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- दाल हमारी सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है। दाल और दाल से बनी चीजें फाइबर और प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत हैं, लेकिन कुछ लोगों को इन्हें खाने के बाद पेट में गैस या फूलापन (Bloating) महसूस होता है। इसका कारण यह है कि दालों में कुछ कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट (Complex Carbohydrates) जैसे रैफिनोज (Raffinose) और स्टैचियोस (Stachyose) पाए जाते हैं, जिन्हें हमारा पाचन तंत्र पूरी तरह से तोड़ नहीं पाता है। कार्बोहाइड्रेट छोटी आंत से पचकर बड़ी आंत तक पहुंचते हैं, जहां गट बैक्टीरिया इन्हें फर्मेंट करते हैं और इसके दौरान गैस बनती है, जिससे पेट फूलता है और असहजता महसूस होती है। हर व्यक्ति का गट माइक्रोफ्लोरा (Gut Flora) और पाचन एंजाइम्स अलग-अलग होते हैं, इसलिए कुछ लोगों को दाल खाने के बाद ज्यादा गैस महसूस हो सकती है। दाल के साथ दही या छाछ लेने से गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैं और पाचन में सुधार होता है। साथ ही, नियमित एक्सरसाइज और तनाव कम करना भी पेट की सेहत के लिए जरूरी है।दाल से होने वाली ब्लोटिंग से कैसे बचें?-दाल खाने से होने वाली गैस या फूलापन कम करने के कुछ आसान उपाय-1. दाल को भिगोकर रखेंदाल को 6-8 घंटे या रातभर भिगोकर रखने से गैस बनाने वाले तत्व कम हो जाते हैं और यह पचने में आसान होती है।2. दाल को अच्छी तरह पकाएंदाल को ठीक से पकाने से उसके कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट टूट जाते हैं और पेट में गैस बनने की संभावना कम होती है।3. धीरे-धीरे सेवन बढ़ाएंअगर आप रोज दाल नहीं खाते हैं, तो इसे धीरे-धीरे अपनी डाइट में शामिल करें ताकि पेट इसकी आदत डाल सके।4. पाचन में मदद करने वाले मसाले डालेंदाल बनाते समय हींग, अदरक, जीरा और सौंफ डालें। ये गैस बनने से रोकते हैं और पाचन सुधारते हैं।5. दाल को चबाकर खाएंखाना धीरे-धीरे और अच्छे से चबाने से पाचन एंज़ाइम्स को सही तरह से काम करने में मदद मिलती है।6. गुनगुना पानी पिएंखाने के बाद गुनगुना पानी पीने से पाचन में राहत मिलती है और गैस निकलने में मदद मिलती है।निष्कर्ष:दाल पोषक तत्वों से भरपूर भोजन है, लेकिन इसमें मौजूद फाइबर और प्राकृतिक तत्व कुछ लोगों में गैस या फूलापन पैदा कर सकते हैं। ऊपर दिए गए उपायों को अपनाकर आप इस असुविधा को कम कर सकते हैं और दाल के सभी स्वास्थ्य लाभ का आनंद उठा सकते हैं।
- सभी विटामिन हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं, लेकिन कुछ विटामिन की कमी से हमारे शरीर पर असर पड़ सकता है। जिससे हमारी त्वचा का रंग और उसकी चमक काफी हद तक हमारे खानपान और शरीर में मौजूद विटामिन्स पर निर्भर करता है। अगर शरीर को जरूरी विटामिन सही मात्रा में न मिलें, तो स्किन डल, बेजान और गहरी दिखाई देने लगती है। खासतौर पर कुछ विटामिन की कमी से त्वचा पर पिगमेंटेशन, दाग-धब्बे और रंग काला पड़ने की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आपको पता होना चाहिए कि कौन-कौन से विटामिन्स हमारी स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाए रखते हैं। आज हम आपको यहां 5 ऐसे जरूरी विटामिन्स के बारे में विस्तार से बताएंगे जिनकी कमी से त्वचा का रंग गहरा हो सकता है।विटामिन E की कमी स्किन को करती है डार्कविटामिन ई त्वचा को एंटीऑक्सीडेंट प्रोटेक्शन देता है और रंगत निखारने में मदद करता है। आपको बता दें विटामिन ई कमी होने पर त्वचा रूखी, डल और बेजान दिखने लगती है। ऐसे में त्वचा पर झाइया बढ़ सकती है और स्किन की नेचुरल ब्राइटनेस कम हो जाती है।विटामिन C की कमी स्किन को करता है डार्कविटामिन सी की कमी से त्वचा पर हाइपरपिगमेंटेशन जैसी समस्या पैदा हो सकती है। यह कोलेजन बनाने में मदद करता है साथ ही, विटामिन सी की कमी होने पर त्वचा रूखी, बेजान और डल दिख सकती है। आपको बता दें कि विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो सूरज और प्रदूषण से होने वाले नुकसान को कम करता है।विटामिन D की कमी से चेहरा हो सकता है कालाविटामिन डी की कमी से त्वचा पर डलनेस और कभी-कभी हल्के काले धब्बे दिखा सकते हैं। साथ ही, स्किन ड्राई और रूखी हो जाती है, जिससे नेचुरल ग्लो कम हो जाता है और रंग गहरा या बेजान दिख सकता है। आपको बता दें कि त्वचा पर डार्क सर्कल्स और थकान का असर भी विटामिन डी की कमी कारण दिख सकता है। ऐसे में, शरीर में थकान, कमजोरी और डार्क सर्कल्स बढ़ सकते हैं। विटामिन A की कमी से त्वचा पर पड़ता है असरविटामिन ए की कमी त्वचा पर असर डाल सकती है, लेकिन इससे त्वचा रूखी, खुरदरी और बेजान हो सकती है। साथ ही, त्वचा पर डलनेस और पिगमेंटेशन जैसी समस्या बढ़ सकती है। विटामिन ए की कमी से होंठ फटने लगते हैं और त्वचा पर दाग-धब्बे हो सकते हैं।विटामिन B12 की कमी से डार्क हो सकती है स्किनजब शरीर में बी12 की कमी होती है, तो मेलानिन का उत्पादन असंतुलित हो सकता है और इसके कारण त्वचा का रंग सामान्य से गहरा दिख सकता है। साथ ही, कुछ मामलों में त्वचा पर हाइपरपिग्मेंटेशन हो सकता है, जिसमें हाथों, पैरों और चेहरे पर त्वचा का रंग गहरा पड़ने लगता है। इसके साथ ही बी12 की कमी से अक्सर थकान, कमजोरी, बाल झड़ना और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी देखी जा सकती हैं।
- आज के समय में घुटनों के दर्द की परेशानी बहुत ही आम बन चुकी है। चाहे वह बुजुर्ग हो या युवा हर उम्र के लोग घुटनों के दर्द की समस्या से परेशान हैं। घुटनों के दर्द के कारणों में गठिया (Arthritis), शरीर का ज्यादा वजन, कोई पुरानी चोट, खाने में पोषण की कमी और आयु संबंधी हड्डियों की क्षति शामिल होती है। सामान्य तौर पर देखा जाता है कि जब किसी व्यक्ति को घुटनों के दर्द की समस्या होती है, तो लोग इसका इलाज तेल से करने की कोशिश करते हैं। परंतु आयुर्वेद में तेल के अलावा कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं जो घुटनों के दर्द को जड़ से ठीक करने में मदद कर सकते हैं। इन्हीं में से एक उपाय है- गोंद का सेवन।गोंद क्या है?गोंद एक प्रकार का प्राकृतिक रेजिन (resin) होता है जो पेड़ों के तनों से निकलता है। इसे सुखाकर पाउडर या दानों के रूप में तैयार करके रोजाना इस्तेमाल किया जाता है।आयुर्वेद में गोंद का महत्वआयुर्वेद के अनुसार, गोंद को "बल्य" (शरीर को बल देने वाला), "वातहर" (वात दोष को शांत करने वाला) और "संधि स्थायी" (जोड़ों को मजबूत करने वाला) माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार, जब व्यक्ति के शरीर का वात दोष असंतुलित हो जाता है, तो इससे घुटनों में दर्द, सूजन और अकड़न की परेशानी होती है। गोंद का सेवन करने से शरीर का वात दोष संतुलित होता है और ये घुटनों के दर्द की समस्या को दूर करता है।गोंद में पाए जाने वाले पोषक तत्वगोंद सिर्फ एक पारंपरिक उपाय नहीं है, बल्कि इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। गोंद में कैल्शियम, प्रोटीन, हाई फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व समग्र स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद होते हैं।घुटनों के दर्द में गोंद कैसे करता है काम?घुटनों के दर्द को कम करने में गोंद का सेवन कई प्रकार से फायदेमंद होता है।1. वात दोष को करें संतुलितआयुर्वेद में वात दोष का असंतुलन जोड़ों में दर्द और सूजन का मुख्य कारण माना गया है। गोंद का सेवन वात दोष को नियंत्रित करता है, घुटनों के सूजन और दर्द में राहत मिलती है।2. हड्डियों को करें पोषितगोंद में मौजूद कैल्शियम और प्रोटीन हड्डियों को पोषित करके उसकी ताकत को बढ़ाते हैं। गोंद का सेवन करने से घुटनों की हड्डियों में घिसाव कम होता है। जिसकी मदद से घुटनों के दर्द की परेशानी दूर होती है।3. जोड़ो की लुब्रिकेशन बढ़ाता हैगोंद में नेचुरल लुब्रिकेंट्स होते हैं जो जोड़ो की चिकनाई बढ़ाते हैं। इससे उम्र के साथ होने वाली घुटनों की क्षति कम हो जाती है। गोंद का सेवन करने से उम्र के साथ होने वाली चलने-फिरने की तकलीफ कम होती है।4. घुटनों की सूजन करे कमगोंद के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण घुटनों के दर्द और सूजन को भी कम करते हैं।5. मांसपेशियां बनाएं मजबूतगोंद का नियमित रूप से सेवन किया जाए, तो इसके पोषक तत्व मांसपेशियों की ताकत बढ़ाकर घुटनों पर पड़ने वाले दबाव को कम करती है। इससे घुटनों में होने वाला दर्द और सूजन कम करने में मदद मिलती है।Journal of Medicinal Plants Studies में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, गोंद कतीरा का नियमित सेवन जोड़ो के दर्द और ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। नियमित रूप से गोंद का सेवन करने से कम उम्र में घुटनों के दर्द की परेशानी नहीं होती है।घुटनों के दर्द में गोंद का सेवन कैसे करें-घुटनों के दर्दऔर अन्य परेशानियों में गोंद का सेवन कई प्रकार से किया जा सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।1. गोंद के लड्डू - गोंद से बनाए जाने वाले लड्डू सबसे पारंपरिक और प्रभावी तरीका है इसे खाने का।2. गोंद कतीरा ड्रिंक- गर्मी के मौसम में गोंद कतीरा को पानी में भिगोकर नींबू के साथ मिलाकर ड्रिंक के तौर पर पिया जा सकता है।3. गोंद पाउडर- पारंपरिक तौर पर गोंद का सूखा पाउडर बना लें। रात को सोने पहले आधा गोंद का पाउडर गुनगुने दूध के साथ लें।निष्कर्षगोंद सिर्फ एक मिठाई बनाने की सामग्री नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण औषधि है जो घुटनों के दर्द जैसी गंभीर समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है। अगर आप घुटनों के दर्द से परेशान हैं, तो गोंद को अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।
- एक्सपर्ट्स कहते भी हैं कि अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द, सूजन है या रेडनेस है, तो ऐसे में हीट थेरेपी कारगर साबित होती है। इससे सूजन में कमी आती है और दर्द भी छूमंतर हो जाता है। यहां यह सवाल जरूर उठता है कि क्या जिस तरह हीट हीट थेरेपी काम करती है, इसी तरह गर्म पानी का शॉवर लेने से भी दर्द से राहत मिलती है? विशेषकर, मांसपेशियों के दर्द में क्या वाकई यह तरीका काम कर सकता है? आइए, जानते हैं इस बारे में सभी बातें विस्तार से।नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) में प्रकाशित एक लेख की मानें, तो मांसपेशियों में दर्द के गर्म पानी का शॉवर लेना बहुत ही फायदेमंद होता है। यह बिल्कुल उसी तरह काम करता है, जिस तरह हीट थेरेपी काम करती है। कहने का मतलब है कि मांसपेशियों में तनाव, खिंचाव या दर्द हो, तो ऐसे में आप गर्म पानी से नहाने पर मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं। साथ ही, ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, जिससे मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है और दर्द का एहसास भी कम होने लगता है।गर्म पानी से नहाने पर किस तरह मांसपेशियों का दर्द दूर होता है?मांसपेशियां रिलैक्स होती हैंगर्म पानी में शॉवर लेने से मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं, क्योंकि अकड़न दूर हो जाती है और दर्द में भी कमी आने लगती है। दरसअल, गर्म पानी में शॉवर लेने से हमारी ब्लड वेसल्स खुलती हैं, जो मांसपेशियों पर पॉजिटिव असर डालती है।ब्लड फ्लो में सुधार होता हैजब आप गर्म पानी में नहाते हैं, तो इससे ब्लड वेसल्स अधिक खुलती हैं। इसका मतलब है कि ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। ऐसे में पूरी बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन बहुत अच्छी तरह से होता है, मसल्स में भी इसका असर देखने को मिलता है। जब मसल्स में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, तो दर्द, सूजन या अकड़न की समस्या भी दूर हो जाती है।मांपेशियों के दर्द से राहत के लिए कब लें गर्म शॉवरवैसे तो आप गर्म पानी से कभी भी शॉवर ले सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से वर्कआउट करते हैं, तो इसके बाद हॉट शॉवर लेना फायदेमंद हो सकता है। इससे वर्कआउट के दौरान मांसपेशियों में आया तनाव कम होगा, खिंचाव दूर होगा और इंजुरी के कारण आई सूजन में भी कमी आ सकती है।-गर्म पानी से शॉवर लेने से पहले याद रखें जरूरी बातें-शॉवर लेने के लिए बहुत ज्यादा गर्म पानी का यूज न करें।-अगर किसी गंभीर चोट के कारण मांसपेशियों में सूजन आई है, तो हॉट शॉवर लेने से बचें।-हॉट शॉवर लेते हैं, तो बॉडी को हाइड्रेट करने पर भी जोर दें।निष्कर्षमांसपेशियों में आई अकड़न दूर करने के लिए हॉट शॉवर लेना अच्छी बात हैं। इससे अकड़न तो कम होती है, साथ ही दर्द भी दूर होता है। हां, अगर आपको किसी तरह की स्किन कंडीशन है, तो गर्म पानी से नहाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लेना न भूलें। इसके अलावा, अगर आपको गर्म पानी से नहाने के बाद मांसपेशियों के दर्द से आराम न आए, तो इसे इग्नोर न करें। तुरंत डॉक्टर से अपना इलाज करवाएं।
- अमरूद हेल्दी और पोषक तत्वों से युक्त फलों में से एक है। अमरूद में भरपूर मात्रा में फाइबर, फोलेट, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन-सी, ए और बी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से इम्यूनिटी को बूस्ट करने, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, पाचन तंत्र को दुरुस्त करने, वजन कम करने और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद मिलती है, लेकिन क्या इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।क्या अमरूद कोलेस्ट्रॉल के लिए अच्छा है?डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन के अनुसार, अमरूद में फाइबर और विटामिन-सी जैसे बहुत से पोषक तत्व होते हैं और इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं। ऐसे में इसका सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और हार्ट को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। लेकिन ध्यान रहे, इससे किसी भी तरह की समस्या होने पर इसका सेवन करने से बचें, साथ ही, इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।कोलेस्ट्रॉल को कम करेअमरूद में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण, फाइबर और विटामिन्स होते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ावा देने और शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।हार्ट के लिए फायदेमंदअमरूद में बहुत से एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं। ऐसे में इसका सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने, धमनियों में जमा प्लाक को निकालने, हार्ट के प्रेशर को कम करने और हार्ट से जुड़ी समस्याओं के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
- ड्राई फ्रूट्स सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। ड्राई फ्रूट्स में विटामिन ई, फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स होते हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं। ड्राई फ्रूट्स खाने से शरीर को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है। अगर आप नियमित रूप से ड्राई फ्रूट्स का सेवन करेंगे, तो इससे हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी। ड्राई फ्रूट्स डाइजेशन के लिए भी अच्छे होते हैं। आपको सभी मौसमों में ड्राई फ्रूट्स जरूर खाने चाहिए। आपको बदलते मौसम में ड्राई फ्रूट्स का सेवन जरूर करना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स खाने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है और कई रोगों से बचाव होता है।बादाम खाएंबदलते मौसम में आप रोजाना बादाम का सेवन कर सकते हैं। बादाम खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है। बादाम में विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। इसके लिए आप 5-6 बादाम लें और रातभर भिगोकर रख दें। सुबह बादाम के छिलके निकालकर खाली पेट खा लें। बादाम खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनेगी। बादाम खाने से बीमारियों का खतरा भी कम होगा।किशमिश खाएंबदलते मौसम में किशमिश खाना भी फायदेमंद होता है। आप अपनी रोज की डाइट में किशमिश शामिल कर सकते हैं। आप 4-5 किशमिश लें और इन्हें रातभर भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट इनका सेवन किया जा सकता है। किशमिश खाने से आयरन की कमी दूर होती है। इससे हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और कमजोरी-थकान मिटती है। इसलिए आप चाहें तो रोजाना किशमिश को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।अखरोट खाएंबदलते मौसम में अखरोट खाना अच्छा होता है। अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। अखरोट एंटीऑक्सीडेंट्स का भी अच्छा सोर्स होता है। इसलिए आप अपनी रोज की डाइट में अखरोट जरूर शामिल करें। आप रोज सुबह अखरोट की 1-2 भिगी हुई गिरी खा सकते हैं। इससे शरीर को एनर्जी मिलेगी और इम्यूनिटी भी बूस्ट होगी।
- बालों के झड़ने और टूटने की समस्या से बचने के लिए अक्सर लोग आंवला और भृंगराज का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बालों के लिए आंवला या भृंगराज कौन सा फायदेमंद है? आइए जानें बालों को तेजी से बढ़ाने के लिए आंवला या भृंगराज क्या है फायदेमंद?बालों को तेजी से बढ़ाने के लिए आंवला या भृंगराज क्या है फायदेमंद? -ये सभी आयुर्वेदिक औषधियां प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं और इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। इन दोनों जड़ी बूटियों में कई गुण पाए जाते हैं जो आपके बालों को पोषण प्रदान करते हैं इसलिए यह दोनों ही फायदेमंद हैं।आँवला: यह आपके बालों को पोषण प्रदान करता है और उसे चमकदार बनाता है। इसमें विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है और आपके स्कैल्प का पीएच भी संतुलित रखता है। इसके प्रयोग से बालों में डैंड्रफ की समस्या भी कम हो जाती है और बालों का सफ़ेद होना भी कम हो जाता है। यह आपके बालों को मजबूती प्रदान करता है।भृंगराज: बालों की मजबूती और तेजी से बढ़ने के लिए भृंगराज एक फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि का काम करती है। आयुर्वेद के अनुसार भृंगराज “बालों का राजा” है, अगर आप इस तेल से अपने स्कैल्प की मसाज करते हैं तो वहां ब्लड सर्कुलेशन फ़ास्ट हो जाता है और बाल तेजी से बढ़ते हैं। इससे आपका स्ट्रेस भी कम होता है और बालों का झड़ना भी कम हो जाता है।वैसे तो यह दोनों औषधि आपके बालों के लिए बहुत अच्छे हैं लेकिन अगर आप बालों को तेजी से बढ़ाने के उपाय ढूंढ़ रहे हैं तब भृंगराज आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हैं।
- अक्टूबर महीने की शुरुआत के साथ ही मौसम में एक सुखद बदलाव महसूस होने लगता है। दिन में हल्की धूप और सुबह-शाम हल्की ठंड का यह मौसम हर किसी को पसंद आता है। मगर यह सुहावना मौसम अपने साथ वायरल संक्रमण का एक बड़ा जोखिम भी लेकर आता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, दिन और रात के तापमान में होने वाला यही उतार-चढ़ाव हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है और ऐसे में बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है।यही कारण है कि इस मौसम में सर्दी-जुकाम, खांसी और वायरल फीवर के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर हम पहले से ही कुछ जरूरी सावधानियां बरतें, तो इस मौसम का बिना बीमार पड़े आनंद लिया जा सकता है। इसलिए आइए इस लेख में इसी के बारे में जानते हैं।इम्यूनिटी को बनाएं मजबूतइस मौसम में बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करना। इसके लिए अपनी डाइट में विटामिन C से भरपूर खट्टे फलों जैसे आंवला, संतरा और नींबू को शामिल करें। इसके अलावा रोजाना तुलसी-अदरक की चाय और रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें। ये नेचुरल इम्यूनिटी बूस्टर शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं और संक्रमण से लड़ने की ताकत देते हैं।कपड़ों और हाइड्रेशन पर दें ध्यानदिन की धूप से धोखा न खाएं। इस मौसम में सुबह और शाम के समय तापमान तेजी से गिरता है, इसलिए पूरी बाजू के कपड़े पहनें ताकि शरीर ठंडी हवा के सीधे संपर्क में न आए। साथ ही, शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी बहुत जरूरी है। ठंडे पानी की जगह दिन भर गुनगुना पानी, सूप और हर्बल टी पिएं। यह गले को आराम देता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।स्वच्छता और दूरी बनाए रखनावायरल संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैलता है। इससे बचने के लिए बार-बार अपने हाथों को साबुन से धोएं या सैनिटाइजर का उपयोग करें। अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें। इस मौसम में जितना हो सके, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करें ताकि संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। खांसते या छींकते समय हमेशा मुंह पर रूमाल या टिश्यू रखें।पूरी नींद और आराम है जरूरीएक मजबूत इम्यून सिस्टम के लिए पर्याप्त नींद लेना अत्यंत आवश्यक है। रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लेने से हमारे शरीर को खुद को मरम्मत करने और संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाओं को बनाने का समय मिलता है। नींद की कमी शरीर को कमजोर बनाती है और बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ाती है। इसलिए अपनी नींद से कोई समझौता न करें।
- अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण ज्यादातर लोग विटामिन-डी की कमी से परेशान रहते हैं। इसके कारण लोगों को हड्डियों के कमजोर होने, थकान होने, बालों के झड़ने, मांसपेशियों के कमजोर होने, मांसपेशियों में दर्द होने, बार-बार बीमार पड़ने, इम्यूनिटी के कमजोर होने, घाव के धीरे-धीरे भरने, स्ट्रेस होने, डिप्रेशन होने और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ने जैसी स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बता दे, विटामिन-डी की कमी के कारण लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं।विटामिन डी की कमी आपके मेंटल हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है?शरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। विटामिन-डी ब्रेन के कार्यों के लिए बेहद जरूरी है, जिसमें मूड और व्यवहार की रेगुलेशन भी शामिल है। कई अध्ययनों के अनुसार, विटामिन-डी की कमी और डिप्रेशन, चिंता (anxiety) और मौसमी भावात्मक विकार (seasonal affective disorder (SAD)) के बढ़ते जोखिम के बीच संबंध पाया गया है। बता दें, ऐसा इसलिए है क्योंकि विटामिन-डी शरीर में सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद करता है, जो मनोदशा या मानसिक स्वास्थ्य की स्थिरता को प्रभावित करता है।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार, विटामिन-डी, जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं और जो ब्रेन के टिश्यूज के लिए जरूरी है। मनोदशा संबंधी विकारों (mood disorders preventions) की रोकथाम या उपचार के लिए जरूरी है।विटामिन-डी की कमी के लक्षणशरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर व्यक्ति को थकान होने, एकाग्रता की कमी होने, चिड़चिड़ापन होने और डिप्रेस्ड मूड होने जैसे लक्षण दिखते हैं। बता दें, विटामिन-डी की कमी होने की समस्या खासकर, ठंडे मौसम में रहने वाले लोगों, घर के अंदर काम करने वाले लोगों या गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को ज्यादा होती है। इसके अलावा, विटामिन-डी की कमी संज्ञानात्मक में गिरावट (cognitive decline) से जुड़ी हुई है और यह बढ़ती उम्र में मनोभ्रंश (dementia) जैसी स्थितियों के विकास या बिगड़ने में योगदान दे सकती है।विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए क्या करें?विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए धूप में बैठें, विटामिन-डी युक्त फैट युक्त मछली और फोर्टिफाइड फूड्स को डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, डॉक्टर की सलाह अनुसार, विटामिन-डी के सप्लीमेंट्स का सेवन किया जा सकता है। इनसे विटामिन-डी के स्तर में सुधार करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है। हालांकि, सप्लीमेंट्स लेना शुरु करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पर्याप्त विटामिन-डी बनाए रखना मानसिक स्वास्थ्य के बचाव की दिशा में एक सरल लेकिन प्रभावी कदम है।निष्कर्षशरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर व्यक्ति को चिड़चिड़ापन होने, एकाग्रता की कमी होने, थकान होने और डिप्रेस्ड मूड होने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, इसके कारण व्यक्ति को डिमेंशिया जैसी समस्याओं को बढ़ावा मिल सकता है। ऐसे में विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए विटामिन-डी युक्त फूड्स को डाइट में शामिल करें, सप्लीमेंट्स लें और धूप में बैठें। इससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं। ऐसे में ध्यान रहे, विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें, साथ ही, सप्लीमेंट्स का सेवन डॉक्टर की सलाह के साथ ही करें।
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जब भी शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने की बात होती है, तो सबसे पहले जोड़ों में दर्द और गठिया का ख्याल आता है। मगर कई बार ये शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने से भी हो सकता है। यूरिक एसिड भोजन के पाचन से उत्पन्न एक प्राकृतिक अपशिष्ट उत्पाद है, जिसे किडनी फिल्टर करके शरीर से बाहर निकाल देती है। लेकिन जब शरीर में यह ज्यादा बनने लगता है या किडनी इसे ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती, तो यह क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमा होकर दर्द और सूजन का कारण बनता है।
यूरिक एसिड बढ़ने के मुख्य लक्षण हैं जोड़ों में तेज दर्द, सूजन, लालिमा और गर्माहट, खासकर पैर के अंगूठे में। अन्य लक्षणों में जोड़ों में अकड़न, बार-बार गाउट का दौरा पड़ना, गुर्दे की पथरी बनना, थकान आदि। हालांकि बहुत कम लोग यह जानते हैं कि यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से आपकी त्वचा पर भी कई चेतावनी भरे संकेत मिल सकते हैं। इन लक्षणों को अक्सर सामान्य त्वचा की समस्या समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जो आगे चलकर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का रूप ले सकता है। इसलिए आइए इस लेख में त्वचा के उन्हीं लक्षणों के बारे में जानते हैं।
त्वचा के नीचे गांठें बनना
जब यूरिक एसिड का स्तर लंबे समय तक बहुत अधिक रहता है, तो इसके क्रिस्टल त्वचा के नीचे जमा होने लगते हैं, जिससे सख्त और दर्द रहित गांठें बन जाती हैं। इन्हें 'टोफी' कहा जाता है। ये गांठें आमतौर पर उंगलियों, कोहनी, कान और पैर के अंगूठे के आसपास दिखाई देती हैं। यह क्रोनिक गाउट का एक स्पष्ट संकेत है।
त्वचा का छिलना और लालपन
शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से सूजन भी बढ़ जाता है, जिसका असर त्वचा पर भी दिख सकता है। इससे त्वचा बहुत रूखी हो सकती है, और पपड़ी बनकर छिलने लगती है। कई बार यह लक्षण सोरायसिस जैसा दिखता है। जिस जोड़ में गठिया का दर्द होता है, उसके आसपास की त्वचा का लाल होना और सूजा हुआ दिखना भी एक आम लक्षण है।
त्वचा में तेज खुजली होना
कई मामलों में जब क्रिस्टल त्वचा के नीचे जमा होते हैं, तो वे नसों को उत्तेजित कर सकते हैं, जिससे त्वचा में तेज और लगातार खुजली हो सकती है। यह खुजली बिना किसी चकत्ते या दाने के भी महसूस हो सकती है और सामान्य मॉइस्चराइजर से भी ठीक नहीं होती। यह बढ़े हुए यूरिक एसिड का एक कम ज्ञात लेकिन महत्वपूर्ण लक्षण है।
त्वचा के रंग में बदलाव
जब किसी जोड़ में गाउट का तीव्र अटैक होता है, तो उस जोड़ के ऊपर की त्वचा अत्यधिक लाल, चमकदार और बैंगनी रंग की दिख सकती है। यह त्वचा छूने पर बहुत गर्म और संवेदनशील महसूस होती है। यदि आपको अपनी त्वचा पर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे साथ में जोड़ों के दर्द भी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपना यूरिक एसिड लेवल जरूर जांच कराएं। - अनहेल्दी खानपान और कई अन्य कारणों से आज के समय में ज्यादातर लोग कब्ज और अपच जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं। कब्ज की समस्या के कारण लोग घंटों टॉयलेट में बैठे रहते हैं, लेकिन ठीक से पेट साफ नहीं हो पाता है। इसके कारण लोगों को पेट में भारीपन, एसिडिटी और गैस जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसे में इस समस्या से राहत के लिए दूध और घी का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पाचन की समस्याओं से राहत देने में सहायक हैं। जानें पुरानी कब्ज की समस्या से राहत के लिए घी और दूध का सेवन कैसे करें?बाउल मूवमेंट को बढ़ावा देअक्सर लोग कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे में दूध में घी डालकर लेने से पुरानी कब्ज की समस्या से राहत देने में मदद मिलती है। घी में भरपूर मात्रा में फैटी एसिड के गुण पाए जाते हैं, जो मल को नरम कर मल त्याग में मदद करता है। इससे कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।शरीर को डिटॉक्स करेघी में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। दूध में घी डालकर पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे पाचन को हेल्दी रखने के साथ-साथ स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।मेटाबॉलिज्म बूस्ट करेघी में फैटी एसिड पाए जाते हैं। ऐसे में इसको गर्म दूध को डालकर लेने से पाचन प्रक्रिया को बेहतर कर मजबूती देने, इसकी कार्य क्षमता को बढ़ावा देने और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद मिलती है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में भी मदद मिलती है।एसिडिटी से दे राहतघी में एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं, जो पेट के लिए फायदेमंद है। दूध में घी डालकर लेने से पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है, साथ ही, इससे एसिडिटी और सूजन जैसी समस्या से राहत देने में मदद मिलती है।गट के लिए फायदेमंदगर्म दूध में घी डालकर लेने से आंतों की दीवारों में चिकना बनाता है, जिससे मल त्याग करने में मदद मिलती है। इससे मल मोबिलिटी को बढ़ावा देने और कब्ज की समस्या से राहत देने में मदद मिलती है।कैसे और कब करें घी और दूध का सेवन?इसके लिए रात को 1 गिलास गर्म दूध में 1 छोटी चम्मच घी को डालकर पीने से पाचन को दुरुस्त करने और पुरानी कब्ज की समस्या से राहत देने में भी मदद मिलती है। यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।निष्कर्षपुरानी कब्ज की समस्या से राहत के लिए रात को गर्म दूध में घी डालकर लेना फायदेमंद है। इसका सेवन करने से पाचन प्रक्रिया को बेहतर करने, गट को हेल्दी रखने, एसिडिटी से राहत देने, बाउल मूवमेंट को बेहतर करने, मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इससे स्वास्थ्य को भी कई लाभ मिलते हैं।ध्यान रहे, गैस, ब्लोटिंग, एसिडिटी और कब्ज जैसी पाचन से जुड़ी अधिक समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इसके अलावा, कोलेस्ट्रॉल या हार्ट से जुड़ी समस्या से पीड़ित लोगों को भी इनके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
- मोरिंगा खाना सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होता है। मोरिंगा का सेवन करना आपके लिए वजन घटाने से लेकर इम्यूनिटी को बढ़ाने तक में फायदेमंद माना जाता है। मोरिंगा खाना आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी काफी लाभकारी माना जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं मोरिंगा चावल भी होता है? मोरिंगा चावल खाना भी सेहत के लिए काफी अच्छा होता है। मोरिंगा चावल में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होने के साथ ही विटामिन सी और विटामिन ए की अच्छी मात्रा होती है, जिसे खाने से शरीर में होने वाला इंफेक्शन कम होता है साथ ही ब्लड प्रेशर पर भी अच्छा असर पड़ता है। वजन घटाने के लिए भी आप मोरिंगा राइस को अपनी रेगुलर डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।मोरिंगा चावल खाने के फायदे1. सूजन होने से बचाएमोरिंगा चावल शरीर में होने वाली सूजन से बचाने में भी कई तरीकों से लाभकारी होता है। दरअसल, मोरिंगा चावल में एंटी-ऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है, जिसे खाने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है साथ ही साथ शरीर में होने वाली सूजन भी कम होती है। अगर आप सूजन से परेशान हैं तो ऐसे में मोरिंगा चावल को अपनी डाइट में शामिल करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इसे खाने से शरीर में पोषक तत्वों की भी मात्रा बनी रहती है।2. ब्लड शुगर मैनेज करने में फायदेमंदअगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो भी मोरिंगा चावल को अपनी रेगुलर डाइट में शामिल कर सकते हैं। मोरिंगा चावल खाने से आपका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। इस चावल को खाने से ब्लड शुगर लेवल पर अच्छा असर पड़ता है। बल्कि, अगर आपका ब्लड शुगर हाई है तो ऐसे में इसे खाने से ब्लड शुगर मैनेज हो सकता है। हालांकि, डायबिटीज में मोरिंगा चावल खाने से पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट से इसकी मात्रा जान लें।3. कोलेस्ट्रॉल घटाने में लाभकारीअगर आप हाई कोलेस्ट्रॉल से परेशान हैं तो ऐसे में मोरिंगा राइस खाना आपके लिए काफी लाभकारी साबित हो सकता है। मोरिंगा चावल खाने से आपका बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम होता है। दरअसल, इसमें फैट की मात्रा नहीं होती है इसलिए आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने में यह काफी मददगार साबित हो सकता है।4. वजन घटाने में फायदेमंदअगर आप वजन घटाने का विकल्प खोज रहे हैं तो ऐसे में मोरिंगा चावल खाना किसी रामबाण से कम नहीं है। मोरिंगा चावल में ऐसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो आपके शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट को कम करने में मदद करते हैं। दरअसल, इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है, जिससे आपको बार-बार भूख नहीं लगती है और आप ओवरईटिंग करने से भी बचे रहते हैं। इससे वजन आसानी से कम होता है।मोरिंगा चावल बनाने की रेसिपी-मोरिंगा चावल बनाने के लिए आपको एक कप कच्चा चावल के साथ ही दो कप पानी लेना है।-अब आपको आधा चम्मच मोरिंगा के पत्ते और ऑलिव ऑयल लेना है।=इसे बनाने के लिए आपको मोरिंगा की पत्तियों को अच्छे से चॉप करके पानी में डाल देना है।=इसके बाद पानी को उबलने दें और इसमें थोड़ा ऑलिव ऑयल, नमक, लहसुन और अदरक मिलाएं।कुछ देर तक उबलने के बाद आपको सामान्य चावल की तरह ही इसे निकालकर खा लेना है।मोरिंगा का सेवन कौन नहीं कर सकता है?मोरिंगा खाने के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए मोरिंगा का सेवन सभी को नहीं करना चाहिए। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं या हाई ब्लड शुगर से पीड़ित हैं तो मोरिंगा खाने से बचें। मोरिंगा या सहजन की पत्तियां लीवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए, अगर आप लीवर से जुड़ी किसी तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं तो इसे खाने से बचें। मोरिंगा की तासीर आमतौर पर गर्म ही मानी जाती है। इसलिए अगर आप इसका सेवन जरूरत से ज्यादा कर रहे हैं तो ऐसे में यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- आयुर्वेद में नीम का इस्तेमाल सदियों से कई बीमारियों के इलाज और बचाव के लिए किया जाता रहा है। घाव से लेकर शरीर के अंदरुनी समस्याओं को ठीक करने में नीम काफी उपयोगी मानी जाती है। यह एक ऐसा पौधा है, जो एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-वायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। जबकि मिश्री का इस्तेमाल भी आयुर्वेद में सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसकी तासीर ठंडी होती है, जो शरीर को एनर्जी देने में मदद करती है। कई लोग नीम के साथ मिश्री का सेवन करते हैं, ताकि इसके कड़वे स्वाद को कम किया जा सके। लेकिन, क्या आपको पता है नीम के साथ मिश्री का सेवन सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।नीम के साथ मिश्री खाने के फायदे1. इम्यूनिटी बढ़ाएंनीम का सेवन करने से शरीर अंदर से साफ होता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करता है। जबकि मिश्री का सेवन करने से शरीर को एनर्जी मिलती है। हर सुबह आप खाली पेट 5 से 7 नीम की पत्तियां और बराबर मात्रा में मिश्री एक साथ चबा लें। इन दोनों को एक साथ खाने से मौसमी बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है, वायरल इंफेक्शन से बचाव होता है और इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है।2. स्किन के लिए फायदेमंदनीम खाने से खून साफ होता है, जिससे स्किन से जुड़ी समस्याओं जैसे पिंपल्स, एक्ने, एलर्जी और अन्य स्किन समस्याओं से राहत मिलती है। मिश्री आपके शरीर को ठंडा रखता है। इन दोनों को एक साथ खाने से स्किन साफ और बेदाग होती है, झाइयां और दाग-धब्बे कम होते हैं और स्किन नेचुरल तरीके से चमकदार बनती है। स्किन को हेल्दी रखने के लिए आप नीम की पत्तियों और मिश्री को पीसकर पेस्ट बना लें और रोजाना सुबह इसका सेवन करें।3. डायबिटीज में फायदेमंदनीम आपके शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है। मिश्री का सेवन नीम के साथ सीमित मात्रा में करना डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। नीम और मिश्री को एक साथ खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद करता है और अग्नाशय के काम करने की क्षमता को बेहतर बनाता है।4. पाचन तंत्र मजबूत करता हैनीम पेट के कीड़ों को मारने और आंतों की सफाई करने में मदद करता है। जबकि मिश्री पेट को ठंडक देने और एसिडिटी की समस्या से राहत दिलाता है। नीम पाउडर और मिश्री को गर्म पानी के साथ पीने से कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है, भूख बढ़ाता है और आंतों की सफाई करता है।5. ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंदनीम में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण मुंह के कीटाणुओं को मारते हैं। जबकि मिश्री मुंह को साफ और ताजगी देने में मदद करता है नीम की पत्तियों और मिश्री को सुबह खाली पेट चबाने से मुंह की बदबू दूर करने, मसूड़ों से खून आने और दांत को मजबूत बनाने में मदद करता है।निष्कर्षनीम और मिश्री का मिश्रण एक नेचुरल इलाज है, जिसका सेवन स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। नियमित रूप से और सीमित मात्रा में नीम और मिश्री खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, स्किन हेल्दी होती है और पाचन बेहतर होता है।
- सहजन की फली को मोरिंगा के नाम से जाना जाता है। जिसे पोषण तत्वों का खजाना कहना शायद गलत नहीं होगा। क्योंकि इमसें कैल्शियम, आयरन और विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। आमतौर पर इसकी सब्जी या सांभर बनाया जाता है, यां सहन की पत्तियां का पराठा बनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सहजन की फली का अचार खाया है।हो सकता है बहुत से लोग ये जानते ही नहीं हो कि इसका अचार भी बनता है। लेकिन विलेज कढ़ाही नाम से यूट्यूब चैनल चलने वाली एक गांव की महिला ने आसान रेसिपी से सहजन की फली का अचार बनाने का तरीका बताया है। जो स्वादिष्ट होने के साथ ही सहजन को डाइट में शामिल करने का अच्छा ऑप्शन भी देता है।सबसे पहले मोरिंगा की फलियों को अच्छी तरह से धो लें। धोने के बाद उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें और रेशे को अलग कर दें। कड़क या थोड़ी पुरानी फलियां ली हैं, तो उनके ऊपर के मोटे रेशों को निकालना बहुत जरूरी है। कड़े रेशों के रहने से अचार का स्वाद कड़वा हो सकता है। फली सॉफ्ट हैं तो रेशे निकालने की जरूरत नहीं है। अब कटी हुई फलियों में नमक डालकर 30 घंटे धूप में सुखाएं, इससे फली सॉफ्ट हो जाएंगी।गैस पर कड़ाही रखकर गर्म करने बाद सबसे पहले सौंफ डालकर भूनना है। सौंफ को कड़ाही से निकालकर के एक प्लेट में रख लें। अब जीरा, साबुत धनिया और राई को एक साथ भून लें। इन्हें भी सौंफ वाली प्लटे में निकाल लें। कलौंची और मेथी दाना साथ में डालकर भूनने के बाद अलग कटोरी में निकालकर रखें, क्योंकि इसे पीसना नहीं है। अब भुनी सौंफ, जीरा, साबुत धनिया और काली सरसों को सूखी खड़ी लाल मिर्च के साथ पीस लें।कड़ाही में सरसों का तेल गर्म करें। ध्यान रहे कि सरसों का तेल अचार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह स्वाद को बढ़ाता है और प्रिजर्वेटिव का काम करता है। तेल गर्म होने पर सबसे पहले हींग और हल्दी पाउडर डालें। अब धूप में रखी हुई सहजन की फली डाल दें और थोड़ी देर तक भूनें।फली भून जाने के बाद इसमें कश्मीरी लाल मिर्च और भूनकर पीसा हुआ मसाला डालकर अच्छी तरह मिलाएं। आखिरी में थोड़ा सा नमक और भुना हुआ मेथी दाना व कलौंजी डालें। इन्हें आखिरी में इसलिए डाला जाता है ताकि इनकी खुशबू और क्रंच बरकरार रहे। सभी चीजें अच्छी तरह मिल जाने के बाद तुरंत गैस बंद कर दें और अचार को पूरी तरह से ठंडा होने दें।जब अचार पूरी तरह ठंडा हो जाए, तब उसमें अमचूर पाउडर और विनेगर मिलाएं। यहां अमचूर खट्टापन देगा, जबकि विनेगर एक प्राकृतिक प्रिजर्वेटिव का काम करेगा, जिससे अचार में फंगस नहीं लगेगी। तैयार अचार को किसी भी एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें। ध्यान रहे कि कंटेनर और चम्मच, जिसका आप उपयोग करें, वह पूरी तरह सूखा होना चाहिए।
- छुहारा एक ड्राई फ्रूट है। छुहारा को मुख्य रूप से खजूर को सुखाकर बनाया जाता है। खजूर में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, और फाइबर जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके साथ ही, खजूर विटामिन सी, मैग्नीशियम, मैंगनीज और सेलेनियम का भी एक अच्छा सोर्स है। छुहारे में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और प्राकृतिक शुगर शरीर को तुरंत एनर्जी देते हैं। अगर आप नियमित रूप से छुहारे का सेवन करते हैं, तो ये कई बीमारियों को दूर करता है। छुहारा हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रांग करता है। छुहारा खाने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों का खतरा कई गुणा कम हो जाता है।सर्दी के मौसम में भारत में बड़ी मात्रा में छुहारे का सेवन किया जाता है। लोग अपनी सुविधानुसार दूध के साथ भिगोकर और अपनी सुविधानुसार खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं रोजाना सिर्फ 1 छुहारा खाने से आपको क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं। जानते हैं रोजाना 1 छुहारा खाने के फायदे और नुकसान ...छुहारे की न्यूट्रिशनल वैल्यू-100 ग्राम छुहारे में 220 कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट - 75 ग्राम, कैल्शियम - 39 मिलीग्राम, मैग्नीशियम - 43 मिलीग्राम, विटामिन B6 – 0.2 मिलीग्राम, आयरन- 1 मिलीग्राम और भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।रोजाना 1 छुहारा खाने के फायदे-1. हड्डियों को मजबूत बनाता है: छुहारा में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम होता है। रोजाना सिर्फ 1 छुहारा खाने से दांत और हड्डियां मजबूत बनती है। इससे हड्डियों का दर्द, गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बचाव होता है।2. एनीमिया को दूर करता है : छुहारे में आयरन और फोलिक एसिड होता है। रोजाना 1 छुहारा खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है। आसान भाषा में कहें तो छुहारा शरीर में खून की कमी को दूर करता है। रोजाना 1 छुहारा खाने से एनीमिया दूर होती है और शारीरिक थकान भी कम होती है।3. आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक : छुहारे में विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करते हैं। छुहारा बढ़ती उम्र में होने वाली मोतियाबिंद की परेशानी को दूर करता है।4. इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाता है : छुहारा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है। बदलते मौसम और सर्दियों में रोजाना एक छुहारा खाया जाए, तो ये सर्दी, जुकाम, खांसी और वायरल इंफेक्शन से बचाव करता है।5. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद : छुहारे में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। रोजाना 1 छुहारा खाने से त्वचा में कोलेजन का उत्पादन बढ़ता है। इससे त्वचा पर होने वाली झाइयां और झुर्रियां कम होती हैं। छुहारा स्कैल्प को पोषण देकर बालों का झड़ना व गिरना रोकते हैं।छुहारा खाने का सही तरीका-छुहारा को आप अपनी सुविधा के अनुसार खा सकते हैं। इसके अलावा आप नीचे बताए गए तरीके से भी छुहारा खा सकते हैं।-दूध के साथ छुहारा- रात को 1 छुहारे को दूध में भिगोकर सुबह गर्म करके खाया जा सकता है।-भीगा हुआ छुहारा- 1 छुहारा रात भर पानी में भिगोकर सुबह खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।छुहारा खाने का सही समय-सुबह खाली पेट 1 छुहारा खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है।-सर्दियों में रात को दूध के साथ छुहारा खाने से बीमारियों से बचाव होता है।रोजाना छुहारा खाने से संभावित नुकसान--दिन में 1 पीस से ज्यादा छुहारा खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। ज्यादा छुहारा खाने से पेट में गैस और कब्ज की समस्या हो सकती है।-ज्यादा खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है, जिससे मुंह के छाले और शरीर के विभिन्न अंगों पर दानों की परेशानी होती है।-रोजाना 1 छुहारा खाना वजन बढ़ाने वालों के लिए अच्छा है, लेकिन जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें इसे खाने से बचना चाहिए।
- भारत में पारंपरिक डाइट में घी का विशेष स्थान है। स्वाद और खाना पकाने में इसका इस्तेमाल तो सदियों से होता आया है, लेकिन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लोग अक्सर भ्रमित रहते हैं। लंबे समय तक माना जाता था कि घी में संतृप्त वसा होती है, इसलिए इसे ज्यादा खाने से हार्ट की समस्या बढ़ सकती है। लेकिन कुछ लोगों का कहना होता है कि मॉडरेट मात्रा में शुद्ध देसी घी HDL यानी गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद कर सकता है। क्या देसी घी खाने से गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है?घी में मुख्य रूप से संतृप्त वसा (saturated fat) होती है। लंबे समय तक माना जाता था कि संतृप्त वसा कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं और हार्ट के लिए हानिकारक हो सकते हैं। मॉडरेट मात्रा में शुद्ध घी HDL यानी गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है। HDL ब्लड वेसल्स से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को हटा कर लिवर तक ले जाता है, जिससे हार्ट डिजीज का जोखिम कम होता है। हालांकि, यह असर हर व्यक्ति पर अलग होता है और मुख्य रूप से व्यक्ति की लाइफस्टाइल और डाइट पर निर्भर करता है। ज्यादा मात्रा में घी खाने से LDL भी बढ़ सकता है, इसलिए संतुलन बहुत जरूरी है।-रोजाना 1-2 छोटी चम्मच शुद्ध घी खाने से HDL लेवल में सुधार हो सकता है लेकिन ध्यान रखें कि इससे ज्यादा घी का सेवन न करें। ज्यादा मात्रा में घी का सेवन नुकसान कर सकता है।-घी का सेवन अगर साबुत अनाज और सब्जियों के साथ किया जाए तो यह HDL बढ़ाने में मदद करता है। ध्यान रखें कि घी को तलने के लिए इस्तेमाल न करें बल्कि इसको खाने में ऊपर से डालकर खाएं।-घी का सेवन दिन के भोजन में या सुबह के समय करना ज्यादा फायदा करता है।एक्सपर्ट की सलाह-प्रोसेस्ड या बटरफैट वाले घी से बचें, ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।-बैलेंस डाइट और एक्सरसाइज भी करें, HDL बढ़ाने और हार्ट सुरक्षित रखने के लिए नियमित एक्सरसाइज और बैलेंस डाइट जरूरी हैं।-यदि आपका ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई है, तो घी का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।-HDL बढ़ाने के नेचुरल तरीके --अखरोट और बादाम का सेवन करें, ये हेल्दी फैट्स से भरपूर होते हैं और HDL को बढ़ाते हैं।-ओमेगा-3 से भरपूर फिश और फ्लैक्ससीड का सेवन करें, ये दोनों ही हार्ट के लिए फायदेमंद हैं।-रोजाना वॉक या कार्डियो एक्सरसाइज करें, फिजिकल एक्टिविटी HDL को नेचुरल रूप से बढ़ाती है।निष्कर्ष-घी केवल स्वाद और पारंपरिक भोजन का हिस्सा नहीं, बल्कि सही मात्रा में खाने पर HDL यानी गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मददगार भी हो सकता है। हालांकि, अधिक मात्रा में या प्रोसेस्ड घी से बैड कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ सकता है, इसलिए मॉडरेशन और बैलेंस लाइफस्टाइल सबसे जरूरी हैं। शुद्ध घी, बैलेंस डाइट और नियमित एक्सरसाइज के संयोजन से HDL बढ़ाया जा सकता है और हार्ट हेल्दी रखा जा सकता है।
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कच्चा सिंघाड़ा खाने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें वजन घटाना, पाचन सुधारना, थायरॉयड को नियंत्रित करना और शरीर को ऊर्जा प्रदान करना शामिल है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम, जिंक और आयोडीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। सिंघाड़ा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो त्वचा को बेहतर बनाता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
कच्चा सिंघाड़ा खाने के मुख्य फायदे-वजन घटाने में मददगार: सिंघाड़े में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और बार-बार भूख नहीं लगती, जिससे कैलोरी सेवन कम होता है।-पाचन दुरुस्त करता है: फाइबर पाचन क्रिया को सुधारता है, कब्ज से राहत दिलाता है और आंतों को साफ रखता है, जिससे अपच और पेट संबंधी अन्य समस्याएं दूर होती हैं।-थायरॉयड के लिए फायदेमंद: सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन थायरॉइड ग्रंथि के सही कार्यप्रणाली में मदद करता है।-ऊर्जा का अच्छा स्रोत: इसमें कार्बोहाइड्रेट, आयरन और अन्य खनिज होते हैं, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं और कमजोरी दूर करते हैं।-त्वचा के लिए लाभदायक: कच्चे सिंघाड़े में पर्याप्त पानी और विटामिन होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और झुर्रियों, झाइयों और मुहांसों जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।-एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर: इसमें डायोस्मेटिन, ल्यूटोलिन और फाईसेटिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करते हैं और सूजन कम करते हैं।-रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: सिंघाड़े के एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और शरीर को संक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं।-हड्डियों को मजबूत करता है: सिंघाड़े में मैंगनीज जैसे खनिज होते हैं, जो पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाकर हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। - कई बार बिना किसी कारण न सिर्फ महिलाओं को बल्कि पुरुषों को भी मूड स्विंग की समस्या होती है। लेकिन क्या आपको पता है मूड स्विंग का एक बड़ा कारण शरीर में कुछ जरूरी विटामिन की कमी हो सकती है। विटामिन्स की कमी के कारण थकान और कमजोरी ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं बढ़ सकती हैं, जिसमें मूड स्विंग की समस्या भी शामिल है।किस विटामिन की कमी से मूड स्विंग्स होते हैं?शरीर में कई विटामिन्स की कमी से मूड स्विंग की समस्या हो सकती है, जिनमें-1. विटामिन B12 की कमीविटामिन B12 हमारे दिमाग और नर्व सिस्टम के बेहतर तरीके से काम करने के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कमी से दिमाग में ऐसे केमिकल घट जाते हैं, जो मूड को कंट्रोल करने का काम करते हैं। इसलिए विटामिन बी12 की कमी होने पर व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, थकान, डिप्रेशन, याददाश्त कमजोर होना आदि समस्या होने लगती है। विटामिन बी12 की कमी पूरी करने के लिए आप अपनी डाइट में दूध, दही, पनीर, अंडे और फोर्टिफाइड अनाज शामिल कर सकते हैं।2. विटामिन D की कमीशरीर में विटामिन डी न सिर्फ हड्डियों के लिए जरूरी है, बल्कि मूड को कंट्रोल करने में भी अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से व्यक्ति में डिप्रेशन और सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर जैसे मानसिक समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है, जो अक्सर सर्दियों के मौसम में ज्यादा होता है। इसलिए, विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए आप सुबह की हल्दी धूप में बैठे, मशरूम, अंडे की जर्दी और विटामिन डी सप्लीमेंट्स लें।3. विटामिन B6विटामिन B6 हमारे दिमाग में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे मूड को कंट्रोल करने वाले केमिकल के निर्माण में मदद करता है। इसकी कमी से व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती है। इसलिए, विटामिन बी6 की कमी को पूरा करने के लिए आप अपनी डाइट में केला, नट्स, मछली, चने और साबुत अनाज शामिल कर सकते हैं।4. विटामिन बी9विटामिन बी9, जिसे फोलेट के रूप में भी जाना जाता है, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में काफी मददगार होता है। शरीर में विटामिन बी9 की कमी से मनोदशा, थकान और एकाग्रता में कमी की समस्या हो सकती है। इसलिए आप अपने शरीर में विटामिन बी9 की कमी पूरी करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, चना, संतार और नींबू जैसे खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं।मूड स्विंग्स से निपटने के टिप्स-मूड स्विंग्स की समस्या को दूर करने के लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं--संतुलित डाइट लें, जिसमें सभी जरूरी विटामिन और मिनरल्स शामिल हों।-रोजाना पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें, जिसमें कम से कम 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद शामिल हो।-स्मोकिंग या शराब जैसी आदतों से दूरी बनाएं।-नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करें।-मानसिक तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन और प्राणायाम करें।निष्कर्षमूड स्विंग्स सिर्फ एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि ये आपके शरीर में होने वाली समस्याओं का एक लक्षण होता है। इसलिए, मूड स्विंग की समस्या को नजरअंदाज न करें। हालांकि, अगर आपको भी बार-बार मूड स्विंग की समस्या होती है तो डॉक्टर से कंसल्ट कर सकते हैं और इसके सही कारणों का पता लगा सकते हैं।
- प्रकृति में ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जिनके सेवन से हम निरोगी जीवन जी सकते हैं। हमारे पूर्वज प्रकृति के अधिक करीब थे, पेड़ पौधों से मिलने वाली चीजों का सेवन करते थे। यही कारण था कि वे गंभीर बीमारियों से बचे रहते थे। हेल्थ एक्सपर्ट और डाइटिशियन भी यही मानते हैं कि प्राकृतिक चीजों के अधिक सेवन से शरीर निरोगी रहता है। हम क्या खाते हैं इसका सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। आज इस लेख में ऐसे ही 5 हरी पत्तियों के बारे में जानेंगे जिनके सेवन से आप गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।तुलसी के पत्तेतुलसी का पौधा लगभग हर घर में होता है। क्योंकि इसे घर में उगाना बेहद आसान है। आसानी से उगने वाला यह पौधा सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। यही कारण है कि सर्दी जुकाम होने पर तुलसी के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से आराम मिलता है। तुलसी की पत्तियों को चाय में डालकर पीने से दिमाग फ्रेश होता है और स्ट्रेस कम होता है। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। तुलसी का पत्ता हार्ट और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाने में भी मदद करता है। तुलसी के पत्तों को पानी में डालकर उस पानी को समय-समय पर पीते रहने से शरीर से सारे टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं।नीम की पत्तियांनीम का पूरा पार्ट बेहद उपयोगी होता है। इसकी छाल, डाल और पत्ते सभी फायदेमंद हैं। एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर इसकी पत्तियां बेहद लाभकारी होती हैं। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल कई दवाओं को बनाने में किया जाता है। बैक्टीरियल इनफेक्शन, स्किन इन्फेक्शन और फोड़ा फुंसी होने पर नीम की पत्तियों का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। रोज सुबह खाली पेट एक दो नीम की कोमल पत्तियों को चबाने से पेट से संबंधित सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं, दांत मजबूत होते हैं और शरीर से सारे टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं।पुदीने के पत्तेपुदीने का पत्ता भी सेहत के लिए बेहद लाभप्रद होता है और इसे आसानी से घर पर उगाया भी जा सकता है। खाने के स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ पुदीने के पत्तों का औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। पुदीने के पत्तियों में विटामिन ए, आयरन, फोलेट और मैंगनीज भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ ही सांसों को ताजा करने में भी मदद करता है। गर्मियों में पुदीने के पत्ते को पानी में डालकर रख दें और इस पानी को पीते रहें इससे शरीर में ताजगी बनी रहती है।करी पत्तेकरी पत्ता को भी घर के गार्डन में आसानी से उगाया जा सकता है। इसमें सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ औषधि गुण भी होता है। करी पत्ता खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल रहता है और पेट से संबंधित समस्याएं खत्म हो जाती हैं। करी पत्ता में विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने और बालों को मजबूत बनाने में मदद करता है। रोज सुबह खाली पेट 4 से 5 करी पत्ता खाने से ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है।पालक के पत्तेखाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पालक का पत्ता हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। नियमित रूप से पालक खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है, बाल मजबूत होते हैं और शरीर में खून की कमी नहीं होती है।
- बढ़ता हुआ वजन हर किसी के लिए परेशानी की वजह बन जाता है। यह सिर्फ आपकी बॉडी को बाहरी तौर पर ही नहीं, बल्कि अंदरूनी तौर पर भी बहुत अधिक प्रभावित करता है। मोटापा कई बीमारियों की जड़ भी हो सकता है। ऐसे में वजन कम करना एक फैशन या कोई ट्रेंड नहीं, बल्कि जरूरत है। हालांकि, कई बार सिर्फ एक्सरसाइज वेट लॉस के लिए काफी नहीं होती है, खान-पान पर भी खास ध्यान देना पड़ता है। इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी देसी घरेलू ड्रिंक्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पेट की चर्बी को पिघलाने में कारगर होती हैं।शहद और नींबू से घटाएं बेली फैटशहद और नींबू के रस को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीने से बहुत तेजी के साथ वेट लॉस होने लगता है। दरअसल, यह ड्रिंक आपके मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करती है। इसे खाली पेट पीना फायदेमंद रहेगा।जीरे का पानी वजन करे कमजीरे का पानी भी वजन कम करने और गट हेल्थ को सुधारने में बहुत कारगर होता है। जीरे में मौजूद फाइबर और क्यूमिन कंपाउंड वेट लॉस करने में मदद करता है। इसे आप अपनी मॉर्निंग डाइट में जरूर शामिल करें।फैट लॉस करे आंवला शॉट्सविटामिन सी से भरपूर आंवला के जूस के सेवन से इम्यूनिटी अच्छी होती है, मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और बॉडी डिटॉक्स भी होती है। इससे आपका वजन काफी तेजी से कम हो सकता है।मेथी दाने का पानी वजन घटाने में है असरदारजल्दी से वजन घटाने के लिए मेथी दाने का पानी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए एक चम्मच मेथी दाने को एक गिलास पानी में रात भर भिगोकर रखो। सुबह होने पर इस पानी को छानकर पी लो। इससे भूख कंट्रोल होती है।दालचीनी ड्रिंक वेट लॉस को करे तेजदालचीनी का पानी भी आपके वेट लॉस को तेजी दे सकता है, क्योंकि इसे गर्म पानी में मिलाकर पीने से ब्लड शुगर का संचार होता है और इससे मेटाबॉलिज्म सुधरता है। ऐसे में दालचीनी का पानी पीने से आपकी कैलोरी तेजी से बर्न होती है, जो वेट लॉस और फैट लॉस में असरदार होता है।एलोवेरा का जूस वजन तेजी से करे कमवेट लॉस के लिए एलोवेरा का जूस भी पिया जा सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंजाइम मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं। इससे वजन घटाने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।ग्रीन टी पीने से वजन होगा कमग्रीन टी भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। अगर आप नियमित रूप से सुबह के समय खाली पेट एक कप ग्रीन टी पीते हैं, तो यह आपकी वेट लॉस जर्नी को आसान बना सकती है।
- सर्पगंधा को आमतौर पर सांप भगाने वाला पौधा माना जाता है, क्योंकि इसकी खुशबू के कारण सांप इस पौधे से दूर भागता है। वहीं आयुर्वेद में सर्पगंधा को चंद्रभद्र और अंग्रेजी में Indian Snakeroot या Rauwolfia serpentina के रूप में जाना जाता है। यह एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है। आज के इस लेख में जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार सर्पगंधा के क्या फायदे और नुकसान हैं और इसके इस्तेमाल का क्या तरीका है?सर्पगंधा के फायदेआयुर्वेद के अनुसार सर्पगंधा कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है, जिसे लेने से आपको निम्न फायदे हो सकते हैं-1. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करेंसर्पगंधा हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में काफी फायदेमंद होता है। यह नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डालकर ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है।2. नींद के लिए फायदेमंदसर्पगंधा एक नेचुरल नींद लाने वाली औषधि के रूप में काम करती है, जो आपके दिमाग की उत्तेजना को शांत करके नींद लाने में मदद करती है। खासकर उन लोगों के लिए जो अनिद्रा की समस्या से पीड़ित हैं।3. दिमाग पर टॉनिक की तरह करता है कामसर्पगंधा को कुछ हद तक ब्रेन टॉनिक के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह मानसिक तनाव, घबराहट, बेचैनी और चिड़चिड़ापन को शांत करने में मदद करता है।4. मानसिक तनाव कम करेंइस औषधि को साइकोसिस, सिजोफ्रेनिया, और अन्य मानसिक समस्याओं में भी उपयोगी माना जाता है और इसका इस्तेमाल हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ही करने की सलाह दी जाती है।5. पुरुषों के लिए फायदेमंदऐसा भी माना जाता है कि सर्पगंधा पुरुषों के लिए काफी फायदेमंद होता है, क्योंकि यह तनाव के कारण होने वाली यौन दुर्बलता को कम करने और अनिद्रा के कारण होने वाली थकावट को दूर करने में मदद करता है।सर्पगंधा के नुकसानऔषधीय गुणों से भरपूर सर्पगंधा के साइड इफेक्ट्स भी हैं, आइए जानते हैं--अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर कम है तो सर्पगंधा लेने से उसकी स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है, जिसके कारण चक्कर आना, बेहोशी आदि जैसी स्थिति आ सकती है।ऐसा माना जाता है कि अगर सर्पगंधा को लंबे समय तक एक्सट्रैक्ट फॉर्म में लिया जाए तो यह नेगेटिव सोच को बढ़ावा दे सकता है, खासकर मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों को इसका इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए।-लंबे समय तक और ज्यादा मात्रा में सर्पगंधा का सेवन आपके फेफड़ों पर नकारात्मक असर डाल सकता है, जो फेफड़ों के काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।-ज्यादा मात्रा में सर्पगंधा का सेवन लिपिड लॉस का कारण बन सकता है, जो पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या को बढ़ा सकता है।सर्पगंधा का उपयोग किसे नहीं करना चाहिए?सर्पगंधा का इस्तेमाल हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता है, इसलिए इन लोगों को उपयोग से बचना चाहिए--जिन लोगों का ब्लड प्रेशर कम होता है, उन्हें सर्पगंधा का उपयोग नहीं करना चाहिए।-अगर आपको रात में सांस लेने में समस्या होती है, तो भी इसके इस्तेमाल से बचें।-जिन लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी होती हैं उन्हें भी इस जड़ी-बूटी के उपयोग से बचना चाहिए।-प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाओं को सर्पगंधा से बचना चाहिए।-बच्चे और बुजुर्गों को बिना डॉक्टर सलाह के इसे देने से बचना चाहिए।सर्पगंधा का उपयोग कैसे करना चाहिए?सर्पगंधा का उपयोग आप कई तरह से कर सकते हैं, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। आप मरीज को चूर्ण या टैबलेट के रूप में सर्पगंधा खिला सकते हैं, चूर्ण को गुनगुने पानी या शहद के साथ देना ज्यादा फायदेमंद होता है। लेकिन, ध्यान रहे एक दिन में 500 mg से 1 ग्राम चक दिन में एक या दो बार आप इसे दे सकते हैं।क्या सर्पगंधा ब्लड प्रेशर के लिए अच्छा है?सर्पगंधा ब्लड प्रेशर के लिए फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में ब्लड प्रेशर की औषधि के रूप में किया जाता है। इसका प्रभाव शरीर पर धीरे-धीरे होता है, लेकिन सुरक्षित और लंबे समय तक रहता है। लेकिन, अगर कोई व्यक्ति पहले से ब्लड प्रेशर कम करने के लिए किसी तरह की दवा लेता है तो उसे सर्पगंधा लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करना चाहिए।निष्कर्षसर्पगंधा एक बहुउपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है, जो आमतौर पर ब्लड प्रेशर और नींद से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में कारगर होता है। लेकिन, इसका उपयोग सोच-समझकर करना और किसी एक्सपर्ट से सलाह लेने के बाद ही करना सुरक्षित माना जाता है। यह आपके लिए जितना फायदेमंद है, इसके उतने ही नुकसान भी हैं। खासकर, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित मरीजों को सर्पगंधा लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करना चाहिए।
- बालों का कमजोर होना, हेयर फॉल या सूखापन होने के पीछे के कारण कई बार सामान्य ही होते हैं। बढ़ता प्रदूषण, गलत खानपान, केमिकल युक्त या ज्यादा स्ट्रॉन्ग हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना या फिर शरीर के अंदर होने वाली कोई बीमारी। स्वस्थ और खूबसूरत बाल हर किसी की चाहत होती है, लेकिन इसके लिए मेहनत भी जरूरी है। ऐसे में हम आपके लिए एक आसान और प्राकृतिक तरीका लेकर आए हैं, जिससे आप घर पर ही नेचुरल हेयर ऑयल बना सकते हैं। इसमें छत पर उगे हुए एलोवेरा और करी पत्ते जैसे पौधे भी इस्तेमाल होंगे, जो बालों को घना, मजबूत और सिल्की बनाने में मदद करेंगे। यह तरीका न सिर्फ सस्ता है, बल्कि बालों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित भी है। तो आइए कैसे करना है इसका इस्तेमाल।नारियल तेल का पोषणनारियल तेल बालों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक उपाय है। नारियल तेल बालों को गहराई से पोषण देता है, जिससे बाल मुलायम, सिल्की और चमकदार बनते हैं। यह स्कैल्प के सूखेपन और खुजली को भी दूर कम करने में मददगार होता है। साथ ही नारियल तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो बालों को संक्रमण से बचाते हैं। नारियल तेल की नियमित मालिश से बालों की ग्रोथ बढ़ती है और डैंड्रफ की समस्या कम होती है। ऐसे में इसके साथ कुछ और नेचुरल चीजें मिला ली जाएं तो बालों के स्वस्थ्य को लाभ मिलता है।नेचुरल हेयर ऑयल के लिए जरूरी सामग्रीइसके लिए आपको आमतौर पर 1 कप नारियल तेल, 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल, 10-12 करी पत्ते, 1 प्याज कद्दूकस, 1 चम्मच कलौंजी और 1 चम्मच मेथी दाना आदि की जरूरत पड़ेगी। इन सभी को एक बर्तन में डालकर धीमी आंच पर 20-25 मिनट तक पकाएं। फिर ठंडा होने पर छान लें और किसी साफ शीशी में भर लें।नारियल तेल में इस्तेमाल की जाने वाली ये सभी सामग्री बालों के लिए अलग-अलग काम करती हैं, जैसे एलोवेरा बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और स्कैल्प की सूजन कम करता है। करी पत्ते में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बालों को झड़ने से बचाते और घना बनाते हैं। प्याज में सल्फर होता है, जो बालों के रोम को मजबूत करता है।उपयोग का तरीका व फायदेइस तेल को हफ्ते में 2-3 बार बालों की जड़ों में अच्छी तरह मालिश करें। मालिश के बाद कम से कम 1 घंटे तक तेल को लगे रहने दें ताकि पोषक तत्व अच्छी तरह से बालों में समा जाएं। इसके बाद शैम्पू से बाल धो लें। इसे आप हफ्ते में कम से कम दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।नेचुरल ऑयल बनाकर बालों की देखभाल करना न सिर्फ सस्ता है, बल्कि पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी भी। नारियल तेल, एलोवेरा, करी पत्ते, प्याज, कलौंजी और मेथी दाने के फायदे मिलकर आपके बालों को दे नए जीवन की ऊर्जा।
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सौंठ का इस्तेमाल हमारे घरों में अलग-अलग तरीके से किया जाता है। आज हम बात करेंगे कि फेफड़ों में जमी कफ को साफ करने में सौंठ का इस्तेमाल कैसे कारगर है? सौंठ खांसी और जकड़न से राहत दिलाने में बेहद मददगार है। सौंठ की सबसे अच्छी बात ये है कि ये कफ और पित्त दोनों की प्रकृति वाले लोगों के लिए फायदेमंद है। कफ की प्रकृति वाले लोग सौंठ का सेवन कर सकते हैं लेकिन पित्त प्रकृति वाले लोग अक्सर गर्म चीजों के सेवन से बचते हैं और सौंठ इतना गर्म नहीं है कि ये पित्त प्रकृति वाले लोगों को नुकसान पहुंचाए। इसके अलावा भी कफ साफ करने में सौंठ अपनी अहम भूमिका निभा सकती है। जैसै कि
-सोंठ में मौजूद सक्रिय यौगिक जिंजरोल में सूजन-रोधी गुण होते हैं जो गले की तकलीफ और जलन को कम कर सकते हैं। जिंजरोलखांसी-जुकाम से जुड़े तमाम लक्षणों को कम करने में असरदार है और ये कफ की वजह से छाती में महसूस होने वाले भारीपन को भी कम करने में मदद कर सकता है।- सोंठ श्वसन तंत्र से बलगम और कफ को साफ करने में मदद करने के लिए जाना जाता है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है और कंजेशन में कमी आती है। जो भी लोग अस्थमा, निमोनिया और तमाम प्रकार के फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं उनके लिए ये खांसी और कंजेशन को कम करने वाला है।-सौंठ का गर्म और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला प्रभाव काफी हद तक कारगर है। इसकी गर्म प्रकृति पसीना लाने में मदद करती है, जो बुखार कम करने और सर्दी-जकाम व वायरल के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।-सोंठ में एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं जो शरीर को सर्दी के लक्षणों का कारण बनने वाले रोगाणुओं से लड़ने में मदद कर सकते हैं। इससे फेफड़ों में होने वाली इंफेक्शन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।कफ साफ करने के लिए सौंठ का इस्तेमाल-सर्दी-जुकाम में आप सौंठ का इस्तेमाल कई प्रकार से कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि इसका सेवन आप सही मात्रा में और सही समय पर करें। जैसे कि आप सबसे पहले तो सौंठ का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं जो कि सीने में जमे कफ को साफ करने में मददगार है।शहद में मिलाकर खाएं सौंठशहद एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर है और जब आप इसे शहद में मिलाकर खाते हैं तो ये फेफड़ों को आराम देने के साथ बलगम और कफ को साफ करने में मदद कर सकता है। तो आपको करना ये है कि 1 चम्मच शहद लें और इसमें सौंठ मिलाकर खा लें। आप इसे खाने के बाद ले।सौंठ और पिपली का इस्तेमाल करेंसौंठ और पिपली का इस्तेमाल फेफड़ों की कई समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है। ये दोनों ही फेफड़ों में जमी कफ और कंजेशन को दूर करने में मददगार है तो पिपली और सौंठ कोगुड़ और घी में पका लें और फिर इनका सेवन करें।सौंठ और सुहागा का सेवन करेंसौंठ और सुहागा का सेवन उन तमाम लोगों के लिए फायदेमंद है जो कि कंजेशन, कफ और खांसी-जुकाम की समस्या से गुजर रहे हों। ऐसे में जरूरी ये है कि सौंठ और सुहागा दोनों का काढ़ा बनाएं और फिर इनका सेवन करें। ये फेफड़ों की सफाई में मददगार साबित होगा।सौंठ और मुलेठी का सेवन करेंसौंठ और मुलेठी का सेवन कंजेशन कम करने के साथ गले को साफ करने और फेफड़ों की सफाई में मददगार है तो सौंठ पाउडर को मुलेठी के साथ मिलाएं और शहद में मिलाकर इसे खा लें। इसे आप खाना खाने के बाद 2 से 3 बार लें।इस प्रकार से सौंठ का सेवन कफ और कंजेशन कम करने में मदद कर सकता है तो अगर आपने अब तक इस घरेलू उपचार को नहीं अपनाया है तो एक बार अपनाकर जरूर देखें। - नयी दिल्ली. नवरात्र शुरू हो रहे हैं और विशेषज्ञों की सलाह है कि इस दौरान उपवास करने वालों को रात्रि में अचानक भारी भोजन करने से बचना चाहिए। चिकित्सकों का मानना है कि ऐसा करना उनके ‘मेटाबॉलिज्म' और पाचन तंत्र पर नकारात्मक असर डाल सकता है। आमतौर पर, नवरात्र में उपवास करने वाले श्रद्धालु दिन में फल और रात्रि में आलू-साबूदाना की खिचड़ी, सिंघाड़े के आटे का हलवा, लौकी, कद्दू, दूध, दही या पनीर इत्यादि चीजों का सेवन करते हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, नौ दिन तक खाने का यह पैटर्न नुकसानदायक साबित हो सकता है। दिनभर भोजन न करने से शरीर की ऊर्जा की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है और शाम या रात्रि में भारी भोजन लेने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है। इससे अपच, एसिडिटी और पेट में भारीपन की शिकायत हो सकती है।दिल्ली स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के ‘डायटिक्स एंड न्यूट्रिशन विभाग' की वरिष्ठ कंसलटेंट दिव्या मलिक ने कहा, “नौ दिन के उपवास में दिनभर कुछ न खाना और रात्रि में एक बार भारी भोजन लेने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है। मेटाबॉलिज़्म भी धीमा पड़ सकता है क्योंकि भूखे रहने के बाद एक बार में ज्यादा खाना खाने से शरीर कैलोरी को सही तरीके से जलाने में मुश्किल महसूस करता है।” उन्होंने कहा, “बेहतर यह है कि भोजन थोड़ा हल्का और संतुलित किया जाए तथा पानी पर्याप्त पीया जाए ताकि पाचन सही रहे और शरीर को नुकसान न हो।” इसके अलावा, व्रत के दौरान सही मात्रा में प्रोटीन न लेने पर शरीर में फैट बढ़ सकता है और लंबे समय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उभर सकती हैं। कामकाजी महिलाओं के लिए व्रत के दौरान शारीरिक ऊर्जा बनाए रखना और अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।दिल्ली की पटपड़गंज निवासी, ई-रिक्शा चलाने वाली फूलवती ने कहा, “नौ दिन नौ रात व्रत के साथ सौ-सौ बार माता रानी का नाम जपती हूं .....नौ दिन माता इतनी शक्ति देती हैं कि मैं पानी भी ना पीऊं तो भी मस्त रिक्शा चलाऊंगी। खैर, शाम को वापस घर जाकर पूजा करती हूं और माता को जो भोग चढ़ाती हूं वही खाती हूं।” पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 की रहने वाली शिक्षिका सुनीता भारद्वाज ने कहा, “मैं हर साल नवरात्र का उपवास करती हूं। सुबह-सुबह स्कूल जाना होता है और घर के कामकाज की भी जिम्मेदारियां होती हैं, इसलिए सुबह के समय व्रत वाला खाना बनाना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि मैं दिन में केला या सेब खा लेती हूं और रात में माता रानी की आरती के बाद आलू-साबूदाने की खिचड़ी खा लेती हूं।” निजी बैंक में काम करने वाली अंजलि तिवारी ने कहा, “दिनभर की व्यस्त जीवनशैली के कारण व्रत में अपने आहार का ध्यान रखना मुश्किल है। व्रत के दौरान कमजोरी हो जाती है लेकिन मैं पूरे नौ दिन माता रानी के लिए उपवास करती हूं।'' उपवास के दौरान संतुलित आहार नहीं लेने से शरीर में प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी, चक्कर आना और हड्डियों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। व्रत के दौरान धार्मिक मान्यताओं और अच्छी सेहत का संतुलन कैसे बनाया जाए, इस सवाल पर नोएडा जिला अस्पताल की डायटिशियन खुशबू सिंह ने कहा, ‘‘दिन की शुरुआत गर्म पानी और कड़ी पत्ते से करें। इसके बाद नाश्ते में हल्के फल और मेवे खा सकते हैं।'' उन्होंने कहा कि व्रत रखने वाले लोग इसी तरह दोपहर, शाम और रात का अपना भोजन संयमित और हल्का रखें।स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, उपवास में लोग तीन-चार आम गलतियां करते है। पहला, भूखे रहकर अचानक भारी या तला-भुना खाना खाना, जिससे पाचन में समस्या हो सकती है। दूसरा, प्यास लगने पर पानी कम पीना, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। तीसरा, पर्याप्त और संतुलित पोषण न लेना, जिससे कमजोरी और थकान हो सकती है। चौथा, नींद पूरी न करना, जिससे ‘मेटाबॉलिज्म' और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।
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आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। कई लोग नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की भक्ति में और श्रद्धा से पूरे 9 दिनों तक उपवास रखते हैं, जिसमें वे सिर्फ व्रत की चीजों का सेवन करते हैं और फलाहार करते हैं। उपवास रखना न सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा होता है, बल्कि शरीर को डिटॉक्स करने का एक तरीका भी माना जाता है। हालांकि, बहुत बार लोग उपवास के दौरान तले-भुने, ज्यादा तेल और मसाले वाले फूड्स का सेवन करते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है और शरीर में पोषक तत्वों की कमी कारण बन सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि के व्रत के दौरान पौष्टिक आहार कैसे लेना चाहिए?
1. तले-भुने खाद्य पदार्थों से बचें
व्रत रखने के समय अक्सर लोग पूड़ी, पकौड़ी, साबूदाना वड़ा आदि तले-भुने खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। ये चीजें खाने में स्वादिष्ट तो होती हैं, लेकिन इनमें ज्यादा तेल और कैलोरी होती है, जो पाचन क्रिया पर नकारात्मक असर डाल सकती है और वजन बढ़ने का कारण बन सकती है। इसके स्थान पर आप व्रत में खाने के लिए हेल्दी विकल्प को चुन सकते हैं। आप मखाने के हल्का भूनकर खा सकते हैं जो फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, या फिर सिंघाड़े या कुट्टू के आटे से बने चीले को भी शामिल कर सकते हैं।
2. भरपूर मात्रा में पानी पिएं
उपवास के दौरान शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिसके कारण थकान, सिरदर्द और चक्कर आने की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें और इसके अलावा आप कुछ हेल्दी ड्रिंक्स भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। नींबू पानी, नारियल पानी और फलों का ताजा जूस आपके शरीर को हाइड्रेट रखने और पोषण देने में मदद करेगा।
3. स्नैकिंग के लिए हेल्दी विकल्प चुनें
बहुत सारे लोग व्रत के दौरान फलाहार के नाम पर पैकेज्ड चिप्स, नमकीन या पापड़ का सेवन करते हैं, जो सेहत के लिए बिल्कुल भी हेल्दी नहीं होता है। इन चीजों में ट्रांस फैट, ज्यादा नमक और प्रिजर्वेटिव्स से भरपूर होते हैं। इसलिए, इनके स्थान पर आप खीरे, गाजर, ककड़ी जैसी हाइड्रेट सब्जियां, फ्रूट सलाद और साबूदाना खिचड़ी शामिल कर सकते हैं, जो हेल्दी होने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
4. छोटे और बार-बार भोजन करें
व्रत के दौरान कई बार आप एक बार में ही अपना पेट भर लेते हैं, जो ब्लोटिंग की समस्या को बढ़ा सकता है। पेट देर तक खाली रहने से मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि दिन भर छोटे-छोटे और संतुलित आहार लें। सुबह के समय एक फल खाएं और पानी पिएं। इसके बाद दोपहर में चीला या साबूदाना खिचड़ी खाएं, शाम को नारियल पानी पिएं या मखाना खाएं और रात को हल्का फ्रूट सलाद या दूध लें। इससे न सिर्फ आपके शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहता है, बल्कि पाचन तंत्र पर भी ज्यादा दबाव नहीं पड़ता है। उपवास के दौरान खानपान में थोड़ी सी समझदारी और हेल्दी बदलाव न सिर्फ आपके शरीर को एनर्जी देने में मदद करता है, बल्कि पौष्टिक होता है। इसलिए उपवास के दौरान तले-भुने और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज करें, हेल्दी विकल्पों को अपनी डाइट में शामिल करें और खुद को हाइड्रेट रखें।






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