर में विटामिन A और विटामिन C की कमी को पूरा कर देता हैं। आपको पता ही होगा कि विटामिन A आंखों के लिए कितना फायदेमंद होता हैं।वजन कम करने में मददगार :काले टमाटर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती हैं जोकि वजन कम करने में मददगार साबित होती हैं। अगर आप भी अपने मोटापे से परेशान हैं तो इसे जरूर खाएं।भारत में काले टमाटर की खेती की जा रही हैं। यह खेती अब हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी फैल रही हैं। काले टमाटर को "इंडिगो रोज़ टोमेटो" भी कहा जाता हैं।